अंतरराष्ट्रीय
-बिल वरनॉन
यूक्रेन को चैलेन्जर 2 टैंक देने के ब्रिटेन के फ़ैसले पर रूस ने नाराज़गी ज़ाहिर की है.
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने बीबीसी से कहा है कि "जैसा कि हमने पहले कहा था, जो भी हथियार यूक्रेन को सप्लाई किए जाएंगे वो हमारे लिए वैध निशाना होंगे."
ब्रितानी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के दफ़्तर ने शनिवार को कहा था कि ब्रिटेन यूक्रेन को चैलेन्जर 2 टैंक देगा. ऋषि सुनक के यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की से फ़ोन पर बातचीत के बाद ये फ़ैसला लिया गया है. (bbc.com/hindi)
यूक्रेन के अलग-अलग शहरों पर मिसाइलों से हमले की खबरें आ रही हैं. इसमें पश्चिम में लवीव, दक्षिण में ओडेसा और पूर्व में डिनप्रो जैसे शहर शामिल हैं. मिसाइल हमले के बाद डिनप्रो शहर की एक रिहाइशी इमारत का बड़ा हिस्सा धराशायी हो गया.
इमारत पर हमले की तस्वीर यूक्रेनी राष्ट्रपति भवन के डिप्टी हेड के. तेमोसेंकोवा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की. ख़बर के मुताबिक कई सारे लोग इमारत में फंसे हुए हैं. बड़े धमाकों की गूंज मध्य यूक्रेन के शहरों से भी सुनाई दे रही है.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक यूक्रेन के मिसाइल डिफेंस की टीम रूसी मिसाइलों को हवा में ही गिराने की कोशिशों में जुटी हुई हैं.
कुछ घंटे पहले यूक्रेनी अधिकारियों ने नागरिकों को चेताया था कि 17 रूसी युद्धक विमान यक्रेन की सीमा की तरफ बढ़ रहे हैं. इसके बाद रूसी विमानों ने रात में राजधानी कीएव पर हमले किया.
उधर,खारकीएव में भी दो मिसाइलों से बिजली संयंत्रों पर हमले किए गए. हमले के बाद से इमरजेंसी टीम शहर में बिजली आपूर्ति की बहाली में जुटी हुई है. (bbc.com/hindi)
ब्रितानी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के दफ़्तर ने कहा है कि ब्रिटेन यूक्रेन को चैलेन्जर 2 टैंक देगा.
ऋषि सुनक के दफ़्तर ने कहा है कि पीएम ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की से फ़ोन पर बात की है जिसके बाद ये फ़ैसला लिया गया है.
ऋषि सुनक ने कहा है कि इसके साथ ही यूक्रेन को दूसरे उपकरण भी दिए जाएंगे.
बीबीसी राजनीतिक मामलों के संवाददाता डेविड वॉलेस लॉकहार्ट ने कहा है कि अब तक जो जानकारी मिली है उसके अनुसार अभी ये साफ नहीं है कि ब्रिटेन कितने टैंक यूक्रेन को दे सकता है, हालांकि हो सकता है कि ब्रिटेन 12 चैलेन्जर 2 टैंक यूक्रेन को दे.
बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं के बीच हाल के दिनों में रूसी सेना को पीछे धकेलने में सफलता पाने और वैश्विस स्तर पर सैन्य सहायता बढ़ाने और कूटनीतिक सहयोग बढ़ाने पर बात हुई.
ब्रिटेन का चैलेन्जर 2 टैंक क़रीब 20 दशक पुराना है लेकिन यूक्रेन के लिए युद्ध के मैदान में ये सबसे आधुनिक टैंक होगा.
1990 के आख़िर में बने इस टैंक को असल में रूसी सेना का सामना करने के लिए बनाया गया था. (bbc.com/hindi)
रूस ने शनिवार की सुबह यूक्रेन की राजधानी कीएव और एक दूसरे बड़े शहर खारकीएव पर मिसाइल हमले किए हैं.
कीएव शहर के मेयर विटाली क्लिश्चको ने कहा है कि नीप्रोवस्की डिस्ट्रिक्ट में हमले हुए हैं.
उन्होंने नागरिकों से कहा है कि हमलों से बचने के लिए छिपें और मिसाइलों के गिर रहे मलबे से भी खुद को सुरक्षित रखें.
उन्होंने कहा कि गोलोविस्की में आसमान से मिसाइल का मलबा गिरा है.
खारकीएम के गवर्नर ने कहा है कि दो मिसाइल हसले शहर के ऊर्जा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर गिरे हैं जिसके बाद इलाक़े में बिजली की सप्लाई प्रभावित हुई है. कार्यकर्ता बिजली सप्लाई दुरुस्त करने के लिए काम कर रहे हैं. (bbc.com/hindi)
चीन ने कहा है कि उसके यहां के अस्पतालों में 59,938 मौतें हुई हैं. चीन का यह पिछले 30 दिनों का आंकड़ा है.
चीन ने ये आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के उस बयान के बाद जारी किया है, जिसमें कहा गया था कि चीनी सरकार कोविड की भयावहता की अंडर रिपोर्टिंग कर रही है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ चीन के सरकारी मीडिया ने शनिवार को नेशनल हेल्थ कमीशन के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि 8 दिसंबर 2022 से लेकर 12 जनवरी 2023 तक अस्पतालों में कोविड से जुड़ी 59,938 मौतें हुई हैं.
नेशनल हेल्थ कमीशन के डायरेक्टर जियाओ याहुई के अनुसार मेडिकल संस्थानों ने कहा कि कोविड-19 की वजह से सांस संबंधी दिक्कतों से 5,503 लोगों की मौत हुई.
हालांकि उन्होंने कहा कि 54,435 मौतें उन लोगों की हुई है, जो कैंसर, दिल की बीमारी से ही पीड़ित थे. लेकिन कोविड की वजह से इन हालातों के बिगड़ने से उनकी मौत हुई है.
जिन लोगों की मौत हुई है उनकी औसत उम्र 80 साल थी.
चीन ने पिछले महीने अपनी ज़ीरो-कोविड पॉलिसी ख़त्म कर दी थी. इसके बाद इस साल आठ जनवरी को उसने अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए अपनी सीमाएं खोल दी थी. (bbc.com/hindi)
कोलंबो, 14 जनवरी। श्रीलंका की यात्रा करने वाले सभी भारतीय नागरिकों को यहां के संशोधित कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी गई है। श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग ने शनिवार को यह जानकारी दी।
श्रीलंका के नए कोविड-19 दिशानिर्देश के मुताबिक, द्वीप देश आने वाले सभी पर्यटकों को टीकाकरण का प्रमाण पत्र लेकर आना होगा और टीकाकरण नहीं करवाने वाले यात्रियों को देश में दाखिल होने से पहले पीसीआर जांच रिपोर्ट दिखानी होगी, जिसमें संक्रमण नहीं होने की जानकारी होनी चाहिये और जांच रिपोर्ट 72 घंटे से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिये।
इससे पहले, सात दिसंबर 2022 को श्रीलंका ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र साथ रखने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया था। श्रीलंका के लिए विमान पर सवार होने से पहले या हवाई अड्डे पर आने से पहले कोविड जांच संबंधी रिपोर्ट पेश करने की भी अनिवार्यता खत्म कर दी गई थी।
श्रीलंका सरकार द्वारा जारी संशोधित कोविड-19 दिशा-निर्देश शुक्रवार को प्रभावी हुआ।
भारतीय उच्चायोग ने कहा, ‘‘श्रीलंका आ रहे भारतीय नागरिकों से आग्रह है कि वे नवीनतम कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करें।’’
गौरतलब है कि पिछले साल करीब 7,19,000 विदेशी श्रीलंका आए थे, जिनमें से 1,23,000 भारतीय नागरिक थे। (भाषा)
इस्लामाबाद, 14 जनवरी। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के प्रमुख नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज जल्द ही लंदन से स्वदेश लौटने पर विचार कर रहे हैं। मीडिया में शनिवार को आई खबर में यह जानकारी दी गई।
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पंजाब प्रांत में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की ‘‘पैंतरेबाजी’’ से पार्टी को लगे झटके के कुछ दिनों बाद यह बात सामने आई है।
‘‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’’ अखबार की खबर के मुताबिक, पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली संघीय सरकार खान के सहयोगी और पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री परवेज इलाही को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से रोकने में नाकाम रही है।
इलाही ने बृहस्पतिवार को प्रांतीय विधानसभा भंग करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए।
पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत में कई हफ्तों की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद इलाही ने बृहस्पतिवार को विश्वास मत जीतकर प्रांतीय विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर दिया था।
खबर के मुताबिक, पहले फरवरी मध्य में पाकिस्तान लौटने की योजना बना रहे शरीफ और मरियम अब अपनी योजना पर पुनर्विचार कर रहे हैं और जल्द से जल्द देश लौट सकते हैं।
शरीफ परिवार के करीबी एक सूत्र ने ‘जियो टीवी’ को बताया कि पिता-पुत्री 10 दिनों के भीतर लंदन से वापस लौट आएंगे। (भाषा)
बीजिंग, 14 जनवरी। चीन ने शनिवार को सूचना दी कि देश में दिसंबर की शुरुआत से लेकर अब तक करीब 60,000 लोगों की मौत कोविड-19 से हुई है।
महामारी की स्थिति पर आंकड़े जारी करने में सरकार की विफलता को लेकर की जा रही आलोचनाओं के बाद यह कदम सामने आया है।
सरकार के अनुसार मरने वालों में सांस संबंधी दिक्कत के कारण 5,503 लोगों और कोविड-19 के साथ अन्य बीमारियों के चलते 54,435 लोगों की मौत हुई है।
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि ये मौत अस्पतालों में हुईं। इससे यह संभावना भी है कि घरों में भी लोगों की मौत हुई होगी।
चीन सरकार ने महामारी रोधी कदमों को अचानक हटाने के बाद दिसंबर की शुरुआत में कोविड-19 के मामलों और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा देना बंद कर दिया था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन से इस बारे में अधिक जानकारी देने को कहा था। (एपी)
पेशावर, 14 जनवरी पाकिस्तान में पेशावर के उपनगरीय इलाके में भारी हथियारों से लैस तालिबानी आतंकवादियों ने शनिवार को पुलिस थाने पर हमला कर एक वरिष्ठ अधिकारी समेत तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पेशावर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) काशिफ अब्बासी ने कहा कि करीब छह से सात आतंकवादियों ने खैबर कबायली जिले की सीमा से लगे सरबंद पुलिस थाने पर हथगोले, स्वचालित हथियारों और स्नाइपर बंदूकों से हमला किया। पुलिसकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की। इस हमले में तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।
हमले में मारे गए तीन पुलिसकर्मियों में पुलिस उपाधीक्षक सरदार हुसैन और दो कांस्टेबल शामिल हैं।
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पुलिस प्रमुख मोअज्जम अंसारी ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने थाने पर हुए आतंकवादी हमले को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया और आतंकवादियों का बहादुरी से मुकाबला किया।
पुलिस थाने की इमारत में घुसने के दौरान हुई गोलीबारी में पुलिस उपाधीक्षक गंभीर रूप से घायल हो गये। इसके बाद उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री महमूद खान ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पुलिस का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
हमलावरों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान जारी है। टीटीपी के प्रवक्ता मुहम्मद खुरासानी ने एक बयान में कहा कि उनके मुजाहिदीन ने कल रात पेशावर में दो पुलिस चौकियों पर लेजर बंदूक से हमला किया।
टीटीपी ने हमले में एक डीएसपी रैंक के पुलिस अधिकारी समेत चार पुलिसकर्मियों की हत्या करने और तीन अन्य को घायल करने का दावा किया। उसने दो कलाशनिकोव, दो मैगजीन और 47000 रुपये भी जब्त करने का दावा किया।
एक अन्य बयान में टीटीपी के प्रवक्ता ने दक्षिणी पंजाब के डेरा गाजी खान जिले की तुंसा शरीफ तहसील में पुलिस और सीटीडी की संयुक्त सुरक्षा चौकी पर हमला करने की भी जिम्मेदारी ली। इस हमले में दो पुलिसकर्मी मारे गए। (भाषा)
यूक्रेन, 14 जनवरी । संयुक्त राष्ट्र के लिए चीन के दूत ज़ांग जुन ने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर कहा है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत और समझौते की स्थिति तैयार की जानी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र में उन्होंने चीन का पक्ष रखते हुए कहा कि यूक्रेन की मौजूदा स्थिति यूरोप में लंबे वक़्त से पनप रही सुरक्षा चिंताओं का नतीजा है.
दोनों के बीच शांति के लिए बातचीत को लेकर उन्होंने कहा कि यूरोप की सुरक्षा चिंताओं के हल के लिए दोनों पक्षों को आपसी मतभेद भुलाकर बातचीत की मेज़ तक आना होगा. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इसका रास्ता आसान नहीं होगा लेकिन अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति और समझदारी से काम किया जाए तो शांति संभव है.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ख़ासकर मौजूदा स्थिति में अधिक प्रभाव रखने वाले देशों को चाहिए कि वो रूस और यूक्रेन को बातचीत के लिए प्रेरित करें और संकट का राजनीतिक हल तलाशने में मदद करे.
उन्होंने कहा कि प्रतिबंध बढ़ाने और हथियारों की आपूर्ति से स्थिति को बदलना मुश्किल होता जाएगा और इससे बड़े संघर्ष की संभावना भी बढ़ सकती है. इस कारण हालात बदतर बनाने और संघर्ष बढ़ाने की संभावना से बचने की हर संभव कोशिश की जानी चाहिए.
युद्ध में परमाणु हमले की आशंका को लेकर उन्होंने कहा कि यूक्रेन के ज़ापोरिज़िया परमाणु प्लांट के आसपास गोलीबारी रुकी नहीं है और ये सुरक्षा चिंता का बड़ा कारण बना हुआ है.
उन्होंने कहा कि प्लांट के सभी छह रिएक्टर बंद हो गए हैं. बीते साल दिसंबर में प्लांट के लिए आख़िरी बैकअप पावरलाइन को भी नुक़सान हुआ था और बीते सप्ताह ही प्लांट के लिए फिर से पावरलाइन को सुनिश्चित किया जा सका है.
ज़ांग जुन ने कहा कि इस तरह की घटना एक बार फिर नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे सभी सैन्य अभियान तुरंत बंद किए जाने चाहिए जिनसे परमाणु प्लांट की सुरक्षा प्रभावित होती हो.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट एक बार फिर दुनिया को दोराहे पर ले आया है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि हम उस जगह खड़े हैं जहां हमें ये फ़ैसला करना है कि क्या हम शीत युद्ध की सोच की तरफ़ लौटें और विभाजन और संघर्ष की तरफ बढ़ें या फिर मानवता की बेहतरी के लिए आगे बढ़ें और समानता, आपसी सम्मान की तरफ जाएं.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन मामले में चीन निष्पक्ष रुख़ अपनाएगा और अपने तरीके से सकारात्मक कोशिशें करता रहेगा. (bbc.com/hindi)
दुबई, 14 जनवरी ईरान ने शनिवार को कहा कि उसने रक्षा मंत्रालय में काम कर चुके दोहरी नागरिकता रखने वाले ईरानी-ब्रिटिश नागरिक को मृत्युदंड दे दिया है।
देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच ईरानी-ब्रिटिश नागरिक को मृत्युदंड देने के ईरान के फैसले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हो चुकी है।
ईरानी न्यायपालिका से जुड़ी ‘मीजान’ समाचार एजेंसी ने अली रजा अकबरी को फांसी दिए जाने की घोषणा की। फांसी कब दी गई इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। हालांकि, कहा जा रहा है कि उन्हें कुछ दिन पहले फांसी दी गई थी।
ब्रिटेन की एमआई-6 खुफिया एजेंसी का जासूस होने का सबूत पेश किए बिना ईरान ने अकबरी पर जासूसी का आरोप लगाया था। ईरान ने अकबरी का एक अत्यधिक संपादित वीडियो प्रसारित किया। इस वीडियो को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जबरन कराया गया कबूलनामा बताया।
शुक्रवार को अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने अकबरी की फांसी की आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘अली रजा अकबरी के खिलाफ आरोप और उन्हें फांसी की सजा राजनीति से प्रेरित है। उनकी फांसी अनुचित है। हम उन खबरों से बहुत व्यथित हैं कि अकबरी को हिरासत में नशा दिया गया, हिरासत में प्रताड़ित किया गया, हजारों घंटों तक पूछताछ की गई और झूठे बयान देने के लिए मजबूर किया गया।’’
पटेल ने कहा, ‘‘ईरान की मनमानी और अन्यायपूर्ण हिरासत, जबरन कबूलनामा और राजनीति से प्रेरित फांसी देने का चलन पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।’’ (एपी)
दक्षिणपूर्व एशियाई देश कचरे से ऊर्जा तैयार करने के और ठिकाने बनाना चाहते हैं. और यूरोपीय कंपनियां इस बाजार में उतरने को उत्सुक हैं. लेकिन कचरे को जलाने से जुड़े पर्यावरणीय नुकसान को लेकर चिंताएं भी हैं.
यूरोपीय कंपनियां दक्षिणपूर्व एशिया में वेस्ट टू एनर्जी (डब्लूटीई) मार्केट यानी कचरे से ऊर्जा उत्पादन में भारी निवेश करने लगी हैं. इस भूभाग की ऊर्जा जरूरतें आने वाले दशकों में और बढ़ने की संभावना है और कचरे को जलाने की यूरोप की खुद की मांग अब कम होने लगी है. यूरोपीय और जापानी कंपनियों का लंबे समय से डब्लूटीई उद्योग पर प्रभुत्व रहा है. सामान्य रूप से ये देखा जाता है कि ये पावर प्लांट उस कचरे को जला देते हैं जो बिजली उत्पादन के लिए रिसाइकिल नहीं किया जा सकता.
साफ ऊर्जा से जुड़ी समाचार वेबसाइट, एनर्जीमॉनीटर.एआई ने हाल में अनुमान लगाया था कि फिलीपींस, इंडोनेशिया और थाईलैंड में 100 से ज्यादा वेस्ट-टू-एनर्जी परियोजनाएं या तो हाल में पूरी हो चुकी हैं या निर्माणाधीन हैं. इनमें फिलीपींस स्थित पांगासिनान का प्लांट भी है जिसे ब्रिटेन की एलीड प्रोजेक्ट सर्विसेज से वित्तीय मदद मिली है. डेनमार्क सरकार की मदद के तहत एक प्रोजेक्ट, इंडोनेशियाई शहर सेमारांग में भी चल रहा है.
थाईलैंड स्थित चोनबुरी में जारी एक प्रोजेक्ट को फ्रांसीसी कंपनियां एन्जी और स्यूज एनवायर्नमेंट सहायता दे रही हैं. पहले अम्स्टरडम में वेस्ट एनवायर्नमेंटल कंसलटेंसी एंड टेक्नोलॉजी के नाम से मशहूर, नीदरलैंड्स स्थित हार्वेस्ट वेस्ट कंपनी ने पिछले साल वियतनाम के मेकांग डेल्टा स्थित सोक ट्रांग प्रांत में 10 करोड़ डॉलर की अनुमानित लागत से चल रहे वेस्ट-टू-एनर्जी प्रोजेक्ट पर शुरुआती अध्ययन किए थे.
2021 में, हार्वेस्ट वेस्ट ने फिलीपींस के केबु में ठिकाना बनाने के एक प्रस्ताव के लिए जरूरी आनुपातिक दर्जा भी हासिल कर दिया था. एशिया में ये सबसे उच्चीकृत डब्लूटीई प्लांट बनने की ओर है. कंपनी के दस्तावेजों के मुताबिक, अम्स्टरडम के ऐतिहासिक ठिकाने जैसी तकनीक यहां भी इस्तेमाल होगी जो एक टन कचरे से 900 किलोवॉट घंटे बिजली पैदा कर सकती है.
नये बाजार देखता यूरोप
हार्वेस्ट वेस्ट के एशिया-प्रशांत प्रमुख लुक रिकवेस्ट ने बताया कि दक्षिण एशियाई बाजार बढ़ रहा है क्योंकि प्रमुख विकास बैंकों से फंडिंग मिल रही है और इस क्षेत्र की सरकारें निवेश बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही हैं जिनमें फीड-इन टैरिफ भी शामिल हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "पूरे एशिया में तमाम म्युनिसिपल कचरा और कमर्शियल वेस्ट, एक ही जगह पर डाल दिया जाता है या विकल्पों के अभाव में खुले में फेंक दिया जाता है."
कंफेडरेशन ऑफ यूरोपियन वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स के मुताबिक यूरोप में, करीब 500 डब्लूटीई इस समय सक्रिय हैं. लेकिन जीरो वेस्ट यूरोप एनजीओ के वायु प्रदूषण प्रोग्राम समन्वयक यानेक वाक का कहना है कि यूरोपीय तकनीक प्रदाता, दूसरी जगहों पर बढ़ती मांग के अवसर और घरेलू स्तर पर हो रही छंटाई की वजह से नये बाजारों की ओर देख रहे हैं.
ऊर्जा परामर्शदाता संस्थान इकोप्रोग के, सालाना डब्लूटीई इंडस्ट्री बेरोमीटर के अक्टूबर में जारी ताजा सर्वे के मुताबिक, यूरोप की डब्लूटीई इंडस्ट्री के लिए "बिजनेस क्लाइमेट" में एक दशक के दौरान सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है. इसी तरह, वाक कहते हैं, "दुनिया के बहुत से दूसरे देशों और क्षेत्रों में काफी कम या बामुश्किल ही कोई भट्टी होंगे लिहाजा उन इलाकों में जर्बदस्त बाजार संभावना मौजूद है.
दक्षिणपूर्वी एशिया ऐसा ही एक क्षेत्र
विभिन्न आकलनों के मुताबिक, दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों की शहरी आबादी, 2030 तक बढ़कर 40 करोड़ होने का अनुमान है, जबकि 2017 में ये 28 करोड़ थी. ऊर्जा की मांग में, 2040 तक दो-तिहाई वृद्धि हो जाएगी. इसी वजह से, विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में कचरे के ढेर और रिसाइकलविहीन कचरे की मात्रा बढ़ती जाएगी. और उस तरह उसे उपयोगी बनाने का कोई न कोई तरीका भी निकाला जाएगा.
जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी में वेस्ट टू एनर्जी रिसर्च काउंसिल के चेयर और प्रोफेसर मसाकी तकाओका ने डीडब्ल्यू को बताया कि कचरा उत्पादन रोकने की नीतियां लागू की जाएगीं लेकिन इलाके में आपात उपचार की जरूरत होगी. वो कहते हैं, "अनुमान है कि कई शहर कचरे को जलाकर ऊर्जा पैदा करने की तकनीक पर ध्यान लगाएंगे." जून में चालू हुए वियतनाम के सबसे बड़े डब्लूटीई प्लांट में हर रोज 4000 टन सूखे कचरे के निस्तारण की क्षमता है.
रिसर्च कंपनी मोरडोर इंटेलिजेंस के हालिया आकलन के मुताबिक, दक्षिणपूर्वी एशिया का वेस्ट-टू-एनर्जी मार्केट 2021 से 2028 के दरमियान 3.5 फीसदी की दोगुना सालाना वृद्धि दर के साथ बढ़ सकता है. मोरडोर इंटेलिजेंस के मुताबिक फ्रांस स्थित ट्रांस नेशनल कंपनी विओलिया एनवायर्नमेंट एसए उन पांच बड़ी कंपनियों में से है जो दक्षिणपूर्वी एशिया के डब्लूटीई सेक्टर में सक्रिय थी. अन्य कंपनियों में जापान की मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज और इंडोनेशियाई और सिंगापुर की स्थानीय कंपनियां शामिल हैं.
विकास के रास्ते में अवरोध
हालांकि समस्याएं भी हैं. एक समस्या है फंडिंग की. वाक के मुताबिक यूरोप में हाइटेक डब्लूटीई भट्टियों की कीमत करीब हर साल 1000 यूरो प्रति टन बैठती है. एशिया के कुछ देशों में ये अत्यधिक महंगी हो सकती है. फिर भी अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम और एशियन डेवलपमेंट बैंक जैसे चुनिंदा विशालतम विकास बैंक इस उद्योग में भारी निवेश कर रहे हैं. यूरोपीय संघ से नकदी मिलने की कोई गुंजायश नहीं है.
वेस्ट-टू-एनर्जी में निवेश के लिहाज से, ईयू ने टिकाऊ गतिविधियों को लेकर अपने वर्गीकरण के आधार पर इस उद्योग को सस्टेनेबल फाइनेंस मानी जाने वाली आर्थिक गतिविधियों से बाहर रखा है. दूसरे निवेशक भी जलवायु एक्टिविस्टों की तीखी आलोचना का सामना कर रहे हैं. पिछले साल पर्यावरण समूहों के कंसॉर्टियम ने वियतनाम के बिन डुओंग प्रांत में एक नए डब्लूटीई इन्सिनरेशन प्रोजेक्ट को फंडिंग देने के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक के समक्ष एतराज जताया था.
यूरोप से उलट, एशियाई कचरा ठिकानों में रिसाइकिल होने योग्य या रिसाइकिल न होने योग्य सामग्रियों और प्राकृतिक और कृत्रिम वस्तुओं के बीच कोई ज्यादा भिन्नता नहीं है. लिहाजा भट्टियों में बाजदफा ऐसा कचरा भी चला जाता है जो जलाया नहीं जा सकता. जलवायु एक्टिविस्टों ने इस बारे में आगाह किया है. भट्टियों के लिए जरूरी ताप बढ़ाने के उद्देश्य से अगर ज्यादा प्लास्टिक जलाने की जरूरत पड़े तो उससे बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन और बढ़ सकता है.
पर्यावरणवादी इसलिए भी चिंतित हैं कि कचरे से ऊर्जा इन्सिनरेशन के लिए चलाया जाने वाला अभियान, रिसाइक्लिंग की प्रक्रिया और पर्यावरणीय दृष्टि से कम हानिकारक कचरे के वैकल्पिक इस्तेमाल को बढ़ावा देने की स्थानीय कोशिशों को हतोत्साहित करेगा. जीरो वेस्ट यूरोप से जुड़े वाक कहते हैं, "हमारे नजरिए से, इन्सिनरेटरों यानी भट्टियों के निर्माण का न कोई औचित्य है न उसकी कोई जरूरत है.
कचरा जलाने की पर्यावरणीय कीमत
यूरोपीय संघ ने दक्षिणपूर्वी एशिया के देशों के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिशों की दिशा में जलवायु कार्रवाई को केंद्रीय स्थान दिया है. ईयू का वेस्ट फ्रेमवर्क डाइरेक्टिव कहता है कि कचरा प्रबंधन के और दूसरे भी तरीके उपलब्ध हैं जो इन्सिनरेशन की अपेक्षा ज्यादा उपयुक्त हैं. यूरोपीय संघ के एक प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमारा लक्ष्य, ये सुनिश्चित करना है कि यूरोपीय संघ में कचरे से ऊर्जा निकालने की प्रक्रिया, सर्कुलर इकोनॉमी के उद्देश्यों का पालन करे और ईयू की वेस्ट हाइआर्की से दृढ़तापूर्वक निर्देशित हो."
प्रवक्ता के मुताबिक, "ऊर्जा की बचत और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती के लिहाज से कचरे की रोकथाम और रिसाइक्लिंग ही सबसे ज्यादा योगदान देती हैं." लेकिन डब्लूटीई उद्योगों की वकालत करने वाला पक्ष कहता है कि दक्षिणपूर्वी एशिया जैसे क्षेत्रों में कचरे के बड़े पैमाने पर लग रहे ढेरों को लेकर कुछ किए जाने की जरूरत है. इसके अलावा बिजली की मांग में आ रही तेजी से भी निपटना होगा.
ये पक्ष उस अध्ययन की ओर भी इशारा करता है जो पिछले साल साइंस एडवांसेस जर्नल में प्रकाशित हुआ था. नीदरलैंड्स के कई अकादमिक विद्वानों के इस अध्ययन में बताया गया था कि कचरा ठिकानों से, जितना पहले अंदाजा था, उससे दोगुना मात्रा में मीथेन गैस का उत्सर्जन हो रहा हो सकता है. एक दलील ये भी है, चूंकि दक्षिणपूर्वी एशिया के देश, कचरे से बिजली बनाने के रास्ते पर पहले ही काफी आगे निकल चुके हैं तो क्यों न यूरोपीय कंपनियां भी आगे बढ़ें.
बर्लिन से व्रोक्लॉ के बीच चलने वाली रेल सेवा, परिवहन का जरिया ही नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक अभियान भी है. सफर के दौरान यात्रियों को साथ आने का मौका मिलता है और पड़ोसी संस्कृति का नजारा लेने का भी.
डॉयचे वैले पर यासेक लेपियार्ज की रिपोर्ट-
जर्मनी की राजधानी बर्लिन और पोलैंड के दक्षिण पश्चिमी शहर व्रोक्लॉ के बीच एक "संस्कृति रेल" 2016 से चल रही है. स्प्री और ओडर नदियों के किनारे बसे शहरों के बीच, ये साढ़े चार घंटे की रेल यात्रा है. इतना वक्त बहुत होता है यात्रियों को उस संस्कृति से रूबरू कराने का, जो सफर के आखिर में उनका इंतजार करती है और उनका मनोरंजन भी.
सफर के दौरान यात्रीगण लेखकों, संगीतकारों और कलाकारों से मुलाकात करते हैं, एक लाइब्रेरी का दीदार करते हैं और उन्हें देखने को मिलती है एक स्थायी प्रदर्शनी. ये प्रोजेक्ट मूल रूप से छह महीने की अवधि के लिए तैयार किया गया था लेकिन इतना कामयाब रहा कि कभी बंद करने की जरूरत ही नहीं पड़ी. जर्मन-पोलैंड सीमाओं से इतर ये एक सम्मानजनक संस्थान बन चुका है.
संस्कृति के प्रोत्साहन पर दोनों देशों का जोर
व्रोक्लॉ शहर के पूर्व मेयर रफाल दुत्किएविच कहते हैं कि आइडिया को अंजाम देने में वो भी शामिल रहे थे. उन्होंने बताया, "नगर प्रशासन से किसी ने नाम भी फौरन सुझा दियाः 'पौचियाग दो कुल्टूरी' – संस्कृति रेल." उनके मुताबिक संस्कृति के क्षेत्र में बर्लिन और ब्रांडेनबुर्ग के साथ सहयोग को बढ़ाने के अलावा दोनों शहरों के बीच दो साल पहले रोक दिए गए रेल लिंक को फिर से शुरू करने का इरादा भी इस कार्यक्रम का था.
उन्होंने बताया कि जर्मनी की ओर से सांस्कृतिक जुड़ाव के विचार को अमलीजामा पहनाने और उसे कामयाब बनाने के लिए "रचनाधर्मी युवाओं के एक समूह" ने प्रमुख भूमिका निभाई. प्रोजेक्ट शुरू होने से काफी पहले, थियेटर की जानकार और जर्मन स्टडीज की अध्येता इवा स्त्रोचिंस्का-विले और अनुवादक नताली वासरमन ने निर्माता निर्देशक ओलिवर स्पात्स से इस जर्मन-पोलिश उद्यम को हरकत में लाने के लिए मुलाकात की.
ओलिवर स्पात्स 2015 से 2016 तक फ्रांकफुर्ट स्थित क्लाइस्ट फोरम के निदेशक थे. वो अभी भी संस्कृति रेल के प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. नताली वासरमन कहती हैं, "चलती ट्रेन में संस्कृति से रूबरू कराने का विचार हमारा काफी पहले से था." जब व्रोक्लॉ 2016 में यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में चुना गया तो उनके मुताबिक, सारे विचार आपस में जुड़ने लगे थे.
पहला सफर तो हाथोंहाथ बिक गया
30 अप्रैल 2016 को जब कल्चर ट्रेन बर्लिन के लिष्टेनबर्ग स्टेशन से अपने पहले सफर पर रवाना हुई तो स्पात्स की टीम की सांसें थमी हुई थीं. वो याद करते हैं, "हमें डर था कि लंबी यात्रा की वजह से कोई भी रेल में नहीं चढ़ेगा." आखिर में वे सब हैरान रह गए. स्पात्स कहते हैं, "लोगों का हुजूम टूट पड़ा, सब आना चाहते थे, हमारे पास जगह ही नहीं थी. योजना रेल में 420 सीटों की क्षमता की थी. दो हफ्तों में ही सारी सीटें बिक गईं. हमारे तो होश ही उड़ गए."
आयोजकों के सामने, व्यापक पैमाने पर लोगों को आकर्षित करने वाले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम को तैयार करने की मुश्किल चुनौती थी. एक व्यापक ऑडियंस को लक्षित एक बुनियादी स्कीम बनाई गई, सफर के दौरान क्विज और एक मोबाइल लाइब्रेरी रखी गई. यात्रियों से सामान्य सवाल पूछे गए जैसे कि दोनों देशों में राज्यों की संख्या बताओ. नताली वासरमन के मुताबिक "बात ये थी कि लोग एक दूसरे से बातचीत में व्यस्त हो सकें."
रेलयात्रा में साहित्य, संगीत, थियेटर और डिस्को
रेल सबसे ज्यादा तो संगीत, थियेटर, नाच और लेक्चर का ठिकाना बन गई. क्लब नाइट्स होती थीं और टी डांस किए जाते थे. हर किसी के पसंद और स्वाद की चीज मौजूद थी. जैसा कि तास दैनिक के रिपोर्टर ने अपनी एक रिपोर्ट में रेलयात्रा का ब्यौरा देते हुए उसके लिए लिखा था "संस्कृति का पिटारा.”
बर्लिन स्थित पोलिश मूल की लेखिका दोरोता दानियेलेविच कहती हैं, "ट्रेन में एक शानदार, खुला, उन्मुक्त माहौल रहता है. लोग अपने अनुभव बांटते हैं और नयी दोस्तियां बनती हैं." वो कल्चर ट्रेन की कमोबेश नियमित यात्री हैं. सफर के दौरान उन्होंने अपनी किताबें, "इन सर्च ऑफ द सोल ऑफ बर्लिन" (बर्लिन की आत्मा की तलाश में) और "द व्हाइट सौंग" (सफेद गीत) यात्रियों को भेंट भी की थी.
इस ट्रेन में राजनीतिज्ञ भी सफर करते रहे हैं. ब्रांडेनबुर्ग राज्य के मुख्यमंत्री डीटमार वोइद्के उनमें से एक हैं. उन्होंने व्रोक्लॉ के पूर्व मेयर दुत्किएविच के साथ ट्रेन में ही एक सफर के दौरान जर्मनी और पोलैंड रिश्तों के भविष्य पर चर्चा की. बर्लिन राज्य के संस्कृति और यूरोप मंत्री क्लाउस लेडेरर ने ट्रेन पर पोलैंड के सहकर्मियों के साथ बातचीत में जर्मन राजधानी के हालात तफ्सील से बताए. ओलिवर स्पात्स कहते हैं, "संस्कृति रेल नेटवर्किंग बढ़ाने के अनौपचारिक स्तरों का निर्माण करती है."
ये प्रोजेक्ट छह महीने के लिए था. मई 2016 से अक्टूबर 2016 तक. लेकिन इसकी बड़ी सफलता के चलते और पहले साल में ही 22 हजार यात्रियों की बुकिंग करा लेने के बाद, रेल को चलाने की मियाद लगातार बढ़ाई जाती रही. नताली वासरमन कहती हैं, "हम हमेशा यही कहते, रेल साल के आखिर तक ही चलेगी, फिर ये प्रोजेक्ट पूरा समझो." लेकिन रेल की लोकप्रियता और यात्रा मजबूत होती गई, और दोनों देशों में हिट हो गई. कोविड महामारी के दौरान इसे रोका गया था लेकिन जून 2021 से रेल फिर चल पड़ी है.
रेल की आगामी फंडिग महफूज
वासरमन कहती हैं, संस्कृति रेल ने आसपास के इलाकों में अंदर तक और शहरों के भीतर भी एक नेटवर्क कायम करने में मदद की है. स्पात्स के मुताबिक पोजनान और स्चेचिन समेत पोलैंड के दूसरे शहरों ने भी इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी जाहिर की है. अब तक 80 हजार से ज्यादा यात्री इस रेल से यात्रा कर चुके हैं. मार्च और अप्रैल 2022 में, पोलैंड से 6,000 यूक्रेनी शरणार्थी भी इसी ट्रेन से जर्मनी आए थे.
हाल तक, प्रोजेक्ट को बर्लिन स्थितजर्मन-पोलिश सोसायटी प्रायोजितकर रही थी. इसकी कीमत बर्लिन और ब्रांडेनबुर्ग प्रांत मिलकर चुका रहे थे. ये अस्थायी व्यवस्था, बर्लिन प्रांत में 2021 से गठबंधन सरकार आने के साथ ही खत्म हो गई थी. कल्चर ट्रेन की फंडिग का जिम्मा तब गठबंधन समझौते का हिस्सा बन गया था. राज्य सरकार की कंपनी कुल्टुरप्रोजेक्टे बर्लिन अक्टूबर 2022 से प्रोजेक्ट को स्पॉन्सर कर रही है.
संस्कृति रेल का भविष्य सुरक्षित
अब प्रोजेक्ट मैनेजर ओलिवर स्पात्स और उनकी टीम साल के अंत के बजाय आगे के लिए भी योजना बना सकते हैं. पिछले दिनों नये साल की पूर्व संध्या पर रेल यात्रा के बाद तीन महीने का ब्रेक रहेगा. इसके बाद रेल, अप्रैल में दोबारा चालू कर दी जाएगी. एक स्टॉप अब बोलेस्लाविच नगर भी होगा जो अपनी गहरी नीली पॉटरी के लिए विख्यात है. 19 यूरो में यात्री, एक सांस्कृतिक प्रोग्राम देखने के साथ बर्लिन से व्रोक्लॉ तक की यात्रा कर सकते हैं.
एक नये कार्यक्रम पर भी काम चल रहा है. एक जमाने में पूर्वी जर्मनी में विपक्षी कार्यकर्ता रहे वोल्फगांग टेम्पलिन को एक ट्रिप के लिए बतौर होस्ट बुक किया गया है. टेम्पलिन ने डीडब्ल्यू को बताया, "यूरोपीय आजादी के इतिहास में पोलैंड के योगदान के बारे में जर्मन लोग बहुत कम जानते हैं. मैं उस अंतराल को भरने की कोशिश करना चाहता हूं." (dw.com)
2014 में आईएस ने सैकड़ों यजीदी लोगों की हत्या की थी. यजीदी लड़कियों और महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाया गया और छोटे लड़कों को युद्ध में लड़ाया गया. यूएन ने भी अपनी जांच में पाया था कि आईएस ने यजीदी समुदाय का नरसंहार किया.
जर्मनी, 2014 में इराक में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा की गई यजीदी समुदाय की हत्याओं को "नरसंहार" की मान्यता देने जा रहा है. इससे जुड़ी प्रक्रिया अगले हफ्ते जर्मन संसद के निचले सदन- बुंडसटाग में पूरी की जाएगी. जर्मनी के सत्तारूढ़ गठबंधन के तीन संसदीय समूह और कन्जर्वेटिव सांसद इस संबंध में 19 जनवरी को बुंडसटाग में एक प्रस्ताव को मंजूरी देने पर राजी हो गए हैं.
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, इससे जुड़े ड्राफ्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं द्वारा की गई कानूनी समीक्षाओं के आधार पर बुंडसटाग यजीदी समुदाय के खिलाफ हुए अपराधों को नरसंहार की मान्यता देगा. इस ड्रफ्ट में आईएस लड़ाकों द्वारा की गई "बयां ना की जा सकने वाली क्रूरताओं" और "दमनकारी अन्याय" की निंदा की गई है. साथ ही, यह भी कहा गया कि आईएस ने यजीदी समुदाय को पूरी तरह खत्म करने के इरादे से ये अत्याचार किए. जर्मनी से पहले ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और नीदरलैंड्स भी ऐसा कर चुके हैं.
आईएस के खास निशाने पर थे यजीदी
आईएस जिहादियों ने अगस्त 2014 में 1,200 से ज्यादा यजीदी लोगों की हत्या की थी. यजीदी, कुर्दी भाषा बोलने वाला समूह है. ये उत्तर-पश्चिम इराक में रहते हैं. आईएस उन्हें "शैतान को पूजने वाला" मानता है. इस आतंकी संगठन ने यजीदी अल्पसंख्यकों को खासतौर पर निशाना बनाया. बड़ी संख्या में यजीदी लड़कियों और महिलाओं को जबरन सेक्स गुलाम बनाया गया और छोटे लड़कों को सिपाही बनाकर लड़ाया गया. यूएन के एक विशेष जांच दल ने मई 2021 में बताया था कि उन्होंने स्पष्ट और ठोस सबूत जमा किए हैं, जिनसे साबित होता है कि आईएस ने यजीदी समुदाय का नरसंहार किया.
जर्मनी की सोशल डेमोक्रैटिक (एसपीडी) की डेप्युटी दैर्या टर्क नाखबावर, जर्मन संसद में पेश होने वाले प्रस्ताव के प्रस्तावकों में हैं. उन्होंने कहा, "हमारा यह कदम पीड़ितों की आवाज मजबूत करेगा." नाखबावर ने कहा, "जर्मन संसद चाहती है कि इतनी तकलीफें झेलने के बाद कम-से-कम यजीदी समूह की पहचान मजबूत हो सके."
ग्रीन पार्टी के सांसद माक्स लूकस ने कहा, "माना जाता है कि जर्मनी में करीब डेढ़ लाख यजीदी रहते थे. ये प्रवासी याजिदियों की सबसे ज्यादा संख्या है. ऐसे में जर्मनी की यजीदी समूह के प्रति विशेष जिम्मेदारी है." उन्होंने कहा, "मानसिक आघात, हमेशा असुरक्षा के डर में जीने का डर, यह एहसास कि दुनिया यजीदी लोगों पर बीत रहे मानवीय संकट पर ध्यान नहीं दे रही है- हम अपनी इस पहल से इन सब चीजों पर रोक लगाना चाहते हैं."
कई स्तरों पर हुई है कार्रवाई
जर्मनी, आईएस पर कानूनी कार्रवाई करने वाले चुनिंदा देशों में है. जुलाई 2022 में बुंडसटाग ने यजीदी समुदाय के साथ हुए अपराध को नरसंहार की मान्यता दिए जाने की एक याचिका को मंजूरी दी थी, लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए फाइनल वोटिंग बाकी है. इसके अलावा नवंबर 2021 में जर्मनी की एक अदालत ने इराक के एक आतंकवादी को यजीदी के खिलाफ नरसंहार का दोषी मानकर सजा भी सुनाई थी. यह दुनिया में इस तरह की पहली कार्रवाई थी.
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नादिया मुराद ने इसे आईएस द्वारा किए गए अत्याचारों की पहचान के संघर्ष में जीत बताया था. इसी क्रम में जर्मनी के कोबलांस शहर में एक जर्मन महिला पर मुकदमा शुरू हुआ. उसपर सीरिया में एक यजीदी महिला को गुलाम बनाकर युद्ध अपराधों और नरसंहार में आईएस की मदद का आरोप है.
बुंडसटाग में पेश होने वाले प्रस्ताव और नरसंहार की मान्यता को मानवाधिकार कार्यकर्ता बड़ी सांकेतिक कार्रवाई मान रहे हैं. इस प्रस्ताव में यह मांग भी की गई है कि जर्मनी की न्यायिक व्यवस्था इस मामले से जुड़े संदिग्धों पर आपराधिक मुकदमे चलाए. साथ ही, इराक में हुए अपराधों से जुड़े सबूत जमा करने के लिए आर्थिक सहयोग भी बढ़ाए और प्रभावित यजीदी समूहों को फिर से खड़ा होने में भी मदद करे.
एसएम/ (एएफपी)
एक नई रिपोर्ट के अनुसार जर्मन समाज में न सिर्फ हिंसा बल्कि संरचनात्मक रूप से व्याप्त नस्लवाद एक बड़ा मुद्दा है. देश के पहले नस्लवाद विरोधी कमिश्नर ने लंबे समय से नजरअंदाज की जा रही इस समस्या को खत्म करने की अपील की है.
डॉयचे वैले पर एलिजाबेथ शूमाखर की रिपोर्ट-
जर्मनी में नस्लवाद पर पहली सरकारी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए रीम अलाबाली रादोवान ने कहा, "नस्लवाद कोई एक अमूर्त अवधारणा नहीं है बल्कि हमारे समाज के तमाम लोगों के लिए यह एक दर्दनाक सच्चाई है.” उन्होंने कहा, "यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है क्योंकि यह लोगों और उनकी मानवीय गरिमा पर हमला करता है. उस मानवीय गरिमा पर जिसकी गारंटी उन्हें संविधान में दी गई है.”
अलाबाली रादोवान को जर्मनी में नए सृजित पद फेडरल कमिश्नर फॉर एंटीरेसिज्म के तौर पर नियुक्त किया गया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि देश भर में हर दिन पहचान के संकट से गुजरने वाले और नस्लवाद का दंश झेलने वालों की मदद की जरूरत है क्योंकि यह मुद्दा वर्षों से नजरअंदाज किया जाता रहा है. हालांकि जर्मनी का प्रवासन, शरणार्थी और एकीकरण आयोग अप्रवासियों और उनके वंशजों की स्थिति पर नियमित रूप से रिपोर्ट देता रहा है, लेकिन यह नई रिपोर्ट जर्मनी में नस्लवाद की पहली व्यापक रिपोर्ट है और यह रिपोर्ट उन रिपोर्टों की कमियों को भी दूर करती है.
अलाबाली रादोवान के दफ्तर ने इस रिपोर्ट का मिलान नेशनल डिस्क्रिमिनेशन एंड रेसिज्म मॉनीटर नादिरा जैसे संगठनों के अध्ययनों से भी किया जिसने नस्लवाद पर अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए करीब 5000 लोगों के टेलीफोन पर इंटरव्यू किए थे. नादिरा का अध्ययन, "तमाम मौजूदा अध्ययनों के विपरीत न सिर्फ बहुसंख्यक आबादी के सदस्यों के सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया गया है बल्कि नस्लवाद का शिकार तमाम समूहों के सदस्यों के साक्षात्कार और उनके अनुभवों के आधार पर तैयार किया गया है.”
जर्मनी में नस्लवाद की फिलहाल कोई मानक कानूनी परिभाषा नहीं है, इसलिए नई रिपोर्ट में साल 2021 में सरकार की ओर से एकीकरण पर कराए गए एक अध्ययन की परिभाषा को ही आधार बनाया गया है. इस परिभाषा के मुताबिक, "नस्लवाद वो विश्वास और प्रथाएं हैं जो व्यवस्थित अवमूल्यन और बहिष्करण के साथ-साथ आबादी के कुछ समूहों के नुकसान पर आधारित हैं. जिनके लिए जैविक या सांस्कृतिक रूप से निर्मित, अपरिवर्तनीय और कथित रूप से हीन विशेषताओं और व्यवहारों को जिम्मेदार ठहराया जाता है.”
नए साल की बहस: ‘नस्लवादी रूढ़ियों की वापसी'
सर्वेक्षण में शामिल 90 फीसद लोगों ने बताया कि उन्होंने जर्मनी में नस्लवाद को एक समस्या के रूप में महसूस किया है, जबकि करीब 22 फीसद लोगों का कहना था कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर नस्लवाद का अनुभव किया है. साल 2022 के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक राजनीति प्रेरित हिंसक अपराध की संख्या 1042 थी जिनमें से करीब दो तिहाई घटनाएं नस्लवाद से संबंधित थीं. हालांकि स्वतंत्र रूप से काम करने वाली कुछ संस्थाओं के मुताबिक, उन्हें इस दौरान शारीरिक उत्पीड़न और हमलों की कम से कम 1391 सूचनाएं मिली थीं.
अलाबाली रादोवान ने यह रिपोर्ट उन घटनाओं के बाद प्रस्तुत की है जब नव वर्ष की पूर्व संध्या पर कुछ जगहों पर हुई हिंसक घटनाओं के बाद विदेशियों के समाज में समेकन को लेकर बहस एक बार फिर शुरू हुई है. ये हिंसक घटनाएं बर्लिन और कुछ अन्य शहरों में हुईं जहां विविध नस्लों के लोग रहते हैं.
कमिश्नर रादोवान के मुताबिक, जिन लोगों ने कथित तौर पर पुलिस और आपातकालीन सेवाओं पर हमला करने के लिए पटाखों का इस्तेमाल किया था, उन लोगों के बारे में नस्लवाद संबंधी पूर्वाग्रही धारणा रखने वालों को बहाना मिल गया था. वो कहती हैं, "नए साल की पूर्व संध्या पर पैदा हुई स्थिति के बारे में बहस से पता चलता है कि 2023 में भी हमें यह सीखने की जरूरत है कि नस्लवादी पूर्वाग्रहों के बिना सामाजिक मुद्दों पर कैसे चर्चा की जाए.”
‘नस्लवाद सिर्फ घृणा और हिंसा ही नहीं है'
अपनी टिप्पणी में अलाबाली रादोवान इस बात पर जोर देने को इच्छुक थीं कि नस्लवाद खुद को महज ‘घृणा और हिंसा' के रूप में ही प्रस्तुत नहीं करता बल्कि इसके कई और रूप भी हैं. मसलन, नियमित रूप से छोटे-मोटे हमले, श्रम और अचल संपत्ति बाजार से व्यवस्थित बहिष्कार, सत्ता में प्रतिनिधित्व की कमी, पुलिस अत्याचार, स्कूलों में भेदभाव या फिर डॉक्टरों के यहां भेदभाव के रूप में भी दिखता रहता है.
रिपोर्ट में भी इस बात पर जोर दिया गया है कि ऐसे मुद्दों को अलग किया जाना चाहिए जो पहले उनके खिलाफ लड़ने के लिए एक साथ थे. जैसे, नस्लवाद और विदेशी मूल के मुद्दों को मिलाना और केवल नस्लवाद के मामलों की जांच करना. उदाहरण के लिए, ब्लैक जर्मन, मुस्लिम, एशियन जर्मन, यहूदी और सिंटी या रोमा लोगों के मामलों को एक ही तराजू पर तौलना.
अलाबाली रादोवान कहती हैं कि रिपोर्ट में इस्लामोफोबिया के बारे में चौंकाने वाले आंकड़े मिले हैं, "ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू में हिजाब पहने किसी मुस्लिम महिला को बुलाए जाने की संभावना उस महिला की तुलना में चार गुना कम हो जिसका नाम जर्मन नाम से मेल खाता हो, जबकि योग्यता में दोनों बराबर हों.” वास्तव में, एक सर्वेक्षण में उनके दफ्तर ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया है कि "सर्वे में शामिल एक तिहाई लोगों का कहना था कि जर्मनी में मुस्लिम आबादी के प्रवेश को रोका जाए, जबकि 27 फीसद लोगों का कहना था कि जर्मनी में बहुत ज्यादा मुसलमान रहते हैं."
जब बात काले नस्लवाद के विरोध की आई तो करीब 886 लोगों ने 2020 एफ्रोसेंसस सर्वे में मतदान किया जो कि या तो नस्लवाद का शिकार हुए थे या फिर उन्होंने नस्लीय हमलों को देखा था. इनमें से 74.1 फीसद लोगों का कहना था कि उन पर हुए हमलों की शिकायत पर अधिकारियों के रवैये से वे नाखुश थे. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए लोगों को किन बाधाओं से होकर गुजरना पड़ता है. चाहे वह बदले की कार्रवाई का डर हो, अधिकारियों का शिकायत को गंभीरता से न लेना, या कई बार ऐसा भी होता है कि उन्हें यह पता भी नहीं होता है कि उनके साथ जो कुछ भी हुआ है, वह अपराध है.
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि एशियाई मूल के जर्मन लोगों के साथ भी भेदभाव होता है, खासकर जब से कोविड-19 महामारी शुरू हुई है. सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 700 एशियाई जर्मन लोगों में से आधे लोगों का कहना था कि उन्हें महामारी से संबंधित गलत धारणाओं के चलते नस्लवाद का शिकार होना पड़ा. रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि जर्मनी में हिंसक घटनाओं समेत एशियाई मूल के लोगों के साथ नस्लभेद की घटनाएं 2020 से पहले कोई बड़ा मुद्दा नहीं हुआ करती थीं.
रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा खुले तौर पर दुश्मनी और घृणा का सामना करने वाले सिंटी और रोमा पृष्ठभूमि के लोग हैं. करीब 29 फीसद निवासियों ने स्वीकार किया है कि वे इन समूहों के प्रति शत्रुता की भावना रखते हैं. यहूदी नरसंहार के दौरान इन दोनों समुदायों के खिलाफ हुए अत्याचार को देखते हुए, सर्वेक्षण के ये परिणाम बेहद खतरनाक हैं.
‘रिपोर्ट बहुप्रतीक्षित है और तत्काल जरूरी है'
इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अलाबाली रादोवान ने घोषणा की कि उनका विभाग आगामी वर्ष में कुछ खास उपायों पर अमल करने की योजना बना रहा है. इनमें समुदाय आधारित परामर्श सेवाओं को मजबूत करना, यह सुनिश्चित करना कि ये सेवाएं एक-दूसरे से बेहतर तरीके से जुड़ी हुई हैं, सरकार को नस्लवाद विरोधी सलाह देने के लिए एक विशेषज्ञ समूह बनाना, नस्लवाद की कानूनी परिभाषा बनाने के साथ-साथ इंटरनेट पर अभद्र भाषा के खिलाफ कानून को कड़ा करना और यह सुनिश्चित करना कि राज्य, शहर और स्थानीय स्तर पर नेता नस्लवाद विरोधी अभियान से जुड़े रहें.
जर्मनी की स्वतंत्र संस्था एंटी डिस्क्रिमिनेशन कमिश्नर फेर्डा अतामन ने रिपोर्ट का यह कहकर स्वागत किया है कि यह "बहुप्रतीक्षित और तत्काल आवश्यक संकेत है." रादोवान कहती हैं, "यह पहली बार है जब सरकार ने स्पष्ट किया है कि नस्लवाद का मुकाबला करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. रिपोर्ट से पता चलता है कि जर्मनी में नस्लवाद एक समस्या बनी हुई है.” (dw.com)
फ्रांस और जर्मनी में गोनोरिया, क्लैमिडिया और सिफिलिस जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं. ऐसे में मुफ्त कंडोम बांटने से इस समस्या से निजात पाने में काफी हद तक मदद मिल सकती है, लेकिन यौन शिक्षा भी जरूरी है.
डॉयचे वैले पर बेंजामिन रेस्टले की रिपोर्ट-
अनचाहे गर्भधारण और यौन रोगों के प्रसार को कम करने के लिए इस साल 1 जनवरी से फ्रांस में 25 साल और उससे कम आयु के सभी लोगों को मुफ्त में कंडोम दिया जा रहा है. इसके तहत 25 साल तक और उससे कम उम्र के लोग किसी केमिस्ट की दुकान से मुफ्त में कंडोम ले सकेंगे. साथ ही, इस नीति के तहत लोग दवा की दुकानों से 'प्रिजर्वेटिव्स' या 'कैपोट्स' नामक गर्भ निरोधक भी मुफ्त में हासिल कर सकते हैं.
देश में पिछले एक साल से युवा महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक गोलियां और आईयूडी जैसी चिकित्सा सुविधाएं पहले से ही मुफ्त हैं. पहले कोई भी डॉक्टर सिर्फ 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को ही गर्भनिरोधक गोलियां मुफ्त में दे सकता था, फिर सरकार ने इस सुविधा का दायरा बढ़ाते हुए फैसला किया कि 25 साल से कम उम्र की सभी महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियां मुफ्त में मिले.
फ्रांस की सरकार इस कदम के सहारे यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि देश में किसी भी व्यक्ति की सेहत और सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा. देश के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने इस नई नीति को यौन संचारित रोगों (एसटीडी) के प्रसार को रोकने के लिए ‘छोटी रोकथाम क्रांति' के तौर पर बताया है. दरअसल, फ्रांस में कथित तौर पर 2020 और 2021 में एसटीडी में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है.
वहीं, जब प्रजनन से जुड़े स्वास्थ्य देखभाल की बात आती है, तो जर्मनी इस मामले में थोड़ा पिछड़ा हुआ दिखाई देता है. यहां महिलाओं को गोली या इंट्रायूटरिन डिवाइसों (आईयूडी) जैसे गर्भ निरोधकों के लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं. हालांकि, 22 वर्ष से कम आयु के लोग अपने पर्चे के आधार पर दावा करके बीमा कंपनियों से इसका पैसा वापस पा सकते हैं.
इन सब के बीच जब बात यौन रोगों से सुरक्षा की हो, तो गोली या इंट्रायूटरिन डिवाइस (आईयूडी) कारगर नहीं हैं. इनका इस्तेमाल करने से अनचाहे गर्भधारण से बचने और छुटकारा पाने में मदद मिलती है, लेकिन यौन रोगों से बचाव नहीं हो पाता. यौन रोगों से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कंडोम का इस्तेमाल करना और इसे खरीदने के लिए जर्मनी में पैसे चुकाने होते हैं.
यूरोप में तेजी से बढ़ रहा एसटीडी संक्रमण
यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के संक्रामक रोगों के सर्विलांस एटलस से पता चलता है कि पूरे यूरोपीय संघ में हाल के वर्षों में एसटीडी के मामले बढ़े हैं. पूरे यूरोप में गोनोरिया के मामले 2009 के बाद तेजी से बढ़े हैं. हालांकि, 2019 के बाद इसमें तेजी से गिरावट दर्ज की गई. शायद इसकी वजह यह है कि कोरोना महामारी के कारण लोगों का आपस में मिलना-जुलना कम हुआ और जांच भी कम हुई. सबसे ज्यादा मामले स्पेन, नीदरलैंड और फ्रांस में दर्ज किए गए हैं. 25 से 34 वर्ष की उम्र के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.
सर्विलांस एटलस से पूरे यूरोप में क्लैमिडिया संक्रमण के मामलों का पता नहीं चलता. हालांकि, पुष्टि किए गए मामलों की संख्या से यह साफ तौर पर जाहिर होता है कि 1990 के दशक की शुरुआत से लेकर 2019 तक संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े. इससे संक्रमित होने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 15 से 24 वर्ष के बीच थी. वहीं, अगर सिफिलिस के मामले को देखा जाए, तो यह और चिंताजनक तस्वीर दिखाती है. यह बीमारी हाल के वर्षों में काफी तेजी से बढ़ी है. हालांकि, 2019 में इस बीमारी के प्रसार में अचानक गिरावट भी दर्ज की गई.
कंडोम मायने क्यों रखता है
गोनोरिया और क्लैमिडिया जैसे यौन रोगों के प्रसार को रोकने में कंडोम काफी ज्यादा प्रभावी साबित होता है. किसी लक्षण की मदद से इन दोनों रोगों की पहचान करना मुश्किल होता है. हालांकि, अगर समय रहते पता चल जाता है, तो इनका इलाज किया जा सकता है. अन्यथा, ये किसी व्यक्ति को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं. क्लैमिडिया की वजह से किसी महिला की बच्चे पैदा करने की क्षमता तक प्रभावित हो सकती है.
वहीं, सिफिलिस इन सबसे भी ज्यादा खतरनाक है. यह रोग ट्रेपोनिमा पैलिडम नामक जीवाणु के कारण होता है. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो इससे स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं. यह मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, आंख और कान तक फैल सकता है और उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है. यह रोग कई चरणों में होता है और हर चरण में इसके लक्षण बदलते हैं.
अधिकांश जर्मन किशोर करते हैं कंडोम का इस्तेमाल
जर्मनी में कंडोम मुफ्त में नहीं मिलता है, लेकिन यहां के किशोरों और युवाओं को पता है कि इसका इस्तेमाल करना कितना जरूरी है. जर्मनी के फेडरल सेंटर फॉर हेल्थ एजुकेशन ने देश के युवाओं के बीच एक सर्वे किया था. 2020 में प्रकाशित सर्वे के नतीजों के मुताबिक, 14 से 17 साल के किशोरों में से ज्यादातर ने सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल किया. पांच साल पहले के सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि जर्मन किशोरों के बीच कंडोम का इस्तेमाल बढ़ गया है.
अध्ययन के दौरान सर्वे में जवाब देने वाले लोगों के शिक्षा के स्तर और गर्भनिरोधक का इस्तेमाल न करने या जोखिम भरे गर्भनिरोधक उपायों पर भरोसा करने की संभावनाओं के बीच भी लिंक पाया गया. सर्वे में शामिल लोगों ने कहा कि उन्होंने स्कूल में और इंटरनेट पर यौन शिक्षा की कक्षाओं के जरिए और अपने माता-पिता से सेक्स से जुड़ी जानकारी पायी. साथ ही, प्रजनन से जुड़े स्वास्थ्य के बारे में जाना.
जरूरी है यौन शिक्षा
सभी माता-पिता के लिए यह संभव नहीं है कि वे अपने बच्चों को प्रजनन से जुड़े स्वास्थ्य और यौन संचारित रोगों के बारे में शिक्षित कर सकें. कई बार वे अपने बच्चों से इस मामले पर बात करने में सहज महसूस नहीं करते हैं. वहीं, यह जरूरी नहीं है कि ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर मिलने वाला कंटेंट हमेशा सही हो. यहां कई भ्रामक और गलत कंटेंट भी हो सकते हैं. ऐसे में स्कूल यौन शिक्षा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
पश्चिमी जर्मनी में 1968 में और पूर्वी जर्मनी में 1959 में यौन शिक्षा देने की शुरुआत की गई थी. आज जर्मनी के स्कूलों में यह नियम बन चुका है. जीव विज्ञान की कक्षाओं में इसके बारे में जानकारी दी जाती है. हालांकि, कुछ ही जर्मन कक्षाओं में छात्रों को एसटीडी के प्रसार और उससे जुड़े जोखिमों के बारे में बताया जाता है. उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में पाया गया है कि अधिकांश जर्मन पाठ्यक्रमों में क्लैमिडिया का जिक्र ही नहीं है.
वहीं, पिछले 20 वर्षों से फ्रांस में मध्य विद्यालय के छात्रों के लिए यौन शिक्षा की तीन कक्षाओं में शामिल होना अनिवार्य कर दिया गया है. हालांकि, फ्रांस के दैनिक अखबार ‘ले मोंड' की रिपोर्ट के मुताबिक, हकीकत में हर जगह इस व्यवस्था का सही तरीके से पालन नहीं किया जाता. अखबार ने एक ऑडिट के हवाले से कहा कि अलग-अलग स्कूलों, कक्षाओं और इलाकों के बीच इस मामले में काफी ज्यादा अंतर पाया गया है.
इमानुएल माक्रों ने मुफ्त कंडोम नीति की घोषणा के वक्त कहा था कि जहां तक यौन शिक्षा की बात है, तो फ्रांस इस क्षेत्र में अच्छा काम नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि हकीकत सिद्धांतों से काफी अलग है. इस क्षेत्र में हमें अपने शिक्षकों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करने और उन्हें इस मुद्दे के प्रति फिर से संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है. इससे पहले, देश के शिक्षा मंत्री पैप न्दियाये ने कहा था कि यौन शिक्षा ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य' कर्तव्य है. इससे कम उम्र में गर्भधारण रोकने, एसटीडी संक्रमण को कम करने और भेदभाव से मुकाबला करने में मदद मिलेगी. (dw.com)
लात्विया, 14 जनवरी । लिथुआनिया के उत्तरी इलाक़े पसवेलिस में शुक्रवार को एक गैस पाइपलाइन में बहुत बड़ा विस्फोट हो गया. ये इलाक़ा लात्विया के सीमा के पास है.
स्थानीय मीडिया में आई तस्वीरों में दिख रहा है कि पाइपलाइन से आग की ऊंची-ऊंची लपटें निकल रही हैं.
अधिकारियों के मुताबिक़ विस्फोट में कोई हताहत नहीं हैं.
लात्विया के रक्षा मंत्री आर्टिस पैबरिक्स ट्वीटर पर लिखा कि इस दुर्घटना के कारण की जांच की जा रही है और इससे हुए नुक़सान से इनकार नहीं किया जा सकता.
लेकिन, पाइपलाइन ऑपरेटर एम्बर ग्रिड ने कहा कि उन्हें लगता कि इस विस्फोट को लेकर उन्हें अब तक किसी पर संदेह नहीं है.
एम्बर ग्रिड के चीफ़ एग्ज़िक्यूटिव ने बताया, ''शुरुआती आकलन में किसी ग़लत इरादे का पता नहीं चला है लेकिन जांच में सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा.''
उनके मुताबिक ये पाइपलाइन 1978में बनी थी. इसमें मरम्मत का काम चल रहा था. अब अधिकारी ये पता लगा रहे हैं कि क्या इसी कारण पाइपलाइन में विस्फोट हुआ था. (bbc.com/hindi)
-एमिली मैकगार्वे
ईरान, 14 जनवरी । ईरानी सरकारी मीडिया का कहना है कि ब्रिटेन और ईरान की दोहरी नागरिकता वाले अलीरज़ा अकबरी को फांसी दे दी गई है. अकबरी को मौत की सज़ा सुनाई गई थी.
बुधवार को अकबरी के परिवार को जेल में जाकर उनसे "आख़िरी मुलाक़ात" करने को कहा गया. अकबरी की पत्नी ने बताया उन्हें एक जगह अकेले कैद में रखा गया था.
अलीरज़ा अकबरी ईरान के पूर्व डिप्टी रक्षा मंत्री रहे थे. साल 2019 में उन्हें गिरफ़्तार किया गया था. बाद में उन पर ब्रिटेन के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया. वो इन आरोपों से इनकार करते रहे थे.
ब्रिटेन ने ईरान से अपील की थी कि अकबरी को दी गई फांसी पर रोक लगाए और उन्हें जल्द से जल्द रिहा करे.
शुक्रवार को ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने कहा था कि ईरान को मौत की सज़ा देने की धमकी पर अमल नहीं करना चाहिए.
एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, "ये एक ऐसी बर्बर सत्ता का राजनीति से प्रेरित कदम है जो मानव जीवन के महत्व को नहीं मानती."
ईरान ने इसी सप्ताह एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें अकबरी खुद पर लगे आरोप स्वीकार करते दिख रहे थे, हालांकि ऐसा लग रहा था कि उनसे जबरन गुनाह कबूल करवाया गया था.
इससे पहले बीबीसी फारसी सेवा को दिए एक ऑडियो संदेश में उन्होंने कहा था कि आरोप स्वीकार करने के लिए उन्हें प्रताड़ना दी जा रही है. उन्होंने कहा था कि वो आरोपों से इनकार करते हैं. (bbc.com/hindi)
लंदन, 14 जनवरी | पांच साल में पहली बार ब्रिटेन सरकार फरवरी 2023 से सभी आवेदनों के लिए नया पासपोर्ट शुल्क लागू करने जा रही है। कीमतों में बदलाव 2 फरवरी से प्रभावी होगा। यह उन लोगों को प्रभावित करेगा, जो नए पासपोर्ट का नवीनीकरण या आवेदन कर रहे हैं। इसका ऑनलाइन आवेदन शुल्क वयस्कों के लिए 75.50 पाउंड से बढ़कर 82.50 पाउंड और बच्चों के लिए 49 पाउंड से 53.50 पाउंड हो जाएगा।
वयस्कों के लिए डाक आवेदन 85 पाउंड से बढ़कर 93 पाउंड और बच्चों के लिए 58.50 पाउंड से 64 पाउंड हो जाएगा।
यूके होम ऑफिस ने एक बयान में कहा कि यह परिवर्तन संसदीय जांच के अधीन है।
नया शुल्क होम ऑफिस को एक ऐसी प्रणाली की ओर बढ़ने में मदद करेगा, जो इसका उपयोग करने वालों के माध्यम से इसकी लागत को पूरा करता है, सामान्य कराधान से धन पर निर्भरता कम करता है।
गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि यह शुल्क पासपोर्ट आवेदनों के प्रसंस्करण की लागत, खोए हुए या चोरी हुए पासपोर्ट सहित विदेशों में कांसुलर समर्थन और ब्रिटेन की सीमाओं पर ब्रिटिश नागरिकों को संसाधित करने की लागत में भी योगदान देगा।
शुल्क वृद्धि से सरकार को अपनी सेवाओं में सुधार जारी रखने में भी मदद मिलेगी।
पिछले साल जनवरी से, 95 प्रतिशत से अधिक मानक आवेदनों को 10 सप्ताह के भीतर संसाधित किया गया है। (आईएएनएस)|
न्यूयॉर्क (अमेरिका), 14 जनवरी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार के मुकदमे पर ट्रंप ने सवाल उठाया है। स्तंभकार ई. जीन कैरोल द्वारा दायर मुकदमे में एक अदालत द्वारा शुक्रवार को जारी ट्रंप की गवाही के अंशों में महिला पत्रकार के खिलाफ अपमानजनक शब्द और मुकदमा करने की धमकी शामिल है।
जीन कैरोल द्वारा दायर मुकदमे में अक्टूबर में दर्ज ट्रंप के बयान के अंश सार्वजनिक रूप से जारी किए गए हैं क्योंकि एक संघीय न्यायाधीश ने इसे सीलबंद रखने के ट्रंप के वकीलों के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
ट्रंप के बयान के अनुसार, ‘‘महिला ने कहा कि मैंने उसके साथ कुछ ऐसा किया जो कभी नहीं हुआ। ऐसा कुछ नहीं हुआ था। मैं इस महिला के बारे में कुछ नहीं जानता।’’
ये अंश ट्रंप और कैरोल के एक वकील के बीच हुई तीखी बहस को उजागर करते हैं।
बयान के कुछ अंश उसी दिन जारी किए गए जब संघीय न्यायाधीश लुईस ए. कापलान ने भी कैरोल के मानहानि और बलात्कार के आरोप वाले दो मुकदमों को खारिज करने के ट्रंप के वकीलों के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। इस संबंध में अप्रैल में सुनवाई की उम्मीद है।
ट्रंप ने कहा कि 1990 के दशक के मध्य में मैनहट्टन में किसी दुकान में वह कैरोल से कभी नहीं मिले। अपनी दिन भर की गवाही में ट्रंप ने उन्हें एक बलात्कारी के रूप में चित्रित किए जाने के को लेकर कैरोल पर हमला किया।
साल 2019 में कैरोल की एक किताब प्रकाशित हुई थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था 1995 के अंत में और 1996 की शुरुआत में मैनहट्टन स्थित एक दुकान में मुलाकात के बाद मौका मिलते ही ट्रंप ने ड्रेसिंग रूम में उनका उत्पीड़न किया था। (एपी)
स्वीडन में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के पुतले को खंभे से उल्टा टांगने को लेकर तुर्की ने नाराज़गी जताई है.
वहीं, स्वीडन की प्रधानमंत्री ने कहा है कि स्टॉकहोम शहर में तुर्की के राष्ट्रपति का पुतला टांगने वाले नाटो में शामिल होने के स्वीडन के आवेदन को नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं.
स्वीडन ने इसे "अपमानजनक" घटना बताया है लेकिन तुर्की का कहना है कि इसकी निंदा करना ही सिर्फ़ काफ़ी नहीं होगा.
तुर्की को स्वीडन के आवेदन को मंज़ूरी देना अभी बाकी है.
अब तुर्की ने ये शर्त रखी है कि स्टॉकहोम में सक्रिय समूहों पर नकेल कसी जाए जिन्हें तुर्की चरमपंथी मानता है. साथ ही वो पुतला टांगने के लिए भी इन समूहों को ज़िम्मेदार मानता है.
राष्ट्रपति अर्दोआन के लटके हुए पुतले की तस्वीरें कुर्द समर्थक समूह स्वीडिश सॉलिडेरिटी कमिटी ने छापा था.
समूह ने अर्दोआन को चेतावनी दी थी कि वो पीछे हट जाएं ताकि वो तकसीम स्क्वेयर पर उलटे ना लटकाए जाएं.
तुर्की के विदेश मंत्री ने इस घटना के लिए कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी और सीरियन कुर्दिश मिलिशिया को ज़िम्मेदार बताया है. तुर्की इन्हें चरमपंथी समूह कहता है.
स्वीडन ने इन दोनों समूहों से खुद को अलग कर लिया है ताकि नाटो के लिए तुर्की का समर्थन मिल सके. (bbc.com/hindi)
न्यूयार्क, 13 जनवरी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कंपनी पर शुक्रवार को 16 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया गया है। ट्रंप की कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने नौकरी के महंगे भत्तों पर व्यक्तिगत आयकरों को कम भरा था।
पिछले महीने साजिश रचने और व्यापार संबंधी दस्तावेजों में गड़बड़ी समेत कर संबंधी 17 अपराधों में दोषी पाए जाने के बावजूद ट्रंप की कंपनी पर अदालत सिर्फ जुर्माना लगा सकती थी। न्यायाधीश जुआन मैनुअल मेर्कान ने कानून के तहत अधिकतम जुर्माना लगाया। हालांकि, यह अधिकारियों के छोटे समूह द्वारा की गई कर चोरी का सिर्फ दोगुना है।
इस मुकदमे में ट्रंप के खिलाफ जांच नहीं हो रही है और उन्होंने अपने अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से कर चोरी करने की किसी घटना की जानकारी होने से इनकार कर दिया।
यह जुर्माना ट्रंप टॉवर के एक घर की कीमत से भी कम है और इससे कंपनी के संचालन या भविष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन दोष साबित होने से रिपब्लिकन नेता की छवि को नुकसान होगा। उन्होंने दोबारा राष्ट्रपति बनने के लिए अभियान शुरू किया है। (एपी)
ह्यूस्टन (अमेरिका), 13 जनवरी। डेमोक्रेटिक पार्टी की भारतीय मूल की राजनीतिज्ञ उषा रेड्डी ने अमेरिका के कंसास राज्य में डिस्ट्रिक्ट 22 के लिए ‘स्टेट सीनेटर’ के रूप में शपथ ली है।
‘केएसएन’ टीवी की खबर के अनुसार समुदाय की जानी-मानी नेता रेड्डी ने लंबे समय तक मैनहट्टन के सीनेटर रहे टॉम हॉक का स्थान लिया, जिन्होंने पिछले महीने सेवानिवृत्ति की घोषणा की थी।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैंने आज दोपहर डिस्ट्रिक्ट 22 के लिए ‘स्टेट सीनेटर’ के रूप में शपथ ली...।’’
रेड्डी ने निवर्तमान सीनेटर हॉक को उनकी समर्पित सेवा के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘सीनेटर टॉम हॉक एक उत्कृष्ट नेता हैं, और मुझे यकीन है कि मैं उनसे मिलती रहूंगी।’’
रेड्डी ने 2013 से ‘मैनहट्टन सिटी कमीशन’ में काम किया है और उन्होंने मेयर के रूप में दो बार सेवाएं दी है।
उन्होंने मनोविज्ञान और प्रारंभिक शिक्षा में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है और कैनसस स्टेट विश्वविद्यालय से शैक्षिक नेतृत्व में मास्टर डिग्री हासिल की है।
रेड्डी सीनेटर हॉक के शेष कार्यकाल को पूरा करेंगी। हॉक का कार्यकाल 2025 में समाप्त हो रहा था।
रेड्डी का परिवार 1973 में भारत से उस समय अमेरिका आ गया था, जब वह आठ साल की थीं।
वह 28 से अधिक वर्षों से मैनहट्टन में रह रही हैं। (भाषा)
रूस ने कहा है कि उन्होंने यूक्रेन के सोलदार शहर पर एक महीने चली जंग के बाद कब्ज़ा कर लिया है. सोलेदार नमक के खनन के लिए जाना जाता है.
रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इससे अब रूस बकमुत में यूक्रेन की सेना की सप्लाई बंद करने में मदद मिलेगी.
यूक्रेन के अधिकारियों ने बताया है कि सोलेदार में अभी भी लड़ाई चल रही है और रूस पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है. सोलेदार की लड़ाई अब तक के सबसे खूनी संघर्षों में से एक रही है.
इलाके के गवर्नर पाव्लो किरिलेंकों के मुताबिक शहर में 559 लोग, जिसमें 15 बच्चे शामिल हैं, अभी तक शहर में मौजूद हैं, उन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका है.
सोलेदार कितना महत्वपूर्ण है इसे लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं क्योंकि ये बहुत छोटा शहर है. लेकिन इस पर कब्ज़ा रूस के लिए हिम्मत देने वाली बात हो सकती है क्योंकि पिछले कई महीनों से उसे कम ही सफलता मिली है. (bbc.com/hindi)
बीजिंग, 13 जनवरी | पेकिंग यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, 11 जनवरी तक चीन में लगभग 90 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। मीडिया रिपोटरें में यह जानकारी दी गई है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट का अनुमान है कि देश की 64 फीसदी आबादी में वायरस है।
इसमें गांसु प्रांत रैंक में सबसे ऊपर है, जहां 91 प्रतिशत लोगों के संक्रमित होने की सूचना दी जाती है, इसके बाद युन्नान (84 प्रतिशत) और किन्हाई (80 प्रतिशत) हैं।
एक शीर्ष चीनी महामारी विज्ञानी ने भी चेतावनी दी थी कि ग्रामीण चीन में नए साल के दौरान मामले बढ़ेंगे।
चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के पूर्व प्रमुख जेंग गुआंग ने कहा कि चीन में कोविड लहर का चरम दो से तीन महीने तक रहने की उम्मीद है।
महामारी शुरू होने के बाद पहली बार चंद्र नव वर्ष से पहले लाखों चीनी अपने गृहनगर की यात्रा कर रहे हैं।
जीरो कोविड को छोड़ने के बाद से चीन ने दैनिक कोविड आंकड़े देना बंद कर दिया है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, लेकिन बड़े शहरों के अस्पतालों में (जहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर और अधिक आसानी से सुलभ हैं) देश भर में वायरस फैलने के कारण कोविड रोगियों की भीड़ हो गई है।
इस महीने की शुरूआत में एक कार्यक्रम में, कैक्सिन समाचार आउटलेट में रिपोर्ट की गई टिप्पणी में जेंग ने कहा कि यह 'ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का समय है।'
उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में कई बुजुर्ग, बीमार और विकलांग पहले से ही कोविड इलाज के मामले में पीछे छूट रहे हैं।
चीन का मध्य हेनान प्रांत एकमात्र ऐसा प्रांत है जिसने संक्रमण दर का विवरण दिया है। इस महीने की शुरुआत में वहां के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा था कि लगभग 90 प्रतिशत आबादी में कोविड था, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में समान दर देखी गई थी।
हालांकि सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कई प्रांत और शहर संक्रमण के पीक को पार कर चुके हैं।
बीबीसी ने बताया कि चीन में चंद्र नव वर्ष की छुट्टियां, जो आधिकारिक तौर पर 21 जनवरी से शुरू होती हैं, दुनिया के सबसे बड़े वार्षिक प्रवासन में शामिल हैं।
कुल मिलाकर लगभग दो अरब यात्राएं होने की उम्मीद है और लाखों लोग पहले ही यात्रा कर चुके हैं। (आईएएनएस)