अंतरराष्ट्रीय
मेक्सिको सिटी, 25 जुलाई। हैती शरणार्थियों को ले जा रही एक नौका रविवार तड़के बहामास के निकट पलट गई, जिसमें कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई और 25 अन्य को बचा लिया गया।
यह नौका न्यू प्रोविडेंस से करीब सात मील दूर पलटी।
प्रधानमंत्री फिलिप ब्रेव डेविस ने एक बयान में बताया कि मृतकों में 15 महिलाएं, एक पुरुष और एक शिशु शामिल है। उन्होंने कहा कि बचाए गए लोग स्वास्थ्य कर्मियों की निगरानी में है।
डेविस ने बताया कि जांचकर्ताओं के अनुसार, दोहरे इंजन वाली नौका स्पष्ट रूप से मियामी के लिए शनिवार रात करीब एक बजे बहामास से रवाना हुई थी, जिसमें कम से कम 60 लोग सवार थे।
उन्होंने कहा कि यह पता लगाने के लिए आपराधिक जांच शुरू की गई है कि यह मानव तस्करी का मामला तो नहीं है।
डेविस ने कहा, ‘‘मैं अपनी सरकार और बहामास के लोगों की ओर से इस त्रासदी में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। मेरी सरकार सत्ता में आने के बाद से इन खतरनाक यात्राओं के खिलाफ सचेत करती रही है।’’
हैती में हत्या और अपहरण की घटनाओं में बढ़ोतरी और विभिन्न गिरोहों की हिंसा के कारण बड़ी संख्या में लोग देश छोड़कर जा रहे हैं। (एपी)
कोलंबो, 24 जुलाई। श्रीलंका का राष्ट्रपति सचिवालय, जिस पर जुलाई की शुरुआत में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था, सोमवार से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कामकाज पर लौटने को तैयार है।
‘संडे टाइम्स’ अखबार ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति सचिवालय को तैयार करने के लिए सप्ताहांत में सफाई और मरम्मत का काम किया गया और सुरक्षा बलों ने सचिवालय के सामने गाले रोड को यातायात के लिए खोल दिया है।
इस जगह को प्रदर्शनकारियों ने 100 दिनों से अधिक समय तक अवरुद्ध किया था। नौ जुलाई को यहां प्रदर्शनकारियों की अत्यधिक हिंसा देखी गई थी। प्रदर्शन के कारण गोटबाया राजपक्षे को देश से भागना पड़ा और राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा बलों ने सचिवालय के सामने गाले रोड को यातायात के लिए खोल दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदर्शनकारी शनिवार को राष्ट्रपति सचिवालय से करीब 100 मीटर दूर रहे और दिन में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया। उनमें से कुछ को क्रिकेट खेलते हुए भी देखा गया। राष्ट्रपति सचिवालय में लंबे समय तक काम बाधित रहा, आंदोलन के दौरान उसे भारी क्षति हुई है और उसे पुख्ता मरम्मत की जरूरत है।
पुलिस के मीडिया प्रवक्ता एसएसपी निहाल थलडुवा ने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय एक व्यापक प्रणाली का हिस्सा है जिसके माध्यम से राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और परिसर को जल्द ही खोलने की जरूरत है।
पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन और यहां टेंपल ट्री स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास से पुरानी और प्राचीन वस्तुओं सहित कई मूल्यवान वस्तुएं गायब हैं। उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग सहित अन्य विभागों के सहयोग से जांच की जा रही है ताकि गायब हुई प्राचीन वस्तुओं की सही संख्या का पता लगाया जा सके, हालांकि पुलिस का अनुमान है कि यह 1,000 से अधिक हो सकती है। (भाषा)
वाशिंगटन, 24 जुलाई | अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के कोरोनोवायरस के एक अत्यधिक संक्रामक सब वेरिएंट बीए.5 से संक्रमित होने का संदेह है। यह बयान उनके डॉक्टर ने दिया है। बाइडेन की सेहत में सुधार देखा जा रहा है। व्हाइट हाउस के चिकित्सक डॉ केविन ओ'कॉनर ने शनिवार को जानकारी दी कि बाइडेन में अभी भी गले में खराश, नाक बहना, खांसी और शरीर में दर्द की शिकायत है।
डॉ ओ'कॉनर ने कहा कि बाइडेन का पल्स ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर और ऑक्सीजन लेवल पूरी तरह से सामान्य है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने ओ'कॉनर के हवाले से कहा कि बाइडेन फाइजर द्वारा निर्मित और कोविड-19 मरीजों को दी जाने वाली एंटीवायरल थेरेपी पैक्सलोविड ले रहे है।
अमेरिकी राष्ट्रपति गुरुवार को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। व्हाइट हाउस ने इसकी जानकारी दी थी।
आपको बता दें कि बाइडेन से पहले उपराष्ट्रपति कमला हैरिस समेत व्हाइट हाउस के कई अधिकारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं।
(आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 24 जुलाई | पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने चेतावनी दी कि उनका देश श्रीलंका जैसी स्थिति से दूर नहीं है और लोग जल्द ही सरकार में बैठे माफियाओं के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। अपने विचारों और चिंताओं को व्यक्त करते हुए, पीटीआई अध्यक्ष ने ट्वीट किया, हमारे देश के साथ मेरी बातचीत और 'हकीकी आजादी' के लिए मेरे आह्वान पर उनकी प्रतिक्रिया के बाद मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि पाकिस्तान के लोगों का सब्र टूट चुका है और अब वो इन माफियाओं को लूट जारी नहीं रखने देंगे। वो समय दूर नहीं है जब श्रीलंका की तरह ही हमारी जनता भी सड़कों पर आ जाएगी।
मेरा सवाल है: राज्य की संवैधानिक संस्थाएं कब तक इन सबकी अनुमति देती रहेंगी। केवल तीन महीनों में जरदारी-शरीफ के माफिया राज ने देश को राजनीतिक और आर्थिक रूप से कंगाल कर दिया है। यह सब केवल 30 साल से अधिक तक पाकिस्तान को लूटकर अवैध रूप से जमा हुई संपत्ति को बचाने के लिए है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय कैबिनेट द्वारा देश के सामने आ रहे आर्थिक संकट से उबरने के लिए राष्ट्रीय संपत्ति की बिक्री से संबंधित अध्यादेश को मंजूरी देने के एक दिन बाद, इमरान खान ने कानून का विरोध किया और कहा कि चोरों को संपत्ति बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
(आईएएनएस)
कैलिफोर्निया (अमेरिका), 24 जुलाई। कैलिफोर्निया में योसेमिट नेशनक पार्क के समीप जंगल में लगी आग ने शनिवार को विकराल रूप धारण कर लिया, जिसके कारण हजारों लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने का आदेश देना पड़ा।
यह कैलिफोर्निया के जंगलों में इस साल लगी सबसे भयंकर आग है। इसके कारण 2,000 से अधिक घरों और उद्योगों की बिजली काटनी पड़ी।
कैलिफोर्निया के वानिकी और अग्नि सुरक्षा विभाग के अनुसार, मारीपोसा काउंटी में मिडपाइंस शहर के समीप नेशनल पार्क के दक्षिणपश्चिम क्षेत्र में शुक्रवार दोपहर को आग लगी और शनिवार तक यह करीब 48 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र तक फैल गयी।
सिएरा राष्ट्रीय वन के प्रवक्ता डेनियल पैटरसन ने कहा कि कम आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे 6,000 से अधिक लोगों को शनिवार को अपने-अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने का आदेश देना पड़ा।
गवर्नर गैविन न्यूसम ने वन्य आग के कारण शनिवार को मारीपोसा काउंटी के लिए आपातकाल की घोषणा की।
पैटरसन ने बताया कि 400 से अधिक दमकलकर्मी आग पर काबू पाने की कोशिशों में जुटे हैं और हेलीकॉप्टर, अन्य विमान तथा बुलडोजर की भी सहायता ली जा रही है।
कैलिफोर्निया के दमकल विभाग ने बताया कि शनिवार सुबह तक आग लगने के कारण 10 रिहायशी और वाणिज्यिक इमारतें नष्ट हो गयी, पांच अन्य क्षतिग्रस्त हुई हैं तथा 2,000 से अधिक इमारतों को खतरा है।
जलवायु परिवर्तन के कारण हाल के वर्षों में कैलिफोर्निया में जंगलों में आग लगने की घटनाएं काफी बढ़ गयी है। (एपी)
पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के नौशेरा में इस मस्जिद को 'मज़बूत मस्जिद' कहा जाता है.
स्थानीय लोगों का दावा है कि 400 साल पुरानी ये मस्जिद धीरे-धीरे ज़मीन में धंस रही है. इस वजह से बार-बार मस्जिद की मरम्मत की जा रही है.
कुछ लोगों का मानना है कि जब मुख्य मेहराब पूरी तरह दब जाएगी तो दुनिया ख़त्म हो जाएगी.
रूस और यूक्रेन के बीच काले सागर के रास्ते अनाज निर्यात को लेकर अहम समझौता हुआ है, जिसके चौबीस घमटों में यूक्रेन के बंदरगाह शहर ओडेसा पर मिसाइल हमले की ख़बर आई है.
यूक्रेनी सेना ने कहा है कि ओडेसा पर चार मिसाइलें दागी गई थीं जिसमें से दो को नष्ट कर दिया गया और दो कैलिबर क्रूज़ मिसाइलें बंदरगाह पर गिरीं. वहीं, यूक्रेन ने कहा है कि हमले से बंदरगाह को नुकसान पहुंचा है लेकिन इसके बावजूद निर्यात की तैयारियां जारी हैं.
यूक्रेनी विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा है कि अगर अनाज निर्यात को लेकर हुई डील नाकाम हुई तो ज़िम्मेदार रूस होगा.
ओडेसा से मंत्री ओलेक्सी गोन्चारेन्को ने कहा, "इस समझौते के अनुसार रूस किसी बंदरगाह पर हमला नहीं करेगा क्योंकि इससे निर्यात प्रभावित होगा. इस हमले का नतीजा हम नहीं जानते लेकिन इससे अनाज की ढुलाई और अनाज ले जा रहे जहाज़ों के आनेजाने पर असर पड़ सकता है. ये साफ तौर पर समझौते का उल्लंघन है. ये ऐसा है जैसे संयुक्त राष्ट्र और तुर्की के मुंह पर उनका अपमान किया गया हो. रूस ने एक बार फिर दुनिया को दिखाया दिया है कि वो समझौतों का सम्मान नहीं करता."
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने भी हमले की निंदा की है और कहा है कि अनाज समझौते को लागू करना बेहद ज़रूरी है.
वहीं, यूरोपीय संघ के विदेश नीति मामलों के प्रमुख जुसेप बुरेल ने कहा है कि आनाज निर्यात के लिए अहम ठिकाने पर हमला कर रूस अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहा है. रूस ने अब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी है.
बीते कल देर शाम रूस यूक्रेन के बीच हुए समझौते के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में गेहूं की कीमत तीन फीसदी तक गिरी है और युद्ध के पहले के स्तर तक यानी 800 डॉलर प्रति बुशेल तक पहुंच गई है.
युद्ध शुरू होने के बाद गेहूं की कीमत अधिकतम 1300 डॉलर प्रति बुशेल कर पहुंच गई थी. तुर्की और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से इस्तांबुल में हए समझौते के तहत यूक्रेन के बंदरगाहों से गेंहू और मक्का काले सागर के रास्ते दूसरे मुल्कों तक पहुंचाया जाएगा.
इसके तहत रूस ने कहा है कि न तो वो अनाज और खाद ले जा रहे जहाज़ों पर हमला करेगा और न ही उन बंदरगाहों पर, जहां से अनाज की ढुलाई होगी. वहीं, यूक्रेन ने कहा है कि वो जहाज़ों की जांच की इजाज़त देगा ताकि इसकी पुष्टि हो सके कि उनमें हथियार नहीं छिपाए गए हैं.
समझौते की बातचीत में शामिल रहीं यूएन कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवेलपमेन्ट की महासचिव रेबेका ग्रिनस्पैन ने बीबीसी से कहा, "ये वाकई में ऐसा समझौता है जिसकी इस दुनिया को ज़रूरत थी क्योंकि इसका असर हज़ारों लाखों लोगों ख़ासकर विकासशील देशों के नागरिकों पर पड़ेगा. ये बेहद ज़रूरी है कि यूक्रेन से आने वाला अनाज वैश्विक बाज़ार तक पहुंचाया जाए."
यूक्रेन और रूस दुनिया के सबसे बड़े गेहूं और मक्का निर्यातकों में शामिल हैं, कई देशों के लिए यूक्रेन उनके गेहूं के कुल आयात का पचास फीसदी से अधिक सप्लाई करता है. ये दोनों देश दुनिया के कई मुल्कों को खाद की भी सप्लाई करते हैं.
फरवरी के आख़िरी सप्ताह में शुरू हुए रूस यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक अनाज संकट पैदा हो गया था. माना जा रहा है कि आने वाले कुछ सप्ताह में अनाज की सप्लाई फिर शुरू हो सकेगी और ये संकट कुछ हद तक सुलझेगा.
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामापोसा ने समझौते का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि ये समझौता पहले ही हो जाना चाहिए था. युद्ध की वजह से दुनिया के कई हिस्सों में अनाज के साथ साथ खाद और दूसरी ज़रूरत की चीज़ों का आयात रुक गया था. हम खुश हैं कि आखिर में ये समझौता हो गया है."
समझौते पर अमल हो, इसके लिए इस्तांबुल में एक मॉनिटरिंग सेंटर बनाया जाएगा, जिसमें तुर्की, संयुक्त राष्ट्र, रूस और यूक्रेन के अधिकारी होंगे.
क्ले सागर से गुज़रने वाले अनाज के जहाज़ों की सुरक्षा के लिए यूक्रेनी जहाज़ साथ चलेंगे जो माइन्स का पता लगाएंगे. क़रीब दो महीनों की कोशिशों से हुआ ये समझौता 120 दिनों यानी 4 महीनों तक लागू रहेगा, जिसके बाद आपसी सहमति से इसे आगे बढ़ाया जा सकेगा. (bbc.com)
शेरलॉट एटवुड, कोको आंग और रिबेका हेंस्के
बीबीसी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में म्यांमार सेना के सैनिकों ने आम नागरिकों की हत्याएं, उत्पीड़न और बलात्कार करना स्वीकार किया है. ये पहली बार है जब उन्होंने बड़े पैमाने पर मानवाधिकार उल्लंघन करना स्वीकार किया है. उनका कहना है कि उन्हें ऐसा करने के आदेश दिए गए थे.
चेतावनीः इस रिपोर्ट में यौन हिंसा और प्रताड़ना का विवरण है
"उन्होंने मुझे मासूम लोगों को प्रताड़ित करने, लूटने और उनकी हत्याएं करने के आदेश दिए"
मांग ऊ का कहना है कि उन्हें लगा था कि सेना में उनकी भर्ती रक्षा करने के लिए हुई है. लेकिन वो उस बटालियन का हिस्सा थे जिसने मई, 2022 में एक मॉनेस्ट्री में छिपे आम नागरिकों की हत्याएं की.
वो बताते हैं, "हमें सभी पुरुषों को एक साथ खड़े करने और और फिर उन्हें गोली मारने का आदेश दिया गया था. सबसे दुखद बात ये है कि हमें महिलाओं और बुजुर्ग लोगों को भी मारना पड़ा."
छह सैनिकों, जिनमें एक कोर्पोरल भी शामिल हैं, और उनके कुछ पीड़ितों की गवाही से म्यांमार की सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए बेचैन सेना की दुर्लभ झलक मिलती है. इस रिपोर्ट में शामिल म्यांमार के सभी नाम पहचान छुपाने के लिए बदल दिए गए हैं.
ये सैनिक, जिन्होंने हाल ही में सेना छोड़ी है, इस समय पीपुल्स डिफेंस फ़ोर्स (पीडीएफ़) की सुरक्षा में हैं. पीडीएफ़ म्यांमार में फिर से लोकतंत्र स्थापित करने के लिए लड़ रहे मिलिशिया समूहों का एक नेटवर्क है.
पिछले साल सेना ने तख़्तापलट करके आंग सांग सू ची के नेतृत्व में चल रही लोकतांत्रिक सरकार को हटा दिया था. सेना अब हथियारबंद विद्रोह को कुचलने का प्रयास कर रही है.
पिछले साल 20 दिसंबर को केंद्रीय म्यांमार के या म्येत गांव को सेना के तीन हेलीकॉप्टरों ने घरे लिया. इनसे उतरे सैनिकों को लोगों को गोली मारने के आदेश दिए गए थे.
कम से कम पांच अलग-अलग लोगों, एक दूसरे से अलग-अलग बात करते हुए बीबीसी को बताया कि क्या हुआ था.
उन्होंने बताया कि सेना तीन अलग-अलग समूहों में दाख़िल हुई, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को अंधाधुंध गोलियां मारी गईं.
म्यांमार के जंगल में अज्ञात स्थान पर बात करते हुए कोर्पोरल आंग ने बताया, "हमें आदेश दिया गया था कि जो भी दिखाई दे उसे गोली मार दो."
वो बताते हैं कि कुछ लोग सुरक्षित समझकर एक ठिकाने पर छुप गए थे लेकिन जब सैनिक उनकी तरफ बढ़े तो उन्होंने भागना शुरू किया. "हमने उन भागते हुए लोगों को गोली मारी."
कोर्पोरल आंग ने स्वीकार किया कि उनकी यूनिट ने पांच लोगों को मारा और दफ़न किया.
"हमें गांव के हर बड़े और अच्छे घर को आग लगाने के आदेश भी दिए गए थे."
सैनिकों ने पूरे गांव में घूमकर घरों को आग लगाई. इस दौरान वो 'आग लगाओ, आग लगाओट चिल्ला रहे थे.
कोर्पोरल आंग ने स्वयं चार इमारतों को आग लगाई. बीबीसी से बात करने वाले लोगों ने बताया है कि कम से कम 60 घरों को जलाया गया था. गांव का अधिकतर हिस्सा राख का ढेर बन गया था.
गांव से अधिकतर लोग भाग गए हैं लेकिन गांव के मध्य में एक घर में लोग रह रहे थे.
थीहा कहते हैं कि वो इस छापे से सिर्फ़ पांच महीने पहले सेना में शामिल हुए थे.
बहुत से दूसरे सैनिकों की तरह उन्हें समुदाय में से शामिल किया गया था और उन्हें प्रशिक्षण नहीं मिला था. इन सैनिकों को स्थानीय स्तर पर आंघार-सित्थार या 'भाड़े के सैनिक' कहा जाता है.
उस समय उन्हें दो लाख म्यांमार क्यात (लगभग 100 डॉलर या 8 हज़ार भारतीय रुपये) का ठीकठाक वेतन दिया जाता था. उस घर में क्या हुआ था उन्हें अच्छे से याद है.
जिस घर को वो जलाने जा रहे थे उसमें लोहे के सींखचों के पीछे उन्होंने एक किशोरी को फंसे हुए देखा.
"मैं उसकी चीख को भूल नहीं पा रहा हूं. मैं अभी भी अपने कानों में उसे सुन सकता हूं और वो मेरे दिल में बस गई है."
जब उन्होंने इस बारे में अपने कैप्टन को बताया तो उन्होंने जवाब दिया, "मैंने तुमसे कहा था कि जो भी दिखाई दे उसे मार दो."
ये सुनकर थीहा ने घर को आग लगा दी. कोर्पोरल आंग भी वहीं मौजूद थे और जब उस लड़की को ज़िंदा जलाया गया तो उन्होंने भी उसकी चीखें सुनीं.
वो याद करते हैं, "उसकी चीखें दिल को भेद रहीं थीं. हमने करीब 15 मिनट तक उसकी चीखें सुनीं. उस दौरान घर धधक रहा था."
बीबीसी उस लड़की के परिवार तक पहुंची जिन्होंने जले हुए घर के बाहर बात की.
उसके रिश्तेदार यू म्यिंत ने बताया कि लड़की मानसिक रूप से बीमार थी. उसके परिजन काम पर गए थे और ो घर पर अकेली थी.
वो कहते हैं, "उसने जान बचाने की कोशिश की थी लेकिन सैनिकों ने उसे रोक दिया और मरने दिया."
वो इन सैनिकों के हाथों प्रताड़ित होने वाली अकेली लड़की नहीं थी.
थीहा कहते हैं कि वो पैसों के लिए सेना में शामिल हुए थे लेकिन जिस तरह का ज़ुल्म करने के लिए उन्हें मजबूर किया गया और जो उन्होंने देखा उससे वो भीतर तक हिल गए थे.
उन्होंने महिलाओं के एक समूह के बारे में बात की जिसे या म्येत में गिरफ़्तार किया गया था.
अधिकारी ने अपने अधीनस्थों को उन महिलाओं को सौंपते हुए कहा, 'जो मर्ज़ी है करो.' थीहा बताते हैं कि उन लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया लेकिन वो स्वयं उसमें शामिल नहीं थे.
बीबीसी ने इनमें से दो लड़कियों की पहचान की.
पा पा और खिन हित्वे बताती हैं कि जब वो भागने की कोशिश कर रहीं थीं तब रास्ते में सैनिक मिल गए थे. वो या म्येत गांव की नहीं थी बल्कि वहां एक टेलर के पास आईं थीं.
ये लड़कियां गुहार लगाती रहीं कि वो इस गांव से या पीडीएफ़ से नहीं है लेकिन सैनिकों ने उनकी नहीं सुनी और उन्हें एक स्थानीय स्कूल में तीन रातों तक बंधक बनाकर रखा गया. हर रात सैनिकों ने बार-बार शराब के नशे में उनके साथ बलात्कार किया. वो याद करती हैं, "उन्होंने मेरी आंखों पर सरोंग बांध दिया और मुझे नीचे गिरा दिया. मेरे कपड़े उतार कर मेरा बलात्कार किया गया." पा पा कहती हैं, "वो मेरा बलात्कार कर रहे थे और मैं चिल्ला रही थी."
उन्होंने सैनिकों से अपने आप को छोड़ देने की गुराह लगाई लेकिन वो नहीं रूके. उन्हें पीटा गया और बंदूक की नोक पर धमकाया गया.
कांपी आवाज़ में उनकी बहन खिन हित्वे बताती हैं, "हमें वो सब बिना विरोध के सहना पड़ा क्योंकि हमें डर था कि कहीं वो जान से ही ना मार दें."
ये लड़कियां इतनी डरी सहमी थीं कि अपने बलात्कारियों को सही से देख तक नहीं पाईं. वो याद करती हैं कि उनमें से कुछ ने सादे कपड़े पहने हुए थे और कुछ सेना की वर्दी में थे.
सैनिक थीहा याद करते हैं, "जब वो किसी जवान लड़की को पकड़ लेते हैं तो वो उनका बलात्कार करते हुए ताना मारते हैं कि ये इसलिए हो रहा है क्योंकि तुम पीडीएफ का समर्थन करती हो."
या म्येत गांव में हुए हमले में कम से कम दस लोगों की मौत हो गई थी और आठ लड़कियों का तीन दिन तक बलात्कार किया गया था.
भाड़े के सैनिक मांग ऊ ने जिन बर्बर हत्याओं में हिस्सा लिया था वो 2 मई 2022 को सेगेंग इलाक़े के ओहाको फो गांव में हुईं थीं.
उन्होंने अपनी 33वी डिवीज़न (लाइट इंफेट्री डिवीज़न 33) के बारे में एक मोनेस्ट्री में लोगों को इकट्ठा करने और गोली मारने का जो दावा किया था वो चश्मदीदों की गवाही और हमले के तुरंत बाद बीबीसी द्वारा हासिल किए गए हिंसक वीडियो से मेल खाता है.
इस वीडियो में कतार में पड़े 9 शव दिखाई देते हैं जिनमें एक महिला और एक बुजुर्ग़ का शव एक दूसरे के आसपास पड़ा नज़र आता है. इन सभी ने सरोंग और टी-शर्ट पहनी थी.
इस ज़ुल्म को देखने वाले ग्रामीणों से भी हमने बात की. उन्होंने बुजुर्ग के पास पड़ी युवा महिला की पहचान की. उसका नाम मा मोए मोए था.
उसके पास अपना बच्चा और एक बैग था जिसमें सोने के आभूषण थे. उसने सैनिकों से अपनी चीज़ें ना छीनने की गुहार लगाई थी.
हला हला मौके पर मौजूद थीं लेकिन उन्हें बख़्श दिया गया था. वो बताती हैं, "उसकी गोद में बच्चा था, इसके बावजूद उन्होंने उसका सामान लूट लिया और उसे गोली मार दी. उन्होंने पुरुषों को लाइन में लगाया और एक-एक करके गोली मार दी."
बच्चा बच गया था और अब उसकी देखभाल रिश्तेदार कर रहे हैं.
हला हला कहती हैं कि उन्होंने सैनिकों को फ़ोन पर ये शेखी बघारते सुना था कि उन्होंने आठ नौ लोग मार दिए हैं और इसमें उन्हें बहुत 'मज़ा आया.' वो कह रहे थे कि 'ये उनका अब तक का सबसे कामयाब दिन है.'
वो बताती हैं कि जब सैनिक गांव से गए तो वो विजय के नारे लगा रहे थे.
एक अन्य महिला ने अपने पति को मारे जाते हुए देखा. वो बताती हैं, "उन्होंने पहले उनकी जांघ में गोली मारी और फिर उल्टा लेटने के लिए कहा. फिर उनके कूल्हे पर गोलियां मारी और आख़िर में सिर में गोली मारी."
वो ज़ोर देकर ये कहती हैं कि उनके पति पीडीएफ़ के सदस्य नहीं थे. वो बताती हैं, "वो ताड़ी का काम करते थे और पारंपरिक तरीक़े से रोज़ी कमाते थे. मेरी एक बेटी और बेटा है और मैं नहीं जानती की आगे जीवन कैसे चलेगा."
मांग ऊ कहते हैं कि उन्हें अपने किए का पछतावा है. वो कहते हैं, "मैं आपको सब बताउंगा. मैं चाहता हूं कि सभी को इस बारे में पता चलें ताकि वो हमारे जैसे हश्र से बच सकें."
जिन सभी छह सैनिकों ने बीबीसी से बात की उन सभी ने मध्य म्यांमार में घरो को जलाना स्वीकार किया. इससे ये पता चलता है कि ये विद्रोह के समर्थन को बर्बाद करने का एक सुनियोजित तरीक़ा है.
ये ऐसे समय में हो रहा है जब कई लोगों का मानना है कि सेना कई मोर्चों पर चल रहे गृह युद्ध में बढ़त बनाए रखने में संघर्ष कर रही है.
म्यांमार विटनेस- शोधकर्ताओं का एक समूह है जो उपलब्ध जानकारी के ज़रिए म्यांमार में मानवाधिकार उल्लंघन का रिकार्ड रखता है. इस समूह ने बीते दस महीनों में इस तरह 200 से अधिक गांवों को जलाए जाने की रिपोर्टें संकलित की हैं.
उनका कहना है कि इस तरह के हमलों का पैमाना व्यापक हो रहा है और इस साल जनवरी और फ़रवरी में ही ऐसे कम से कम 40 हमले हुए थे जबकि मार्च और अप्रैल में ऐसे 66 हमले हुए.
ये पहली बार नहीं है जब म्यांमार की सेना घरों और गांवों को आग लगाने की नीति पर चल रही है. 2017 में रखीने प्रांत में रोहिंग्या लोगों के ख़िलाफ़ भी बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल किया गया था.
देश के पहाड़ी और नस्लीय इलाक़ों में इस तरह के हमलों कई दशकों से होते रहे हैं. ऐसे ही कुछ नस्लीय मिलिशिया अब पीडीएफ़ को सेना के ख़िलाफ़ गृह युद्ध में हथियार और प्रशिक्षण हासिल करने में मदद कर रहे हैं.
मानवाधिकर संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि सैनिकों को मनमर्ज़ी से लूटमार और हत्याएं करने की अनुमति देने की ये संस्कृति म्यांमार में दशकों से चली आ रही है.
सेना के द्वारा किए गए ज़ुल्म के लिए लोगों को कभी कभार ही ज़िम्मेदार ठहराया गया है.
लेकिन पीडीएफ के सैनिकों को मारने और सैनिकें के छोड़कर जाने की वजह से म्यांमार की सेना को अधिक तादाद में भाड़े के सैनिकों और मिलिशिया की सेवाएं लेनी पड़ रही हैं.
2021 के सैन्य तख़्तापलट के बाद से अब तक दस हज़ार के क़रीब सैनिक और पुलिसकर्मी छोड़कर जा चुके हैं. पूर्व सैनिकों और पुलिसकर्मियों के संगठन पीपुल्स एंब्रेस ने ये आंकड़ा जारी किया है.
जलता हुआ घर
सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ थिंक टैंक से जुड़े माइकल मार्टिन कहते हैं, "सेना कई मोर्चों पर चल रहे गृह युद्ध में संघर्ष कर रही है."
मार्टिन कहते हैं, "सेना के पास लोगों की कमी है, अफ़सर रैंक में और सैनिक रैंक में भी क्योंकि उसे भारी नुक़सान हो रहा है और नई भर्तियों में भी समस्या है. इसके अलावा आपूर्ती और साज़ो-सामान की भी दिक्कते हैं. ये इस बात से भी साबित होता है कि वो देश के कई हिस्सों में कई इलाक़ों का नियंत्रण गंवाते दिख रहे हैं."
मेगवे और सेगेंग इलाक़ें जहां ये ज़ुल्म हुआ, ऐतिहासिक रूप से सेना की भर्ती के इलाक़े रहे हैं. लेकिन अब यहां के युवा पीडीएफ़ में शामिल होना पसंद कर रहे हैं.
कोर्पोरल आंग सेना छोड़ने के कारण को लेकर स्पष्ट थे. वो कहते हैं, "अगर मुझे ये लगता कि लंबी लड़ाई में सेना जीत जाएगी तो मैं कभी भी पाला बदलकर लोगों की तरफ़ नहीं आता."
वो कहते हैं कि सैनिक अकेले कभी भी अपना अड्डा नहीं छोड़ते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि पीडीएफ़ उन्हें मार देगी.
"हम जहां भी जाते हैं सिर्फ़ सैन्य कॉलम में ही जाते हैं. कोई ये नहीं कह सकता है कि हम युद्ध में हावी हो रहे हैं."
हमने इस जांच रिपोर्ट में सामने आए आरोपों को म्यांमार की सेना के प्रवक्ता जनरल ज़ा मिन टुन के सामने रखा. एक बयान में उन्होंने सेना के नागरिकों पर हमले करने और उनकी हत्याएं करने के आरोप को नकार दिया. उन्होंने कहा कि यहां जिन दो छापों को रेखांकित किया गया है वो दोनों ही वैध निशाने थे और जो लोग मारे गए थे वो 'आतंकवादी' थी.
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि सेना गांवों में आग लगा रही है. उन्होंने दावा किया कि पीडीएफ़ आगजनी और गांवों पर हमले कर रही है.
ये कहना मुश्किल है कि ये गृह युद्ध कब और किस तरह समाप्त होगा लेकिन ऐसा लग रहा है कि म्यांमार के दसियों लाख लोग इसकी दहशत के साये में रहेंगे.
और जितना वक्त शांति स्थापित होने में लगेगा, बलात्कार पीड़ित खिन हित्वे जैसी महिलाओं के सामने शोषण और हिंसा का ख़तरा बरक़रार रहेगा.
वो कहती हैं कि उनके साथ जो हुआ उसके बाद वो जीना नहीं चाहती थीं और उनके मन में कई बार अपनी जान लेने का विचार आया है.
उन्होंने अभी तक अपने मंगेतर को अपनी आपबीती नहीं बताई है.
पाकिस्तान की पर्वतारोही समीना बेग ने दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी के2 को फ़तह कर इतिहास रच दिया है.
समीना बेग के2 के शिखर पर पहुँचने वाली पाकिस्तान की पहली महिला बन गई हैं. दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट है.
समीना बेग की टीम में छह महिलाएं थीं, जिनमें दो पाकिस्तानी, एक ईरान, सऊदी अरब, ओमान और ताइवान से शामिल हैं.
समीना शुक्रवार सुबह गिलगित-बाल्तिस्तान में स्थित कराकोरम रेंज के 8611 मीटर ऊंचे इस पर्वत के शिखर पर पहुंचीं.
इसके बाद पाकिस्तान के लिए एक और ख़ुशख़बरी आई. पर्वतारोहियों की टीम में शामिल एक और पाकिस्तानी महिला नैला कियानी भी के2 के शिखर पर पहुँच गईं.
वहीं, शुक्रवार को ही ईरान की अफ़्सानेह हेसामीफर्द भी के2 के शिखर पर पहुंचने वालीं ईरान की पहली महिला पर्वतारोही बनीं. उन्होंने इस साल मई में माउंट एवरेस्ट पर जीत हासिल की थी.
साल 2013 में समीना बेग दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली पाकिस्तानी महिला बनी थीं.
समीना गिलगित बाल्तिस्तान में हुन्ज़ा घाटी की रहने वाली हैं और उन्होंने 15 साल की उम्र में अपने भाई के साथ पर्वतारोहण शुरू किया था. वह साल 2009 से पेशेवर पर्वतारोही बन गई हैं.
पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर भी लोग समीना बेग को उनकी उपलब्धी के लिए बधाइयां दे रहे हैं.
पर्वतारोहियों के समूह में अमेरिका, लेबनान, नेपाल, फिलिपींस, एस्टोनिया, तुर्की, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, हॉन्ग-कॉन्ग, अर्जेंटीना और ब्रिटेन के पर्वतारोही भी शामिल थे.
पीएम और राष्ट्रपति ने दी बधाई
गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र में अलग-अलग ऊंचाई वाली चोटियों पर पर्वतारोहण के लिए इस साल सैकड़ों विदेशी पर्वतारोही पहुंचे हैं.
के2 पर पर्वतारोहण को बहुत चुनौतीपूर्ण माना जाता है. यहां 200 किमी. प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चलती हैं और तापमान माइनस 60 डिग्री सेल्सियस होता है.
समीना बेग की सफलता पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने उन्हें बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट किया, ''दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी के2 के शिखर पर पहुँचने वालीं पहली पाकिस्तानी महिला समीना बेग और उनके परिवार को बधाई.''
उन्होंने कहा कि समीना दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस का प्रतीक बन गई हैं. उन्होंने साबित किया है कि पाकिस्तानी महिलाएं पर्वतारोहण के मामले में पुरुषों से पीछे नहीं हैं.
वहीं, राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ़ अल्वी ने भी समीना बेग को बधाई दी. उन्होंने कहा, ''आज सुबह दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी के2 के शिखर पर पहुंचने के लिए समीना बेग और नेला कियानी को बधाई. पुरुषों के साथ सभी क्षेत्रों में अपनी भूमिका निभाने वालीं महिलाओं पर गर्व है.''
माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है और के2 दूसरे नंबर पर आता है. लेकिन के2 को ज़्यादा ख़तरनाक क्यों माना जाता है?
के2 का मौसम बहुत ही अनिश्चित रहता है. के2 पर सिर्फ़ पेशेवर पर्वतारोही ही जाते हैं. अगर नेपाल के सभी शेरपाओं को हटा दें और एवरेस्ट पर सोलो चढ़ना हो तो यह सबसे मुश्किल है. के2 पाकिस्तान में है. दोनों अलग-अलग पर्वत हैं. एवरेस्ट 9000 मीटर ऊँचा है.
जानकारों के मुताबिक के2 पर एक सीज़न में मुश्किल से 50 लोग चढ़ पाते हैं, जबकि माउंट एवरेस्ट पर 2000 लोग. इससे भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि के2 कितना मुश्किल है.
इससे पहले नेपाल के निर्मल पुर्जा के नेतृत्व में पिछले साल 10 नेपालियों ने 17 जनवरी को सर्दी में पहली बार 28,251 फुट ऊँचे K2 को फ़तह किया था. K2 काराकोरम रेंज का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है, लेकिन इसे सबसे ख़तरनाक माना जाता है.
सर्दी के मौसम में निर्मल पुर्जा की टीम से पहले कोई नहीं चढ़ पाया था. इस टीम में निर्मल पुर्जा एकमात्र थे, जो नेपाल के चर्चित शेरपा समुदाय से नहीं थे. निर्मल मगर (नेपाल का एक समुदाय) हैं और ब्रिटिश गोरखा ब्रिगेड में सैनिक थे.
K2 पर बसंत और गर्मी के मौसम में भी चढ़ना आसान नहीं है, लेकिन निर्मल की टीम ने इसे सर्दी के मौसम में लाँघ दिया था.
K2 पर चढ़ने की कोशिश करने वालों में से लगभग हर छह में से एक की मौत हो जाती है जबकि माउंट एवरेस्ट में मौत का औसत लगभग 34 में एक है. (bbc.com)
लाहौर, 23 जुलाई | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे हमजा शहबाज को पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सीट बरकरार रखने के लिए चुनाव जीतने के बाद शनिवार को उन्हें पद की शपथ फिर से दिलाई गई। लाहौर में गवर्नर हाउस में आयोजित एक समारोह में पंजाब के राज्यपाल बालीघुर रहमान ने काले रंग की शेरवानी पहनकर शपथ दिलाई।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल) के संयुक्त उम्मीदवार परवेज इलाही को मिले 176 वोटों के मुकाबले हमजा को 179 वोट मिले, डिप्टी स्पीकर दोस्त मजारी ने शुक्रवार देर रात घोषणा की।
इलाही को 186 वोट मिले थे, जिसमें पीटीआई से 176 और पीएमएल से 10 वोट शामिल थे, लेकिन डिप्टी स्पीकर ने पीएमएल के 10 वोटों को बाहर कर दिया, जब इसके प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन ने अपनी पार्टी के सदस्यों को इलाही को वोट न देने के लिए एक पत्र लिखा।
यह दूसरी बार है, जब हमजा ने पंजाब के मुख्यमंत्री के मुकाबले में इलाही को हराया है।
चुनाव पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ था, जब पीटीआई ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि हमजा ने सदन में बहुमत खो दिया है।
इससे पहले 16 अप्रैल को वह 197 मतों के साथ पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए थे, जिसमें पीटीआई के 25 असंतुष्ट भी शामिल थे।
पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने 20 मई को पार्टी नेतृत्व के आदेश के खिलाफ चुनाव में एफपीआर हमजा को वोट देने के लिए पीटीआई की प्रांतीय विधानसभा के 25 असंतुष्ट सदस्यों को हटा दिया।
बाद में ईसीपी ने पीटीआई को पांच आरक्षित सीटें आवंटित कीं और 17 जुलाई को शेष 20 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की।
पीटीआई ने 15 सीटें जीतीं, जबकि पीएमएल-एन को चार सीटें मिलीं और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी चुनाव जीता।
पीएमएल सदस्य बशारत राजा ने डिप्टी स्पीकर के वोटों को बाहर करने के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह देश के संविधान के खिलाफ है, क्योंकि विधानसभा में केवल एक नेता ही अपने सदस्यों को ऐसे आदेश दे सकता है, जबकि हुसैन सदन में पार्टी के नेता नहीं हैं।
पीटीआई और पीएमएल दोनों ने घोषणा की कि वे डिप्टी स्पीकर द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती देने के लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे।
(आईएएनएस)
वाशिंटन, 23 जुलाई | इलाज के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के कोविड-19 लक्षणों में सुधार हुआ है, इस बात की जानकारी व्हाइट हाउस के चिकित्सक ने दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने शुक्रवार को जारी डॉ. केविन ओ'कॉनर के एक मेमो के हवाले से बताया कि, गुरुवार शाम बिडेन का तापमान 99.4 डिग्री तक पहुंच गया और उसे बुखार कम करने वाला टाइलेनॉल दिया गया।
चिकित्सक ने कहा, "शुक्रवार को जो बाइडेन की तबीयत धीरे- धीरे सही हो रही है और उनकी रक्तचाप, श्वसन दर और ऑक्सीजन संतृप्ति पूरी तरह से सामान्य है।"
ओ'कॉनर ने उल्लेख किया कि "राष्ट्रपति उपचार को अच्छी तरह से सहन कर रहे हैं और फाइजर द्वारा निर्मित और कोविड-19 के रोगियों को दी जाने वाली एंटीवायरल थेरेपी पैक्सलोविड ले रहे हैं।"
व्हाइट हाउस के अनुसार, 79 वर्षीय बाइडेन को कोविड-19 से संक्रमित थे। खैर अब ठीक लगने के बाद से पूरी तरह से राष्ट्रपति आइसोलेशल में हैं।
ओ'कॉनर ने ज्ञापन में कहा कि राष्ट्रपति पर पूरी तरीके से नजर रखी जा रही है। (आईएएनएस)
काबुल, 23 जुलाई | अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) की प्रमुख फियोना फ्रेजर ने कहा है कि वे तालिबान सरकार के साथ बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि कक्षा 6-12 की छात्राओं के लिए स्कूलों को फिर से खोला जा सके, जो पिछले अगस्त से बंद हैं। फ्रेजर ने टोलो न्यूज से बात करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि हमें जमीन पर चिंताओं के रूप में जो कुछ भी दिखाई देता है, उसे उठाते रहना चाहिए और वास्तविक अधिकारियों के साथ बातचीत और जुड़ना जारी रखना चाहिए।"
फ्रेजर के अनुसार, "स्कूलों का बंद होना अफगानिस्तान की प्रगति में बाधक है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था और प्रगति पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारे पास यह तथ्य है कि लड़कियां अब पूरे अफगानिस्तान में माध्यमिक विद्यालय में जाने में सक्षम नहीं हैं। इससे संबंधित एक बिंदु जो हम बताते हैं, वह यह है कि यह वास्तव में लड़कियों की एक पीढ़ी को बुनियादी शिक्षा से वंचित कर रहा है।"
पिछले अगस्त में कब्जा जमाने के बाद से तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों और लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। (आईएएनएस)
कीव, 23 जुलाई | यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि अब हर रोज लगभग 30 सैनिक फ्रंटलाइन पर शहीद हो रहे हैं, जो मई और जून में जारी युद्ध के चरम पर पहुंचने के बाद से एक महत्वपूर्ण कमी है, जब रोजाना 100-200 सैनिक मारे गए थे। द वॉल स्ट्रीट जर्नल के साथ एक साक्षात्कार में राष्ट्रपति ने कहा कि मई और जून में जब शत्रुता ऊंचाई पर थी, यूक्रेन प्रतिदिन 100-200 सैनिकों को खो रहा था, लेकिन अब यह संख्या घटकर 30 हो गई है, जिसमें प्रतिदिन लगभग 250 घायल होते हैं।
उक्रेइंस्का प्रावदा की रिपोर्ट के मुताबिक, जेलेंस्की ने कहा, "मैं आपको निश्चित रूप से बता सकता हूं, क्योंकि मैं हर दिन इसके साथ रहता हूं।"
जेलेंस्की ने हालांकि, 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन के कुल सैन्य नुकसान का खुलासा करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि वे रूस की तुलना में कई गुना कम थे।
उन्होंने कहा कि हाल ही में अमेरिका और पश्चिमी सहयोगियों द्वारा हथियारों की आपूर्ति, विशेष रूप से हिमार्स रॉकेट लॉन्चर सिस्टम और 155-एमएम हॉवित्जर ने पूर्वी डोनबास क्षेत्र में स्थिति को स्थिर करने में मदद की है।
राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया है, "पहले रूसी 12,000 यूक्रेनी गोले के खिलाफ रोजाना 12,000 तोपखाने के गोले दागते थे, लेकिन अब यूक्रेन प्रतिदिन लगभग 6,000 गोले का उत्पादन कर सकता है, जबकि रूस को गोला-बारूद और सैनिकों की कमी का अनुभव होने लगा है।"
जेलेंस्की के अनुसार, गोलाबारी के संतुलन में इस बदलाव से यूक्रेनी नुकसान को कम करने में मदद मिली है।
राष्ट्रपति ने कहा कि डोनबास में अग्रिम पंक्ति के स्थिरीकरण से यूक्रेन अन्य दिशाओं में आगे बढ़ सकेगा।
हालांकि, उन्होंने इस बात पर चर्चा करने से इनकार कर दिया कि यूक्रेन कहां और कब जवाबी कार्रवाई शुरू करने की योजना बना रहा है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यूक्रेन को रूसी मिसाइलों से यूक्रेनी शहरों की रक्षा के लिए हवाई रक्षा उपकरणों की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि 5 अरब डॉलर के मासिक बजट घाटे के साथ यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को बचाए रखने की तुलना में हवाई रक्षा उपकरणों की कीमत अमेरिका और यूरोप को काफी कम होगी।
इससे पहले, रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने कहा था कि यूक्रेन के सशस्त्र बलों को मेयर में सबसे बड़ा नुकसान हुआ, जब प्रतिदिन 100 सैनिक मर रहे थे, और 300 से 400 के बीच घायल हो रहे थे। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 23 जुलाई| तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकी समूह के साथ एक उच्चस्तरीय पाकिस्तानी सेना ने 'शांति वार्ता' पर चर्चा की और 'व्यापक सुरक्षा रणनीति' के अनुसार मामले को आगे बढ़ाने का फैसला किया। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी जनरल नदीम रजा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुखों- सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा, नौसेना प्रमुख एडमिरल मुहम्मद अमजद खान नियाजी और वायुसेना प्रमुख चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू, आईएसआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम, पेशावर कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
एक जेसीएससी बैठक में आम तौर पर सामरिक योजना प्रभाग के महानिदेशक और रक्षा और रक्षा उत्पादन मंत्रालयों के सचिव शामिल होते हैं, लेकिन उनमें से कोई भी वहां नहीं था।
डॉन ने सूचना दी, यह इस तरह की पहली बैठक थी, जिसमें सभी सशस्त्र सेवाएं शामिल थीं, क्योंकि अफगानिस्तान में आतंकवादियों के साथ सेना के नेतृत्व वाली वार्ता ने राजनीतिक नेताओं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर संसदीय समिति के लिए सेना के शीर्ष अधिकारियों द्वारा इस मुद्दे पर ब्रीफिंग के साथ एक सार्वजनिक प्रोफाइल ग्रहण की थी।
आईएसपीआर ने बैठक के बारे में कहा, "मंच को पश्चिमी सीमा, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के लिए विशिष्ट राष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति की समीक्षा पर विस्तृत जानकारी दी गई।"
इसमें कहा गया है कि 'रणनीतिक और पारंपरिक नीतियों के क्षेत्र में तेजी से विकास, क्षेत्र में सतत विकास के लिए अफगानिस्तान में शांति के महत्व और सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों' पर भी चर्चा की गई।
आईएसपीआर ने कहा कि प्रतिभागियों ने 'व्यापक सुरक्षा रणनीति' के अनुसार 'खतरों के पूरे स्पेक्ट्रम' का जवाब देने का संकल्प लिया।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सैन्य नेतृत्व ने राजनीतिक नेतृत्व से पहले ब्रीफिंग में कहा था कि वह शांति को एक मौका देना चाहता है, लेकिन अगर टीटीपी समझौते का पालन नहीं करता है तो वह पूरी ताकत से जवाब देगा। (आईएएनएस)
मैड्रिड, 23 जुलाई | स्पेन के कैटालोनिया, सेगोविया, जारागोजा और एविला क्षेत्रों में इस सप्ताह जंगल की आग पर सफलतापूर्वक काबू पाने के बावजूद एक पारिस्थितिकी विशेषज्ञ ने कहा कि जंगल की आग के कारण यहां रहना सही नहीं है। बार्सिलोना विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी में एमेरिटस प्रोफेसर नार्सिस प्रैट ने समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया, "हम नहीं जानते कि वास्तव में क्या होगा, हमेशा संदेह होते हैं और जलवायु मॉडल कभी-कभी गलत होते हैं, लेकिन सब कुछ बताता है कि हम उच्च तापमान, गर्मी की लहरों, अधिक अनियमित वर्षा की मात्रा में कम लेकिन बहुत तीव्र स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं।"
यूरोपियन फॉरेस्ट फायर इंफॉर्मेशन सिस्टम (ईएफएफआईएस) के अनुसार, इस साल अकेले स्पेन में 193,247 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग से जल गए हैं।
यह एक नया रिकॉर्ड है, जो 2012 में दर्ज 189,367 हेक्टेयर को पार कर गया है।
प्रोफेसर नार्सिस प्रैट ने कहा है, "बड़े हिस्से में यह वुडलैंड प्रबंधन की कमी के कारण है। कई वर्षो से वुडलैंड्स की उपेक्षा की गई है, क्योंकि उनके साथ कुछ भी करना बहुत महंगा था, उन्हें एक्सेस करना मुश्किल था, और यह सब लाभदायक नहीं था।"
"मुख्य सबक यह है कि हमें वुडलैंड्स को अलग तरह से प्रबंधित करने की आवश्यकता है। हमें पेड़ों के बड़े समूह से बचना चाहिए। इसके बजाय, पेड़ों को अंडरग्राउंड, घास के मैदान और कृषि क्षेत्रों के साथ मिश्रित किया जाना चाहिए, जिसे वन मोजेक कहा जाता है। इससे यह बहुत मुश्किल हो जाएगा। जंगल की आग फैल जाएगी।"
प्रैट ने चेतावनी दी कि जब तक दुनिया भर के अधिकारी कम समय में कार्बन उत्सर्जन को मौलिक रूप से कम नहीं करते हैं, तब तक स्थिति और खराब होने की संभावना है।
प्रोफेसर नार्सिस प्रैट ने आगे कहा, "हमने इस साल यहां इतनी गर्मी की लहरों के साथ जो देखा है वह कुछ ऐसा है जो वैज्ञानिकों का मानना था कि यह अगले पांच से दस वर्षो तक नहीं होने वाला था। चीजें तेज हो गई हैं और वैज्ञानिक चिंतित हैं कि उन्होंने 2030 या 2050 के लिए जो पूर्वानुमान लगाया था, वैसी स्थिति तेजी से आ रही है।"
शुक्रवार को अग्निशामक तीन जंगल की आग को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे, जो एक साथ गैलिसिया में लगभग 31,000 हेक्टेयर को कवर करते थे, जबकि दो नई आग टेनेरिफ द्वीप पर और मैड्रिड के क्षेत्र में गुआडालिक्स डे ला सिएरा में शुरू हुई थी। (आईएएनएस)
सऊदी अरब की यात्रा के दौरान पवित्र शहर मक्का में एक इसराइली रिपोर्टर के जाने के मामले में सऊदी अरब के एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है. इस शख़्स पर इसराइली पत्रकार को मक्का में जाने में मदद करने का आरोप है.
इसराइल के चैनल 13 के टीवी पत्रकार गिल तामरी ने मक्का में जाते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था जबकि वहाँ ग़ैर-मुसलमानों का प्रवेश प्रतिबंधित है.
उन्होंने पवित्र स्थल माउंट अराफ़ात की चढ़ाई भी की, जहाँ हज यात्रा के समय मुस्लिम इकट्ठा होते हैं. उनकी इस यात्रा को सऊदी अरब के अधिकारियों से अनुमति नहीं मिली थी. उनके इसराइल लौटने के बाद टीवी चैनल ने रिपोर्ट को प्रकाशित किया है.
इस यात्रा के बाद पत्रकार गिल तामरी ने माफ़ी मांगी है और कहा है कि वे धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए मक्का और इस्लाम की सुंदरता दुनिया को दिखाना चाहते थे.
सऊदी अरब और इसराइल के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन संबंधों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. पिछले हफ़्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की सऊदी अरब की यात्रा के दौरान कई इसराइली पत्रकारों ने विदेशी पासपोर्ट का इस्तेमाल कर देश में एंट्री ली थी.
पत्रकार गिल तामरी को पता था कि वे क्या कर रहे हैं. उन्होंने वीडियो बनाते हुए साफ़ तौर पर मक्का की अहमियत बताई और कहा कि वे पहले इसराइली पत्रकार हैं जो वहाँ पहुंचे हैं और ऐसी तस्वीरें ले पा रहे हैं.
सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक़ गिरफ़्तार किए गए शख़्स ने इसराइली पत्रकार को मक्का के रास्ते का इस्तेमाल करने में मदद की थी जो क़ानून का पूरी तरह उल्लंघन है.
मक्का पुलिस के प्रवक्ता ने ज़ोर देकर कहा कि सऊदी अरब आने वाले लोग यहाँ के नियम-क़ानूनों का पालन करें, ख़ासतौर पर दो पवित्र मस्जिदों और अन्य पवित्र जगहों के मामले में. क़ानूनों का उल्लंघन करने वाले को सज़ा दी जाएगी.
मक्का में प्रवेश करने वाले इसराइली पत्रकार पर आगे क़ानूनी कार्रवाई की जा रही है.
क्या था वीडियो में
बीबीसी उर्दू के मुताबिक इस वीडियो में दिखाई दे रहा है कि गिल तामरी अपनी कार से यात्रा कर रहे हैं और उनके साथ एक स्थानीय गाइड भी है जिनके चेहरे पर मास्क लगा है. इसलिए उनकी पहचान नहीं हो पा रही है.
रिपोर्ट के साथ लिखा गया है कि सुरक्षा चैक प्वाइंट के बाद सऊदी पुलिसकर्मी ने हमें मक्का की तरफ़ जाने के लिए कहा. इस रास्ते में आप बड़ा क्लॉक टावर भी देख सकते हैं.
वीडियो रिपोर्ट के दौरान गिल तामरी कैमरा की तरफ़ देखकर हिब्रू में धीरे-धीरे बोलते हैं ताकि कोई उनकी आवाज़ ना सुन ले. वो बीच-बीच में अंग्रेज़ी में भी बोल रहे हैं.
अपने वीडियो में वो ख़ुद बता रहे हैं, ''सऊदी क़ानून के मुताबिक ग़ैर-मुसलमानों का यहाँ आना मना है. मेरे लिए यहां आना नामुमकिन था लेकिन मुझे एक बेहतरीन शख़्स मिले जिन्होंने अपनी जान ख़तरे में डालकर मुझे यहां ले जाने का फ़ैसला किया. ''
गिल वीडियो में कह रहे हैं कि अगर पुलिस उन्हें रोकती है तो वो कहेंगे कि हम मक्का अपने दोस्तों से मिलने जा रहे हैं.
रिपोर्ट में दिख रहा है कि उनके रास्ते में कई साइन बोर्ड लगे हैं जिन पर लिखा है ग़ैर-मुसलमानों का आगे जाना मना है. पुलिस चैक पोस्ट से गुज़रते हुए वो अपना कैमरा नीचे कर लेते हैं.
अराफात में पहुंचने के बाद गिल तामरी के गाइड को ये कहते हुए सुना जा सकता है, ''ये गैर-क़ानूनी है.'' वो थोड़े असहज हुए लग रहे हैं क्योंकि आसपास के लोगों को उन पर शक हो गया है.
ऐसी स्थिति में तामरी कैमरे की तरफ़ देखकर हिब्रू में कहते हैं, ''सिर्फ़ मुस्लिम यहां आ सकते हैं. अब तक किसी इसराइली पत्रकार ने यहां से प्रसारण नहीं किया है.''
तामरी वीडियो में कहते हैं, ''जब हम माउंट अराफात पहुंचे और ऊपर की ओर बढ़े तो मेरे गाइड ने वापस जाने का ईशारा किया. गाइड ने कुछ लोगों को कहते सुना था कि वो दोनों मुसलमान हैं या नहीं. इसके बाद हम कार तक पहुंचे और शहर से निकल गए.''
इसराइल ने क्या कहा
इस वीडियो के सामने आने के बाद गुल तामरी को आलोचना का सामना करना पड़ा.
इसराइल के क्षेत्रीय सहयोग मंत्री इसावी फ्रेज ने सरकारी मीडिया से कहा, ''मैं इसके लिए माफ़ी मांगता हूं. ये एक बेवकूफ़ी भरा कदम है. रेटिंग्स के लिए ऐसी रिपोर्ट चलाना गैर-ज़िम्मेदाराना और घातक है.''
इस रिपोर्ट ने इसराइल और सऊदी अरब के संबंधों में सुधार की अमेरिकी कोशिशों को नज़रअंदाज़ किया है.
इस रिपोर्ट के प्रसारण के बाद ही ''ए ज्यू इन मक्काज़ ग्रेंड मास्क (मक्का की भव्य मस्जिद में एक यहूदी)'' ट्रेंड करने लगा.
बीबीसी उर्दू के मुताबिक एक सऊदी सामाजिक कार्यकता ने लिखा, ''इसराइल में मेरे प्यारे दोस्तों, आपका एक पत्रकार इस्लाम के पवित्र शहर में घुस गया और शर्मनाक तरीक़े से वहां वीडियो भी बनाया. चैनल 13 ने इस्लाम का अपमान किया है.''
पाकिस्तान के पंजाब सूबे की विधानसभा में शुक्रवार को नए मुख्यमंत्री का चुनाव हो रहा है. इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकारी मशीनरी के जरिए जनादेश हड़पने की कोशिश की जाएगी तो पाकिस्तान में श्रीलंका संकट जैसे हालात पैदा हो सकते हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के बेटे हमज़ा शहबाज़ सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं जबकि इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की ओर से चौधरी परवेज़ इलाही मैदान में हैं.
368 सदस्यों वाली पंजाब विधानसभा में विपक्षी गठबंधन के पास 187 विधायक हैं जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के पास 179 विधायकों का समर्थन हासिल है.
माना जा रहा है कि हमज़ा शरीफ़ बहुमत की दौड़ में पिछड़ सकते हैं, हालांकि अगर कुछ विपक्षी विधायकों के पाला बदलने की सूरत में सियासी समीकरण बदल भी सकते हैं.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के 25 विधायकों ने अप्रैल में विधानसभा के भीतर हमज़ा शरीफ़ के पक्ष में वोट दिया था जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी. मामला सुप्रीम कोर्ट गया जिसके बाद अदालत ने बहुमत तय करने के लिए 22 जुलाई को फिर से वोटिंग कराने का फ़ैसला सुनाया. (bbc.com)
पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री अब्दुल क़ादिर पटेल ने बढ़ती आबादी से निपटने के लिए सुझाव दिया है कि जो लोग अधिक बच्चों की चाहत रखते हैं, वे ऐसे देशों में जाकर बच्चे पैदा करें जहाँ मुसलमान अल्पसंख्यक हैं.
अब्दुल क़ादिर पटेल विश्व जनसंख्या दिवस के एक कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान की आबादी पर बात कर रहे थे.
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या पर जारी की गई अपनी रिपोर्ट 'वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉसपेक्ट्स 2022' में कहा था कि इस साल के नवंबर महीने तक दुनिया की आबादी आठ अरब हो जाएगी.
इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि भारत अगले साल सबसे ज़्यादा आबादी वाले देशों की सूची में अव्वल स्थान पर होगा और चीन दूसरे स्थान पर आ जाएगा. वहीं, पाकिस्तान की आबादी 2050 में जाकर 36 करोड़ के आंकड़े को पार करेगी.
ऐसे में सवाल ये है कि पाकिस्तान में आबादी नियंत्रित करने के मुद्दे पर इतनी चिंता क्यों बढ़ गई है?
पाकिस्तान की सांसद समीना मुमताज़ ज़हरी ने एक कार्यक्रम के दौरान इस सवाल का कुछ हद तक जवाब दिया है. समीना बलूचिस्तान आवामी पार्टी (बीएपी) की सदस्य हैं.
उन्होंने कहा, "आंकड़ों के मुताबिक़, पाकिस्तान कुल क्षेत्रफल के लिहाज़ से दुनिया का 33वां सबसे बड़ा देश है लेकिन जब बात आबादी की हो तो वो दुनिया का पाँचवां सबसे बड़ा देश है. पाकिस्तान में मौजूदा आबादी के हिसाब से भी संसाधनों की भारी कमी है और देश का हर नागरिक इनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है."
पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री के बयान में भी बढ़ती आबादी के प्रति यही चिंता दिखती है.
पाकिस्तान आबादी
अब्दुल क़ादिर ने कहा, "पाकिस्तान की आबादी 2030 तक 285 मिलियन (यानी 28.5 करोड़) हो जाएगी, जो एक चिंताजनक स्थिति है. हम अल्लाह की मख़लूक़ कम नहीं करना चाह रहे, हम मुसलमान कम नहीं करना चाह रहे. हम मुसलमान को बेहतर बनाना चाह रहे हैं. हम मुसलमान को पढ़ा-लिखा और सेहतमंद बनाना चाह रहे हैं."
"अक्सर कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमारी बात से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते, जो कहते हैं कि अल्लाह दे रहा है और उसे हम बढ़ा रहे हैं... तो मैंने कहा कि आप किसी ऐसे मुल्क में जाकर इतने बच्चे पैदा करो न, जहाँ मुसलमान माइनॉरिटी हों. यहाँ तो हम लोग वैसे ही बहुत हैं..."
पाकिस्तान में ब्रिटेन के उच्चायुक्त क्रिश्चियन टर्नर ने भी चिंता ज़ाहिर करते हुए ये बताया कि मुल्क की आबादी अगले 30 साल में दोगुनी हो जाएगी, जिससे देश के संसाधनों पर पहले से पड़ रहा बोझ और बढ़ जाएगा.
बढ़ती आबादी को रोकने के लिए उन्होंने पाकिस्तान में परिवार नियोजन के मुद्दे पर अधिक बातचीत की ज़रूरत को महत्वपूर्ण बताया.
पाकिस्तान की आबादी
वर्ल्ड बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार पाकिस्तान की आबादी 22 करोड़ 52 लाख के क़रीब है. इनमें से 11 करोड़ 58 लाख से अधिक पुरुष और 10 करोड़ 93 लाख से अधिक महिलाएं हैं, जो कुल आबादी का 48 फ़ीसदी है.
लिंगानुपात की बात करें तो पाकिस्तान में प्रति 100 महिलाओं पर 105 पुरुष हैं. साल 1950 में ये अनुपात प्रति 100 महिलाओं पर क़रीब 120 पुरुष था.
वहीं इसी साल भारत में जारी नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार लिंगानुपात के मामले में देश में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं. अब भारत में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 तक पहुंच गई है.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट 'वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉसपेक्ट्स 2022' के अनुसार 2050 तक पाकिस्तान की आबादी में 56 फ़ीसदी का इजाफ़ा होगा और ये 36.6 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी.
पाकिस्तान में पहली बार साल 1998 में जनगणना कराई गई थी. उस समय से लेकर 2017 तक पाकिस्तान की आबादी में 57 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई और ये 21 करोड़ के पास पहुँच गई.
पाकिस्तान की आबादी
इतना ही नहीं उस समय से अब तक ब्राज़ील को पीछे छोड़ते हुए पाकिस्तान दुनिया का पाँचवां सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया. उससे पहले चीन, भारत, अमेरिका और इंडोनेशिया थे.
भारत से अलग होने के बाद साल 1950 में पाकिस्तान की आबादी 3.3 करोड़ थी और उस समय वो जनसंख्या के लिहाज से दुनिया में 14वें स्थान पर था.
योगी ने जनसंख्या वृद्धि को ख़ास वर्ग से जोड़ा, मुख़्तार अब्बास नक़वी कुछ और बोले
पाकिस्तान में प्रजनन दर
प्रजनन दर वो अहम पैमाना है, जिससे ये पता लगाया जाता है कि किसी देश या राज्य में जनसंख्या विस्फ़ोट की स्थिति है या नहीं.
पाकिस्तान स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जो आंकड़े हैं उसके अनुसार मुल्क में औसतन हर महिला 3.6 बच्चों को जन्म दे रही है. बात मुस्लिम देशों की हो तो पाकिस्तान दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है. लेकिन इसके बावजूद गर्भनिरोधक के प्रसार दर के मामले में पाकिस्तान दक्षिण एशिया के भी सबसे निचले पायदान वाले देशों में से एक है.
वहीं नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल प्रजनन दर 2.0 है.
विश्व बैंक के आंकड़ों को देखें तो पाकिस्तान की कुल आबादी में करीब एक करोड़ वरिष्ठ नागरिक हैं यानी जिनकी उम्र 65 या उससे अधिक है. इसमें से 49 लाख के क़रीब महिलाएं हैं.
पाकिस्तान में चिंता क्यों?
जानकार मानते हैं कि बढ़ती आबादी की तुलना में देश के संसाधनों के बेहतर होने की रफ़्तार सुस्त है. पाकिस्तान में 15 से 64 साल की उम्र के बीच 13 करोड़ 75 लाख के क़रीब आबादी है. देश में 15 साल से अधिक उम्र की कामकाज के योग्य आबादी के केवल 49.4 फ़ीसदी हिस्से के पास ही रोज़गार है, यानी करीब 51 फ़ीसदी कामकाजी के पास नौकरी नहीं है.
शिक्षा के क्षेत्र में भी पाकिस्तान दुनिया के टॉप देशों में दूसरे स्थान पर है.
यूनिसेफ़ पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 5-16 साल के तकरीबन 2 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा रहे. ये तब है, जब इस उम्र के बच्चों का देश की कुल आबादी में 44 का फ़ीसदी योगदान है.
देश की आबादी और विकास के बारे में पाकिस्तानी एक्सपर्ट शाहिद जावेद बुर्की बताते हैं कि कैसे इस मुल्क की आबादी बहुत युवा है. उनका कहना है कि विश्व की जनसंख्या की औसत उम्र क़रीब 31 वर्ष है, जिसका मतलब आधी जनसंख्या उससे कम आयु की है. वहीं, पाकिस्तान की औसत आयु क़रीब 24 साल है.
लेकिन रोज़गार-सुविधाओं की तलाश में पाकिस्तान के कुछ शहरों में अब क्षमता से कहीं गुना अधिक लोग रह रहे हैं.
डिप्लोमैट वेबसाइट में छपे एक लेख में बताया गया है कि कैसे 20 फ़ीसदी से अधिक पाकिस्तानी देश के केवल 10 बड़े शहरों में ही रह रहे हैं. कराची और लाहौर पाकिस्तान के वे शहर हैं जिनपर आबादी का बोझ सबसे ज़्यादा है. (bbc.com)
ब्यूनस आयर्स, 22 जुलाई | अर्जेटीना के राष्ट्रपति अल्बटरे फर्नाडीज ने साउथन कॉमन मार्केट (मर्कोसुर) को मजबूत करने का आह्वान किया है, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह पूरी दुनिया को भोजन की आपूर्ति करने में सक्षम है। अल्बटरे फर्नांडीज ने गुरुवार को कहा, "अगर हम इसका लाभ उठाना शुरू कर देंगे, तो हमारे पास दुनिया में भूखे लोगों की मदद करने का एक और अनूठा अवसर होगा।"
प्रेसीडेंसी प्रेस रिलीज के अनुसार, राष्ट्रपति ने यह टिप्पणी ल्यूक के परागुआयन शहर में मर्कोसुर और संबद्ध राज्यों के प्रमुखों द्वारा आयोजित एलएक्स शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र के दौरान अपने संबोधन में की।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अल्बटरे फर्नाडीज ने चुनौतीपूर्ण वैश्विक स्थिति के चलते एकजुट होने का आग्रह किया। (आईएएनएस)
कोलंबो, 22 जुलाई | श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को दिनेश गुणवर्धने को श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के सांसद गुणवर्धने ने अन्य वरिष्ठ सांसदों की उपस्थिति में राजधानी कोलंबो में शपथ ली।
विक्रमसिंघे को बुधवार को एक संसदीय वोट में दक्षिण एशियाई देश के नए राष्ट्रपति के रूप में चुना गया और उन्होंने गुरुवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
राष्ट्रपति कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया कि शेष मंत्रियों को शुक्रवार को बाद में शपथ दिलाई जाएगी। (आईएएनएस)
वारसॉ, 22 जुलाई | पोलैंड ने 60-79 आयु वर्ग के लोगों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले 12 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड वैक्सीन की चौथी खुराक को मंजूरी दे दी है। देश के स्वास्थ्य मंत्री एडम नीडजेल्स्की ने घोषणा की है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पोलिश प्रेस एजेंसी (पीएपी) ने एक संवाददाता सम्मेलन में नीडजेल्स्की के हवाले से कहा, 22 जुलाई से, हम 60-79 आयु वर्ग के लोगों और 12 वर्ष से अधिक उम्र के कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए एक अतिरिक्त टीकाकरण की पेशकश करेंगे।
नीडजेल्स्की के अनुसार, देश की कुल 38 मिलियन आबादी में से लगभग 12 मिलियन लोगों को अब तक तीसरी खुराक मिल चुकी है। वहीं 80 से अधिक उम्र वाले लोगों को चौथी खुराक दी जा चुकी है।
वर्तमान में, रोजाना लगभग 3,000 नए मामले सामने आ रहे हैं। जिसका अर्थ है कि साप्ताहिक वृद्धि दर लगभग 60 प्रतिशत है। हालांकि, नीडजेल्स्की ने कहा कि सकुर्लेटिंग म्यूटेशन पिछले स्ट्रेन की तरह खतरनाक नहीं है। (आईएएनएस)
यरुशलम, 22 जुलाई | इजराइल के सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि सरकार आतंकवाद और देश के खिलाफ गतिविधियों को अंजाम देने वाले दोषी लोगों की नागरिकता रद्द कर सकती है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया, सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष एस्तेर हयूत के नेतृत्व में सात जजों के एक पैनल ने कहा कि एक व्यक्ति को इजरायल राज्य के खिलाफ विश्वास के उल्लंघन का दोषी ठहराया गया है। इस तरह के दोषी, जो आतंक, देशद्रोह, जासूसी, या शत्रुतापूर्ण जैसे कामों में लिप्त होते है, उन्हें नागरिकता रद्द करने का सामना करना पड़ सकता है।
राष्ट्र विरोधी गतिविधियों केदोषियों की इजरायली नागरिकता रद्द हो सकती है। लेकिन उन्हें देश में रहने की अनुमति देने के लिए एक निवास परमिट जारी किया जाएगा।
कोर्ट के यह फैसला आंतरिक मंत्रालय द्वारा इजरायल के दो सऊदी अरब नागरिकों की नागरिकता से इनकार करने के अनुरोध के जवाब में आया। जिन्हें दो अलग-अलग हमलों को अंजाम देने का दोषी ठहराया गया था।
इन दो सऊदी अरब नागरिकों के नाम मोहम्मद मफराजा और अला जि़उद है। मोहम्मद मफराजा ने 2012 में तेल अवीव में एक बस में विस्फोटक उपकरण लगाया था, जिसमें 24 लोग घायल हो गए थे। वहीं अला जि़उद ने 2015 में उत्तरी इजराइल के गण शमूएल जंक्शन पर छुरा घोंपकर हमला किया था, जिसमें चार लोग घायल हो गए थे।
अदालत ने प्रस्तुत की गई प्रक्रियाओं में खामियों के चलते उनकी नागरिकता रद्द करने के मंत्रालय के अनुरोधों को ठुकरा दिया। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 22 जुलाई | शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के महासचिव झांग मिंग शुक्रवार को तीन दिनों के लिए पाकिस्तान दौरे पर हैं। इसके दौरान वह 15-16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में होने वाले एससीओ वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को आमंत्रित करेंगे। यह सूचना द न्यूज के हवाले से मिली है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि इस सम्मेलन में पाकिस्तान और भारत के प्रधानमंत्री मुलाकात कर सकते हैं।
द न्यूज ने कहा कि छह साल में यह पहली बार है कि दोनों प्रधानमंत्री एक छत के नीचे मौजूद होंगे और एक-दूसरे से मुलाकात करेंगे।
उच्च पदस्थ राजनयिक सूत्रों ने गुरुवार को द न्यूज को बताया कि शहबाज और मोदी के बीच मुलाकात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि दोनों दो दिनों के लिए एक ही परिसर में रहेंगे।
सूत्रों ने कहा, "दोनों की अभी तक कोई बैठक नहीं हुई है, क्योंकि भारत की ओर से अभी तक इसकी कोई पेशकश नहीं की गई है। अगर हिंदुस्तान ऐसी कोई पेशकश करता है, तो इस पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया सकारात्मक होगी।"
चीन, पाकिस्तान, रूस, भारत, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान इस ग्रुप के पूर्ण सदस्य हैं।
ग्रुप के नए अध्यक्ष ने अपनी प्राथमिकताओं और कार्यो को पहले ही रेखांकित कर दिया है। इनमें संगठन की क्षमता और अधिकार बढ़ाने, क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने, गरीबी कम करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास शामिल हैं। (आईएएनएस)
रोम, 22 जुलाई | इटली के राष्ट्रपति सर्जियो मैटरेला ने देश में समय से पहले चुनाव कराने के लिए संवैधानिक प्रक्रिया को अपनाते हुए संसद के दोनों सदनों को आधिकारिक रूप से भंग कर दिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्राध्यक्ष ने देश के नाम एक संक्षिप्त संबोधन में और प्रधानमंत्री मारियो द्रागी के इस्तीफे को स्वीकार करने के बाद इसकी घोषणा की।
बुधवार को सीनेट में हुए विश्वास मत पर मतदान का उनके ही गठबंधन के प्रमुख सहयोगी पार्टियों फाइव स्टार मूवमेंट, राइट विंग लीग और सेंटर-राइट फोर्जा इटालिया ने बहिष्कार कर दिया था। जिसके चलते द्रागी की सरकार गिर गई और उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।
तीनों गठबंधन में द्रागी के प्रमुख सहयोगी थे, जिन्होंने 13 फरवरी, 2021 को द्रागी की राष्ट्रीय एकता कैबिनेट का समर्थन किया है।
मैटरेला ने कहा, मैंने संविधान द्वारा निर्धारित 70 दिनों की समय सीमा के भीतर चुनाव करवाने के लिए डिक्री पर हस्ताक्षर किए।
उन्होंने बताया कि समय से पहले संसद को भंग करना एक अंतिम विकल्प था।
आम चुनाव कराने की तारीख की घोषणा बाद में किए जाने की उम्मीद है। (आईएएनएस)
अफगानिस्तान में काम करने वाली एक ऑस्ट्रेलियाई महिला पत्रकार ने तालिबान पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
फॉरेन पॉलिसी पत्रिका की पत्रकार लिन ओडॉनेल ने कहा कि तालिबान ने उन्हें हिरासत में लिया. उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और जेल में डालने की धमकियां दी गई.
उन्होंने आरोप लगाया कि तालिबान ने उन्हें ऐसे ट्वीट करने के लिए मजबूर किया कि उन्होंने तालिबान को लेकर जो आर्टिकल लिखे हैं, वे झूठे हैं.
पत्रकार लिन ओ डॉनेल ने ट्विटर पर लिखा कि तालिबान इंटेलिजेंस ने कहा कि माफी मांगते हुए ट्वीट करो नहीं तो जेल जाना होगा.
साथ ही उन्होंने कई बार ट्वीट को एडिट, डिलीट करने के लिए मजबूर किया. मेरा वीडियो ये कहते हुए बनाया कि मेरे साथ ज़बरदस्ती नहीं की गई है.
लिन ओडॉनेल ने लंबे समय तक अफगानिस्तान को कवर किया है. इसके बाद से उन्होंने अफगानिस्तान छोड़ दिया है.
तालिबान ने उन्हें हिरासत में लिए जाने की पुष्टि की है और कहा कि उन्होंने झूठी रिपोर्ट्स की हैं.
बीबीसी से बात करते हुए लिन ओ डॉनेल ने कहा कि उन्होंने काबुल की यात्रा ये देखने के लिए की थी कि करीब एक साल पहले उनके देश छोड़ने के बाद से देश कैसे बदल गया है.
उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर अफगानिस्तान के कानूनों को तोड़ने और उनकी संस्कृति को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया था. मैंने अफगानिस्तान में एलजीबीटीक्यू+ और तालिबान चरमपंथियों के जबरन शादी करने को लेकर आर्टिकल लिखे थे. तालिबान का कहना था कि वे आर्टिकल झूठ और गलत हैं.
उन्होंने कहा कि तालिबान ने उन्हें अपने सोर्स का खुलासा करने के लिए कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
लिन ओडॉनेल, अफगानिस्तान में समाचार एजेंसी एएफपी और एपी की ब्यूरो प्रमुख रही चुकी हैं. (bbc.com)