अंतरराष्ट्रीय
-एलमुदेना दा काबो
पूरी दुनिया में ये पॉडकास्ट में उफान का दौर है. प्रसारण की इस विधा में लगातार नए प्रोडक्ट आ रहे हैं और ये काफी पॉपुलर भी हो रहे हैं.
अब वॉशिंग मशीन की आवाज़, फैन चलने या बारिश की आवाज़ की रिकार्डिंग से बने पॉडकास्ट से खासी कमाई की जा रही है.
ऐसी आवाज़ों को व्हाइट नॉइज कहा जाता है. इसे सुकून भरी जिंदगी जीने का एक नया तरीका माना जा रहा है.
व्हाइट नॉइज पॉडकास्टर शांति की एक दुनिया रचते हैं. वे हजारों श्रोताओं को ध्वनि प्रदूषण से दूर ध्यान केंद्रित करने, शांत रहने और उनके लिए सुकून भरी नींद लाने में मदद कर रहे हैं.
पॉपुलर वीडियो और ऑडियो प्लेटफॉर्म पर उनकी लिस्ट देख कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये किस कदर लोकप्रिय हो रहे हैं.
यूट्यूब पर 'सेलेस्टियल व्हाइट नॉयज' के पांच करोड़ सत्तर लाख व्यूज़ हैं वहीं 'व्हाइट नॉइज फॉर बेबीज टु स्लीप'' के दो करोड़ अस्सी लाख व्यूज.
अब इस तरह की आवाज़ों के ज्यादा से ज्यादा पॉडकास्ट आ रहे हैं. ये आवाज़ें दूसरी आवाज़ों को ढंकने या उनके ऊपर लगाए जाने के लिहाज से आदर्श हैं.
अमूमन कारों, कंस्ट्रक्शन या कुत्ते को भौंकने की आवाज को ढंकने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है.
टीएमसॉफ्ट्स व्हाइट नॉइज स्लीप साउंड्स नाम के पॉडकास्ट के लिए पिछले 12 साल से व्हाइट नॉइज रिकॉर्ड करने वाले अमेरिकी कारोबारी टोड मूर कहते हैं, "मेरा मानना है कि हर आदमी अच्छी नींद के तरीके खोजता है. कुछ लोग ध्यान करते हैं. लेकिन मैंने अच्छी नींद के लिए सबसे अच्छा तरीका खोजा. मेरे हिसाब से व्हाइट नॉइज और प्रकृति में मौजूद आवाज़ अच्छी नींद लाने का सबसे कारगर तरीका हैं."
मूर ने 2009 में व्हाइट नॉइज लाइट नाम से एक फ्री ऐप उतारा था. लेकिन अब ऐपल स्टोर पर ही इसके 1,70,000 रिव्यू हैं.
मूर कहते हैं, "व्हाइट नॉइज ऐप बनाने कि विचार उस दौर में आया, जब आईफोन आया और इसने ऐप स्टोर लॉन्च किया. चूंकि मैं हमेशा पंखे के नीचे सोता था इसलिए सबसे पहले मेरे दिमाग में इसी की आवाज़ रिकॉर्ड करने का विचार आया. मैं इसे आईफोन में रिकॉर्ड कर अपने साथ ले जा सकता था."
वह कहते हैं, "अब मैं एयर कंडीशनर जैसी दूसरी तरह की आवाजें रिकॉर्ड करने लगा. मैं गार्डन में जाता और झींगुरों की आवाज़ रिकॉर्ड करता. बारिश और प्रकृति की दूसरी आवाज़ें भी रिकॉर्ड करने लगा. इसके बाद मैं इन्हें ऐप में डालने लगा. शुरू में ये काफी सरल था. मेरे पास दस तरह की आवाजें थीं और मैं सारी रात इन्हें सुन सकता था."
मूर ने बताया, "बगैर किसी बाधा के दस घंटे तक ऑडियो को सुनना इसका सबसे मुश्किल हिस्सा था. इसने मेरा काफी वक्त लिया. लेकिन एक बार जब मैंने इसे पूरा कर लिया तो मुझे सिर्फ एक जगह डालना भर था. शुरू में मैं इससे पैसा बनाने की कोशिश नहीं कर रहा था. मुझे लग रहा था शायद यह किसी के लिए मददगार साबित होगा. इसलिए मैंने इसे फ्री डाउनलोड मोड में डाल रखा था."
मूर कहते हैं, "जल्दी ही यह नंबर वन ऐप हो गया. हर कोई इसे डाउनलोड कर इसे सुन रहा था. मुझे सैकड़ों ई-मेल रहे थे. फिर मैंने पॉडकास्ट शुरू किया."
इस बीच लोगों के बीच पॉडकास्ट को लेकर दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी. इसे देखते हुए मूर ने अपने व्हाइट नॉइज रिकॉर्डिंग को पॉडकास्ट में डालना शुरू कर दिया.
मूर कहते हैं, "हम हर हफ्ते नए साउंड डालते हैं. यह ऐप में कंप्लीमेंटरी है. हमारा मानना है कि इससे ज्यादा से ज्यादा लोग ऐप के नजदीक आएं. हम इस तरह ठीक-ठाक पैसा कमा रहे हैं. हमें लोगों से खासी तवज्जो मिलती है लेकिन हमें उम्मीद नहीं थी कि हमें हर दिन 50 हजार श्रोताओं को जोड़ लेंगे."
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फायदे का धंधा
पॉडकास्टिंग तेजी से बढ़ता हुआ धंधा बन गया है. अब उनकी कंपनी में वह खुद पांच लोगों के साथ काम कर रहे हैं. तीन फुल टाइम कर्मचारी है. अब ये काफी पैसा देना वाला बिजनेस है.
मूर कहते हैं, "हम अच्छा पैसा कमा रहे हैं."
हालांकि वह अपनी कमाई का ज्यादा ब्योरा देने से बच रहे हैं.
ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक आर्टिकल के मुताबिक एंकर उनके पॉडकास्ट के लिए कॉमर्शियल लोड को जिम्मा संभालते हैं और हर 1000 बार बजने पर उन्हें 12.25 डॉलर मिलते हैं. यानी हर महीने उनके 18,375 डॉलर बनते हैं. यह सिर्फ पॉडकास्ट की शुरुआत समेत दूसरे विज्ञापनों के हैं. इसके अलावा ऐप से भी मूर को पैसा मिलता है. इस पर पंद्रह लाख एक्टिव यूजर हैं. मूर अपने ऐप पर 2.99 डॉलर में प्रो वर्जन भी बेचते हैं.
इतना भी आसान नहीं है पैसा बनाना
लेकिन पॉडकास्ट को मोनेटाइज करना यानी इससे पैसे बनाने का काम जटिल भी है. स्पैनिश पॉडकास्टर और यस वी कास्ट के फाउंडर फ्रांसिस्को इजिजक्विजा कहते हैं हर कोई पैसा नहीं बना पाता. सिर्फ कुछ ही पॉडकास्टर रेवेन्यू जुटा पाते हैं.
हालांकि उन्होंने बीबीसी से कहा, "इस वक्त पॉडकास्टिंग का जो ट्रेंड चल रहा है, उसके लिए ज्यादा फंड और ज्यादा संसाधन उपलब्ध है इसलिए नए फॉरमेट बनाने और व्हाइट नॉइज जैसे नए कंटेट डेवलप करने की संभावना है."
वह कहते हैं, "पॉडकास्ट शुरू करने वाले 99 फीसदी लोग यूट्यूब यू ट्यूब की तरह ब्लॉग से शुरुआत करते हैं. शुरू में वो पैसा नहीं कमाते हैं. उन्हें पैसा कमाने में काफी वक्त लगेगा."(bbc.com)
अमेरिका के हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव ने एक संशोधन पास किया है जो 'काउंटरिंग अमेरिकाज़ ऐडवर्सरीज़ थ्री सैंक्शंस ऐक्ट' या 'काट्सा कानून' के कड़े प्रावधानों से भारत को छूट देता है.
भारतीय मूल के कांग्रेसमैन रो खन्ना ने इस संशोधन को लिखा और पेश किया था. इसके पक्ष में 330 और विरोध में 99 मत पड़े.
काट्सा क़ानून के तहत अमेरिका उन देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है जिन्होंने रूस से हथियार खरीदे हैं.
भारत ने रूस से आधुनिक डिफेंस सिस्टम 'एस-400' खरीदा था, जिसके बाद कयास लगने लगे थे कि अमेरिका भारत पर भी इस कानून के अंतर्गत प्रतिबंध लगा सकता है.
रो खन्ना के दफ़्तर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया, "चीन के तेज़ होते आक्रमण को देखते हुए अमेरिका को भारत के साथ ज़रूर खड़ा होना चाहिए. भारत कॉकस के वाइस चेयर होने के नाते मैं दोनो देशों की भागीदारी को मज़बूत करने के लिए काम करता रहा हूं और इसलिए भी ताकि भारत चीन के साथ अपनी सीमा पर खुद की सुरक्षा कर पाए."
अमरीका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर ने इस संशोधन को महत्वपूर्ण बताया है.
मीरा शंकर ने कहा कि उन्होंने संशोधन की कॉपी नहीं देखी है लेकिन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव में ये संशोधन पास होने के बाद सेनेट में जाएगा जहां इस पर बहस होगी. वहां पर इसे पास किया जा सकता है या ब्लॉक किया जा सकता है, या उसमें बदलाव हो सकते हैं.
अगर ये संशोधन बदलाव के बाद सेनेट में पास हो जाता है, उसके बाद ये फिर हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव के पास आएगा जहां संशोधन के दोनो प्रारूपों में सामंजस्य बिठाना होगा, और उसके बाद संशोधन का आखिरी प्रारूप सामने आएगा जिसके बाद इसे राष्ट्रपति बाइडन के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा.
अगर सेनेट इस प्रारूप को खारिज कर देता है तो ये प्रक्रिया दोबारा शुरू करनी होगी.
मीरा शंकर कहती हैं कि अगर दोनो दलों, रिपब्लिकन और डेमोक्रैट पार्टी के सदस्यों ने इस हाउस में पास करने में भूमिका निभाई है, तो इसके सेनेट मे पास होने के आसार बढ़ जाते हैं.
इस संशोधन की अहमियत पर मीरा शंकर कहती हैं, "भारत के लिए मुश्किल है कि आपको दूसरा देश बताए कि आप किसी तीसरे देश के साथ कैसे संबंध रखें. इसमें पूर्व की बातें हैं. अभी की बातें भी हैं जब हमारा 60 प्रतिशत रक्षा उपकरण रूस से आता है. इसके अलावा इसमें रूस के साथ सामरिक रिश्तों की भी बात आती है. भारत के लिए ये ज़रूरी है कि हम अमेरिका के साथ अपने रिश्तों का विस्तार करें. साथ ही साथ हम इस बात की जगह बचा कर रखें कि हम किसी और देश के साथ रिश्तों को भी आगे बढ़ा सकें."
उनका जन्म फ़िलाडेल्फिया में हुआ. वो मध्यवर्गीय परिवार से आते हैं. उनके माता-पिता 70 के दशक में बच्चों की बेहतर ज़िंदगी के लिए भारत से अमेरिका आए थे.
खन्ना के पिता एक केमिकल इंजीनियर थे, और मां एक स्कूल टीचर. उनके दादा ने आज़ादी की लड़ाई में लाला लाजपत राय के साथ काम किया और कई साल जेल में भी बिताए थे.
कांग्रेस में आने से पहले उन्होंने स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी, सैंटा क्लारा यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ाया. राष्ट्रपति ओबामा के प्रशासन में वो डिपार्टमेंट ऑफ़ कॉमर्स में डेप्युटी असिस्टेंट सेक्रेटरी के पद पर रहे.
वो भारत अमेरिका संबंधों के मज़बूत समर्थक रहे हैं. (bbc.com)
10 साल पहले मारियो द्रागी ने "चाहे जैसे भी हो" वाला रुख अपनाया और यूरो को बचा लिया लेकिन महामारी से उबरने के बाद इटली कर्ज संकट के घेरे में है. इस बार बेबसी के आलम में प्रधानमंत्री द्रागी ने इस्तीफा दे दिया है.
यूरोपीय सेंट्रल बैंक यानी ईसीबी के पूर्व प्रमुख और अब इटली के प्रधानमंत्री इटली को आर्थिक संकट से बचाने में कितने कारगर होंगे इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं. आर्थिक संकटों का सामना कर रहे इटली को बचाने लिए द्रागी ने पुरजोर कोशिश की है और उसके कुछ अच्छे नतीजे हुए मगर ताजा संकट ज्यादा बड़ा बन कर उभरा है. 10 साल पहले की तरह निवेशक फिर पूछ रहे हैं कि क्या यूरोजोन के देश सार्वजनिक कर्ज को बढ़ाते रह सकते हैं. महामारी के दौर में यह कर्ज काफी ज्यादा बढ़ गया और महंगा भी क्योंकि यूरोपीय सेंट्रल बैंक ब्याज की दरें बढ़ाने की तैयारी में है. इस बार संकट की वजह इटली में आर्थिक विकास की कमी है. ग्रीस, पुर्तगाल, आयरलैंड और स्पेन अत्यधिक खर्चों की वजह से जिस संकट में 10 साल पहले घिर गये थे वैसे हालात नहीं है, लेकिन इटली की अस्थिरता और बढ़ गई है.
मारियो द्रागी का इस्तीफा
गुरुवार को गठबंधन सरकार में शामिल एक पार्टी ने विश्वास मत पर द्रागी का साथ देने से इनकार किया तो द्रागी ने इस्तीफा दे दिया. हालांकि राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है और बुधवार को द्रागी संसद को संबोधित करेंगे. उनका भविष्य फिलहाल अधर में है. 74 साल के द्रागी को यूरोप में वीडियो गेम के सितारे सुपर मारियो का खिताब दिया जाता है. अपने लंबे करियर में उन्होंने आर्थिक संकटों को हल करने वाले के रूप में पहचान अर्जित की है. इटली के प्रधानमंत्री के रूप में 17 महीने के करियर में उन्होंने देखा है कि देश में कर्ज का खर्च किस तरह से बढ़ता जा रहा है. दो महीने पहले उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था, "यह दिखाता है कि मैं हर घटना के लिए कवच नहीं हूं. मैं भी एक इंसान हूं इसलिए कुछ चीजें होंगी."
इटली पर कैसा संकट
इटली पर फिलहाल 2.5 लाख करोड़ यूरो का सरकारी कर्ज है. यह चार दूसरे देशों के संयुक्त कर्ज से भी बड़ा है और इतना ज्यादा कि बेलआउट पैकेज देना भी संभव नहीं है. 10 साल पहले यूरोपीय सेंट्रल बैंक के प्रमुख के रूप में मारियो द्रागी ने बाजार को यह कह कर शांत किया था कि यूरो को बचाने के लिए "चाहे जो करना पड़े" करेंगे. यह संकेत था कि मुश्किल झेल रहे देशों के बॉन्ड जम कर खरीदे जायेंगे. यही हुआ भी.
26 जुलाई 2012 को कही उनकी बातों की गूंज आज भी सुनाई देती है, बाजार तुलनात्मक रुप से थोड़ा शांत है और उम्मीद की जा रही है कि यूरोपीय सेंट्रल बैंक कर्ज के बढ़ते खर्चों पर रोक लगायेगा. बॉन्ड खरीदने की एक नई योजना पर काम चल रहा है और इसके लिए भी बाजार की यही उम्मीदें हैं. हालांकि यह उपाय भी कुछ समय के लिए ही होगा. इटली जब तक यह भरोसा नहीं दिला देता कि वह अपने दो पैरों पर खड़ा हो सकता है तब तक यूरोपीय सेंट्रल बैंक की तरफ ही निवेशकों की नजर रहेगी. एलबीबीडब्ल्यू के प्रमुख अर्थशास्त्री मोरित्ज क्रेमर का कहना है, "असल समस्या है कि बीते दो दशकों से इटली का विकास के पैमाने पर प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है."
पर्याप्त सुधार नहीं
इटली को वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान हाउसिंग के बुलबुला फूटने जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा और उसके बजट की समस्या भी चार दूसरे संकटग्रस्त देशों की तुलना में छोटी रही है. ऐसे में उसे ईसीबी, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और यूरोपीय आयोग की तिकड़ी से बेलआउट पैकेज मांगने की जरूरत नहीं पड़ी. हालांकि शायद अब उसे अपने इस कदम पर अफसोस हो रहा होगा.
अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं की मदद और दबाव के कारण पुर्तगाल ने अपना बजट संभाल लिया, स्पेन और आयरलैंड ने अपने बैंकिंग सेक्टर को दुरूस्त कर लिया और यहां तक कि ग्रीस ने भी पेंशन सिस्टम, श्रम बाजार और प्रॉडक्ट रेग्यूलेशन को में सुधार कर लिया. इस तरह के कदमों ने इन देशों को अपना आर्थिक विकास बेहतर करने में मदद दी है.
इसके उलट इटली ने विकास में बेहतरी के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाये. हालांकि पेंशन सिस्टम, श्रम बाजार और द्रागी के शासन में धीमे न्याय तंत्र को सुधारने की दिशा में कुछ बदलाव हुए हैं.
इसके नतीजे में देश जो कभी संकटग्रस्त देशों में सबसे अच्छा माना जाता था वह बॉन्ड बाजार से लिए कर्जे पर सबसे ऊंची प्रीमियम चुका रहा है. उसके आगे सिर्फ ग्रीस है जिसने बीते दशक में दो बार डिफॉल्ट किया है और उसका दर्जा आज भी "जंक" का है.
कुछ दक्षिणपंथी पार्टियों की यूरो विरोधी नारेबाजी के कारण भी निवेशक किनारा कर रहे हैं. बेरेनबर्ग के अर्थशास्त्री होल्गर श्मिडिंग का कहना है, "द्रागी कोशिश कर रहे हैं, उन्होंने थोड़ा बहुत किया भी है लेकिन ना तो मैं और ना ही बाजार इस बात को लेकर अब भी निश्चिंत हो पा रहा है कि इटली में विकास का रुझान पर्याप्त रूप से मजबूत है."
द्रागी की बेबसी
ईसीबी के प्रमुख के रूप में द्रागी नियमित रूप से सरकारों के मौद्रिक और दूसरे सुधारों के महत्व पर जोर देते रहे हैं. हालांकि इटली के प्रधानमंत्री के रूप में उनका बहुत सारा समय आर्थिक नीतियों पर अलग अलग विचारों वाली पार्टियों में बीचबचाव करने में गुजर रहा है. टैक्स और पेंशन सुधार जैसे विवादित मुद्दे आये दिन उभर रहे हैं.
अगर वे इटली की मौजूदा राजनीतिक उठापटक से निकल जाते हैं तो भी भी सत्ताधारी गठबंधन विभाजनों की वजह से कमजोर होगा और 2023 के वसंत में आम चुनाव होने तक प्रधानमंत्री कुछ ज्यादा हासिल कर पायेंगे इसकी उम्मीद कम ही लोगों को है. द्रागी ने यूरोपीय संघ से 200 अरब यूरो की महामारी से उबरने के नाम पर धन पाने के लिए एक योजना तैयार की है. यूरोपीय संघ की बैठक में उन्होंने कथित सैकड़ों "लक्ष्यों और पड़ावों" वाली इस योजना को मजबूती से लागू करने की बात कही. हालांकि इनमें ज्यादातर विधानमंडल में छोटे स्तर के बदलाव ही हैं. इनमें से भी 527 तो 2026 में शुरू होंगे जब द्रागी का मौजूदा कार्यकाल खत्म हुए काफी समय बीत चुका होगा. मदद और सस्ते कर्ज के रूप में मिलने वाली यह रकम इटली की जीवनरेखा बन सकती है अगर वह अपने बजट को थोड़ा संभाल ले. हालांकि यूरोपीय संघ से मिलने वाली आर्थिक मदद को खर्च करने का उसका पुराना रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है. पिछले बजट के साइकिल में वह यूरोपीय संघ से मिलने वाली मदद का महज आधा ही खर्च कर पाया. इस मामले में वह स्पेन के बाद सबसे खराब स्थिति में है.
इटली का संकट पुराना है
द्रागी और उनके पूर्ववर्तियों के लिए यह बात कही जा सकती है कि इटली का संकट वैश्विक आर्थिक संकट की तुलना में बहुत पुराना है. इटली में प्रति व्यक्ति जीडीपी आज 20 साल पहले की स्थिति से भी नीचे है. तब इटली सिर्फ फ्रांस और जर्मनी से नीचे थे. इस कालखंड में ग्रीस को छोड़ दूसरे सभी यूरोपीय देशों ने विकास कर लिया लेकिन यूरोपीय संघ में इटली का प्रदर्शन सबसे खराब रहा. इटली में उत्पादकता यानी एक घंटे के काम या फिर एक यूरो के निवेश से हासिल होने वाली आर्थिक उपज 1990 के दशक में बढ़नी बंद हो गई और उसके बाद से लगातार नीचे जा रही है.
इटली में दोराहे पर खड़े किसान
इन सब के पीछे तेजी से बूढ़ी होती आबादी, कुशल कामगारों की कमी, नौकरशाही, एक धीमा और लगभग बेकार हो चुका न्याय तंत्र, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और नई तकनीकों में जरूरत से कम निवेश जैसे कई कारण हैं. कई और यूरोपीय देशों में भी इनमें से कुछ समस्यायें मौजूद हैं लेकिन ऐसा कोई नहीं जहां ये सारी समस्या एक साथ मौजूद हो वो भी इतने ही बड़े स्तर पर. कई अर्थशास्त्री इसके पीछे इटली के कारोबारियों की उस सोच को जिम्मेदार मानते हैं जिसकी वजह से वो कारोबार को परिवार के हाथों में ही बनाये रखते हैं और बाहरी निवेशकों के साथ मिल कर उसे आगे नहीं बढ़ाते. यूरोजोन में शामिल होने की वजह से इटली के पास अपनी मुद्रा के अवमूल्यन का विकल्प भी खत्म हो गया. कई दशकों तक इस उपाय के जरिये अपनी निर्यात की कीमत घटा कर इटली ने आर्थिक विकास को मजबूत बनाये रखा था. रोम की लुईस यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर फ्रांसेस्को साराकेनो कहते हैं, "हमने 1980 के दशक में विकास का गलत मॉडल चुन लिया. वैश्वीकरण के दौर में हम उभरते बाजारों से खर्च घटा कर होड़ लेने में जुट गये. इसकी बजाय जर्मनी ने उच्च गुणवत्ता के उत्पादन में निवेश का उदाहरण पेश किया."
एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)
जर्मन सेना के एक अधिकारी को एक या अधिक नेताओं पर हमले की योजना बनाने के आरोप में 5 साल 6 महीने के कैद की सजा सुनाई गई है. इस अधिकारी ने खुद को सीरियाई शरणार्थी के रूप में दिखाया ताकि आरोप शरणार्थियों पर लगे.
फ्रैंकफर्ट की अदालत में सजा सुनाये जाते वक्त खड़े गहरी दाढ़ी और चोटी वाले अभियुक्त की पहचान फ्रांको ए. के रूप में अधिकारियों ने की है. मुकदमा शुरू होने के करीब एक साल बाद अदालत ने उसे सजा सुनाई है. फ्रांको ए. दक्षिणपंथी है और उसने खुद को सीरियाई शरणार्थी के रूप में पेश करने की कोशिश की जिससे कि उसकी करतूतों का आरोप शरणार्थियों पर लगाया जा सके. यह मामला 2017 में सामने आया था और इसने सेना में दक्षिणपंथी लोगों के होने की खबरों पर मुहर लगा दी. जर्मनी के लोग इस घटना से हैरान रह गये और इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई.
देश के खिलाफ हिंसक कार्रवाई
अदालत ने फ्रांको ए. को देश के खिलाफ हिंसक कार्रवाई की योजना बनाने और हथियारों के कानून का उल्लंघन करने का दोषी माना है. अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि उसने ये अपराध अपनी धुर दक्षिणपंथी विचारधारा के कारण किए. अभियोजकों ने फ्रांको ए. के लिए छह साल तीन महीने के कैद की सजा मांगी थी. अभियोजकों का कहना था कि उसने सीरियाई शरणार्थी के रूप में गलत पहचान हासिल कर इस घटना की जिम्मेदारी शरणार्थियों पर डालने की कोशिश की थी. अभियोजकों के मुताबिक उसका इरादा जर्मन सरकार की शरणार्थी नीति में लोगों का भरोसा घटाना था.
जर्मन सेना के इस अधिकारी ने बड़े राजनेताओं और सार्वजनिक चेहरों को निशाना बनाने की साजिश रची थी. हालांकि उसने इन आरोपों से इनकार किया है लेकिन हथियार और गोला बारूद जुटाने की बात मानी है. उसने यह भी माना है कि वह जर्मनी में सार्वजनिक व्यवस्था को तोड़ने की तैयारी में था.
फ्रांको ए. के बचाव पक्ष के वकीलों ने पिछले हफ्ते उसे मुख्य आरोप यानी देश के खिलाफ हिंसक कार्रवाई से मुक्त करने की मांग की थी. उनका कहना था कि उसे बाकी मामलों में जुर्माना और निलंबित कैद की सजा दे कर छोड़ दिया जाना चाहिए.
वियना से हुई गिरफ्तारी
फ्रांको ए. को वियना एयरपोर्ट पर फरवरी 2017 में गिरफ्तार किया गया था. वह एयरपोर्ट के शौचालय में छिपा कर रखे गये एक गोलियों से भरे पिस्टल को हासिल करने की कोशिश कर रहा था. यह पता नहीं चल सका कि यह हथियार वहां कैसे आया और इसके साथ उसने क्या करने की योजना बनाई थी.
34 साल का फ्रांको तीन बच्चों का पिता है और मई 2021 में फ्रैंकफर्ट की रीजनल सुपीरियर कोर्ट में आने से पहले डॉक में रहा था. जर्मन सेना के लेफ्टिनेंट को कैबिनेट मंत्रियों, सांसदों और प्रमुख यहूदी मानवाधिकारों पर हमले की योजना बनाने का दोषी माना गया है. फ्रांको को जर्मन नेताओं के शरणार्थियों के प्रति स्वागत का भाव रखने से आपत्ति थी और वह मानता था कि ये लोग "जर्मन राष्ट्र की जगह" ले लेंगे. अभियोजकों ने इस मामले को युद्ध के बाद के इतिहास में पहला माना है जब सेना के एक सदस्य को आतंकवादी हमले की योजना का दोषी माना गया है.
जर्मन अधिकारियों को धोखा
फ्रांको ए. ने अदालत को बताया है कि 2015-16 में उसने अधिकारियों को धोखा दे कर अपनी पहचान बदल ली. तब जर्मनी में करीब 10 लाख सीरियाई शरणार्थी दाखिल हुए थे. उसने अपनी त्वचा का रंग गहरा कर लिया और मेकअप के जरिये खुद को खाली हाथ शरणार्थी के रूप में दर्ज करा कर 15 महीने तक आप्रवासन अधिकारियों को झांसा देता रहा. हालांकि वह अरबी नहीं बोल सकता था. उसने खुद को जर्मन मां और इटैलियन आप्रवासी पिता की संतान डेविड बेंजामिन बताया जो दमिश्क में फल बेचता था. उसने अदालत में बताया, "ना तो अरबी भाषा और ना ही मेरी कहानी को पुष्ट करने के लिए किसी ब्यौरे की जरूरत पड़ी."
जांच के दौरान उसके पास से हिटलर की लिखी प्रतिबंधित किताब "माइन काम्फ" की एक कॉपी भी मिली. वह आप्रवासन की गतिविधियों को एक तरह का "नरसंहार" मानता था. उसे जांच शुरू होने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था लेकिन इस साल फरवरी में जब उसके पास से हथियार और नाजी प्रतीक हासिल हुए तो उसे फिर से जेल में डाल दिया गया.
एनआर/ओएसजे (डीपीए, एएफपी)
दक्षिण एशिया खासतौर पर भारत में वसंत के दिनों का रंग भरा त्यौहार होली, जर्मनी में गर्मियों में मनाया जाता है. इसमें थोड़ा त्यौहारी रस्मो-रिवायत भी शामिल रहती है. बता रही हैं डॉयचे वेले की शबनम सुरिता.
डॉयचे वैले पर शबनम सुरिता का लिखा
होली दक्षिण एशिया का संभवतः सबसे रंग भरा त्यौहार है. सर्दियों की विदाई और वसंत के आगमन का त्यौहार. हर साल मार्च में भारत भर में लाखों लोग होली मनाते हुए एक दूसरे के चेहरे रंगों-गुलाल से भर देते हैं. खास किस्म के पेय बनाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं. भांग की मस्ती भी घुली रहती है. दूसरे त्यौहारों की तरह होली के साथ कई कहानियां जुड़ी हैं, हरेक की अपनी क्षेत्रीय महक है.
भारत के पूर्वी हिस्से में होली को "डोल " कहा जाता है जिसमें राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी गुंथी हुई है. डोल में आमतौर पर रंग और गुलाल की मस्ती होती है जबकि उत्तरी भारत में मनाई जाने वाली होली सूखे रंगों के साथ साथ गीले रंगो से भी सराबोर रहती है. इसे अक्सर होलिका या धुलेटी भी कहा जाता है.
'देसी' होली और 'अन्य'
जर्मनी में इस समय करीब 171000 भारतीय रहते हैं. और वे दो किस्म की होलियों में शामिल होते हैं. पहली तो है देसी या विशुद्ध रूप से दक्षिण एशियाई होली जो हिंदू कैलेंडर के हिसाब से आती है और मार्च में मनाई जाती है. इन समारोहों का आयोजन मुख्य रूप से दक्षिण एशियाई लोग करते हैं. और वही उनमें भाग लेते हैं. समारोह में देसी खाने, संगीत और रंगों की बहार रहती है.
इंडीशे गेमाइन्डे ड्युसेलडॉर्फ इ.वी उन कुछ संगठनों में से है जो जर्मनी में दुर्गा पूजा या दिवाली जैसे त्योहारों का नियमित रूप से आयोजन करता है. इस संगठन के एक सदस्य अर्पण घोष बताते हैं, "जर्मनी में मार्च का महीना भारत की अपेक्षा यूं तो ठंडा रहता है इसके बावजूद हम उस दौरान होली मनाने की कोशिश करते हैं. छोटा ही आयोजन करते हैं ताकि हमारे बच्चे भारतीय संस्कृति का सार महसूस कर सकें. उसके पीछे लाभ कमाने का इरादा नहीं होता है."
लेकिन जर्मनी में होली की दूसरी किस्म यानी होली का जर्मनीकरण, लोगों में ज्यादा लोकप्रिय है. देश में होने वाली समर पार्टियों में इसका बोलबाला है.
क्या है 'जर्मनीकृत' होली?
जर्मनी की दावतों के कैलेंडर में होली को जगह दिलाने वाले उद्यमी यास्पर हेलमान ने 2012 में होली कंसेप्ट जीएमबीएच की स्थापना की थी. तबसे पूरे जर्मनी में गर्मियो के दौरान वो होली की थीम वाली पार्टियों का आयोजन करते आ रहे हैं. संगठन की प्रोडक्शन टीम की मेंबर योहाना शम के मुताबिक "ये दावतें भारत की पारंपरिक त्यौहारी समारोह की तरह नहीं होती है, वे जर्मन टेक्नो संगीत के साथ रंगों की फुहार का एक मस्ती भरा संस्करण होती हैं. "
हजारों लोग जर्मनी की होली दावतों में शामिल होते हैं. योहाना के मुताबिक हाम्बुर्ग और बर्लिन की पार्टियों में तो 10,000 से 15,000 लोग तक जुट जाते हैं. 2012 में सफल शुरुआत के बाद ये आयोजन सिर्फ जर्मनी तक महदूद नहीं रह गया है. संगठन ने सुदूर मेक्सिको सिटी और जोहान्सबर्ग तक में होली दावतें कर डाली हैं.
होली से मिलती प्रेरणा और बदला हुआ रूप
मैं डॉर्टमुंड के गैलपरेनबाह्न रेस कोर्स में ऐसी ही एक दावत में शामिल हुई थी. वहां एक प्रतिभागी मेरे पास आई और मुझसे पूछने लगी, "आपने तो रंग लगाया ही नहीं?" एक अजनबी की ये भाव-भंगिमा मुझे फौरन, भारत में अपने बचपन में ले गई जहां अंजान लोग मुझे अपनी होली की मस्तियों में कुछ इसी तरह शामिल होने का जोर डालते थे. उस वक्त और डॉर्टमुंड में, रंग लगाए बिना दिखना अपवाद ही हो सकता था.
लेकिन भारतीय पृष्ठभूमि की जर्मन लड़की अर्पिता (बदला हुआ नाम) मानती हैं कि रंग और गुलाल ही तो हैं जो इन समारोहों को भारतीय होली से जोड़ पाते हैं. इस तरह की दो पार्टियों में भागीदारी के बाद उन्हें लगता है कि उन्हें "होली" कहना शायद उचित नहीं होगा, हालांकि "ग्लोब्लाइजेशन की बदौलत लोग फायदे के लिए किसी भी संस्कृति के हिस्से चुन लेते हैं. "
बॉन यूनिवर्सिटी के दक्षिण एशियाई अध्ययन विभाग में जूनियर प्रोफेसर कार्मन ब्रांट जर्मनीकृत होली दावतों से जुड़ी सांस्कृतिक विनियोग की बहस की बारीकियों को सामने रखती हैं. वो कहती हैं, "किसी विशिष्ट मूल की तह तक होली की शिनाख्त कर पाना क्योंकि काफी मुश्किल है, लिहाजा होली को लेकर सुरक्षात्मक या बचाव का रवैया अर्थहीन है. खासतौर पर ये देखते हुए कि होली एक तयशुदा, स्थिर सांस्कृतिक रिवायत नहीं है. आखिरकार समय के साथ उसमें बदलाव हुए हैं और क्षेत्र के लिहाज से अलग अलग ढंग से मनाई जाती रही है."
कार्मन ब्रांट के मुताबिक, "आज होली मनाने से जुड़े जो भी तत्व हैं, जैसे कि रंगों का इस्तेमाल, वे सब होली शब्द के आने से पहले के हैं." और इसीलिए समकालीन भारतीय होली समारोहों की इस संदर्भ में "मौलिक" होली के रूप में ब्रांडिंग, समस्याजनक हो सकती है.
होली के प्रति जर्मनों का आकर्षण
डॉर्टमुड के होली समारोह में शामिल होने वाली सारा (बदला हुआ नाम) के मुताबिक रंगों की बदौलत वो नये लोगों से मिलती हैं और उनके करीब जा पाती हैं. फ्लोरेन्टीन सिमरमान, होली कन्सेप्ट जीएमबीएच में इंटर्न के रूप में काम करती हैं. वो इस आयोजन को उन बंदिशों से मिली एक राहत के रूप में देखती है जो कोविड महामारी की वजह से लोगों पर लाद दी गई थीं.
दक्षिण एशिया में होली समारोहों में यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ या बदसलूकी की रिपोर्टे भी आती हैं. लेकिन सारा और फ्लोरेन्टीन, दोनों ने ऐसी किसी घटना का अनुभव नहीं किया है. सारा के लिए ये "जर्मनी में एक और पार्टी जैसी बात है." कार्मन ब्रांट का ख्याल है कि "भारत में खासतौर पर हाल की नकारात्मक खबरों के बीच ऐसे समारोहों की "पॉजिटिव वाइब" (सकारात्मक अनुभूति) ही देश को एक नयी रोशनी में दिखाने में मदद कर सकती है.
वो ये रेखांकित करती हैं, "रोजमर्रा के झंझटों और माथापच्चियों से खुद को अलग करने का एक अस्थायी मौका देने वाला ये वही सकारात्मक अहसास है जिसमें रंग भरे हैं और उसी की बदौलत जर्मन युवा और दूसरे लोग इन समारोहों में उमड़ आते हैं.
सैन फ्रांसिस्को, 15 जुलाई | टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क के पिता एरोल मस्क ने दावा किया है कि उनका अपनी 35 वर्षीय सौतेली बेटी जाना बेजुइडेनहाउट के साथ संबंध है, जिसने तीन साल पहले उनके दूसरे बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने बताया कि यह बच्चा अनियोजित था। द सन को दिए एक इंटरव्यू में 76 वर्षीय एरोल ने बताया कि उन्होंने तीन साल पहले 35 वर्षीय बेजुइडेनहाउट के साथ दूसरे बच्चे का स्वागत किया था।
2017 में एरोल ने अपने बच्चे इलियट रश का स्वागत किया था, जिसकी उम्र अब 5 साल है। वही, एलोर और बेजुइडेनहाउट की उम्र के बीच 41 साल का अंतर है।
एरोल और बेजुइडेनहौट की मां हीड दोनों 18 साल तक साथ रहे थे।
एरोल ने कहा, पृथ्वी पर हम केवल एक चीज के लिए है और वह है प्रजनन करना। (आईएएनएस)
कोलंबो, 15 जुलाई। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने पद से आखिरकार इस्तीफा दे दिया है। संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने शुक्रवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की।
दिवालिया हो चुके देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण अपने और अपने परिवार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच देश छोड़कर चले जाने के बाद राजपक्षे ने इस्तीफा दिया है।
राजपक्षे (73) ने बृहस्पतिवार को एक ‘‘निजी यात्रा’’ पर सिंगापुर जाने की अनुमति मिलने के तुरंत बाद अध्यक्ष को अपना इस्तीफा पत्र ईमेल के जरिए भेजा।
अध्यक्ष अभयवर्धने ने शुक्रवार सुबह राजपक्षे के इस्तीफा देने की आधिकारिक घोषणा की।
अध्यक्ष ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे नए नेता के निर्वाचित होने तक राष्ट्रपति का प्रभार संभालेंगे।
उन्होंने जनता से निर्वाचन की प्रक्रिया में सभी सांसदों के भाग लेने के लिए शांतिपूर्ण माहौल बनाने का अनुरोध किया। यह प्रक्रिया सात दिन के भीतर पूरी करनी है। श्रीलंकाई संसद की बैठक शनिवार को होगी।
अध्यक्ष के मीडिया सचिव इंदुनिल अभयवर्धने ने बताया कि अध्यक्ष को बृहस्पतिवार रात को सिंगापुर में श्रीलंकाई उच्चायोग के जरिए राजपक्षे का इस्तीफा पत्र मिल गया था, लेकिन वह सत्यापन प्रक्रिया और कानूनी औपचारिकताओं के बाद आधिकारिक घोषणा करना चाहते थे। (भाषा)
यरुशलम, 15 जुलाई । अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की यात्रा से पहले सऊदी अरब ने अपने हवाई क्षेत्र को ‘‘सभी उड़ानों’’ के लिए शुक्रवार को खोल दिया, जो सऊदी के हवाई क्षेत्र में इजराइल की उड़ानों के प्रवेश पर लंबे समय से लगे प्रतिबंध के अंत का संकेत है और दोनों देशों के बीच हालात सामान्य होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बाइडन ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे, जो इजराइल से सीधे सऊदी अरब के लिए उड़ान भरेंगे। बाइडन के दौरे से कुछ घंटे पहले ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में सऊदी अरब के नागरिक उड्डयन के सामान्य प्राधिकरण ने कहा कि वह ‘‘उन सभी उड़ानों के लिए सऊदी के हवाई क्षेत्र को खोलने के निर्णय की घोषणा कर रहा है जो उड़ान के लिए प्राधिकरण की अनिवार्यताओं को पूरा करते हैं।’’
यह घोषणा सऊदी अरब और इजराइल के बीच संबंधों के सामान्य होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह ईरान के बढ़ते प्रभाव को लेकर साझा चिंताओं के कारण हाल के वर्षों में दोनों पूर्व शत्रु देशों के बीच बने मजबूत, लेकिन अनौपचारिक संबंधों को आगे बढ़ाता है।
हाल के वर्षों में सऊदी अरब ने इजराइल और खाड़ी देशों के बीच उड़ानों को अपने हवाई क्षेत्र से होकर जाने की अनुमति दी है। इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ बैठक के लिए 2020 में सऊदी अरब की उड़ान भरी थी और पिछले हफ्ते कई इजराइली रक्षा पत्रकारों ने देश का दौरा किया और उनके स्वागत के संबंध में खबरें प्रकाशित कीं।
बाइडन और इजराइल के प्रधानमंत्री यायर लापिड बृहस्पतिवार को एक साथ खड़े हुए और घोषणा की कि वे ईरान को परमाणु शक्ति नहीं बनने देंगे। हालांकि ऐसा करने का तरीका क्या होगा, इस पर दोनों नेताओं की राय अलग थीं।
बाइडन ने इजराइली नेता के साथ आमने-सामने मुलाकात के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह अब भी कूटनीति को एक मौका देना चाहते हैं। इससे कुछ देर पहले, लापिड ने जोर देकर कहा कि सिर्फ बातों से ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं विफल नहीं होंगी।
बाइडन ने आशा व्यक्त की कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के मकसद से उसे एक समझौते में फिर से शामिल होने के लिए राजी किया जा सकता है। बाइडन ने इजराइल और सऊदी अरब की चार दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन कहा, ‘‘मेरा मानना है कि कूटनीति इस परिणाम को हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका है।’’ अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में यह पश्चिम एशिया की उनकी पहली यात्रा है।
लापिड ने कहा, ‘‘बातों से उन्हें (ईरान को) नहीं रोका जा सकता। कूटनीति उन्हें नहीं रोक सकेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ईरान को केवल एक चीज रोकेगी और इसके लिए उन्हें इस बात का एहसास दिलाना होगा कि अगर उन्होंने अपने परमाणु कार्यक्रम को विकसित करना जारी रखा तो दुनिया उनके खिलाफ बल का उपयोग करेगी।’’(एपी)
नयी दिल्ली, 14 जुलाई। न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलन क्लार्क ने बृहस्पतिवार को अफसोस जताया कि महिला और बालिका अधिकारों के खिलाफ ऐसे समय युद्ध छेड़ा गया है जब महिला सशक्तिकरण की दिशा में हुई प्रगति पीछे की ओर जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच (एचएलपीएफ) के सह कार्यक्रम ‘‘ विकल्प, आवाज और स्वायत्ता : खंडित दुनिया में स्वास्थ्य के लिए महिलाओं का राजनीतिक नेतृत्व’’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।
एचएलपीएफ का कार्यक्रम इस समय न्यूयॉर्क में चल रहा है। इसके साथ इतर कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त रूप से पीएमएनएसीएच, वुमेन इन ग्लोबल हेल्थ, यूएससी2030 और ग्लोबल-हेल्थ 50/50 जैसे संगठनों ने ने किया है जिसकी मेजबानी एस्टोनिया की सरकार ने बुधवार को की।
पीएमएनसीएच बोर्ड की अध्यक्ष क्लार्क ने कहा, ‘‘ऐसे समय जब महिला और बालिका सशक्तिकरण की दिशा में हुई प्रगति का असर जटिल समस्याओं की वजह से कम हो रहा है, महिलाओं और बालिकाओं के मूल अधिकारों के खिलाफ भी युद्ध छेड़ा गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें तत्काल परिवर्तनकारी कदम उठाने की जरूरत है ताकि इस चिंताजनक परिपाटी को उलट सकें। निर्णय लेने वाले मंचों पर महिलाओं का स्थान और आवाज दोनों होने चाहिए। दृष्टिकोण की विकास की दौड़ में कोई पीछे नहीं रह जाए, इसे हासिल करने के लिए समाज को केवल बोलने के बदले अधिकारों और संवेदनशील तरीकों को लागू करना चाहिए ताकि समानता, लचीलापन और स्थिरता आ सके।’’ (भाषा)
लंदन, 14 जुलाई। कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में बोरिस जॉनसन की जगह लेने की दौड़ में ऋषि सुनक ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। बृहस्पतिवार को दूसरे चरण के मतदान में वह 101 मतों के साथ पुन: विजयी हुए हैं।
टोरी पार्टी के नेतृत्व की इस स्पर्धा में अब केवल पांच उम्मीदवार बचे हैं। भारतीय मूल की एटॉर्नी जनरल सुएला ब्रेवरमैन सबसे कम 27 मत प्राप्त होने के साथ ही इस दौड़ से बाहर हो गयी हैं।
सांसदों द्वारा दूसरे चरण के मतदान के बाद आगे बढ़ती इस स्पर्धा में सुनक के अलावा व्यापार मंत्री पेनी मोरडुएंट (83 वोट), विदेश मंत्री लिज ट्रस (64 वोट), पूर्व मंत्री केमी बाडेनोक (49 वोट) और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता टॉम टुगेनडैट (32 वोट) बचे हैं।
कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों के बीच मतदान के अगले पांच चरण पूरे होने के साथ आगामी बृहस्पतिवार तक केवल दो नेता इस दौड़ में रह जाएंगे। (भाषा)
संयुक्त अरब अमीरात ने गुरुवार को चार देशों भारत, इसराइल, यूएई और अमेरिका के समूह आईटूयूटू की कोशिशों के तहत दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में खाद्य संकट से निपटने के लिए भारत में 2 अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है.
इन देशों के बीच गुरुवार को हुई बैठक में इस बारे में फ़ैसला लिया गया जिसमें इन देशों के शीर्ष नेता शामिल हुए.
इस निवेश के तहत संयुक्त अरब अमीरात भारत में इंटीग्रेटेड फूड पार्क बनाने के लिए दो अरब डॉलर का निवेश करेगा.
इस परियोजना में तकनीकी विशेषज्ञता इसराइल और अमेरिका की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी. भारत सरकार इन पार्कों के लिए ज़मीन उपलब्ध कराएगा और किसानों को इस परियोजना के साथ जोड़ेगी.
इस परियोजना के तहत खाने की बर्बादी रोकने, साफ़ पानी के संरक्षण और जलवायु को ध्यान में रखकर बनाई गई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा.
इस बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि ‘आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उनमें तेजी से जलवायु संकट या बढ़ती खाद्य असुरक्षा शामिल है. यूक्रेन के खिलाफ रूस के क्रूर हमले से अस्थिर बाजारों को और भी बदतर बना दिया गया है’
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि 'आज की इस पहली समिट से ही I2U2 ने एक सकारात्मक एजेंडा स्थापित कर लिया है. हमने कई क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाएं की पहचान की है, और उनमें आगे बढ़ने का रोडमैप भी बनाया है.
I2U2 फ्रेमवर्क के तहत जल, ऊर्जा, परिवाहन, स्वास्थ्य, स्पेस और खाद्य सुरक्षा के लिए 6 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त निवेश बढ़ाने के लिए सहमत हुए हैं.
बढ़ती हुई वैश्विक अनिश्चिताओं के बीच हमारा कॉपरेटिव फ्रेमवर्क व्यावहारिक सहयोग का एक अच्छा मॉडल है। मुझे पूरा विश्वास है कि I2U2 से हम वैश्विक स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान करेंगे.'
संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने कहा है कि 'यह देशों के बीच सहयोग का एक बड़ा अवसर है...चुनौतियों के क्षेत्रों में जिनमें खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और हेल्थ केयर शामिल हैं.'
कोलंबो, 14 जुलाई | श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन और उन अन्य सार्वजनिक भवनों को वापस सौंपने का फैसला किया है, जिन पर उन्होंने पिछले कुछ दिनों से कब्जा जमा रखा है। वर्तमान सरकार की नीतियों से परेशान होकर प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवेश द्वार पर कब्जा कर लिया था। यही नहीं, वे राष्ट्रपति भवन, राष्ट्रपति कार्यालय और प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास में भी घुस गए थे और वहां उनकी दैनिक गतिविधियां भी देखने को मिल रही थीं।
पुलिस के साथ गतिरोध के बावजूद बुधवार को उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय पर भी कब्जा जमा लिया था। इस दौरान पुलिस के साथ गतिरोध में 40 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
तनावपूर्ण स्थिति के बीच कोलंबो में गुरुवार दोपहर 12 बजे से (शुक्रवार) सुबह पांच बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है।
बुधवार तड़के संकटग्रस्त देश से भागे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अभी तक अपने इस्तीफे की घोषणा नहीं की है। इससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो गया है, क्योंकि मौजूदा राष्ट्रपति के इस्तीफे के बिना नए राष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं की जा सकती है।
मीडिया रिपोटरें में कहा गया है कि वह मालदीव से सिंगापुर के लिए रवाना हो चुके हैं, जहां से उनके इस्तीफे की घोषणा करने की उम्मीद है।
इससे पहले उन्होंने कहा था कि वह 13 जुलाई को पद छोड़ देंगे।
(आईएएनएस)
कोलंबो, 14 जुलाई | श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में एक युवक की मौत हो गई और 84 अन्य घायल हो गए। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसूगैस के गोले दागे, जिसके बाद सांस लेने में तकलीफ के कारण 26 वर्षीय युवक की मौत हो गई।
घायलों में वे प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं जो प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर थे और साथ ही वे जो बुधवार शाम को संसद के बाहर जुटे थे।
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया था, जिससे और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
सरकार ने कोलंबो जिले में 14 जुलाई (गुरुवार) दोपहर 12 बजे से 15 जुलाई (शुक्रवार) सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया है।
द्वीप राष्ट्र में भोजन और ईंधन की कमी को लेकर महीनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। संकटग्रस्त देश में महंगाई 50 फीसदी से ज्यादा है।
(आईएएनएस)
न्यूयॉर्क , 14 जुलाई | संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को कहा कि श्रीलंका में संघर्ष के मूल कारणों और प्रदर्शनकारियों की शिकायतों को दूर करना महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ट्विटर पर कहा, "मैं श्रीलंका की स्थिति को बहुत बारीकी से देख रहा हूं। यह महत्वपूर्ण है कि संघर्ष के मूल मुद्दों और प्रदर्शनकारियों की शिकायतों का समाधान किया जाए।"
मैं सभी पार्टी सदस्यों से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिए समझौते की भावना को अपनाने का आग्रह करता हूं।
बुधवार को श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के कार्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों की भीड़ जमा हो गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
देश छोड़कर भागे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विक्रमसिंघे को श्रीलंका का अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया था। (आईएएनएस)
कोलंबो, 14 जुलाई। श्रीलंकाई प्राधिकारियों ने राजधानी में हिंसा भड़कने के बाद पश्चिमी प्रांत में लगाया गया कर्फ्यू बृहस्पतिवार को हटा लिया। हालांकि, देश छोड़कर मालदीव गए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अभी तक अपना इस्तीफा पत्र नहीं सौंपा है।
राजपक्षे (73) ने बुधवार को इस्तीफा देने का वादा किया था। उन्होंने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया, जिससे राजनीतिक संकट बढ़ गया और नए सिरे से प्रदर्शन शुरू हो गए।
राजपक्षे के देश छोड़कर जाने के बाद बुधवार को दोपहर बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और संसद जाने के मुख्य मार्ग पर प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुई, जिसके बाद कम से कम 84 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
पुलिस ने अवरोधक हटाने तथा निषिद्ध क्षेत्र में घुसने का प्रयास कर रही भीड़ को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें कीं।
पुलिस प्रवक्ता निहाल थाल्दुवा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने श्रीलंका के एक सैनिक की टी56 राइफल और 60 गोलियां छीन ली। हिंसा भड़कने के बाद प्राधिकारियों को पश्चिमी प्रांत में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। बुधवार को प्रदर्शन विक्रमसिंघे को लेकर हुए। उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किए जाने के बाद उनके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी।
राजनीतिक दलों के नेता उनसे इस्तीफा देने के लिए कह रहे हैं ताकि संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्दने कार्यावाहक राष्ट्रपति के तौर प्रभार संभाल सकें।
बहरहाल, प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि अंतरिम सरकार में ऐसे नेता ही शामिल हों, जो उन्हें स्वीकार्य हैं।
इस बीच, राष्ट्रपति राजपक्षे ने बुधवार को अपना इस्तीफा नहीं भेजा।
श्रीलंका के ‘द मॉर्निंग’ न्यूज पोर्टल के अनुसार, उनके बुधवार की शाम को अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंचने के बाद इस्तीफा देने की संभावना थी।
यहां मीडिया ने मालदीव में सूत्रों के हवाले से कहा कि राजपक्षे बुधवार रात को सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण माले से सिंगापुर जाने वाले विमान में सवार नहीं हो पाए।
ऐसा बताया जा रहा है कि राजपक्षे ने एक असैन्य विमान से उड़ान भरने को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की थीं और मालदीव सरकार से सिंगापुर जाने के लिए एक निजी विमान देने का अनुरोध किया।
इस बीच, प्रदर्शनकारियों का शनिवार से अब तक अहम प्रशासनिक इमारतों पर कब्जा बरकरार है। वीडियो में सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान दिखाया गया है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अंतरिम सरकार के गठन के बाद ही संपत्तियां प्राधिकारियों को सौंपेंगे।
राजपक्षे नयी सरकार द्वारा गिरफ्तार किए जाने की आशंका के चलते इस्तीफा देने से पहले विदेश चले गए।
उन्होंने संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को सूचित किया था कि वह बुधवार को इस्तीफा देंगे। उन्होंने यह घोषणा तब की थी जब प्रदर्शनकारी द्वीपीय देश में बिगड़े हालात को लेकर आक्रोश के बीच उनके आधिकारिक आवास में घुस गए थे।
मालदीव की राजधानी माले में सूत्रों ने बताया कि संकट से घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे की देश छोड़कर जाने में मालदीव की संसद के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मदद की।
गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह कहा था कि श्रीलंका अब दिवालिया हो चुका है।(भाषा)
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पाकिस्तानी पत्रकार के दावों और बीजेपी के आरोपों पर जवाब दिया है. हामिद अंसारी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनके ख़िलाफ़ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं.
बयान में हामिद अंसारी ने कहा, "कल और आज मेरे ख़िलाफ़ व्यक्तिगत रूप से एक के बाद एक कई झूठ बोले गए. पहले मीडिया के एक वर्ग ने और बाद में बीजेपी के अधिकारिक प्रवक्ता ने."
पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा ने आरोप लगाया था कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने उन्हें साल 2005-2011 के बीच पाँच बार दिल्ली बुलाया और इस दौरान हुई बातचीत में ख़ुफ़िया और संवेदनशील जानकारियां साझा कीं.
पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा का दावा
पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा ने दावा किया था कि हामिद अंसारी से मिली जानकारियों को उन्होंने पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के साथ साझा किया था.
नुसरत मिर्ज़ा के इन दावों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने हामिद अंसारी और कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला और गंभीर सवाल उठाए हैं.
बीजेपी ने हामिद अंसारी पर देशहित के ख़िलाफ़ काम करने के आरोप लगाए हैं. भारतीय जनता पार्टी ने पाकिस्तानी पत्रकार और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बीच हुई मुलाक़ातों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया के हामिद अंसारी से सवाल
- पाकिस्तानी पत्रकार मिर्ज़ा ने कहा है कि भारत यात्रा के दौरान उन्होंने अंसारी से मुलाक़ात की और उन्होंने गोपनीय और संवेदनशील जानकारियां साझा की. हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि उपराष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद है और बहुत से ऐसे मुद्दे होते हैं जिनके बारे में जानकारी नहीं साझा की जा सकती क्योंकि वो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होते हैं.
- देश की जनता ये पूछना चाहती है कि आतंकवाद का ख़ात्मा करने के लिए क्या कांग्रेस की सरकार रही उसकी ये नीति थी? कांग्रेस देश की अति गोपनीय चीज़ों को दूसरे देश से साझा कर रही थी, जिसका वो आतंकवाद के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. इसीलिए देश की जनता आज व्यथित है.
- पाकिस्तान का पत्रकार बताता है कि अति संवेदनशील और गोपनीय जानकारी एक बार नहीं बल्कि पाँच बार साझा की गई. उसने ये जानकारी हामिद अंसारी जी से ली और इस जानकारी को भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया गया.
- भारत पूरे विश्व में आतंकवाद के ख़िलाफ़ जो मुहिम है उसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है. और कांग्रेस की सरकार 2005-11 के बीच में पांच बार ऐसे व्यक्ति को भारत आने का निमंत्रण देती है, देश की गोपनीय जानकारी साझा की जाती हैं.
- क्या आपने इस व्यक्ति को आमंत्रित किया और अधिकारिक या अनाधिकारिक रूप से संवेदनशील और गोपनीय जानकारियाँ साझा की?
भाटिया ने ये भी कहा कि अगर अंसारी ने ऐसा किया था तो उन्हें इस बारे में मौजूदा सरकार को जानकारी देनी चाहिए ताकि वो ये दर्शा सकें कि वो राष्ट्र के प्रति समर्पित हैं. उन्होंने पूछा कि क्या अंसारी को इस बारे में ख़ुफ़िया एजेंसियों ने सचेत किया था कि पत्रकार पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए काम कर रहा है?
कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए भाटिया ने सवाल किया कि क्या अंसारी ने सोनिया और राहुल के कहने पर पाकिस्तानी पत्रकार को आमंत्रित किया था?
हामिद अंसारी ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि भारत का राजदूत रहते हुए उन्होंने जो काम किए हैं उनकी वैश्विक और घरेलू स्तर पर सराहना हुई है.
हामिद अंसारी का जवाब
- ईरान में भारत का राजदूत रहते हुए मैंने जो भी काम किया वो उस समय की सरकार की जानकारी में था. ऐसे मामलों में मैं राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता से जुड़ा हूं और उन पर टिप्पणी करने से बचता हूं. भारत सरकार के पास इस बारे में सभी जानकारी है और वो ही सच बताने वाली एकमात्र अथॉरिटी है. ये एक स्थापित तथ्य है कि तेहरान में अपने कामकाज के बाद मुझे न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था. मैंने वहां जो काम किया है उसे देश और विदेश में सराहा गया है.
- ये कहा गया कि मैंने भारत का उपराष्ट्रपति रहते हुए पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा को न्यौता दिया. ये कहा गया कि मैंने दिल्ली में आतंकवाद पर एक सम्मेलन में उनसे मुलाक़ात की और ईरान में भारत का राजदूत रहते हुए मैंने राष्ट्रीय हितों को धोखा दिया. इस मामले में आरोप भारत सरकार की एजेंसी के एक पूर्व अधिकारी ने लगाए हैं.
- ये एक ज्ञात तथ्य है कि उपराष्ट्रपति विदेशी हस्तियों को सरकार और आमतौर पर विदेश मंत्रालय की सलाह पर न्यौता देते हैं. मैंने 11 दिसंबर 2010 को आंतकवाद पर हुए सम्मेलन का उद्घाटन किया था. एक सामान्य प्रक्रिया के तहत इस सम्मेलन में आमंत्रित लोगों की सूची आयोजकों ने बनाई होगी, ना ही मैंने उसे न्यौता दिया था और ना ही उससे मुलाक़ात की थी.
कांग्रेस ने भी बीजेपी के आरोपों का जवाब दिया और बयान जारी करके कहा कि सोनिया गांधी और भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति और प्रतिष्ठित राजनयिक हामिद अंसारी पर लगाए गए आक्षेपों और झूठ फैलाने की कोशिश की कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए.
प्रधानमंत्री और बीजेपी प्रवक्ता के इस तरह के बयान सार्वजनिक विमर्श को कमजोर करेंगे. ये दुष्प्रचार घटिया दर्जे का चरित्र हनन है.
11 दिसंबर, 2010 को नई दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और मानवाधिकारों पर न्यायविदों को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में सभी तथ्य पहले ही सार्वजनिक तौर पर मौजूद हैं. साफ़ है बीजेपी इस मामले में झूठ फैला रही है.
बीजेपी नेताओं का ये रवैया उनमें व्याप्त मानसिक बीमारी और सत्यनिष्ठा के दिवालियापन को भी दर्शाता है.
हामिद अंसारी साल 2007 से 2017 तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे. इससे पहले वो संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि थे. हामिद अंसारी 38 साल तक भारत की विदेश सेवा में रहे और कई देशों में भारत के राजदूत रहे हैं. (bbc.com)
लंदन, 13 जुलाई। पूर्व चांसलर ऋषि सुनक ने बुधवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों के पहले दौर के मतदान में सर्वाधिक 88 मतों के साथ बढ़त बना ली। इसके साथ ही इस दौड़ में अब आठ उम्मीदवारों की जगह छह उम्मीदवार रह गए हैं।
सुनक के बाद वाणिज्य मंत्री पेनी मोर्डेंट ने 67 और विदेश मंत्री लिज ट्रस ने 50 वोट हासिल किए। पूर्व मंत्री केमी बडेनोच को 40 और बैकबेंचर टॉम तुगेंदत को 37 वोट मिले। वहीं अटॉर्नी जनरल सुएला ब्रैवरमैन के खाते में 32 वोट आए।
इस बीच, वर्तमान चांसलर नादिम जाहावी और पूर्व कैबिनेट मंत्री जेरेमी हंट पहले दौर के मतदान के बाद नेतृत्व की दौड़ से हट गए हैं। वे लोग अगले चरण में जगह बनाने के लिए आवश्यक 30 वोट हासिल करने में विफल रहे। उन्हें क्रमश: 25 और 18 वोट मिले।
हालांकि सुनक ने अपने टोरी संसदीय सहयोगियों के बीच एक स्थिर बढ़त बनाए रखी है, लेकिन कंजर्वेटिव पार्टी की सदस्यता का आधार पेनी मोर्डंट के पक्ष में दिखाई देता है।
मतपत्र के जरिए अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनने के लिए संसद के 358 कंजर्वेटिव सदस्यों की ओर से मतदान का अगला दौर बृहस्पतिवार को निर्धारित है। (भाषा)
जिनेवा, 13 जुलाई | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को कहा कि लगभग 35 देशों में बच्चों में गंभीर तीव्र हेपेटाइटिस के 1,010 संभावित मामले सामने आए हैं, जबकि 22 बच्चों की इस बीमारी से मौत हो गई है।
24 जून को डब्ल्यूएचओ के पिछले अपडेट के बाद से, डब्ल्यूएचओ को 90 नए संभावित मामले और चार अतिरिक्त मौतों की सूचना मिली है।
इसके अतिरिक्त, दो नए देशों, लक्जमबर्ग और कोस्टा रिका ने संभावित मामलों की सूचना दी है।
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, "5 अप्रैल (जब शुरूआत में प्रकोप का पता चला था) और 8 जुलाई के बीच, 35 देशों में 1,010 संभावित मामले और 22 मौतें हुई हैं।"
हालांकि, वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने उल्लेख किया कि मामलों की वास्तविक संख्या को आंशिक रूप से सीमित निगरानी प्रणाली के कारण कम करके आंका जा सकता है।
करीब 46 बच्चों को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। यूरोप (484) ने सबसे अधिक मामलों की सूचना दी, जिसमें अकेले यूके से 272 मामले शामिल हैं, इसके बाद अमेरिका (435) का स्थान है।
हालांकि, अमेरिकी क्षेत्र (13) में सबसे अधिक मौतें हुई हैं, इसके बाद दक्षिण-पूर्व एशिया में इंडोनेशिया और मालदीव (6) हैं।
यूरोपीय क्षेत्र में, 193 मामलों में पीसीआर द्वारा एडेनोवायरस का सबसे अधिक पता चला था, जबकि इस क्षेत्र में 54 मामलों में सार्स सीओवी-2 का पता चला था। (आईएएनएस)
कीव, 13 जुलाई। यूक्रेन में रूसी सेना की ताजा गोलाबारी में कम से कम पांच नागरिकों की मौत हो गई जबकि 18 अन्य लोग घायल हो गये। यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय ने बुधवार को यह जानकारी दी।
दोनेत्स्क प्रशासनिक प्रमुख पावले कायरीलेंको ने कहा कि ज्यादातर लोगों की मौत दोनेत्स्क प्रांत में हुई। यह प्रांत उस क्षेत्र का हिस्सा है जहां रूस समर्थित अलगाववादी पिछले आठ वर्षों से विद्रोह कर रहे हैं। रूसी सैनिकों ने बाखमत शहर में भी भारी गोलाबारी की है।
पड़ोसी नुहांस्क प्रांत के गवर्नर सेरहीय हैदई ने कहा कि यूक्रेनी सैनिक रूसी गोलाबारी के बीच दो गांवों पर पुन: नियंत्रण करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
रूसी तोपखाने ने उत्तर-पूर्व यूक्रेन में भी गोले बरसाये हैं जहां के क्षेत्रीय गवर्नर ओलेग सायनीहुबोव ने रूसी सैनिकों पर खारकिव में नागरिकों को आतंकित करने का आरोप लगाया है।
रूसी सैनिकों के यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में बढ़ने के बीच यूक्रेनी सेना ने दक्षिण में एक शहर पर फिर से अपना नियंत्रण करने का दावा किया है। यूक्रेन की सेना ने मंगलवार को दावा किया कि उसने नोवा काखोवका में एक रूसी गोला-बारूद डिपो को नष्ट करने के लिए मिसाइल दागी।
वहीं, रूस की समाचार एजेंसी तास ने कहा है कि कथित विस्फोट एक उवर्रक भंडारण स्थल पर हुआ।
इस बीच, अन्य घटनाक्रमों के तहत पूर्वी यूक्रेन के दोनेत्स्क में मास्को समर्थित अलगाववादी सरकार के नेता ने कहा कि आतंकवाद के मामले में दोषी करार दिये गये विदेशी लड़ाकों ने अपनी मौत की सजा के खिलाफ अपील की है।
यदि स्वघोषित दोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक की अपीलीय अदालत ने अपील खारिज कर दी तो ब्रिटेन के दो नागरिकों एवं मोरक्को के एक नागरिक की मौत की सजा क्रियान्वित कर दी जाएगी।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि ज्यादातर यूक्रेनी शरणार्थी स्वदेश लौटना चाहते हैं लेकिन वे स्थिति में सुधार का इंतजार कर रहे हैं। (एपी)
सैन फ्रांसिस्को, 13 जुलाई | एलन मस्क द्वारा संचालित टेस्ला ने अपनी ऑटोपायलट टीम से 229 कर्मचारियों को निकाल दिया है और अमेरिका में अपने एक कार्यालय को बंद कर दिया है। अमेरिका में कैलिफोर्निया राज्य में एक नियामक फाइलिंग के अनुसार टेस्ला ने अपने सैन मेटो कार्यालय से कर्मचारियों को निकाल दिया, जिसमें 276 कर्मचारी कार्यरत थे।
रिपोर्ट के अनुसार, शेष 47 कर्मचारियों को टेस्ला के बफेलो ऑटोपायलट कार्यालय में काम पर भेजा जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "अधिकांश श्रमिक मामूली कम कुशल, कम वेतन वाली नौकरियों में थे।"
छंटनी वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में 10 प्रतिशत की कमी का हिस्सा है, जिसकी घोषणा टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने पिछले महीने की थी।
मस्क की घोषणा के बाद टेस्ला ने वेतनभोगी कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी, जिसके परिणामस्वरूप टेस्ला के कुल कर्मचारियों की संख्या लगभग 3.5 प्रतिशत कम हो जाएगी।
टेस्ला अपनी सुविधाओं में 1,00,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है।
पूर्व टेस्ला कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की एक टीम ने अमेरिकी अदालत से निकाल दिए गए श्रमिकों के लिए आपातकालीन सुरक्षा की मांग की है। इन्हें पिछले महीने नौकरी से निकाल दिया गया था।
वादी ने आरोप लगाया कि कंपनी ने छंटनी के दौरान संघीय कानून द्वारा आवश्यक 60 दिनों का अग्रिम नोटिस प्रदान नहीं किया।
टेस्ला के कर्मचारियों जॉन लिंच और डैक्सटन हर्ट्सफील्ड को पिछले महीने अमेरिका के नेवादा राज्य में टेस्ला के गिगाफैक्ट्री 2 से 500 से अधिक अन्य कर्मचारियों के साथ जाने के लिए कहा गया था।
(आईएएनएस)
लंदन, 13 जुलाई | कंजरवेटिव पार्टी का नेता बनने और निवर्तमान बोरिस जॉनसन की जगह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल होने के लिए आठ उम्मीदवारों को नामित किया गया है। कम से कम 20 कंजर्वेटिव सांसदों के आवश्यक समर्थन को सफलतापूर्वक सूचीबद्ध करने वाले आठ दावेदार हैं : राजकोष के पूर्व चांसलर ऋषि सनक, विदेश सचिव लिज ट्रस, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री पेनी मोर्डान्ट, बैकबेंच सांसद टॉम तुगेंदहत, अटॉर्नी जनरल सुएला ब्रेवरमैन, नव नियुक्त चांसलर नादिम जहावी, पूर्व समानता मंत्री केमी बडेनोच और पूर्व विदेश सचिव जेरेमी हंट।
टोरी सांसदों के बीच पहले दौर का मतदान बुधवार को होगा और केवल वही दावेदार दूसरा मतपत्र हासिल कर सकते हैं, जिन्हें कम से कम 30 वोट मिले हैं। परिणाम गुरुवार को आने की संभावना है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 21 जुलाई को ग्रीष्म अवकाश के लिए ब्रिटिश सांसदों के अलग होने से पहले गुप्त मतदान के और दौर के माध्यम से दावेदारों की संख्या को घटाकर दो कर दिया जाएगा।
अंतिम दो दावेदार तब गर्मियों में सभी कंजर्वेटिव सदस्यों के डाक मतपत्र से गुजरेंगे, जिनकी संख्या लगभग 200,000 है और विजेता की घोषणा 5 सितंबर को की जाएगी, जो नए टोरी नेता और यूके के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे।
टोरी नेतृत्व की दौड़ तब शुरू हुई, जब जॉनसन को अपने घोटाले से त्रस्त नेतृत्व के विरोध में कैबिनेट मंत्रियों और अन्य कनिष्ठ सरकारी अधिकारियों के इस्तीफे के कारण जॉनसन को अपरिहार्य रूप से झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा। जॉनसन तब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे, जब तक कि कोई नया टोरी नेता उनका उत्तराधिकारी नहीं बन जाता।
जॉनसन, जिन्होंने 2019 में आम चुनावों में शानदार जीत हासिल की, पाटीर्गेट घोटाले और पूर्व कंजरवेटिव पार्टी के उप मुख्य सचेतक द्वारा यौन दुराचार के आरोपों से संबंधित क्रिस पिंचर घोटाले सहित कई घोटालों में पकड़े जाने के बाद समर्थन खो दिया। (आईएएनएस)
पोर्ट ऑ प्रिंस (हैती), 13 जुलाई। हैती की राजधानी में दो गुटों के बीच चार दिन तक चली एक हिंसक झड़प के दौरान, दर्जनों लोगों की जान चली गई। स्थानीय अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। देश में बढ़ रही हिंसा की घटनाओं का यह ताजा उदाहरण है।
पोर्ट ऑ प्रिंस के सिटी सोलेल जिले के उप महापौर ज्यां हिस्लेन फ्रेडरिक ने कहा कि दो विरोधी गिरोहों के सदस्यों के बीच शुक्रवार को झड़प प्रारंभ हुई जिसमें कम से कम 50 लोगों की मौत हो चुकी है और 50 से ज्यादा घायल हो चुके हैं। राष्ट्रपति जोवेनेल मोसे की हत्या की पहली बरसी के एक दिन बाद हिंसा शुरू हुई।
मोसे की हत्या के बाद से हैती में हिंसक झड़प की घटनाएं बढ़ गई हैं और सरकार इन्हें रोकने के लिए बल प्रयोग कर रही है। सहायता समूह ‘डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने कहा कि सिटी सोलेल में हजारों लोग फंसे हैं जिनके पास भोजन, पानी और चिकित्सा उपलब्ध नहीं है।
संगठन ने सहायता के लिए अन्य समूहों का भी आह्वान किया है और एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि उसके तीन सदस्य सिटी सोलेल के ब्रुकलिन क्षेत्र में घायलों का इलाज कर रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि ‘जी-9’ और ‘जी-पेप’ नामक विरोधी गिरोहों के बीच झड़प हुई। (एपी)
-रियाज़ सुहैल
"जब ये पैदा हुई थी, उस समय ठीक थी. लेकिन जब ये आठ या दस महीने की हुई, तो हमें उसकी गर्दन में झुकाव महसूस हुआ. इससे पहले ये अपनी बहन के हाथों से गिर गई थी, हमें लगा कि शायद यह उसी की वजह से हो. हम इसे एक स्थानीय डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने दवा के साथ उसके गले के लिए एक बेल्ट दी. हम ग़रीब लोग हैं आगे इलाज नहीं करा सके."
ये कहना था पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थार रेगिस्तान में रहने वाली 13 वर्षीय अफ़शीन की मां जमीला बीबी का, जिनकी बेटी का सिर बचपन से ही 90 डिग्री बाईं ओर झुका हुआ था.
लेकिन अब अफ़शीन एक सामान्य जीवन जी रही हैं और यह तब संभव हुआ जब भारत के अपोलो अस्पताल में एक भारतीय डॉक्टर अफ़शीन के जीवन में एक 'फरिश्ता' बनकर आए.
और उन्होंने उसके झुके हुए सिर का सफल ऑपरेशन कर के उसे एक नया जीवन दिया.
अफ़शीन पिछले 12 साल से इसी हालत में थीं, जिसकी वजह से उनका चलना, खाना और बात करना मुश्किल हो गया था.
अफ़शीन की मां जमीला बीबी कहती हैं, "वो बचपन से ही ज़मीन पर लेटी रहती थी. वहीं खाना-पीना होता था."
अफ़शीन के पिता एक आटा चक्की में काम करते थे लेकिन कैंसर से पीड़ित होने के बाद अब वह बेरोज़गार हैं.
उन्होंने बताया कि बचपन में उन्होंने लड़की को एक कुम्हार को दिखाया जिसने उसकी गर्दन को झटका दिया, जिससे परेशानी और बढ़ गई, क्योंकि पहले वह अपनी गर्दन हिला सकती थी लेकिन इसके बाद उसकी गर्दन एक तरफ झुक गई.
मेडिकल कैंप और सोशल मीडिया अभियान
मट्ठी शहर की रहने वाली 13 वर्षीय अफ़शीन 2017 में उस समय मीडिया में आई जब उन्हें स्थानीय स्तर पर आयोजित मेडिकल कैंप में जांच और इलाज के लिए लाया गया था, जहां डॉक्टर दिलीप कुमार ने उनकी जांच की, इसके बाद से उनकी बीमारी और परेशानी की ख़बरें मीडिया में आने लगीं.
अभिनेता अहसान ख़ान ने फ़ेसबुक पर अफ़शीन की एक फ़ोटो शेयर की जिसमें उन्होंने इस लड़की के दर्द और बीमारी के बारे में बताया और लिखा, "अफ़शीन को हमारी मदद की ज़रूरत है. इसके अलावा उसके पिता को भी कैंसर है."
पाकिस्तान के निजी टीवी चैनल एआरवाई के कार्यक्रम 'द मॉर्निंग शो' की होस्ट सनम बलूच ने भी अफ़शीन और उनकी मां जमीला बीबी को आमंत्रित किया. जिसके बाद सोशल मीडिया पर अफ़शीन की तकलीफ़ और बीमारी पर बहुत बातें होने लगीं.
सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर जब अफ़शीन की तस्वीरें वायरल हुईं तो पीटीआई से पीपीपी में शामिल होने वाली नेशनल असेंबली की सदस्या नाज़ बलोच ने ट्विटर पर संदेश लिखा कि "सिंध सरकार की तरफ़ से अफ़शीन का पूरा इलाज कराया जाएगा". इसके बाद उन्हें आग़ा ख़ान अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने उनकी जांच की.
नाज़ बलूच ने अस्पताल में बीबीसी को बताया था कि पीपीपी की नेता फ़रहाल तालपुर ने संज्ञान लिया है और अब वह ख़ुद अफ़शीन के पूरे इलाज की निगरानी कर रही हैं.
अफ़शीन कुछ समय आग़ा ख़ान अस्पताल में रहीं, इसके बाद उनके माता-पिता उन्हें अपने साथ ले गए. अफ़शीन के भाई याक़ूब कंभर ने बीबीसी को बताया कि "आग़ा ख़ान अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान उनकी जान बचने की संभावना 50 प्रतिशत है."
अफ़शीन के माता-पिता ने इसके बारे में सोचने के लिए डॉक्टरों से समय मांगा और उसके बाद बहन की शादी में व्यस्त हो गए और अफ़शीन का इलाज पूरा नहीं हो सका.
उनके भाई का कहना है कि बहन की शादी के बाद उन्होंने परिवार को समझाया. फिर पीपीपी के नेताओं और सिंध सरकार से संपर्क किया, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब न मिलने पर वो निराश हो गए.
'भारतीय डॉक्टर फ़रिश्ता साबित हुए'
ब्रितानी अख़बार की एक रिपोर्टर अलेक्ज़ेंड्रिया थॉमस ने 2019 में अफ़शीन कंभर के स्वास्थ्य और उनके परिवार की वित्तीय स्थिति पर स्टोरी की जिसके बाद अफ़शीन एक बार फिर चर्चा में आ गईं.
याक़ूब कंभर के मुताबिक़, ऑस्ट्रेलिया के किसी व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया और कहा कि वो यहां आ जाएं उनका इलाज कराया जाएगा और कराची में दारुल सुकून संस्था से संपर्क करने की सलाह दी.
"हम दारुल सुकून गए. उन्होंने कहा कि पासपोर्ट बनवा लो. उसके बाद वीज़ा की प्रक्रिया शुरू हुई. इसी दौरान दुनिया में कोविड की महामारी फैल गई और हमारा काम वहीं रुक गया."
याक़ूब के मुताबिक, "पिछले साल, अलेक्जेंड्रिया थॉमस ने भारत की राजधानी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में डॉक्टर गोपालन कृष्णन से संपर्क किया और हमें बताया कि वह आपसे बात करेंगे. फिर उन्होंने स्काइप पर हमसे बात की और कहा कि आप भारत आएं, यहां मुफ़्त इलाज होगा."
याक़ूब कंभर के अनुसार, "उन्होंने भी कहा कि ऑपरेशन के दौरान उनका दिल धड़कना बंद हो सकता है, फेफड़े काम करना बंद कर सकते हैं और इसके अलावा उन्होंने देखने के लिए कुछ यूट्यूब वीडियो भी भेजे."
"हमने मेडिकल आधार पर वीज़ा के लिए आवेदन किया और वीज़ा मिलते ही हम दिल्ली के लिए रवाना हो गए. हमारी पाकिस्तान की सरकार या किसी अन्य संगठन ने कोई मदद नहीं की थी. विदेशों से लोग हमारी मदद कर रहे थे जिसके ज़रिये से हम पिछले साल नवंबर में भारत पहुंचे."
भारत में ऑपरेशन और सहायता के लिए अपील
फंड इकट्ठा करने वाली वेबसाइट 'गो फ़ंड फ़ॉर मी' पर याक़ूब कंभर ने मदद की अपील की. पहले चरण में उन्हें 29 हज़ार डॉलर मिले. भारत में इलाज और ख़र्च के लिए उन्होंने दोबारा अपील की.
अफ़शीन की एक तरफ़ झुकी हुई गर्दन की एक बड़ी सर्जरी से पहले उनके दो ऑपरेशन किए गए. इसके बाद एक बड़ा ऑपरेशन किया गया.
याक़ूब कंभर का कहना है कि इस दौरान उनका कई डॉक्टरों से संपर्क हुआ, लेकिन उन्होंने डॉक्टर कृष्णन जैसा उत्कृष्ट और रहम दिल डॉक्टर नहीं देखा. उनकी कोशिशों से ये ऑपरेशन सफल रहा.
ऑपरेशन की सफलता के बाद डॉक्टर कृष्णन ने मीडिया को बताया था कि उनसे मिलने के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि अगर इलाज नहीं किया जाता, तो वह ज़्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकती थी. उनके अनुसार "शायद दुनिया में ये अपनी तरह का पहला मामला है."
दिमाग़ी तकलीफ़ के कारण अफ़शीन ने छह साल की उम्र में चलना और बोलना सीखा, लेकिन उसकी गर्दन एक साल की उम्र में ही झुकने लगी थी.
सबसे पहले दिसंबर की शुरुआत में उन्हें हेलो-ग्रैविटी ट्रैक्शन लगाना पड़ा, ताकि कुछ समय के लिए उनकी गर्दन सीधी हो जाए.
डॉक्टर कृष्णन की टीम में डॉक्टर मनोज शर्मा, डॉक्टर जयललिता, डॉक्टर चेतन मेहरा और डॉक्टर भानु पंत शामिल थे, इस टीम ने 28 फरवरी को छह घंटे के ऑपरेशन के दौरान अफ़शीन की गर्दन को उसकी रीढ़ की हड्डी से जोड़ दिया. इसके बाद गर्दन को सीधा रखने के लिए एक रॉड और पेंच का इस्तेमाल करके गर्दन को सर्वाइकल रीढ़ की हड्डी से जोड़ा गया.
याक़ूब कंभर ने ट्विटर पर अफ़शीन की मुस्कुराते हुए एक तस्वीर पोस्ट की जिसके साथ लिखा, "इस मुस्कान का क्रेडिट डॉक्टर गोपालन कृष्णन को जाता है, जिन्होंने सर्जरी करके गर्दन को सीधा किया है."
"आप बहुत अच्छे इंसान हैं. पूरा इलाज मुफ्त है. इसी लिए तो हमने आपको कहा कि आप हमारे लिए फरिश्ता बनकर आये हैं. डॉक्टर कृष्णन हर रविवार को स्काइप पर अफ़शीन की जांच करते हैं."
याक़ूब ने रुकावटों और मुश्किलों के बावजूद हार नहीं मानी लगातार कोशिश करते रहे और आख़िरकार पाकिस्तान के एक पिछड़े इलाक़े का एक युवक जो खाली हाथ था, अपनी बहन का ऑपरेशन कराने में कामयाब हो गया, याक़ूब के अनुसार अब वह मुस्कुराती है और और बात करती है. (bbc.com)
सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने टेस्ला प्रमुख एलन मस्क की कंपनी के साथ 44 अरब डॉलर के क़रार को पूरा करवाने के लिए अदालत का रुख किया है.
ट्विटर ने अमेरिका के डेलावेयर कोर्ट से मांग की है कि वो एलन मस्क को 54.20 डॉलर के हिसाब से प्रति ट्विटर शेयर पर समझौता पूरा करने का आदेश दे.
ट्विटर ने कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला तब लिया जब शुक्रवार को एलन मस्क ने घोषणा की कि वे ट्विटर को नहीं खरीद रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि क़रार से जुड़ी शर्तों को कई बार तोड़ा गया जिसकी वजह से वो पीछे हट रहे हैं. उन्होंने कहा कि ट्विटर ने फर्जी खातों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं दी थी
एलन मस्क ने ट्विटर को ख़रीदने के लिए अप्रैल में क़रार किया था. ये करार 44 अरब डॉलर में हुआ था. मगर अगले महीने मई में उन्होंने कहा कि ये सौदा "अस्थायी तौर पर होल्ड" पर है क्योंकि वो ट्विटर के फ़ेक और स्पैम खातों की संख्या से संबंधित आँकड़ों की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
मुकदमे में एलन मस्क पर विलय समझौते के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं. साथ ही कहा गया है कि मस्क इसलिए इस डील से पीछे हटे हैं क्योंकि यह अब उनके व्यक्तिगत हितों को पूरा नहीं करता है.
ट्विटर के चेयरमेन ब्रेट टेलर ने ट्वीट किया कि माइक्रोब्लॉगिंग साइट एलन मस्क को समझौते के प्रति जो दायित्व हैं उसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहती है.
एलन मस्क इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं
मुकदमे में कहा गया है कि एलन मस्क के डील के लिए सहमत होने के बाद टेस्ला के शेयरों के साथ साथ शेयर बाजार में गिरावट आई है जिससे टेस्ला में उनकी हिस्सेदारी घटी है. एलन मस्क की संपत्ति में नवंबर 2021 के हाई प्वाइंट से 100 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है जिसकी वजह से वे इस डील से बाहर आना चाहते हैं.
साथ ही ये भी कहा गया है कि बाजार में आई मंदी को एलन मस्क खुद नहीं उठाना चाहते बल्कि ट्विटर के शेयरधारकों को ट्रांसफर करना चाहते हैं जो विलय समझौते के खिलाफ है.
कौन हैं एलन मस्क और क्या-क्या करते हैं?
एलन मस्क वैसे तो एक कार निर्माता कंपनी के मालिक हैं लेकिन उनके काम का दायरा सिर्फ़ भविष्य की कारें बनाने वाली कंपनी तक सीमित नहीं है.
उनकी कंपनी टेस्ला इलेक्ट्रिक कारों में लगने वाले पुर्ज़े और बैट्रियाँ भी बनाती है जिन्हें दूसरे कार निर्माताओं को बेचा जाता है.
वे घरों में लगने वाले 'सोलर एनर्जी सिस्टम' बनाते हैं जिसकी माँग वक़्त के साथ बढ़ी है. वे एक अंतरिक्ष अन्वेषण कंपनी भी चलाते हैं. साथ ही वे अमेरिका में 'सुपर-फ़ास्ट अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्ट सिस्टम' का ख़ाका तैयार कर रहे हैं.
आज के समय में एलन मस्क की पहचान एक अमेरिकी उद्यमी के तौर पर है, पर उनका जन्म दक्षिण अफ़्रीका में हुआ था. उनकी माँ मूल रूप से कनाडा की हैं और पिता दक्षिण अफ़्रीका के. मस्क के अनुसार, उन्हें बचपन से ही किताबें पढ़ने का बहुत शौक़ था.
वे कहते हैं कि 'बचपन में मैं बहुत ज़्यादा शांत रहता था, इस वजह से मुझे बहुत परेशान भी किया गया.'
10 साल की उम्र में एलन मस्क ने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखी और 12 साल की उम्र में उन्होंने 'ब्लास्टर' नामक एक वीडियो गेम तैयार किया जिसे एक स्थानीय मैग्ज़ीन ने उनसे पाँच सौ अमेरिकी डॉलर में ख़रीदा. इसे मस्क की पहली 'व्यापारिक उपलब्धि' कहा जा सकता है.
साल 2004 में एलन मस्क ने इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला की बुनियाद रखी और उन्होंने कहा, "भविष्य में सब कुछ इलेक्ट्रिक होगा, स्पेस में जाने वाले रॉकेट भी और टेस्ला इस बदलाव को लाने में अहम भूमिका निभायेगी."
एलन मस्क अक्सर अपने ट्वीट्स के लिए चर्चा में भी आते रहते हैं. उन्होंने ट्विटर खरीदने की जानकारी भी ट्वीट करके ही दी थी.
एलन मस्क ने ट्विटर को 44 अरब डॉलर में खरीदने का ऑफ़र दिया था. उन्होंने कहा था कि ट्विटर में "जबरदस्त क्षमता" है जिसे वह अनलॉक करेंगे.
ट्विटर ने जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को प्लेटफॉर्म से बैन किया था उसी समय मस्क, जो खुद को "फ्रीडम ऑफ़ स्पीच का बड़ा पक्षधर बताते हैं". उन्होंने कहा था कि वह इस मंच को सुधारना चाहते हैं.
ट्विटर पर उनके 100 मिलियन यानी 10 करोड़ फॉलोअर्स हैं. वो यहां खूब सक्रिय रहते हैं और कई बार विवादित ट्वीट भी करते हैं. (bbc.com)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 13 जुलाई। ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री चुनने के लिए मंगलवार शाम को नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया समाप्त होने पर उम्मीदवारों की शुरुआती छंटनी के बाद भारतीय मूल के दो सांसदों-पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक और अटॉर्नी जनरल सुएला ब्रेवरमैन ने आठ दावेदारों में अपनी जगह बना ली।
सुनक और ब्रेवरमैन के अलावा इस सूची में विदेश मंत्री लिज ट्रस, नए वित्त मंत्री नाधिम जहावी, वाणिज्य मंत्री पेनी मोर्डेंट, पूर्व कैबिनेट मंत्री केमी बादेनोक, जेरेमी हंट और सांसद टॉम टुगेंदत शामिल हैं।
सुनक दौड़ में आगे बने हुए हैं और ऐसा बताया है कि उनके पास सर्वाधिक सांसदों का समर्थन है। 42 वर्षीय सुनक ने अपने प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘मैं सकारात्मक प्रचार अभियान चला रहा हूं जो इस बात पर केंद्रित है कि मेरे नेतृत्व से पार्टी और देश को क्या लाभ हो सकता है।’’
इस सूची में जगह बनाने के लिए कम से कम आठ सांसदों के समर्थन की आवश्यकता थी। शुरुआती छंटनी के बाद बचे आठ उम्मीदवारों के बीच अब बुधवार को पहले दौर के मतदान में मुकाबला होगा और केवल वे ही दूसरे दौर में जा सकेंगे, जिनके पास कम से कम 30 सांसदों का समर्थन होगा।
नामांकन प्रक्रिया बंद होने से कुछ ही समय पहले पाकिस्तानी मूल के दो उम्मीदवारों-पूर्व स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद और विदेश कार्यालय के मंत्री रहमान चिश्ती ने अपने नाम वापस ले लिए, क्योंकि वे 20 सांसदों का समर्थन हासिल नहीं कर पाए।
ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री का चुनाव पांच सितंबर को किया जाएगा। कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों द्वारा मतदान का पहला चरण बुधवार को होना है। बृहस्पतिवार को दूसरे चरण के मतदान के बाद चरणबद्ध तरीके से अंतिम दो उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। (भाषा)