अंतरराष्ट्रीय
इस्लामाबाद, 27 अगस्त (आईएएनएस)| पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बाढ़ के चलते डिजिटल कनेक्टिविटी अवरुद्ध हो गई है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि बाढ़ से पहले से ही प्रभावित प्रांत में रात भर हुई भारी बारिश के बाद देश के बाकी हिस्सों से संपर्क टूट गया है। दक्षिण एशियाई देश मानवीय आपदा से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है।
बुनियादी ढांचे का विनाश और संचार का टूटना क्षेत्र में बचाव और राहत प्रयासों में अधिकारियों के सामने आने वाली कठिनाइयों को बढ़ाता है।
बलूचिस्तान में हवाई, सड़क और रेल नेटवर्क पहले ही बंद कर दिया गया है। जिसके चलते कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है।
पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण (पीटीए) ने ट्विटर पर कहा, बलूचिस्तान ऑप्टिकल फाइबर केबल में मूसलाधार बारिश और अचानक आई बाढ़ के कारण क्वेटा और प्रांत के बाकी प्रमुख शहरों में वॉइस और डेटा सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
उन्होंने कहा कि इस अभूतपूर्व स्थिति को सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने निवासी अब्दुल कय्यूम के हवाले से कहा, जलवायु परिवर्तन आपदा मानव आपदा में बदल गई।
संघीय आईटी और दूरसंचार मंत्री सैयद अमीनुल हक ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया, बलूचिस्तान में, तीन से अधिक स्थानों पर ऑप्टिकल फाइबर केबल कट जाने के कारण संचार प्रणाली में कटौती की गई है।
तिरुवनंतपुरम, 27 अगस्त (आईएएनएस)| केरल के कोल्लम में नीट परीक्षा केंद्र में लड़कियों को जबरन अपने इनरवियर उतारने के लिए मजबूर किए जाने पर प्रतिक्रिया के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने प्रभावित मेडिकल उम्मीदवारों को 4 सितंबर को परीक्षा में फिर से बैठने की अनुमति देने का फैसला किया है। पिछले महीने की इस घटना को लेकर काफी हंगामा हुआ था, जिसके बाद केरल पुलिस ने इस सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके तुरंत बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
लड़कियों के माता-पिता ने इस 'अमानवीय कृत्य' के खिलाफ विरोध दर्ज कराया और कहा कि उनके बच्चों पर इसका मानसिक तौर पर बुरा असर पड़ा है।
इसके परिणामस्वरूप, नीट से जुड़े अधिकारियों की तीन सदस्यीय टीम ने इस घटना की जांच की और लड़कियों को होने वाली मानसिक पीड़ा पर एक रिपोर्ट सौंपी।
रिपोर्ट के आधार पर, अधिकारियों ने प्रभावित उम्मीदवारों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करने का फैसला लिया।
पेशावर/क्वेटा, 27 अगस्त | पाकिस्तान के उन हिस्सों में भारी बारिश जारी है, जो पहले से ही विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हैं। इससे खैबर पख्तूनख्वा (केपी), बलूचिस्तान और सिंध प्रांतों में मौत और विनाश की एक नई लहर फैल गई है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया, केपी में करोड़ों लोगों की मौत हो गई, जहां लगातार दूसरे दिन भारी बारिश से नदियों और नालों में विनाशकारी बाढ़ आ गई, जिससे उनके किनारे के कई घर, पहाड़ी रिसॉर्ट में होटल बह गए। जबकि ताजा बारिश के कारण बलूचिस्तान देश के बाकी हिस्सों से कटा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि केपी सरकार ने कई जिलों में बारिश की आपात स्थिति घोषित कर दी है, क्योंकि मूसलाधार बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ ने प्रांत के अधिकांश हिस्सों में तबाही मचा दी, जिससे प्रांत में कम से कम 238 लोगों की मौत हो गई है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि बारिश की आपात स्थिति, जो तुरंत प्रभाव से लागू हुई, 30 अगस्त तक बनी रहेगी, क्योंकि पाकिस्तान मौसम विभाग ने मानसून के एक और दौर की भविष्यवाणी की है, जो अगले सप्ताह जारी रह सकती है।
लगातार दूसरे दिन सूबे के विभिन्न हिस्सों में मूसलाधार बारिश हुई।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कघन घाटी में भारी बारिश के कारण मुन्नावर नाले में अचानक बाढ़ आ गई, जिसमें 10 लोग बह गए।
महंदरी में भीषण बाढ़ के कारण 10 से अधिक दुकानें, दो होटल और आठ वाहन बह गए।
एक मस्जिद, दो स्कूल और एक पुलिस चौकी को भी नुकसान पहुंचा है।
कघन हाईवे को कई जगहों पर यातायात के लिए बंद कर दिया गया था, जबकि कुन्हर नदी के किनारे लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे। (आईएएनएस)|
वाशिंगटन, 27 अगस्त | अमेरिकी राज्य लुइसियाना में महिला के गर्भ में असामान्य भ्रूण के घातक रूप लेने के बावजूद डॉक्टरों ने गर्भपात करने से मना कर दिया। इसके विरोध में बड़ी संख्या में महिलाएं सकड़ों पर उतरीं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, लुइसियाना की रहने वाली नैन्सी डेविस ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि गवर्नर जॉन बेल एडवर्डस और सांसदों को ट्रिगर कानूनों को बदलने के लिए एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए, जो गर्भपात पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है, ताकि इसे स्पष्ट किया जा सके।
36 वर्षीय महिला ने कहा कि 10 सप्ताह के भ्रूण में खोपड़ी विकसित न होने की स्थिति में अस्पताल ने उसका गर्भपात करने से इनकार कर दिया।
नैन्सी अब 15 सप्ताह की गर्भवती है।
नैन्सी ने कहा कि अस्पताल के डॉक्टर गर्भपात के कानून को लेकर भ्रमित और डरे हुए हैं। उनका कहना था कि अगर वह उनका गर्भपात करेंगे, तो उन्हें 15 साल तक की जेल हो सकती है।
महिला ने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि अगर वह बच्चे को जन्म देती हैं, तो बच्चा बहुत कम समय तक जीवित रहेगा, संभवत: कई मिनट या ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह।
नैन्सी डेविस और उनके साथी शेड्रिक कोल ने कहा कि भ्रूण की स्थिति को देखते हुए वे गर्भपात कराने चाहते थे। लेकिन डॉक्टरों ने गर्भपात करने से इनकार कर दिया।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि दंपति के पहले से ही तीन बच्चे हैं, जिनकी उम्र क्रमश: 1, 13 और 16 साल है।
डेविस ने कहा कि वह गर्भपात कराने के लिए अगले सप्ताह उत्तरी कैरोलिना जाने की योजना बना रही है। (आईएएनएस)|
हमजा अमीर
इस्लामाबाद, 26 अगस्त (आईएएनएस)| पाकिस्तान अचानक आई बाढ़ और मूसलाधार बारिश के कारण सबसे ज्यादा तबाही, मानवीय संकट का सामना कर रहा है। वैश्विक वित्तीय संस्थानों और दानदाताओं ने 50 करोड़ डॉलर से अधिक की सहायता की घोषणा करते हुए बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अपील का जवाब दिया है।
यह मदद ऐसे समय में आया है, जब बाढ़, बादल फटने और मूसलाधार बारिश ने अचानक बाढ़ आ गई, जिसने देश के 70 प्रतिशत से अधिक हिस्से को बाढ़ के पानी में घेर लिया है और सड़क, ट्रेन और दूरसंचार प्रणालियों को बाधित कर दिया है, लाखों एकड़ में खड़ी फसलें, सड़कें, पुल और भूमि मार्गों को काट दिया है, जिससे राहत कार्यों में बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय दाताओं, संगठनों और देशों से अपील की कि वे आगे आएं और बाढ़ प्रभावित लोगों के बचाव और राहत के लिए जल्द से जल्द संसाधन उपलब्ध कराने में मदद करें।
व्यापक तबाही और प्रधानमंत्री की अपील को ध्यान में रखते हुए, विश्व बैंक ने 350 मिलियन डॉलर की तत्काल सहायता की घोषणा की।
विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर नई बेन्हासिन ने प्रधानमंत्री से संपर्क किया और विश्व बैंक के तत्काल सहायता वितरण की जानकारी दी।
विवरण के अनुसार, विश्व बैंक इस सप्ताह के अंत तक पूरी सहायता प्रदान करेगा। विश्व बैंक भी नुकसान का आकलन करने के बाद बुनियादी ढांचे की बहाली के लिए एक व्यापक योजना के माध्यम से पाकिस्तान के साथ सहयोग करेगा।
इसके अलावा, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने भी बाढ़ पीड़ितों के लिए 110 मिलियन डॉलर की सहायता की घोषणा की, जबकि एशिया डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने 20 मिलियन डॉलर की घोषणा की, जबकि यूके एड ने भी बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास के लिए मध्यम और दीर्घकालिक परियोजनाओं के लिए 1.5 मिलियन डॉलर की घोषणा की।
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय दाता संगठन, जिसमें विश्व बैंक, एडीबी, विश्व बैंक, एडीबी, संयुक्त राष्ट्र निकायों, डब्ल्यूएचओ और चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित देशों सहित अंतरराष्ट्रीय दाता संगठनों के साथ बैठक की, उन्हें देश भर में तबाही से अवगत कराया, विशेष रूप से सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत। पीएम शहबाज ने कहा कि ऐतिहासिक बारिश और बाढ़ के कारण कई जिलों में आपातकाल की स्थिति लागू कर दी गई है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अनुमान के अनुसार, इस साल 14 जून से देश भर में बाढ़ से संबंधित घटनाओं में 396 पुरुषों, 198 महिलाओं और 343 बच्चों सहित कम से कम 937 लोग मारे गए हैं, जबकि 692 पुरुषों, 325 महिलाओं और 326 बच्चों सहित 1293 लोग घायल हुए हैं।
एनडीएमए के आंकड़े बताते हैं कि अब तक कम से कम 116 जिलों में बारिश और बाढ़ से 43 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, जबकि 22 लाख से अधिक लोग अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं।
शहबाज शरीफ सरकार ने बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए 25000 रुपये के तत्काल नकद भुगतान की भी घोषणा की है, यह कहते हुए कि सरकार हर प्रभावित व्यक्ति तक राहत और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए जो कर सकती है वह करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, "बाढ़ आपदा की भयावहता इतनी अधिक है कि अकेले संघीय या प्रांतीय सरकारें पीड़ितों को पूरी तरह से बहाल नहीं कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, संगठनों, देशों और वित्तीय संस्थानों के आपातकालीन सहयोग की आवश्यकता है।"
राहत और पुनर्वास के प्रयासों में तेजी लाने के लिए बाढ़ राहत कोष 2022 भी स्थापित किया गया था।
राजकोट, 26 अगस्त | गुजरात स्टेट एडिबल ऑयल एंड एडिबल ऑयल सीड्स एसोसिएशन (जीएसईओओएसए) के अध्यक्ष ने आशंका व्यक्त की है कि चीन में सूखा और दक्षिण भारतीय राज्यों में मूंगफली की कम खेती आने वाले सीजन में मूंगफली तेल की कीमतों को बढ़ावा दे सकती है। जीएसईओओएसए के अध्यक्ष समीर शाह ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा, आगामी सत्र के लिए विशिष्ट और खाद्य तेल दरों में मूंगफली तेल की कीमतों की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी, क्योंकि कई कारक घरेलू बाजार को प्रभावित करने वाले हैं, जैसे चीन में सूखा जो भारत समेत अन्य देशों से अधिक मूंगफली आयात करने के लिए मजबूर करेगा। दक्षिणी राज्यों में, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश में, मानसून के मौसम में मूंगफली की बुवाई केवल 20 प्रतिशत और कर्नाटक में पिछले वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत क्षेत्र में हुई है।
राज्य के कृषि विभाग के अनुसार, गुजरात में मानसून के मौसम में मूंगफली की बुवाई 17 लाख हेक्टेयर भूमि पर होती है, यह पिछले साल की तुलना में 22 अगस्त तक दो लाख हेक्टेयर कम है।
2020-21 के लिए चीन के मूंगफली उत्पादन के लिए अमेरिका के कृषि विभाग का पूवार्नुमान 17.7 मिलियन मीट्रिक टन था, जो चालू वर्ष के लिए समान रहने की संभावना है।
लेकिन, मौसम में सूखा पड़ने से बुवाई और कटाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जिसके कारण इसका आयात बढ़ेगा और साथ ही महंगाई बढ़ने की भी आशंका है। आने वाले सीजन में गुजरात और भारत में खाद्य तेल की कीमतों और विशेष रूप से मूंगफली तेल की कीमतों में तेजी आएगी।
गुरुवार को मूंगफली तेल की 17 लीटर कीमत 3000 रुपये के स्तर को छू गई, जो ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर है। (आईएएनएस)|
जिनेवा, 26 अगस्त | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया भर में मंकीपॉक्स के नए मामलों की संख्या में कमी देखने को मिली है। डीपीए समाचार एजेंसी ने गुरुवार को जारी एक बयान में वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के हवाले से कहा, "15-21 अगस्त की अगर तुलना करें तो 21 प्रतिशत कम मामले थे।"
पिछले चार हफ्तों में, मंकीपॉक्स की संख्या बढ़ रही थी।
बयान में कहा गया है, "यह कमी यूरोपीय क्षेत्र में घटते मामलों की संख्या के शुरुआती संकेतों को दर्शा सकती है, जिसकी बाद में पुष्टि करने की आवश्यकता होगी।"
यूरोपीय क्षेत्र में यूरोपीय संघ से लेकर तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, रूस और इजराइल तक 53 देश शामिल हैं।
उत्तर और दक्षिण अमेरिका क्षेत्र में, संख्या में वृद्धि जारी रही।
दुनिया भर में, सप्ताह के दौरान 5,907 मामले सामने आए, जबकि एक सप्ताह पहले यह आंकड़ा 7,477 था। वर्ष की शुरुआत से अब तक 96 देशों से डब्ल्यूएचओ को कुल 41,600 संक्रमण और 12 मौतें हुई हैं।
वर्तमान में, अमेरिका में सबसे अधिक 15,877 मामले हैं। (आईएएनएस)|
तेल अवीव, 26 अगस्त | इजरायली सैन्य अभियोजन ने इस्लामिक जिहाद के एक प्रभावशाली वरिष्ठ नेता के खिलाफ अभियोग दायर किया है। इसकी जानकारी इजराइल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने दी।
डीपीए समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, बासम अल-सादी पर इस्लामिक जिहादी नामक एक अवैध संगठन के साथ संबद्धता और गतिविधि के अपराध करने का आरोप है।
उन पर 'दुश्मन तत्वों' के साथ संपर्क, वेष बदलकर अपराधिक गतिविधि को अंजाम देना और उकसाना आदि का भी आरोप है।
अभियोग के अनुसार, अल-सादी ने मुख्य आतंकवादी गतिविधियों पर आंतकियों के साथ काम किया, जिसमें गाजा पट्टी में एक इस्लामिक जिहाद संचालक से फंड प्राप्त करना शामिल था।
इसके अलावा, अल-सादी के बारे में कहा जाता है कि उसने हिंसक फिलिस्तीनी हमलों को जारी रखने के लिए उकसाया था।
इसके अलावा, जब इजरायली सुरक्षा बल उसे पकड़ने के लिए पहुंचे, तो अल-सादी ने गिरफ्तारी से बचने के प्रयास में किसी और को प्रतिरूपित किया।
इजरायल सैन्य ने अनुरोध किया कि अल-सादी को कानूनी कार्यवाही खत्म होने तक हिरासत में रखा जाए।
सबूतों और बचाव पक्ष के वकील के अनुरोध पर, अल-सादी की हिरासत रविवार तक बढ़ा दी गई है।
अल-सादी 1 अगस्त से नजरबंद है।
खुफिया जानकारी के आधार पर शुरू हुई जांच में पता चला कि वह इस्लामिक जिहाद में अपनी गतिविधियों को जारी रखे हुए है।
इस्लामिक जिहाद ने उसकी गिरफ्तारी के बाद इजरायल पर हमला करने की धमकी दी थी। जिसके चलते इजरायली सेना ने तीन हफ्ते पहले गाजा पट्टी में इस्लामिक जिहाद के खिलाफ बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया।
चरमपंथी फिलिस्तीनी ने इजराइली कस्बों पर रॉकेट दागे, जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हो गई। तीन दिनों की लड़ाई के बाद, मिस्र की मदद से युद्धविराम पर सहमति बनी। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 25 अगस्त | पश्चिमी कंपनियों ने रूसी बाजार से अपनी वापसी की घोषणा की है। कुछ ने रूस में अपने संचालन को कम कर दिया है, जबकि अन्य अभी भी अपनी रूसी संपत्ति रखे हुए हैं।
बीपी और एक्सोनमोबाइल उन पश्चिमी फर्मो में से हैं जिन्हें रूसी सरकार बाद में लेने और बेचने पर विचार कर रही है।
भारत रूस के प्रमुख रणनीतिक साझेदारों में से एक है और इसकी सरकारी कंपनियों ने रूसी तेल और गैस परिसंपत्तियों में पश्चिमी ऊर्जा की बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी हासिल करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है।
भारतीय राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियां पहले से ही पूर्व से दूर और पूर्वी साइबेरिया में बड़ी रूसी परियोजनाओं में भाग ले रही हैं।
रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट साझेदारी का एक प्रमुख उदाहरण है। कंपनी रूस और भारत के बीच स्थिर व्यापार और आर्थिक सहयोग सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। यह उत्पादन से लेकर शोधन और पेट्रोलियम उत्पादों के वितरण तक, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद और एकीकृत सहयोग का समर्थन करता है।
रोसनेफ्ट को भारतीय भागीदारों के साथ संयुक्त परियोजनाओं को लागू करने का व्यापक अनुभव है। पिछले चार वर्षो में, भारतीय भागीदारों को कुल भुगतान और संयुक्त परियोजनाओं से लाभांश की राशि लगभग 5 बिलियन डॉलर है।
2016 के बाद से, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और भारत पेट्रोसोर्सेज के पास रोसनेफ्ट की सहायक कंपनी जेएससी वैंकॉर्नेफ्ट का 49.9 प्रतिशत स्वामित्व है।
क्रास्नोयास्र्क क्षेत्र में स्थित यह परियोजना पिछले 25 वर्षों में रूस के सबसे बड़े क्षेत्रों की खोज और धारा पर लाए गए वेंकोरसोय क्षेत्र को विकसित करती है।
ऑयल इंडिया लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोसोर्सेज को शामिल करने वाली भारतीय कंपनियों के कंसोर्टियम में तास-युरीह नेफ्टेगाजोडोबाइचा में 29.9 प्रतिशत का स्वामित्व है, जिसके पास श्रेडनेबोटुओबिंस्कॉय क्षेत्र के सेंट्रल ब्लॉक और कुरुंगस्की लाइसेंस क्षेत्र के क्षेत्रों के लिए लाइसेंस हैं।
2001 में, निमंत्रण पर और रोसनेफ्ट के समर्थन से, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड सखालिन-1 हाई-मार्जिन परियोजना का सदस्य बन गया। परियोजना शेयरधारकों की कुल आय 21.4 अरब डॉलर है। 15 मई को सखालिन-1 के संचालक ने उत्पादन रोकने का फैसला किया। हालांकि, परियोजना की तकनीकी प्रगति को बनाए रखा गया है और वर्तमान में कोई तेल नहीं भेजा जा रहा है।
रोसनेफ्ट कानूनी रूप से स्थिति को हल करने और सभी मौजूदा शेयरधारकों को शामिल करते हुए सखालिन-1 परियोजना की उत्पादन गतिविधियों को बहाल करने के लिए तत्पर है।
रोसनेफ्ट और उसके भारतीय भागीदारों के बीच सहयोग का एक और आशाजनक क्षेत्र वोस्तोक तेल परियोजना हो सकती है, जो दुनिया की सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड तेल और गैस परियोजना है। रोसनेफ्ट वोस्तोक तेल परियोजना में नए भागीदारों का स्वागत करता है, जिसमें भारत के वे लोग भी शामिल हैं जो इस मामले पर बातचीत कर रहे हैं।
अपने अद्वितीय आर्थिक मॉडल के अलावा, वोस्तोक ऑयल निवेशकों को एक स्थायी निवेश अवसर प्रदान करता है। परियोजना का संसाधन आधार न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट के साथ 6.2 अरब बैरल प्रीमियम गुणवत्ता वाला तेल है। इसके अलावा, एक रसद लाभ के रूप में, यह विशेष रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सभी अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक सीधी पहुंच प्रदान करता है। (आईएएनएस)|
सोल, 25 अगस्त | प्योंगयांग द्वारा महामारी पर जीत का दावा करने के दो हफ्ते बाद उत्तर कोरिया ने उत्तरपूर्वी प्रांत रियानगांग में कोविड-19 के चार नए संदिग्ध मामले दर्ज किए हैं। प्योंगयांग की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने राज्य आपातकालीन महामारी रोकथाम मुख्यालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि, 23 अगस्त को रियानगांग में 'घातक महामारी' से संक्रमित होने के संदेह में नए मामले सामने आए।
योनहाप न्यूज एजेंसी ने केसीएनए की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि, स्वास्थ्य अधिकारियों ने तुरंत इलाके को सील कर दिया। संदिग्ध मामलों के परीक्षण के लिए तत्काल महामारी विरोधी टीमों को भेजा और बुखार के कारण का पता लगाने के उपाय किए।
राष्ट्र द्वारा पहले पुष्टि किए गए मामले की रिपोर्ट के तीन महीने बाद, 10 अगस्त को, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने कोविड-19 पर जीत की घोषणा की और देश के अधिकतम आपातकालीन महामारी विरोधी उपायों को हटाने का आदेश दिया। (आईएएनएस)|
पाकिस्तान में बाढ़ और बारिश के कहर से अभी तक 900 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 30 लाख से अधिक लोग इससे किसी ना किसी प्रकार से प्रभावित हुए हैं.
बीबीसी उर्दू की ख़बर के अनुसार, पाकिस्तान के 116 ज़िले बाढ़ और बारिश से बुरी तरह प्रभावित हैं.
एनडीएमए की रिपोर्ट के अनुसार, बलूचिस्तान प्रांत के ज़िले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.
यहाँ के सभी 33 ज़िलों में स्थिति बेहद गंभीर है.
वहीं ख़ैबर के 34 ज़िले और सिंध के 23 ज़िले भी बाढ़ और बारिश की मार झेल रहे हैं.
अगर आबादी के लिहाज़ से देखें तो पाकिस्तान का सिंध प्रांत सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. यहां 22 लाख 63 हज़ार लोगों का जीवन बाढ़ और बारिश के कारण प्रभावित हुआ है.
हालाँकि यह केंद्र के आंकड़े हैं, लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि सिंध प्रांत में बाढ़-बारिश से प्रभावित होने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक है.
एनडीएमए की रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ और बारिश से सात लाख आठ हज़ार से अधिक जानवर अभी तक बह गए हैं. इसके अलावा कई जगहों पर सड़क भी बह गई है (bbc.com/hindi)
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अचानक कीएव पहुंचे हैं. वहां उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से मुलाक़ात की.
यूक्रेन सोवियत संघ से आज़ादी का अपना 31वां साल मना रहा है.
यूक्रेन पहुंच कर जॉनसन ने कहा, "यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है वो हमारे लिए मायने रखता है. इसलिए आज मैं कीएव आया हूं."
उन्होंने कहा, "यही कारण है कि ब्रिटेन अपने दोस्त यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा. मुझे यकीन है कि यूक्रेन इस युद्ध को जीत सकता है और जीतेगा भी."
रूस के साथ शुरू हुई लड़ाई के बाद बोरिस जॉनसन तीसरी बार यूक्रेन की राजधानी कीएव पहुंचे हैं.
7 जुलाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद जॉनसन कई दिनों बाद सार्वजनिक रूप से दिखे हैं.
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन की आज़ादी को लेकर ब्रिटेन के कट्टर समर्थन के लिए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को ऑर्डर ऑफ़ लिबर्टी से सम्मानित किया.
तीसरी बार यूक्रेन की राजधानी कीएव पहुंचे बोरिस जॉनसन, ज़ेलेंस्की से की मुलाक़ात- देखें तस्वीरें
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अचानक कीएव पहुंचे हैं. वहां उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से मुलाक़ात की.
यूक्रेन सोवियत संघ से आज़ादी का अपना 31वां साल मना रहा है.
यूक्रेन पहुंच कर जॉनसन ने कहा, "यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है वो हमारे लिए मायने रखता है. इसलिए आज मैं कीएव आया हूं."
उन्होंने कहा, "यही कारण है कि ब्रिटेन अपने दोस्त यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा. मुझे यकीन है कि यूक्रेन इस युद्ध को जीत सकता है और जीतेगा भी."
रूस के साथ शुरू हुई लड़ाई के बाद बोरिस जॉनसन तीसरी बार यूक्रेन की राजधानी कीएव पहुंचे हैं.
7 जुलाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद जॉनसन कई दिनों बाद सार्वजनिक रूप से दिखे हैं.
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन की आज़ादी को लेकर ब्रिटेन के कट्टर समर्थन के लिए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को ऑर्डर ऑफ़ लिबर्टी से सम्मानित किया. (bbc.com/hindi)
-ज़ुबैर अहमद
चाहे मॉरीशस हो, गुयाना, आयरलैंड, पुर्तगाल या फिजी, भारतीय मूल के नेताओं की एक लंबी सूची है जो इन जैसे कई देशों के या तो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रह चुके हैं.
दुनिया में भारत के अलावा कोई ऐसा देश नहीं है जिसके मूल के लोग 30 से अधिक देशों पर या तो राज करते हैं या कर चुके हैं.
42 वर्षीय ऋषि सुनक का नाम इस सूची में जुड़ सकता है अगर वह ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में कामयाब होते हैं. नतीजे पांच सितंबर को आएंगे.
उनकी प्रतिद्वंद्वी लिज़ ट्रस हैं जो विभिन्न सर्वेक्षणों के मुताबिक़ प्रधानमंत्री की दौड़ में उनसे आगे चल रही हैं. दोनों लीडरों में से एक को उनकी कंज़र्वेटिव पार्टी के 160,000 सदस्य वोट देकर चुन रहे हैं. पार्टी में लिज़ ट्रस अधिक प्रभाव रखती हैं लेकिन देश भर में ऋषि सुनक की लोकप्रियता लिज़ ट्रस से कहीं अधिक महसूस होती है.
इस रेस का नतीजा जो भी हो लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन की राजनीति में बहुत तेज़ी से उदय हुआ है. उन्होंने 2015 में, 35 साल की उम्र में, पहली बार संसद का चुनाव जीता. केवल सात वर्षों में वो आज प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं. अगर वो इसमें कामयाब हुए तो वो ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के और काली नस्ल के प्रधानमंत्री होंगे.
विपक्षी लेबर पार्टी के सांसद 75 साल के वीरेंद्र शर्मा, ऋषि सुनक को अच्छी तरह जानते हैं.
दोनों भारतीय मूल के सांसद भी हैं और दोनों की तारें पंजाब से जुड़ती हैं. ऋषि के बारे में वो कहते हैं, "आज हम इस स्तर पर आ गए हैं कि यहाँ कि जो कम्युनिटीज़ हैं, यहाँ का जो राजनीतिक हालात हैं, समाज है, उसका हिस्सा बन गये. तो आज आर्थिक रूप से जो डायसपोरा (भारतीय मूल के) की एक पॉवर बनी हैं, अभी राजनीति में हमारे लगभग 40 के करीब एशियाई और काली नस्ल के सांसद हैं."
कई विशेषज्ञ कहते हैं कि ऋषि का प्रधानमंत्री बनना एक ऐतिहासिक क्षण होगा, ठीक उसी तरह से जिस तरह अमेरिका में 2008 में बराक ओबामा के राष्ट्रपति चुने जाने के समय हुआ था. ऋषि सुनक से पहले भी दक्षिण एशिया के मूल के नेता बड़े पदों पर आए हैं. वो मंत्री भी बने हैं और मेयर भी, जैसे कि प्रीति पटेल इस देश की गृहमंत्री हैं और सादिक़ खान लंदन के मेयर हैं.
लेकिन प्रधानमंत्री के पद का दावेदार अब तक कोई नहीं हुआ है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ऋषि का उदय एशियाई समुदायों की कामयाबी से जुड़ा है. उनका कहना है कि ब्रिटेन के समाज में विविधता भी ऋषि जैसे नेताओं के उदय ही है.
डॉक्टर नीलम रैना मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं. वो कहती हैं, "ऐतिहासिक तो होगा क्योंकि भारत की तुलना में यहाँ संसद में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधत्व कहीं ज़्यादा है. लेकिन ऐतिहासिक इसलिए होगा क्योंकि उनकी नस्ली पहचान अलग है."
ऋषि भारतीय मूल की तीसरी पीढ़ी हैं. उनके दादा-दादी ने भारत के विभाजन से पहले ही पाकिस्तानी पंजाब के गुजरांवाला शहर से ईस्ट अफ्रीका के लिए पलायन किया था. वो बहुत सालों बाद इंग्लैंड के सॉउथैंप्टन शहर आकर बस गए थे जहाँ 1980 में ऋषि सुनक का जन्म हुआ. इसी शहर में वो पले-बढ़े.
ब्रिटेन के सबसे अमीरों में गिनती
ब्रिटेन में आम धारणा यह है कि ऋषि सुनक बहुत ही अमीर हैं, जो आम लोगों से उनके फ़ासले का मुख्य कारण बन गया है. हाल के एक सर्वे के अनुसार ब्रिटेन के 250 सबसे अमीर परिवारों में उनकी गिनती होती है. लेकिन क्या वो पैदाइशी अमीर थे?
इसकी जानकारी तो सॉउथैंप्टन में ही मिल सकती थी जहाँ उनकी पैदाइश के बाद उनका बचपन गुज़रा. हम वहां ऐसे कई लोगों से मिले जो उन्हें बचपन से जानते थे और आज भी उनसे उनका संपर्क है.
वैदिक सोसाइटी टेम्पल साउथैंप्टन में हिन्दू समुदाय का एक विशाल मंदिर है जिसके संस्थापकों में ऋषि सुनक के परिवार के लोग भी शामिल हैं. उनका बचपन इसी मंदिर के इर्द-गिर्द गुज़रा जहाँ उन्होंने हिन्दू धर्म की शिक्षा प्राप्त की. 75 वर्षीय नरेश सोनचाटला, ऋषि सुनक को बचपन से जानते हैं. वो कहते हैं, "ऋषि सुनक जब छोटा बच्चा था तब से मंदिर आया करता था, उनके माता-पिता और दादा-दादी के साथ".
संजय चंदाराणा कॉर्पोरेट जगत के एक अहम पद हैं. साथ ही वो वैदिक सोसाइटी हिंदू मंदिर के अध्यक्ष भी हैं. वो ऋषि से हाल में ही मिले जब पिछले महीने वो मंदिर आये थे. मंदिर में वो समुदाय के सभी लोगों से मिले.
उस भेंट को याद करते हुए संजय कहते हैं, "वो रोटियां बना रहे थे, गोल बन रही थी, तो मैंने उनसे पूछा कि घर पर आप ही खाना बनाते हो? तो उसके जवाब में उन्होंने कहा कि हां मुझे अच्छा लगता हैं खाना बनाना. उनसे हमने पूछा कि आप बाल विकास के विद्यार्थी (इस मंदिर में) हैं तो यहां के बच्चों से मिलना चाहेंगे, तो उन्होंने कहा हां मिलना चाहूंगा और वो वहां पर गए."
उनके पिता यशवीर सुनक डॉक्टर हैं और माता उषा सुनक हाल तक एक केमिस्ट की दुकान चलाती थीं. वो अब भी इसी शहर में रहते हैं. ऋषि इसी तरह के साधारण, धार्मिक हिन्दू धर्म का पालन करने वाले लोगों में से हैं. परिवार में पढ़ाई और करियर पर ज़ोर ज़्यादा अधिक है. इसी लिए उनके पिता ने उन्हें एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया.
वित्त मंत्री के तौर पर कैसा था काम
अपनी वेबसाइट में वो लिखते हैं, "मेरे माता-पिता ने बहुत त्याग किया ताकि मैं अच्छे स्कूलों में जा सकूं. मैं भाग्यशाली था कि मुझे विनचेस्टर कॉलेज, ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का मौक़ा मिला."
ऋषि ने इनफ़ोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से 2009 में बेंगलुरु में शादी की. अब इनके दो बच्चे भी हैं. कहा जाता है कि उनकी घोषित 730 मिलियन पाउंड की संपत्ति की अधिकतर की मालिक उनकी पत्नी हैं. ऋषि सेल्फ़-मेड हैं, वो अपनी वेबसाइट में कहते हैं: "मैं एक सफल व्यावसायिक करियर का आनंद लेने के लिए भाग्यशाली रहा हूं. मैंने एक बड़ी निवेश फर्म की सह-स्थापना की, जो सिलिकॉन वैली से लेकर बैंगलुरु तक की कंपनियों के साथ काम कर रही है."
ऋषि सुनक, कोरोना महामारी से ठीक पहले देश के वित्त मंत्री बने. ये उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि ब्रिटेन में प्रधानमंत्री के पद के बाद वित्त मंत्री का पद दूसरा सब से बड़ा पद माना जाता है. इस पद पर उन्होंने ने काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया जिसके कारण कई लोग उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. विश्लेषक कहते हैं कि अगर ये आम चुनाव होता तो शायद ऋषि प्रधानमंत्री के दौड़ में कामयाब रहते.
वो वित्त मंत्री की हैसियत से देश के दूसरे सबसे बड़े पद पर आसीन रह चुके हैं. विश्लेषकों के अनुसार यहाँ से वो केवल प्रधानमंत्री ही बन सकते हैं, आज नहीं तो 2024 के आम चुनाव में. (bbc.com/hindi)
बैंकॉक, 24 अगस्त | थाईलैंड की एक अदालत ने बुधवार को प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओ-चा को पद से निलंबित कर दिया। साथ ही पीएम के आठ साल के कार्यकाल की अवधि की समीक्षा का फैसला भी किया।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी दलों द्वारा एक मामला सामने लाने के बाद आया है कि 2014 में एक सैन्य तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने वाले प्रयुथ ने बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा किया था।
थाईलैंड के संविधान में प्रधानमंत्री का कार्यालय आठ साल का होता है।
2019 में सैन्य सरकार निर्देशित चुनाव के तहत प्रयुथ दोबारा प्रधानमंत्री चुने गए।
उत्तराधिकार की कैबिनेट लाइन के अनुसार, उप प्रधानमंत्री प्रवित वोंगसुवान, जो एक पूर्व सेना प्रमुख भी हैं। संभवत: वह अंतरिम प्रधानमंत्री बनेंगे। (आईएएनएस)|
-अन्नाबेल लियांग
शंघाई, 23 अगस्त । चीनी शहर शंघाई में बुंद के नाम से मशहूर स्काईलाइन में दो रातों तक लाइट नहीं जलाई जाएगी।अधिकारियों का कहना है कि बिजली बचाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
अपने ऐतिहासिक और फ्यूचरिस्टिक बिल्डिंग के लिए मशहूर यह वाटरफ्रंट एरिया में पर्यटकों का तांता लगा रहता है। चीन के कुछ शहरों में ऐसे ही हालात हैं।
सिचुआन में अधिकांश बड़े मैन्यूफैक्चरर्स ने बीबीसी को बताया कि उन्हें बिजली की कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। देश के बड़े इलाके में सूखा पड़ रहा है। कई इलाकों में हीट वेव रिकार्ड तोड़ रही है।
रविवार को एक नोटिस में शंघाई लैंडस्केपिंग एंड सिटी अपयिरेंस एडमिनिस्ट्रेटिव ब्यूरो ने कहा कि बुंद में शहर की सबसे बड़ी नदी के किनारे बनाई गई बिल्डिंग्स में सोमवार और मंगलवार को लाइट नहीं जलाई जाएगी।
नोटिस में कहा गया है,अगर आपको इससे कोई असुविधा होती है तो हमें इसका खेद है
सिचुआन प्रांत में तापमान 40 डिग्री से ऊपर
चीन में पिछले सप्ताह सूखा का पहला राष्ट्रीय अलर्ट जारी किया था। दरअसल शंघाई , यांग्जी डेल्टा क्षेत्र और दक्षिण पश्चिम चीन के सिचुआन इलाके में पिछले कई हफ्तों से भारी गर्मी पड़ रही है।यहां येलो अलर्ट जारी किया गया है। आधिकारिक स्तर पर यह तीसरा सबसे ख़तरनाक स्तर है।
सिचुआन प्रांत में तापमान 40 डिग्री से ऊपर पहुंच चुका है। अधिकारियों ने एक हालिया बयान में कहा है कि बढ़ते तापमान और कम बारिश के साथ हवा की खराब हालत की वजह से भारी बिजली संकट पैदा हो गया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बिजली कटौती को पांच दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है। कटौती कुछ औद्योगिक कंपनियों में भी की जा रही है। जर्मन कार कंपनी फॉक्सवैगन ने बीबीसी से कहा कि चेंग्दु (सिचुआन की राजधानी) में इसकी फैक्ट्री बिजली कटौती की वजह से बंद है।
फॉक्सवैन के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी की कारों की डिलीवरी में देरी हो सकती है। आने वाले दिनों में इसकी रिकवरी हो सकती है। प्रवक्ता ने कहा, हम हालात पर नजर रखे हुए हैं। सप्लायरों से हम संपर्क बनाए हुए हैं।
ऐपल की सप्लायर फॉक्सकॉन ने भी सिचुआन में अपना फिलहाल अपना प्लांट बंद रखा है। हालांकि इसने कहा है कि बिजली कटौती से उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
इस बीच एक और बड़ी कार कंपनी जापान की टोयोटा ने बीबीसी को बताया कि वह धीरे-धीरे प्रोडक्शन शुरू कर रही है। हालांकि इसके लिए अपने यहां पैदा की जाने वाली बिजली का ही सहारा ले रही है।
हालात सुधरने की उम्मीद
कंस्लटेंसी फर्म कंट्रोल रिस्क्स में चीन और उत्तर एशिया के एसोसिएट एनालिस्ट चेन्यु वु का कहना है कि बिजली की कटौती ज्यादा दिनों तक नहीं रहने वाली है।
उन्होंने कहा, स्थानीय स्तर पर बिजली बचाने और उत्पादन बढ़ाने की कोशिश हो रही है और इससे आने वाले सप्ताह में हालात में सुधार होने की संभावना बनती दिख रही है। अगर आने वाले दिनों में गर्मी कम होती है तो हालात जल्दी ठीक होंगे।
प्रशासन मध्य और दक्षिण पश्चिम चीन में बारिश बढ़ाने के उपाय कर रहा है। चीन में इस वक्त जो हीट वेव चल रही है, वो अब तक का सबसे लंबी हीट वेव है।
यांग्जी नदी के आसपास सूखे से प्रभावित इलाकों में बारिश कराने के लिए क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वहीं हुबेई और कई दूसरे प्रांतों में केमिकल ले जाने वाले रॉकेट छोड़े जा रहे हैं ताकि बारिश हो। लेकिन बादलों का घेरा न होने की वजह से कई जगह ये कोशिश नाकाम हो गई। (bbc.com/hindi)
सैन फ्रांसिस्को, 23 अगस्त | कैलिफोर्निया के प्रशासनिक कानून कार्यालय (ओएएल) ने देश के नागरिक अधिकार नियामक के खिलाफ एलन मस्क के टेस्ला द्वारा लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में कंपनी पर उसकी फैक्ट्रियों में नस्लीय भेदभाव का आरोप लगाया गया था। कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ फेयर एम्प्लॉयमेंट एंड हाउसिंग या डीएफईएच (जिसे अब नागरिक अधिकार विभाग कहा जाता है) ने फरवरी में टेस्ला के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें उसकी फैक्ट्री, कैलिफोर्निया मैन्युफैक्च रिंग प्लांट में नस्लीय भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।
इसके बाद टेस्ला ने इस साल जून में कैलिफोर्निया के ओएएल के पास याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि नागरिक अधिकार विभाग ने इलेक्ट्रिक कार निर्माता को 'जांच का उचित नोटिस' नहीं दिया।
टेकक्रंच ने सोमवार की देर रात खबर दी कि ओएएल ने अब राज्य के नागरिक अधिकार वॉचडॉग के खिलाफ टेस्ला की याचिका को खारिज कर दिया है।
ओएएल ने कहा कि टेस्ला अभी भी अदालत में अपने दावों को आगे बढ़ा सकती है।
यूएस इक्वल एंप्लॉयमेंट ऑपच्र्युनिटी कमीशन (ईईओसी) ने भी टेस्ला में अपनी सुविधाओं पर कथित कार्यस्थल भेदभाव के लिए 'खुली जांच' शुरू की है।
पिछले साल अक्टूबर में, टेस्ला को एक ब्लैक पूर्व ठेकेदार को नुकसान में 137 मिलियन डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया गया था, जिसने कंपनी पर भेदभाव और नस्लीय दुर्व्यवहार की अनदेखी करने का आरोप लगाया था।
यूएस डिस्ट्रिक्ट जज ने बाद में दंडात्मक हर्जाने को घटाकर 15 मिलियन डॉलर कर दिया।
फरवरी में, डीईएफएच ने टेस्ला के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें राज्य में उसके फ्रेमोंट विनिर्माण संयंत्र में व्यवस्थित नस्लीय भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।
नियामक एजेंसी ने कहा कि उसे टेस्ला के फ्रेमोंट फैक्ट्री में कार्यस्थल के मुद्दों पर कई शिकायतें मिली हैं। (आईएएनएस)|
ट्विटर के ख़िलाफ़ कानूनी जंग लड़ रहे एलन मस्क ने अब इस कंपनी के सह-संस्थापक जैक डोर्सी को भी मामले में शामिल कर लिया है. मस्क के वकीलों ने डोर्सी को मामले में अदालत में तलब किया है.
एलन मस्क ट्विटर को ख़रीदने के लिए हुए 44 अरब डॉलर के सौदे को रद्द करना चाहते हैं. मस्क का आरोप है कि टेक कंपनी उन्हें फर्ज़ी अकाउंट्स के बारे में आंकड़े नहीं बता पाई, जिसकी वजह से अब वो ट्विटर नहीं ख़रीदेंगे.
वहीं, सोशल मीडिया साइट ट्विटर अब मस्क पर दबाव बना रही है ताकि वो ये सौदा रद्द न करें. इसके लिए कंपनी ने कोर्ट का रुख किया है.
इस मामले में अक्टूबर महीने में अमेरिका के डेलावेयर में सुनवाई होनी है. इससे पहले अगर दोनों पक्ष के बीच समझौता हो जाता है तो सुनवाई नहीं होगी.
ट्विटर को उम्मीद है कि जज एलन मस्क को कंपनी का टेकओवर पूरा करने का आदेश देंगे. मस्क ने 54.20 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से इस कंपनी को ख़रीदने का फ़ैसला किया था.
लेकिन मुक़दमें से जुड़ी तैयारियों के तौर पर, मस्क के वकीलों ने उनके दोस्त जैक डोर्सी को इस उम्मीद में बुलाया है कि इससे टेस्ला मालिक के तर्क को समर्थन मिलेगा. मस्क का तर्क है कि ट्विटर अपने प्लेटफ़ॉर्म पर फर्ज़ी ख़ातों की संख्या को लेकर ईमानदार नहीं है.
जुलाई महीने में एलन मस्क ने ट्विटर डील को रद्द करने का फ़ैसला किया था, जिसके बाद कंपनी ने ये मामला कोर्ट में ले जाने का निर्णय लिया. मस्क ने ट्विटर पर फर्ज़ी ख़ातों की जानकारी छिपाने का आरोप लगाया है लेकिन ट्विटर ने दलील दी है कि सौदे से पीछे हटने के लिए मस्क बहाने बना रहे हैं.
जैक डोर्सी ने बीते साल नवंबर महीने में ट्विटर के सीईओ पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. एलन मस्क ने जब ट्विटर ख़रीदने का एलान किया था, तब डोर्सी ने उनके समर्थन में ट्वीट किया था. (bbc.com/hindi)
रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी एफ़एसबी ने कहा है कि उन्होंने चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट के एक सदस्य को मध्य एशिया के एक देश से हिरासत में लिया है जिसे पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के मामले में भारत के एक सत्ताधारी नेता पर आत्मघाती हमला करने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी गई थी.
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी 'तास' ने एफ़एसबी के हवाले से बताया है कि इस्लामिक स्टेट के प्रमुख ने इसी साल अप्रैल से जून के बीच तुर्क़ी में रहते हुए एक विदेशी नागरिक को आत्मघाती हमलावर के तौर पर भर्ती किया था.
एफ़एसबी के 'सेंटर फॉर पब्लिक रिलेशन्स' (सीपीआर) ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'टेलीग्राम' और इस्तांबुल में आईएसआईएस के एक प्रतिनिधि के साथ व्यक्तिगत मुलाक़ात के बाद आईएस की विचारधारा से ये शख्स प्रभावित हुआ.
एफ़एसबी ने बताया कि इस शख्स ने आईएस प्रमुख के प्रति अपनी वफ़ादारी की कसम ख़ाई थी, इसके बाद इन्हें रूस जाने का निर्देश दिया गया.
यहाँ से संदिग्ध हमलावर को ज़रूरी दस्तावेज़ लेने थे और फिर आत्मघाती हमले को अंजाम देने के लिए भारत रवाना होना था.
चरमपंथी शख्स की पहचान अभी तक रूस ने नहीं की है लेकिन ये दावा किया है कि शख्स ने कबूला है कि वो भारत के किसी सत्ताधारी नेता पर आत्मघाती हमला करने की योजना बना रहा था.
सीपीआर ने शख्स से पूछताछ का वीडियो सोमवार को जारी किया, जिसमें उनका चेहरा धुंधला कर दिया गया है.
इस वीडियो में शख्स ने माना है कि उन्होंने आईएस के प्रति वफ़ादारी निभाने की कसम अप्रैल 2022 में ली और इसके बाद उन्हें ख़ास ट्रेनिंग भी मिली.
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर विवादित टिप्पणी दी थी, जिसके बाद इस्लामिक दुनिया ने विरोध जताया था. विवाद बढ़ने पर बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था और नवीन जिंदल को पार्टी से बाहर कर दिया गया. (bbc.com/hindi)
-लियो सैंड्स
ये एक ऐसा हमला है जो कि रूस में कई सवाल खड़े कर रहा है.
दरया दुगिना रूस के दार्शनिक अलेक्ज़ेंडर की बेटी थीं जिन्हें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का 'दिमाग़' कहा जाता है.
रूसी जांच कमेटी के मुताबिक़, दरया दुगिना की मौत तब हुई जब वो अपनी कार में घर जा रही थीं तभी कथित तौर पर उनकी कार में धमाका हो गया.
रूसी अधिकारियों का कहना है कि शनिवार रात को मॉस्को के नज़दीक हुए हमले का मुख्य निशाना संभवत: उनके पिता अलेक्जे़ंडर दुगिन थे.
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि हमले की योजना बनाई गई थी. विस्फोटक अलेक्ज़ेंडर दुगिन की कार में लगाए गए थे जिन्होंने मॉस्को के बाहर एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद आख़िरी लम्हों में अपनी कार बेटी की कार से बदल ली थी.
दुगिन और उनकी बेटी दरअसल ज़ख़ारोवो एस्टेट में हुए एक जलसे में मुख्य अतिथि थे. विचारक दुगिन ने वहां एक व्याख्यान दिया था.
हालांकि जांच अभी चल रही है. इस बीच अधिकारियों ने कहा है कि जिस पार्किंग एरिया में कार खड़ी थी वहां के सुरक्षा कैमरे काम नहीं कर रहे थे.
बोल्शिए व्याज़ेमी गांव के नज़दीक दुगिना की मौत मौके पर ही हो गई.
इमरजेंसी सेवा जब घटनास्थल पर पहुंची तो दुगिना की कार जल रही थी. टेलीग्राम पर पोस्ट की गई तस्वीरों को देखकर दार्शनिक दुगिन काफ़ी सदमे में नज़र आ रहे हैं.
अभी तक रूसी अधिकारियों को धमाके के ज़िम्मेदार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है.
जांचकर्ताओं ने पुष्ट किया है दुगिना ख़ुद कार चला रही थीं और बोल्शिए व्याज़ेमी गांव के नज़दीक घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई.
जांचकर्ताओं ने बताया है कि विस्फोटक कार के नीचे लगाए गए थे और धमाके के बाद कार में आग लग गई. फ़ोरेंसिस और धमाकों के विशेषज्ञ मामले की जांच कर रहे हैं.
बीबीसी की रूसी सेवा ने रिपोर्ट किया है कि दुगिना की मौत ने इन कयासों को दे दी है कि इस घटना के पीछे क्या आख़िर क्या कारण होंगे.
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ख़ारोवा ने एक टेलीग्राम पोस्ट में कहा कि अगर इस हमले के पीछे यूक्रेन का हाथ होने की बात सामने आती है तो इसे 'स्टेट टेररिज़्म' (देश प्रयोजित आतंकवाद) माना जाएगा.
दुगिन के समर्थक इसके पीछे यूक्रेनियों का हाथ होने का दावा कर रहे हैं, हालांकि इसके लिए उन्होंने कोई प्रमाण नहीं दिए हैं.
जबकि दूसरी तरफ़ उनके उदार विपक्षियों का इशारा रूसी स्पेशल सर्विसेज़ की तरफ़ है. हालांकि उन्होंने भी इसका कोई प्रमाण नहीं दिया है.
रूसी विश्लेषकों ने दुगिना की कार में धमाके के बाद जो पहला सवाल उठाया है वो ये कि क्या उनके पिता अलेक्ज़ेंडर दुगिन निशाना थे.
यूक्रेन के अधिकारियों ने हमले में शामिल होने के आरोपों का खंडन किया है. उनका कहना है कि ये रूस के भीतर की सियासी दुश्मनी की वजह से हुआ है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के सलाहकार मिखाइलो पोडोलिएक ने कहा, ''यूक्रेन के इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि हम कोई अपराधी मुल्क नहीं हैं. रूसी संघ ऐसा है.''
ऐसी घटनाएं रूस के अधिकारियों की चिंता बढ़ा रही हैं. ख़ासतौर से क्राइमियाई प्रायद्वीप और यूक्रेन के नज़दीक रूसी इलाकों में हुए हालिया धमाकों और हमलों के बाद. क्राइमिया का साल 2014 में रूस ने विलय कर लिया था.
रूस में चलाए जा रहे प्रोपेगैंडा में बार-बार ये कहा जाता है कि कैसे व्लादिमीर पुतिन ने 1990 के अशांत दशक के बाद देश में सुरक्षा और स्थिरता लाई. तब कार बम धमाके और राजनीतिक हत्याएं आम हुआ करती थीं.
हालांकि राजधानी मॉस्को के निकट दुगिना की कार पर हुआ बम हमला प्रोपेगैंडा के दावों को ग़लत साबित करता है.
रूस में अलेक्ज़ेंडर दुगिन के पास कोई सरकारी पद नहीं है, पर वो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के काफ़ी क़रीबी माने जाते हैं और उन्हें 'पुतिन का रास्पुतिन' भी कहा जाता है.
(आपको बता दें कि ग्रिगोरी रास्पुतिन रूसी साम्राज्य के आख़िरी ज़ार निकोलस द्वितीय के विश्वासपात्र थे और ज़ार के लिए गए फ़ैसलों में उनकी अहम भूमिका मानी जाती थी. निकोलस द्वितीय की पत्नी एलेक्जेंड्रा पर भी रास्पुतिन का ख़ासा प्रभाव था.
रास्पुतिन साइबेरिया के तोबोल्स्क के रहनेवाले थे. ज़ारिना को लगता था कि रास्पुतिन अपनी जादुई शक्तियों से उनके बीमार बेटे और सिंहासन के उत्तराधिकारी एलेक्सी को ठीक कर सकते थे. )
दुगिना एक रूस की एक मशहूर पत्रकार थीं जो यूक्रेन पर रूस के हमले का खुलकर समर्थन करती थीं.
इस साल की शुरुआत में अमेरिका और ब्रितानी अधिकारियों ने उन पर प्रतिबंध लगा दिए थे. 29 साल की दुगिना पर आरोप लगा था कि रूसी हमले के बारे में वो इंटरनेट पर ग़लत ख़बरें फैला रही हैं.
मई में दिए एक इंटरव्यू में दुगिना ने इस लड़ाई को ''सभ्यताओं का संघर्ष'' कहा था और इस इस बात पर गर्व महसूस किया था कि उन पर और उनके पिता पर पश्चिम ने प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.
क्राइमिया के रूस में विलय में अलेक्ज़ेंडर दुगिन की कथित भूमिका मानते हुए अमेरिका ने साल 2015 में उन पर प्रतिबंध लगा दिया था .
व्लादिमीर पुतिन की सोच को प्रभावित करने में दुगिन के लेखों का अहम योगदान माना जाता है. साथ ही क्रेमलिन में कई लोग जिस धुर-राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थक माने जाते हैं उसके पीछे भी एलेक्जे़ंडर दुगिन की प्रमुख वैचारिक भूमिका मानी जाती है. (bbc.com/hindi)
बीते कई साल से अलेक्जे़ंडर दुगिन रूस की सरकार को ज़्यादा वैश्विक मंच पर आक्रामक रवैया अख़्तियार करने की सलाह देते रहे हैं. उन्होंने यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई का भी समर्थन किया है.
मॉस्को, 22 अगस्त। रूस ने पैगंबर मोहम्मद पर अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए शीर्ष भारतीय नेतृत्व जमात के एक सदस्य पर आत्मघाती हमला करने की साज़िश रचने के लिए इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के एक आतंकवादी को पकड़ा है । रूस की शीर्ष खुफिया एजेंसी ने सोमवार को बताया कि यह शख्स एक मध्य एशियाई देश का रहने वाला है।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने खबर दी है कि रूस की खुफिया एजेंसी ‘संघीय सुरक्षा सेवा’ (एफएसबी) के मुताबिक, प्रतिबंधित इस्लामिक स्टेट के एक सरगना ने इस साल अप्रैल से जून के बीच तुर्की में प्रवास के दौरान एक विदेशी नागरिक को आत्मघाती हमलावर के तौर पर संगठन में भर्ती किया था।
एफएसबी ने कहा, “संघीय सुरक्षा सेवा ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’ के सदस्य की रूस में पहचान की और उसे पकड़ लिया। हिरासत में लिया गया शख्स मध्य एशिया के एक देश का नागरिक है और उसने भारत के सत्तारूढ़ दल के शीर्ष नेतृत्व में शामिल एक सदस्य पर आत्मघाती हमला करने की योजना बनाई थी।”
एफएसबी के ‘सेंटर फॉर पब्लिक रिलेशन्स’ (सीपीआर) ने बताया कि सोशल मीडिया मंच ‘टेलीग्राम’ और इस्तांबुल में आईएसआईएस के एक प्रतिनिधि के साथ व्यक्तिगत मुलाकात के दौरान उसके दिमाग में संगठन की विचारधारा को भरा गया।
खबर के मुताबिक, एफएसबी ने उल्लेख किया कि आतंकवादी ने आईएसआईएस के ‘अमीर’ (प्रमुख) के प्रति निष्ठा की शपथ ली, जिसके बाद उसे रूस जाने और जरूरी दस्तावेज़ हासिल करने के लिए निर्देशित किया गया, ताकि वह भारत जा सके और इस आतंकवादी कृत्य को अंजाम दे सके।
रूस की खुफिया एजेंसी ने आतंकवादी की पहचान उजागर नहीं की। उसने स्वीकार किया है कि वह पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के लिए भारत के सत्तारूढ़ दल के एक सदस्य के खिलाफ आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने की तैयारी कर रहा था।
सीपीआर की ओर से उससे पूछताछ का वीडियो सोमवार को जारी किया गया जिसमें आतंकवादी कह रहा है कि उसने अप्रैल 2022 में आईएसआईएस के ‘अमीर’ के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी और एक विशेष प्रशिक्षण लिया था जिसके बाद वह रूस आया और यहां से भारत जाता।
उसने कहा, “पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के लिए आईएसआईएस के इशारे पर आतंकवादी हमला करने के लिए मुझे वहां चीजें दी जानी थीं।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तत्कालीन प्रवक्ता नुपुर शर्मा और पार्टी के दिल्ली ईकाई के मीडिया प्रकोष्ठ के तत्कालीन प्रमुख नवीन कुमार जिंदल ने पैगंबर को लेकर विवादित टिप्पणियां की थी जिसके बाद मुस्लिम देशों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी और पार्टी ने नुपुर को निलंबित और कुमार को निष्कासित कर दिया था।
खूंखार आतंकवादी संगठन आईएसआईएस और इससे संबंधित सभी संगठनों को भारत में प्रतिबंधित किया गया है। वे इराक और सीरिया में कई हमले करने के लिए जिम्मेदार हैं।
गृह मंत्रालय ने आतंकवादी समूह पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा है कि भारत के युवाओं की संगठन में भर्ती और उन्हें कट्टर बनाया जाना देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है, खासकर जब ऐसे युवा भारत लौटते हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभाव पड़ सकते हैं। (भाषा)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को दहशतगर्दी एक मामले में तीन दिन की ज़मानत मिली है. इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने इमरान ख़ान को अग्रिम ज़मानत देते हुए उन्हें 25 अगस्त तक आतंकवाद निरोधी कोर्ट के सामने पेश होने को कहा है.
इमरान खान के वकीलों ने कोर्ट में कहा था कि इमरान ख़ान मामले में जांच के लिए तैयार हैं. उनका अतीत में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और न ही उन्हें कभी सज़ा दी गई है. इसके साथ ही वकीलों ने ये भी कहा कि इमरान ख़ान को अग्रिम ज़मानत देने से साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ़ रजिस्ट्रार ऑफ़िस ने इमरान ख़ान की अग्रिम ज़मानत की याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि उनके पास बायोमेट्रिक रिकॉर्ड नहीं है. रजिस्ट्रार ऑफ़िस की तरफ़ से कहा गया कि इमरान ख़ान को हाई कोर्ट की जगह आतंकवाद निरोधी कोर्ट में जाना चाहिए.
इमरान ख़ान की तरफ से कहा गया कि आतंकवाद निरोधी कोर्ट के जज छुट्टी पर हैं, इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.
क्या है मामला
पाकिस्तान में पुलिस ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ आतंकवाद निरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है.
इमरान ख़ान पर शनिवार को एक रैली के दौरान पुलिस और न्यायपालिका को धमकाने का आरोप लगाया गया है.
आतंकवाद निरोधी एक्ट की धारा-7 के तहत दायर मामले में कहा गया है कि इमरान ख़ान ने अपने भाषण में "शीर्ष पुलिस अधिकारियों और एक सम्मानित महिला जज को डराया और धमकाया" और उनका इरादा उन्हें अपना काम करने देने से रोकना और उन्हें पीटीआई के किसी शख्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से रोकना था.
इमरान ख़ान ने शनिवार को रैली में अपनी पार्टी के सहयोगी को हिरासत में लिए जाने और कथित तौर पर बदसलूकी किए जाने को लेकर इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख और एक महिला जज की निंदा की थी.
इमरान ने अपने भाषण में धमकी दी थी कि वो शीर्ष पुलिस अधिकारियों, एक महिला मजिस्ट्रेट, चुनाव आयोग और उनके राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ अपने सहयोगी शहबाज़ गिल के साथ कथित बदसलूकी करने के लिए मामले दायर करेंगे. (bbc.com)
पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को गिरफ़्तार किए जाने की अटकलों के बीच भारी तनाव की स्थिति बन गई है और बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने इमरान ख़ान के घर के बाहर डेरा डाल दिया है.
इमरान ख़ान के घर के बाहर पुलिसकर्मी भी तैनात हैं, हालाँकि उनका कहना है कि वो उन्हें गिरफ़्तार करने नहीं, बल्कि क़ानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए वहाँ मौजूद हैं.
दरअसल, पाकिस्तान में पुलिस ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ आतंकवाद निरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है.
इमरान ख़ान पर शनिवार को एक रैली के दौरान पुलिस और न्यायपालिका को धमकाने का आरोप लगाया गया है.
पाकिस्तान में इस घटना को लेकर रविवार को सोशल ट्विटर पर - "इमरान ख़ान हमारी रेड लाइन" ट्रेंड करने लगा.
इस्लामाबाद में बनी गला में उनके घर के बाहर जुटे समर्थकों ने चेतावनी दी है कि उनके नेता की गिरफ़्तारी "घर की दहलीज़" यानी लक्ष्मण रेखा को लाँघने के जैसा होगा.
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनके नेता को गिरफ़्तार किया गया तो वो इस्लामाबाद को अपने क़ब्ज़े में ले लेंगे.
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीटीआई के वरिष्ठ नेता शाह महमूद क़ुरैशी ने रविवार को एक प्रेस वार्ता में कहा, "हम अमनपसंद लोग हैं, लोकतांत्रिक लोग हैं, हम क़ानून के भीतर रहकर सियासी जद्दोज़हद जारी रखेंगे, लेकिन अगर आपने हमारे घर की दहलीज़ को फ़लाँगा कि उसके नतीजे के ज़िम्मेदार वज़ीर-ए-आज़म शहबाज़ शरीफ़ साहब आप होंगे, और जो नुक़सान पहुँचेगा उसके ज़िम्मेदार आसिफ़ अली ज़रदारी साहब और शहबाज़ शरीफ़ साहब आप होंगे."
इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ जाँच का ये मामला ऐसे समय आया है जब उनके और पाकिस्तान सरकार के बीच तनाव चरम सीमा पर है.
इस वर्ष अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के बाद सत्ता से बाहर होने के बाद इमरान ख़ान लगातार सरकार और सेना की आलोचना करते रहे हैं.
वो इसके बाद से ही आक्राम रुख़ अख़्तियार कर पूरे देश में दौरा कर रैलियों में सरकार और सेना पर हमले करते हुए फिर से चुनाव करवाने की माँग कर रहे हैं.
पाकिस्तान पुलिस ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ जाँच तब शुरू की जब उन्होंने अधिकारियों पर अपने एक क़रीबी सहयोगी शहबाज़ को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया जिन्हें पिछले हफ़्ते देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
इमरान ख़ान ने शनिवार को रैली में अपनी पार्टी के सहयोगी को हिरासत में लिए जाने और कथित तौर पर बदसलूकी किए जाने को लेकर इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख और एक महिला जज की निंदा की थी.
इमरान ने अपने भाषण में धमकी दी थी कि वो शीर्ष पुलिस अधिकारियों, एक महिला मजिस्ट्रेट, चुनाव आयोग और उनके राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ अपने सहयोगी शहबाज़ गिल के साथ कथित बदसलूकी करने के लिए मामले दायर करेंगे.
इमरान ख़ान ने ख़ास तौर पर अतिरिक्त जिला और सत्र जज ज़ेबा चौधरी को निशाना बनाया जिन्होंने इस्लामाबाद पुलिस के आग्रह पर शहबाज़ गिल की दो दिन की पुलिस रिमांड को मंज़ूरी दी थी.
इमरान ख़ान ने रैली में पुलिस प्रमुख और जज को निशाना बनाते हुए कहा, "शर्म करो, इस्लामाबाद आईजी, तुम्हें तो नहीं छोड़ना है, तुम्हारे ऊपर केस करना है हमने, और मजिस्ट्रेट साहिबा ज़ेबा, आप भी तैयार हो जाएँ, आपके ऊपर भी हम ऐक्शन लेंगे."
रविवार को इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ होने से पहले पाकिस्तान के गृहमंत्री राना सनाउल्लाह ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी जिसमें उन्होंने बताया था कि सरकार इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने से पहले क़ानूनी परामर्शन ले रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान ख़ान ने भाषण में जो कहा वो उनके पिछले भाषणों की कड़ी है जिसमें वो सेना और अन्य संस्थानों को निशाना बनाते रहे हैं.
जाँचकर्ताओं का कहना है कि इमरान ख़ान ने कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों को धमकाने से उनके ख़िलाफ़ आतंकवाद-विरोधी क़ानून तोड़ा है.
पाकिस्तान के मीडिया नियामक ने शनिवार को कहा था कि इमरान ख़ान की रैलियों के टीवी पर सीधे प्रसारण पर भी रोक लगा दी गई है क्योंकि वो सरकारी संस्थानों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण दे रहे हैं.
इमरान ख़ान ने इसके बाद दावा किया कि सरकार उन्हें सेंसर करने की कोशिश कर रही है.
रविवार को रावलपिंडी में एक दूसरी रैली में उन्होंने कहा, "इमरान ख़ान ने क्या जुर्म किया है? मैं इन चोरों के गिरोह को मंज़ूर नहीं करूँगा."
इमरान ख़ान ने बाद में सरकार पर आरोप लगाया कि उनसे लोगों को उनका भाषण लाइव सुनने से रोकने के लिए यूट्यूब को भी ब्लॉक किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ शनिवार रात 10 बजे इस्लामाबाद के मरगल्ला पुलिस थाने में एफ़आईआर दर्ज करवाई गई.
आतंकवाद निरोधी ऐक्ट की धारा-7 के तहत दायर मामले में कहा गया है कि इमरान ख़ान ने अपने भाषण में "शीर्ष पुलिस अधिकारियों और एक सम्मानित महिला जज को डराया और धमकाया" और उनका इरादा उन्हें अपना काम करने देने से रोकना और उन्हें पाटीआई के किसी शख्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से रोकना था.
सत्ता से बाहर होने के बावजूद पाकिस्तान में इमरान ख़ान के पास लोगों का अच्छा-ख़ासा समर्थन है.
पिछले महीने उनकी पार्टी पीटीआई ने पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब में सत्ताधारी दल को उपचुनावों में मात देकर अपने विरोधियों को हैरान कर दिया था.
पंजाब के उपचुनाव में पाकिस्तान में सत्ताधारी दल पीएमएल(एन) को उम्मीद थी कि वो आसानी से जीत जाएगी. मगर इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) ने 20 में से 15 सीटें जीतकर प्रांतीय असेंबली पर कब्ज़ा कर लिया.
इस उपचुनाव के नतीजे को कई लोगों ने चुनावी लड़ाई में इमरान ख़ान की लोकप्रियता का एक संकेत बताया और ऐसा कहा जाने लगा कि यदि समय से पहले चुनाव कराए जाते हैं तो उनका पलड़ा भारी रह सकता है.
इमरान ख़ान 2018 के चुनाव में जीत कर प्रधानमंत्री बने थे. मगर अपने कार्यकाल के आख़िरी वर्षों में पाकिस्तान की ताक़तवर सेना के साथ उनका मतभेद हुआ.
इसके बाद उनकी पार्टी से एक-के-बाद-एक कई नेता अलग होते चले गए, और आख़िरकार इस वर्ष अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव में उनका बहुमत जाता रहा और उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी. (bbc.com)
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 22 अगस्त। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर शनिवार को इस्लामाबाद रैली में पुलिस, न्यायपालिका और अन्य सरकारी संस्थानों को धमकी देने के आरोप में आतंकवाद-रोधी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
इस संबंध में जानकारी रविवार को सामने आई।
इससे पहले, पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने रविवार को कहा कि रैली में राज्य के संस्थानों को धमकी देने और भड़काऊ बयान देने के आरोप में सरकार पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ मामला दर्ज करने पर विचार कर रही है।
खान के खिलाफ शनिवार रात 10 बजे इस्लामाबाद के मारगल्ला थाने में आतंकवाद-रोधी अधिनियम की धारा-7 के तहत मामला दर्ज किया गया।
इसमें कहा गया कि खान के भाषण ने पुलिस, न्यायाधीशों और देश में भय एवं अनिश्चितता की स्थिति पैदा की।
इमरान खान ने शनिवार को यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए शीर्ष पुलिस अधिकारियों, एक महिला मजिस्ट्रेट, पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने की धमकी दी थी। उन्होंने अपने सहयोगी शहबाज गिल के साथ हुए बर्ताव को लेकर यह चेतावनी दी थी, जिन्हें राजद्रोह के आरोप में पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया गया था।
सनाउल्लाह ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख अपने भाषणों में सेना और अन्य संस्थानों को निशाना बनाते रहे हैं और उन्होंने अपने इस अभियान को जारी रखा है।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने खान के नए भाषण पर एक रिपोर्ट तैयार की है और वह इस संबंध में आगामी कुछ दिनों में अंतिम निर्णय लेने से पहले महाधिवक्ता तथा कानून मंत्रालय से परामर्श कर रहा है।
इससे पहले पाकिस्तान में मीडिया पर निगरानी रखने वाली संस्था ने सभी उपग्रह टेलीविजन चैनलों पर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री खान के भाषणों के सीधे प्रसारण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।
पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पेमरा) ने शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि टेलीविजन चैनल बार-बार चेतावनी देने के बावजूद ‘‘सरकारी प्रतिष्ठानों’’ के खिलाफ सामग्री के प्रसारण को रोकने में नाकाम रहे हैं।
इसमें कहा गया, ‘‘ऐसा देखा गया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान अपने भाषणों/वक्तव्यों में सरकारी प्रतिष्ठानों पर लगातार निराधार आरोप लगा रहे हैं और उकसावे वाले बयानों के जरिए घृणास्पद भाषणों का प्रचार कर रहे हैं, जिससे कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है और इससे सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका है।’’
नियामक ने कहा कि खान के भाषण संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन हैं और मीडिया की आचार संहिता के खिलाफ हैं।
पीटीआई के अध्यक्ष पर लगाए गए प्रतिबंधों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार फासीवादी सरकार है।
इस बीच, खान ने रविवार रात रावलपिंडी के लियाकत बाग मैदान में एक रैली को संबोधित किया।
खान ने पेमरा पर अपने भाषणों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कहा, ‘‘अब पेमरा भी इस खेल में शामिल है। इमरान खान ने क्या किया है? मेरा एकमात्र अपराध यह है कि मैं इस ‘आयातित सरकार’ को स्वीकार नहीं कर रहा हूं।’’ (भाषा)
पोकरोव्स्क (यूक्रेन), 22 अगस्त। पूर्वी यूक्रेन के पोकरोव्स्क पेरिनेटल अस्पताल के गलियारे में नन्ही वेरोनिका के रोने की आवाज दूर से ही सुनाई दे रही है...समय से पहले जन्मी वेरोनिका का वजन 1.5 किलोग्राम है और उसे सांस लेने में मदद के लिए नाक में नली लगाकर ऑक्सीजन दिया जा रहा है। पीलिया से पीड़ित होने के कारण उसे एक ‘इनक्यूबेटर’ में रखा गया है।
डॉ. टेटियाना मायरोशिनचेंको उसकी देखरेख कर रही हैं। उन्होंने वेरोनिका से बड़ी सावधानी से उन नलियों को जोड़ा है, जिसकी मदद बच्ची की मां का दूध उसे पिलाया जा सके।
फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण करने से पहले, देश के युद्धग्रस्त दोनेत्सक क्षेत्र के सरकारी नियंत्रित क्षेत्रों में तीन अस्पताल में समय से पहले जन्मे बच्चों की देखभाल करने की सुविधाएं थीं। इसमें से एक रूसी हवाई हमले में तबाह हो गया, जबकि एक अन्य को युद्ध के कारण बंद करना पड़ा। अब केवल पोकरोव्स्क के अस्पताल में ऐसे बच्चों की देखरेख की व्यवस्था है।
अस्पताल की एक मात्र नियोनेटोलॉजिस्ट (नवजात बच्चों के विशेषज्ञ) मायरोशिनचेंको अब अस्पताल में ही रहती हैं। उनका तीन साल का बेटा कुछ दिन अस्पताल में अपनी मां के पास और कुछ दिन घर पर अपने पिता के साथ रहता है। मायरोशिनचेंको के पति एक कोयले की खान में काम करते हैं।
चिकित्सक ने बताया कि उनके लिए अस्पताल में रहना इसलिए जरूरी है क्योंकि हवाई हमले की चेतावनी देने वाले ‘सायरन’ बजने के बावजूद ‘इनक्यूबेटर वार्ड’ में बच्चों को जीवन रक्षक मशीनों से हटाया नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर मैं वेरोनिका को आश्रय स्थल ले जाऊंगी तो उसमें पांच मिनट लगेंगे, लेकिन उसके लिए वह पांच मिनट बेहद नाजुक हो सकते हैं।’’
अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि समय से पहले या कुछ जटिलताओं के साथ जन्मे बच्चों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में इस साल करीब दोगुना है, तनाव और तेजी से बिगड़ते जीवन स्तर के कारण गर्भवती महिलाओं का मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
रूस और उसके समर्थित अलगाववादियों ने अब आधे से अधिक दोनेत्सक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। पोकरोव्स्क अब भी यूक्रेन सरकार के नियंत्रण में है।
मायरोशिनचेंको ने कहा, ‘‘ इस इमारत के बाहर जो कुछ भी हो रहा है यकीनन हम उसको लेकर चिंतित हैं लेकिन हम उसके बारे में बात नहीं करते।’’
उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता अभी केवल बच्ची का ध्यान रखना है।
मुख्य चिकित्सक डॉ. इवान त्स्यगानोक ने कहा, ‘‘ बच्चों को जन्म ऐसा कार्य नहीं जिसे रोका जा सके या जिसके समय में बदलाव किया जा सके।’’
उन्होंने कहा कि प्रसूति अस्पताल को पोकरोव्स्क से बाहर कहीं और स्थापित करना संभव नहीं है।
पोकरोव्स्क में दो दिन की बेटी की मां इन्ना किस्लीचेंको (23) ने कहा कि अस्पताल से जाने के बाद वह यूक्रेन में पश्चिम की ओर सुरक्षित क्षेत्रों में जाने पर विचार कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं सभी नवजात बच्चों के जीवन को लेकर चिंतित हूं, केवल अपनी बच्ची नहीं...बल्कि यूक्रेन के सभी बच्चों को लेकर, पूरे यूक्रेन को लेकर...।’’
संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसियों के अनुसार, युद्ध के कारण यूक्रेन में 1.2 करोड़ से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। इनमें से करीब आधे लोगों ने यूक्रेन में ही कहीं अन्य स्थान पर पनाह ली है, जबकि अन्य यूरोपीय देशों में चले गए हैं। (एपी)
सिंगापुर अपने यहां एक क़ानून को निरस्त करने वाला है. दरअसल, ये कानून गे-सेक्स पर प्रतिबंध लगाता है. इस क़ानून के रद्द हो जाने के बाद गे सेक्स को क़ानूनी मान्यता मिल जाएगी.
गे-सेक्स को लेकर सालों से चल रही बहस के बाद इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण फ़ैसला आया है. देश के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने नेशनल टीवी पर इस बात की घोषणा की.
सिंगापुर में एलजीबीटी कम्युनिटी के कार्यकर्ताओं ने इस क़दम को मानवता की जीत के तौर पर परिभाषित किया है.
सिंगापुर आमतौर पर अपने रुढ़िवादी मूल्यों के लिए जाना जाता है लेकिन हाल के सालों में जिस तरह से लोगों ने गे-सेक्स को क़ानूनी मान्यता देने का आह्वान किया और उसके लिए प्रदर्शन किए, उसी का परिणाम है कि अब प्रधानमंत्री की ओर से आने वाले समय में 377-ए क़ानून को रद्द करने की घोषणा की गई है.
एलजीबीटी अधिकारों को लेकर एशिया के कई देशों जैसे भारत, ताइवान और थाईलैंड ने कुछ सार्थक क़दम उठाए हैं और इनके बाद सिंगापुर इस दिशा में क़दम बढ़ाने वाला एक और देश बन गया है.
रविवार को नेशनल टीवी पर अपने संबोधन के दौरान पीएम ली ने कहा कि वो इस क़ानून को रद्द कर देंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि यही करना सही होगा. साथ ही ये एक ऐसा फ़ैसला होगा जिसे सिंगापुर में रहने वाले अधिक से अधिक लोग स्वीकार करेंगे.
उन्होंने कहा, “इस क़दम के बाद से गे लोगों को बेहतर स्वीकार्यता मिल सकेगी.”
एक गे-एक्टिविस्ट जॉनसन ओंग ने बीबीसी से कहा, “अंतत: हमें यह मिल ही गया. आज हम बहुत ख़ुश हैं. ” (bbc.com)