अंतरराष्ट्रीय
श्रीलंका में विपक्ष के नेता सजिथ प्रेमदासा ने मध्य-रात्रि में प्रदर्शनकारियों के शिविरों को तोड़ने और उन्हें खदेड़ने की कार्रवाई की निंदा की है.
प्रेमदासा ने एक वीडियो री-ट्वीट करते हुए लिखा है, "शांतिपूर्ण तरीक़े से प्रदर्शन कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ एक कायरतापूर्ण हमला. ये लोग पहले से ही घोषणा कर चुके थे कि वे साइट खाली कर देंगे, उसके बादजूद इस कार्रवाई से निर्दोष ज़िंदगियों को ख़तरे में डाला गया. यह श्रीलंका की अंतर्राष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंचाने वाला है, यह सिर्फ़ अहंकार और ताक़त का एक औचित्यहीन प्रदर्शन है."
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में मध्य रात्रि के दौरान सैकड़ों की संख्या में सैन्यबल प्रदर्शन-स्थल पर पहुंच गए और वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों के तंबुओं को नष्ट करने लगे. उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर भी हमले किए.
इस दौरान बीबीसी के एक पत्रकार पर भी हमला हुआ है.
श्रीलंका में हुई इस कार्रवाई पर दुनिया भर के देशों के राजनयिकों ने प्रतिक्रिया की है.
श्रीलंका में अमेरिका की राजदूत जूली चुंग ने ट्वीट किया है, "मध्यरात्रि में गॉल फ़ेस में प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई से चिंतित हैं. हम अधिकारियों से संयम बरतने और घायलों को तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने का आग्रह करते हैं."
श्रीलंका में ब्रिटिश हाई-कमीशन सारा हल्टन ने भी ट्वीट करके अपनी चिंता ज़ाहिर की है.
उन्होंने ट्वीट किया है, "गाले फ़ेस विरोध-स्थल से आ रही रिपोर्ट्स के बारे में बहुत चिंतित हैं. हमने हमेशा से शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार को महत्वपूर्ण माना है."
श्रीलंका में यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने भी इस कार्रवाई के संबंध में चिंता ज़ाहिर की गई है. ट्वीट करके चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा गया है, "श्रीलंका जिस दौर में हैं, उस मौजूदा समय में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आवश्यक है."
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में सुरक्षाबलों ने प्रदर्शकारियों के मुख्य धरना स्थल पर शुक्रवार तड़के धावा बोला. उन्होंने मुख्य प्रदर्शन-स्थल पर मौजूद तंबुओं को एक-एक कर गिरा दिया.
राष्ट्रपति भवन के भीतर मौजूद प्रदर्शनकारियों को बाहर निकालने के लिए भी दर्जनों की संख्या में पुलिस और कमांडो अंदर घुस गए और लोगों को बाहर खदेड़ दिया.(bbc.com)
दिनेश गुणावर्धने ने आज श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
गुणावर्धने की नियुक्ति छह बार के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद हुई है.
73 साल के गुणावर्धने इससे पहले विदेश मंत्री और शिक्षा मंत्री रह चुके हैं.
अप्रैल में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने उन्हें गृह मंत्री नियुक्त किया था. (bbc.com)
यूक्रेन की सबसे बड़ी स्टील फर्म मेटिनवेस्ट के मालिक ने रूस पर कई हजार करोड़ के स्टील चुराने का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन में स्टील प्लांट और बंदरगाहों से 60 करोड़ डॉलर कीमत के स्टील की चोरी कर रहा है.
मेटिनवेस्ट स्टील फर्म अज़ोवस्टल स्टील प्लांट की मालिक है. ये प्लांट मारियुपोल शहर की तबाही के दौरान यूक्रेनी सैनिकों और नागरिकों का अंतिम ठिकाना बना था.
मुख्य कार्यकारी यूरी रायज़ेनकोव ने कहा कि स्टील को रूस में ट्रांसफर कर बेचा जा रहा था, जिसमें से कुछ स्टील यूके के ग्राहकों के लिए बना था. स्टील की इस लूट पर रूस ने कोई टिप्पणी नहीं की है.
मेटिनवेस्ट स्टील कंपनी का मुख्यालय मारियुपोल में है, जो ट्रेड और मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र है. तीन महीने की लंबी लड़ाई के बाद मई में रूस ने इस पर कब्जा किया है.
मुख्य कार्यकारी यूरी रायज़ेनकोव ने कहा कि अज़ोवस्टल स्टील प्लांट पर हमले में 300 कर्मचारी और 200 कर्मचारियों के रिश्तेदार मारे गए हैं. (bbc.com)
रियो डी जनेरियो, 22 जुलाई | ब्राजील की वर्कर्स पार्टी ने अक्टूबर में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा की उम्मीदवारी की आधिकारिक घोषणा कर दी है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, साओ पाउलो के पूर्व गवर्नर गेराल्डो अल्कमिन को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया है।
साओ पाउलो में कार्यक्रम की मेजबानी गुरुवार को फेडरेशन ऑफ होप ब्राजील द्वारा की गई, जिसमें वर्कर्स पार्टी, ब्राजील की कम्युनिस्ट पार्टी और ग्रीन पार्टी शामिल थीं।
76 वर्षीय लुइज इनासियो ने 2003 से 2010 तक ब्राजील के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। एक बार फिर वह इस पद के लिए 2 अक्टूबर को होने वाले चुनाव में खड़े होंगे। उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों में मौजूदा राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो शामिल हैं, जो दूसरे कार्यकाल की मांग कर रहे हैं।
राजनीतिक दलों के पास अपने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के उम्मीदवारों को आधिकारिक तौर पर सुपीरियर इलेक्टोरल कोर्ट के साथ रजिस्टर्ड करने के लिए 15 अगस्त तक का समय होगा।
16 अगस्त से, उम्मीदवार चुनाव से एक दिन पहले तक आधिकारिक तौर पर ऑनलाइन और सार्वजनिक स्थानों पर प्रचार शुरू कर सकते हैं।
(आईएएनएस)
-जॉर्ज राइट
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में सुरक्षाबलों ने प्रदर्शकारियों के मुख्य धरना स्थल पर शुक्रवार तड़के धावा बोला. उन्होंने मुख्य प्रदर्शन-स्थल पर मौजूद तंबुओं को एक-एक कर गिरा दिया.
राष्ट्रपति भवन के भीतर मौजूद प्रदर्शनकारियों को बाहर निकालने के लिए भी दर्जनों की संख्या में पुलिस और कमांडो अंदर घुस गए और लोगों को राष्ट्रपति भवन से बाहर खदेड़ दिया.
इस दौरान बीबीसी के एक वीडियो जर्नलिस्ट को भी पीटा गया. एक सैनिक ने उनसे उनका मोबाइल छीन लिया और उसमें मौजूद वीडियो डिलीट कर दिए.
सेना की यह कार्रवाई रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद हुई है. जनता के बीच काफी अलोकप्रिय रानिल ने प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की बात की थी.
हालाँकि, कुछ प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे उन्हें एक मौक़ा ज़रूर देंगे.
पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भाग जाने के बाद रानिल राष्ट्रपति चुने गए हैं. इससे पहले उन्हें हाल ही में महिंदा राजपक्षे के इस्तीफ़ा देने के बाद प्रधानमंत्री बनाया गया था.
जब हमने ये सुना कि कोलंबों में पुलिस दल और सुरक्षा बल सरकार-विरोधी प्रदर्शन स्थलों पर, आधी रात के बाद कार्रवाई करने वाले हैं, हम मुख्य प्रदर्शन स्थल पर पहुंच गए. यह जगह कोलंबो में राष्ट्रपति कार्यालय के ठीक सामने है.
थोड़ी ही देर में, भारी लाव-लश्कर के साथ सैकड़ों की संख्या में सैन्य-बल और पुलिस-कमांडो वहां आ पहुंचे. उनके पास दंगा-रोधी उपकरण भी थे. वे दो दिशाओं से उस जगह पर पहुंचे. उनके चेहरे ढके हुए थे.
प्रदर्शन-स्थल पर मौजूद कार्यकर्ताओं ने जब उनकी मौजूदगी को लेकर आपत्ति जताई तो वे और आगे बढ़ने लगे और एकाएक आक्रामक हो गए. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलना शुरू कर दिया.
कुछ पलों के भीतर ही हमने देखा कि वे फुटपाथ लगे तंबुओं को गिराने लगे. वे काफी आक्रामक थे और वहां लगे तंबुओं को एक-एक करके नष्ट कर रहे थे. सुरक्षाबल की एक टुकड़ी राष्ट्रपति भवन के भीतर चली गई, जहां 9 जुलाई को आम-जनता दाख़िल हो गई थी और जिसने राष्ट्रपति भवन को अपने कब्ज़े में लेकर राजपक्षे को भागने पर मजबूर कर दिया था.
हालांकि इससे पहले ही कार्यकर्ताओं की ओर से यह घोषणा की जा चुकी थी कि शुक्रवार तक सभी प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन से बाहर निकल जाएंगे लेकिन राष्ट्रपति भवन में दाखिल हुई सैन्यबल की ये टुकड़ी अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को किनारे करती हुई आगे बढ़ रही थी.
कार्यकर्ताओं को पीछे धकेल दिया गया और वे आगे ना बढ़ सकें, इसके लिए स्टील के बैरिकेड्स लगा दिए गए.
जिस समय उस इलाक़े से वापस लौट रहे थे, उस वक़्त एक शख़्स जिसने की साधारण कपड़े पहन रखे थे, उसने मेरे सहयोगी पर चिल्लाते हुए कहा कि वह उसके मोबाइल में मौजूद वीडियोज़ को डिलीट करना चाहता है. उस शख़्स के चारों ओर सैनिक थे. कुछ ही सेकंड्स में वो शख़्स मेरे साथी के पास आया, उसके एक ज़ोर का मुक्का मारा और उसका फ़ोन छीन लिया.
हालांकि मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की कि हम पत्रकार हैं और सिर्फ़ अपना काम कर रहे हैं, उन्होंने मेरी एक बात नहीं सुनी. इसके बाद भी मेरे साथी पर हमला हुआ और हमने इसका कड़ा विरोध किया. बीबीसी के अन्य साथी का माइक भी छीनकर फेक दिया गया.
उन लोगों ने वीडियो डिलीट करने के बाद मोबाइल वापस लौटा दिया. इस दौरान एख दूसरे आर्मी अधिकारी ने आखर हस्तक्षेप किया और हमें जान दिया.
मेरा साथी कांप रहा था लेकिन हम किसी तरह अपने होटल लौट आए जोकि उस जगह से कुछ सौ मीटर की ही दूरी पर है.
बीबीसी ने सेना से और पुलिस से इस हमले पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की लेकिन किसी ने भी हमारे फ़ोन-कॉल्स का जवाब नहीं दिया. बीते सप्ताह इस जगह पर आफातकाल की घोषणा की गई थी जोकि अभी भी कायम है.
श्रीलंका में जारी प्रदर्शन एक महीने या हफ़्ते भर पुराने नहीं हैं. इस साल की शुरुआत से ही श्रीलंका में आम लोगों का प्रदर्शन शुरू हो गया था. आर्थिक संकट और रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तरसते लोग इस साल की शुरुआत में ही सड़कों पर उतर आए थे.
ये प्रदर्शन अप्रैल महीने में इतने उग्र हो गए थे कि आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी थी और अब जुलाई में तो प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन के अंदर ही घुस गए.
देश की मौजूदा स्थिति के लिए एक बड़ा वर्ग राजपक्षे प्रशासन की ग़लत नीतियों को दोषी मानता है. वे विक्रमसिंघे को भी इस समस्या की एक बड़ी वजह मानते हैं. जिस दिन रनिल विक्रमसिंघे राष्ट्रपति चुनाव जीते, उस दिन सड़क पर प्रदर्शन कर रहे लोगों की संख्या बहुत अधिक नहीं थी. कुछ ही प्रदर्शनकारी सड़क पर मौजूद थे.
लेकिन जैसे ही रनिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सरकार गिराना या सरकारी भवनों पर क़ब्ज़ा कर लेने का प्रयास करना, लोकतंत्र नहीं है. उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने और गतिविधियों में शामिल लोगों को किसी भी सूरत में बक़्शा नहीं जाएगा और उनसे सख़्ती से निपटा जाएगा.
प्रदर्शन कर रहे लोगों को इस बात की चिंता बिल्कुल थी कि सरकार धीरे-धीरे या फिर एकाएक, विरोध आंदोलनों पर आज नहीं तो कल, कार्रवाई कर सकती है.
श्रीलंकाः कुछ अहम तथ्य
भारत का पड़ोसी देश जो 1948 में ब्रिटेन से आज़ाद हुआ.
श्रीलंका की आबादी 2 करोड़ 20 लाख है, सिंहला आबादी बहुसंख्यक है, तमिल और मुस्लिम अल्पसंख्यक
राजपक्षे परिवार के कई भाई पिछले कई वर्षों से सत्ता में रहे
1983 में तमिल विद्रोही संगठन एलटीटीई और सरकार के बीच गृहयुद्ध छिड़ा
2005 में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति चुनाव में विजयी रहे
2009 में एलटीटी के साथ लंबा युद्ध समाप्त हुआ, तमिल विद्रोही हारे, महिंदा राजपक्षे नायक बनकर उभरे
तब गोटाबाया राजपक्षे रक्षा मंत्री थे जो 2019 में राष्ट्रपति बने, वे महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई हैं
2022 में कई महीनों के ज़बरदस्त विरोध के बाद पहले महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से और फिर गोटाबाया ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दिया
रनिल विक्रमसिंघे पहले प्रधानमंत्री और अब राष्ट्रपति बनाए गए, वो 2024 तक पद पर रहेंगे
श्रीलंका में राष्ट्रपति देश, सरकार और सेना प्रमुख होता है
प्रधानमंत्री संसद में सत्ताधारी दल का प्रमुख होता है मगर कई विधायी शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होती हैं
विक्रमसिंघे बतौर नए राष्ट्रपति
नव-नियुक्त राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे का लक्ष्य है कि वे जितनी जल्दी हो सके देश में राजनीतिक स्थिरता बहाल कर सकें.
एकबार राजनीतिक स्थिरता कायम हो जाने के बाद ही देश अपने सबसे बड़े संकट, यानी आर्थिक तंगहाली से निपटने के प्रयासों को आगे बढ़ा सकेगा.
राजनीतिक स्थिरता कायम होने के बाद ही श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ एक बेल-आउट पैकेज के लिए बातचीत शुरू कर सकेंगा. अनुमान है कि श्रीलंका इसके तहत तीन अरब डॉलर की मांग करेगा.
विक्रमसिंघे का लक्ष्य राजनीतिक स्थिरता बहाल करना है ताकि देश अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ एक बेलआउट पैकेज के लिए बातचीत फिर से शुरू कर सके, जिसका अनुमान लगभग 3 बिलियन डॉलर है.
श्रीलंका में महीनों से सरकार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं क्योंकि देश अपनी आज़ादी के बाद के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. देश में खाद्यान्न, ईंधन और दूसरी बुनियादी ज़रूरतों की भारी कमी है.
जुलाई के दूसरे सप्ताह में हज़ारोंकी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो की सड़कों पर मार्च किया था और राजपक्षे और विक्रमसिंघे से इस्तीफ़ा देने की मांग की थी.
इसके बाद के घटनाक्रम में राजपक्षे 13 जुलाई को तड़के सुबह देश छोड़कर भाग गए. वह पहले मालदीव पहुंचे और उसके बाद सिंगापुर के लिए उड़ान भरी. सिंगापुर पहुंचकर उन्होंने स्पीकर को अपना इस्तीफ़ा मेल कर दिया.
हालांकि विक्रमसिंघे ने इस्तीफ़ा नहीं दिया, उन्होंने शुरू में पेशकश ज़रूर की थी लेकिन राजपक्षे के भाग जाने पर उन्होंने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद स्वीकार कर लिया.
रनिल ने पिछले सप्ताह कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने के साथ ही सेना को आदेश दिया था कि पब्लिक-ऑर्डर को बहाल करने के लिए जो बी ज़रूरी हो, वे करें.
छह बार के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दो दावेदारियों में विफल रह चुके हैं.
बीते बुधवार संसदीय प्रकिया के बाद वह देश के राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं.
बुधवार को राष्ट्रपति पद के लिए उनकी जीत का मतलब यह है कि वह नवंबर 2024 तक राष्ट्रपति के शेष कार्यकाल को पूरा करेंगे. (bbc.com)
कोलंबो, 22 जुलाई। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे का मंत्रिमंडल आज शुक्रवार को शपथ लेगा।
मंत्रिमंडल में दिनेश गुणवर्धने (73) भी शामिल हैं, जो देश के नए प्रधानमंत्री होंगे। अप्रैल में पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान उन्हें गृह मंत्री बनाया गया था। वह विदेश मंत्री और शिक्षा मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
गुणवर्धने समेत मंत्रिमंडल में वही नेता शामिल किए जाएंगे, जो विक्रमसिंघे के कार्यवाहक राष्ट्रपति रहने के दौरान इसके (मंत्रिमंडल के) सदस्य थे। संसद सत्र के शुरू होने पर सरकार पर सहमति बनने तक पिछला मंत्रिमंडल काम करता रहेगा और इसके बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा।
अधिकारियों ने बताया कि विक्रमसिंघे सर्वदलीय सरकार का गठन करेंगे। छह बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को बुधवार को सांसदों ने राष्ट्रपति चुना था।
विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि नकदी संकट से जूझ रहे श्रीलंका के वास्ते राहत सौदे के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ चल रही वार्ता को निरंतरता मिलेगी।
इस बीच, प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास के बाहर अप्रैल से डेरा डाले प्रदर्शनकारियों के समूह ने कहा कि वह अपने विरोध-प्रदर्शन समाप्त कर रहे हैं।
इस समूह के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ इस बात पर चर्चा की गई कि संविधान का सम्मान किया जाना चाहिए और इस प्रदर्शन को बंद किया जाना चाहिए।’’
हालांकि, नौ अप्रैल से राष्ट्रपति कार्यालय में प्रवेश बाधित करने वाले प्रदर्शनकारियों ने मुख्य समूह ने कहा कि वे विक्रमसिंघे के इस्तीफा देने तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे।
इस समूह के प्रवक्ता लहिरू वीरसेकरा ने कहा, ‘‘हमारी जीत तभी होगी, जब आम लोगों की सरकार बनेगी।’’
हालांकि, पुलिस तथा विशेष कार्यबल के जवानों ने शुक्रवार को उन्हें वहां से हटा दिया। उस समय वहां करीब 100 प्रदर्शनकारी ही मौजूद थे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय को नौ जुलाई को कब्जा करने के बाद खाली कर दिया था, वे गॉल फेस में राष्ट्रपति सचिवालय के कुछ कमरों पर कब्जा किए हुए थे। (भाषा)
-शुमाइला जाफ़री
महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली 90 वर्षीय रीना वर्मा आख़िरकार मंगलवार 18 जुलाई को पाकिस्तान के शहर रावलपिंडी की हवा में सांस ले पाईं. वो बीते 75 साल से पाकिस्तान के इस शहर में लौटने के लिए तड़प रही थीं.
उनकी ये तीर्थयात्रा उस घर में जाकर पूरी हुई जो रीना वर्मा के मुताबिक उनके पिता ने अपनी सारी ज़िंदगी की जमा पूँजी ख़र्च कर बनवाया था. रीना वर्मा हमेशा इस घर को फिर से देखने का सपना देखती रहीं थीं.
रावलपिंडी लौटने पर उनका शानदार स्वागत हुआ. जब उन्होंने गली में क़दम रखा तो उन पर गुलाब के फूलों की बारिश की गई.
स्थानीय लोगों ने 90 वर्षीय रीना वर्मा के साथ ढोल नगाड़ों पर डांस किया. वो इस स्वागत से अभिभूत थीं.
1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से कुछ दिन पहले ही रीना वर्मा का परिवार रावलपिंडी के 'प्रेम निवास' इलाक़े को छोड़कर भारत पहुंचा था. अब इसे कॉलेज रोड कहा जाता है.
1947 में बंटवारे के दौरान ज़बरदस्त हिंसा हुई थी. ख़ासकर पंजाब प्रांत में लाखों लोगों को अपने घर छोड़कर इधर से उधर जाना पड़ा. जगह-जगह दंगे भड़क गए और लाखों लोग मारे गए.
दर-बदर हुए लाखों परिवारों में रीना वर्मा का परिवार भी एक था.
वापसी की कहानी
साल 2021 में पाकिस्तान के एक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर जब रीना वर्मा का साक्षात्कार हुआ तो वो रातों-रात सोशल मीडिया पर सनसनी बन गईं.
'इंडिया पाकिस्तान हेरिटेज क्लब' फ़ेसबुक ग्रुप से जुड़े लोगों ने रावलपिंडी में उनके पैतृक घर की तलाश शुरू कर दी और आख़िरकार एक महिला पत्रकार ने इस घर को खोज लिया. रीना वर्मा पाकिस्तान जाना चाहती थीं लेकिन कोविड महामारी की वजह से वो जा नहीं सकीं.
हालांकि इस साल मार्च में उन्होंने अंततः पाकिस्तान के वीज़ा के लिए आवेदन दिया, और फिर बिना कोई कारण बताए खारिज कर दिया गया.
रीना कहती हैं, "मैं टूट गई थी. मैंने ये उम्मीद नहीं की थी कि एक 90 वर्षीय महिला, जो सिर्फ़ अपने घर को देखना चाहती है, उसका वीज़ा रद्द कर दिया जाएगा. मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती थी, लेकिन ऐसा हुआ."
रीना वर्मा
रीना कहती हैं कि पाकिस्तान तब राजनीतिक अस्थिरता से गुज़र रहा था वो ये नहीं जान पा रहीं थीं कि आख़िर कैसे वीज़ा के लिए आवेदन करें.
हालांकि वो ये ज़रूर कहती हैं कि वो फिर से वीज़ा के लिए आवेदन देने की योजना बना चुकी थीं, लेकिन उनके दोबारा आवेदन करने से पहले ही उनकी कहानी पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी ख़ार तक पहुंच गई जिन्होंने दिल्ली में पाकिस्तान के दूतावास को रीना के वीज़ा की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए.
रीना बताती हैं, "जब पाकिस्तान के दूतावास से मेरे पास फ़ोन आया तो मेरी खु़शी का ठिकाना ही नहीं रहा. उन्होंने मुझसे आने और वीज़ा हासिल करने के लिए कहा. कुछ ही दिन में ये सब हो गया."
लेकिन फिर एक और चुनौती उनके सामने थी. गर्मी बहुत थी. और हाल ही में रीना ने अपने बेटे को खोया था. ऐसे में उन्हें अकेले ही यात्रा करना था. उन्हें कुछ और महीने इंतज़ार करने की सलाह दी गई.
वो कहती हैं कि इंतज़ार करना बहुत थकाने वाला था लेकिन वो बीमार पड़ने का ख़तरा नहीं उठा सकती थीं. इसलिए उन्होंने सब्र किया और आख़िरकार 16 जुलाई को पाकिस्तान पहुँचीं.
20 जुलाई को रीना आख़िरकार अपने पैतृक घर पहुंची. मैंने सुबह उनसे मुलाक़ात की थी जब वो होटल की लॉबी में बैठी थीं.
उन्होंने इस मौके के लिए ख़ास पोशाक पहनी थी. उन्होंने रंग बिरंगी बसंती सलवार कमीज़ के साथ हरी चुन्नी पहनी थी. वो शांत और ख़ूबसूरत लग रहीं थीं. उन्होंने नेल पेंट लगाया था, जब वो चेहरा घुमातीं तो चमकते हुए कानों के कुंडल नज़र आते.
लेमन जूस पीते हुए उन्होंने मुझसे कहा कि इस यात्रा को लेकर उनकी भावनाएं मिश्रित हैं. वो बोलीं, "ये कड़वी भी हैं और मीठी भी."
"मैं इस पल को अपने परिवार के साथ साझा करना चाहती थी. लेकिन वो सब जा चुके हैं. मैं यहां आकर ख़ुश हूं लेकिन बहुत अकेला भी महसूस कर रही हूं."
रीना बताती हैं कि 1947 की गर्मियों में उन्होंने रावलपिंडी में अपना घर छोड़ा था. उन्होंने और उनकी बहनों ने कभी ये नहीं सोचा था कि वो वापस नहीं लौट पाएंगी.
"मेरी एक बहन की शादी अमृतसर में हुई थी, मेरे बहनोई अप्रैल 1947 में हमसे मिलने आए थे और मेरे पिता से मुझे अपने साथ वापस भेजने को कहा था. वो जानते थे कि हालात ख़राब होने वाले हैं. इसलिए, उस साल गर्मियों में हमें शिमला भेज दिया गया था. हम मरी नहीं गए थे जहां आमतौर पर हम छुट्टियां मनाने जाते थें. मरी एक पहाड़ी रिसॉर्ट है जो रावलपिंडी से 55 किलोमीटर दूर है."
"मेरे माता पिता ने शुरू में आनाकानी की थी लेकिन कुछ सप्ताह बाद वो भी हमारे पास आ गए थे. धीरे-धीरे हम सबने बंटवारे को स्वीकार कर लिया था, हालांकि मेरी मां इसे स्वीकार नहीं कर पाईं थीं. वो कभी भी बंटवारे को समझ नहीं पाईं और हमेशा ये ही कहा करती थीं कि इससे हमें क्या ही फ़र्क पड़ेगा, पहले हम ब्रितानी राज में रहते थे, अब मुस्लिम राज में रह लेंगे. लेकिन हमें हमारे घर को छोड़ने के लिए मजबूर कैसे किया जा सकता है."
रीना बताती हैं कि उनकी मां ने उस घर को कभी स्वीकार नहीं किया जो उन्हें शरणार्थी के तौर पर दिया जा रहा था क्योंकि उन्हें लगता था कि अगर वो इस घर को ले लेंगी तो पाकिस्तान में उस घर पर उनका दावा छूट जाएगा जिसे वो छोड़कर आई हैं.
वापस घर लौटना
जब रीना ने अपने बुज़ुर्गों की गली में क़दम रखा स्थानीय लोगों की भीड़ ने उनका स्वागत किया. उन्होंने रीना को गोद में उठा लिया, गले लगाया और उन पर गुलाब के फूलों की बारिश की.
कुछ लोगों ने ढोल की आवाज़ पर उनके साथ डांस भी किया. रीना बहुत ख़ुश नज़र आ रहीं थी. फिर उन्हें घर के भीतर ले जाया गया जहां मीडिया को जाने की अनुमति नहीं थी.
इमारत के हरे रंग के अगवाड़े पर ताज़ा रंग किया गया था. घर बाहर से कुछ नयापन लिए था लेकिन उसका ढांचा पुराना था. इसी बीच गली में लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी. वो सब रीना को देखना और उनके साथ सेल्फी लेना चाहते थे.
रीना कुछ घंटों तक घर के भीतर रहीं. जब वो दोबारा बाहर निकलीं तो दर्जनों कैमरे उनकी तस्वीर लेने का इंतज़ार कर रहे थे.
मौसम में नमी थी और गली में भीड़ थी. लेकिन रीना शांत दिख रहीं थीं. उन पर अपने इर्द गिर्द इकट्ठा पत्रकारों का कोई असर नहीं था.
उन्होंने मीडिया को बताया कि घर अधिकतर अब भी पहले जैसा ही है. टाइलें, छत, आग की जगह सबकुछ वैसा ही है और ये देखकर उन्हें अपनी ज़िंदगी के उस ख़ूबसूर दौर की याद आ रही है जो उन्होंने यहां बिताया. उन्हें अपने उन रिश्तेदारों की भी याद आई जिन्हें अब वो गंवा चुकी हैं.
रीना ने कहा कि उनका दिल रो रहा है लेकिन वो शुक्रगुज़ार हैं कि वो अपने घर को दोबारा देखने के लिए ज़िंदा रहीं.
जब उनसे पूछा गया कि वो दोनों देशों की सरकारों को क्या संदेश देना चाहती हैं तो उन्होंने राजनीति में पड़ने से इनकार करते हुए सिर्फ़ इतना ही कहा कि जिन लोगों के परिवार और जड़ें बॉर्डर के आरपार हैं उन्हें इस तरह से पीड़ा नहीं झेलनी चाहिए जैसे उन्हें झेलनी पड़ीं.
भारत और पाकिस्तान में बहुत से लोगों को लगता है कि दिल को छू जाने वाली उनकी कहानी इस क्षेत्र को नई उम्मीद देगी जो जहां दूसरे समुदायों के प्रति नफ़रत की राजनीति हर चीज़ पर हावी हो रही है. (bbc.com)
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन कोरोना से संक्रमित हो गए हैं. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कैराइन जीन-पियरे ने एक बयान जारी करके इसकी जानकारी दी है.
प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति बाइडन व्हाइट हाउस में आइसोलेट होकर काम कर रहे हैं. साथ ही वो एंटीवायरल दवा का सेवन कर रहे हैं.
वहीं अमेरिका की पहली महिला और राष्ट्रपति बाइडन की पत्नी जिल बाइडन ने कहा है, ''वो ठीक हैं, जबकि मैं निगेटिव पाई गई हूं.''
कैराइन जीन-पियरे ने अपने बयान में बताया है, ''79 साल के राष्ट्रपति बाइडन में 'बहुत हल्के लक्षण' देखे गए. और वे अपने सभी काम करते रहेंगे.''
बयान के अनुसार, व्हाइट हाउस के प्रोटोकॉल के अनुरूप राष्ट्रपति जो बाइडन आइसोलेशन में रहकर निगेटिव होने तक काम करते रहेंगे.
जीन-पियरे ने यह भी बताया है कि वो टेलीफोन और ज़ूम के ज़रिए बैठकों में हिस्सा लेंगे.
राष्ट्रपति के फिजिशियन डॉ. केविन ओ कोनोर ने भी इस बारे में एक ट्वीट किया है. उन्होंने यह भी बताया है कि राष्ट्रपति बाइडन, दो बूस्टर डोज़ के साथ कोविड वैक्सीन से पूरी तरह वैक्सीनेटेड हैं.
वहीं व्हाइट हाउस के कोविड समन्वयक डॉ. आशीष झा ने बताया है, ''राष्ट्रपति बाइडन थकान महसूस कर रहे थे. उनकी नाक बह रही थी और उन्हें सूखी खांसी भी थी. वे सोने गए लेकिन अच्छे से नींद नहीं आई. उसके बाद गुरुवार सुबह हुए टेस्ट में वो कोविड पॉज़िटिव पाए गए.''
ब्रिटिश साइंस एंड बायोलॉजी के अध्यापक नताली विल्सर ने अपने हाथ पर अल्बर्ट आइंस्टीन का एक टैटू बनवा रखा है. उनके पांव पर, कलाई पर और टखने पर भी कई अलग-अलग डिज़ाइन के टैटू हैं.
इन सभी टैटू में उनके लिए सबसे दर्दनाक इंस्टेप (पैर के ऊपरी हिस्से) और टखने पर टैटू करवाना रहा.
उन्होंने बीबीसी के पॉडकास्ट 'टीच मी लेसन' पर बताया, "दर्द, ख़ुद को सुरक्षित करने का एक तरीक़ा है और नर्व्स (तंत्रिकाएं) के कारण यह दर्द महसूस होता है."
उन्होंने पॉडकास्ट प्रेज़ेंटर बेला मैकी और ग्रेग जेम्स से बातचीत में कहा, "शरीर के जिस हिस्से में कम चर्बी होती है और तंत्रिकाएं अधिक होती हैं, वहां टैटू बनवाना सबसे अधिक दर्दनाक होता है."
विल्सर कहते हैं, "पांव और टखने के अलावा, पिंडली, आर्म-पिट्स (बगल), कंधे और पसलियों के पास का हिस्सा बेहद संवेदनशील होता है. हालांकि यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि उसके शरीर का कौन सा हिस्सा कितना अधिक संवेदनशील है."
उन्होंने बताया, "जिस समय शरीर के हिस्से पर टैटू किया जा रहा होता है, यानी जिस समय सुई स्किन को पंक्चर कर रही होती है, उस समय तंत्रिकाएं मस्तिष्क को दर्द होने का संदेश भेजती हैं."
लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि एक शख़्स को टैटू करवाने में जितना दर्द हो रहा हो, ज़रूरी नहीं की दूसरे शख़्स को भी उतना ही दर्द हो. दर्द का पैमाना अलग-अलग लोगों की अपनी संवेदनशीलता पर निर्भर करता है.
वह आगे कहते हैं कि एक शख़्स के बर्दाश्त करने की क्षमता भी, दूसरे शख़्स के बर्दाश्त करने की क्षमता से अलग होती है. ऐसे में दर्द का पैमाना अलग-अलग हो सकता है.
टैटू बनवाना सदियों से मानव-सभ्यता का हिस्सा रहा है. दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में टैटू की परंपरा रही, अलग-अलग नामों से. लेकिन दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात टैटू उत्ज़ी के शरीर पर पाया गया था. जिसे हिममपुरुष (आईसमैन) भी कहते हैं.
साल 1991 में इटली के आल्प्स क्षेत्र के दूर-दराज़ इलाक़े में यह ममी खोजी गई थी. यह क़रीब बीते 5000 सालों से बर्फ़ में दबी हुई थी.
विल्सर बताते हैं, "उत्ज़ी का टैटू हालांकि बेहद छोटा था. ये सिर्फ़ डॉट्स और डैशेज़ की मदद से बनाई गई आकृति जैसे थे. मानव-विज्ञानी मानते हैं कि ये किसी मेडिकल उद्देश्य के लिए एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट केनिशान भी हो सकते हैं."
वह आगे कहते हैं, "यह जानना अपने आप में दिलचस्प और हैरत में डालने वाला है कि उस समय भी लोग (यानी पाषाण-युग में और धातु-युग) में भी लोग टैटू का इस्तेमाल करना जानते थे और लोग इसका इस्तेमाल बेहद सही तरीक़े से करते थे."
इसके बाद धीरे-धीरे टैटू, कहानियां बताने का एक तरीक़ा बन गया.
विल्सर के मुताबिक़, "पौराणिक कथाओं के अनुसार, कैप्टन जेम्स कुक 18वीं शताब्दी के अंत में, बहुत से लोगों से मिले. प्रशांत क्षेत्र में अपनी यात्रा के दौरान वह ऐसे ढेरों लोगों से मिले जिन्होंने टैटू गुदवा रखा था. उनके दल के 90 फ़ीसद क्रू मेंबर्स ने अपनी यात्रा के दौरान मिले अनुभवों को ज़िंदा रखने लिए टैटू गुदवाए."
विल्सर कहते हैं, "ब्रिटिश नौ-सेना के सैनिकों को यह परंपरा विरासत में मिली और उन्होंने अपनी यात्राओं के टैटू बनवाने शुरू कर दिए. उन्होंने टैटू बनाने के लिए मूत्र और बारूद का इस्तेमाल किया."
19वीं सदी के अंत में टैटू मशीन अस्तित्व में आ चुकी थी. जोकि वास्तव में थॉमस एडिसन के प्रिंटर पर आधारित थी.
"यह 1875 में बनाई गई थी और उस समय से लेकर लेटेस्ट मॉडल तक इसमें बहुत अधिक बदलाव नहीं हुआ है. इसमें मौजूद सुई अभी भी एक मिनट में 50 से 3,000 बार स्किन में चुभती है."
ऐसे में सवाल उठता है कि यदि त्वचा नई हो जाती है, तो टैटू का रंग क्यों जस का तस बना रहता है?
प्रोफेसर विल्सर के मुताबिक़, त्वचा की तीन मुख्य परतें होती हैं. सबसे बाहर की ओर एपिडर्मिस, मध्य में डर्मिस, जहां रक्त-वाहिकाएं (ब्लड-वेसेल्स) , पसीने की ग्रंथियां, रोम-छिद्र और तंत्रिकाएं होती हैं. सबसे अंदर की तरफ़ हाइपोडर्मिस लेयर होती है.
वो कहते हैं,"टैटू की स्याही को त्वचार के उस हिस्से में इंजेक्ट किया जाता है, जहां तंत्रिकाएं होती है. टैटू का रंग इसलिए फीका नहीं पड़ता क्योंकि यह एपिडर्मिस द्वारा सुरक्षित होती है."
विल्सर कहते हैं कि जब स्याही को इंजेक्ट किया जाता है तो तंत्रिकाएं मस्तिष्क को संदेश भेजती हैं कि वो घायल हो रही हैं. इसके बाद दिमाग शरीर के उस हिस्से के संदेश को ग्रहण करके सुरक्षात्मक रवैया अख़्तियार करते हुए ह्वाइट-ब्लड-वैसेल्स (श्वेत रूधिर कणिकाएं) को उस जगह की सुरक्षा के लिए निर्देश देता है. (bbc.com)
ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में अंतिम दो उम्मीदवारों में बुधवार को शामिल हुए ऋषि सुनक ने कहा है कि वो अपने कैंपेन के लिए दिन और रात काम करने को तैयार हैं.
न्यूज़ वेबसाइट दे डेली टेलीग्राफ़ में लिखे एक आलेख में पूर्व वित्त मंत्री सुनक ने यह बात कही है.
लिज़ ट्रस के साथ कई नीतिगत मसलों पर पैदा हुई कड़वाहट को कम करने का प्रयास करते हुए कहा है कि वे अपनी प्रतिद्वंद्वी को 'चाहते और उनका सम्मान करते' हैं.
ऋषि सुनक ने लिखा, ''मैं थैचराइट (मार्गरेट थैचर का अनुयायी) हूं. मैं कड़ी मेहनत, परिवार और ईमानदारी में यक़ीन करता हूं. इस मुहिम में मैं थैचराइट के रूप में भाग ले रहा हूं और शासन भी इसी रूप में करूंगा.''
उन्होंने लिखा, ''मेरा देश की संप्रभुता में यक़ीन है. क़ानूनी और ग़ैर क़ानूनी आप्रवासन को लेकर मेरा रुख़ सख़्त है. मेरे लिए आर्थिक विकास सबसे आगे है. और यह महंगाई कम करके और सरकारी ख़र्च बढ़ाकर ही हासिल हो सकता है. वृद्धि दर तेज़ करने का सबसे बेहतर तरीक़ा करों और नौकरशाही में कटौती करना है. साथ ही निजी निवेश और इनोवेशन को बढ़ाने की ज़रूरत है.''
कब तय होगा अगले पीएम का नाम
बोरिस जॉनसन की जगह लेने की दौड़ में ऋषि सुनक का मुक़ाबला लिज़ ट्रस से है. अनुमान है कि 5 अगस्त से कंजरवेटिव पार्टी के 1.6 लाख सदस्यों के वोट पोस्टल बैलेट से मिलने शुरू हो जाएंगे. पोस्टल बैलेट पाने की समयसीमा 2 सितंबर शाम 5 बजे है.
उसके बाद मतों की गिनती की जाएगी. 5 सितंबर को ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री के नाम का एलान कर दिया जाएगा.
इससे पहले, बुधवार को कंज़रवेटिव सांसदों के बीच अंतिम दौर के मतदान में अंतिम दो नामों का फ़ैसला हुआ. पाँचवें दौर के मतदान में ऋषि सुनक को सबसे अधिक 137 वोट मिले हैं, जबकि लिज़ ट्रस को 113 वोट मिले. (bbc.com)
चीन की सड़कों पर टैंक की लाइन देख कर इंटरनेट हैरान है. स्थानीय मीडिया के हवाले से रेडइट के यूजर्स ने बताया है कि यह फुटेज रिझाओ की है जो शेंडॉन्ग क्षेत्र का है. यहां बैंक की स्थानीय शाखा को बचाने के लिए टैंक उतार दिए गए. हेनान प्रांत की ये वीडियो क्लिप दिखाती है कि कई टैंक कतार में खड़े हैं और स्थानीय लोगों को बैंक की ब्रांच तक पहुंचने से रोक रहे हैं. जैसे ही कैमरा घूमता है वैसे ही टैंक की कतार पूरे ब्लॉक को कवर कर लेता है. स्थानीय लोग गुस्से में दिखते हैं लेकिन वो इंतजार करने पर मजबूर हैं क्योंकि बख्तरबंद वाहन सामने खड़े हैं. रेडइट यूज़र इस सीन की तुलना थियानमन चौराहे की घटना से करते हैं जो 1989 में हुआ था. जब सैकड़ों टैंकों का प्रयोग लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए किया जाता था.
यह मुद्दा सबसे पहले अप्रेल में उठा था जब साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने एक लेख में बताया था कि हेनान और अन्हुई क्षेत्रों के निवासियों को सिस्टम अपग्रेड के कारण बैंक अकाउंट का एक्सेस नहीं दिया जा रहा है. तब से युझोऊ शिनमिनशेंग विलेज बैंक, शैंगकाऊ हुईमिन काउंटी बैंक, झेचेंग हुआनगुआई कम्युनिटी बैंक और हेनान प्रांत में काईफेंग के न्यू ओरिएंटल कंट्री बैंक ऑफ कैईफेंग और पास के अनहुई प्रांत के गुझेन शिंनहुआइहे विलेज बैंक प्रभावित हुए हैं.
थियानमेन स्वायर 2 : इलेक्ट्रिक बूगालू, एक यूजर ने कंफर्म किया. दूसरा लिखता है...इतिहास खुद को दोहराता है. एक अन्य यूज़र ने लिखा, मैं सोच रहा हूं कि क्या होगा अगर टैंक ऑपरेटर भी अपना पैसा ना निकाल पाएं. स्थानीय लोग चीन के बैंक संकट का सामना कर रहे हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि 40 बिलियन युआन यानि करीब ( 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) चीन के बैंक सिस्टम से गायब हो गए हैं. और लोग अपनी बचत निकालने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
SCMP ने एक रिपोर्ट में सोमवार को कहा कि लोगों से सब्र के साथ इंतजार करने को कहा जा रहा है. कुछ लोगों को पिछले हफ्ते 50,000 युआन यानि करीब 7, 400 अमेरिकी डॉलर का भुगतान हुआ लेकिन बाकि अभी भी इंतजार कर रहे हैं. (ndtv.in)
लिज़ ट्रस ने अपने स्कूल के दिनों में एक नाटक में मारग्रेट थैचर का किरदार निभाया था जो ब्रिटेन की मशहूर प्रधानमंत्री थीं. लेकिन अब उनकी नज़र असल ज़िंदगी में प्रधानमंत्री बनने की राह पर है.
ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री की दौड़ में अंतिम दो उम्मीदवारों का फ़ैसला हो गया है. बोरिस जॉनसन की जगह पीएम पद पर अब या तो ऋषि सुनक काबिज़ होंगे या लिज़ ट्रस बैठेंगी.
बुधवार को कंज़रवेटिव सांसदों के बीच अंतिम दौर के मतदान में यह फ़ैसला हुआ. पाँचवें दौर के मतदान में ऋषि सुनक को सबसे अधिक 137 वोट मिले हैं, जबकि लिज़ ट्रस को 113 वोट मिले.
अब पार्टी के 1.6 लाख सदस्य पोस्टल बैलेट से मतदान करेंगे. 5 सितंबर को ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री के नाम का एलान होगा.
बीते साल, 46 साल की उम्र में लिज़ ट्रस ब्रिटेन की दूसरी महिला विदेश मंत्री बनीं. इससे 15 साल पहले लेबर की मारग्रेट बैकेट विदेश मंत्री बनी थीं.
हालांकि ब्रिटिश संसद में, तुलनात्मक तौर पर उनका अनुभव बहुत अधिक नहीं हैं लेकिन उन्होंने इस कम समय में ही कई अलग-अलग पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं. वह कई हाई-प्रोफ़ाइल पदों पर रही हैं.
ए-लिस्ट उम्मीदवार
लिज़ ट्रस का जन्म साल 1975 में, ऑक्सफ़ोर्ड में हुआ. ट्रस के अभिभावकों के बारे में जो जानकारी प्राप्त है, उसके मुताबिक़, उनके पिता गणित के प्रोफ़ेसर और मां नर्स रही हैं.
जब लिज़ चार साल की थीं, उसी समय वह स्कॉटलैंड में पैस्ले चली गईं थीं. इसके बाद साल 1983 में उनके एक अभिनय में उनकी राजनेता बनने की इच्छा नज़र आ गई थी. उन्होंने अपने स्कूल के एक नाटक में मारग्रेट थैचर का रोल प्ले किया था.
इसके बाद उनका परिवार लीड्स चला गया, जहां उन्होंने स्टेट सेकेंडरी स्कूल से आगे की तालीम हासिल की.
बीबीसी रेडियो 4 के प्रोफाइल से बात करते हुए, उनके छोटे भाई ने बताया कि उनका परिवार क्लूडो और मोनोपॉली जैसे बोर्ड गेम खेला करता था.
उनके भाई ने बताया कि लिज़ ट्रस को हारना पसंद नहीं है और खेलने के दौरान जब उन्हें लग जाता था कि वो हारने वाली हैं, तो वह खेल छोड़कर गायब हो जाती थीं.
ट्रस ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से उच्च-शिक्षा हासिल की है. उन्होंने दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की है. वो इसके साथ-साथ राजनीति में भी सक्रिय रहीं.
शुरुआती दौर में वह में लिबरल डेमोक्रेट्स के साथ रहीं और बाद में कंज़रवेटिव्स पार्टी के लिए सक्रिय रहते हुए काम किया.
इसके बाद उन्होंने शेल और केबल एंड वायरलेस के लिए अकाउंटेंट के तौर पर काम भी किया. लेकिन वो हमेशा से संसद ही जाना चाहती थीं.
साल 2001 और 2005 के आम-चुनावों में हेम्सवर्थ और काडर-वैली से कंज़रवेटिव पार्टी की उम्मीदवार थीं. हालांकि वह दोनों में से कोई भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सकीं लेकिन साल 2006 में ग्रीनिच की काउंसलर चुनी गईं.
साल 2008 से उन्होंने राइट-ऑफ़-सेंटर रिफ़ॉर्म थिंक टैंक के उप-निदेशक के तौर पर काम करना शुरू किया.
वह कंज़रवेटिव नेता डेविड कैमरन की पसंद वाले उम्मीदवारों की "ए-लिस्ट" का भी हिस्सा रहीं. इसके बाद वह साल 2010 में, टोरी पार्टी की सुरक्षित दक्षिण पश्चिम नॉरफ़ॉक सीट से 13,140-वोट बहुमत के साथ विजयी रहीं और सांसद चुनी गईं.
संसद में रहते हुए उन्होंने 'ब्रिटैनिया-अनचेन्ड' नाम की किताब का सह-लेखन भी किया.
साल 2012 में, सांसद बनने के दो साल बाद वह तात्कालिक सरकार का हिस्सा बनीं. वह सरकार में बतौर शिक्षा मंत्री शामिल हुईं.
चीज़ स्पीच को लेकर चर्चा में आईं
स्कूलों में नए सुधार को लेकर उनके और लिब डेम के उप-प्रधानमंत्री निक क्लेग के बीच काफी विवाद भी हुआ लेकिन कैमरन ने उन्हें साल 2014 में पर्यावरण मंत्री के रूप पदोन्नत किया.
इसके बाद साल 2015 में वह एक बार फिर चर्चा में आईं.
साल 2015 में कंज़रवेटिव कॉन्फ्रेंस में पनीर के आयात करने पर भाषण देने के लिए उनका मज़ाक उड़ाया गया था. लेकिन ट्रोलर्स की टिप्पणियों के बावजूद वो आगे ही बढ़ती रहीं.
ब्रेक्ज़िट यानी यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए हुए जनमत संग्रह में उन्होंने यूरोपीय संघ में बने रहने का समर्थन किया था. उस समय उन्होंने कहा था कि ब्रेक्ज़िट "एक त्रासदी" होगा.
हालांकि, बाद में उन्होंने अपने विचार बदल दिए थे.
साल 2016 में, वह थेरेसा मे के नेतृत्व वाली सरकार में जस्टिस सेक्रेटरी (न्याय मंत्री) बनीं. उसी के अगले साल वह वित्त मंत्रालय में मुख्य सचिव बनीं.
साल 2019 में बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री बनने के बाद, ट्रस को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री का कार्यभार सौंपा.
विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल की उलझी हुई समस्या को हल करने की मांग की. उनके इस कदम की यूरोपीय-संघ ने काफी आलोचना की थी.
उन्होंने ईरान में गिरफ़्तार हुए दो ब्रिटिश-ईरानी नागरिकों, नाज़नीन ज़गारी-रैटक्लिफ और अनुशेह अशूरी की रिहाई भी सुनिश्चित की.
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर भी वह सक्रिय रही हैं. उन्होंने हमेशा इस पर सख़्त रवैया ही अपनाया. उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि रूसी सेनाओं को देश से बाहर खदेड़ दिया जाना चाहिए.
ब्रिटेन के जिन लोगों ने निजी तौर पर यूक्रेन जाकर युद्ध में शामिल होने की इच्छा जताई थी, उनका समर्थन करने पर भी ट्रस को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था.(bbc.com)
नई दिल्ली, 21 जुलाई | टेस्ला ने इस साल दूसरी तिमाही में अपनी बैलेंस शीट में 93.6 करोड़ डॉलर नकद जोड़कर अपने बिटकॉइन का 75 प्रतिशत बेचा है, क्योंकि यह चट्टान की तरह गिरने वाली क्रिप्टोकरेंसी के बीच आर्थिक मंदी से निपट रहा है। पिछले साल, टेस्ला ने बिटकॉइन में 1.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया था और घोषणा की थी कि वह बिटकॉइन को भुगतान के रूप में स्वीकार करेगा।
विश्लेषकों के साथ दूसरी तिमाही की अर्निग कॉल में टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कहा कि कंपनी ने अपने बिटकॉइन होल्डिंग्स का एक हिस्सा बेचने का कारण 'यह था कि हम अनिश्चित थे कि चीन में कोविड लॉकडाउन कब कम होगा।'
उन्होंने कहा, "इसलिए चीन में कोविड लॉकडाउन की अनिश्चितता को देखते हुए हमारे लिए अपनी नकदी की स्थिति को अधिकतम करना महत्वपूर्ण था। हम निश्चित रूप से भविष्य में अपने बिटकॉइन होल्डिंग्स को बढ़ाएंगे। इसलिए इसे बिटकॉइन पर कुछ फैसले के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।"
मस्क ने कहा कि कंपनी चीन में शटडाउन को देखते हुए कंपनी के लिए समग्र तरलता को लेकर चिंतित है।
उन्होंने कहा, "और हमने अपना कोई भी डॉजक्वाइन नहीं बेचा है।"
बिटकॉइन पर दो महीने से भी कम समय के बाद टेस्ला ने पर्यावरणीय नुकसान का हवाला देते हुए अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के लिए भुगतान मोड के रूप में लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी पर ब्रेक लगाया है।
(आईएएनएस)
कोलंबो, 21 जुलाई | श्रीलंकाई रेलवे ने कल (शुक्रवार) मध्यरात्रि से अपने टिकट किराए में वृद्धि करने की घोषणा की है। डेली मिरर ने रेलवे के महाप्रबंधक धम्मिका जयसुंदरा के हवाले से बताया कि इस संशोधन पर सूचनापत्र अधिसूचना प्रिंट करने के लिए भेजी गई है।
धम्मिका जयसुंदरा ने कहा कि ईंधन पर होने वाले खर्च से ट्रेन यात्राएं बढ़ाना संभव नहीं होगा।
देश के दो करोड़ 20 लाख लोग बढ़ते कर्ज, आसमान छूती महंगाई, भोजन और ईंधन की कमी के साथ अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 21 जुलाई | दक्षिणपूर्वी राज्य जॉर्जिया के फोर्ट गॉर्डन में एक प्रशिक्षण क्षेत्र में आसमानी बिजली गिरने से अमेरिकी सेना रिजर्व के एक जवान की मौत हो गई और नौ अन्य घायल हो गए। एक बेस प्रवक्ता ने अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स को बताया कि यह घटना बुधवार को लगभग 11:10 बजे (1510 जीएमटी) पर हुई, जब क्षेत्र में खराब मौसम था और सैनिकों को उनके प्रशिक्षण क्षेत्रों में से एक पर आसमानी बिजली गिरने से चोटें आईं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने प्रवक्ता के हवाले से बताया कि सैनिकों को इलाज के लिए बेस के एक चिकित्सा केंद्र ले जाया गया।
अधिकारियों ने कहा कि फोर्ट गॉर्डन के आपातकालीन सेवा और आपातकालीन चिकित्सा सेवा विभाग ने तुरंत घटनास्थल पर प्रतिक्रिया दी। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 21 जुलाई | उबर के प्रतिद्वंद्वी लिफ्ट ने कम से कम 60 कर्मचारियों की छंटनी की है और अपनी फर्स्ट-पार्टी कार रेंटल सर्विस को बंद कर दिया है। कंपनी का मकसद मैक्रो-इकोनॉमिक स्थितियों के बीच अपने वैश्विक संचालन को मजबूत करना है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, छंटनी में लिफ्ट के 2 प्रतिशत से भी कम कर्मचारी शामिल हैं जो ज्यादातर ऑपरेशंस में काम करते थे।
कुछ कर्मचारियों को कंपनी छोड़ने के लिए 30 दिन का नोटिस दिया गया है।
लिफ्ट में सीनियर मार्केट ऑपरेशंस एसोसिएट, एडगर इजागुइरे ने बुधवार की देर रात लिंक्डइन पर पोस्ट किया, "नमस्कार, कल लिफ्ट में मेरा समय समाप्त हो गया क्योंकि मैं कंपनी के अंदर हुई छंटनी से प्रभावित हुआ। मैं अब एक नई नौकरी की तलाश में हूं और आपका मार्गदर्शन चाहूंगा।"
छंटनी तब हुई जब लिफ्ट अपनी दूसरी तिमाही की आय की रिपोर्ट तैयार कर रही थी।
लिफ्ट ने अपनी पहली पार्टी कार रेंटल सेवा भी बंद कर दी है जो पांच स्थानों पर चल रही थी।
राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म अभी भी 30 से अधिक स्थानों पर थर्ड पार्टी के किराए की पेशकश करेगा।
लिफ्ट के प्रवक्ता ने मीडिया रिपोर्ट्स में कहा, "हमने सिक्सट और हट्र्ज के साथ अपने श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ थर्ड पार्टी रेंटल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए लिफ्ट के फस्र्ट-पार्टी रेंटल बिजनेस को बंद करने का फैसला किया है।"
प्रवक्ता ने कहा, "यह निर्णय सुनिश्चित करेगा कि हमारे पास नेशनल कवरेज जारी रहे और सवारियों को अधिक सहज बुकिंग अनुभव प्रदान किया जाए।"
कंपनी ने कहा कि वह बड़ी कार रेंटल कंपनियों के साथ काम करना जारी रखेगी। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 21 जुलाई | माइक्रोसॉफ्ट एज्योर के लिए ओरेकल डेटाबेस सेवा अब आम तौर पर उपलब्ध है और एज्योर क्लाउड ग्राहक ओरेकल क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर (ओसीआई) में एंटरप्राइज-ग्रेड सेवाओं तक सीधे पहुंच और निगरानी कर सकते हैं। कंपनी ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। ओरेकल और माइक्रोसॉफ्ट ने 2019 में माइक्रोसॉफ्ट एज्योर के लिए ओरेकल इंटरकनेक्ट देने के लिए भागीदारी की और सैकड़ों संगठनों ने 11 वैश्विक क्षेत्रों में सुरक्षित और निजी इंटरकनेक्शन का उपयोग किया।
उपयोगकर्ता अब एज्योर पर माइग्रेट या नए एप्लिकेशन बना सकते हैं और फिर उच्च-प्रदर्शन और उच्च-उपलब्धता प्रबंधित ओरेकल डेटाबेस सेवाओं जैसे ओसीआई पर चलने वाले ऑटोनोमस डेटाबेस से जुड़ सकते हैं।
उद्योग और वैश्विक विस्तार के लिए माइक्रोसॉफ्ट क्लाउड के कॉपोर्रेट उपाध्यक्ष, कोरी सैंडर्स ने कहा, "माइक्रोसॉफ्ट और ओरेकल का हमारे संयुक्त ग्राहकों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए एक साथ काम करने का एक लंबा इतिहास है और यह साझेदारी इस बात का एक उदाहरण है कि हम ग्राहकों की पसंद और लचीलेपन की पेशकश कैसे करते हैं क्योंकि वे क्लाउड तकनीक के साथ डिजिटल रूप से बदलते हैं।"
माइक्रोसॉफ्ट एज्योर के लिए ओरेकल डेटाबेस सेवा का उपयोग करने या अंतर्निहित नेटवर्क इंटरकनेक्शन, डेटा निकास, या एज्योर और ओसीआई के बीच डेटा प्रवेश के लिए ग्राहकों से शुल्क नहीं लिया जाएगा।
सेवा स्वचालित रूप से दो क्लाउड परिवेशों को जोड़ने के लिए आवश्यक सभी चीजों को कॉन्फिगर करती है और एज्योर सक्रिय निर्देशिका पहचान को संघबद्ध करती है, जिससे एज्योर ग्राहकों के लिए सेवा का उपयोग करना आसान हो जाता है।
कंपनियों ने कहा कि यह एज्योर शब्दावली का उपयोग कर और एज्योर एप्लिकेशन इनसाइट्स के साथ निगरानी के लिए ओसीआई पर ओरेकल डेटाबेस सेवाओं के लिए एक परिचित डैशबोर्ड भी प्रदान करता है।
(आईएएनएस)
कंजरवेटिव पार्टी का नेता और ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनने के लिए अब ऋषि सुनक और लिज़ ट्रस के बीच सीधा मुक़ाबला होगा. कंजरवेटिव सांसदों के बीच हुए अंतिम दौर के मतदान में ये फ़ैसला हुआ.
पांचवें दौर के मतदान में ऋषि सुनक को सबसे अधिक 137 वोट मिले हैं, जबकि लिज़ ट्रस को 113 वोट मिले. वहीं तीसरे नंबर पर पेनी मोर्डेंट को 105 मत मिले हैं. इस तरह मर्डोन्ट इस रेस से बाहर हो गईं.
इससे पहले मंगलवार को हुए चौथे दौर के मतदान में सुनक को 118 वोट तो लिज़ ट्रस को 86 वोट मिले थे.
अब दोनों ही उम्मीदवारों के बीच 25 जुलाई को बीबीसी पर आमने-सामने की बहस होगी. साथ ही देश भर में कंजरवेटिव पार्टी के 1.6 लाख सदस्यों के बीच पोस्टल बैलेट के ज़रिए वोट करवाया जाएगा और 5 सितंबर को नए प्रधानमंत्री की घोषणा की जाएगी.
ऋषि सुनक की कैंपेन टीम ने बुधवार को मिली जीत का जश्न मनाते हुए कहा है, "सांसदों से मिले स्पष्ट बहुमत के चलते वास्तव में यह मजबूत नतीज़ा है. वो अब कंजर्वेटिव पार्टी के परिवार से लेबर पार्टी को हराने, यूनियन की रक्षा करने और BREXIT के बाद मिले अवसरों को लपकने के लिए बहुमत हासिल करने को रात-दिन काम करेंगे.''
इसमें कहा गया, ''पार्टी के सदस्यों के लिए पीएम उम्मीदवार का चुनाव बहुत आसान है. वो ये कि अगले चुनाव में लेबर पार्टी को हराने के लिए सबसे अच्छा इंसान कौन है? और वो ऋषि सुनक ही हैं."
वहीं, लिज़ ट्रस ने पार्टी के सांसदों को समर्थन देने के लिए धन्यवाद कहा है. उन्होंने कहा, ''आपका मुझमें यक़ीन रखने के लिए शुक्रिया. मैं पहले दिन से इसके लिए तैयार थी.''
पेनी मोर्डेंट ने सुनक और ट्रस को बधाई दी है.
वहीं पेनी मोर्डेंट के समर्थकों में से एक माइकल फैब्रिकेंट ने कहा है कि वे अब लिज़ ट्रस का समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि वे अंत तक वफादार बनी रही और बोरिस जॉनसन के ख़िलाफ़ कोई साज़िश नहीं की.
ऋषि सुनक भारत के विख्यात उद्योगपति और इंफ़ोसिस कंपनी के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति के दामाद हैं. उन्होंने अक्षता मूर्ति से साल 2009 शादी की थी.
ऋषि सुनक, बोरिस जॉनसन कैबिनेट में वित्त मंत्री थे. उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने का वादा किया है.
2015 से सुनक यॉर्कशर के रिचमंड से कंज़र्वेटिव सांसद चुने गए थे. वो नॉर्दलर्टन शहर के बाहर कर्बी सिग्स्टन में रहते हैं. उनके पिता एक डॉक्टर थे और माँ फ़ार्मासिस्ट थीं. भारतीय मूल के उनके परिजन पूर्वी अफ़्रीका से ब्रिटेन आए थे.
1980 में सुनक का जन्म हैंपशर के साउथहैम्टन में हुआ था और उनकी पढ़ाई ख़ास प्राइवेट स्कूल विंचेस्टर कॉलेज में हुई. इसके बाद वो ऑक्सफ़ोर्ड पढ़ाई के लिए गए, जहाँ उन्होंने दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की. ब्रिटेन के महत्वाकांक्षी राजनेताओं के लिए ये सबसे आज़माया हुआ और विश्वसनीय रास्ता है.
उन्होंने स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में एमबीए की पढ़ाई भी की. राजनीति में दाख़िल होने से पहले उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स में काम किया और एक निवेश फ़र्म को भी स्थापित किया. ऋषि और अक्षता की दो बेटियां हैं.
सुनक ने यूरोपियन यूनियन को लेकर हुए जनमत संग्रह में इसे छोड़ने के पक्ष में प्रचार किया और उनके संसदीय क्षेत्र में यूरोपियन यूनियन छोड़ने के पक्ष में 55 फ़ीसदी लोगों ने मतदान किया था.
जुलाई 2019 में जॉनसन को सुनक ने वित्त मंत्रालय सौंपा था. इससे पहले वो जनवरी 2018 से जुलाई 2019 तक आवास, समुदाय और स्थानीय सरकार मंत्रालय में संसदीय अवर सचिव थे.
ऋषि सुनक कह चुके हैं कि उनकी एशियाई पहचान उनके लिए मायने रखती है. उन्होंने कहा था, "मैं पहली पीढ़ी का आप्रवासी हूँ. मेरे परिजन यहाँ आए थे, तो आपको उस पीढ़ी के लोग मिले हैं जो यहाँ पैदा हुए, उनके परिजन यहाँ पैदा नहीं हुए थे और वे इस देश में अपनी ज़िंदगी बनाने आए थे."
अपनी पत्नी के कर मामलों पर विवाद और लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगने से उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची. ऋषि सुनक, बोरिस जॉनसन कैबिनेट छोड़ने वाले सबसे पहले कैबिनेट मंत्रियों में से एक थे.
द गार्डियन न्यूज़ वेबसाइट पर छपे एक लेख के मुताबिक़ पिछले महीने के विश्वास मत में बोरिस जॉनसन का समर्थन करने वाले टोरी सांसदों की संख्या की सटीक भविष्यवाणी करने वाले प्रोफेसर ने ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री के नाम को लेकर बयान दिया है.
लिवरपूल विश्वविद्यालय में ब्रिटिश राजनीति पढ़ाने वाले जोनाथन टोंगे ने कहा कि मुझे लगता है कि ऋषि सुनक अगले प्रधानमंत्री होंगे. उन्होंने कहा कि ये चुनाव 51/49 का रहेगा, क्योंकि लिज़ ट्रस को भी पार्टी से सदस्यों का अच्छा ख़ासा समर्थन हासिल है.
प्रधानमंत्री की रेस में उन्होंने तत्काल कर कटौती, राष्ट्रीय बीमा में वृद्धि को वापस लेने की घोषणा की थी.
लिज़ ट्रस को बोरिस जॉनसन के वफ़ादार संस्कृति सचिव नादिन डोरिस और जैकब रिस-मोग, सुएला ब्रेवरमैन सहित अन्य लोगों का समर्थन हासिल हैं. वर्तमान में लिज़ ट्रस ब्रिटेन की विदेश मंत्री हैं.
लिज़ ट्रस विदेश मंत्री बनने वाली दूसरी महिला हैं, जिन्हें ईरान से नाजनीन जगारी-रैटक्लिफ की रिहाई करवाने का श्रेय दिया जाता है. वे पहली बार साल 2010 में दक्षिण पश्चिम नॉरफ़ॉक के सांसद के रूप में चुनी गई थी.
साल 2014 में कंजर्वेटिव कॉन्फ्रेंस में पनीर के आयात करने पर भाषण देने के लिए उनका मज़ाक उड़ाया गया था. (bbc.com)
टॉम एस्पाइनर, लूसी हूकर
ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की होड़ में सबसे आगे नज़र आ रहे हैं. हालांकि अभी अंतिम रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि बोरिस जॉनसन की जगह लेने वाले कंजरवेटिव नेता और प्रधानमंत्री पद के लिए नेता के चुनाव की प्रक्रिया जारी है.
ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने सांसदों के बीच होने वाले पहले तीनों चुनाव में जीत हासिल की है, लेकिन उन्हें बोरिस जॉनसन के सहयोगियों के विरोध का सामना भी करना पड़ा है. जॉनसन के सहयोगी बोरिस जॉनसन के इस्तीफ़े की वजह कैबिनेट से सुनक के इस्तीफ़े को मान रहे हैं.
हालांकि ऋषि सुनक को जॉनसन के मंत्रालय के कुछ कद्दावर मंत्रियों का सहयोग भी मिला है. ख़ास बात यह है कि सुनक ने खुद को ऐसे नेता के तौर पर पेश किया है जो कह रहा है कि जब तक महंगाई नियंत्रण में न आए, तब तक टैक्स नहीं वसूले जाएंगे और यह उनके प्रतिद्वंदी नेताओं के बिल्कुल उलट है.
सुनक फ़रवरी, 2020 में ब्रिटेन के वित्त मंत्री बने थे और कुछ ही सप्ताह के अंदर उनके सामने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को चलाने की चुनौती आ गयी. पहले लॉकडाउन के दौरान अपना 40वां जन्म दिन मनाने वाले सुनक ने कोरोना महामारी के दौरान भरोसे के साथ देश की अर्थव्यवस्था की बागडोर संभाली.
उन्होंने 2020 की गर्मियों में कहा था कि कोरोना संक्रमण के दौरान वे लोगों की हरसंभव मदद करेंगे और 350 बिलियन पाउंड की मदद की घोषणा भी की, जिसके बाद उनकी लोकप्रियता काफ़ी बढ़ गई थी. लेकिन कोरोना संकट के बाद से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की चुनौतियां बनीं रहीं. जून, 2020 में डाउनिंग स्ट्रीट में लॉकडाउन के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए सुनक को जुर्माना भी चुकाना पड़ा था.
इस साल अप्रैल में, कंजरवेटिव पार्टी के आलोचकों ने सवाल उठाया कि क्या करोड़पति सुनक ब्रिटेन के आम लोगों के घर चलाने और जीवन यापन की चुनौतियों को समझ चुके हैं.
इसी महीने सुनक और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को लेकर भी मामला गरमाया और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति के टैक्स भुगतान को लेकर विवाद सुर्खियों में आ गया. मूर्ति ब्रिटेन के क़ानूनों के हिसाब, विदेशों की अपनी कमाई पर टैक्स भुगतान में छूट का लाभ उठा रही थीं.
बाद में अक्षता मूर्ति ने घोषणा की वे ब्रिटिश क़ानून के तहत टैक्स का भुगतान करेंगी तब तक जाकर उनके पति पर से राजनीतिक दबाव कम हुआ.
कोविड के दौरान ऋषि सुनक ने कई योजनाएं चलाईं. इन्हीं में से एक उन्होंने लोगों को रेस्तरां में खाना खाने के लिए उत्साहित किया ताकि इस छोटे व्यवसायियों पर कोविड का असर कम हो.
विपक्षी लेबर पार्टी ने सुनक के आर्थिक स्थिति को लेकर कई सवाल उठाए, इसमें एक सवाल यह भी था कि क्या सुनक ने कभी टैक्स में छूट का लाभ उठाया है?
ब्रिटिश समाचार पत्र इंडिपेंडेंट ने दावा किया था कि सुनक का नाम 2020 में ब्रिटिन वर्जिन आइलैंड्स और केमैन आइलैंड्स के टैक्स हैवन ट्रस्ट के लाभार्थियों में दर्ज था. हालांकि सुनक के प्रवक्ता ने इन दावों का खंडन किया था.
सुनक ने कोविड संक्रमण के दौरान हॉस्पिटलिटी सेक्टर की मदद के लिए लोगों से बाहर खाना खाकर मदद करने की अपील की, हालांकि बाद में इसे संक्रमण बढ़ने की वजहों में गिना गया.
क्या है ऋषि सुनक का बैकग्राउंड
सुनक के भारतीय मूल के माता-पिता पूर्वी अफ़्रीका से ब्रिटेन आए थे. उनका जन्म 1980 में साउथम्पैटन में हुआ था. उनके पिता एक चिकित्सक थे तो मां फॉर्मेसी का काम देखती थीं.
उनकी पढ़ाई लिखाई बेहद संपन्न स्कूल विंचेस्टर कॉलेज में हुई थी, गर्मी की छुट्टियों में वे साउथैम्पटन करी हाउस में वेटर के तौर पर काम करते थे. बाद में दर्शन शास्त्र, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने वे ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी गए.
स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई करते हुए उनकी मुलाक़ात अक्षता मूर्ति से हुई, जो बाद में उनकी पत्नी बनीं. अक्षता मूर्ति, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं. सुनक और मूर्ति की दो बेटियां हैं.
सुनक, 2001 से 2004 के बीच गोल्डमैन साक्स में एनालिस्ट के तौर पर कार्यरत थे. बाद में दो बड़े फंड के पार्टनर बने. उन्हें ब्रिटेन के सबसे अमीर सांसदों में एक माना जाता है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर उन्होंने अपनी कुल संपत्ति को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है.
2015 से सुनक कंजरवेटिव पार्टी की ओर से यार्कशायर के रिचमंड क्षेत्र के सांसद हैं. वे टेरिज़ा मे सरकार में जूनियर मिनिस्टर थे लेकिन बोरिस जॉनसन की सरकार में इससे पहले वो जनवरी 2018 से जुलाई 2019 तक आवास, समुदाय और स्थानीय सरकार मंत्रालय में संसदीय अवर सचिव थे. इसके बाद उन्हें साजिद जाविद के वित्त मंत्रालय में मुख्य सचिव बनाया गया.
इसके बाद में, फ़रवरी, 2020 में वे ब्रिटेन के वित्त मंत्री बने. पहले वे बोरिस जॉनसन के मुखर समर्थक थे लेकिन बाद में उन्होंने यह कह कर इस्तीफ़ा दिया कि अर्थव्यवस्था को लेकर उनकी और तब के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सोच एकदम अलग है.
सुनक ने यूरोपीयन यूनियन को लेकर हुए जनमत संग्रह में इसे छोड़ने के पक्ष में प्रचार किया और उनके संसदीय क्षेत्र में यूरोपीयन यूनियन छोड़ने के पक्ष में 55 फ़ीसदी लोगों ने मतदान किया. उन्होंने यार्कशायर पोस्ट से कहा था कि इससे ब्रिटेन कहीं ज़्यादा आज़ाद और समृद्ध होगा.
उन्होंने प्रधानमंत्री टेरीसा मे के ब्रेग्ज़िट सौदे पर तीनों बार मतदान किया.
उन्होंने यूरोपीय संघ से अलग होने की एक वजह आव्रजन नियमों में बदलाव भी बताया था. उन्होंने कहा, "मेरा विश्वास है कि उपयुक्त इमिग्रेशन नियमों से हमारे देश को फ़ायदा होगा, हमारी सीमाओं पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए."
प्रधानमंत्री से खींचतान के चलते जब साजिद जाविद ने वित्त मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दिया तो सुनक को ये ज़िम्मेदारी मिली. दरअसल बोरिस जॉनसन के पक्ष में खड़े होने के चलते उन्हें एक तरह से प्रमोशन मिली थी. पहले उन्हें जूनियर मिनिस्टर से ब्रिटिश खजाने का मंत्री बनाया गया और बाद में वित्त मंत्रालय की ज़िम्मेदारी मिली.
साजिद जाविद की तरह ही सुनक का परिवार किसी दूसरे देश से आकर ब्रिटेन में बसा, लेकिन उनका जन्म ब्रिटेन में ही हुआ.
ऋषि सुनक पहले कह चुके हैं कि उनकी एशियाई पहचान उनके लिए मायने रखती है.
अक्तूबर 2019 को बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "मैं पहली पीढ़ी का आप्रवासी हूं. मेरे परिजन यहां आए थे, तो आपको उस पीढ़ी के लोग मिले हैं जो यहां पैदा हुए, उनके परिजन यहां पैदा नहीं हुए थे और वे इस देश में अपनी ज़िंदगी बनाने आए थे."
"सांस्कृतिक परवरिश के मामले की बात करें तो मैं वीकेंड में मंदिर में होता हूं. मैं हिंदू हूं लेकिन शनिवार को मैं सेंट्स गेम में भी होता हूं. आप सबकुछ करते हैं, आप दोनों करते हैं."
उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा कि वे भाग्यशाली रहे कि बड़े होने के दौरान उन्हें नस्लवाद का बहुत सामना नहीं करना पड़ा लेकिन एक वाक़ये को वे आज भी नहीं भूले हैं.
इसी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वे बहुत 'भाग्यशाली' हैं कि उन्हें बहुत ज़्यादा नस्लभेद नहीं सहना पड़ा लेकिन उन्होंने कहा कि 'एक घटना उनके दिमाग़ में गहरे तक बैठी हुई है.'
उन्होंने इस घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था, "मैं अपने छोटे भाई और छोटी बहन के साथ बाहर गया हुआ था. मैं शायद बहुत ज़्यादा छोटा था, यही कोई 15-17 वर्ष की उम्र थी. हम एक फ़ास्ट फ़ूड रेस्त्रां गए और मैं उनकी देखभाल कर रहा था. वहीं, कुछ लोग बैठे हुए थे, ऐसा पहली बार हुआ था जब मैंने कुछ बुरी चीज़ों को सुना था. वो एक 'पी' शब्द था."
हालांकि, सुनक कहते हैं कि वो आज ब्रिटेन में इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. (bbc.com)
श्रीलंका के सांसदों ने रनिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति चुन लिया है. रनिल विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले और उनके प्रतिद्वंद्वी दलस अलापेरुमा को 82 वोट मिले.
कुल 223 सांसदों ने वोट किया है जबकि 2 सांसद वोटिंग से अनुपस्थित रहे. 223 वोट में से 219 वोट को वैध माना गया जबकि चार वोट अमान्य करार दिए गए.
राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद संसद को संबोधित करते हुए रनिल विक्रमसिंघे ने सभी पार्टियों से मिलकर काम करने की अपील की है और श्रीलंका को इस मुश्किल से बाहर निकालने के लिए कहा है.
साथ ही उन्होंने कहा कि वे गुरुवार को सभी पार्टियों के साथ बैठकर बातचीत करेंगे.
गोटाबाया राजपक्षे के श्रीलंका से भागने और इस्तीफा देने के बाद रनिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था.
रनिल विक्रमसिंघे का कार्यकाल नवंबर 2024 में खत्म होगा. वे गोटाबाया राजपक्षे के बचे हुए कार्यकाल को पूरा करेंगे.
13 जुलाई को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर मालदीव के बाद सिंगापुर चले गए थे. इसके बाद के रनिल विक्रमसिंघे के पास राष्ट्रपति का कार्यभार था. अब उनके राष्ट्रपति होने पर संसद ने भी मुहर लगा दी है.
इससे पहले गोटाबाया के भाई भाई महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी और वह तब से कहाँ ग़ायब हैं, कोई आधिकारिक सूचना नहीं है. राष्ट्रपति भवन पर पिछले हफ़्ते शनिवार को श्रीलंका के आम लोगों ने धावा बोल दिया था और अपने नियंत्रण में ले लिया था. हालांकि प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे भी श्रीलंका में अलोकप्रिय हैं और उनके निजी आवास में भी आक्रोशित भीड़ ने आग लगा दी थी. (bbc.com)
सुसिता फर्नाडो
कोलंबो, 20 जुलाई | जनता के निर्वाचित राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश से भाग जाने के एक सप्ताह बाद 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान चल रहा है।
मतदान सुबह 10 बजे शुरू हुआ।
मंगलवार को कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (श्रीलंका पीपुल्स अलायंस) के कोषाध्यक्ष दुल्लास अल्हाप्परुमा और मार्क्सवादी पार्टी के नेता अनुरु कुमारा दिसानायके सहित तीन नामों को नामांकित किया गया था, लेकिन मुख्य मुकाबला विक्रमसिंघे और अलाहप्परुमा के बीच बहुमत के रूप में होगा। इनमें से किसी एक को वोट देने का विकल्प चुना है।
विक्रमसिंघे को एसएलपीपी के बहुमत का समर्थन प्राप्त करना है, जिसने 2020 के चुनाव में 225 में से 145 सीटें जीतीं, जबकि दुल्लास ने उसी पार्टी के एक अन्य वर्ग का समर्थन हासिल किया और साजिथ प्रेमदासा के नेतृत्व में मुख्य विपक्षी समागी जनाबलावेगया भी, जो दौड़ से हट गए।
यदि अलहप्परुमा राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो प्रेमदासा को प्रधानमंत्री का पद मिल सकता है।
प्रमुख तमिल दलों को भी दो उम्मीदवारों के बीच विभाजित किया गया है, क्योंकि पूर्व युद्ध प्रभावित उत्तरी स्थित तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) ने अलहप्परुमा को अपना समर्थन देने का वादा किया है, जबकि सीलोन वर्कर्स कांग्रेस (सीडब्ल्यूसी) जिसमें भारतीय मूल के तमिल शामिल हैं, विक्रमसिंघे का समर्थन कर सकता है।
हालांकि प्रदर्शनकारियों, नागरिक अधिकार समूहों और ट्रेड यूनियनों ने धमकी दी है कि अगर विक्रमसिंघे चुने जाते हैं, तो वे फिर सड़कों पर वापस आ जाएंगे और दावा करेंगे कि विक्रमसिंघे को चुना जाना राजपक्षे का बचाव करने के बराबर होगा, जिन्होंने देश को लूट लिया और बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट पैदा किया।
गाले फेस विरोध स्थल पर मुख्य नारा 'गोटा गो होम' से बदलकर 'रानिल गो होम' कर दिया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सभी सांसदों को अपने वोट का इस्तेमाल विक्रमसिंघे के खिलाफ करना चाहिए।
डॉलर की कमी और मुद्रास्फीति से पीड़ित, श्रीलंका बिना ईंधन, भोजन, रसोई गैस, दवा और कई अन्य आवश्यक चीजों के भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
अर्थशास्त्रियों ने कर कटौती, पैसे की छपाई और उचित विकल्प के बिना रासायनिक उर्वरक पर प्रतिबंध लगाने सहित खराब निर्णय लेने के लिए राजपक्षे को दोषी ठहराया।
ईंधन का संकट, स्कूल बंद, कार्य दिवसों में कमी और सरकारी और निजी कार्यालयों में वर्क फ्रॉम होम लागू होने से परिवहन ठप हो गया है।
श्रीलंका जनवरी से मुख्य रूप से भोजन, ईंधन और दवा की आपूर्ति के लिए 3.5 अरब डॉलर से अधिक की भारत की वित्तीय सहायता पर निर्भर हो गया।
(आईएएनएस)
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क को अमेरिका के कोर्ट से झटका लगा है. अमेरिकी कोर्ट ने एलन मस्क के खिलाफ ट्विटर के मुकदमे की सुनवाई अक्टूबर में तय की है.
एलन मस्क ने मामले में देर से सुनवाई करने की मांग की थी. उन्होंने ट्विटर को खरीदने के लिए 44 अरब डॉलर का करार किया था जिससे अब एलन मस्क ने हाथ पीछे खींचने का ऐलान किया है.
जिसके बाद सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने करार को पूरा करवाने के लिए अदालत का रुख किया. ट्विटर को उम्मीद है कि कोर्ट एलन मस्क को 54.20 डॉलर प्रति शेयर की तय कीमत पर अधिग्रहण पूरा करे का आदेश देगी.
एलन मस्क ने ट्विटर पर फर्जी खातों की जानकारी छिपाने का आरोप लगाया है.
डेलावेयर कोर्ट के एक जस्टिस ने कंपनी के साथ सहमति व्यक्त की है और कहा है कि ट्रायल में देरी से अनिश्चितता को बढ़ाने का काम करेगी. (bbc.com)
विलमिंगटन (अमेरिका), 20 जुलाई । एलन मस्क और ट्विटर के बीच कानूनी लड़ाई मंगलवार को डेलावेयर अदालत में शुरू हुई जब दोनों पक्षों के वकील इस बात पर विवाद कर रहे थे कि मुकदमा कितनी जल्दी शुरू होना चाहिए।
ट्विटर कंपनी मस्क को 44 अरब अमरीकी डालर में खरीदने के अप्रैल के उनके वादे को पूरा करने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है। कंपनी चाहती है कि यह सौदा जल्दी हो क्योंकि उसका कहना है कि विवाद के कारण उसके व्यवसाय को नुकसान हो रहा है।
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति मस्क ने ट्विटर के लिए प्रति शेयर 54.20 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने का वादा किया था, लेकिन अब वह समझौते से पीछे हटना चाहते हैं।(एपी)
श्रीलंका में गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद आज सांसद नए राष्ट्रपति को चुनेंगे.
राष्ट्रपति पद के लिए तीन तरफा मुकाबले में कार्यवाहक राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे, दलस अलापेरुमा और वामपंथी नेशनल पीपुल्स पावर पार्टी के अनुरा कुमारा दिसानायके मैदान में हैं.
सत्तारूढ़ दल एसएलपीपी ने प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे को खड़ा किया है. उन्हें इस दौड़ में सबसे आगे देखा जा रहा है लेकिन प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद वे भी अपना पद छोड़कर चले जाएं.
रनिल विक्रमसिंघे को कड़ा मुकाबले देने वालों में सत्तारूढ़ पार्टी के ही असंतुष्ट सांसद दलस अलापेरुमा का नाम है जिन्हें विपक्ष ने अपना समर्थन दिया है.
नए राष्ट्रपति का कार्यकाल नवंबर 2024 में खत्म होगा. यानी नया राष्ट्रपति, गोटाबाया राजपक्षे के बचे हुए कार्यकाल को ही पूरा करेगा.
आज होने वाले मतदान में कुल 225 सांसद वोट करेंगे. किसी उम्मीदवार को जीतने के लिए आधे से ज्यादा मतों की जरूरत होगी. (bbc.com)
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की पत्नी ओलेना ज़ेलेंस्का उच्च स्तरीय बैठकों और कांग्रेस को संबोधित करने के लिए अमेरिका की यात्रा पर हैं.
चार महीने पहले खुद वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने अमेरिकी संसद को वर्चुअली संबोधित किया था.
व्हाइट हाउस के मुताबिक ओलेना ज़ेलेंस्का ने सोमवार को विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से और मंगलवार को राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की. इससे पहले बाइडन ने मई में यूक्रेन की यात्रा की थी.
ओलेना आज कैपिटल हिल में सांसदों को भी संबोधित करने वाली हैं. उनके पास यूक्रेन की सरकार में कोई आधिकारिक विभाग नहीं है लेकिन यूक्रेन में रूस के युद्ध को करीब पांच महीने हो गए हैं.
ऐसे में यूक्रेन अमेरिका से अधिक सैन्य सहायता और राजनीतिक समर्थन चाहता है.
कांग्रेस ने यूक्रेन को लगभग 40 अरब डॉलर की सहायता को पहले ही मंजूरी दे दी है जो सितंबर के आखिर तक पूरी तरह से दे दी जाएगी.
ओलेना ज़ेलेंस्का ने यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट की प्रमुख सामंथा पावर से भी मुलाकात की. एजेंसी ने यूक्रेन की सरकार का समर्थन करने और मानवीय ज़रूरतों के लिए अरबों डॉलर दिए हैं. (bbc.com)