अंतरराष्ट्रीय
वारसॉ, 24 नवंबर जर्मनी के एक मंत्री ने कहा कि पोलैंड ने सभी यूरोपीय संघ (ईयू) देशों, नाटो के सदस्य और यूरोप की परिषद को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए नुकसान के लिए मुआवजे के दावे के संबंध में एक राजनयिक नोट भेजा है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 1 सितंबर को पोलैंड सरकार ने युद्ध के दौरान देश को हुए नुकसान का विवरण देते हुए एक व्यापक रिपोर्ट पेश की।
रिपोर्ट में पोलैंड, जर्मनी से 1.3 ट्रिलियन यूरो के वित्तीय मुआवजे की मांग कर रहा है।
इसके बाद, पोलैंड के विदेश मंत्रालय ने युद्ध से हुए नुकसान के लिए मुआवजे का अनुरोध करते हुए जर्मनी को एक राजनयिक नोट भेजा। हालांकि, जर्मनी का कहना है कि पोलैंड के क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर विचार करना फिलहाल संभव नहीं है।
रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले पोलैंड उप विदेश मंत्री अर्कादियस मुलास्र्की ने बुधवार को मीडिया को बताया कि राजनयिकों, राजनेताओं, मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय वकीलों में शामिल लोगों को सूचित करने के लिए राजनयिक नोट भेजा गया है कि यह मुद्दा अनसुलझा है, यह यूरोपीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून, मानवाधिकारों से संबंधित है।
मुलार्कजिक ने कहा कि दस्तावेज से पता चलता है कि जर्मनी ने युद्ध के कारण पोलैंड को हुए नुकसान का निपटान नहीं किया था, इसने लूटी गई कलाकृतियों या बैंक संपत्तियों को वापस नहीं किया और न ही पोलैंड के नागरिकों को जर्मनी की आक्रामकता के चलते हुए नुकसान के लिए मुआवजा दिया था।
उन्होंने कहा कि उनका देश इस मामले पर एक अंतरराष्ट्रीय चर्चा शुरू करना चाहता है, यह कहते हुए कि बर्लिन ने पोलैंड के साथ अपना खाता नहीं सुलझाया है, और अभी तक वारसॉ द्वारा भेजे गए राजनयिक नोट का जवाब नहीं दिया है।
लगभग 3 मिलियन पोलिश यहूदियों सहित पोलैंड के लगभग 6 मिलियन नागरिक युद्ध के दौरान मारे गए थे और 1944 के विद्रोह के बाद वारसॉ को ध्वस्त कर दिया गया था, जिसमें लगभग 200,000 नागरिक मारे गए।
जर्मनी के 1 सितंबर, 1939 को पोलैंड पर आक्रमण को द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत के रूप में माना जाता है।
लगभग दो सप्ताह बाद पूर्व से सोवियत संघ द्वारा भी पोलैंड पर आक्रमण किया गया था। (आईएएनएस)|
इस्लामाबाद, 24 नवंबर | पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने दावा किया है कि वह सेना को अच्छी तरह से जानते हैं और संस्था के भीतर नाराजगी बढ़ रही है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि एक फर्जी कहानी गढ़ी गई कि प्रतिष्ठान ने पीटीआई को सत्ता में आने में मदद की, उन्होंने हमेशा उन लोगों की ताकत में विश्वास किया, जिन्होंने उन्हें चुना था।
पीटीआई के अध्यक्ष ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के शासन परिवर्तन की साजिश के बारे में एक 'झूठी कहानी' के बयान को खारिज कर दिया और दावा किया कि साइफर (राजनयिक संदेश) को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया था जब वह प्रधानमंत्री थे और बाद में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी समिति की एक अन्य बैठक में इस पर चर्चा की।
एनएससी के साथ-साथ अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत असद मजीद खान ने स्वीकार किया कि दस्तावेज का स्वर 'धमकी' देने वाला था और एक साजिश रची गई थी।
डॉन ने बताया कि इसके बाद, उन्होंने कहा कि एनएससी ने यहां इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत का सीमांकन करने का फैसला किया।
उन्होंने प्रश्न किया, "तो, एक 'झूठी कहानी' कैसे गढ़ी गई?"
उन्होंने आत्मविश्वास से कहा, "मैंने पूरे प्रतिष्ठान और जनता के समर्थन से 11 दलों के गठबंधन को हरा दिया है और अगले चुनावों में भी ऐसा ही करूंगा।"
"मुझे नहीं पता कि पीटीआई को अगले आम चुनाव में बराबरी का मौका मिलेगा या नहीं, लेकिन मुझे अब भी लोगों की ताकत पर भरोसा है।"
अगले आम चुनाव के बारे में एक सवाल के जवाब में पीटीआई प्रमुख ने कहा कि सबसे खराब स्थिति में देश में निश्चित रूप से अगले अक्टूबर तक चुनाव होंगे।
उन्होंने कहा, "अक्टूबर में होने वाले आम चुनाव पीटीआई और उसकी लोकप्रियता को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, लेकिन 11 पार्टियों का गठबंधन पीडीएम सरकार डूबती रहेगी और मतदान के दौरान जनता के गुस्से का सामना करेगी।"
उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को उनके लॉन्ग मार्च आंदोलन का क्लाइमेक्स उनके और उनकी पार्टी के लिए भारी जनसमर्थन का सबूत होगा। (आईएएनएस)|
पेरिस, 24 नवंबर। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने एक सड़क हादसे में अपने पैर गंवाने वाले एक व्यक्ति को अंतरिक्ष यात्रियों के अपने नए समूह में शामिल कर इतिहास रच दिया है।
जॉन मैकफॉल (41) ने 19 साल की उम्र में अपना दाहिना पैर खो दिया था।
उन्होंने कहा कि उनका चयन ‘‘ इतिहास में एक बड़ा पड़ाव साबित होगा।’’
उन्होंने बुधवार को कहा, ‘‘ ईएसए एक शारीरिक रूप से अक्षम अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने को प्रतिबद्ध है...यह पहली बार है कि किसी अंतरिक्ष एजेंसी ने इस तरह की परियोजना शुरू करने का प्रयास किया और वास्तव में मानवता के नाम एक बड़ा संदेश दिया है।’’
मैकफॉल ने कहा, ‘‘ मैं खुद को लेकर आश्वस्त हूं। करीब 20 पहले मैं अपना पैर खो बैठा था, मुझे पैरालंपिक में जाने का मौका मिला और उससे भावनात्मक रूप से मैं काफी बेहतर हुआ। जीवन में आई हर चुनौती से मुझे आत्मविश्वास और बल मिला। खुद पर भरोसा करने का जज़्बा मिला कि मैं कुछ भी कर सकता हूं...’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने कभी अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना नहीं देखा था। जब ईसीए ने घोषणा की कि वह एक पहल के लिए दिव्यांग व्यक्ति की तलाश कर रहे हैं तभी मेरे मन में इसको लेकर रुचि जागी। ’’
इस पहल को व्यवहार्य बनाए जाने संबंधी अध्ययन तीन साल तक चलेगा। एक ‘पैरास्ट्रोनॉट’ (दिव्यांग अंतरिक्ष यात्री) के लिए बुनियादी बाधाओं का पता लगाया जाएगा, जिसमें शारीरिक अक्षमता मिशन प्रशिक्षण को कैसे प्रभावित कर सकती है और यदि ‘स्पेससूट’ और विमान में किसी तरह के खास बदलाव की जरूरत है तो इसका भी पता लगाया जाएगा।
ईएसए के मानव एवं रोबोटिक अन्वेषण के निदेशक डेविड पार्कर ने कहा कि अभी ‘‘काफी लंबा सफर तय’’ करना है। हालांकि इस नई भर्ती को उन्होंने एक महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा बताया।
पार्कर ने कहा कि शायद पहली बार ‘पैरास्ट्रोनॉट’ शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन ‘‘ मैं इस शब्द पर अपने हक का कोई दावा नहीं करता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हम कह रहे हैं कि जॉन मैकफॉल पहले ‘पैरास्ट्रोनॉट’ हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि मिशन के सफल रहने पर भी मैकफॉल को अंतरिक्ष में जाने में अभी पांच साल तक का समय लग सकता है।
पेरिस में एक संवाददाता सम्मेलन में पांच अंतरिक्ष यात्रियों के एक समूह की घोषणा की गई, जिसमें मैकफॉल शामिल हैं। सूची में दो महिलाओं फ्रांस की सोफी एडेनोट और ब्रिटेन की रोज़मेरी कूगन का नाम भी है।
वहीं अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) के प्रवक्ता डैन हूओट ने कहा कि ‘‘ ईसीए के पैरा-एस्ट्रोनॉट के चयन को नासा बड़ी दिलचस्पी से देख रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि नासा की चयन प्रक्रिया अब भी वैसी ही है’’, लेकिन एजेंसी ईएसए जैसे भागीदारों से आने वाले ‘‘ नए अंतरिक्ष यात्रियों ’’ के साथ भविष्य में काम करने की उम्मीद कर रही है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नासा अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण मानती है और किसी भी तरह की चिकित्सकीय स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है।
हालांकि हूओट ने कहा कि भविष्य में ‘‘सहायक तकनीक’’ के जरिए ‘‘ऐसे उम्मीदवारों’’ की सुरक्षा पूरी तरह सुनिश्चित किए जाने से स्थिति बदल सकती है। (एपी)
-रॉबिन लेविंसन-किंग
देश में बढ़ती बुज़ुर्ग आबादी से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कनाडा ने आप्रवासियों पर दांव लगाया है.
इसी महीने की शुरुआत में संघीय सरकार ने, 2025 तक हर साल पांच लाख आप्रवासियों को कनाडा में लाने की योजना का एलान किया.
यानी अगले तीन साल में क़रीब 15 लाख आप्रवासी कनाडा में जाएंगे.
आबादी में स्थाई निवासियों के अनुपात के लिहाज से ब्रिटेन के मुकाबले आठ गुना और अमेरिका से चार गुना बड़े कनाडा में नए अप्रवासी आएंगे.
लेकिन हालिया रायशुमारी से पता चला है कि इन नए मेहमानों को लेकर लोगों में बेचैनी भी है.
कई सालों से कनाडा आप्रवासियों को स्थाई निवासी के तौर पर आकर्षित करता रहा है जिन्हें देश में असीमित काल के लिए रहने के अधिकार तो हैं, लेकिन वे नागरिक नहीं हैं, ताकि आबादी और अर्थव्यवस्था दोनों बढ़ती रहे.
लेकिन पिछले साल कनाडा ने चार लाख पांच हज़ार स्थाई निवासियों को अपने यहां जगह दी, जोकि इसके पूरे इतिहास में सबसे बड़ी संख्या है.
कुछ लोगों का कहना है कि इसके पीछे बहुत साधारण गणित है. बहुत सारे पश्चिमी देशों की तरह कनाडा भी बढ़ती बुज़ुर्ग आबादी और निम्न जन्म दर का सामना कर रहा है. इसका मतलब ये हुआ कि अगर देश विकास करना चाहता है तो उसे अप्रवासी लाने होंगे.
सरकार की ओर से जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, व्यवहारिक रूप से सभी देशों में लेबर फोर्स विकास का मुख्य हिस्सा आप्रवासी हैं और अनुमान है कि साल 2032 तक देश की सकल आबादी वृद्धि के लिहाज से भी वही मुख्य कारक होंगे.
इस महीने की शुरुआत में, सरकार ने एलान किया कि उसे उम्मीद है कि 2025 तक हर साल पांच लाख आप्रवासी देश में आएंगे. यह संख्या 2021 से 25% ज़्यादा है.
दुनिया में अनोखी जगह
वर्तमान में हर चौथा कनाडाई देश में आप्रवासी के रूप में आया है, जोकि जी-7 देशों में सर्वाधिक है.
अगर अमेरिका से तुलना करें तो यहां सिर्फ 14 प्रतिशत आप्रवासी हैं. ब्रिटेन में भी करीब 14 प्रतिशत ही अप्रवासी आबादी है.
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में माइग्रेशन ऑब्सर्जवेटरी की डायरेक्टर मैडेलीन सम्पशन का कहना है कि इन आंकड़ों का ये मतलब नहीं है कि ब्रिटेन आव्रजन मामले में पीछे है.
ब्रिटेन की आबादी कनाडा से दोगुनी है और यहां आबादी घनत्व सघन है, जबकि कनाडा की आबादी 3.8 करोड़ है और दुनिया में आबादी के अनुपात में यहां सबसे अधिक ज़मीन है, वृद्धि के लिए यहां जगह है.
वो कहती हैं, “आमतौर पर ब्रिटेन का लक्ष्य कनाडा के तरीके से अपनी आबादी बढ़ाने का नहीं है.”
मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंटिस्ट जियोफ़्रे कैमरून ने बताया कि हालांकि कनाडा की तरह कई देश कम जन्मदर और बूढ़ी होती आबादी का सामना कर रहे हैं लेकिन कोई भी आव्रजन व्यवस्था, लोकप्रिय समर्थन पर ही निर्रभर करती है.
उन्होंने कहा, “अधिकांश देशों में जनता की राय सबसे महत्वपूर्ण कारक है.”
अमेरिका में दक्षिणी सीमा से प्रवेश करने वाले आप्रवासियों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. अब यहां अब इस बात पर चिंता है कि क्या नौकरियों से अधिक अप्रवासियों को लाना उचित होगा.
आव्रजन को लेकर चिंता
ब्रेग्ज़िट से पहले, ब्रिटेन में पूर्वी यूरोप से आने वाले यूरोपीयन यूनियन के अप्रवासियों के मुद्दे ने आव्रजन के ख़िलाफ़ एक माहौल खड़ा कर दिया था.
सम्पशन का कहना है कि पिछले कुछ सालों में आव्रजन के लिए लोकप्रिय राय में बढ़ोतरी हुई है क्योंकि लोगों को लगता है कि देश के पास यह तय करने का बेहतर विकल्प है कि कौन लोग आएंगे और कौन नहीं.
हालांकि कनाडा में ऐतिहासिक रूप से आव्रजन के प्रति समर्थन अधिक रहा है.
कैमरून कहते हैं, “मुझे लगता है कि इसके पीछे कारण ये है कि लोगों में ये भरोसा है कि कनाडा सरकार आव्रजन को बेहतर ढंग से मैनेज करती है और इस तरह से करती है कि ये कनाडा के हित में होता है.”
लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं है कि यहां आव्रजन को लेकर कोई चिंता नहीं है.
हाल के सालों में, अमेरिका की सीमा पर आप्रवासियों की भीड़ बढ़ने से कुछ विवाद पैदा हुआ और 2018 में दक्षिणपंथी पीपुल्स पार्टी ऑफ़ कनाडा के उभार ने 2019 के संघीय चुनाव में इस मुद्दे को राष्ट्रीय बहस बनाया.
कनाडा के अलग-अलग हिस्सों में आव्रजन को लेकर अलग-अलग मत हैं. जब सरकार ने हर साल पांच लाख अप्रवासियों को लेने की आक्रमक नीति की घोषणा की तो क्यूबेक प्रांत ने कहा कि वो हर साल 50 हज़ार से अधिक आप्रवासियों को अपने यहां नहीं ले सकता.
क्यूबेक में देश की 23 प्रतिशत आबादी रहती है और इसका मतलब ये हुआ कि वो देश में आने वाले कुल अप्रवासियों का केवल 10% हिस्सा ही लेगा.
रायशुमारी में लोगों ने क्या कहा?
क्यूबेक के प्रीमियर फ़्रांस्वा लेगू ने कहा कि उन्हें डर है कि आप्रवासियों की अधिकता प्रांत में फ़्रांसीसी भाषा को कमजोर कर देगी.
उन्होंने कहा, "पचास हज़ार आप्रवासियों को लेने से पहले ही फ़्रांसीसी भाषा में गिरावट को रोकना मुश्किल है."
और जबकि ये सच है कि कनाडा में विकास के लिए पर्याप्त जगह है, कुछ इलाके हैं जहां जगह की कमी भी है.
टोरंटो और वैंकुअर जैसे बड़े शहरों में, जहां देश की 10 प्रतिशत आबादी बसती है, वहां सस्ती रिहाइश की समस्या है.
लेजर एंड एसोसिएशन ऑफ़ कनाडियन स्टडीज़ की ओर से 1,537 कनाडाई नागरिकों के बीच कराई गई एक रायशुमारी में तीन चौथाई लोगों ने कहा कि नई योजना से रिहाइश और सार्वजनिक सेवाओं पर पड़ने वाले असर को लेकर वे चिंतित हैं.
क़रीब आधे यानी 49% लोगों ने कहा कि लक्ष्य बहुत ज़्यादा है, जबकि 31% ने कहा कि यह ठीक है.
कनाडाई नज़रिया
पश्चिमी दुनिया में कनाडा एक और मामले में अनोखा है- आर्थिक आव्रजन पर ज़ोर के मामले में. कनाडा के आधे स्थाई निवासियों को उनके पेशेवराना क़ाबिलियत की वजह से बुलाया गया, न कि पारिवारिक पुनर्मिलन के तहत.
साल 2025 तक सरकार इस आंकड़े को 60% तक ले जाने की उम्मीद करती है.
कैमरून का कहना है कि यह आंशिक है क्योंकि कनाडा का सिस्टम ही कुछ इस तरह बनाया गया है.
1960 के दशक में कनाडा ने कोटा सिस्टम की शुरुआत की, जहां अलग-अलग देशों को अलग-अलग लक्ष्य दिए गए. इसमें प्वाइंट आधारित सिस्टम अपनाया गया जो उन कुशल अप्रवासियों को वरीयता देता है जो कनाडा की अर्थव्यवस्था में अधिक आसानी से योगदान कर सकते हैं.
उन्होंने बीबीसी को बताया कि ‘यही सिस्टम आज भी दिशा निर्देश बना हुआ है.’
अंतरराष्ट्रीय रूप से यह अनोखा है, हालांकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में ऐसा ही सिस्टम है.
ब्रिटेन में एक चौथाई स्थाई निवासियों को ही आर्थिक आव्रजन के मार्फ़त लिया जाता है. अमेरिका में आर्थिक आधार पर सिर्फ 20 प्रतिशत ही ग्रीन कार्ड जारी किए जाते हैं.
दोनों देशों ने अपने यहां आर्थिक आव्रजन को बढ़ाने के संकेत दिए हैं, लेकिन दोनों के लिए सबसे बड़ा अंतर ये है कि आर्थिक आधार पर आने वाले अधिकांश आप्रवासियों को उनके नियोक्ताओं की ओर से प्रायोजित होना ज़रूरी है.
कनाडा में, जॉब ऑफ़र आपके कुल प्वाइंट में जुड़ तो सकता है, लेकिन ये अनिवार्य नहीं है.
सम्पशन का कहना है कि ब्रिटेन में अभी प्वाइंट आधारित सिस्टम लागू किया गया है, लेकिन यह पुराने जैसा ही है, जो नौकरी करने आने वालों को वरीयता देता है.
कनाडा अन्य बड़े देशों के मुकाबले आर्थिक आधार पर अधिक आप्रवासी ही नहीं लेता है, बल्कि वो शरणार्थी पुनर्वास के मामले में भी शीर्ष पर है. साल 2021 में उसने 20,428 आप्रवासियों को अपने यहां शरण दी.
हालांकि कनाडा ने अपने भविष्य के लक्ष्य निर्धारित कर लिए हैं, लेकिन अतीत बताता है कि वो अपने ही बनाये लक्ष्य से चूका भी है.
साल 2021 में कनाडा ने 59,000 शरणार्थियों के पुनर्वास का लक्ष्य रखा था. लेकिन करीब एक तिहाई आप्रवासियों को ही वो ले पाया.
आव्रजन मंत्री सीन फ़्रेज़र ने सीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि कोविड की वजह से कनाडा और पूरी दुनिया में सीमाओं का सील होना इसका मुख्य कारण था.
साल 2023 में कनाडा ने 76,000 शरणार्थियों के पुनर्वास में मदद का लक्ष्य रखा है. (bbc.com/hindi)
-फणीन्द्र दाहाल
नेपाल में रविवार को संसद और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए मतदान हुआ. संसद की 165 और सात प्रांतों की 330 विधानसभा सीटों पर सीधे मतदान हुआ. जबकि नेपाल की व्यवस्था के तहत 110 संसदीय और 220 प्रांतीय विधानसभा सीटों पर आनुपातिक मतदान व्यवस्था के तहत मतदान हुआ.
नेपाल के चुनाव के शुरुआती नतीजे आने शुरू हो गए हैं और पूर्ण नतीजे आने में अभी कुछ और दिन लग सकते हैं.
क्यों हो रही है नतीजों में देरी?
नेपाल ने कुल 1 करोड़ 80 लाख मतदाताओं में से 61 प्रतिशत ने मतदान किया था.
इन मतदाताओं ने कुल चार मतपत्रों पर मतदान किया है. इनमें एक सीधे संसदीय सीट, एक सीधे विधानसभा सीट, एक अनुपातिक संसदीय सीट और एक अनुपातिक विधानसभा सीट का पर्चा था.
इस बड़ी तादाद में मतपत्रों को गिनने में समय लग रहा है. इसके अलावा नेपाल के अंदरूनी इलाकों में भी मतदान कराया गया है जहां और अधिक समय लग रहा है.
इसलिए अभी बड़े शहरी इलाक़ों से शुरुआती नतीजे आए हैं और पूरे देश से नतीजे आने में अभी कुछ और दिन लगेंगे.
नेपाल में हाऊस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव के लिए कुल 275 सांसद चुने जाने हैं. इनमें से 165 सीधे मतदान से और 110 आनुपातिक मतदान से चुने जाने हैं. इन वोटों की गिनती में समय लग रहा है.
नेपाल में कुल सात प्रांत हैं जिनकी 330 सीटों पर सीधे और 220 पर आनुपातिक मदतान हुआ है.
अभी तक नेपाल के चुनावों के जो शुरुआती नतीजे आ रहे हैं उनमें फिलहाल नेपाली कांग्रेस आगे दिख रही है. हालांकि ये बढ़त बरकरार रहेगी या नहीं ये स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है.
नेपाली कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर यूएमएल यानी नेपाल की विपक्षी पार्टियां हैं.
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा ने अपने संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीत लिया है. देऊबा छह बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और अभी भी प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में देखे जा रहे हैं.
हालांकि एक नए उम्मीदवार से देऊबा को कड़ी चुनौती भी मिली है. पेशे से हाइड्रो इंजीनियर सागर ढकाल पहली बार चुनाव लड़ रहे थे. ढकाल ने देऊबा के सामने तेरह हज़ार से अधिक वोट पाएं हैं और देऊबा के प्रभाव वाले इलाक़े में उन्हें चुनौती दी है. बहुत से लोगों का ये मानना है कि देऊबा के सामने लड़ते हुए इतने मत हासिल करना भी बड़ी बात है.
प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा ने अपनी सीट जीत ली है और ये माना जा रहा है कि वो फिर से प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश करेंगे.
हालांकि नेपाली कांग्रेस में अन्य नेताओं ने भी प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी का इशारा किया है.
नेपाली कांग्रेस के दो महामंत्री बिस्व प्रकाश शर्मा और गगन थापा ने चुनाव जीत लिया है.
गगन थापा ने काठमांडु के अपने संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की है. गगन थापा ने चुनाव से पहले ही ऐलान कर दिया था कि वो प्रधानमंत्री के पद के लिए भावी दावेदार हैं.
दूसरे महामंत्री बिश्व प्रकाश शर्मा ने भी थापा का समर्थन करने का भरोसा दिया है. अब इस सवाल में दिलचस्पी ली जा रही है कि कांग्रेस के संसदीय दल का नेता कौन होगा?
क्या शक्ल लेंगे गठबंधन?
प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व में सत्ताधारी गठबंधन में उनकी पार्टी नेपाली कांग्रेस के अलावा पुष्प कमल दहाल प्रचंड की कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल माओइस्ट सेंटर (सीपीएन-एमसी) और माधव कुमार नेपाल की कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल- यूनिफाइड सोश्लिस्ट (सीपीएन-यूएस) ने चुनाव लड़ा है.
हालांकि अब आगे ये गठबंधन क्या शक्ल लेगा और सत्ता के समीकरण क्या होंगे ये अभी स्पष्ट नहीं हुआ है.
पूर्व प्रधानमंत्री प्रंचड अपने संसदीय क्षेत्र में काफ़ी आगे चल रहे हैं, हालांकि अभी वहां नतीजा नहीं आया है.
हालांकि प्रचंड की पार्टी का प्रदर्शन उनकी आशा के अनुरूप नहीं है. आनुपातिक (प्रोपोर्शनल) मतदान में प्रचंड की पार्टी चौथे नंबर पर चल रही है जबकि यूएमएल सबसे आगे है, ये विपक्षी नेता केपी शर्मा ओली की पार्टी है, इसके थोड़ा पीछे प्रधानमंत्री की पार्टी नेपाली कांग्रेस है.
प्रचंड की पार्टी नतीजों के बाद किस हैसियत में रहती है और क्या वो गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे, फिलहाल इस पर सबकी नज़रे हैं.
नेपाल की राजनीति में इस बार कई नए चेहरों ने क़दम रखा है. ये डॉक्टर, इंजीनियरिंग और पत्रकारिता जैसे पेशेवर क्षेत्रों को छोड़कर राजनीति में कुछ नया करने के उद्देश्य से आए हैं.
नई बनी नेशनल इंडीपेंडेंट पार्टी ने कई ऐसे पेशेवरों को टिकट दिया है. पूर्व टीवी होस्ट राबी लामीछाने नेशनल इंडीपेंडेंट पार्टी (राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी) के प्रमुख हैं.
ये नई पार्टी नई राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरी है और अब तक आए नतीजों में आनुपातिक मतदान में तीसरे नंबर पर है. जबकि रॉयलिस्ट पार्टी (आरपीपी) चौथे नंबर पर है.
राजधानी काठमांडु के दस संसदीय क्षेत्रों में से चार पर नई पार्टी नेपाली स्वतंत्र पार्टी ने जीत हासिल की है जबकि पार्टी के नेता राबी लामीछाने भी चितवन में अपनी सीट पर आगे हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने झापा में भारी मंतर से जीत हासिल की है, हालांकि उनकी पार्टी सीधे मतदान के नतीजों में पिछड़ रही है. पिछले चुनाव में केपी शर्मा ओली की पार्टी काठमंडु में छह सीटों पर जीती थी, इस बार एक पर ही जीती है.
काठमांडु की दस सीटों में से पांच में नेपाली कांग्रेस जीती है जबकि चार सीटों पर राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं. ये पार्टी कुछ महीने पहले ही गठित हुई है.
नई पार्टी की कामयाबी ने बहुत से लोगों को चौंका दिया है लेकिन कई विश्लेषकों का ये मानना है कि जनता ने इस बार नए विकल्प को चुनना चाहा है.
इसी साल नेपाल में लोकल बॉडी चुनाव हुआ था, जिसमें काठमांडु में स्वतंत्र उम्मीदवार को मेयर चुना गया था.
संसदीय चुनावों में भी अब ये देखा गया है कि नई पार्टी के युवा चेहरों को जनता को पसंद किया है.
विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल के आम लोग मुख्यधारा की पार्टियों से निराश हैं और ये नतीजे उसी निराशा की अभिव्यक्ति हैं.
काठमांडु में जिस तरह से नई पार्टी ने प्रदर्शन किया है और देश के कई और इलाक़ों में आगे है और आनुपातिक मतदान में भी ये तीसरे नंबर पर आ गई है, ऐसे में ये माना जा रहा है कि भावी गठबंधन में इस पार्टी की भूमिका अहम होगी.
हालांकि पार्टी के नेता ने सार्वजनिक तौर पर ये कहा था कि उनकी पार्टी विपक्ष में रहेगी और कोई भी पुराना नेता प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा तो उसे समर्थन नहीं दिया जाएगा.
भारत के तराई क्षेत्र की सीमा नेपाल से जुड़ी है. तराई क्षेत्र से भी नतीजे आ रहे हैं. नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री रहे उपेंद्र यादव चुनाव हार गए हैं.
उन्हें जनमत पार्टी के नेता सीके राउत ने हरा दिया है. संसदीय राजनीति में सीके राउत नया चेहरा होगा. राजनीति में उनके उभार को दिलचस्पी से देखा जा रहा है.
तराई क्षेत्र की पूरी तस्वीर अभी साफ़ नहीं हुई है क्योंकि अभी भी कई संसदीय क्षेत्रों में वोटों की गिनती जारी है.
अभी तक जो नतीजे और रुझान सामने आए हैं, उन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि नेपाल एक त्रिशंकु संसद की तरफ़ बढ़ रहा है. अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि सरकार का रूप क्या होगा.
चुनाव से पहले गठबंधन में उपेंद्र यादव भी शामिल थे लेकिन अंतिम समय में वो केपी शर्मा ओली के साथ चले गए थे और उनके सहयोग से चुनाव लड़ा.
अभी तक के नतीजों से किसी को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. अभी ठोस रूप से ये भी नहीं कहा जा सकता है कि कौन नेता अपने पक्ष में माहौल बना लेगा. लेकिन एक बात स्पष्ट है, नए दल राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी उसकी भूमिका अहम रहेगी. (bbc.com/hindi)
सियोल, 24 नवंबर। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसे धमकियां दीं।
यो जोंग ने दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति और उनकी सरकार को ‘‘बेवकूफ’’ और ‘‘अमेरिका द्वारा डाली हड्डी खाने वाले जंगली कुत्ते’’ बताया है।
दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय के उत्तर कोरिया के हालिया मिसाइल परीक्षणों के मद्देनजर उस पर अतिरिक्त एकतरफा प्रतिबंध लगाने पर विचार करने संबंधी बयान देने के दो दिन बार यो जोंग ने यह टिप्पणी की है।
मंत्रालय ने कहा था कि अगर उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण जैसी उकसावे भरी कार्रवाई जारी रखता है, तो वह उसके कथित साइबर हमलों को लेकर भी प्रतिबंध लगाने पर विचार करेगा।
सरकारी मीडिया के अनुसार, किम यो जोंग ने कहा, ‘‘मुझे आश्चर्य है कि अमेरिका की फेंकी हड्डी खाने वाला जंगली कुत्ता... दक्षिण कोरियाई समूह बेशर्मी से उत्तर कोरिया पर कौन से प्रतिबंध लगाएगा। क्या तमाशा है।’’
उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति यून सुक योल ‘‘बेवकूफ’’ हैं और उनकी सरकार भी ‘‘बेवकूफों से भरी है, जो क्षेत्र में एक खतरानाक स्थिति पैदा कर रही है।’’
यो जोंग ने कहा कि जब यून के पूर्ववर्ती मून जे-इन सत्ता में थे, जिन्होंने उत्तर कोरिया के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की थी, तब दक्षिण कोरिया ‘‘हमारे निशाने पर नहीं था।’’
इस टिप्पणी को दक्षिण कोरिया में यून विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने के संभावित प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
दक्षिण कोरिया ने पिछले महीने उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों व मिसाइल कार्यक्रमों को अवैध रूप से वित्तीय मदद मुहैया कराने के संदेह में उत्तर कोरिया के 15 लोगों और 16 संगठनों पर प्रतिबंध लगाए थे। पिछले पांच साल में दक्षिण कोरिया द्वारा उत्तर कोरिया पर लगाया गया यह पहला एकतरफा प्रतिबंध था। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ये एक प्रतीकात्मक कदम है, क्योंकि दोनों देशों के बीच वित्तीय लेन-देन बेहद कम है। (एपी)
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर अकाउंट फिर से शुरू करने के बाद ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने अन्य निलंबित अकाउंट को लेकर भी ट्विट किया है.
उन्होंने निलंबित अकाउंट को सामान्य माफ़ी की बात कहते हुए एक पोल किया है.
एलन मस्क ने ट्वीट किया, ''क्या ट्विटर को निलंबित खातों के लिए सामान्य माफी की पेशकश करनी चाहिए, बशर्ते कि उन्होंने कानून नहीं तोड़ा हो या गंभीर स्पैम में लिप्त न हों?''
कुछ समय पहले डोनाल्ड ट्रंप के ट्विटर अकाउंट से प्रतिबंध हटाने से पहले भी एलन मस्क ने एक ऐसा ही पोल किया था.
उन्होंने पूछा था कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट को फिर से शुरू किया जाए या नहीं. उनके पोल में अकाउंट शुरू करने को कुछ प्रतिशत ज़्यादा वोट मिले थे.
अमेरिका में कैपिटल हिल हिंसा के बाद डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर अकाउंट निलंबित कर दिया गया था.
मौजूदा पोल के बाद भी कुछ और निलंबित ट्विटर अकाउंट फिर से शुरू होने के कयास लगाए जा रहे हैं.
एलन मस्क के ट्वीटर को खरीदने के बाद से ही इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप या अन्य अकाउंट पर प्रतिबंध हटने की पहले से भी संभावना जताई जा रही थी.
हालांकि, मस्क ने कहा था कि वो कंटेंट मॉडरेशन के लिए एक काउंसिल बनाएंगे. इसके गठन से पहले वो ना तो निलंबित खाते शुरू करेंगे और ना ही कंटेंट को लेकर कोई बड़े फ़ैसले लेंगे.(bbc.com/hindi)
भारतीय सेना में उत्तरी कमांड के कमांडर-इन-चीफ़ लेफ़्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें केंद्रीय मंत्री ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के कुछ हिस्सों को वापस लेने की बात कही थी.
लेफ़्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना केंद्र सरकार से मिलने वाले हर आदेश का पालन करने के लिए पूरी तरह तैयार है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में जनरल द्विवेदी ने कहा, “रक्षामंत्री ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर को लेकर बयान दिया. जैसा कि आप सभी जानते हैं इसे लेकर संसद में पारित प्रस्ताव पहले से ही मौजूद है, तो ये कोई नई बात नहीं है."
"जहां तक भारतीय सेना की बात है, हम भारत सरकार के हर आदेश के पालन के लिए पूरी तरह तैयार हैं."
लेफ़्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने रक्षामंत्री राजनाथ के 27 अक्टूबर को दिए गए बयान पर ये प्रतिक्रिया दी है.
पाकिस्तान ने राजनाथ सिंह के बयान को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना, भड़काऊ और अनावश्यक क़रार दिया था.
इसके अलावा द्विवेदी ने यह भी कहा कि “इस समय जम्मू-कश्मीर में लगभग 300 आतंकवादी हैं, वहीं लगभग 160 आतंकवादी सीमा पार करके भारत में घुसने के मौके का इंतजार कर रहे हैं.”
27 अक्टूबर को श्रीनगर में शौर्य दिवस के मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को फिर से हासिल करने के बारे में बयान दिया था.
उन्होंने कहा था कि “जम्मू कश्मीर और लद्दाख में सर्वांगीण विकास का लक्ष्य पीओके के हिस्से वाले गिलगित-बल्तिस्तान तक पहुंचने के बाद ही हासिल होगा.”
राजनाथ सिंह ने कहा, "अभी तो हमने उत्तर दिशा की ओर चलना शुरू किया है. हमारी यात्रा तब पूरी होगी जब हम 22 फ़रवरी 1994 को भारतीय संसद में पारित प्रस्ताव को अमल में लाएंगे और उसके अनुरूप हम अपने बाक़ी बचे हिस्से जैसे गिलगित-बल्तिस्तान तक पहुंचेंगे."
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राष्ट्रीय एकता का जो सपना देखा था वो तभी जाकर पूरा होगा.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारतीय रक्षा मंत्री के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.
पाकिस्तान ने राजनाथ सिंह के बयान को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना, भड़काऊ और अनावश्यक क़रार दिया.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि “भारतीय रक्षा मंत्री का यह कहना कि भारत ने अपने हिस्से वाले कश्मीर में विकास का जो काम शुरू किया है वो तब तक नहीं रुकेगा जब तक यह गिलगित-बल्तिस्तान नहीं पहुंच जाता है, ये बयान बेतुका और हास्यास्पद है.”
पाकिस्तान ने कहा कि भारतीय रक्षा मंत्री का बयान पाकिस्तान की ओर भारत की झुंझलाहट को दर्शाता है.
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर पर अमेरिका की यह टिप्पणी क्या भारत के लिए झटका है
क्या भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार के बंद दरवाज़े फिर खुलेंगे
पाकिस्तान के अनुसार भारत प्रशासित कश्मीर में विकास कार्य तो आंखों का धोखा है और जम्मू-कश्मीर के विवादित होने के ऐतिहासिक सच्चाई को नकारने की एक बचकाना कोशिश है.
पाकिस्तान ने कहा कि “उसके हिस्से का कश्मीर पूरी तरह आज़ाद है और पूरी दुनिया को वहां जाने की इजाज़त है.”
पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत ने अपने हिस्से के कश्मीर पर पिछले 75 वर्षों से बलपूर्वक क़ब्ज़ा कर रखा है और उसे एक बड़ी जेल की तरह बना कर रखा है. (bbc.com/hindi)
कीव, 23 नवंबर। दक्षिणी यूक्रेन के एक अस्पताल के प्रसूति वार्ड में रॉकेट से किए गए हमले में एक नवजात की मौत हो गई। यूक्रेनी अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि मलबे से जच्चा और एक डॉक्टर को निकाला गया है।
क्षेत्र के गवर्नर के अनुसार रॉकेट रूसी थे। यह हमला विलनियांस्क शहर के एक अस्पताल में हुआ।
क्षेत्रीय गवर्नर ऑलेक्जेंडर स्तारुख ने टेलीग्राम पर लिखा, ‘‘रूसी दानवों ने रात में विलनियांस्क में अस्पताल के प्रसूति वार्ड पर कई रॉकेट दागे... इस हमले में एक शिशु की मौत हो गई जो अभी पैदा ही हुआ था। बचावकर्मी वहां काम कर रहे हैं।”
उन्होंने कई तस्वीरें भी पोस्ट की हैं जिनमें मलबे से घना धुआं उठता दिखाई दे रहा है।
सिंह ने एक सवाल पर कहा कि यह गलतफहमी है कि भारत जोड़ो यात्रा के कारण कांग्रेस गुजरात विधानसभा चुनावों पर ठीक से ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी गुजरात इकाई पूरी शिद्दत से विधानसभा चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और मैं खुद वहां चुनाव प्रचार कर चुका हूं।’’
सिंह ने यह भी कहा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस कथित बात से उनका अहंकार नहीं टपकता कि मौजूदा गुजरात उन्होंने ही गढ़ा है? (एपी)
बीजिंग, 23 नवंबर। चीन स्थित एप्पल आईफोन के दुनिया के सबसे बड़े कारखाने में कर्मचारियों को कोरोना वायरस के कारण लागू प्रतिबंधों के बीच संविदा संबंधी विवाद के चलते पीटा गया और हिरासत में रखा गया। सोशल मीडिया पर बुधवार को पोस्ट किए गए कुछ वीडियो में यह नजर आ रहा है और प्रत्यक्षदर्शियों ने भी यह जानकारी दी।
चीनी सोशल मीडिया पर उपलब्ध झोंगझोउ स्थित कारखाने के वीडियो में नकाब पहने हजारों प्रदर्शनकारी सफेद सुरक्षात्मक सूट पहने पुलिसकर्मियों का सामना करते नजर आ रहे हैं। एक व्यक्ति के सिर पर डंडा मारा गया और एक अन्य को उसके हाथ पीछे की ओर बांधकर ले जाया गया।
सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट में कहा गया कि ये लोग संविदा के उल्लंघन का विरोध कर रहे थे।
चीन में कोरोना वायरस संक्रमण को कारण लंबे समय तक दुकानें एवं कार्यालय बंद रहे और लाखों लोगों को कई सप्ताह तक घरों में बंद रहना पड़ा। इन प्रतिबंधों से परेशान लोगों ने कुछ इलाकों में प्रदर्शन किए हैं।
पिछले महीने हजारों कर्मचारी कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा के अपर्याप्त उपायों और बीमार पड़ने वाले सहकर्मियों को कोई मदद नहीं मिलने की शिकायतों के कारण ताइवान स्थित फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप कंपनी द्वारा संचालित कारखाना छोड़कर चले गए थे।
कारखाने के कर्मचारी ली संशान ने बताया कि अधिक वेतन के प्रस्ताव के कारण नौकरी करने आए नए कर्मचारियों के लिए शर्तों में बदलाव किए जाने पर उन्होंने मंगलवार को प्रदर्शन किए।
ली (28) ने कहा कि उन्होंने दो महीने के काम के लिए 25,000 युआन (3,500 अमरीकी डालर) का वादा करने वाले विज्ञापन के कारण अपनी नौकरी छोड़ दी थी।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को बताया गया कि 25,000 युआन प्राप्त करने के लिए उन्हें कम वेतन पर दो अतिरिक्त महीने काम करना होगा, जिससे वे नाराज हो गए।
ली ने कहा, ‘‘फॉक्सकॉन ने भर्ती के लिए बहुत लुभावना प्रस्ताव दिया और देश भर से लोग काम करने आए, लेकिन उन्हें पता चला कि उन्हें मूर्ख बनाया जा रहा है।’’
फॉक्सकॉन ने एक बयान में कहा कि ‘‘कार्य भत्ता’’ हमेशा ‘‘संविदात्मक दायित्व के आधार पर दिया गया।’’
फॉक्सकॉन ने इस बात का खंडन किया कि संक्रमित कर्मचारियों को उचित सुविधाएं नहीं दी गईं।
इसने कहा कि सुविधाओं को कीटाणुरहित किया गया था और कर्मचारियों के आने से पहले सरकारी जांच पास की गई थी।
बीजिंग समेत चीन में संक्रमण के मामलों में फिर से बढ़ोतरी होने के बीच प्रदर्शन बढ़ गए हैं। प्राधिकारियों ने इस सप्ताह देश में संक्रमण से पिछले छह महीने में पहली मौत होने की जानकारी दी।
सरकार ने मंगलवार को बताया कि पिछले तीन सप्ताह में संक्रमण के 2,53,000 से अधिक मामले पाए गए हैं और दैनिक औसत बढ़ रहा है।
एप्पल इंक ने पहले चेतावनी दी थी कि झेंगझोउ कारखाने पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण नए आईफोन 14 मॉडल बाजार में देरी से उपलब्ध होंगे। शहर की सरकार ने कारखाने के चारों ओर औद्योगिक क्षेत्र में पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया था। फॉक्सकॉन कंपनी ने बताया कि इस कारखाने में 2,00,000 लोग कार्यरत हैं। (एपी)
चीन, 23 नवंबर । चीन में दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन बनाने वाली फैक्ट्री में हुए विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.
ये फैक्ट्री चीन के झेंगझोऊ में है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी मार्च कर रहे हैं.
विरोध कर रहे कर्मचारियों को पुलिस रोक भी रही है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस उनके साथ मारपीट कर रही है.
पिछले महीने कोरोना के मामले बढ़ने के बाद आईफोन बनाने वाली फॉक्सकॉन को फैक्ट्री बंद करनी पड़ी थी, जिसके चलते कुछ कर्मचारी फैक्ट्री छोड़कर चले गए थे.
कर्मचारियों की कमी के चलते कंपनी ने नए लोगों को काम पर रखा और अच्छे बोनस का वादा किया. फैक्ट्री में हुई इन झड़पों पर फॉक्सकॉन ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है.
वीडियो में प्रदर्शनकारी कह रहे हैं कि हमें अपने अधिकारों को बचाना है. कुछ कर्मचारी सीसीटीवी कैमरों और खिड़कियों को रॉड से तोड़ते हुए भी नजर आ रहे हैं.
कर्मचारियों ने इस प्रदर्शन को लाइव स्ट्रीम भी किया है, जिसमें एक कर्मचारी कह रहा है कि फॉक्सकॉन ने हमारा कॉन्ट्रैक्ट बदल दिया ताकि हमें सब्सिडी न मिले जिसका वादा कंपनी ने किया था. उन्होंने हमें क्वारंटाइन किया लेकिन खाना तक नहीं दिया.
कर्मचारी ने कहा, "अगर उन्होंने हमारी मांगों को नहीं माना तो लड़ाई जारी रहेगी." (bbc.com/hindi)
सैन फ्रांसिस्को, 23 नवंबर | ट्विटर के सीईओ एलन मस्क ने सुझाव दिया है कि कंपनी अपनी नीतियों का उल्लंघन करने के लिए यूजर्स को वर्चुअल जेल में बंद कर सकती है। एक ट्विटर फॉलोअर्स ने उपयोगकर्ताओं को 'ट्विटर जेल' में डालकर माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट को बेहतर बनाने के लिए मस्क के लिए एक सुझाव साझा किया।
एक यूजर ने पोस्ट किया, "ट्विट सुझाव 2: ट्विटर जेल! प्रतिबंध के कारण, उल्लंघनों की संख्या, साथ ही खाता कब मुक्त होगा, दोनों को साझा करें।"
मस्क ने रिप्लाई किया, "सहमत।"
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को बेहतर बनाने के लिए ट्विटर यूजर ने एक और बदलाव का भी सुझाव दिया।
उपयोगकर्ता ने पोस्ट किया, "ट्विट सुझाव: ट्वीट एक्टिविटी बटन में पहुंच आंकड़े जोड़ें। इंप्रेशन आंकड़े देखने में अच्छे हैं लेकिन बहुत उपयोगी नहीं हैं।"
मस्क ने कहा, "अच्छा विचार।"
अपनी लेटेस्ट प्रोडक्ट वृद्धि घोषणाओं में से एक में, मस्क ने पिछले सप्ताह ट्वीट किया था कि माइक्रोब्लॉगिंग साइट स्वचालित रूप से लंबे-फॉर्म टेक्स्ट को थ्रेड्स में बदलने के लिए एक समाधान पर काम कर रही है, क्योंकि ट्विटर केवल 280-वर्णो की अनुमति देता है जो उपयोगकर्ताओं के लिए एक लॉन्ग टेक्स्ट लिखना चुनौतीपूर्ण बनाता है।
इस हफ्ते की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि कंपनी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर अपलोड टाइम में तेजी लाने पर काम करेगी, जिसमें वीडियो को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। (आईएएनएस)|
यरूशलम, 23 नवंबर यरूशलम में बुधवार को एक बस स्टॉप के पास हुए धमाके में कम से कम दस लोग घायल हो गए। इजराइली पुलिस ने यह जानकारी दी।
आपातकालीन सेवा ने बताया कि धमाके में दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। पुलिस के मुताबिक, धमाके के पीछे की वजह फिलहाल पता नहीं चल पाई है। उन्होंने बताया कि अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं और घटना की जांच शुरू कर दी है।(एपी)
अमेरिका, 23 नवंबर । अमेरिका के वर्जीनिया प्रांत में बुधवार दोपहर (भारतीय समयानुसार) एक शख़्स ने वॉलमार्ट स्टोर में गोलियां चलाकर कम से कम दस लोगों की जान ले ली.
घायलों और मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.
स्थानीय पुलिस विभाग की ओर से दी गयी जानकारी के मुताबिक़, गोलियां चलाने वाले शख़्स की मौत हो चुकी है.
चेज़पीक पुलिस विभाग के अधिकारी लिओ कोसिन्स्की ने मीडिया को बताया है, "हमें पता चला है कि इस घटना में कुछ लोगों की मौत हुई है और कई लोग घायल हुए हैं. हमारा मानना है कि इस घटना को एक ही शख़्स ने अंजाम दिया है और अब उसकी मौत हो चुकी है."
इस मामले में नयी जानकारियों का आना लगातार जारी है.
लेकिन अब तक जो कुछ पता चला है कि उसके मुताबिक़ गोलियां चलाने वाला शख़्स वॉलमार्ट स्टोर का ही मैनेज़र था.
घटना के साक्षी रहे एक शख़्स ने सोशल मीडिया पर लिखा है इस मैनेज़र ने स्टाफ़ रूम में गोलियां चलाई हैं और उसके बाद खुद की भी जान ले ली.
वॉलमार्ट ने इस घटना के बाद ट्विटर पर बयान जारी कर कहा है, "हम वर्जीनिया के चेज़पीक स्टोर में हुए हादसे की ख़बर सुनकर हिल गये हैं. हम प्रभावित परिवारों, समुदाय और अपनी टीम के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. हम कानून व्यवस्था संभालने वाली एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और अपने सहयोगियों की मदद करने पर ध्यान दे रहे हैं."(bbc.com/hindi)
बिटकॉइन में निवेश करने वाले लगभग 75 प्रतिशत लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है. एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने 95 देशों में सात साल में हुए निवेश के बाद यह नतीजा निकाला है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
क्रिप्टोकरंसी 'बिटकॉइन' में निवेश करने वाले हर चार में तीन लोगों ने घाटा उठाया है. सोमवार को प्रकाशित हुए एक नए अध्ययन में 2015 से 2022 के बीच 95 देशों में बिटकॉइन निवेशकों से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है.
पिछले कुछ समय में एक के बाद एक कई बड़ी क्रिप्टोकरंसी और उनसे जुड़ीं कंपनियां मुंह के बल गिरी हैं जिसके बाद क्रिप्टो-निवेशकों में हड़कंप मचा हुआ है. हाल ही में एफटीएक्स नामक क्रिप्टो कंपनी के दीवालिया हो जाने से इस निवेश क्षेत्र में लोगों के भरोसे की चूलें हिल गई हैं.
बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स, जिसे दुनिया के केंद्रीय बैंक का केंद्रीय बैंक भी कहा जाता है, कहता है कि बीते सात साल में बिटकॉइन के निवेशकों ने भारी नुकसान झेला है. अपने अध्ययन में उसने कहा, "कुल मिलाकर देखा जाए तो बिटकॉइन के तीन चौथाई निवेशकों ने अपना धन खोया है.”
यह अध्ययन जिस दौर के निवेशकों पर किया गया है, उस दौरान यानी अगस्त 2015 में बिटकॉइन की कीमत 250 डॉलर से बढ़कर अपने सर्वोच्च स्तर पर यानी नवंबर 2021 में 69,000 डॉलर पर पहुंचीथी. फिलहाल की इस क्रिप्टो करंसी की कीमत 16,500 है.
युवाओं में ज्यादा रुझान
इस अध्ययन का एक निष्कर्ष यह भी है कि स्मार्टफोन ऐप के जरिए निवेश ने बड़ी संख्या में लोगों को इस मुद्रा में धन लगाने के लिए आकर्षित किया. 2015 में स्मार्टफोन से निवेश करने वालों की संख्या 1,19,000 थी जो 2022 में बढ़कर 3.25 करोड़ पर पहुंच गई.
इस बारे में शोधकर्ताओं ने लिखा, "हमारा विश्लेषण दिखाता है कि दुनियाभर में बिटकॉइन की कीमत का संबंध छोटे निवेशकों के इसमें निवेश से है.” साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे कीमत बढ़ती जा रही थी और छोटे निवेशक बिटकॉइन खरीद रहे थे, "सबसे बड़े निवेशक इसे बेच रहे थे और छोटे निवेशकों के दम पर मुनाफा कमा रहे थे.”
शोधकर्ताओं के पास हर निवेशक के नफे-नुकसान के आंकड़े तो नहीं थे लेकिन वे नए निवेशकों द्वारा खासतौर पर स्मार्टफोन ऐप से निवेश करने से लेकर पिछले महीने तक के बिटकॉइन की कीमत का विश्लेषण कर इन नतीजों पर पहुंचे हैं. उन्होंने यह भी पाया कि क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने वालों में सबसे बड़ी संख्या, लगभग 40 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम आयु के पुरुष थे, जिसे आबादी का "सबसे ज्यादा जोखिम उठाने वाले” हिस्से के रूप में देखा जाता है.
शोधकर्ता कहते हैं कि ज्यादातर क्रिप्टो-निवेशक इसे सट्टेबाजी के रूप में ही देख रहे थे. उन्होंने कहा युवा निवेशक उन महीनों में ज्यादा सक्रिय थे, जिससे पिछले महीने में कीमत बढ़ी हो. यानी जब-जब बिटकॉइन की कीमत बढ़ती, उसके अगले महीने निवेश करने वाले युवा बढ़ जाते. शोधकर्ताओं ने निवेशकों के इस व्यवहार को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा किए जाने की जरूरत है.
भारत में भी बढ़े निवेशक
पिछले कुछ सालों में भारत में भी क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. अगस्त में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में क्रिप्टोकरंसी के 11.5 करोड़ से ज्यादा निवेशक हैं. ऐसा तब है जबकि भारत सरकार और रिजर्व बैंक इस तरह के निवेश को लेकर लगातार आगाह करते रहे हैं.
वैश्विक क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज कूकॉइन द्वारा जारी किया गया डाटा बताता है कि भारत में "लंबी अवधि में मुनाफा पाने की" भावना से निवेश करने वाले ज्यादा हैं. भारत में 11.5 करोड़ क्रिप्टो निवेशक हैं, यानी 18 से 60 वर्ष की आयु वाले लोगों में लगभग 15 फीसदी ने क्रिप्टोकरंसी में निवेश किया है.
यह रिपोर्ट 18 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के 2042 लोगों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है. इन निवेशकों में 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग 30 से कम आयु के हैं और मानते हैं कि भविष्य में क्रिप्टोकरंसी मुनाफे का सौदा साबित होगी. 54 प्रतिशत निवेशकों को उम्मीद है कि उन्हें मुनाफा होगा. 56 प्रतिशत मानते हैं कि क्रिप्टोकरंसी ही भविष्य की मुद्रा है. (dw.com)
सियोल, 23 नवंबर | दक्षिण कोरिया में जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या सितंबर में रिकॉर्ड-निम्न स्तर पर पहुंच गई, जो 1981 के बाद सितंबर माह में सबसे कम है। यह जानकारी बुधवार को एक डेटा के आधार पर सामने आई है। योनहाप समाचार एजेंसी ने सांख्यिकी कोरिया के आंकड़ों के हवाले से बताया कि सितंबर में देश में 21,885 बच्चों का जन्म हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.1 प्रतिशत कम है। लेकिन यह अगस्त में 21,758 नवजात शिशुओं से अधिक था।
जनवरी-सितंबर की अवधि में यहां जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या सालाना आधार पर 5.2 प्रतिशत गिरकर 192,223 हो गई।
बच्चों के जन्म में लगातार गिरावट से दक्षिण कोरिया परेशान है। यहां बहुत से युवा आर्थिक मंदी और महंगाई के कारण बच्चे पैदा करने में देरी करते हैं या यह विचार ही छोड़ देते हैं।
एक महिला की प्रजनन दर तीसरी तिमाही में 0.79 पर आ गई। 2021 में यह 0.81 पर थी।
सितंबर में देश में मौतों की संख्या 29,199 पर आ गई, जो एक साल पहले की तुलना में 13.8 प्रतिशत अधिक है। यह 1983 के बाद से सितंबर माह में सबसे अधिक है।
मृत्यु की दर बढ़ने के साथा सितंबर में देश की जनसंख्या में 7,313 की गिरावट आई।
दक्षिण कोरिया ने 2020 में अपनी जनसंख्या में पहली प्राकृतिक गिरावट की सूचना दी।
इस बीच आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर में विवाहों की संख्या सालाना आधार पर 7.4 प्रतिशत बढ़कर 14,748 हो गई। कोविड-19 नियमों में ढील के बाद अधिक लोगों ने शादी की।
इस महीने में तलाक की दर 2.4 फीसदी गिरकर 8,164 पर आ गई। (आईएएनएस)|
वर्जीनिया, 23 नवंबर । वर्जीनिया के सीनेटर मार्क वार्नर ने आम लोगों से घटनास्थल से दूरी बनाए रखने की अपील की है.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, “मैं एक और गोलीकांड की ख़बर सुनकर परेशान हो गया हूं. इस बार चेज़पीक ज़िले के वॉलमार्ट में हुई है. मैं इस मामले पर नज़र बनाए हुए हूं. मैं स्थानीय लोगों से अपील करता हूं कि वे क़ानून व्यवस्था संभालने में लगी संस्थाओं के दिशानिर्देशों का पालन करें और घटनास्थल से दूर रहें.” (bbc.com/hindi)
(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, 23 नवंबर। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने पश्चिमी नेपाल के डडेलधुरा निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों के अंतर से लगातार सातवीं बार जीत दर्ज की है। उनकी नेपाली कांगेस पार्टी अभी तक 11 सीटें जीतकर सबसे आगे चल रही है।
हिमालयी देश में प्रतिनिधि सभा और सात प्रांतों की विधानसभाओं के लिए पिछले रविवार को मतदान हुआ था। मतों की गिनती सोमवार को शुरू की गई।
देउबा (77) को 25,534 वोट मिले, जबकि उनके निकटम प्रतिद्वंद्वी एवं निर्दलीय उम्मीदवार सागर ढकाल (31) को 1,302 मत हासिल हुए। देउबा अपने पांच दशक के राजनीतिक करियर में कभी कोई संसदीय चुनाव नहीं हारे हैं। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा अभी पांचवीं बार प्रधानमंत्री के पद पर काबिज हैं।
ढकाल एक युवा इंजीनियर हैं, जिनकी पांच साल पहले ‘बीबीसी’ (ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन) के ‘साझा सवाल’ कार्यक्रम में एक सार्वजनिक परिचर्चा के दौरान देउबा से मौखिक बहस हुई थी। इसके बाद उन्होंने यह कहते हुए देउबा को चुनौती देने का फैसला किया था कि अब युवाओं को राजनीति में आना चाहिए और देउबा जैसे वरिष्ठ लोगों को आराम करना चाहिए।
सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस ने अभी तक प्रतिनिधि सभा की 11 सीटें जीत ली हैं, जबकि वह 46 अन्य सीटों पर आगे चल रही है।
वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री के पी ओली की अगुवाई वाले मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) ने अभी तक तीन सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि 42 सीटों पर उसने बढ़त हासिल कर ली है।
नव गठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने काठमांडू जिले में तीन सीटें जीती हैं। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, सीपीएन-यूनीफाइड सोशलिस्ट और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी ने एक-एक सीट हासिल कर ली है। अभी तक प्रतिनिधि सभा की 20 सीटों के चुनाव परिणाम की घोषणा की जा चुकी है।
नेपाल में संघीय संसद की 275 सीटों और सात प्रांतीय विधानसभाओं की 550 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। संघीय संसद के कुल 275 सदस्यों में से 165 का चयन प्रत्यक्ष मतदान के जरिये होगा, जबकि बाकी 110 को ‘आनुपातिक चुनाव प्रणाली’ के माध्यम से चुना जाएगा।
इसी तरह, प्रांतीय विधानसभाओं के कुल 550 सदस्यों में से 330 का चयन प्रत्यक्ष, जबकि 220 का चयन आनुपातिक प्रणाली से होगा। (भाषा)
वाशिंगटन, 23 नवंबर | नासा के ओरियन अंतरिक्ष यान ने मानव रहित आर्टेमिस मिशन के हिस्से के रूप में चंद्रमा की सतह के 130 किलोमीटर के दायरे से गुजरने के लिए अपना पहला मून फ्लाईबाई सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। नासा के अनुसार आर्टेमिस मिशन में अपने छठे दिन ओरियन ने चंद्रमा के चारों ओर एक दूर प्रतिगामी कक्षा में प्रवेश करने के लिए आवश्यक दो सहायक इंजनों का उपयोग करके चौथे कक्षीय प्रक्षेपवक्र को सफलतापूर्वक पूरा किया।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगलवार देर रात एक बयान में कहा कि ओरियन अंतरिक्ष यान ने 21 नवंबर को चंद्रमा के नजदीक से उड़ान भरी थी।
आर्टेमिस मिशन के मैनेजर माइक सराफिन ने कहा, योजना के मुताबिक मिशन आगे बढ़ रहा है और हमारी संचालन टीम और अंतरिक्ष यान ओरियन अच्छा काम कर रहे हैं।
ओरियन शुक्रवार को चंद्रमा से परे दूर प्रतिगामी कक्षा में प्रवेश करेगा, जिसे दूरस्थ प्रतिगामी कक्षा सम्मिलन बर्न कहा जाता है।
यह कक्षा अत्यधिक स्थिर कक्षा प्रदान करती है, जहां पृथ्वी से दूर चरम वातावरण में ओरियन के सिस्टम को परीक्षण के लिए रखने को गहरे अंतरिक्ष में विस्तारित यात्रा के लिए बहुत कम ईंधन की आवश्यकता होती है।
अपोलो 13 द्वारा निर्धारित रिकॉर्ड को पार करते हुए ओरियन 25 नवंबर को चंद्रमा से अपने सबसे दूर बिंदु लगभग 57,287 मील की यात्रा करेगा।
ओरियन ने पृथ्वी से 216,842 मील की यात्रा की है और चंद्रमा से 13,444 मील की दूरी पर 3,489 मील प्रति घंटे की गति से यात्रा की है।
ओरियन नासा के स्पेस लॉन्च सिस्टम (एएलएस) रॉकेट का पहला एकीकृत उड़ान परीक्षण है।
2025 में नासा ने 1972 में अपोलो 17 मिशन के बाद से पहली क्रू मून लैंडिंग शुरू करने की योजना बनाई है। इसमें चंद्रमा पर चलने वाली पहली महिला और रंग का पहला व्यक्ति शामिल होगा।
आर्टेमिस गहरे अंतरिक्ष में मानव अन्वेषण के लिए एक आधार प्रदान करेगा और चंद्रमा और उससे आगे मानव अस्तित्व का विस्तार करने के लिए नासा की प्रतिबद्धता और क्षमता का प्रदर्शन करेगा। (आईएएनएस)|
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 23 नवंबर। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने मंगलवार को दोहराया कि उनकी पार्टी को सत्ता में लौटने के लिए प्रचार अभियान की जरूरत नहीं है।
खान ने लाहौर में अपने आवास से एक सेमिनार को संबोधित करते हुए यह दावा किया।
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने और जनता के बीच स्थिरता तथा विश्वास पैदा करने के लिए फिलहाल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव समय की मांग है।
अखबार के अनुसार, खान ने कहा, ‘‘सरकार चुनावों में जितनी देरी करेगी, वह पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के लिए उतना ही फायदेमंद होगा और हमें देश के मौजूदा हालात में प्रचार करने की भी जरूरत नहीं होगी।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘स्पष्ट बहुमत वाली सरकार की जरूरत है ताकि वह ठोस व कड़े फैसले ले सके।’’
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ नीत संघ सरकार की आलोचना करते हुए खान ने कहा कि नयी सरकार को ‘‘देश का रास्ता सुधारने’’ के लिए कड़े फैसले लेने होंगे।
खबर के अनुसार, खान ने कहा कि देश को निवेश आकर्षित करने की जरूरत है और निवेशकों को लाभ दिया जाना चाहिए। (भाषा)
अमेरिका के वर्जीनिया प्रांत में वॉलमार्ट स्टोर में गोलीबारी की घटना में अब तक कम से कम 10 लोगों के मारे जाने की ख़बर आ रही है.
वर्जीनिया के सीनेटर लुइस लुकस ने इस घटना के बाद ट्विटर पर लिखा है, “आज रात वर्जीनिया के चेज़पीक ज़िले में स्थित वालमार्ट में गोलीबारी होने से मेरा दिल टूट गया है. मैं जब तक बंदूकों से की जाने वाली हिंसा, जिसकी वजह से इतने लोगों की मौत हुई है, का हल नहीं निकाल लूंगी, तब तक चैन से नहीं बैठूंगी.” (bbc.com/hindi)
अमेरिका के वर्जीनिया प्रांत पर एक शख़्स ने वॉलमार्ट स्टोर में गोलीबारी की है.
इस गोलीकांड में अब तक कम से कम 10 लोगों के मारे जाने की ख़बर आ रही है.
शहर की पुलिस ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है.
चेज़ापीक पुलिस ने बयान में लिखा, "हम कंफ़र्म करते हैं सेम्स सर्कल इलाक़े में एक शूटर ने गोलियां चलाई हैं. इसके बाद शूटर को मार दिया गया है."
पुलिस ने अपने बयान में मृतकों की संख्या के बारे में नहीं बताया है लेकिन समाचार एजेंसियों ने कहा है कि गोलीबारी में कम से कम दस लोग मारे गए हैं. (bbc.com/hindi)
सैकरामेंटो (अमेरिका), 23 नवंबर। रिपब्लिकन नेता केविन केली ने उत्तर-पूर्वी कैलिफोर्निया में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की सीट पर जीत दर्ज कर ली है।
अभी तक 83 प्रतिशत मतपत्रों की गिनती की गई है, जिसमें से केली ने करीब 53 प्रतिशत वोट हासिल कर डेमोक्रेटिक पार्टी के केर्मिट जोन्स को मात देने में कामयाबी हासिल कर ली है।
कैलिफोर्निया के प्रतिनिधि माइक गार्सिया के एक बार फिर चुने जाने के बाद रिपब्लिकन पार्टी ने पिछले सप्ताह ही अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में बहुमत हासिल कर लिया था।
केली की जीत के साथ प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी के पास अब कुल 220 और डेमोक्रेटिक पार्टी के पास 212 सीटें हो गई हैं।
केली ने पिछले सप्ताह चुनाव के बाद एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘मतदाता एक नयी दिशा चाहते हैं। वे जिस बदलाव की तलाश कर रहे हैं, सदन उसका जरिया बनेगा।’’ (एपी)
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने मंगलवार को बताया है कि पाकिस्तानी सेना के प्रमुख क़मर जावेद बाजवा के इनकम टैक्स से जुड़े दस्तावेज़ों को लीक करने वालों की पहचान हो गयी है.
बाजवा की टैक्स डीटेल्स लीक होने के बाद पाकिस्तानी मीडिया में बाजवा और उनके परिवार की संपत्ति चर्चा का विषय बन गयी थी.
इसके बाद वित्त मंत्री डार ने 24 घंटों के अंदर इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों का पता लगाने की घोषणा की थी.
इसी मुद्दे पर पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो न्यूज़ से बात करते हुए डार ने कहा है कि उनकी टीम इस मामले की जांच को अंजाम तक पहुँचाएगी.
उन्होंने कहा है कि ‘सेनाध्यक्ष के आयकर से जुड़े दस्तावेज़ों को लीक करना एक ग़ैर-कानूनी हरक़त थी. इसे अंजाम देने वाले दो लोग थे जिनमें से एक लाहौर और दूसरा रावलपिंडी से जुड़ा है.’
डार ने ये भी बताया कि ये संभव है कि इस मामले में शामिल कुछ लोगों को इनकम टैक्स से जुड़े दस्तावेज़ों को देखने का अधिकार हो क्योंकि रावलपिंडी में आयकर से जुड़े दस्तावेज़ों का आकलन किया जाता है.
उन्होंने ये भी बताया कि इस मामले में जांच के आदेश दिए गए थे क्योंकि टैक्स से जुड़ी जानकारियों का सार्वजनिक करना अवैध है जब तक कोर्ट ने इस संबंध में आदेश न दिए हों.
इंडोनेशिया में सोमवार को आए 5.6 तीव्रता के भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 268 हो गयी है. इसके साथ ही 150 से ज़्यादा लोग गुमशुदा बताए जा रहे हैं.
इस भूकंप में इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है. यहां बचाव अभी भी जारी है. और राहतकर्मी भूकंप की वजह से गिरी इमारतों के मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिशें कर रहे हैं.
इसके साथ ही भूस्खलन होने की घटनाएं भी सामने आई हैं. इस क्षेत्र में भूकंप के बाद आने वाले हल्के झटके महसूस किए जा रहे हैं.
इस भूकंप का केंद्र सियांजुर कस्बे के पास था. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मंगलवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया है.
उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार भूकंप में क्षतिग्रस्त हुए घरों के पुनर्निमाण में मदद करेगी. (bbc.com/hindi)