अंतरराष्ट्रीय
तुर्की ने सीरिया में सीमा पार कुर्द ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं.
ये हवाई हमले सीरिया के कोबाने शहर सहित उत्तरी सीरिया के दूसरे अन्य शहरों में हुए हैं.
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स मॉनिटर का कहना है कि हमले में अब तक कुर्द के नेतृत्व वाले सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) के कम से कम छह सदस्यों और सरकार समर्थक छह सैनिकों की मौत हो गई है.
बीते 13 नवंबर को तुर्की के बड़े शहर इंस्ताबुल के एक व्यस्त शॉपिंग इलाके में बम धमाके हुए थे. धमाके में छह लोग मारे गए थे, वहीं 80 से अधिक लोग घायल हो गए थे.
तुर्की के अधिकारियों ने इसके पीछे कुर्द आतंकवादी समूह, पीकेके का हाथ बताया है. तुर्की के अधिकारियों का कहना था कि बम रखने के संदेह में हिरासत में ली गई एक सीरियाई महिला ने इस बात के संकेच दिए थे कि से पीकेके उग्रवादियों द्वारा प्रशिक्षित किया गया था.
हालांकि पीकेके बम धमाके में अपनी किसी भी भूमिका से इनकार करता है. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 19 नवंबर। पाकिस्तान के नये सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर सरकार में मतभेद बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने इस प्रमुख मुद्दे पर विरोधाभासी बयान दिये हैं।
सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं और उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति एक प्रशासनिक विषय है। कानून के तहत, मौजूदा प्रधानमंत्री को शीर्ष तीन सितारा जनरलों में से किसी एक का चयन करने का अधिकार है।
‘डॉन न्यूज’ की खबर के अनुसार प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नये सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर अपने सरकारी सहयोगियों के साथ शुक्रवार को विचार-विमर्श शुरू कर दिया।
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुलासा किया कि मंगलवार या बुधवार तक नये सेना प्रमुख के नाम की घोषणा की जाएगी।
वहीं, दूसरी ओर गृह मंत्री राणा सनाउल्ला ने कहा कि विचार-विमर्श पूरा हो चुका है और एक या दो दिन में नये सेना प्रमुख की नियुक्ति कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी तरह की देरी ‘उचित’ नहीं होगी।
एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता आसिफ अली जरदारी ने कहा कि उनकी पार्टी सेना के लिए पदोन्नति प्रणाली में विश्वास करती है और सैन्य प्रमुख की नियुक्ति का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए, अन्यथा इससे संस्था को नुकसान पहुंच सकता है।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सभी तीन सितारा जनरल सेना प्रमुख का पदभार संभालने के लिए समान रूप से योग्य और सक्षम हैं।’’
पीपीपी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार में सबसे बड़ी सहयोगी है।
‘डॉन’ की खबर में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के बाद इस समय पृथकवास में रह रहे प्रधानमंत्री शरीफ ने सेना प्रमुख की नियुक्ति पर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान से भी बात की है।
शनिवार या रविवार को दोनों नेताओं के बीच औपचारिक मुलाकात होने की उम्मीद है।
रक्षा मंत्री आसिफ ने शुक्रवार को ‘जियो न्यूज’ को बताया कि नये सेना प्रमुख की नियुक्ति की कागजी कार्रवाई सोमवार से शुरू हो जाएगी और नियुक्ति मंगलवार या बुधवार को की जाएगी।
नये सेना प्रमुख को पदभार सौंपने से संबंधित कार्यक्रम 29 नवंबर को होगा।
नियमों के अनुसार, सेना प्रमुख के पद के लिए संभावित नामों को एक पैनल प्रस्तावित करता है और नियुक्ति करने के लिए रक्षा मंत्रालय के माध्यम से प्रधानमंत्री को एक विवरण भेजा जाता है।
इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री एवं पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान ने आरोप लगाया है कि पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ अगले सेना प्रमुख की नियुक्ति प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहते हैं। (भाषा)
नेपाल, 19 नवंबर । नेपाल एयरलाइंस ने पांच ख़राब चीनी विमानों को बेचने का फ़ैसला किया है.
इससे पहले घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी ने इन विमानों को लीज पर देने के लिए निविदाएं मंगाई थीं लेकिन किसी भी पार्टी ने इस पेशकश को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल एयरलाइंस ने इस कोशिश में नाकाम होने के बाद ये फ़ैसला लिया है. नेपाल के वित्त मंत्रालय के पास इन चीनी विमानों की मिल्कियत है और सरकारी विमानन कंपनी इसे ऑपरेट करती है.
नेपाली अख़बार काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पांच विमानों में से तीन विमान 17 सीटों वाले वाई12ई एयरक्राफ्ट और दो 56 सीटों वाले एमए60 एयरक्राफ्ट हैं. ये विमान लगातार खराब रहे हैं और नेपाल एयरलाइंस के पास पायलटों की समस्या भी है.
अख़बार के मुताबिक़, ये विमान नेपाल एयरलाइंस के इतिहास में अब तक के सबसे महंगे सफ़ेद हाथी बन गए हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई का कहना है कि नेपाल एयरलाइंस इन विमानों से छुटकारा पाना चाहता है लेकिन नौकरशाही की अड़चनों की वजह से उसे इन विमानों को अपने बेड़े में रखना पड़ रहा था. (bbc.com/hindi)
अमेरिका के नियामकों ने कैलिफोर्निया में चार बांधों को ध्वस्त करने की एक परियोजना को अनुमति दे दी है. इसे दुनिया की सबसे बड़ी बांध ध्वस्त परियोजना और नदी बचाओ परियोजना बताया जा रहा
यह कैलिफोर्निया की क्लैमथ नदी पर बने चार बांधों को ध्वस्त करने की परियोजना है. 50 करोड़ डॉलर की लागत वाली इस ध्वस्त परियोजना का बीड़ा मूल निवासी अमेरिकी कबीलों और पर्यावरणविदों ने कई सालों से उठा रखा है.
क्लैमथ कैलिफोर्निया की दूसरी सबसे बड़ी नदी है और इन बांधों के ध्वस्त होने के बाद नदी अपने निचले इलाके में एक सदी से भी ज्यादा समय बाद मुक्त रूप से बहेगी. नदी के मुक्त होने से सैकड़ों मील तक सामन मछलियों के लिए प्राकृतिक आवास भी उपलब्ध हो जाएगा.
नियामक संस्था फेडरल एनर्जी रेगुलेटरी कमीशन ने इस बांध ध्वस्त परियोजना पर सर्वसम्मति से मुहर लगा दी है. यह इसकी राह में नियामकों की तरफ से आखिरी प्रमुख अड़चन थी. जीने के अपने तरीके के लिए क्लैमथ और उसकी सामन पर निर्भर रहने वाले मूलनिवासी कबीले इस अभियान की प्रेरक शक्ति रहे हैं
लोगों की जीत
जहां ये बांध हैं वो इलाका कैलिफोर्निया से लेकर ऑरेगोन की सीमा तक फैला हुआ है. इस परियोजना से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर कोई अप्रत्याशित समस्या ना आए तो ऑरेगोन, कैलिफोर्निया और परियोजना की देख रेख के लिए बनाई गई संस्था लाइसेंस हस्तांतरण को स्वीकार कर लेंगी और अगली गर्मियों तक बांध को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
क्लैमथ का इलाका 37,500 किलोमीटर से भी ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है. यह नदी कभी अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित नदियों में सामन के उत्पादन में तीसरे स्थान पर थी. लेकिन 1918 से 1962 के बीच बने इन बांधों से एक तरह से नदी को ही दो हिस्सों में बांट दिया और सामन को अंडे देने के लिए ऊपर की तरफ जाने से रोक दिया.
इस वजह से पिछले कई सालों से सामन की संख्या गिरती जा रही है. नियामक के वोट के बाद यूरोक कबीले के अध्यक्ष जोसफ जेम्स ने कहा, "क्लैमथ सामन घर आ रही हैं. लोगों ने यह जीत हासिल की है और इसी के साथ हम उन मछलियों के प्रति अपने पवित्र कर्तव्य का निर्वाह करेंगे जिन्होंने समय की शुरुआत से हमारे लोगों को जिंदा रखा
ऊर्जा कंपनी पैसिफीकॉर्प के प्रवक्ता बॉब ग्रेवली ने बताया कि ये बांध कंपनी के कुल ऊर्जा उत्पादन में दो प्रतिशत से भी कम का योगदान देते हैं, जो करीब 70,000 घरों को बिजली की आपूर्ति के लिए पर्याप्त होता है.
कहां से आएगा खर्च
लेकिन ग्रेवली ने यह भी बताया कि नदी में पानी की कमी और अन्य कारणों की वजह से ये बांध अक्सर अपनी पूरी क्षमता के स्तर पर नहीं चलते हैं. इस वजह से यह जो सहमति हुई है यह अंत में एक व्यापारिक फैसला था.
यह बांध जब बने थे तब आज के पर्यावरण संबंधी नियम मौजूद नहीं थे. आज इन नियमों के तहत पैसिफीकॉर्प को फिश लैडर, फिश स्क्रीन और संरक्षण के दूसरे उपायों को लगाने के लिए करोड़ों डॉलर का निवेश करना पड़ता.
लेकिन गुरूवार को मंजूर की गई इस संधि के तहत कंपनी को 20 करोड़ डॉलर ही देने होंगे. ओर 25 करोड़ डॉलर कैलिफोर्निया के मतदाताओं द्वारा अनुमोदित किए गए एक वॉटर बांड से आएंगे.
बांधों को हटाने और नदियों के जीर्णोद्धार की परियोजनाओं को देखने वाली संस्था अमेरिकन रिवर्स की प्रवक्ता एमी सोएर्स कोबर कहती हैं कि गुरूवार का फैसला इतिहास के सबसे महत्वाकांक्षी सामन बचाओ परियोजना की आधारशिला है और यह इस तरह की दुनिया में सबसे बड़ी परियोजना है.
2021 में 57 बांध ध्वस्त
उन्होंने बताया कि क्लैमाथ नदी और उसकी सहायक नदियों में 483 किलोमीटर से भी ज्यादा के इलाके में सामन के प्राकृतिक आवास की दृष्टि से फायदा पहुंचेगा. अमेरिका में पुराने बांधों को हटाने का एक चलन शुरू हो गया है और यह फैसला उस चलन के अनुकूल है.
अमेरिकन रिवर्स संस्था ने बताया कि फरवरी तक के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 1,951 बांधों को ध्वस्त किया गया है. 2021 में ही 57 बांधों को ध्वस्त किया गया. इन बांधों को भी ध्वस्त किए जाने के फैसले पर फेडरल कमीशन की कार्रवाई को कबीलों ने खुद देखा.
यूरोक, करुक और हूपा घाटी कबीलों और दूसरे समर्थकों ने नदी के ही एक सुदूर तट पर बॉनफायर के इर्द गिर्द बैठ कर सैटेलाइट अपलिंक के जरिए देखा.
कमिश्नर विली फिलिप्स ने कहा, "मुझे ज्ञात है कि उनमें से कुछ कबीले नदी के पास बैठ कर इस बैठक को देख रहे हैं और मैं आपको बधाई देता हूं." उन्होंने यह भी कहा, "बढ़ती हुई बाढ़ और सूखे के प्रबंधन का सबसे अच्छा तरीका है कि नदी के सिस्टम को स्वस्थ रहने दिया जाए और उसे अपना काम करने दिया जाए."
सीके/एए (एपी)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में गिराए गए परमाणु बम का असर पूरी दुनिया आज भी देख रही है.
डॉयचे वैले पर क्लेयर रॉथ की रिपोर्ट-
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का फिलहाल कोई अंत नजर नहीं आ रहा है. जमीनी और हवाई हमलों के बीच अब परमाणु हमले की धमकी की चर्चा हो रही है. ऐसे में लोगों के मन में मुख्य रूप से दो आशंकाएं उभर रही हैं. पहली यह कि अगर यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों में किसी तरह का हादसा होता है, तो क्या होगा? और दूसरी यह कि अगर यूक्रेन पर परमाणु बम से हमला कर दिया जाता है, तब क्या होगा?
इस सीरीज के पहले लेख में हमने 2011 में जापान के फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र और 1986 में यूक्रेन के चेर्नोबिल बिजली संयंत्र के हादसे पर चर्चा की. इन दोनों हादसों ने आस-पास के लोगों के स्वास्थ्य को किस तरह से प्रभावित किया, इसका विश्लेषण किया. हमने उन हादसों की तुलना जापोरिझिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र से की और बताया कि अगर यहां ऐसा हादसा होता है, तो क्या असर होगा. इसकी वजह यह है कि जापोरिझिया यूक्रेन में चल रहे युद्ध के केंद्र में है.
आज इस सीरीज के दूसरे लेख में हम आपको बताएंगे कि 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु हमले से लोगों पर क्या असर पड़ा. उनके स्वास्थ्य किस तरह से प्रभावित हुए. साथ ही, विशेषज्ञों की मदद से यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि अगर आज के समय में युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है, तो उसका क्या असर होगा.
हथियार के मुताबिक तय होता है असर
परमाणु हमले के असर की भविष्यवाणी करना कठिन है, क्योंकि यह इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है कि किसी हथियार का इस्तेमाल कैसे और कहां किया जाता है.
अमेरिका स्थित यूनियन ऑफ कंसर्नड साइंटिस्ट्स (यूसीएस) में ग्लोबल सिक्योरिटी प्रोग्राम के वरिष्ठ वैज्ञानिक डिलन स्पाउल्डिंग ने कहा कि हवा में विस्फोट करने और जमीन पर विस्फोट करने वाले हथियारों की मारक क्षमता अलग-अलग होती है.
स्पाउल्डिंग ने कहा, "जमीन पर विस्फोट करने वाले हथियार के मामले में आपको हमले के लंबे समय तक पड़ने वाले असर को लेकर ज्यादा चिंता करनी होगी, क्योंकि आप रेडियोधर्मी रूप से पृथ्वी को सक्रिय कर रहे होते हैं. जबकि, हवा में विस्फोट होने वाले हथियार का लंबे समय तक इस तरह का ज्यादा असर नहीं होता है.”
स्पाउल्डिंग ने कहा कि अलग-अलग रणनीतिक कारणों से अलग-अलग हथियारों में विस्फोट किया जा सकता है. हवा में विस्फोट करने पर एक साथ कई लोगों की मौत हो सकती है. हालांकि, इससे आसपास की आबादी और पर्यावरण में, विकिरण का दीर्घकालिक प्रभाव कम होता है.
जबकि, पृथ्वी की सतह के पास हथियार को विस्फोट करने से एक साथ कई लोगों की मौत हो सकती है. साथ ही, आसपास के पर्यावरण और खाद्य आपूर्ति पर लंबे समय तक विकिरण का असर रहेगा.
द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में नागासाकी और हिरोशिमा पर अमेरिकी बमबारी और यूक्रेन में 1986 के चेर्नोबिल हादसे के मामले से इस बात की गंभीरता को अच्छी तरह समझा जा सकता है. हमले के बाद के महीनों में, नागासाकी में करीब 60 से 80 हजार और हिरोशिमा में 70 हजार से लेकर 1,35,000 लोग मारे गए.
इन बम विस्फोटों ने, 1986 में चेर्नोबिल हादसे की तुलना में पर्यावरण में लगभग 40 गुना कम विकिरण छोड़ा. हालांकि, विस्फोट के तुरंत बाद के महीनों में हजारों लोगों की मौत हो गई.
फिलहाल, लोग नागासाकी और हिरोशिमा में सुरक्षित रूप से रह सकते हैं. उन्हें विकिरण का डर नहीं है, लेकिन चेर्नोबिल क्षेत्र अब भी रेडियोधर्मी और निर्जन इलाका बना हुआ है. वहां लोग नहीं रह सकते हैं.
जापानी शहरों पर परमाणु हमले की वजह से वहां ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) के मामले तेजी से बढ़े, खासकर बच्चों में. वहीं, अन्य तरह के कैंसर के मामले भी बढ़े, लेकिन इससे प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी.
विकिरण का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है. कुछ अध्ययनों में बताया गया है कि प्रभावित इलाके में विस्फोट के समय मौजूद बच्चों के सिर के आकार छोटे हो जाते हैं, शारीरिक विकास धीमा हो जाता है, और वे मानसिक रूप से भी कमजोर होते हैं. हालांकि, कई अन्य शोध में बताया गया है कि बमबारी के बाद गर्भधारण करने वाली महिलाओं के बच्चों के मामलों में ऐसा नहीं था.
ज्यादा घातक हैं मौजूदा परमाणु हथियार
हथियार विशेषज्ञ सामरिक (टेक्टिकल) और रणनीतिक परमाणु हथियारों के बीच अंतर करते हैं. वे कहते हैं कि सामरिक हथियार कुछ ही दूरी तक मार कर सकते हैं और लड़ाई जीतने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. वहीं, रणनीतिक हथियार लंबी दूरी तक मार कर सकते हैं और युद्ध जीता सकते हैं.
हिरोशिमा और नागासाकी में इस्तेमाल किए गए बमों को उस समय का रणनीतिक हथियार माना गया था. इन हथियारों की बदौलत युद्ध जीता गया. हालांकि, स्पाउल्डिंग ने कहा कि हाल के दशकों में परमाणु हथियारों की क्षमता इस हद तक बढ़ गई है कि द्वितीय विश्वयुद्ध को खत्म करने के लिए जिस रणनीतिक हथियार का इस्तेमाल किया गया था उसकी तुलना में आज के सामरिक हथियार ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा, "आज के दौर में मौजूद कई हथियार हिरोशिमा और नागासाकी में इस्तेमाल किए गए हथियार की तुलना में काफी ज्यादा घातक हैं. असर के मामले में वे 80 गुना तक ज्यादा शक्तिशाली हैं.”
इसलिए, नागासाकी और हिरोशिमा के साथ तुलना करके, यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि अगर आज की तारीख में परमाणु हमला होता है, तो उसका कितना भयावह असर होगा. हालांकि, इस असर के अनुमान को समझने का प्रयास किया गया है.
खाद्य आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने से मारे जाएंगे लाखों लोग
न्यू जर्सी स्थित स्टीवंस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में विज्ञान और परमाणु हथियारों के इतिहासकार एलेक्स वेलरस्टीन ने असर की तुलना के लिए न्यूकेमैप नामक एक वेबसाइट बनाई है. यहां जमीन पर और आकाश में किए जाने वाले विस्फोट के असर की तुलना की गई है.
इसके बाद, नेचर फूड पत्रिका में अगस्त महीने में छपे एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि अगर अमेरिका और रूस के बीच एक सप्ताह के लिए रणनीतिक परमाणु हथियारों का युद्ध छिड़ जाता है, तो पर्यावरण, जनसंख्या और वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर क्या असर होगा.
अध्ययन के लेखकों के अनुमान के मुताबिक, 36 करोड़ लोग तुरंत मारे जाएंगे. युद्ध के दो साल बाद, पांच अरब लोग भूख से मर जाएंगे. विस्फोट की वजह से काफी ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होगा और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पूरी तरह बाधित हो जाएगी.
शोधकर्ताओं ने परमाणु युद्ध के अन्य मॉडल के जरिए भी अलग-अलग तरह के असर का अनुमान लगाया है. उदाहरण के लिए, अगर भारत और पाकिस्तान के बीच 2025 में एक सप्ताह तक परमाणु युद्ध होता है, तो कैसा मंजर होगा. इन दोनों एशियाई देशों के पास अमेरिका और रूस की तुलना में कम परमाणु हथियार हैं, लेकिन इसके बावजूद यह अनुमान लगाया गया कि 16.4 करोड़ लोग तुरंत मारे जाएंगे और युद्ध के दो साल बाद 2.5 अरब लोग भूख से मर जाएंगे.
अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर एलन रोबॉक नेचर पत्रिका में छपे अध्ययन के लेखकों में से एक हैं. पहले के शोध में, रोबॉक ने अनुमान लगाया कि हिरोशिमा और नागासाकी में विस्फोट की वजह से 0.5 टेराग्राम धुंए का उत्सर्जन हुआ था. अगर अमेरिका और रूस के बीच युद्ध होता है, तो करीब 150 टेराग्राम धुंए का उत्सर्जन होगा. भारत और पाकिस्तान के मामले में 16 से 47 टेराग्राम धुंए का उत्सर्जन होगा.
रोबॉक ने कहा कि अध्ययन में रणनीतिक हथियारों के प्रभाव के आधार पर अनुमान लगाया गया है. उन्होंने डॉयचे वेले से कहा, "परमाणु हथियार के किसी भी तरह के इस्तेमाल से रूस और नाटो का युद्ध पूरी तरह से परमाणु युद्ध में तब्दील हो जाएगा और यह परमाणु सर्दी पैदा करेगा. एक बार परमाणु युद्ध शुरू होने के बाद इसके रूकने की संभावना नहीं होती है. आतंक, भय, और गलत जानकारी की वजह से सैन्य कमांडर अपने पास मौजूद परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं.” (dw.com)
50 साल बाद, एक बार फिर चंद्रमा पर इंसानी कदम पड़ेंगे. इसके लिए तैयारी की जा रही है. चांद पर गांव बसाने के अभियान के पहले कदम के रूप में आर्तेमिस 1 कार्यक्रम के मानव-रहित अंतरिक्ष यान का लॉन्च पहला कदम है.
डॉयचे वैले पर फ्रेड श्वालर की रिपोर्ट-
आर्तेमिस 1 एक मानव-रहित टेस्ट मिशन है. 1971 के अपोलो 17 मिशन के बाद चंद्रमा पर उतरने की ओर ये पहला कदम है. मंगल के अनुसंधान की दिशा में चंद्रमा पर बस्ती बसाना महत्वपूर्ण है. क्योंकि अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह को, मंगल की ओर लंबे सफर के दौरान रिलॉन्च के एक ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं.
नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) का ये साझा आर्तेमिस कार्यक्रम इस बात को रेखांकित करेगा कि पिछली आधा सदी में अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में क्या कुछ बदला है.
1972 में चांद पर उतरने के ऐतिहासिक पल के बाद से काफी कुछ बदल चुका है. स्वप्न और प्रौद्योगिकी अब ज्यादा उच्चीकृत हो चुके हैं. आर्तेमिस की योजना, इंसानों को 2025 में चंद्रमा पर उतारने की है और उसके बाद के वर्षो में चंद्रमा की उड़ानों से एक ज्यादा स्थायी बस्ती के निर्माण की है.
ईएसए में एयरोस्पेस इंजीनियर युर्गेन शुल्त्स ने डीडब्लू को बताया कि "शुरुआत में, लोग सिर्फ एक सप्ताह के लिए ही चांद पर जाएंगे, लेकिन भविष्य के आर्तेमिस अभियान लोगों को वहां एक दो महीनों के लिए टिका पाएगा." आर्तेमिस अभियान में पहली बार औरतें और अश्वेत लोग भी चंद्रमा पर उतरेंगे.
आर्तेमिस कार्यक्रम क्या है?
आने वाला लॉन्च उन छह अभियानों में से पहला होगा जो 2028 तक के लिए प्लान किए गए हैं. आर्तेमिस 1 के ओरियन अंतरिक्षयान में इंसान नहीं होंगे, ये विशुद्ध रूप से एक सुरक्षा टेस्ट अभियान होगा. लेकिन आगामी अभियान में लोग शामिल होंगे.
अंतरिक्ष कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने की कोशिशों के एक हिस्से के रूप में आर्तेमिस कार्यक्रम 2017 में शुरू हुआ था. नासा और ईएसए इस कार्यक्रम में भागीदार हैं, दूसरे कई देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां भी इसमें शामिल हैं.
शुल्त्स कहते हैं, "हम लोग अंतरिक्ष में इंसानों की पहुंच का दायरा बढ़ाना चाहते हैं. चंद्रमा हमारा सबसे करीबी पड़ोसी है. वहां शोध के लिए संसाधन और खूबियां मौजूद हैं. लेकिन हमारे लिए आर्तेमिस प्रोग्राम मुख्य रूप से अंतरिक्ष में अपना पहला कदम जमाने के बारे में है."
यूनानी मिथको में अपोलो की जुड़वा बहन और चंद्रमा की देवी आर्तेमिस के नाम पर नासा ने इस कार्यक्रम का नाम रखा है. अभियान को मूल रूप से 29 अगस्त को केनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरनी थी लेकिन वो लॉंच, ईंधन रिसाव और इंजन से जुड़ी तकनीकी खराबियों की वजह से रद्द कर दिया गया. दूसरी तारीख भी टल गई थी.
अब आर्तेमिस कार्यक्रम लॉंच हो चुका है, जिसके तहत 26 और 42 दिनों के बीच चंद्रमा की ओर ओरियोन अंतरिक्षयान रवाना किया जाएगा.
उन दिनों में से कम से कम छह दिन चंद्रमा की दूरस्थ कक्षा में बिताए जाएंगे, उसके बाद अंतरिक्षयान प्रशांत महासगार में जा गिरेगा. आर्तेमिस का मानवरहित ओरियोन अंतरिक्षयान पृथ्वी पर लौटने से पहले चंद्रमा के एक या दो चक्कर लगाएगा.
आगामी मानवयुक्त अंतरिक्षयानों का परीक्षण
शुल्त्स के मुताबिक, इस लॉंच का लक्ष्य, ओरियोन की सुरक्षा और भविष्य के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों के स्पेस लॉन्च सिस्टम को प्रमाणित करने का है.
वो कहते हैं, "आर्तेमिस चंद्रमा पर इंसानों को भेजने का कार्यक्रम है. आर्तेमिस 1 पहला मिशन होगा, जो लोगों को वहां ले जाने के लिए परिवहन विधियों का परीक्षण करेगा."
ओरियोन आंशिक रूप से दोबारा इस्तेमाल होने वाला अंतरिक्षयान है जिस पर सौर पैनल लगे हैं और एक स्वचालित डॉकिंग सिस्टम है. इनके अलावा प्राइमेरी और सेकेंडरी रिपल्शन इंजिन भी इसमें लगे हैं जो अंतरिक्षयान को पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकालकर चंद्रमा की ओर ले जाएंगे.
ईएसए की अंतरिक्ष उड़ान की तकनीक विकसित करने में एयरबस जैसी यूरोपीय कंपनियों की केंद्रीय भूमिका रही है. ओरियोन अपने साथ, सिर्फ छह अंतरिक्षयात्री ही ले जा सकता है. आर्तेमिस 1 में दो पुतले, हेल्गा और जोहर उड़ान भरेंगे, उनमें रेडिएशन (विकिरण) की माप करने वाले सेंसर लगे होंगे.
लोग चांद पर कबसे रहने लगेंगे?
आर्तेमिस का लंबी अवधि का लक्ष्य है मंगल में बस्ती बसाना. शुल्त्स कहते हैं कि चंद्रमा, मंगल के अनुसंधानों की बाहरी चौकी की तरह काम कर सकता है. पहला चंद्रमा लैंडिग पैड- आर्तेमिस बेस कैंप – इस दशक के अंत तक बना दिए जाने का प्रस्ताव है.
चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन और रूसी संघीय अंतरिक्ष एजेंसी, रोस्कोसमोस ने 2030 के दशक के शुरू में अपना खुद का चंद्रमा बेस बनाने का प्रस्ताव दिया है. उसका नाम होगा अंतरराष्ट्रीय चंद्र शोध स्टेशन.
चंद्रमा पर स्थित ठिकाना दो महीने तक अभियानों को मदद देगा और प्रौद्योगिकियों और जीवन स्थितियों को सर्वाधिक उपयुक्त बनाने के लिए एक दूरस्थ चौकी के रूप में काम करेगा. अंतरिक्षयात्री एक सप्ताह से भी कम समय में चांद पर पहुंचेगे.
ये अवधि दिलचस्प है- खासकर ये देखते हुए कि 200 साल पहले ही, अमेरिकी भूगोल तक पहुंचने में यूरोपीय उपनिवेशको को चार सप्ताह तक का समय लगा था.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी में पदार्थ विज्ञानी आइडन काउले बताते है कि दूसरे ग्रहों पर रहने के लिए जरूरी प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों का परीक्षण चंद्रमा पर किया जाएगा.
उन्होंने डीडब्लू को बताया, "चंद्रमा पर पर्यावरण बड़ा रूखा और कठोर है. अंतरिक्षयात्रियों को रेडिएशन यानी विकिरण से बचाना भी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. रेडिएशन को रोकने के लिए, हम लोग रिगोलिथ (चंद्र धूल) की ईंटों से रिहाइशी ठिकाने बनाने पर विचार कर रहे हैं."
संसाधनों के प्रबंधन, विकिरण से सुरक्षा और ऊर्जा उत्पादन और उपयोग से जुड़ी प्रणालियों का परीक्षण चांद पर किया जाएगा और फिर उन्हें मंगल पर लाया जाएगा. मंगल तक पहुंचने में छह महीने लगते हैं, लिहाजा चंद्र अभियान एक ज़्यादा सुगम परीक्षण स्थल मुहैया कराता है.
आइडन काउली कहते हैं, "नये उपकरणों का "फोनिंग होम” नहीं हो पाएगा यानी वे मुख्य सर्वर से नहीं जुड़ पाएंगे और ना ही उनसे सूचना निकाली जा सकेगी. लेकिन चांद पर उपलब्ध सामग्रियों से ही औजारों और उपकरणों के 3डी प्रिंट निकाले जा सकते हैं."
(dw.com)
जर्मन फुटबॉल, बुंडेसलीगा में अंडकोषीय कैंसर के चार मामले, हाल में सामने आए हैं. क्या ये संयोग है? या ये बीमारी इस खेल से जुड़ी है? विशेषज्ञों के पास इसका स्पष्ट जवाब है.
डॉयचे वैले पर योर्ग श्ट्रोह्शाइन की रिपोर्ट-
टिमो बाउमगार्टल (यूनियन बर्लिन) और मार्को रिष्टर (हेर्था बर्लिन) की हालत में सुधार है और वे मैदान में लौट आए हैं. लेकिन बोरुसिया डॉर्टमुंड के सेबेस्टियान हालर और हेर्था बर्लिन टीम के ही ज्यां-पॉल बोइटियस का इलाज जारी है. हालर का दूसरा ऑप्रेशन भी हो चुका है. क्या अंडकोषीय कैंसर के ये चार मामले महज संयोग है? या इस बीमारी का पेशेवर फुटबॉल से कोई संबंध है?
खेल फिजीशियन विलहेल्म ब्लॉख ने डीडब्लू को बताया, "ये घटना संयोग भी हो सकती है."
ब्लॉख खेल विशेषज्ञ चिकित्सक हैं और वे कई वर्षों से खेल और कैंसर पर शोध कर रहे हैं. वो जर्मन खेल यूनिवर्सिटी कोलोन में कार्यरत हैं. उन्होंने कहा, "अधिकांश वैज्ञानिक अध्ययन, ट्यूमर जैसा उभार नहीं दिखाते हैं. उनके मुताबिक अंडकोषीय कैंसर अधिकांश युवा पुरुषों को होता है.
फुटबॉल से साइकिल तक
जर्मनी में हर साल अंडकोषीय कैंसर के करीब 4,000 मामले आते हैं, ये बीमारी 20-40 की उम्र वाले पुरुषों में ज्यादा आम है. ब्लॉख कहते हैं कि "फिलहाल इस बात का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि ये बीमारी सिर्फ युवा एथलीटों में ज्यादा आम है."
और वजहें भी होती हैं जैसे कि 6 फुट से भी लंबे युवा पुरुषों में अंडकोषीय कैंसर की आशंका ज्यादा होती है. "इसका संबंध उनकी वृद्धि और मांसपेशियों से हो सकता है."
कैंसर के लिए काफी हद तक आदतें जिम्मेदार
इसके अलावा, पुरुष के अपने हॉरमोनों या बाहर से लिए गए हॉरमोनों से भी बीमारी पनप सकती है. हालांकि ब्लॉख के मुताबिक अंडकोषीय कैंसर की कोई एक खास वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है.
खेल और बीमारी के बीच संभावित सूत्र की खोज में साइक्लिंग को भी देखा गया है.
ब्लॉख कहते हैं, "साइकिल की गद्दी पर बैठने से अंडकोषों पर दरअसल स्थायी दबाव पड़ता है जिससे सूक्ष्म चोटें आ सकती हैं. लेकिन साइकिल चलाने में भी अंडकोषों पर कोई उभार देख पाना मुमकिन नहीं हो पाया है."
वजहें हैं तमाम
ब्लॉख मानते हैं कि दूसरे असरदार कारण भी ज्यादा ध्यान आकर्षित कर सकते हैं.
वो कहते हैं, "कुछ हद तक शरीर का तापमान भी एक कारण है. एथलीटों के शरीर का तापमान अक्सर इतना ज्यादा हो जाता है जो अधिकांश लोगों का नहीं होता है."
इसके अलावा, ब्लॉख कहते हैं, सघन व्यायाम भी हॉर्मोन-संतुलन को बदल देते हैं और युवाओं में बीमारी बढ़ने की आनुवंशिक वजहें भी होती हैं. वह कहते हैं कि वैज्ञानिकों को बीमारी की रोकथाम के तरीके अभी ढूंढने हैं. लेकिन अंडकोषीय कैंसर के मरीजों के लिए डॉक्टरों के पास अच्छी खबर है.
ब्लॉखच के मुताबिक, "अंडकोषीय ट्यूमर असल में जर्म सेल ट्यूमर यानी जनन कोशिका ट्यूमर होते हैं. उनका इलाज आसानी से हो जाता है- खासतौर पर अगर बीमारी का पता जल्द चल जाए. प्रभावित एथलीट कई मामलों में जल्द ही खेल में वापसी कर सकते हैं."
चिंतित खिलाड़ी
वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो अंडकोषीय ट्यूमरों और खेल के बीच फिलहाल कोई संबंध नहीं है. फिर भी बुंडेसलीगा में खिलाड़ियों के बीच चिंता है.
बायेर लेवरकुजेन टीम के डॉक्टर कार्ल-हाइनरिष डिटमार ने डीडब्ल्यू को बताया, "खिलाड़ी इस समय चिंतित है और थोड़ा सहमे हुए भी हैं. इसीलिए ज्यादातर खिलाड़ी अपनी जांच कराने लगे हैं. वैसे युवा पुरुषों में ये कोई दुर्लभ ट्यूमर भी नहीं है."
खिलाड़ियों की नियमित मेडिकल जांच की जाती है, लेकिन बुंडेसलीगा का संचालन करने वाली संस्था, डीएफल के खिलाड़ियों के रूटीनी चेकअप में यूरोलॉजिकल मामले शामिल नहीं होते हैं. डिटमार कहते हैं, "लेवरकुजेन में, हम लोग कूल्हे और जांघों का एमआरआई करते हैं. इस चित्र में अंडकोष भी देखे जा सकते हैं और यहां आप देख सकते हैं कि कुछ उभार बन रहा है. खून में भी ट्यूमर को चिन्हित करने वाले निशान मिलते हैं. जिनका पता ब्लड टेस्ट से किया जा सकता है."
वो कहते हैं, "बीमारी की स्क्रीनिंग हम पर्याप्त ढंग से कर लेते हैं क्योंक हमारे ब्लड टेस्ट के नतीजे बहुत बारीक और व्यापक होते हैं."
2002 में जबसे डिटमार ने लेवेरकुजेन के साथ काम किया है, क्लब में अंडकोषीय कैंसर के मामले नहीं आए हैं. वो मानते हैं कि ताजा मामलों की संख्या बहुत ही कम है और फुटबॉल से उसका कनेक्शन नहीं जोड़ा जा सकता.
डिटमार कहते हैं, "अभी ये संयोग की बात है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि भविष्य में हम सतर्क न रहें." (dw.com)
फिलिपींस, 19 नवंबर । फिलिपींस के अधिकारियों ने कहा है कि सऊदी अरब उन कर्मचारियों को पैसा देगा जिन्होंने वहां अपनी नौकरी गंवा दी थी और बकाये वेतन का सालों से इंतज़ार कर रहे थे.
समाचार एजेंसी एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और फिलिपींस के राष्ट्रपति फर्दिनांद मारकोस की शुक्रवार को बैंकॉक में हुई मुलाकात के बाद ये घोषणा की गई है. दोनों नेताओं की ये मुलाकात एशिया-पैसिफिक समिट के दौरान हुई थी.
इस घोषणा का असर फिलिपींस के उन दस हज़ार लोगों पर पड़ेगा जो सऊदी अरब में नौकरी करते थे और सालों पहले उनकी छंटनी हो गई थी.
फिलिपींस के प्रवासी मजदूरों के मामलों के सेक्रेटरी सुज़ैन ओपले ने बताया कि 532 मिलियन डॉलर के इस राहत पैकेज से हमारे विस्थापित कर्मचारियों को मदद मिलेगी. फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है कि दूसरे देशों के ऐसे ही अन्य कर्मचारियों को भी क्या कोई रकम मिलेगी.
राष्ट्रपति फर्दिनांद मारकोस ने कहा, "ये अच्छी खबर है. प्रिंस सलमान ने मुझसे कहा कि ये उनकी तरफ़ से हमारे लिए तोहफ़ा है."
साल 2015 में तेल कीमतों की गिरावट के बाद सऊदी अरब आर्थिक संकट की चपेट में आ गया था जिसकी वजह से कंस्ट्रक्शन कंपनियों को बड़ी संख्या में विदेशी कर्मचारियों को काम से हटाना पड़ा था. (bbc.com/hindi)
सियोल (दक्षिण कोरिया), 19 नवंबर। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की बेटी पहली बार सार्वजनिक रूप से नजर आई। किम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण देखने पहुंचे थे तथा इस दौरान उनकी पत्नी और बेटी भी उनके साथ थी।
नॉर्थ कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने कहा कि किम ने अपनी पत्नी री सोल जू और "प्यारी बेटी" के साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ह्वासांग-17 का परीक्षण देखा।
मुख्य रोडोंग सिनमुन अखबार ने तस्वीरें प्रकाशित कीं जिनमें किम अपनी बेटी के साथ मिसाइल का परीक्षण देखते नजर आ रहे हैं। इन तस्वीरों में किम की बेटी सफेद रंग की जैकेट और लाल जूते पहने हुए दिखती है।
उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने पहली बार किम की बेटी का उल्लेख किया है या उसकी तस्वीरें सार्वजनिक की हैं। केसीएनए ने किम की बेटी के नाम और उम्र के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। (एपी)
ईरान में प्रदर्शनकारियों ने इस्लामिक रिपब्लिक के संस्थापक अयातुल्लाह रुहोल्ला खोमैनी के पुश्तैनी घर को आग लगा दी. सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही तस्वीरों में साफ़ देखा जा सकता है कि खोमैन शहर में स्थित इस बिल्डिंग के एक हिस्से में आग लगाई जा रही है.
समाचार एजेंसियों ने वीडियो की लोकेशन की पुष्टि की है, हालांकि क्षेत्रीय प्रशासन ने किसी भी तरह के हमले से इनकार किया है. कहा जाता है कि अयातुल्लाह खोमैनी इसी घर में पैदा हुए थे और अब इसे म्यूज़ियम में तब्दील कर दिया गया है.
खोमैनी 1979 में ईरान की इस्लामिक क्रांति के नेता थे, जिन्होंने देश में पश्चिमी देशों के लिए हमदर्दी रखने वाले नेता शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी को पद से हटा दिया था और इस्लामिक रिपब्लिक की शुरुआत की.
वो साल 1989 में अपने निधन तक ईरान के सुप्रीम लीडर रहे. उनके निधन पर हर साल एक दिन राष्ट्रीय शोक मनाया जाता है.
खोमैन से सोशल मीडिया पर आ रहे वीडियो में दर्जनों लोगों को जोश के साथ नारेबाज़ी करते देखा जा सकता है. एक एक्टिविस्ट नेटवर्क का कहना है कि ये वीडियो गुरुवार शाम के हैं.
हालांकि खोमैन के प्रेस ऑफिस ने किसी भी तरह के हमले से इनकार किया है.
अर्ध सरकारी तसनीम समाचार एजेंसी ने कहा कि कुछ लोग घर के बाहर जमा हुए थे और बाद में घर के वीडियो शेयर करके बताया कि ‘‘घर पर्यटकों और खोमैनी के चाहने वालों के लिए खुला हुआ है.’’
एजेंसी ने कहा, "महान क्रांति के दिवंगत संस्थापक के घर के दरवाज़े आम जनता के लिए खुले हैं."
खौमैनी के पुश्तैनी घर पर हुआ हमला ईरान में लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों और घटनाओं में से एक है जो उनके उत्तराधिकारी अयातोल्लाह खामेनेई और उनकी सरकार के विरोध में हो रहे हैं.
ईरान में सुप्रीम लीडर की अगुवाई वाली सरकार के विरोध में प्रदर्शन करीब दो महीने पहले शुरू हुए थे जब हिजाब के नियमों का पालन न करने वाली महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी.
ईरान के सरकारी मीडिया के मुताबिक, हालिया संघर्षों में गुरुवार को पांच सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई है.
इस बीच कथित तौर पर सुरक्षाबलों के द्वारा मारे गए ईरानी युवाओं का अंतिम संस्कार शुक्रवार को हुआ.
दक्षिण-पश्चिमी शहर इज़ेह में नौ साल के बच्चे के अंतिम संस्कार में जमा हुए लोगों ने खामेनेई के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की. परिवार का आरोप है कि सुरक्षाबलों ने उनके बच्चे को गोली मारी है. हालांकि प्रशासन इससे इनकार कर रहा है. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 18 नवंबर। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की हत्या की एक और कोशिश किये जाने की संभावना है।
अदालत ने जोर देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पर मंडराते खतरे का संज्ञान लेना सरकार की जिम्मेदारी है।
मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक की यह टिप्पणी खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ द्वारा आयोजित प्रदर्शन के कारण मार्ग अवरूद्ध किये जाने के सिलसिले में व्यापारियों द्वारा दायर एक याचिका के मद्देनजर आई है।
डॉन अखबार की खबर के अनुसार, न्यायाधीश ने अदालत में सौंपी गई एक खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि खान पर एक और जानलेवा हमला होने की संभावना है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सरकार की जिम्मेदारी है और सरकार को इस विषय पर विचार करना है।’’
न्यायमूर्ति फारूक ने कहा कि खान की पार्टी को इस्लामाबाद प्रशासन को एक नयी अर्जी देकर अपने मार्च के लिए अनुमति मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि मुद्दे का समाधान नहीं होता है तो एक नयी याचिका दायर की जा सकती है।’’ उन्होंने कहा कि धरने के लिए जगह आवंटित करना अदालत की जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रशासन का विवेकाधिकार है कि वह डी-चौक या एफ-9 पार्क आवंटित करना चाहता है।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने भी यही कहा था।’’
पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय ने खान के विरोध मार्च को रोकने का अनुरोध करने वाली एक याचिका खारिज करते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है और इसका राजनीतिक रूप से समाधान होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश फारूक ने कहा कि प्रदर्शन करना हर राजनीतिक और गैर राजनीतिक दल का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन आम नागरिकों के अधिकारों को बरकरार रखना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि ब्रिटेन में लोग 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर जमा होते हैं। वे प्रदर्शन करते हैं, लेकिन सड़क अवरूद्ध नहीं करते। ’’ उल्लेखनीय है कि यह स्थान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास है।
न्यायमूर्ति फारूक ने खान की पार्टी के वकील से कहा, ‘‘जब उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वे मार्च को नहीं रोक सकते, तब आपने जी टी रोड और अन्य मार्गों को अवरूद्ध कर दिया।
सुनवाई 22 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।
उल्लेखनीय है कि खान (70) के काफिले पर तीन नवंबर को वजीराबाद में एक मार्च के दौरान हमला किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री इस हमले में पैर में गोली लगने से घायल हो गये।
क्रिकेटर से नेता बने खान देश में आम चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। उनके मार्च के नवंबर के आखिरी हफ्ते में इस्लामाबाद पहुंचने की उम्मीद है। खान ने घोषणा की है कि वह रावलपिंडी में मार्च में शामिल होंगे। (भाषा)
शुक्रवार को जारी किए गए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के मसौदे में सरकार ने इसके प्रस्तावित प्रावधानों का उल्लंघन पर जुर्माने की रकम 500 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी है.
साल 2019 में इस क़ानून का जो मसौदा जारी किया गया था, उसमें 15 करोड़ रुपये या कंपनी के ग्लोबल टर्न ओवर के चार फ़ीसदी तक के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया था.
इस विधेयक के मसौदे में एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ़ इंडिया के गठन का प्रस्ताव दिया गया है जो बिल के प्रावधानों के तहत अपना काम करेगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बिल के मसौदे में कहा गया है, "किसी व्यक्ति द्वारा क़ानून का अनुपालन न किए जाने की सूरत में जांच के बाद अगर बोर्ड ये पाता है कि मामला गंभीर है तो वह उस व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का मौका देने के बाद उस पर ऐसी पेनाल्टी लगा सकता है जो हरेक मामले में 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा नहीं होगा."
मसौदे में ग्रेडेड पेनाल्टी सिस्टम का भी प्रस्ताव रखा गया है. यानी वो कंपनी जो लोगों की निजी जानकारी को इकट्ठा करती है और दूसरा वो जो उसकी तरफ़ से डेटा प्रोसेस करेगी, दोनों कंपनियों की डेटा ब्रीच होने पर अलग-अलग जिम्मेदारी होगी.
मसौदे में डेटा फिडुसियरी और डेटा प्रोसेसर कंपनी दोनों पर 250-250 करोड़ रुपये जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है. (bbc.com/hindi)
ट्विटर ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि कंपनी के दफ़्तर को तत्काल प्रभाव और अस्थाई रूप से बंद किया जा रहा है.
बीबीसी ने कंपनी स्टाफ़ को भेजे गए ट्विटर के मेल को देखा है. इसमें बताया गया है कि ऑफ़िस 21 नवंबर, सोमवार को खोला जाएगा.
कंपनी ने इस फ़ैसले की कोई वजह नहीं बताई है. ट्विटर की ओर से ये घोषणा उन रिपोर्टों के बाद हुई है जिनमें ये कहा जा रहा था कि नए मालिक एलन मस्क की ओर से ये कहे जाने के बाद कि उन्हें ज़्यादा देर तक कड़ी मेहनत करनी होगी अन्यथा वे जा सकते हैं, बड़ी संख्या में स्टाफ़ कंपनी छोड़ कर जा रहे हैं.
इस मैसेज में कहा गया है, "कृपया कंपनी की नीतियों का पालन करते रहें. कंपनी की गोपनीय जानकारी सोशल मीडिया या प्रेस या कहीं और चर्चा करने से परहेज करें."
ट्विटर की इस जानकारी के बाद बीबीसी को कंपनी की तरफ़ से फौरन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. इस हफ़्ते ऐसी रिपोर्टें आई थीं कि एलन मस्क ने कंपनी के स्टाफ़ को कहा है कि उन्हें अधिक घंटों तक काम करने की प्रतिबद्धता देनी होगी और उन्हें ज़्यादा मेहनत करने की ज़रूरत है, नहीं तो लोग कंपनी छोड़कर जा सकते हैं.
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के नए मालिक ने स्टाफ़ से कहा है कि अगर वे रुकना चाहते हैं तो उन्हें इसका वादा करना होगा.
एलन मस्क ने कहा है कि जो लोग 17 नवंबर तक इसका इकरारनामा नहीं दे पाएंगे, उन्हें तीन महीनों का वक्त और कंपनी छोड़ने का मुआवजा दिया जाएगा. इस महीने की शुरुआत में कंपनी ने कहा था कि वो अपने कुल स्टाफ़ में लगभग 50 फ़ीसदी तक की कटौती करने जा रही है. (bbc.com/hindi)
जाबालिया शरणार्थी शिविर (गाजा पट्टी), 18 नवंबर। गाजा पट्टी में जन्मदिन की पार्टी के दौरान एक अपार्टमेंट में आग लगने की घटना में मरने वालों में एक ही परिवार के 17 सदस्य शामिल हैं। एक रिश्तेदार ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
हमास के नियंत्रण वाले गाजा में अधिकारियों ने बताया है कि जाबालिया शरणार्थी शिविर में तीन मंजिला एक आवासीय इमारत में आग लगने की वजह वहां रखी गैसोलीन बताई जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि गैसोलीन में आग कैसे लगी। उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच की जा रही है।
अधिकारियों ने मरने वालों की संख्या 21 बताई है। उन्होंने बताया कि आग से इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल नष्ट हो गई।
उन्होंने बताया कि यह अर्पाटमेंट अबू राया परिवार का है।
परिवार के प्रवक्ता मोहम्मद अबू राया ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि एक बच्चे की जन्मदिन पार्टी के लिए परिवार के लोग एकत्र हुए थे।
अबू राया ने बताया कि मारे गए लोगों में अबू रयास की तीन पीढ़ियों से के सदस्य शामिल हैं जिनमें एक दंपती, उनके पांच बेटे, दो पुत्र-वधू और आठ पोते। शेष पीड़ितों की पहचान तत्काल ज्ञात नहीं हो पाई है।(एपी)
न्यूयॉर्क, 18 नवंबर। ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने कहा है कि सोशल मीडिया कंपनी के भविष्य को लेकर वह बहुत ज्यादा चिंतित नहीं हैं क्योंकि सर्वश्रेष्ठ लोग कंपनी के साथ हैं। दरसअल मस्क ने जो समयसीमा दी थी उसका पालन करते हुए सैकड़ों कर्मचारी कंपनी छोड़ चुके हैं।
ट्विटर ने संदेश भेजकर कर्मचारियों से कहा था कि अगले कुछ दिन के लिए वह कार्यालय भवनों को बंद कर रही है। जिसके बाद अनेक कर्मचारियों ने कंपनी छोड़ दी थी।
कंपनी के एक उपयोगकर्ता ने ट्वीट करके मस्क से पूछा था ‘‘लोगों का कहना है कि ट्विटर बंद होने वाला है, इसका क्या मतलब है।’’ इसके जवाब में मस्क ने ट्वीट किया, ‘‘सर्वश्रेष्ठ लोग ट्विटर में रूक रहे हैं। मुझे खास चिंता नहीं है।’’
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मस्क ने कर्मचारियों को यह तय करने के लिए बृहस्पतिवार शाम पांच बजे तक कि समयसीमा दी थी कि वे ट्विटर छोड़ना चाहते हैं या कंपनी में रहना चाहते हैं। जिसके बाद सैकड़ों कर्मचारियों ने कंपनी को अलविदा कहने और तीन महीने की क्षतिपूर्ति लेने का निर्णय लिया।
इसमें बताया गया कि ट्विटर ने भी ईमेल के जरिए घोषणा की कि वह सोमवार तक के लिए अपने कार्यालय भवनों को बंद रखेगी और कर्मचारियों को प्रवेश की अनुमति भी नहीं दी जाएगी। इसके अलावा मस्क और उनके सलाहकार कुछ महत्वपूर्ण कर्मचारियों को कंपनी छोड़ने से रोकने के लिए बैठक करेंगे। (भाषा)
इम्फाल, 18 नवंबर मणिपुर सरकार ने अगले साल अप्रैल में ‘फेमिना मिस इंडिया 2023 ग्रैंड फिनाले’ के 59वें संस्करण की मेजबानी के लिए ‘टाइम्स ग्रुप’ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और ‘टाइम्स ग्रुप’ के प्रबंधक निदेशक इस मौके पर मौजूद थे।
समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘ यह पहली बार है जब प्रतिष्ठित प्रतियोगिता पूर्वोत्तर में आयोजित होने जा रही है। यह मणिपुर में निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है।’’
मणिपुर सरकार के पर्यटन विभाग और मिस इंडिया प्रतियोगिता के आयोजकों के बीच यह समझौता किया गया है। (भाषा)
न्यूयॉर्क, 18 नवंबर प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी शिक्षाविद सुनील कुमार को मैसाचुसेट्स स्थित टफ्ट्स विश्वविद्यालय का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले गैर श्वेत व्यक्ति हैं। विश्वविद्यालय की ओर से बृहस्पतिवार को जारी बयान में यह जानकारी दी गई।
बयान के मुताबिक अभी तक जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय में शैक्षणिक मामलों के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रोवोस्ट के पद पर कार्यरत कुमार को टफ्ट्स विश्वविद्यालय के न्यासी बोर्ड की ओर से अगला अध्यक्ष नामित किया गया है।
इसमें कहा गया है कि वह टफ्ट्स विश्वविद्यालय के 14वें अध्यक्ष के रूप में एक जुलाई, 2023 को मौजूदा अध्यक्ष एंथनी मोनाको का स्थान लेंगे।
बयान में कहा गया कि कुमार इस पद पर आसीन होने वाले पहले गैर श्वेत व्यक्ति होंगे। न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष और ‘प्रेसिडेंशियल सर्च कमेटी’ के अध्यक्ष पीटर डोलन ने कहा किएक नेतृत्वकर्ता, शिक्षक और सहयोगी के रूप में कुमार का असाधारण रूप से मजबूत रिकॉर्ड है।
भारत में जन्मे कुमार एक पुलिस अधिकारी के बेटे हैं और इसके पहले वह ‘यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस’ के डीन रह चुके हैं। कुमार ने मंगलूरु विश्वविद्यालय से इंजीनिरिंग में स्नातक किया और बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएस) से कम्यूटर साइसं एंव ऑटोमेशन में परास्नातक की डिग्री हासिल की।
कुमार ने वर्ष 1996 में इलिनोइस विश्वविद्यालय से पीएचडी किया। कुमार के शैक्षणिक करिअर की शुरुआत स्टैनफोर्ड ग्रैजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से हुई, जहां उन्होंने 12 साल तक अध्यापन कार्य किया।
कुमार ने अपने बयान में कहा कि नये अध्यक्ष के रूप में उनकी प्राथमिकता ऐसी राह विकसित करने की होगी कि अधिक से अधिक संसाधनों को सुनिश्चित करके टफ्ट्स को यथा संभव आर्थिक रूप से वहनीय बनाया जा सके।
टफ्ट्स की वेबसाइट पर अपने एक वीडियो पोस्ट में कुमार ने कहा कि यदि इलिनोइिस यूनिवर्सिटी में स्नातक छात्र रहने के दौरान उन्हें पूर्ण आर्थिक मदद नहीं मिली होती तो उन्हें यह पद अपने जीवन में कभी हासिल नहीं होता । (भाषा)
संयुक्त राष्ट्र ने सीओपी27 शिखर सम्मेलन के आधार पर तैयार की गई संधि का पहला मसौदा सार्वजनिक किया है. सभी जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद ना करने की भारत और यूरोपीय संघ की अपील को मान लिया गया है.
संयुक्त राष्ट्र की जलवायु संस्था ने इस मसौदे को फिल्हाल "नॉन-पेपर" का नाम दिया है, जो इस बात का संकेत है कि यह अंतिम संस्करण नहीं है. इसमें पिछले साल की ग्लासगो जलवायु संधि के लक्ष्य को दोहराया गया है.
यह लक्ष्य "अनियंत्रित कोयला आधारित बिजली के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के कदमों को तेज करने और जीवाश्म ईंधनों से जुड़ी बेअसर सब्सिडियों को कम करने और धीरे धीरे खत्म करने" के विषय में है.
भारत का अनुरोध
इस दस्तावेज में सभी जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की मांग नहीं की गई है. भारत और यूरोपीय संघ ने ऐसा ना करने का अनुरोध किया था, जिसे मंजूर कर लिया गया है. मसौदे में घाटे और नुकसान के लिए एक कोष की स्थापना करने के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं है.
यह द्वीप देशों जैसे अधिकांश जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील देशों की एक प्रमुख मांग थी. मसौदे में बस इस बात का "स्वागत" किया गया है कि पहली बार सभी पक्षों ने माना कि शिखर सम्मलेन के एजेंडा पर "घाटे और नुकसान के प्रति फंडिंग से संबंधित मामलों" को शामिल किया जाए.
इसमें यह तय करने की किसी समय-सीमा का जिक्र नहीं है कि अलग से एक कोष बनाया जाना चाहिए या नहीं या उसका प्रारूप कैसा हो. ऐसा करने से वार्ताकारों को इस विवादास्पद विषय पर काम करते रहने के लिए और समय मिल गया.
मसौदे में पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर स्तर पर हर कोशिश की अहमियत पर जोर दिया गया है. यह लक्ष्य है वैश्विक औसत तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से दो डिग्री सेल्सियस तक नीचे रखना और पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस तकसीमित करने की कोशिश करना.
मसौदा इन विषयों को अंतिम संधि में शामिल करने के करीब 200 देशों के प्रतिनिधियों के अनुरोधों पर आधारित है. यह आने वाले दिनों में उस बातचीत का आधार बनेगा जिससे अंतिम संधि को मुकम्मल रूप दिया जाएगा.
सीके/एए (रॉयटर्स)
इटली के कैथोलिक चर्च ने नाबालिगों और दूसरे लोगों के साथ यौन शोषण पर पहली रिपोर्ट जारी कर दी है. पीड़ितों के वकील का कहना है कि असल संख्या इससे कहीं ज्यादा है और इसके सीमित दायरे को लेकर भी रिपोर्ट की आलोचना की गई है.
41 पन्नों की रिपोर्ट में 2020-21 से जुड़े मामलों का ब्यौरा है. एक और रिपोर्ट का वादा किया गया है जिसमें साल 2000 तक के मामलों का ब्यौरा होगा. हालांकि यह कब जारी होगा इसके बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
पीड़ितों ने इस बारे में विस्तार से पूरी जांच की मांग की है. इसके साथ ही इटली के बाहर फ्रांस और जर्मनी में हुए यौन शोषण के मामलों को भी इसमें शामिल करने की मांग की गई है.
यौन शोषण पर पहली रिपोर्ट
2020-21 की रिपोर्ट में इन सालों के दौरान दर्ज कराये गये मामलों का ब्यौरा है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ये घटनाएं उन्हीं सालों में हुई हों. यह रिपोर्ट उत्तरी इटली में कैथोलिक यूनिवर्सिटी ने तैयार की है. इसमें कहा गया है कि 89 पीड़ितों का शोषण हुआ और शोषण करने वाले 68 लोग थे. इनमें पादरी के साथ ही ऐसे लोग भी थो जो चर्च के लिए काम करते थे या फिर धर्म की शिक्षा देते थे.
इस रिपोर्ट के लिए आंकड़े डायसीज के "लिसनिंग सेंटर" के और जो थोड़े से लोगों ने सामने आ कर शिकायत की है उनसे जुटाये गए हैं. तकरीबन 53 फीसदी मामले हाल के हैं जबकि बाकि पुराने हैं हालांकि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि ये कब हुए.
रिपोर्ट की आलोचना
द अब्यूज नेटवर्क के प्रमुख फ्रांसेस्को जानार्दी का कहना है, "यह बिल्कुल अपर्याप्त और शर्मनाक है." इस संगठन के पास इटली के चर्चों में हुए यौन शोषण का सबसे बड़ा डिजिटल अर्काइव है.
जानार्दी का कहना है, "यह तो पहले से ही शर्मनाक है क्योंकि इसमें केवल साल 2000 के बाद के ही मामलों को लिया जायेगा." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट में शोषण के मामलों की जो संख्या बताई गई है वह उम्मीद से ज्यादा है. जानार्दी ने कहा, "अगर यह संख्या सही है तो यह बहुत ज्यादा है लेकिन असल संख्या इससे भी ज्यादा है." उनका कहना है कि पिछले 22 सालों में यह संख्या कम से कम 2,000 होगी.
चर्च के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को एक प्रेस कांफ्रेंस में जारी किया और इसे सही बताया. आर्कबिशप लोरेंजो गिजोनी ने कहा, "यह तो बस शुरुआत है" उन्होंने उम्मीद जताई है कि रिपोर्टिंग सिस्टम के शामिल होने और पीड़ितों के लिए सहजता होने के बाद और ज्यादा पीड़ित सामने आयेंगे.
शिकायत करना आसान होगा
गिजोनी का कहना है कि इटली के चर्च पीड़ितों के लिए सामने आ कर शिकायत करने को आसान बनाना चाहते हैं. इसमें लिसनिंग सेंटर को चर्च के बाहर बनाने की भी बात है जिससे कि पीड़ितों पर दबाव ना बनाया जा सके.
चर्च के अधिकारियों का कहना है कि वो लिसनिंग सेंटर बना कर पीड़ितों को प्रशासन के पास जाने से नहीं रोकना चाहते बल्कि उन्हें ऐसा करने के लिए बढ़ावा दिया जायेगा.
इटली में पीड़ितों का समूह चर्च के प्रति सालों से निराशा जता रहा है. उन्होंने मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है और वे कम से कम पिछले सदी के कुछ सालों तक के मामलों को इसमें शामिल कराना चाहते हैं. माना जाता है कि सबसे ज्यादा शोषण दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के दौर में हुआ.
जानार्दी का शोषण एक पादरी ने साल 2000 के पहले किया था इसका मतलब है कि उनका मामला अगली रिपोर्ट में भी नहीं आयेगा. दुनिया भर में यौन शोषण के संकट ने रोमन कैथोलिक चर्च के भरोसे को काफी नुकसान पहुंचाया है. इसकी वजह से चर्च को मामला निपटाने के लिए करोड़ों डॉलर भी देने पड़े. कुछ डायोसिज तो इस वजह से दिवालिया भी हो गये.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स)
ट्विटर के कर्मचारियों को इलॉन मस्क के 'हार्डकोर' काम करने के संदेश के बाद कंपनी में कई लोगों ने इस्तीफा दे दिया है. मस्क के आने से पहले कंपनी के 7,500 पूर्णकालिक कर्मचारी थे, जिनमें से अब सिर्फ करीब आधे बाकी रह गए हैं.
इस्तीफों का ताजा दौर मस्क के उस ईमेल के बाद आया जिसमें उन्होंने ट्विटर के कर्मचारियों से कहा था कि या तो वो "हाई इंटेंसिटी" के साथ ज्यादा घंटों तक काम करने के लिए तैयार हो जाएं या बर्खास्तगी भुगतान लेकर नौकरी छोड़ दें.
उन्होंने ईमेल में यह भी कहा था कि ट्विटर को नए रूप में सफल होने के लिए कर्मचारियों को अत्यंत "हार्डकोर" होना पड़ेगा. मस्क ने इस प्रस्ताव के लिए कर्मचारियों को गुरूवार 17 नवंबर के शाम पांच बजे (न्यूयॉर्क समयानुसार) तक की समय सीमा भी दी थी. कई लोगों ने तो ट्वीट कर अपने इस्तीफे की घोषणा की.
कई कर्मचारियों ने कंपनी के मैसेजिंग बोर्ड के बाहर एक निजी मंच पर कंपनी छोड़ने की अपनी योजना की चर्चा की. इस चर्चा में इसका उनके वीजा पर क्या असर पड़ेगा या उन्हें बर्खास्तगी भुगतान मिलेगा या नहीं, जैसे सवाल उठाए गए. ये बातें इसी सप्ताह नौकरी से निकाले गए एक पूर्व ट्विटर कर्मचारी ने बताईं.
कर्मचारी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर यह बताया क्योंकि उन्हें डर है कि अगर उन्हें पहचान लिया गया तो कंपनी उन पर पलटवार करेगी. अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि कितने कर्मचारियों ने मस्क के प्रस्ताव को स्वीकार किया, लेकिन इन ताजा इस्तीफों से यह तो स्पष्ट हो गया कि कंपनी 2022 फीफा विश्व कप से ठीक पहले कर्मचारियों को खो रही है.
विश्व कप के ट्विटर पर सबसे ज्यादा गतिविधि वाले कार्यक्रम होने का अंदेशा है जिसकी वजह से अगर चीजें इधर से उधर हुईं तो ट्विटर के सिस्टम बिगड़ जाएंगे.
एस्थर क्रॉफोर्ड नाम के एक कर्मचारी ने ट्वीट किया, "वो सभी ट्वीप जिन्होंने यह फैसला किया है कि आज ट्विटर में उनका आखिरी दिन होगा, उनके लिए मेरा संदेश है: उतार चढ़ाव के बीच असाधारण टीममेट बने रहने के लिए आपका धन्यवाद. आप इसके बाद क्या करेंगे यह देखने का मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा."
एस्थर कंपनी के सत्यापन सिस्टम की पूरी जांच और मरम्मत पर काम कर रहे हैं और उन्होंने कंपनी के साथ बने रहना स्वीकार किया है. मस्क को ट्विटर के नए मालिक बने तीन सप्ताह भी नहीं हुए हैं और उन्होंने कुल 7,500 पूर्णकालिक कर्मचारियों में से आधों को निकाल दिया है.
साथ ही कंटेंट मॉडरेशन के लिए जिम्मेदार कई कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को भी निकाला है. उन्होंने कंपनी में अपने पहले दिन ही सर्वोच्च अधिकारियों को निकाल दिया था और आने वाले दिनों में बाकियों ने खुद ही कंपनी छोड़ दी.
इसी सप्ताह उन्होंने कुछ ऐसे इंजीनियरों को भी निकालना शुरू किया जिन्होंने कंपनी के अंदर या सार्वजनिक तौर पर उनसे असहमति व्यक्त की.
उसके बाद बुधवार 16 नवंबर की रात उन्होंने बाकी बचे कर्मचारियों को एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से यह एक सॉफ्टवेयर और सर्वर कंपनी है और कर्मचारियों को गुरूवार तक फैसला ले लेना होगा कि उन्हें कंपनी के साथ रहना है या नहीं.
अमेरिका में गुरूवार शाम सात बजे सबसे ज्यादा ट्रेंड करने वाला विषय था "आरआईपीट्विटर". इसके बाद नंबर था "टंबलर", "मास्टोडॉन" और "माईस्पेस" जैसे दूसरे सोशल मीडिया मंचों का. ट्विटर ने टिप्पणी के लिए भेजे गए एक संदेश का जवाब नहीं दिया.
सीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
उत्तर कोरिया, 18 नवंबर । दक्षिण कोरिया ने शुक्रवार को बताया है कि उत्तर कोरिया ने एक बार फिर आईसीबीएम श्रेणी की मिसाइल दागी है. ये मिसाइलें अमेरिका तक मार करने के लिहाज़ से तैयार की गयी हैं.
जापान के कोस्ट गार्ड विभाग ने बताया है कि ये मिसाइल जापानी द्वीप होक्काइदो के पश्चिम में लगभग 210 किलोमीटर दूर समुद्र में गिरी है.
इससे पहले गुरुवार को उत्तर कोरियाई विदेश मंत्री च्वे सन ही ने कहा था कि अगर अमेरिका ने इस क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की योजनाओं को अंजाम दिया तो इसकी कड़ी प्रतिक्रिया मिलेगी.
उत्तर कोरिया ने इसी दिन ने शॉर्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल दागी थी.
ये मिसाइल कंबोडिया में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, दक्षिण कोरियाई नेता यून सुक-योल और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के बीच मुलाक़ात के बाद दागी गयी थी.
बाइडन ने इससे पहले उत्तर कोरिया की भड़काऊ गतिविधियों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि तीनों सहयोगियों के बीच इस समय सबसे ज़्यादा तारमेल है.
पिछले दो महीनों में उत्तर कोरिया ने 50 से ज़्यादा मिसाइलें दागी हैं जिनमें से ज़्यादातर शॉर्ट रेंज की मिसाइलें हैं. लेकिन इन लंबी दूरी वाली मिसाइलों का दागा जाना आम नहीं हैं.
ये मिसाइलें अमेरिका के लिए सीधा ख़तरा पैदा करती हैं क्योंकि ये अमेरिका कहीं परमाणु बम गिराने में सक्षम हैं.
दक्षिण कोरियाई सैन्य अधिकारियों के मुताबिक़, सबसे हालिया आईसीबीएम स्थानीय समयानुसार सुबह 10:15 मिनट पर उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयोंग से दागी गयी थी.
इस मिसाइल ने छह हज़ार किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने के साथ ही एक हज़ार किलोमीटर की दूरी तय की है. इस मिसाइल की स्पीड 22 मैक थी.
जापान के रक्षा मंत्री यासुकाज़ू हमादा ने कहा है कि इस मिसाइल की रेंज अमेरिका तक पहुंचने के लिए पर्याप्त थी और यह पंद्रह हज़ार किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है.
वहीं, जापान के प्रधानमंत्री फुमिया किशिदा ने थाइलैंड में मीडिया को बताया है, “हमने (उत्तर कोरिया को) स्पष्ट कर दिया है कि हम इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं कर सकते.”
उत्तर कोरिया पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी सैन्य गतिविधियों के जवाब में कोरियाई प्रायद्वीप में मिसाइलें दाग रहा है.
इसके साथ ही उत्तर कोरिया एक नये तरह की आईसीबीएम ह्वासॉन्ग 17 तैयार कर रहा है जो इससे पहले टेस्ट की गयी आईसीबीएम से बड़ी है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि ह्वासॉन्ग दागने के पिछले कई प्रयास विफल रहे हैं और उत्तर कोरिया अब तक इसे दागने में सक्षम नहीं हुआ है.
दक्षिण कोरियाई सेना के मुताबिक़, पिछले महीने एक आईसीबीएम उड़ान के दौरान ही असफल हो गए थी. इससे पहले अक्तूबर में उत्तर कोरिया ने जापान के ऊपर पांच सालों में पहली बार बैलेस्टिक मिसाइल दागी थी.
उत्तर कोरिया तमाम आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद 2006 से 2017 तक छह परमाणु परीक्षण कर चुका है और माना जा रहा है कि वह सातवें परीक्षण की तैयारी कर रहा है. और इसके साथ ही वह लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. (bbc.com/hindi)
सैन फ्रांसिस्को, 18 नवंबर | ट्विटर पर ट्विटर को लेकर ही हलचल मची हुई है। सैकड़ो कर्मचारियों ने एलन मस्क द्वारा दी गई समय सीमा से पहले इस्तीफा दे दिया है। गुरुवार शाम 5 बजे से पहले कई कर्मचारियों ने अपने इस्तीफे की घोषणा करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। मस्क के नए कार्य मानदंडों को पूरा करने के लिए गुरुवार की समय सीमा थी।
बड़े पैमाने पर छंटनी के बाद ट्विटर के पास लगभग 3,000 कर्मचारी बचे हैं। मस्क ने कंपनी का अधिग्रहण करने के बाद अपने आधे कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था।
सैन फ्रांसिस्को से सतजीव बनर्जी ने पोस्ट किया, "12 साल बाद मैंने ट्विटर छोड़ दिया है। मेरे पास और मेरे साथियों के पास अतीत और वर्तमान के लिए प्यार के अलावा कुछ भी नहीं है। एक हजार चेहरे और एक हजार दृश्य अभी मेरे दिमाग में चमक रहे हैं - आई लव यू ट्विटर।"
कंपनी के आंतरिक मैसेजिंग प्लेटफॉर्म स्लैक में भी कई कर्मचारियों ने ट्विटर को अलविदा कहा।
द वर्ज की रिपोर्ट के अनुसार, "समय सीमा समाप्त होने के बाद सैकड़ों कर्मचारियों ने ट्विटर के स्लैक में विदाई संदेश पोस्ट करना और इमोजी को सलाम करना शुरू कर दिया।"
ट्विटर के स्लैक में एक कर्मचारी ने पोस्ट किया, "मैंने11 साल से अधिक समय तक ट्विटर में काम किया है। जुलाई में मैं कंपनी में 27वां सबसे अधिक कार्यकाल वाला कर्मचारी था, अब मैं 15वां हूं।"
एक अन्य ने पोस्ट किया, मैं (हां) बटन नहीं दबा रहा हूं। मेरी घड़ी ट्विटर 1.0 के साथ समाप्त होती है। मैं ट्विटर 2.0 का हिस्सा नहीं बनना चाहता।
मस्क ने अपने मेमो में कर्मचारियों को लिखा था कि, आगे बढ़ते हुए एक सफल ट्विटर 2.0 बनाने और तेजी से प्रतिस्पर्धी दुनिया में सफल होने के लिए हमें बेहद कट्टर होने की आवश्यकता होगी।
इस्तीफा देने वाले एक अन्य कर्मचारी ने पोस्ट किया, "लगता है कि मैंने अपने सपनों की नौकरी के भूत को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया? ट्वीप्स, आप विश्वस्तरीय हैं।"
प्लेटफॉर्मर के प्रबंध संपादक जो शिफर ने ट्वीट किया, "ट्विटर ने कर्मचारियों को सतर्क किया है कि तत्काल सभी कार्यालय भवनों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है और बैज एक्सेस को निलंबित कर दिया गया है। इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है।"
उसने ट्वीट किया, "हम यह सुन रहे हैं कि एलोन मस्क और उनकी टीम घबराई हुई है कि कर्मचारी कंपनी में तोड़फोड़ करने जा रहे हैं। इसके अलावा वे अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें किन ट्विटर कर्मचारियों की एक्सेस काटने की जरूरत है।"
शिफर ने कहा कि ट्विटर कार्यालय 21 नवंबर को फिर से खुलेंगे। (आईएएनएस)|
न्यूयॉर्क, 18 नवंबर। अमेजन के कॉरपोरेट कर्मियों की बड़े पैमाने पर छंटनी जारी रहने के बीच कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एंडी जेस्सी ने कहा है कि यह सिलसिला अगले साल भी जारी रहेगा।
कर्मचारियों को भेजे संदेश में जेस्सी ने कहा, ‘‘मैं बिना किसी संदेह के यह कह सकता हूं कि इस समय हमने जो निर्णय लिया है वह बहुत ही मुश्किल है।’’
सिएटल की कंपनी अमेजन बीते कुछ महीनों से अपने कारोबार के विभिन्न क्षेत्रों में लागत कम करने के प्रयास कर रही है। कंपनी में वार्षिक समीक्षा प्रक्रिया चल रही है जिसमें यह पता लगाया जाता है कि धन की बचत कहां और किस प्रकार की जा सकती है।
जेस्सी ने कहा कि इस वर्ष की समीक्षा अधिक कठिन है जिसकी वजह आर्थिक परिदृश्य और बीते कुछ वर्षों में कंपनी में तेजी से हुई भर्तियां हैं।
कंपनी ने मंगलवार को कैलिफोर्निया में अपने क्षेत्रीय अधिकारियों को सूचित किया था कि विभिन्न केंद्रों से करीब 260 लोगों को निकाला जाएगा।
जेस्सी ने कहा कि कंपनी अभी यह तय नहीं कर पाई है कि कितनों की नौकरियां प्रभावित होने वाली हैं हालांकि कुछ खंडों में कटौती जरूर की जाएगी। उन्होंने कहा वार्षिक समीक्षा प्रक्रिया अगले वर्ष भी जारी रहने वाली है।
अमेजन के दुनियाभर में 15 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। (एपी)
अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के नेता जॉन कार्टर ने भारत की तारीफ़ करते हुआ कहा कि उन्हें गर्व है कि भारत के लोग आमेरिका के दोस्त हैं.
उन्होंने कहा कि वो भारत के साथ अमेरिका के संबंधों के फलने-फूलने को लेकर उत्साहित हैं, जैसा कि पिछले 75 सालों से हो रहा है.
जॉन कार्टर ने ये बातें बुधवार को अमेरिकी संसद में कहीं. वो टेक्सास 31वें ज़िले का प्रतिनिधित्व करते हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले दशकों में लोकतंत्र और स्वशासन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता अटूट रही है और आज उसका भविष्य ''पहले से ज़्यादा उज्ज्वल है''.
उन्होंने कहा, ''मैं अमेरिका के भारत के साथ रिश्तों के लगातार फलने-फूलने से उत्साहित हूँ और मैं भारतीयों को अपना दोस्त कहने में गर्व महसूस करता हूँ.''
"मैं ब्रिटिश साम्राज्य से भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ मनाने के लिए आज खड़ा हुआ हूँ. 15 अगस्त, 1947 को, संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया और भारत को 90 सालों के शासन के बाद एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्थापित किया."
कार्टर ने कहा, "संसद के इस अधिनियम ने इतिहास के सबसे बड़े लोकतंत्र के निर्माण की शुरुआत की जिससे एक अरब से अधिक लोगों वाला मज़बूत देश संचालित होता है."(bbc.com/hindi)
अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव) में पार्टी नेता का पद छोड़ दिया है.
82 साल की नैंसी पेलोसी कांग्रेस में सबसे ताकतवर डेमोक्रेट नेता और संसद की स्पीकर बनने वालीं पहली महिला हैं.
वो कांग्रेस के नीचले सदन में कैलिफॉर्नियां ज़िले की अपनी सीट का प्रतिनिधित्व करती रहेंगी.
मध्यावधि चुनाव के बाद रिपब्लिकन पार्टी ने हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव में बहुमत हासिल कर लिया है. इसके बाद जल्द ही स्पीकर का पदभार भी किसी और के पास होगा.
रिपब्लिकन नेता केविन मैक्रार्थी को नई कांग्रेस में स्पीकर के लिए नामित किया गया है. वो नैंसी पेलोसी की जगह ले सकते हैं.
पेलोसी ने कहा, ''मैं अगली कांग्रेस में डेमोक्रेट्स का नेतृत्व नहीं करूंगी. नई पीढ़ी के लिए समय आ गया है कि वो डेमोक्रेट्स का नेतृत्व करें.''
नैंसी पेलोसी अगले साल जनवरी तक स्पीकर के पद पर बनी रहेंगी.
डेमोक्रेट नेता हकीम जेफरीज़ के सदन में डेमोक्रेट्स के नेता चुने जाने की संभावना है. वो अमेरिकी इतिहास में इस पद पर चुने वाले पहले ब्लैक नेता होंगे. (bbc.com/hindi)