अंतरराष्ट्रीय
कोलंबो, 14 जुलाई | श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में एक युवक की मौत हो गई और 84 अन्य घायल हो गए। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसूगैस के गोले दागे, जिसके बाद सांस लेने में तकलीफ के कारण 26 वर्षीय युवक की मौत हो गई।
घायलों में वे प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं जो प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर थे और साथ ही वे जो बुधवार शाम को संसद के बाहर जुटे थे।
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया था, जिससे और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
सरकार ने कोलंबो जिले में 14 जुलाई (गुरुवार) दोपहर 12 बजे से 15 जुलाई (शुक्रवार) सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया है।
द्वीप राष्ट्र में भोजन और ईंधन की कमी को लेकर महीनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। संकटग्रस्त देश में महंगाई 50 फीसदी से ज्यादा है।
(आईएएनएस)
न्यूयॉर्क , 14 जुलाई | संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को कहा कि श्रीलंका में संघर्ष के मूल कारणों और प्रदर्शनकारियों की शिकायतों को दूर करना महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ट्विटर पर कहा, "मैं श्रीलंका की स्थिति को बहुत बारीकी से देख रहा हूं। यह महत्वपूर्ण है कि संघर्ष के मूल मुद्दों और प्रदर्शनकारियों की शिकायतों का समाधान किया जाए।"
मैं सभी पार्टी सदस्यों से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिए समझौते की भावना को अपनाने का आग्रह करता हूं।
बुधवार को श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के कार्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों की भीड़ जमा हो गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
देश छोड़कर भागे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विक्रमसिंघे को श्रीलंका का अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया था। (आईएएनएस)
कोलंबो, 14 जुलाई। श्रीलंकाई प्राधिकारियों ने राजधानी में हिंसा भड़कने के बाद पश्चिमी प्रांत में लगाया गया कर्फ्यू बृहस्पतिवार को हटा लिया। हालांकि, देश छोड़कर मालदीव गए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अभी तक अपना इस्तीफा पत्र नहीं सौंपा है।
राजपक्षे (73) ने बुधवार को इस्तीफा देने का वादा किया था। उन्होंने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया, जिससे राजनीतिक संकट बढ़ गया और नए सिरे से प्रदर्शन शुरू हो गए।
राजपक्षे के देश छोड़कर जाने के बाद बुधवार को दोपहर बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और संसद जाने के मुख्य मार्ग पर प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुई, जिसके बाद कम से कम 84 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
पुलिस ने अवरोधक हटाने तथा निषिद्ध क्षेत्र में घुसने का प्रयास कर रही भीड़ को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें कीं।
पुलिस प्रवक्ता निहाल थाल्दुवा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने श्रीलंका के एक सैनिक की टी56 राइफल और 60 गोलियां छीन ली। हिंसा भड़कने के बाद प्राधिकारियों को पश्चिमी प्रांत में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। बुधवार को प्रदर्शन विक्रमसिंघे को लेकर हुए। उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किए जाने के बाद उनके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी।
राजनीतिक दलों के नेता उनसे इस्तीफा देने के लिए कह रहे हैं ताकि संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्दने कार्यावाहक राष्ट्रपति के तौर प्रभार संभाल सकें।
बहरहाल, प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि अंतरिम सरकार में ऐसे नेता ही शामिल हों, जो उन्हें स्वीकार्य हैं।
इस बीच, राष्ट्रपति राजपक्षे ने बुधवार को अपना इस्तीफा नहीं भेजा।
श्रीलंका के ‘द मॉर्निंग’ न्यूज पोर्टल के अनुसार, उनके बुधवार की शाम को अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंचने के बाद इस्तीफा देने की संभावना थी।
यहां मीडिया ने मालदीव में सूत्रों के हवाले से कहा कि राजपक्षे बुधवार रात को सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण माले से सिंगापुर जाने वाले विमान में सवार नहीं हो पाए।
ऐसा बताया जा रहा है कि राजपक्षे ने एक असैन्य विमान से उड़ान भरने को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की थीं और मालदीव सरकार से सिंगापुर जाने के लिए एक निजी विमान देने का अनुरोध किया।
इस बीच, प्रदर्शनकारियों का शनिवार से अब तक अहम प्रशासनिक इमारतों पर कब्जा बरकरार है। वीडियो में सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान दिखाया गया है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अंतरिम सरकार के गठन के बाद ही संपत्तियां प्राधिकारियों को सौंपेंगे।
राजपक्षे नयी सरकार द्वारा गिरफ्तार किए जाने की आशंका के चलते इस्तीफा देने से पहले विदेश चले गए।
उन्होंने संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को सूचित किया था कि वह बुधवार को इस्तीफा देंगे। उन्होंने यह घोषणा तब की थी जब प्रदर्शनकारी द्वीपीय देश में बिगड़े हालात को लेकर आक्रोश के बीच उनके आधिकारिक आवास में घुस गए थे।
मालदीव की राजधानी माले में सूत्रों ने बताया कि संकट से घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे की देश छोड़कर जाने में मालदीव की संसद के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मदद की।
गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह कहा था कि श्रीलंका अब दिवालिया हो चुका है।(भाषा)
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पाकिस्तानी पत्रकार के दावों और बीजेपी के आरोपों पर जवाब दिया है. हामिद अंसारी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उनके ख़िलाफ़ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं.
बयान में हामिद अंसारी ने कहा, "कल और आज मेरे ख़िलाफ़ व्यक्तिगत रूप से एक के बाद एक कई झूठ बोले गए. पहले मीडिया के एक वर्ग ने और बाद में बीजेपी के अधिकारिक प्रवक्ता ने."
पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा ने आरोप लगाया था कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने उन्हें साल 2005-2011 के बीच पाँच बार दिल्ली बुलाया और इस दौरान हुई बातचीत में ख़ुफ़िया और संवेदनशील जानकारियां साझा कीं.
पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा का दावा
पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा ने दावा किया था कि हामिद अंसारी से मिली जानकारियों को उन्होंने पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के साथ साझा किया था.
नुसरत मिर्ज़ा के इन दावों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने हामिद अंसारी और कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला और गंभीर सवाल उठाए हैं.
बीजेपी ने हामिद अंसारी पर देशहित के ख़िलाफ़ काम करने के आरोप लगाए हैं. भारतीय जनता पार्टी ने पाकिस्तानी पत्रकार और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बीच हुई मुलाक़ातों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया के हामिद अंसारी से सवाल
- पाकिस्तानी पत्रकार मिर्ज़ा ने कहा है कि भारत यात्रा के दौरान उन्होंने अंसारी से मुलाक़ात की और उन्होंने गोपनीय और संवेदनशील जानकारियां साझा की. हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि उपराष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद है और बहुत से ऐसे मुद्दे होते हैं जिनके बारे में जानकारी नहीं साझा की जा सकती क्योंकि वो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होते हैं.
- देश की जनता ये पूछना चाहती है कि आतंकवाद का ख़ात्मा करने के लिए क्या कांग्रेस की सरकार रही उसकी ये नीति थी? कांग्रेस देश की अति गोपनीय चीज़ों को दूसरे देश से साझा कर रही थी, जिसका वो आतंकवाद के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. इसीलिए देश की जनता आज व्यथित है.
- पाकिस्तान का पत्रकार बताता है कि अति संवेदनशील और गोपनीय जानकारी एक बार नहीं बल्कि पाँच बार साझा की गई. उसने ये जानकारी हामिद अंसारी जी से ली और इस जानकारी को भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया गया.
- भारत पूरे विश्व में आतंकवाद के ख़िलाफ़ जो मुहिम है उसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है. और कांग्रेस की सरकार 2005-11 के बीच में पांच बार ऐसे व्यक्ति को भारत आने का निमंत्रण देती है, देश की गोपनीय जानकारी साझा की जाती हैं.
- क्या आपने इस व्यक्ति को आमंत्रित किया और अधिकारिक या अनाधिकारिक रूप से संवेदनशील और गोपनीय जानकारियाँ साझा की?
भाटिया ने ये भी कहा कि अगर अंसारी ने ऐसा किया था तो उन्हें इस बारे में मौजूदा सरकार को जानकारी देनी चाहिए ताकि वो ये दर्शा सकें कि वो राष्ट्र के प्रति समर्पित हैं. उन्होंने पूछा कि क्या अंसारी को इस बारे में ख़ुफ़िया एजेंसियों ने सचेत किया था कि पत्रकार पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए काम कर रहा है?
कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए भाटिया ने सवाल किया कि क्या अंसारी ने सोनिया और राहुल के कहने पर पाकिस्तानी पत्रकार को आमंत्रित किया था?
हामिद अंसारी ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि भारत का राजदूत रहते हुए उन्होंने जो काम किए हैं उनकी वैश्विक और घरेलू स्तर पर सराहना हुई है.
हामिद अंसारी का जवाब
- ईरान में भारत का राजदूत रहते हुए मैंने जो भी काम किया वो उस समय की सरकार की जानकारी में था. ऐसे मामलों में मैं राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता से जुड़ा हूं और उन पर टिप्पणी करने से बचता हूं. भारत सरकार के पास इस बारे में सभी जानकारी है और वो ही सच बताने वाली एकमात्र अथॉरिटी है. ये एक स्थापित तथ्य है कि तेहरान में अपने कामकाज के बाद मुझे न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था. मैंने वहां जो काम किया है उसे देश और विदेश में सराहा गया है.
- ये कहा गया कि मैंने भारत का उपराष्ट्रपति रहते हुए पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्ज़ा को न्यौता दिया. ये कहा गया कि मैंने दिल्ली में आतंकवाद पर एक सम्मेलन में उनसे मुलाक़ात की और ईरान में भारत का राजदूत रहते हुए मैंने राष्ट्रीय हितों को धोखा दिया. इस मामले में आरोप भारत सरकार की एजेंसी के एक पूर्व अधिकारी ने लगाए हैं.
- ये एक ज्ञात तथ्य है कि उपराष्ट्रपति विदेशी हस्तियों को सरकार और आमतौर पर विदेश मंत्रालय की सलाह पर न्यौता देते हैं. मैंने 11 दिसंबर 2010 को आंतकवाद पर हुए सम्मेलन का उद्घाटन किया था. एक सामान्य प्रक्रिया के तहत इस सम्मेलन में आमंत्रित लोगों की सूची आयोजकों ने बनाई होगी, ना ही मैंने उसे न्यौता दिया था और ना ही उससे मुलाक़ात की थी.
कांग्रेस ने भी बीजेपी के आरोपों का जवाब दिया और बयान जारी करके कहा कि सोनिया गांधी और भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति और प्रतिष्ठित राजनयिक हामिद अंसारी पर लगाए गए आक्षेपों और झूठ फैलाने की कोशिश की कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए.
प्रधानमंत्री और बीजेपी प्रवक्ता के इस तरह के बयान सार्वजनिक विमर्श को कमजोर करेंगे. ये दुष्प्रचार घटिया दर्जे का चरित्र हनन है.
11 दिसंबर, 2010 को नई दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और मानवाधिकारों पर न्यायविदों को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में सभी तथ्य पहले ही सार्वजनिक तौर पर मौजूद हैं. साफ़ है बीजेपी इस मामले में झूठ फैला रही है.
बीजेपी नेताओं का ये रवैया उनमें व्याप्त मानसिक बीमारी और सत्यनिष्ठा के दिवालियापन को भी दर्शाता है.
हामिद अंसारी साल 2007 से 2017 तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे. इससे पहले वो संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि थे. हामिद अंसारी 38 साल तक भारत की विदेश सेवा में रहे और कई देशों में भारत के राजदूत रहे हैं. (bbc.com)
लंदन, 13 जुलाई। पूर्व चांसलर ऋषि सुनक ने बुधवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों के पहले दौर के मतदान में सर्वाधिक 88 मतों के साथ बढ़त बना ली। इसके साथ ही इस दौड़ में अब आठ उम्मीदवारों की जगह छह उम्मीदवार रह गए हैं।
सुनक के बाद वाणिज्य मंत्री पेनी मोर्डेंट ने 67 और विदेश मंत्री लिज ट्रस ने 50 वोट हासिल किए। पूर्व मंत्री केमी बडेनोच को 40 और बैकबेंचर टॉम तुगेंदत को 37 वोट मिले। वहीं अटॉर्नी जनरल सुएला ब्रैवरमैन के खाते में 32 वोट आए।
इस बीच, वर्तमान चांसलर नादिम जाहावी और पूर्व कैबिनेट मंत्री जेरेमी हंट पहले दौर के मतदान के बाद नेतृत्व की दौड़ से हट गए हैं। वे लोग अगले चरण में जगह बनाने के लिए आवश्यक 30 वोट हासिल करने में विफल रहे। उन्हें क्रमश: 25 और 18 वोट मिले।
हालांकि सुनक ने अपने टोरी संसदीय सहयोगियों के बीच एक स्थिर बढ़त बनाए रखी है, लेकिन कंजर्वेटिव पार्टी की सदस्यता का आधार पेनी मोर्डंट के पक्ष में दिखाई देता है।
मतपत्र के जरिए अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनने के लिए संसद के 358 कंजर्वेटिव सदस्यों की ओर से मतदान का अगला दौर बृहस्पतिवार को निर्धारित है। (भाषा)
जिनेवा, 13 जुलाई | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को कहा कि लगभग 35 देशों में बच्चों में गंभीर तीव्र हेपेटाइटिस के 1,010 संभावित मामले सामने आए हैं, जबकि 22 बच्चों की इस बीमारी से मौत हो गई है।
24 जून को डब्ल्यूएचओ के पिछले अपडेट के बाद से, डब्ल्यूएचओ को 90 नए संभावित मामले और चार अतिरिक्त मौतों की सूचना मिली है।
इसके अतिरिक्त, दो नए देशों, लक्जमबर्ग और कोस्टा रिका ने संभावित मामलों की सूचना दी है।
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, "5 अप्रैल (जब शुरूआत में प्रकोप का पता चला था) और 8 जुलाई के बीच, 35 देशों में 1,010 संभावित मामले और 22 मौतें हुई हैं।"
हालांकि, वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने उल्लेख किया कि मामलों की वास्तविक संख्या को आंशिक रूप से सीमित निगरानी प्रणाली के कारण कम करके आंका जा सकता है।
करीब 46 बच्चों को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। यूरोप (484) ने सबसे अधिक मामलों की सूचना दी, जिसमें अकेले यूके से 272 मामले शामिल हैं, इसके बाद अमेरिका (435) का स्थान है।
हालांकि, अमेरिकी क्षेत्र (13) में सबसे अधिक मौतें हुई हैं, इसके बाद दक्षिण-पूर्व एशिया में इंडोनेशिया और मालदीव (6) हैं।
यूरोपीय क्षेत्र में, 193 मामलों में पीसीआर द्वारा एडेनोवायरस का सबसे अधिक पता चला था, जबकि इस क्षेत्र में 54 मामलों में सार्स सीओवी-2 का पता चला था। (आईएएनएस)
कीव, 13 जुलाई। यूक्रेन में रूसी सेना की ताजा गोलाबारी में कम से कम पांच नागरिकों की मौत हो गई जबकि 18 अन्य लोग घायल हो गये। यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय ने बुधवार को यह जानकारी दी।
दोनेत्स्क प्रशासनिक प्रमुख पावले कायरीलेंको ने कहा कि ज्यादातर लोगों की मौत दोनेत्स्क प्रांत में हुई। यह प्रांत उस क्षेत्र का हिस्सा है जहां रूस समर्थित अलगाववादी पिछले आठ वर्षों से विद्रोह कर रहे हैं। रूसी सैनिकों ने बाखमत शहर में भी भारी गोलाबारी की है।
पड़ोसी नुहांस्क प्रांत के गवर्नर सेरहीय हैदई ने कहा कि यूक्रेनी सैनिक रूसी गोलाबारी के बीच दो गांवों पर पुन: नियंत्रण करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
रूसी तोपखाने ने उत्तर-पूर्व यूक्रेन में भी गोले बरसाये हैं जहां के क्षेत्रीय गवर्नर ओलेग सायनीहुबोव ने रूसी सैनिकों पर खारकिव में नागरिकों को आतंकित करने का आरोप लगाया है।
रूसी सैनिकों के यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में बढ़ने के बीच यूक्रेनी सेना ने दक्षिण में एक शहर पर फिर से अपना नियंत्रण करने का दावा किया है। यूक्रेन की सेना ने मंगलवार को दावा किया कि उसने नोवा काखोवका में एक रूसी गोला-बारूद डिपो को नष्ट करने के लिए मिसाइल दागी।
वहीं, रूस की समाचार एजेंसी तास ने कहा है कि कथित विस्फोट एक उवर्रक भंडारण स्थल पर हुआ।
इस बीच, अन्य घटनाक्रमों के तहत पूर्वी यूक्रेन के दोनेत्स्क में मास्को समर्थित अलगाववादी सरकार के नेता ने कहा कि आतंकवाद के मामले में दोषी करार दिये गये विदेशी लड़ाकों ने अपनी मौत की सजा के खिलाफ अपील की है।
यदि स्वघोषित दोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक की अपीलीय अदालत ने अपील खारिज कर दी तो ब्रिटेन के दो नागरिकों एवं मोरक्को के एक नागरिक की मौत की सजा क्रियान्वित कर दी जाएगी।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि ज्यादातर यूक्रेनी शरणार्थी स्वदेश लौटना चाहते हैं लेकिन वे स्थिति में सुधार का इंतजार कर रहे हैं। (एपी)
सैन फ्रांसिस्को, 13 जुलाई | एलन मस्क द्वारा संचालित टेस्ला ने अपनी ऑटोपायलट टीम से 229 कर्मचारियों को निकाल दिया है और अमेरिका में अपने एक कार्यालय को बंद कर दिया है। अमेरिका में कैलिफोर्निया राज्य में एक नियामक फाइलिंग के अनुसार टेस्ला ने अपने सैन मेटो कार्यालय से कर्मचारियों को निकाल दिया, जिसमें 276 कर्मचारी कार्यरत थे।
रिपोर्ट के अनुसार, शेष 47 कर्मचारियों को टेस्ला के बफेलो ऑटोपायलट कार्यालय में काम पर भेजा जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "अधिकांश श्रमिक मामूली कम कुशल, कम वेतन वाली नौकरियों में थे।"
छंटनी वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में 10 प्रतिशत की कमी का हिस्सा है, जिसकी घोषणा टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने पिछले महीने की थी।
मस्क की घोषणा के बाद टेस्ला ने वेतनभोगी कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी, जिसके परिणामस्वरूप टेस्ला के कुल कर्मचारियों की संख्या लगभग 3.5 प्रतिशत कम हो जाएगी।
टेस्ला अपनी सुविधाओं में 1,00,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है।
पूर्व टेस्ला कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की एक टीम ने अमेरिकी अदालत से निकाल दिए गए श्रमिकों के लिए आपातकालीन सुरक्षा की मांग की है। इन्हें पिछले महीने नौकरी से निकाल दिया गया था।
वादी ने आरोप लगाया कि कंपनी ने छंटनी के दौरान संघीय कानून द्वारा आवश्यक 60 दिनों का अग्रिम नोटिस प्रदान नहीं किया।
टेस्ला के कर्मचारियों जॉन लिंच और डैक्सटन हर्ट्सफील्ड को पिछले महीने अमेरिका के नेवादा राज्य में टेस्ला के गिगाफैक्ट्री 2 से 500 से अधिक अन्य कर्मचारियों के साथ जाने के लिए कहा गया था।
(आईएएनएस)
लंदन, 13 जुलाई | कंजरवेटिव पार्टी का नेता बनने और निवर्तमान बोरिस जॉनसन की जगह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल होने के लिए आठ उम्मीदवारों को नामित किया गया है। कम से कम 20 कंजर्वेटिव सांसदों के आवश्यक समर्थन को सफलतापूर्वक सूचीबद्ध करने वाले आठ दावेदार हैं : राजकोष के पूर्व चांसलर ऋषि सनक, विदेश सचिव लिज ट्रस, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री पेनी मोर्डान्ट, बैकबेंच सांसद टॉम तुगेंदहत, अटॉर्नी जनरल सुएला ब्रेवरमैन, नव नियुक्त चांसलर नादिम जहावी, पूर्व समानता मंत्री केमी बडेनोच और पूर्व विदेश सचिव जेरेमी हंट।
टोरी सांसदों के बीच पहले दौर का मतदान बुधवार को होगा और केवल वही दावेदार दूसरा मतपत्र हासिल कर सकते हैं, जिन्हें कम से कम 30 वोट मिले हैं। परिणाम गुरुवार को आने की संभावना है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 21 जुलाई को ग्रीष्म अवकाश के लिए ब्रिटिश सांसदों के अलग होने से पहले गुप्त मतदान के और दौर के माध्यम से दावेदारों की संख्या को घटाकर दो कर दिया जाएगा।
अंतिम दो दावेदार तब गर्मियों में सभी कंजर्वेटिव सदस्यों के डाक मतपत्र से गुजरेंगे, जिनकी संख्या लगभग 200,000 है और विजेता की घोषणा 5 सितंबर को की जाएगी, जो नए टोरी नेता और यूके के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे।
टोरी नेतृत्व की दौड़ तब शुरू हुई, जब जॉनसन को अपने घोटाले से त्रस्त नेतृत्व के विरोध में कैबिनेट मंत्रियों और अन्य कनिष्ठ सरकारी अधिकारियों के इस्तीफे के कारण जॉनसन को अपरिहार्य रूप से झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा। जॉनसन तब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे, जब तक कि कोई नया टोरी नेता उनका उत्तराधिकारी नहीं बन जाता।
जॉनसन, जिन्होंने 2019 में आम चुनावों में शानदार जीत हासिल की, पाटीर्गेट घोटाले और पूर्व कंजरवेटिव पार्टी के उप मुख्य सचेतक द्वारा यौन दुराचार के आरोपों से संबंधित क्रिस पिंचर घोटाले सहित कई घोटालों में पकड़े जाने के बाद समर्थन खो दिया। (आईएएनएस)
पोर्ट ऑ प्रिंस (हैती), 13 जुलाई। हैती की राजधानी में दो गुटों के बीच चार दिन तक चली एक हिंसक झड़प के दौरान, दर्जनों लोगों की जान चली गई। स्थानीय अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। देश में बढ़ रही हिंसा की घटनाओं का यह ताजा उदाहरण है।
पोर्ट ऑ प्रिंस के सिटी सोलेल जिले के उप महापौर ज्यां हिस्लेन फ्रेडरिक ने कहा कि दो विरोधी गिरोहों के सदस्यों के बीच शुक्रवार को झड़प प्रारंभ हुई जिसमें कम से कम 50 लोगों की मौत हो चुकी है और 50 से ज्यादा घायल हो चुके हैं। राष्ट्रपति जोवेनेल मोसे की हत्या की पहली बरसी के एक दिन बाद हिंसा शुरू हुई।
मोसे की हत्या के बाद से हैती में हिंसक झड़प की घटनाएं बढ़ गई हैं और सरकार इन्हें रोकने के लिए बल प्रयोग कर रही है। सहायता समूह ‘डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने कहा कि सिटी सोलेल में हजारों लोग फंसे हैं जिनके पास भोजन, पानी और चिकित्सा उपलब्ध नहीं है।
संगठन ने सहायता के लिए अन्य समूहों का भी आह्वान किया है और एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि उसके तीन सदस्य सिटी सोलेल के ब्रुकलिन क्षेत्र में घायलों का इलाज कर रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि ‘जी-9’ और ‘जी-पेप’ नामक विरोधी गिरोहों के बीच झड़प हुई। (एपी)
-रियाज़ सुहैल
"जब ये पैदा हुई थी, उस समय ठीक थी. लेकिन जब ये आठ या दस महीने की हुई, तो हमें उसकी गर्दन में झुकाव महसूस हुआ. इससे पहले ये अपनी बहन के हाथों से गिर गई थी, हमें लगा कि शायद यह उसी की वजह से हो. हम इसे एक स्थानीय डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने दवा के साथ उसके गले के लिए एक बेल्ट दी. हम ग़रीब लोग हैं आगे इलाज नहीं करा सके."
ये कहना था पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थार रेगिस्तान में रहने वाली 13 वर्षीय अफ़शीन की मां जमीला बीबी का, जिनकी बेटी का सिर बचपन से ही 90 डिग्री बाईं ओर झुका हुआ था.
लेकिन अब अफ़शीन एक सामान्य जीवन जी रही हैं और यह तब संभव हुआ जब भारत के अपोलो अस्पताल में एक भारतीय डॉक्टर अफ़शीन के जीवन में एक 'फरिश्ता' बनकर आए.
और उन्होंने उसके झुके हुए सिर का सफल ऑपरेशन कर के उसे एक नया जीवन दिया.
अफ़शीन पिछले 12 साल से इसी हालत में थीं, जिसकी वजह से उनका चलना, खाना और बात करना मुश्किल हो गया था.
अफ़शीन की मां जमीला बीबी कहती हैं, "वो बचपन से ही ज़मीन पर लेटी रहती थी. वहीं खाना-पीना होता था."
अफ़शीन के पिता एक आटा चक्की में काम करते थे लेकिन कैंसर से पीड़ित होने के बाद अब वह बेरोज़गार हैं.
उन्होंने बताया कि बचपन में उन्होंने लड़की को एक कुम्हार को दिखाया जिसने उसकी गर्दन को झटका दिया, जिससे परेशानी और बढ़ गई, क्योंकि पहले वह अपनी गर्दन हिला सकती थी लेकिन इसके बाद उसकी गर्दन एक तरफ झुक गई.
मेडिकल कैंप और सोशल मीडिया अभियान
मट्ठी शहर की रहने वाली 13 वर्षीय अफ़शीन 2017 में उस समय मीडिया में आई जब उन्हें स्थानीय स्तर पर आयोजित मेडिकल कैंप में जांच और इलाज के लिए लाया गया था, जहां डॉक्टर दिलीप कुमार ने उनकी जांच की, इसके बाद से उनकी बीमारी और परेशानी की ख़बरें मीडिया में आने लगीं.
अभिनेता अहसान ख़ान ने फ़ेसबुक पर अफ़शीन की एक फ़ोटो शेयर की जिसमें उन्होंने इस लड़की के दर्द और बीमारी के बारे में बताया और लिखा, "अफ़शीन को हमारी मदद की ज़रूरत है. इसके अलावा उसके पिता को भी कैंसर है."
पाकिस्तान के निजी टीवी चैनल एआरवाई के कार्यक्रम 'द मॉर्निंग शो' की होस्ट सनम बलूच ने भी अफ़शीन और उनकी मां जमीला बीबी को आमंत्रित किया. जिसके बाद सोशल मीडिया पर अफ़शीन की तकलीफ़ और बीमारी पर बहुत बातें होने लगीं.
सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर जब अफ़शीन की तस्वीरें वायरल हुईं तो पीटीआई से पीपीपी में शामिल होने वाली नेशनल असेंबली की सदस्या नाज़ बलोच ने ट्विटर पर संदेश लिखा कि "सिंध सरकार की तरफ़ से अफ़शीन का पूरा इलाज कराया जाएगा". इसके बाद उन्हें आग़ा ख़ान अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने उनकी जांच की.
नाज़ बलूच ने अस्पताल में बीबीसी को बताया था कि पीपीपी की नेता फ़रहाल तालपुर ने संज्ञान लिया है और अब वह ख़ुद अफ़शीन के पूरे इलाज की निगरानी कर रही हैं.
अफ़शीन कुछ समय आग़ा ख़ान अस्पताल में रहीं, इसके बाद उनके माता-पिता उन्हें अपने साथ ले गए. अफ़शीन के भाई याक़ूब कंभर ने बीबीसी को बताया कि "आग़ा ख़ान अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान उनकी जान बचने की संभावना 50 प्रतिशत है."
अफ़शीन के माता-पिता ने इसके बारे में सोचने के लिए डॉक्टरों से समय मांगा और उसके बाद बहन की शादी में व्यस्त हो गए और अफ़शीन का इलाज पूरा नहीं हो सका.
उनके भाई का कहना है कि बहन की शादी के बाद उन्होंने परिवार को समझाया. फिर पीपीपी के नेताओं और सिंध सरकार से संपर्क किया, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब न मिलने पर वो निराश हो गए.
'भारतीय डॉक्टर फ़रिश्ता साबित हुए'
ब्रितानी अख़बार की एक रिपोर्टर अलेक्ज़ेंड्रिया थॉमस ने 2019 में अफ़शीन कंभर के स्वास्थ्य और उनके परिवार की वित्तीय स्थिति पर स्टोरी की जिसके बाद अफ़शीन एक बार फिर चर्चा में आ गईं.
याक़ूब कंभर के मुताबिक़, ऑस्ट्रेलिया के किसी व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया और कहा कि वो यहां आ जाएं उनका इलाज कराया जाएगा और कराची में दारुल सुकून संस्था से संपर्क करने की सलाह दी.
"हम दारुल सुकून गए. उन्होंने कहा कि पासपोर्ट बनवा लो. उसके बाद वीज़ा की प्रक्रिया शुरू हुई. इसी दौरान दुनिया में कोविड की महामारी फैल गई और हमारा काम वहीं रुक गया."
याक़ूब के मुताबिक, "पिछले साल, अलेक्जेंड्रिया थॉमस ने भारत की राजधानी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में डॉक्टर गोपालन कृष्णन से संपर्क किया और हमें बताया कि वह आपसे बात करेंगे. फिर उन्होंने स्काइप पर हमसे बात की और कहा कि आप भारत आएं, यहां मुफ़्त इलाज होगा."
याक़ूब कंभर के अनुसार, "उन्होंने भी कहा कि ऑपरेशन के दौरान उनका दिल धड़कना बंद हो सकता है, फेफड़े काम करना बंद कर सकते हैं और इसके अलावा उन्होंने देखने के लिए कुछ यूट्यूब वीडियो भी भेजे."
"हमने मेडिकल आधार पर वीज़ा के लिए आवेदन किया और वीज़ा मिलते ही हम दिल्ली के लिए रवाना हो गए. हमारी पाकिस्तान की सरकार या किसी अन्य संगठन ने कोई मदद नहीं की थी. विदेशों से लोग हमारी मदद कर रहे थे जिसके ज़रिये से हम पिछले साल नवंबर में भारत पहुंचे."
भारत में ऑपरेशन और सहायता के लिए अपील
फंड इकट्ठा करने वाली वेबसाइट 'गो फ़ंड फ़ॉर मी' पर याक़ूब कंभर ने मदद की अपील की. पहले चरण में उन्हें 29 हज़ार डॉलर मिले. भारत में इलाज और ख़र्च के लिए उन्होंने दोबारा अपील की.
अफ़शीन की एक तरफ़ झुकी हुई गर्दन की एक बड़ी सर्जरी से पहले उनके दो ऑपरेशन किए गए. इसके बाद एक बड़ा ऑपरेशन किया गया.
याक़ूब कंभर का कहना है कि इस दौरान उनका कई डॉक्टरों से संपर्क हुआ, लेकिन उन्होंने डॉक्टर कृष्णन जैसा उत्कृष्ट और रहम दिल डॉक्टर नहीं देखा. उनकी कोशिशों से ये ऑपरेशन सफल रहा.
ऑपरेशन की सफलता के बाद डॉक्टर कृष्णन ने मीडिया को बताया था कि उनसे मिलने के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि अगर इलाज नहीं किया जाता, तो वह ज़्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकती थी. उनके अनुसार "शायद दुनिया में ये अपनी तरह का पहला मामला है."
दिमाग़ी तकलीफ़ के कारण अफ़शीन ने छह साल की उम्र में चलना और बोलना सीखा, लेकिन उसकी गर्दन एक साल की उम्र में ही झुकने लगी थी.
सबसे पहले दिसंबर की शुरुआत में उन्हें हेलो-ग्रैविटी ट्रैक्शन लगाना पड़ा, ताकि कुछ समय के लिए उनकी गर्दन सीधी हो जाए.
डॉक्टर कृष्णन की टीम में डॉक्टर मनोज शर्मा, डॉक्टर जयललिता, डॉक्टर चेतन मेहरा और डॉक्टर भानु पंत शामिल थे, इस टीम ने 28 फरवरी को छह घंटे के ऑपरेशन के दौरान अफ़शीन की गर्दन को उसकी रीढ़ की हड्डी से जोड़ दिया. इसके बाद गर्दन को सीधा रखने के लिए एक रॉड और पेंच का इस्तेमाल करके गर्दन को सर्वाइकल रीढ़ की हड्डी से जोड़ा गया.
याक़ूब कंभर ने ट्विटर पर अफ़शीन की मुस्कुराते हुए एक तस्वीर पोस्ट की जिसके साथ लिखा, "इस मुस्कान का क्रेडिट डॉक्टर गोपालन कृष्णन को जाता है, जिन्होंने सर्जरी करके गर्दन को सीधा किया है."
"आप बहुत अच्छे इंसान हैं. पूरा इलाज मुफ्त है. इसी लिए तो हमने आपको कहा कि आप हमारे लिए फरिश्ता बनकर आये हैं. डॉक्टर कृष्णन हर रविवार को स्काइप पर अफ़शीन की जांच करते हैं."
याक़ूब ने रुकावटों और मुश्किलों के बावजूद हार नहीं मानी लगातार कोशिश करते रहे और आख़िरकार पाकिस्तान के एक पिछड़े इलाक़े का एक युवक जो खाली हाथ था, अपनी बहन का ऑपरेशन कराने में कामयाब हो गया, याक़ूब के अनुसार अब वह मुस्कुराती है और और बात करती है. (bbc.com)
सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने टेस्ला प्रमुख एलन मस्क की कंपनी के साथ 44 अरब डॉलर के क़रार को पूरा करवाने के लिए अदालत का रुख किया है.
ट्विटर ने अमेरिका के डेलावेयर कोर्ट से मांग की है कि वो एलन मस्क को 54.20 डॉलर के हिसाब से प्रति ट्विटर शेयर पर समझौता पूरा करने का आदेश दे.
ट्विटर ने कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला तब लिया जब शुक्रवार को एलन मस्क ने घोषणा की कि वे ट्विटर को नहीं खरीद रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि क़रार से जुड़ी शर्तों को कई बार तोड़ा गया जिसकी वजह से वो पीछे हट रहे हैं. उन्होंने कहा कि ट्विटर ने फर्जी खातों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं दी थी
एलन मस्क ने ट्विटर को ख़रीदने के लिए अप्रैल में क़रार किया था. ये करार 44 अरब डॉलर में हुआ था. मगर अगले महीने मई में उन्होंने कहा कि ये सौदा "अस्थायी तौर पर होल्ड" पर है क्योंकि वो ट्विटर के फ़ेक और स्पैम खातों की संख्या से संबंधित आँकड़ों की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
मुकदमे में एलन मस्क पर विलय समझौते के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं. साथ ही कहा गया है कि मस्क इसलिए इस डील से पीछे हटे हैं क्योंकि यह अब उनके व्यक्तिगत हितों को पूरा नहीं करता है.
ट्विटर के चेयरमेन ब्रेट टेलर ने ट्वीट किया कि माइक्रोब्लॉगिंग साइट एलन मस्क को समझौते के प्रति जो दायित्व हैं उसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहती है.
एलन मस्क इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं
मुकदमे में कहा गया है कि एलन मस्क के डील के लिए सहमत होने के बाद टेस्ला के शेयरों के साथ साथ शेयर बाजार में गिरावट आई है जिससे टेस्ला में उनकी हिस्सेदारी घटी है. एलन मस्क की संपत्ति में नवंबर 2021 के हाई प्वाइंट से 100 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है जिसकी वजह से वे इस डील से बाहर आना चाहते हैं.
साथ ही ये भी कहा गया है कि बाजार में आई मंदी को एलन मस्क खुद नहीं उठाना चाहते बल्कि ट्विटर के शेयरधारकों को ट्रांसफर करना चाहते हैं जो विलय समझौते के खिलाफ है.
कौन हैं एलन मस्क और क्या-क्या करते हैं?
एलन मस्क वैसे तो एक कार निर्माता कंपनी के मालिक हैं लेकिन उनके काम का दायरा सिर्फ़ भविष्य की कारें बनाने वाली कंपनी तक सीमित नहीं है.
उनकी कंपनी टेस्ला इलेक्ट्रिक कारों में लगने वाले पुर्ज़े और बैट्रियाँ भी बनाती है जिन्हें दूसरे कार निर्माताओं को बेचा जाता है.
वे घरों में लगने वाले 'सोलर एनर्जी सिस्टम' बनाते हैं जिसकी माँग वक़्त के साथ बढ़ी है. वे एक अंतरिक्ष अन्वेषण कंपनी भी चलाते हैं. साथ ही वे अमेरिका में 'सुपर-फ़ास्ट अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्ट सिस्टम' का ख़ाका तैयार कर रहे हैं.
आज के समय में एलन मस्क की पहचान एक अमेरिकी उद्यमी के तौर पर है, पर उनका जन्म दक्षिण अफ़्रीका में हुआ था. उनकी माँ मूल रूप से कनाडा की हैं और पिता दक्षिण अफ़्रीका के. मस्क के अनुसार, उन्हें बचपन से ही किताबें पढ़ने का बहुत शौक़ था.
वे कहते हैं कि 'बचपन में मैं बहुत ज़्यादा शांत रहता था, इस वजह से मुझे बहुत परेशान भी किया गया.'
10 साल की उम्र में एलन मस्क ने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखी और 12 साल की उम्र में उन्होंने 'ब्लास्टर' नामक एक वीडियो गेम तैयार किया जिसे एक स्थानीय मैग्ज़ीन ने उनसे पाँच सौ अमेरिकी डॉलर में ख़रीदा. इसे मस्क की पहली 'व्यापारिक उपलब्धि' कहा जा सकता है.
साल 2004 में एलन मस्क ने इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला की बुनियाद रखी और उन्होंने कहा, "भविष्य में सब कुछ इलेक्ट्रिक होगा, स्पेस में जाने वाले रॉकेट भी और टेस्ला इस बदलाव को लाने में अहम भूमिका निभायेगी."
एलन मस्क अक्सर अपने ट्वीट्स के लिए चर्चा में भी आते रहते हैं. उन्होंने ट्विटर खरीदने की जानकारी भी ट्वीट करके ही दी थी.
एलन मस्क ने ट्विटर को 44 अरब डॉलर में खरीदने का ऑफ़र दिया था. उन्होंने कहा था कि ट्विटर में "जबरदस्त क्षमता" है जिसे वह अनलॉक करेंगे.
ट्विटर ने जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को प्लेटफॉर्म से बैन किया था उसी समय मस्क, जो खुद को "फ्रीडम ऑफ़ स्पीच का बड़ा पक्षधर बताते हैं". उन्होंने कहा था कि वह इस मंच को सुधारना चाहते हैं.
ट्विटर पर उनके 100 मिलियन यानी 10 करोड़ फॉलोअर्स हैं. वो यहां खूब सक्रिय रहते हैं और कई बार विवादित ट्वीट भी करते हैं. (bbc.com)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 13 जुलाई। ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री चुनने के लिए मंगलवार शाम को नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया समाप्त होने पर उम्मीदवारों की शुरुआती छंटनी के बाद भारतीय मूल के दो सांसदों-पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक और अटॉर्नी जनरल सुएला ब्रेवरमैन ने आठ दावेदारों में अपनी जगह बना ली।
सुनक और ब्रेवरमैन के अलावा इस सूची में विदेश मंत्री लिज ट्रस, नए वित्त मंत्री नाधिम जहावी, वाणिज्य मंत्री पेनी मोर्डेंट, पूर्व कैबिनेट मंत्री केमी बादेनोक, जेरेमी हंट और सांसद टॉम टुगेंदत शामिल हैं।
सुनक दौड़ में आगे बने हुए हैं और ऐसा बताया है कि उनके पास सर्वाधिक सांसदों का समर्थन है। 42 वर्षीय सुनक ने अपने प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘मैं सकारात्मक प्रचार अभियान चला रहा हूं जो इस बात पर केंद्रित है कि मेरे नेतृत्व से पार्टी और देश को क्या लाभ हो सकता है।’’
इस सूची में जगह बनाने के लिए कम से कम आठ सांसदों के समर्थन की आवश्यकता थी। शुरुआती छंटनी के बाद बचे आठ उम्मीदवारों के बीच अब बुधवार को पहले दौर के मतदान में मुकाबला होगा और केवल वे ही दूसरे दौर में जा सकेंगे, जिनके पास कम से कम 30 सांसदों का समर्थन होगा।
नामांकन प्रक्रिया बंद होने से कुछ ही समय पहले पाकिस्तानी मूल के दो उम्मीदवारों-पूर्व स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद और विदेश कार्यालय के मंत्री रहमान चिश्ती ने अपने नाम वापस ले लिए, क्योंकि वे 20 सांसदों का समर्थन हासिल नहीं कर पाए।
ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री का चुनाव पांच सितंबर को किया जाएगा। कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों द्वारा मतदान का पहला चरण बुधवार को होना है। बृहस्पतिवार को दूसरे चरण के मतदान के बाद चरणबद्ध तरीके से अंतिम दो उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। (भाषा)
मेक्सिको सिटी, 13 जुलाई। मेक्सिको सिटी में मंगलवार को पुलिस और कई बंदूकधारियों के बीच मुठभेड़ हुई। अधिकारियों ने बताया कि बंदूकधारियों के पास 0.50 कैलिबर की एक स्नाइपर राइफल, ग्रेनेड और एक मशीन गन थी।
शहर के पुलिस प्रमुख ओमर गार्सिया हरफुक ने कहा कि गोलीबारी में चार अधिकारी घायल हो गए, जिनमें से एक गंभीर रूप से घायल है। उन्होंने कहा कि इस अभियान में कुल 150 अधिकारी, सैनिकों और तीन हेलीकॉप्टर ने हिस्सा लिया। स्थानीय निवासियों ने पुलिस को सूचना दी थी कि क्षेत्र में बंदूकधारी व्यक्तियों ने अपहृत लोगों को बंधक बना कर रखा है, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
गार्सिया हरफुक ने कहा कि 14 संदिग्धों को हिरासत में ले लिया गया है और अधिकारियों ने दो अपहृत लोगों को मुक्त कराया। उन्होंने कहा कि गिरोह के सदस्य छिपने के लिए एक रेस्तरां का इस्तेमाल कर रहे थे जिसके नजदीक भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद किए गए हैं। (एपी)
कोलंबो, 13 जुलाई। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे मालदीव की राजधानी माले पहुंच गए हैं। यहां सूत्रों ने बुधवार सुबह यह जानकारी दी।
गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर कब्जा जमाने के बाद राजपक्षे ने बुधवार को इस्तीफा देने की घोषणा की थी।
सूत्रों ने मालदीव के सूत्रों के हवाले से बताया कि गत रात वेलाना हवाई अड्डे पर मालदीव सरकार के प्रतिनिधियों ने राजपक्षे की अगवानी की।
इससे पहले सोमवार रात को राजपक्षे और उनके भाई बासिल ने राजपक्षे परिवार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच देश छोड़ने की कोशिश की, लेकिन हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया। बासिल देश के पूर्व वित्त मंत्री हैं।
अभी तक राजपक्षे के श्रीलंका छोड़ने पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गयी है। (भाषा)
-एंड्रयू फ़िडेल फ़र्नांडो
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे आर्थिक संकट को लेकर भारी विरोध-प्रदर्शन के बीच एक सैन्य जेट से देश छोड़कर भाग गए हैं.
बीबीसी का मानना है कि 73 साल के गोटाबाया राजपक्षे मालदीव की राजधानी माले में बुधवार को स्थानीय समय 03:00 बजे पहुँचे हैं.
राजपक्षे के भागने के साथ ही श्रीलंका में दशकों से चला आ रहा एक परिवार के शासन का अंत हो गया है. शनिवार को श्रीलंका के आम लोगों ने राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया था और गोटाबाया राजपक्षे को छुपना पड़ा था.
गोटाबाया ने आज यानी 13 जुलाई को इस्तीफ़ा देने की घोषणा की थी.
बीबीसी को सूत्रों ने बताया है कि गोटाबाया राजपक्षे के भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने भी देश छोड़ दिया है. बासिल के अमेरिका जाने की बात कही जा रही है.
राष्ट्रपति के देश से भागने की ख़बर आने के बाद गॉल फ़ेस ग्रीन में लोगों ने जश्न मनाया. गॉल श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में विरोध-प्रदर्शन का मुख्य ठिकाना है.
मंगलवार की शाम हज़ारों लोग गॉले पार्क में जमा हो गए थे और राष्ट्रपति के इस्तीफ़े का इंतज़ार कर रहे थे.
श्रीलंका के लोग राजपक्षे शासन को देश में आर्थिक तबाही का ज़िम्मेदार मानते हैं. श्रीलंका दशकों बाद सबसे भयावह आर्थिक संकट से जूझ रहा है. महीनों से श्रीलंका के लोग रोज़ाना बिजली कट, बुनियादी चीज़ों में तेल, खाने-पीने के सामान और दवाइयों की कमी से जूझ रहे हैं.
कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति गोटाबाया इस्तीफ़े से पहले देश छोड़ना चाहते थे ताकि नया प्रशासन उन्हें गिरफ़्तार नहीं कर सके. राष्ट्रपति रहते उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता था.
श्रीलंका से जुड़ी बुनियादी बातें
- दक्षिण भारत की तरफ़ श्रीलंका एक द्विपीय देश है: 1948 में श्रीलंका ब्रिटिश शासन से आज़ाद हुआ था. यहाँ तीन नस्ली समूह हैं- सिंहला, तमिल और मुस्लिम. 2.2 करोड़ की आबादी वाले देश में ये तीनों समुदाय 99 फ़ीसदी हैं.
- सालों से एक एक ही परिवार के भाइयों का प्रभुत्व: तमिल अलगाववादी विद्रोहियों और सरकार के बीच सालों के ख़ूनी गृहयुद्ध का अंत 2009 में हुआ था. महिंदा राजपक्षे तब बहुसंख्यक सिंहला लोगों के बीच इस गृह युद्ध को ख़त्म कराने के मामले में नायक की तरह उभरे थे. उस दौरान महिंदा राजपक्षे के भाई गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के रक्षामंत्री थी. अब राष्ट्रपति के तौर पर गोटाबाया को देश छोड़कर भागना पड़ा है.
- राष्ट्रपति की शक्तियां: श्रीलंका में राष्ट्रपति मुल्क, सरकार और सेना का मुखिया होता है लेकिन कई तरह की शक्तियां प्रधानमंत्री के साथ साझी होती हैं. प्रधानमंत्री संसद में सत्ताधारी पार्टी का मुखिया होता है.
- आर्थिक संकट के कारण सड़क पर लोग: खाने-पीने के सामान, दवाइयां और ईंधन की आपूर्ति न के बराबर है और महंगाई सातवें आसमान पर. आम आदमी ग़ुस्से में सरकार के ख़िलाफ़ सड़क पर है. श्रीलंका के लोग आर्थिक संकट के लिए राजपक्षे परिवार को ज़िम्मेदार मान रहे हैं.
राष्ट्रपति के भागने से श्रीलंका के शासन में किसी के ना होने का ख़तरा भी महसूस किया जा रहा है. श्रीलंका में एक ऐसी सरकार की ज़रूरत है जो आर्थिक संकट का समाधान खोजे.
दूसरी पार्टियों के नेता एक मिलीजुली सरकार बनाने के लिए बात कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हो पाया है. अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि नई सरकार को जनता स्वीकार करेगी या नहीं.
पीएम रनिल विक्रमसिंघे के हाथ में राष्ट्रपति के अधिकार
संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे राष्ट्रपति के नहीं होने की भूमिका में उसकी शक्तियों का इस्तेमाल करेंगे. प्रधानमंत्री को ही संसद में राष्ट्रपति के डेप्युटी के तौर पर देखा जाएगा.
हालाँकि श्रीलंका में विक्रमसिंघे भी काफ़ी अलोकप्रिय हैं. शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे के निजी आवास में आग लगा दी थी. विक्रमसिंघे का परिवार घर में नहीं था.
विक्रमसिंघे ने कहा है कि वह एक मिलीजुली सरकार के लिए इस्तीफ़ा देने को तैयार हैं. हालाँकि उन्होंने कोई तारीख़ नहीं बताई है.
श्रीलंका में संविधान के विशेषज्ञों का कहना है कि संसद के अध्यक्ष अगला कार्यवाहक राष्ट्रपति हो सकते हैं. हालाँकि महिंदा यापा अबेयवार्देना राजपक्षे के एक सहयोगी हैं. अभी स्पष्ट नहीं है कि जनता इन्हें स्वीकार करेगी या नहीं.
कोई भी कार्यवाहक राष्ट्रपति बनता है तो 30 दिन के भीतर संसद के सदस्यों में से एक राष्ट्रपति का चुनाव करना होगा. इसमें जिसे भी चुना जाएगा वह राजपक्षे के 2024 के कार्यकाल तक राष्ट्रपति रहेगा.
सोमवार को मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा ने बीबीसी से कहा था वह राष्ट्रपति के लिए मैदान में आ सकते हैं. लेकिन उनके साथ भी जनता का समर्थन रहेगा या नहीं इस पर संदेह है.
श्रीलंका में नेताओं को लेकर आम लोगों में विश्वास की भारी कमी है. आम लोगों के आंदोलन ने श्रीलंका को बदलाव के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है लेकिन देश में नेतृत्व का कोई स्पष्ट दावेदार नहीं है. (bbc.com)
कोलंबो, 12 जुलाई। श्रीलंका की वायुसेना ने मंगलवार को उन खबरों को खारिज किया, जिनमें दावा किया गया है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे फिलहाल एयर मार्शल सुदर्शन पथिराना के एक निजी मकान में रह रहे हैं। वायुसेना ने इन खबरों को बल की छवि खराब करने के लिए किया जा रहा ‘दुष्प्रप्रचार’ करार दिया।
श्रीलंका वायुसेना (एसएलएएफ) के प्रवक्ता दुशान विजेसिंघे ने कहा कि पूर्व पुलिस अधिकारी अजीत धर्मपाल द्वारा जारी एक वीडियो में दावा किया गया है कि राष्ट्रपति राजपक्षे पथिराना के घर पर रह रहे हैं।
‘द डेली मिरर’ के मुताबिक, विजेसिंघे ने कहा, “इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। और ये श्रीलंकाई वायुसेना की छवि को खराब करने के लिए एक दुष्प्रचार भर हैं।”
वहीं, पथिराना ने भी सोशल मीडिया पर जारी इन अटकलों का खंडन किया कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने उनके निजी मकान में शरण ले रखी है। एसएलएएफ प्रमुख ने कहा कि राजपक्षे को शरण देने से संबंधित खबरें भ्रामक हैं और इनका मकसद जनता के बीच उनके और देश की वायुसेना के प्रति गुस्सा पैदा करना है।
पथिराना के घर में राजपक्षे की मौजूदगी की अटकलें सोमवार रात को तब शुरू हुईं, जब राष्ट्रपति कथित तौर पर दुबई जा रही विमानन कंपनी एमिरेट्स की एक उड़ान में सवार होने के लिए कोलंबो हवाईअड्डे पर पहुंचे।
बताया जा रहा है कि आव्रजन अधिकारियों के गोटबाया के छोटे भाई एवं पूर्व वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे के देश छोड़ने पर आपत्ति जताने के बाद राष्ट्रपति हवाईअड्डे के पास स्थित वायुसेना के प्रतिष्ठान में रुके थे।
संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने के कार्यालय ने मंगलवार को मीडिया में प्रकाशित उन खबरों का खंडन किया कि मुश्किलों से घिरे गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका छोड़कर भाग गए हैं। उसने कहा कि राष्ट्रपति अभी भी देश में ही हैं।
बीते शनिवार को सरकार विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए राजपक्षे शुक्रवार को ही अज्ञात स्थान पर चले गए थे। तब से उनके संभावित ठिकाने को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
संसद अध्यक्ष के कार्यालय ने कहा, “ऐसी अटकलें महिंदा यापा अभयवर्धने द्वारा की गई गलती के बाद शुरू हुई थीं, जिन्होंने कहा था कि राजपक्षे ने देश छोड़ दिया है, लेकिन वह इस्तीफा देने के लिए बुधवार तक वापस आ जाएंगे। अभयवर्धन ने बाद में अपनी गलती सुधारी।”
73 वर्षीय गोटबाया राजपक्षे ने शनिवार को संसद अध्यक्ष को सूचित किया था कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजपक्षे ने सोमवार को अपने त्यागपत्र पर दस्तखत कर दिए थे, जिस पर 13 जुलाई की तारीख दर्ज है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि त्यागपत्र बाद में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी को सौंप दिया गया, जो इसे संसद के अध्यक्ष तक पहुंचाएंगे।
अभयवर्धने ने सोमवार को घोषणा की थी कि श्रीलंकाई संसद 20 जुलाई को राजपक्षे के स्थान पर नए राष्ट्रपति का चयन करेगी।
लगभग 2.2 करोड़ आबादी वाला द्वीपीय देश श्रीलंका अभूतपूर्ण आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वहां खाद्य वस्तुओं, दवाओं, ईंधन और अन्य जरूरी सामानों की भारी किल्लत हो गई है। (भाषा)
कोलंबो, 12 जुलाई | श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने त्यागपत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और संसद के अध्यक्ष बुधवार को सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा राष्ट्र के सामने करेंगे। राष्ट्रपति के त्याग पत्र पर हस्ताक्षर किए गए और एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी को सौंप दिया गया, जो इसे पार्लियामेंट स्पीकर को सौंपेंगे।
डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने को इस पत्र के बारे में सूचित कर दिया गया है और वे बुधवार को गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति पद की समाप्ति पर एक सार्वजनिक घोषणा करेंगे।
सोमवार को अटकलें लगाई जा रही थीं कि राजपक्षे कल दोपहर पहले ही द्वीप राष्ट्र छोड़ चुके हैं। हालांकि, इन रिपोटरें को राष्ट्रपति के करीबी वरिष्ठ सूत्रों ने खारिज कर दिया, जिन्होंने डेली मिरर से पुष्टि की कि राजपक्षे अभी भी देश में हैं और सशस्त्र बलों द्वारा संरक्षित हैं।
डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, 9 जुलाई के दंगों से ठीक पहले, राष्ट्रपति राजपक्षे को सुरक्षा बलों द्वारा किले में राष्ट्रपति भवन से निकाला गया था और सुरक्षा कारणों से देश के क्षेत्रीय जल के भीतर एक नौसैनिक पोत पर सुरक्षित रखा गया।
हालांकि, उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि राजपक्षे सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे तीनों सेनाओं के कमांडरों से मिले और उसके बाद देश में ही रहे। देश में उनका सटीक ठिकाना अज्ञात है, लेकिन उनके इस सप्ताह देश छोड़ने की संभावना है, जिससे एक नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण और एक सर्वदलीय सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त होगा।
बुधवार को, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे अस्थायी अवधि के लिए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे, जब तक कि 20 जुलाई को संसद द्वारा एक नए राष्ट्रपति का चयन नहीं किया जाता है।
महिंदा यापा अभयवर्धने ने एक बयान में कहा कि पार्टी नेताओं ने 20 जुलाई को संविधान के प्रावधानों के अनुसार संसद में एक वोट के माध्यम से एक नए राष्ट्रपति का चुनाव करने का फैसला किया था।
19 जुलाई को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन मांगे जाएंगे।
अब तक पुष्टि किए गए दो उम्मीदवार प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा हैं, जिन्होंने सोमवार को पहले ही सूचित कर दिया था कि वह श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए तैयार हैं।
(आईएएनएस)
अरुल लुइस
संयुक्त राष्ट्र, 12 जुलाई| संयुक्त राष्ट्र के एक जनसंख्या विशेषज्ञ ने अनुमान लगाया है कि दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने वाला भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के अपने दावे को मजबूत कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग के निदेशक जॉन विल्मोथ ने सोमवार को कहा कि सबसे बड़ी आबादी वाले देश के रूप में भारत के उभरने से 'चीजों पर कुछ दावे' हो सकते हैं।
विश्व जनसंख्या संभावना रिपोर्ट के अनुसार, अगले वर्ष भारत की जनसंख्या 1.429 अरब होने का अनुमान है, जबकि चीन की जनसंख्या 1.426 अरब होगी।
वैश्विक जनसंख्या रैंकिंग में बदलाव के महत्व के बारे में पूछे जाने पर विल्मोथ ने कहा कि पहले के अनुमानों की तुलना में यह चार साल पहले, यानी अगले साल ही होगा।
उन्होंने जवाब दिया, "मुझे आश्चर्य है कि संयुक्त राष्ट्र में भूमिकाओं और सुरक्षा परिषद के स्थायी पांच सदस्यों की भूमिकाओं के बारे में चर्चा के संदर्भ में क्या होगा, यदि भारत सबसे बड़ा देश बन जाता है (और) वे सोच सकते हैं कि इससे उन्हें दावा मिलता है?"
उन्होंने कहा, "वे दावा कर रहे हैं कि उन्हें वैसे भी उस समूह (स्थायी सदस्यों का) का हिस्सा होना चाहिए, लेकिन आप जानते हैं कि यह उनके दावे को मजबूत कर सकता है।"
उन्होंने कहा कि पिछली रिपोर्टों में उम्मीद थी कि 2027 में भारत की आबादी चीन से आगे निकल जाएगी, चीन के बारे में आंकड़ों के अपडेट के कारण समयरेखा अगले साल बदल गई।
चीन ने 2020 में अपनी जनगणना आयोजित की थी, जबकि भारत 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण इसे निर्धारित नहीं कर सका।
15 नवंबर वैश्विक आबादी के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा, जब आठ अरबवें बच्चे के जन्म का अनुमान है। सहायक महासचिव मारिया-फ्रांसेस्का स्पैटोलिसानो ने कहा कि उस दिन दुनिया की आबादी 8 अरब का आंकड़ा पार कर जाएगी।
उन्होंने कहा, "यह ऐतिहासिक क्षण उत्सव का आह्वान करता है : जनसंख्या वृद्धि साधारण लोगों की जीवन स्थितियों में सुधार लाने में हमारी सामूहिक सफलता का एक ठोस संकेत है।"
लेकिन यह विकास के लिए चुनौतियां भी पैदा करेगा, क्योंकि बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करना होगा।
दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों की जनसंख्या की गतिशीलता पर चर्चा करते हुए विल्मोथ ने कहा कि भारत की जनसंख्या वृद्धि को कम करने का क्रमिक दृष्टिकोण लंबे समय में बेहतर हो सकता है।
उन्होंने कहा कि चीन की जनसंख्या वृद्धि में कमी बहुत तेजी से धीमी हुई, क्योंकि यह 1970 और 1980 के दशक में 'अधिक कठोर तरीके से' किया गया था और 'बहुत प्रभावी' था।
दूसरी ओर, उन्होंने कहा, "भारत ने प्रजनन दर को काफी धीरे-धीरे नीचे लाया। इसका मतलब है कि ऐतिहासिक पैटर्न में एक ही तरह की विसंगतियां नहीं हैं और आबादी में वृद्धि बहुत तेजी से उम्र बढ़ने से नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, "और कुछ मायनों में जो लंबे समय में बेहतर स्थिति का प्रबंधन करने के लिए बेहतर हो सकता है, चीन में बहुत तेजी से हुए परिवर्तन की तुलना में अर्थव्यवस्था के लिए उस तरह का अधिक क्रमिक जनसांख्यिकीय परिवर्तन संभव है।
(आईएएनएस)
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे का अंतिम संस्कार मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच टोक्यो के एक बौद्ध मंदिर में होगा.
शुक्रवार को एक चुनाव प्रचार कार्यक्रम में भाषण देते हुए उनकी हत्या कर दी गई थी.
सोमवार को शिंज़ो आबे के परिवार और करीबी दोस्तों ने प्रार्थना सभा रखी. इस सभा में जापान के प्रधानमंत्री फुमिया किशिदा और अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलैंड समेत करीब ढाई हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया.
शिंज़ो आबे को पीछे से गोली मारी गई थी. जापान टाइम्स के अनुसार, गोली लगने के कारण आबे की गर्दन ज़ख़्मी हुई थी और सीने के भीतर ब्लीडिंग भी हुई.
पुलिस ने घटनास्थल से 41 साल के संदिग्ध हमलावर को पकड़ा है. जापानी मीडिया के अनुसार, हमलावर मैरीटाइम सेल्फ़-डिफेंस फ़ोर्स का मेंबर है.
संदिग्ध हमलावर की पहचान तेत्सुया यामागामी के रूप में की गई है. वह नारा शहर का ही रहने वाला है. जापान के सरकारी प्रसारक एनएचके के अनुसार, हमलावर ने हैंडमेड गन से गोली मारी थी.
पुलिस ने जब संदिग्ध हमलावर के घर छापेमारी की थी तो उन्हें वहां से विस्फोटक भी बरामद हुए थे. (bbc.com)
ब्रिटेन में 5 सितंबर को देश के नए प्रधानमंत्री के नाम का एलान हो जाएगा. कंज़र्वेटिव पार्टी के नेतृत्व ने बताया है कि इस दिन पार्टी के नेता का चुनाव होगा जो देश का अगला प्रधानमंत्री होगा.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पिछले सप्ताह कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. उनकी सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्रियों ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए पद छोड़ दिया था.
पार्टी के कई सांसदों ने भी बोरिस जॉनसन का समर्थन करने से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.
7 जुलाई को इस्तीफा देने की घोषणा करते हुए बोरिस ने कहा था कि जब तक कोई नया नेता नहीं आ जाता, वह पीएम पद पर बने रहेंगे.
प्रधानमंत्री की रेस में अब तक 11 उम्मीदवार सामने आए हैं. इनमें वित्त मंत्री के पद से इस्तीफ़ा देने वाले भारतीय मूल के ऋषि सुनक और स्वास्थ्य मंत्री के पद से इस्तीफ़ा देनेवाले पाकिस्तानी मूल के साजिद जाविद के नाम शामिल हैं.
भारतीय मूल की गृह मंत्री प्रीति पटेल की दावेदारी को लेकर अभी कुछ साफ नहीं है.
इसके अलावा अन्य उम्मीदवार अभी भी प्रधानमंत्री बनने की रेस में शामिल हो सकते हैं. पार्टी ने कहा है कि दावेदारी पेश करने लायक समर्थन जुटाने के लिए उम्मीदवारों के पास मंगलवार तक का समय है.
हर प्रत्याशी को नेता पद की दावेदारी में शामिल होने के लिए कम-से-कम 20 सांसदों का समर्थन चाहिए. इसके बाद बुधवार को अगले चरण के चुनाव के लिए पार्टी सांसद वोटिंग शुरू करेंगे.
सांसदों के मतदान के बाद 21 जुलाई तक उम्मीदवारों की संख्या घटकर दो रह जाएगी.
इसके बाद पार्टी के सदस्य मतदान कर नए नेता का चुनाव करेंगे. 5 सितंबर को विजेता उम्मीदवार की घोषणा होगी जो प्रधानमंत्री बनेगा.
भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव रूस के मामले में बिल्कुल काम नहीं कर रहा है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, मई महीने में भारत ने रूस से प्रति दिन819,000 बैरल तेल आयात किया, अप्रैल में 277,000 बैरल जबकि एक साल पहले महज़ 33,000 बैरल प्रति दिन था.
भारत में तेल आपूर्ति करने के मामले में रूस ने सऊदी अरब को पीछे छोड़ दिया है. पहले सऊदी अरब भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश था. इराक़ अब भी भारत में तेल आपूर्ति करने के मामले में नंबर वन पर है. 24 फ़रवरी को रूस ने यूक्रेन में सैन्य अभियान की शुरुआत की थी और तब से भारत का रूस से तेल आयात लगातार बढ़ता गया. भारत को रूस तेल आयात पर भारी छूट दे रहा है.
यूरोप के देश और अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. भारत का कहना है कि वह रूस से तेल आयात बंद नहीं करेगा. भारत सरकार के एक अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा है कि अगर भारत ने रूस से तेल ख़रीदना बंद कर दिया तो पूरी दुनिया तेल के एक ही बाज़ार की तरफ़ भागेगी और तेल की क़ीमतें और बढ़ेंगी.
भारत सरकार और यहाँ की रिफाइनरी कंपनियों का कहना है कि रूस से तेल ख़रीदना पूरी तरह से व्यावसायिक है. रूस पर प्रतिबंधों के कारण वहाँ के तेल आयात में कमी आई थी लेकिन चीन के बाद भारत ने इसकी भरपाई कर दी है. भारत और चीन के कारण पश्चिम रूस को जिस तरह से अलग-थलग करना चाह रहा था, वह संभव नहीं हो पाया है.
रॉयटर्स के अनुसार, भारत सरकार के अधिकारियों ने कहा कि भारत अतीत की ग़लतियाँ दोहराना नहीं चाहता है. भारत ने ईरान पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण तेल ख़रीदना बंद कर दिया था. लेकिन चीन ईरान से तेल ख़रीदता रहा और उसे इसका फ़ायदा मिलता रहा.
एनर्जी कंसल्टेंसी क़मर एनर्जी के चीफ़ एग्जेक्युटिव रोबिन मिल्स ने रॉयटर्स से कहा है, ''भारत का मानना है कि जब चीन रूस और ईरान से तेल ख़रीद सकता है तो भारत क्यों नहीं. भारत नहीं चाहता है कि ईरान वाली ग़लती रूस के साथ करे क्योंकि चीन ने प्रतिबंधों के बावजूद ईरान से तेल ख़रीदना बंद नहीं किया था.''
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका से अच्छे रिश्ते चाहते हैं लेकिन सरकार का कहना है कि घरेलू ज़रूरतें प्राथमिकता में हैं और ऊर्जा सहयोग के मामले में रूस अच्छा दोस्त है. इस शिफ़्टिंग के पीछे आर्थिक ज़रूरतें भी हैं. भारत की रिफ़ाइनरी कंपनियां रूस से छूट पर तेल ख़रीद रही हैं. अगर तेल की क़ीमत बढ़ती रही तो भारत में बढ़ती महंगाई को और हवा मिलेगी.(bbc.com)
लॉस एंजेलिस, 12 जुलाई | अमेरिका के दक्षिणी कैलिफोर्निया में '7-इलेवन स्टोर' की चार दुकानों पर हुई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई और तीन घायल हो गए। यह घटना ब्रे, ला हाब्रा, सांता एना और ऑरेंज काउंटी शहर में हुई।
ब्रे पुलिस विभाग के अनुसार, सोमवार को सुबह लगभग 4:18 बजे '7-इलेवन स्टोर' में गोलीबारी हुई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई।
वहीं, समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ला हाब्रा पुलिस विभाग ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि उनके अधिकारियों ने सुबह करीब 4:55 बजे '7-इलेवन स्टोर' में हुई डकैती पर कार्रवाई की। वहीं घटनास्थल से 2 घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनकी हालत स्थिर बनी हुई है। दोनों पीड़ितों को बंदूक की गोली लगी थी।
इसके अलावा, सांता एना पुलिस विभाग ने कहा कि यहां तड़के 3:25 बजे '7-इलेवन स्टोर' में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
पुलिस का कहना है कि ब्रे, ला हाब्रा और सांता एना शहरों में हुई गोलीबारी की घटना आपस में जुड़ी हो सकती हैं।
पुलिस ने संदिग्ध की एक तस्वीर जारी की है। जिसकी वे तलाश कर रहे हैं।
इसके अलावा, चौथी घटना ऑरेंज काउंटी से सामने आई, यहां '7-इलेवन स्टोर' में एक ग्राहक को लगभग 1:50 बजे गोली मार दी गई।
पुलिस अधिकारियों ने सबूत न मिलने की स्थिति में चौथी घटना को बाकी तीन गोलीबारी घटनाओं से नहीं जोड़ा है।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे अतिरिक्त सुरक्षा सावधानी बरतने के लिए अन्य '7-इलेवन स्टोर' को अलर्ट करेंगे।
(आईएएनएस)
श्रीलंका के पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने मंगलवार को देश छोड़ने की कोशिश की लेकिन एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने उन्हें नहीं जाने दिया. बासिल राजपक्षे, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के छोटे भाई हैं.
कोलंबो एयरपोर्ट पर जब लोगों ने उन्हें श्रीलंका छोड़कर जाने की कोशिश करते हुए देखा तो विरोध करना शुरू कर दिया.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में यात्रियों को बासिल राजपक्षे की मौजूदगी का विरोध करते हुए देखा जा सकते हैं. वीडियो में लोग मांग कर रहे हैं कि उन्हें देश नहीं छोड़ने दिया जाए.
श्रीलंकाई इमिग्रेशन अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने राष्ट्रपति के भाई बासिल राजपक्षे को देश से बाहर जाने से रोक दिया है.
ईंधन, भोजन और दूसरी ज़रूरी चीज़ों की कमी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों के चलते बासिल राजपक्षे ने अप्रैल के शुरू में अपने पद से इस्तीफ़ा दिया था. उन्होंने जून में संसद में अपनी सीट भी छोड़ दी थी.
कौन हैं बासिल राजपक्षे
बासिल राजपक्षे, महिंदा और गोटाबाया के छोटे भाई हैं. वे अपने भाई और हाल तक प्रधानमंत्री रहे महिंदा राजपक्षे की सरकार में वित्त मंत्री थे.
वे दो महीने पहले श्रीलंका के लिए आर्थिक मदद की गुहार लेकर भारत भी आए थे.
बासिल ने 1977 के आम चुनाव से ही चुनाव में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. लेकिन शुरुआती चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
साल 2005 में महिंदा राजपक्षे के चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें श्रीलंका की संसद के लिए मनोनीत किया गया. 2010 के संसदीय चुनावों में वे सांसद चुने गए.
पिछले साल एक बार फिर उन्हें संसद का मनोनीत सदस्य नियुक्त किया गया. इसके तुरंत बाद उन्हें देश का वित्त मंत्री बना दिया गया. लेकिन बढ़ते विदेशी कर्ज और कोविड की मार से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बिगड़नी शुरू हो चुकी है.
बासिल राजपक्षे के पास अमेरिका की भी नागरिकता है इसलिए संविधान में बदलाव करके उनके संसद सदस्य और वित्त मंत्री बनने में आने वाली कानूनी अड़चनों को हटा दिया गया.
बिगड़ते हालात के बीच बासिल संसद से दूर रहने लगे. उन पर भ्रष्टाचार के भी कई आरोप लगे हैं.
अप्रैल 2015 में उन्हें भ्रष्टाचार के केस में गिरफ़्तार किया गया था. वे अपने भाई के दूसरे कार्यकाल में आर्थिक विकास मंत्री रह चुके हैं. उन पर दो अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर राज्य की संपत्ति को हड़पने के आरोप लगे थे. (bbc.com)
-पवन सिंह अतुल
श्रीलंका की राजनीति में परिवारों के वर्चस्व की कहानी कोई नई नहीं है. लेकिन राजपक्षे परिवार इसे नई ऊँचाइयों तक ले गया है.
देश में कभी भंडारनायके परिवार की तूती बोलती थी.
इस परिवार से सबसे पहले सोलोमन भंडारनायके प्रधानमंत्री बने थे. सोलोमन भंडारनायके की एक बौद्ध चरमपंथी ने 26 सितंबर 1959 को गोली मारकर हत्या कर दी थी.
उनके बाद उनकी पत्नी सिरिमाओ भंडारनायके राजनीति में आईं थीं. 20 जुलाई 1960 में श्रीलंका के लोगों ने उन्हें प्रधानमंत्री चुना था. वह दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं.
इसके बाद राजनीति में सिरिमाओ भंडारनायके की पोती चंद्रिका भंडारनायके कुमारतुंग देश की राष्ट्रपति बनीं.
श्रीलंका पर पूरा नियंत्रण
कोलंबो के एक राजनीतिक टीकाकार जयदेव उयानगोडा ने पिछले साल बीबीसी हिंदी को बताया था, "श्रीलंका में पहले भी सेनानायके, जयवर्द्धने और भंडारनायके जैसे राजनीतिक परिवारों का दबदबा रहा है लेकिन राजपक्षे परिवार ने परिवारवाद की नई उंचाइयों को छुआ है."
बीते 15 साल इस परिवार ने राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन वो हर बार हाशिये पर लौटने के बाद देश की सियासत के केंद्र में पहुंच गया.
एक तरह से महिंदा राजपक्षे इस ख़ानदान के मुखिया हैं. हालांकि उत्तरी श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों के ख़िलाफ़ गृहयुद्ध में अपनी विवादास्पद भूमिका के बाद उनके छोटे भाई गोटाबाया राजपक्षे का क़द लगातार बढ़ता रहा है.
वो इस वक्त राष्ट्रपति तो हैं पर ताज़ा राजनीतिक उठापटक के बाद उन्होंने बुधवार को त्यागपत्र देने की घोषणा की है.
हाल ही तक श्रीलंका की सरकार में राजपक्षे परिवार के पांच सदस्य मंत्री थे, इनमें चार भाई हैं, और पांचवां इनमें से एक भाई का बेटा.
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे रक्षा मंत्री भी थे. महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री, चमाल राजपक्षे सिंचाई मंत्री, बासिल राजपक्षे वित्त मंत्री, नमल राजपक्षे खेल मंत्री (महिंदा राजपक्षे के बेटे) थे.
जयदेव उयानगोडा कहते हैं, "पहले के राजनीतिक परिवार सिर्फ़ सरकार को नियंत्रित करना चाहते थे लेकिन ये परिवार पूरी व्यवस्था को नियंत्रित करना चाहता है. इतने सारे मंत्रालय, महकमे इस परिवार के पास हैं. ये तो व्यवस्था पर कब्ज़ा करने जैसा है."
आइए नज़र डालते हैं इस परिवार के कुछ अहम सदस्यों पर-
महिंदा राजपक्षे 24 साल की उम्र में साल 1970 में पहली बार श्रीलंका के सांसद बने थे. इस उम्र में एमपी बनने वाले वे अब तक के सबसे कम आयु के सांसद हैं.
लेकिन राजनीति में वे पहले राजपक्षे नहीं थे. उनके पिता डीए राजपक्षे भी 1947 से 1965 तक हम्बनटोटा से सांसद रहे थे.
महिंदा राजपक्षे तेज़ी से सियासत की सीढ़ियां चढ़ते हुए श्रीलंका फ़्रीडम पार्टी (एसएलएफ़पी) के नेता पद पर पहुंच गए. साल 2004 में वे पहली बार थोड़े समय के लिए प्रधानमंत्री बने.
अगले साल वो श्रीलंका के राष्ट्रपति बने. जनवरी 2010 में पूर्व आर्मी चीफ़ सनत फ़ोनसेका को हराकर वो दोबारा राष्ट्रपति बने.
राजपक्षे के आलोचक कहते हैं कि उनका सियासी करियर ऐसी मिसालों का गवाह रहा है, जब उन्होंने अपने राजनीतिक मकसद के लिए हिंसा को भी नज़रअंदाज़ किया. हालांकि राजपक्षे इससे इंकार करते रहे हैं.
उनके आलोचक उत्तरी श्रीलंका में तमिल अलगाववादियों के विरुद्ध छेड़े गए अभियान के दौरान मानवाधिकारों के घोर उल्लंघनों की ओर इशारा करते हैं.
लेकिन राजपक्षे का तर्क रहा है कि हथियारबंद विद्रोहियों के गुट लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) स्वयं, लड़ाकों और आम लोगों को अलग रखने में नाकाम रहा था.
संयुक्त राष्ट्र ने तमिल विद्रोहियों और श्रीलंका की सेना, दोनों पर प्रताड़नाओं के आरोप लगाए थे.
वे अपने दूसरे कार्यकाल में कामयाबी से आगे बढ़ रहे थे लेकिन देश की बिगड़ती आर्थिक हालत ने संयुक्त विपक्ष को अवसर दिया और 2015 में हुए चुनावों में राजपक्षे हार गए.
लेकिन 2019 में श्रीलंका में ईस्टर के दिन हुए धमाकों ने एक बार फिर राजपक्षे को देश की राजनीति के केंद्र में ला खड़ा कर दिया.
सिंहला लोगों के लिए सिर्फ़ महिंदा राजपक्षे ही ऐसे व्यक्ति थे जो चरमपंथ से कारगर ढंग से लड़ सकते थे.
इसके बाद हुए चुनावों में महिंदा राजपक्ष के भाई गोटाबाया राजपक्षे, उनकी पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीद बने और जीते भी.
श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति नंदासेना गोटाबाया राजपक्षे, श्रीलंका की सेना में लेफ़्टिनेंट कर्नल रह चुके हैं. सेना से रिटायर होने के बाद गोटाबाया साल 1998 में अमेरिका चले गए थे.
साल 2005 में वे अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे की राष्ट्रपति पद की दौड़ में मदद करने के लिए वापस श्रीलंका आए. महिंदा ने चुनाव जीता और गोटाबाया को डिफ़ेंस सेक्रेट्री का पद दिया गया.
श्रीलंका की राजनीति को कंट्रोल करने की ये राजपक्षे ख़ानदान की प्रक्रिया की शुरुआत थी. उनकी अगुआई में श्रीलंका की सेना ने देश के तमिल विद्रोहियों के ख़िलाफ़ जंग जीती.
एलटीटीई के विरुद्ध मिली ये जीत विवादों से भरी रही और संयुक्त राष्ट्र तक ने, श्रीलंका की सरकार पर मानवाधिकारों के घोर उल्लंघनों के आरोप लगाए.
लेकिन तमाम विवादों के बीच उनका सियासी सितारा चमकता रहा. साल 2015 में विपक्षी दल एक एकजुट हो गए और राजपक्षे परिवार सत्ता से बाहर हो गया.
साल 2018 के आते-आते गोटाबाया अपनी पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस जीत चुके थे. साल 2019 में हुए चुनावों में एक सख़्त और राष्ट्रवादी इमेज के साथ गोटाबाया मैदान में उतरे और चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बन गए.
राजपक्षे हालात काबू करने में नाकाम
इस जीत के बाद राजपक्षे परिवार के कई और सदस्य धीरे-धीरे श्रीलंका की सरकार में प्रवेश करने लगे. लेकिन साल भर बाद ही दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में आई और श्रीलंका धीरे-धीरे आर्थिक दवाब में आने लगा.
चीन और भारत के निवेश के बावजूद श्रीलंका की माली हालत ख़स्ता होती गई. साल 2021 के आख़िर तक आते-आते हालात बेक़ाबू होते नज़र आए.
गोटाबाया की देश पर मज़बूत पकड़ के बावजूद बढ़े अंतरराष्ट्रीय ऋण श्रीलंका के जी का जंजाल बन गए.
श्रीलंका ने लोन पर डिफॉल्ट करना शुरू कर दिया. ये एक ऐसा दुष्चक्र बन गया, जिससे निकलना नामुमकिन दिखने लगा.
गोटाबाया को लगता था कि एलटीटीई के ख़िलाफ़ मिली जीत और बाद में राजधानी कोलंबो के सौंदर्यीकरण के बाद वो काफ़ी ताक़तवर स्थिति में है.
लेकिन करों में छूट और ऑर्गेनिक खेती जैसे फ़ैसलों ने श्रीलंका को मुसीबतों के गर्त में धकेल दिया.
इस साल 31 मार्च को उनके निजी निवास में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों एक हमला-सा बोल दिया. उस दिन ही साफ़ हो गया था कि अब ये सरकार और अधिक दिन नहीं चलने वाली है.
तमाम संकेतों के बावजूद गोटाबाया ने 'गोटा गो होम' को नारे को नज़रअंदाज़ किया.
गोटाबाया ने अपने बजाय, अपने भाइयों को सरकार छोड़ने के लिए कहा. प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे और रक्षा मंत्री चमल ने सरकार छोड़ी
बासिल, महिंदा और गोटाबाया के छोटे भाई हैं. वे अपने भाई और हाल तक प्रधानमंत्री रहे महिंदा राजपक्षे की सरकार में वित्त मंत्री थे.
वे दो महीने पहले श्रीलंका के लिए आर्थिक मदद की गुहार लेकर भारत भी आए थे.
बासिल ने 1977 के आम चुनाव से ही चुनाव में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. लेकिन शुरुआती चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
साल 2005 में महिंदा राजपक्षे के चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें श्रीलंका की संसद के लिए मनोनीत किया गया. 2010 के संसदीय चुनावों में वे सांसद चुने गए.
पिछले साल एक बार फिर उन्हें संसद का मनोनीत सदस्य नियुक्त किया गया. इसके तुरंत बाद उन्हें देश का वित्त मंत्री बना दिया गया. लेकिन बढ़ते विदेशी कर्ज और कोविड की मार से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बिगड़नी शुरू हो चुकी है.
बासिल राजपक्षे के पास अमेरिका की भी नागरिकता है इसलिए संविधान में बदलाव करके उनके संसद सदस्य और वित्त मंत्री बनने में आने वाली कानूनी अड़चनों को हटा दिया गया.
बिगड़ते हालात के बीच बासिल संसद से दूर रहने लगे. उन पर भ्रष्टाचार के भी कई आरोप लगे हैं.
अप्रैल 2015 में उन्हें भ्रष्टाचार के केस में गिरफ़्तार किया गया था. वे अपने भाई के दूसरे कार्यकाल में आर्थिक विकास मंत्री रह चुके हैं. उनपर दो अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर राज्य की संपत्ति को हड़पने के आरोप लगे थे.
ऐसे ही भ्रष्टाचार के आरोप महिंदा और गोटाबाया पर भी लगते रहे हैं लेकिन परिवार का कहना है कि ये सब बदले की भावना से किया जा रहा है.
राजपक्षे भाइयों में तीसरे भाई हैं चमाल. वो अपने भाइयों की सरकार में कई अहम मंत्रालयों पर रह चुके हैं. साल 1989 से श्रीलंका की संसद रहे चमाल अतीत में बंदरगाह और उड्डयन जैसे मंत्रालय देख चुके हैं
वे साल 2010 से 2015 तक श्रीलंका की संसद के स्पीकर भी रहे हैं.
चमाल दरअसल राजपक्षे भाइयों में सबसे बड़े हैं. वे हाल तक प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की सरकार में रक्षा मंत्री थे.
चार राजपक्षे भाइयों के बाद उनके परिवार के अन्य सदस्य भी श्रीलंका की राजनीति में ख़ासा दख़ल दे रहे हैं. महिंदा राजपक्षे के पुत्र नमल राजपक्षे श्रीलंका के खेल मंत्री रहे हैं.
हाल ही में ख़बर छपी कि नमल की पत्नी लिमिनी, देश में बढ़ती सियासी अस्थिरता और आर्थिक बदहाली के बीच अपने बच्चे के साथ पेरिस चली गई हैं.
क्या है राजपक्षे परिवार का भविष्य?
राजपक्षे परिवार से जुड़े कम से कम 18 लोग हाल ही तक श्रीलंका सरकार का हिस्सा थे. श्रीलंका में बीते सप्ताहंत दिखे नज़ारों का असर राजपक्षे परिवार के रसूख़ पर ख़ूब देखा जा रहा है.
हिंसक झड़पों का असर अभी तक दिख रहा है. बहुत से राजनेता जनता के बीच जाने से बच रहे हैं और सेफ़ हाउस में छिपे हैं.
महिंदा राजपक्षे जो एक समय में तमिल टाइगर विद्रोहियों को हराने के बाद सिंहलियों की नज़र में किसी युद्ध नायक से कम नहीं था, वो अचानक अब विलेन बन गए हैं.
मुश्किल से मुश्किल पलों में भी राजपक्षे परिवार हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़ा दिखता था लेकिन इस बार उनके आपसी मतभेद खुलकर बाहर आ गए हैं.
माना जा रहा है कि ये समस्या गोटाबाया राजपक्षे के महिंदा राजपक्षे से इस्तीफ़ा मांगने के बाद शुरू हुई.
श्रीलंका की राजनीति पर सालों से काबिज़ राजपक्षे परिवार मौजूदा संकट से श्रीलंका को बाहर निकालने में असफल रहा है, इसमें कोई दो राय नहीं है.
श्रीलंका की आर्थिक स्थिति और परिवार के प्रति जनाक्रोश के बाद ये सोचना मुश्किल है कि इस परिवार देश की सियासत में कोई भविष्य होगा.
लेकिन राजनीति अनिश्चतताओं से भरी होती है और इसमें किसी व्यक्ति को हमेशा के लिए ख़ारिज करना जोख़िम भरा अनुमान है. (bbc.com)