राष्ट्रीय
नयी दिल्ली, 11 मार्च दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तिहाड़ जेल से भेजे एक संदेश में कहा है कि कैद करके उन्हें ‘‘कष्ट दिया जा सकता है, लेकिन उनके हौसले को नहीं तोड़ा जा सकता।’’
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2021-22 में दिल्ली आबकारी नीति बनाने और उन्हें लागू करने में कथित भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। यह नीति अब रद्द की जा चुकी है। सिसोदिया को इस सप्ताह की शुरुआत में प्रवर्तन निदेशालय ने भी गिरफ्तार किया था।
सिसोदिया के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से हिन्दी में ट्वीट किया गया, ‘‘साहेब, जेल में डालकर मुझे कष्ट पहुंचा सकते हो, लेकिन मेरे हौसले नहीं तोड़ सकते। अंग्रेजों ने भी स्वतंत्रता सेनानियों को कष्ट दिए थे, मगर उनके हौसले नहीं टूटे। - जेल से मनीष सिसोदिया का संदेश।’’
सिसोदिया ने सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। (भाषा)
नयी दिल्ली, 11 मार्च जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो 20 मार्च को दो-दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आपसी हितों से जुड़े द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो 20-21 मार्च को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आ रहे हैं।
बयान में कहा गया है कि अपनी यात्रा के दौरान फुमियो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर आपसी हितों से जुड़े द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्ष जी7 और जी20 की अपनी अपनी अध्यक्षता से जुड़ी प्राथमिकताओं के बारे में भी चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि जापान इस साल जी7 समूह की बैठक की अध्यक्षता करेगा, जबकि भारत जी20 समूह की अध्यक्षता कर रहा है। दोनों देशों के लिए इन समूहों की अध्यक्षता काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
जापान के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा ऐसे समय हो रही है जब रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रभावों सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक स्तर पर चर्चा हो रही है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 11 मार्च भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में शनिवार को यहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुईं।
जांच एजेंसी इस सिलसिले में गिरफ्तार एक आरोपी से उनका आमना-सामना करा सकती है और उनका बयान दर्ज कर सकती है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की 44-वर्षीया बेटी तुगलक रोड पर अपने पिता के आधिकारिक आवास से करीब 1.5 किलोमीटर दूर एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर संघीय एजेंसी के मुख्यालय में सुबह करीब 11 बजे पहुंचीं।
ईडी कार्यालय में भारी संख्या में दिल्ली पुलिस और केंद्रीय अर्द्धसैन्य बलों के कर्मियों को तैनात किया गया है। बीआरएस नेता के समर्थकों ने एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर प्रदर्शन भी किया।
ईडी ने कविता को नौ मार्च को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने लंबे समय से अटके महिला आरक्षण विधेयक को संसद के बजट सत्र में पारित कराने की मांग को लेकर शुक्रवार को यहां अनशन में शामिल होने के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण नयी तारीख देने का अनुरोध किया था।
बीआरएस की विधान पार्षद कविता को एजेंसी ने इसलिए बुलाया है, ताकि उनका सामना हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्रन पिल्लई से कराया जाए। पिल्लई को इस सप्ताह ईडी ने गिरफ्तार किया था।
एजेंसी धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत कविता का बयान दर्ज करेगी।
पिल्लई 12 मार्च तक ईडी की हिरासत में है और उन्हें 13 मार्च को फिर से अदालत में पेश किया जाएगा। पिल्लई ‘रॉबिन डिस्टिलरीज एलएलपी’ नामक कंपनी में साझेदार हैं।
ईडी ने दावा किया कि यह कंपनी तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी एवं विधान पार्षद के. कविता और अन्य से जुड़े कथित शराब कार्टल ‘साउथ ग्रुप’ का प्रतिनिधित्व करती है।
ऐसा आरोप है कि ‘साउथ ग्रुप’ ने अब निरस्त कर दी गयी दिल्ली आबकारी नीति 2020-21 के तहत राष्ट्रीय राजधानी के बाजार में अधिक हिस्सेदारी हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) को करीब 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।
कविता से इस मामले में पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भी पूछताछ की थी।
ईडी ने इस मामले में अभी तक दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आप नेता मनीष सिसोदिया समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया है।
ऐसा आरोप है कि दिल्ली सरकार की शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 की आबकारी नीति से उद्यमियों को सांठगांठ करने का अवसर दिया गया तथा कुछ डीलरों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, जिन्होंने इसके लिए कथित तौर पर घूस दी।
बहरहाल, आम आदमी पार्टी (आप) ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है। बाद में यह नीति रद्द कर दी गयी और दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत आरोपियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया। (भाषा)
हैदराबाद, 11 मार्च तेलंगाना के सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर एक व्यक्ति के पास से 2.3 किलोग्राम सोना बरामद किया गया, जिसका बाजार में मूल्य 1.32 करोड़ रुपये है। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने शनिवार को यह जानकारी दी।
डीआरआई की हैदराबाद जोनल इकाई के अधिकारियों ने फलकनुमा एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे एक व्यक्ति को खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई करते हुए आठ मार्च को स्टेशन पर रोका और उसके पास से सोने की सिल्लियां बरामद कीं। यह व्यक्ति कोलकाता से आ रहा था।
डीआरआई के मुताबिक, बरामद किए गए सोने का वजन 2.314 किलोग्राम (99.9 शुद्धता के साथ 24 कैरेट) है और इसकी कीमत 1.32 करोड़ रुपये है।
उसने बताया कि आरोपी ने यह सोना कोलकाता से खरीदा था।
डीआरआई ने बताया कि व्यक्ति को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और आगे की जांच जारी है। (भाषा)
संभल (उप्र) 11 मार्च संभल जिले में बहजोई थाना क्षेत्र के एक गांव में शनिवार सुबह भैंस को लाठी मारने के चलते उत्पन्न विवाद के बाद दो समुदायों के बीच पथराव हुआ जिसमें छह लोग घायल हो गये । उक्त मामले में पुलिस ने 22 लोगो को हिरासत में लिया है ।
पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा ने बताया कि बहजोई थाना क्षेत्र के कमाल पुर गांव में शनिवार सुबह दो पक्षों में झगड़ा और पथराव सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और उसने दोनों पक्षों के बीच झड़प होते हुए देखा जिसकी वजह भैंस को लाठी से मारना था।
मिश्रा ने बताया कि जो लोग आपस में झगड़ रहे थे, वे नशे में थे। उन्होंने बताया कि इस घटना में छह लोग घायल हुए हैं जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है । उन्होंने बताया कि 22 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मौके पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और पुलिस इन लोगों से पूछताछ कर वैधानिक कार्यवाही कर रही है। (भाषा)
हाल ही में पनामा, भारत और नाइजीरिया में खांसी की जहरीली सिरप की वजह से कई बच्चों की मौत हो गई थी. आखिर कैसे आम मिलने वाली दवा जहरीली बन जाती है? आइए जानते हैं.
मार्किट रिसर्च कंपनी यूरोमॉनिटर के मुताबिक 2022 में बच्चों के लिए खांसी, सर्दी और एलर्जी की आम बिकने वाली दवाओं के वैश्विक बाजार की कीमत करीब 2.5 अरब डॉलर थी. इन दवाओं में बुखार उतारने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पैरासिटामोल के साथ ग्लिसरीन या प्रोपिलीन ग्लाइकोल नाम के केमिकल से बनाये सिरप को मिलाया जाता है.
यह सिरप सुरक्षित, मीठी और घोंटने में आसान होती है. गाम्बिया में वैश्विक स्वास्थ्य अधिकारियों ने आयात की हुई बच्चों की खांसी की सिरप में दो काफी ज्यादा जहरीले पदार्थों को पाया: एथिलीन ग्लाइकोल (ईजी) और (डीईजी) डाईएथिलीन ग्लाइकोल.
हानिकारक तत्वों की मिलावट
दुनिया भर में दवाओं के मानक स्थापित करने में मदद करने वाली संस्था यूएस फार्माकोपिया (यूएसपी) में निदेशक चैतन्य कुमार कोडुरी ने बताया कि ये दोनों पदार्थ प्रोपिलीन ग्लाइकोल बनाने का उपोत्पाद या बाईप्रोडक्ट हो सकते हैं.
उन्होंने बताया कि दवाओं में इस्तेमाल के लिए प्रोपिलीन ग्लाइकोल को बनाने वालों को उसे शुद्ध करना पड़ता है ताकि उसमें से जहरीले तत्त्व निकाले जा सकें. अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक दवाओं में ईजी और डीईजी सिर्फ ट्रेस मात्रा में होनी चाहिए. यानी प्रति वॉल्यूम वजन के 0.10 प्रतिशत या सिरप के हर 100 मिलीलीटर में 0.10 ग्राम से ज्यादा नहीं.
सभी पदार्थों के एक जैसे गुण होते हैं. लेकिन जहां प्रोपिलीन ग्लाइकोल जहरीली नहीं होती है, वहीं ईजी और डीईजी बेहद हानिकारक होती हैं. चिकित्सकों का कहना है कि इन्हें खा लेने से गुर्दे काम करना बंद कर सकते हैं और तुरंत इलाज ना मिले तो मौत भी हो सकती है.
खुराक कितनी घातक है यह आंशिक रूप से उसे लेने वाले के वजन पर निर्भर करता है. छोटे होने की वजह से बच्चों को बड़ों के मुकाबले खतरा ज्यादा रहता है. कुमार कोडुरी कहते हैं मानवीय गलतियों की वजह से गड़बड़ भी हो सकती है.
मुनाफे के लिए
लेकिन पूर्व में सप्लायरों और उत्पादकों ने औद्योगिक स्तर के प्रोपिलीन ग्लाइकोल या शुद्ध ईजी और डीईजी को भी मिलाया है क्योंकि वो सस्ते होते हैं. ईजी और डीईजी बेचने वाली दो वेबसाइटों के मुताबिक ये केमिकल प्रोपिलीन ग्लाइकोल के मुकाबले आधे दाम पर मिलते हैं.
1990 के दशकों में पैरासिटामोल सिरपों में मौजूद डीईजी की वजह से हैती में लगभग 90 बच्चों और बांग्लादेश में 200 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी. हाल ही में पनामा, भारत और नाइजीरिया में भी अलग अलग हादसों में बच्चों की मौत हो गई थी.
तब से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बनाये गए वैश्विक दिशानिर्देशों को भी और कड़ा बनाया गया है. उत्पादकों से कहा गया है कि वो अपनी सामग्री और उत्पादों की और जांच करें. लेकिन उत्पादन और इस्तेमाल दोनों ही स्तर पर कानून बनाना और उनका पालन सुनिश्चित करना अलग अलग देशों के ऊपर है.
सीके/एए (रॉयटर्स)
घरेलू कामगार के तौर पर काम करने वाली महिलाओं को अक्सर दुर्व्यवहार और शोषण का सामना करना पड़ता है. उन्हें वे बुनियादी अधिकार भी नहीं मिलते जो श्रमिकों के लिए तय किए गए हैं. आखिर उन्हें इस शोषण से कब छुटकारा मिलेगा.
डॉयचे वैले पर मुरली कृष्णन की रिपोर्ट-
पिछले महीने दिल्ली से सटे गुरुग्राम में एक पढ़े-लिखे और धनाढ्य दंपति को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उन्हें अपनी 14 वर्षीय घरेलू नौकरानी के साथ मारपीट, प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न के संदेह में गिरफ्तार किया गया था. कथित तौर पर दंपति ने पांच महीने से उस लड़की को अपने घर में कैद किया हुआ था. आखिरकार अधिकारियों ने उसे छुड़ाने में कामयाबी हासिल की. पुलिस का दावा है कि बच्ची के शरीर पर लगे चोट और जख्म के निशान बता रहे हैं कि उसे काफी प्रताड़ित किया गया है.
सहायक पुलिस आयुक्त प्रीतपाल सांगवान ने डीडब्ल्यू को बताया, "दंपति उस लड़की का यौन उत्पीड़न कर रहे थे और उसे प्रताड़ित कर रहे थे. उसे सही से खाना तक नहीं दिया जाता था. बेवजह उसकी पिटाई की गई थी. उसके चेहरे और पैर पर चोट के निशान थे.”
इस तरह का यह पहला मामला सामने नहीं आया है. देश की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की पूर्व नेता सीमा पात्रा को भी कुछ समय पहले इसी तरह के मामले में झारखंड से गिरफ्तार किया गया था. उनके ऊपर अपनी घरेलू नौकरानी को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगा था. इस मामले के सामने आने के बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था.
कथित तौर पर 29 वर्षीय नौकरानी को गर्म तवे और लोहे की छड़ों से पीटा गया था. सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि घरेलू नौकरानी को काफी ज्यादा प्रताड़ित किया गया था. उसे कई दिनों तक बिना भोजन-पानी के एक कमरे में बंद कर दिया जाता था. कभी-कभी तो उसे फर्श पर पेशाब चाटने के लिए भी मजबूर किया जाता था.
इस तरह के मामले सामाजिक आक्रोश को बढ़ा देते हैं. इसे दुर्व्यवहार का लक्षण माना जाता है. दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और चेन्नई जैसे महानगरों से अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं.
शोषण का शिकार हो रही घरेलू महिला कामगार
भारत में घरेलू कामगारों को कम वेतन देने, अधिक काम कराने और उनके साथ दुर्व्यवहार के मामलों की रिपोर्ट अक्सर सामने आती रहती है. कोरोना महामारी के दौरान पार्ट-टाइम काम करने वाली कई महिला कामगारों की नौकरी चली गई. वहीं, घरों में रहने वाली कई घरेलू कामगार महीनों तक अपमानजनक परिस्थितियों में काम करने को मजबूर रहीं.
इन घरेलू महिला कामगारों के अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता वर्षों से सरकार पर सुरक्षा कानून लागू करने का दबाव डाल रहे हैं. इन घरेलू कामगारों को भारतीय श्रम कानूनों के तहत औपचारिक श्रमिकों के रूप में मान्यता नहीं दी गई है. इसका मतलब है कि वे न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा लाभ, शोषण और दुर्व्यवहार से सुरक्षा जैसे बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं.
दिल्ली डोमेस्टिक वर्कर्स यूनियन की अनीता जुनेजा ने डीडब्ल्यू को बताया, "इन घरेलू कामगारों को लाभ और सुरक्षा की गारंटी दिलाने के लिए अधिकारियों से मिलना बेहद निराशाजनक होता है. हम एक हेल्पलाइन चलाते हैं जहां वे अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार की शिकायत दर्ज करा सकती हैं, लेकिन हजारों ऐसी महिला कामगार हैं जो अपने ऊपर होने वाले अन्याय को चुपचाप बर्दाश्त कर लेती हैं.”
जुनेजा का अनुमान है कि सिर्फ नई दिल्ली में 8 से 10 लाख ऐसी घरेलू कामगार हैं जो पार्ट-टाइम के तौर पर काम करती हैं. वहीं, करीब डेढ़ लाख ऐसी कामगार हैं जो फुल-टाइम यह काम करती हैं.
जुनेजा का कहना है कि ये कामगार कमजोर तबके की होती हैं. इनके बीच न तो अपने अधिकार को लेकर जागरूकता है और न ही इनकी सहायता के लिए बेहतर संरचनात्मक व्यवस्था है. इसलिए, इनसे काफी ज्यादा काम कराया जाता है और इनका शोषण किया जाता है.
कई मामलों में यह पाया गया है कि झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से काम के बहाने दिल्ली जैसे महानगरों में लायी गई महिला कामगारों का शोषण किया गया. उन्हें बंधक बनाकर उनसे जबरन काम कराया गया. कम उम्र की महिला कामगारों के साथ ऐसी घटनाएं ज्यादा देखने को मिलती है.
काम दिलाने वाली एजेंसियां भी कामगारों के शोषण में बड़ी भूमिका निभाती हैं. वे कामगारों से झूठे वादे करती हैं और उन्हें लंबे समय तक नियोक्ता के चंगुल में फंसाए रखती हैं.
घरेलू कामगारों को नहीं मिलती सुरक्षा की गारंटी
सुजाता मोदी महिला कर्मचारी संघ की अध्यक्ष हैं. वह दक्षिणी तमिलनाडु में एक दशक से अधिक समय से महिला कामगारों की कामकाजी परिस्थितियों और जीवन स्तर में सुधार के लिए काम कर रही हैं. उनका मानना है कि चेन्नई में घरेलू कामगारों को शहर से बाहर स्थित झुग्गी बस्तियों में बसाने के कारण उन्हें काफी ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
मोदी ने डीडब्ल्यू को बताया, "ऐसी स्थिति में ज्यादातर महिला कामगार अपनी नौकरी खो देती हैं, क्योंकि वे काम करने के लिए ज्यादा दूर यात्रा नहीं कर सकतीं. उन्हें अपने परिवार को भी देखना होता है. इस पुनर्वास के कारण शहर की आवास नीति में पूरी तरह उलटफेर देखने को मिला है. इससे मजदूरी और जीवन स्तर में काफी गिरावट देखने को मिली है. साथ ही, परिवहन से जुड़ी दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं.”
अधिकार संगठनों का कहना है कि देश में सिर्फ दो ही कानून हैं जो नौकरानियों को कुछ हद तक श्रमिकों के तौर पर देखते हैं. इनमें एक है असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008. वहीं,
दूसरा है महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनयम, 2013.
इनमें से पहला कानून सामाजिक कल्याण योजना है. वहीं, दूसरे का उद्देश्य कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है. सबसे अहम बात यह है कि किसी भी कानून के तहत घरेलू कामगारों को कानूनी अधिकार नहीं मिलते हैं. यही वजह है कि श्रमिक समूह, सिविल सोसायटी संगठन और मानवाधिकार समूह लगातार घरेलू कामगारों के लिए अधिकार और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.
इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि आईएलओ कन्वेंशन नंबर 189 को अपनाया गया है. यह घरेलू कामगारों के काम करने की स्थितियों को तय करने वाला अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज है. भारत ने इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया है जिसे कन्वेंशन ऑन डोमेस्टिक वर्कर के नाम से जाना जाता है. हालांकि, अभी तक इसे अंगीकार नहीं किया गया है.
घर को कार्यस्थल के रूप में नहीं मिली है मान्यता
देश की अधिकांश राज्य सरकारों ने घरेलू काम को अनुसूचित रोजगार की सूची में जोड़ दिया है, लेकिन इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण है.
वर्ष 2020 में भारतीय संसद ने पुराने श्रम कानून को संशोधित किया और सामाजिक सुरक्षा संहिता पारित की. इसका उद्देश्य यह है कि कई अन्य अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को भी बीमा, सेवानिवृति और मातृत्व सहायता जैसे लाभ मिल सकें.
हालांकि, इससे घरेलू कामगारों को मदद नहीं मिली, क्योंकि घर को कार्यस्थल के रूप में मान्यता नहीं दी गई है. इसके अलावा, घरेलू कामगारों का एक छोटा हिस्सा ही संगठित है या किसी संगठित समूह से जुड़ा हुआ है. ऐसे में घरेलू कामगारों का एक बड़ा तबका पूरी तरह काम देने वाले की दया पर निर्भर रहता है.
सामाजिक कार्यकर्ता और घरेलू कामगार अधिकार संघ की संयुक्त सचिव गीता मेनन ने डीडब्ल्यू को बताया, "फिलहाल, नौकरी पर रखने वाले लोगों के लिए कोड ऑफ प्रैक्टिस को तत्काल लागू करने की जरूरत है. साथ ही, एक ऐसी शिकायत समाधान व्यवस्था बनाई जानी चाहिए जिसमें सभी पक्ष शामिल हों.”
उन्होंने आगे कहा, "अधिकारियों को निष्क्रिय पड़े कल्याण बोर्डों को सक्रिय करना चाहिए. साथ ही, घरेलू कामगारों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिलाने के लिए संसाधन इकट्ठा करने पर तत्काल काम करना चाहिए.” (dw.com)
कई लोगों का मानना है कि मौत की सजा जारी रहनी चाहिए, ताकि लोग जघन्य अपराध करने से डरें. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मौत की सजा के डर से लोग गंभीर अपराध नहीं करेंगे.
डॉयचे वैले पर निधि सुरेश की रिपोर्ट-
इस साल फरवरी महीने में उत्तर प्रदेश की एक विशेष अदालत ने ‘इस्लामिक स्टेट (आईएस)' मॉड्यूल को संचालित करने के दोषी सात लोगों को मौत की सजा सुनाई है. इन लोगों को 2017 में गिरफ्तार किया गया था. अधिकारियों को सूचना मिली थी कि यह समूह देश के अलग-अलग हिस्सों में विस्फोट करने की योजना बना रहा था.
इन लोगों पर 2017 में एक ट्रेन में बम विस्फोट करने सहित कई अन्य आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप लगा. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि यह समूह ‘इंटरनेट के माध्यम से कट्टरपंथ को बढ़ावा देने' का काम कर रहा था और इसका उद्देश्य भारत में आईएस की विचारधारा को बढ़ावा देना था.
एनआईए ने इन लोगों को मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले को ‘एक और मील का पत्थर' करार दिया, जबकि मृत्युदंड अभी भी देश में बहस का एक विषय है.
एक संयोग यह भी है कि जिस दिन इन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई उसी दिन संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार विभाग के उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने मांग किया कि जिन 79 देशों में मृत्युदंड का प्रावधान है वे इसे खत्म करने की दिशा में उचित प्रयास करें.
उन्होंने कहा, "अगर हम इस अमानवीय सजा को खत्म करने की दिशा में अपना प्रयास जारी रखते हैं, तो हम अपने समाज में मानवता के लिए सम्मान सुनिश्चित कर सकते हैं.”
मौत की सजा को लेकर बहस
भारतीय अदालतें हत्या, बाल यौन हिंसा और आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों के लिए मृत्युदंड दे सकती हैं. हालांकि, वर्ष 1980 वह महत्वपूर्ण साल था जब देश में मौत की सजा को लेकर गंभीर बहस की शुरुआत हुई.
दरअसल, पंजाब के एक ट्रायल कोर्ट ने तीन लोगों की हत्या के लिए दोषी पाए गए बचन सिंह नाम के व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई थी. सिंह ने सजा से बचने के लिए उच्च न्यायालय का रूख किया, लेकिन वहां भी सजा बरकरार रखी गई. इसके बाद, उन्होंने देश के सर्वोच्च न्यायालय का
दरवाजा खटखटाया और कहा कि किसी भी मामले में मृत्युदंड की संवैधानिकता की जांच होनी चाहिए, जिसके कारण एक ऐतिहासिक फैसला आया.
इसके बाद, पांच न्यायाधीशों की पीठ नियुक्त की गई, जिसने भारत में किसी को मौत की सजा सुनाते समय तमाम पहलुओं पर विचार करने के लिए एक रूपरेखा और दिशानिर्देश निर्धारित किया.
सजा सुनाने की मौजूदा संरचना में कमी
बचन सिंह मामले की वजह से ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर (दुर्लभतम)' सिद्धांत लागू हुआ. इसका मतलब है कि अदालतों को सिर्फ दुर्लभतम मामलों में ही मृत्युदंड देना चाहिए. दिशा-निर्देशों में यह भी शामिल है कि सजा पर निर्णय लेने से पहले अदालतों को अपराध की गंभीरता और सजायाफ्ता व्यक्ति की जीवन परिस्थितियां, जैसे कि उसकी उम्र, पारिवारिक पृष्ठभूमि, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर भी विचार करना चाहिए.
इसके अलावा, इस पीठ ने यह भी निर्धारित किया कि मृत्युदंड तभी दिया जाना चाहिए जब कोई राज्य यह साबित कर सके कि वह अपराधी अब कभी नहीं सुधर सकता.
सुधारात्मक न्याय पर दिशानिर्देशों के जोर के बावजूद, कई सवालों के जवाब अधूरे छोड़ दिए गए. इस बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया कि किसी दोषी व्यक्ति के जीवन की परिस्थितियों पर साक्ष्य कौन इकट्ठा करेगा या यह किसकी जिम्मेदारी है कि वह इन साक्ष्यों को अदालत में पेश करे. साथ ही, डेटा इकट्ठा करने में कितना समय लगना चाहिए या अदालत को जीवन की परिस्थितियों का आकलन कैसे करना चाहिए.
प्रो बोनो लिटिगेशन एंड पब्लिक एंगेजमेंट सेंटर द्वारा किए गए कानूनी शोध ‘प्रोजेक्ट 39ए' से पता चलता है कि ट्रायल के दौरान 66.7 फीसदी मामलों में आरोपियों की जीवन की परिस्थितियों पर विचार नहीं किया गया. इस वजह से 2018 और 2020 के बीच 306 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई.
पर्यवेक्षकों का कहना है कि मौत की सजा देना असंगत, मनमाना और संभावित रूप से भेदभावपूर्ण है, क्योंकि कोई न्यायाधीश पक्षपात और पूर्वाग्रहों का शिकार होकर भी सजा सुना सकता है.
2022 में, 42 वर्षों में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि सजा सुनाने की मौजूदा संरचना में कमी है. न्यायालय ने इस कमी को दूर करने के लिए एक अन्य संवैधानिक पीठ का गठन किया है.
हालांकि, जहां एक ओर सर्वोच्च न्यायालय मौत की सजा सुनाने के मामलों में सुधार के तरीकों की तलाश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत के अलग-अलग ट्रायल कोर्ट में लगातार मौत की सजा सुनाई जा रही है.
पिछले साल 165 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई, जो दो दशकों में सबसे ज्यादा संख्या है. "भारत में मौत की सजा: वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट 2022” से पता चलता है कि 2022 के अंत तक 539 लोग भारत में मृत्युदंड पाने का इंतजार कर रहे थे, जो 2004 के बाद से सबसे अधिक संख्या है.
मृत्युदंड खत्म करने को लेकर बहस तेज
2015 से देश में मौत की सजा को लेकर बहस तेज हो गई है. विस्तृत अध्ययन के बाद, कानून आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवाद से जुड़े मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में इस सजा को खत्म कर देना चाहिए.
रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि मौत की सजा असंवैधानिक है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है.
भारतीय गृह मंत्रालय ने 2018 में विभिन्न राज्य सरकारों से मृत्युदंड को समाप्त करने के प्रस्ताव पर जवाब देने को कहा था. जवाब देने वाले 14 राज्यों में से केवल दो ने मृत्युदंड को समाप्त करने का समर्थन किया. बाकी 12 राज्यों ने तर्क दिया कि लोगों को गंभीर और हिंसक अपराध करने से रोकने के लिए मृत्युदंड की आवश्यकता है.
हालांकि, अधिकार समूहों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि दुनिया भर में मिले सबूतों से पता चलता है कि मृत्युदंड से अपराध को नियंत्रित करने पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है.
भारत में काफी कम लोगों को दी जाती है फांसी
1976 से लेकर अब तक दुनिया के 90 से अधिक देशों ने सभी तरह के अपराधों के लिए मृत्युदंड को समाप्त कर दिया है. वहीं, भारत के अलावा अमेरिका, जापान, चीन, ईरान, सऊदी अरब और इराक सहित कई अन्य देशों में अभी भी इस सजा का प्रावधान है.
दिसंबर 2022 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा में 125 देशों ने मृत्युदंड पर रोक के पक्ष में मतदान किया था. भारत ने इसके खिलाफ मतदान किया. 2021 में, मृत्युदंड पर रोक लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में लाए गए एक मसौदा प्रस्ताव का भी भारत ने विरोध किया था.
हालांकि, भारत में मृत्युदंड का प्रावधान होने के बावजूद काफी कम लोगों को ही फांसी दी जाती है. वर्ष 2000 के बाद से अब तक, भारत में कुल आठ लोगों को ही फांसी दी गई है. (dw.com)
भारत में शादियों का भव्य आयोजन होता है, लेकिन जैसे-जैसे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, उसका असर शादियों पर भी दिख रहा है. कई जोड़े अब शांत और कम धूम-धड़ाके वाले ईको-फ्रेंडली आयोजन का विकल्प चुन रहे हैं.
डॉयचे वैले पर मिदहत फातिमा की रिपोर्ट-
नूपुर अग्रवाल और अश्विन मलवाड़े मुंबई में एक सफाई अभियान के दौरान एक-दूसरे से मिले थे. 2019 में जब उन्होंने शादी करने का फैसला किया, तो दोनों इस बात पर दृढ़ थे कि वे अपनी शादी की वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग को और नहीं बढ़ाएंगे.
डीडब्ल्यू से बातचीत में नूपुर कहती हैं, "हम जानते थे कि हम जीरो-वेस्ट शादी करने जा रहे हैं, क्योंकि हमारी शादी में ऐसे किसी कचरे की गुंजाइश नहीं थी, जिसे हम लोगों ने समुद्र के किनारे उठाया था."
नूपुर और अश्विन ऐसी फर्म की तलाश में थे, जो उनकी शादी का आयोजन ईको-फ्रेंडली तरीके से कराने में मदद कर सके. जब ऐसी कोई फर्म नहीं मिली, तो उन्होंने यह काम खुद करने का फैसला किया.
अश्विन की बारात में शामिल लोगों को निर्देश था कि वे इलेक्ट्रिक वाहनों से ही कार्यक्रम स्थल पहुंचें. नूपुर ने अपनी मां की वेडिंग ड्रेस पहनी थी, जो खासतौर पर इसी मौके के लिए बनाई गई थी. इस ड्रेस को #SayNoToPlastic और #ClimateCrisisIsReal जैसे हैशटैग्स से सजाया गया था.
'जीरो-वेस्ट (कचरा-विहीन) मुश्किल है, लेकिन लो-वेस्ट (कम कचरा) आसान है'
यह आयोजन इतना सफल रहा कि इनकी शादी के बाद तमाम जोड़े इनके पास इस सलाह के लिए आने लगे कि जीरो-वेस्ट शादी कैसे आयोजित की जाए. इसके बाद तो नूपुर और अश्विन ने अपनी इस इच्छा को पेशे में बदल दिया और ग्रीनम्याना नाम से एक इवेंट प्लानिंग एंड कंसल्टेंसी कंपनी खोल ली.
पिछले तीन साल में वे ऐसी सात शादियां करा चुके हैं और कई जोड़ों को इस बारे में सलाह दे चुके हैं. वे दावा करते हैं कि ग्रीनम्याना ने दो टन से ज्यादा कार्बन को न्यूट्रलाइज यानी बेअसर किया है और करीब पांच टन कचरे का निस्तारण किया है.
लेकिन जिस देश में शादी उद्योग चौथा सबसे बड़ा आर्थिक क्षेत्र समझा जाता हो और जहां हर साल एक करोड़ से ज्यादा शादियां होती हों, वहां इतनी कवायद न के बराबर है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में अश्विन मलवाड़े कहते हैं, "आमतौर पर तीन दिन चलने वाली एक शादी में करीब 700-800 किलो गीला कचरा और 1,500 किलो सूखा कचरा निकलता है. ऐसी शादियों में करीब 250 टन कार्बन उत्सर्जन होता है."
पूजा देवानी और अर्जुन ठक्कर NRI हैं. ये दोनों पुणे में शादी कर रहे थे और चाहते थे कि वे अपने आयोजन से धरती को कम से कम नुकसान पहुंचाएं. लेकिन उन्होंने ब्रिटेन से 140 मेहमान शादी में बुलाए थे.
पूजा देवानी कहती हैं, "सबसे बड़ा सवाल तो यही था कि जब लोग दूसरे देशों से हवाई जहाज से भारत आ रहे हैं, तो यह शादी ईको-फ्रेंडली कैसे हो सकती है?" आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि वे ग्रीनम्याना की मदद से पेड़ लगाकर अपने कार्बन फुटप्रिंट घटाएंगे.
पूजा कहती हैं, "हमने महसूस किया कि जीरो-वेस्ट शादी तो मुश्किल है, लेकिन हम बहुत आसानी से ऐसी शादी कर सकते हैं, जिसमें कचरा बहुत कम निकले."
कार्बन उत्सर्जन का समायोजन
शनय झावेरी की शादी पिछले साल दिसंबर में हुई. कार्बन उत्सर्जन के समायोजन के बारे में उन्होंने भी ग्रीनम्याना की मदद ली और मियावाकी पद्धति से पौधे लगाने का फैसला किया. वह कहते हैं, "हमने ई-निमंत्रण पत्र के जरिए लोगों को निमंत्रण भेजे और जिन्हें निमंत्रण पत्र दिए गए थे, वे बीज पत्रों पर छपे थे, जिन्हें हमने अपने करीबी रिश्तेदारों के साथ समारोह के हिस्से के तौर पर बोया था."
दुबई में रहने वाले प्रोजेक्ट मैनेजर अरिंदम घोषाल भी जनवरी में अपनी बहन की शादी अधिक टिकाऊ तरीके से करने की योजना बना रहे थे. उन्होंने एक क्लाइमेट फाइनेंस कंपनी क्लाइम्स (Climes) से संपर्क किया. यह कंपनी लोगों और कंपनियों को ऑनलाइन क्रेडिट के जरिए कार्बन ऑफसेट खरीदने की अनुमति देती है. इसके जरिए अरिंदम ने 2250 किलो कार्बन को न्यूट्रलाइज किया.
वह कहते हैं, "मैं 2021 तक कार्बन न्यूट्रलाइजेशन के बार में नहीं जानता था. COP-27 के बाद ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के बारे में जानने की मेरी उत्सुकता बढ़ी है."
क्लाइम्स कंपनी के संस्थापक अनिरुद्ध गुप्ता ने 2021 में कंपनी की शुरुआत की और आज करीब 20 कंज्यूमर ब्रांड्स उनके पार्टनर हैं. वह कहते हैं, "हमारा मकसद यह है कि आप जो कर सकते हैं, उसमें कटौती कर दें और जो नहीं कर सकते हैं, उसे न्यूट्रलाइज कर दें. हमें जलवायु कार्रवाई को आसान बनाने की जरूरत है. इसे आसानी से सुलभ, आर्थिक रूप से व्यावहारिक और मजेदार बनाने की जरूरत है."
वह कहते हैं कि जलवायु कार्रवाइयों को ज्यादा मजेदार बनाने के लिए क्लाइम्स ने शादी समारोह में आए मेहमानों को क्रेडिट और QR कोड दिया, जिसे स्कैन करके वे वित्तीय मदद देने के लिए क्लाइमेट सल्यूशन परियोजनाएं चुन सकते थे.
वह कहते हैं, "पैसा क्लाइम्स क्रेडिट्स के रूप में आता है. प्रत्येक क्लाइम की कीमत दो रुपये होती है और यह वायुमंडल में एक किलो कार्बन को ऑफसेट करता है." कंपनी का दावा है कि उसने चार शादी समारोहों से निकले 26 टन से ज्यादा कार्बन को ऑफसेट किया है.
जरूरतमंदों का पेट भर सकता है बचा हुआ खाना
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म स्टेटिस्टा के मुताबिक दुनियाभर में भारतीय शादियों में सबसे ज्यादा मेहमान आते हैं. एक शादी में औसतन 500 मेहमान होते हैं. साल 2017 में भारत के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से दिल्ली क्षेत्र में कराए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि शादियों में 200-300 व्यंजन परोसना कोई असामान्य बात नहीं थी.
गैर-सरकारी संगठनों का कहना है कि अक्सर भोजन की काफी बर्बादी होती है, जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है, बल्कि इसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जा सकता है.
अब्दुल वाहिद नई दिल्ली में रॉबिनहुड आर्मी नाम के NGO के साथ काम करते हैं. यह NGO समाज के गरीब तबके के लोगों को खाना पहुंचाता है. अब्दुल वाहिद कहते हैं, "शादियों में औसतन जितना खाना बचता है, उससे करीब सौ लोगों का पेट भरा जा सकता है." (dw.com)
-सीटू तिवारी
बिहार, 11 मार्च । छह साल की निशा (बदला हुआ नाम) के शरीर पर दांत कांटने के निशान हैं. उसकी नाक के अंदर ख़ून जम गया है, दाहिने आंख में चोट के लाल धब्बे साफ दिख रहे हैं और कमर के हिस्से का कपड़ा लगातार ख़ून से भींग रहा है.
बिहार के बेगूसराय के सदर अस्पताल में एक बेड पर निशा है, तो उसके ठीक बगल वाली बेड पर उसकी 10 साल की दोस्त कविता (बदला हुआ नाम) भर्ती है.
कविता का पूरा चेहरा सफ़ेद पट्टी से ढंका है. उसके चेहरे पर जगह-जगह चोट के निशान हैं और उसका गाल काट दिया गया है.
गाल इतना गहरा काटा गया है कि अस्पताल में कविता की तीमारदारी में लगी उनकी मां बताती हैं, "गाल ऐसे काटा की उनका दांत तक दिखना शुरू हो गया था. डॉक्टर ने कहा टांके नहीं लगा सकते, घाव अपने आप ही भरेगा."
सदर अस्पताल की डॉ आशा कुमारी ने बच्चियों का चिकित्सीय परीक्षण किया है. बीबीसी हिंदी से उन्होंने कहा, "छह साल की बच्ची के साथ बलात्कार के साक्ष्य हैं जबकि दूसरी बच्ची का गाल ऐसे काटा है जैसे किसी कुत्ते ने इंसान को काटा हो."
क्या है पूरा मामला?
निशा और कविता बिहार के बेगूसराय ज़िले के साहेबपुर कमाल प्रखंड की अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाली बच्चियां हैं.
उन दोनों के साथ ये घटना अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन दोपहर में घटी. उस दिन होली भी मनाई जा रही थी.
सदर अस्पताल में भर्ती कविता उस दिन की पूरी घटना टुकड़ों-टुकड़ों में बताने की कोशिश करती है, ऐसा करते हुए बीच-बीच में वो खुद सिहर उठती है.
कविता कहती है, "हम लोग गांव के ही सरकारी स्कूल में झूला झूलने गए थे. स्कूल के मैदान में पहले से ही चार लोग थे जिसमें से सोहन कुमार (उर्फ़ छोटू महतो) हम लोगों के पास आया और हमें दबोचने लगा. हम लोग वहां से भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो लोग हमें बार-बार पकड़ लेते थे और हमारे चेहरे को दीवार पर रगड़ देते थे. बाद में उसने निशा की पैंट खोल दी और अपनी पैंट भी खोल दी. मैं इस बीच उसको नोंचकर भागी."
सड़क के ठीक किनारे बने राजकीय कृत मध्य विद्यालय के बालक शौचालय में घटना के निशान अभी भी मौजूद है. शौचालय में होली के मौक़े पर मिली पूड़ियों के टुकड़े और ख़ून के धब्बे दोनों सूख चुके हैं. दोनों बच्चियों की चप्पलें अभी भी वहां मौजूद हैं.
निशा को पहले से ही बात करने में दिक्कत पेश आती थी, इस घटना के बाद से वो बिल्कुल चुप हैं. उसके कपड़ों पर ख़ून के निशान लगातार बन रहे हैं और खाने के लिए दी जाने वाली हर चीज़ को वो अपनी 'सीमित शक्ति' से उठाकर फेंक देती है.
उसकी मां बताती हैं, "मेरे सात बच्चों में ये अकेली लड़की है. दिनभर घूमती-टहलती थी. कुछ बनाकर रख दो, तो कूद-कूद कर खा लेती थी. हम लोग मांग कर खाने वाले लोग हैं. उस दिन भी बच्चियों के पास मांगी हुई पूड़ियां थी. हम भी पूड़ी मांग कर वापस लौट रहे थे जब किसी ने बताया कि तुम्हारी बेटी को मारकर फेंक दिया है. उसके बाद मैं उसे डॉ मुस्तफ़ा के यहां ले गई."
डॉ मुस्तफ़ा उसी गांव के ग्रामीण चिकित्सक हैं जहां निशा और कविता का परिवार रहता है. निशा और कविता के परिवार वाले उन्हें लेकर सबसे पहले डॉ मुस्तफ़ा के पास ही गए थे.
मुस्तफ़ा ने बीबीसी हिंदी को बताया, "मेरे पास ये दोनों बच्चियां बुरी हालत में लाई गईं थीं. जिसका गाल काटा उसका तो दांत तक दिखने लगा था और दूसरी को लगातार ब्लीडिंग हो रही थी. मैंने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी. दस मिनट के भीतर पुलिस आ गई और बच्चियों को अस्पताल ले गई. अगर ऐसा नहीं होता तो निशा ज़िंदा नहीं बच पाती."
बलात्कार की पुष्टि
बेगूसराय पुलिस अधीक्षक योगेन्द्र कुमार कहते हैं, "इस मामले में परिवार ने चार युवकों सोहन कुमार, बबलू कुमार, हरदेव कुमार, गोविन्द महतो को नामजद अभियुक्त बनाया है जिसमें से सोहन और बबलू की गिरफ़्तारी हो चुकी है."
वो कहते हैं, "इस मामले में अभी तक जो परीक्षण हुआ है, उसके मुताबिक़ बच्ची का बलात्कार हुआ था, प्रथम दृष्टया ये मामला गैंगरेप का मामला प्रतीत हो रहा है. हमारी कोशिश इस मामले की जल्द जांच कर उसका स्पीडी ट्रायल कराना है."
पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज इस मामले की जांच में फॉरेंसिंक साइंस टीम को लगाया गया है. साथ ही जल्द से जल्द जांच पूरा करने के लिए एसडीपीओ, बलिया के नेतृत्व में टीम का भी गठन किया गया है.
अभियुक्तों पर नशीले पदार्थ सप्लाई करने का आरोप
घटना होने के कुछ घंटों के अंदर ही सोहन कुमार उर्फ़ छोटू महतो को गिरफ़्तार कर लिया गया. जिस वक्त छोटू को पकड़ा गया, वो नशे में था. बेगूसराय पुलिस अधीक्षक योगेन्द्र कुमार इसकी पुष्टि करते हैं.
अभियुक्तों के बारे में स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि ये लोग गांव के स्कूल के पास ही शराब और अन्य नशीले पदार्थ की सप्लाई करते रहे हैं.
इस मामले में दूसरी गिरफ़्तारी बबलू कुमार की हुई है, वो पेशे से पत्रकार हैं. बबलू और सोहन आपस में चचेरे भाई हैं.
बबलू कुमार के पिताजी जय जय राम बीबीसी से कहते हैं, "मेरे बेटे ने कोई रेप नहीं किया है. वो तो पत्रकार है और बजरंग दल का सदस्य भी है."
हालांकि बजरंग दल के साहेबपुर कमाल प्रखंड के संयोजक साजन कुमार इस बात से इनकार करते हुए कहते हैं, "हम बबलू को सिर्फ पत्रकार की हैसियत से जानते थे, उसका बजरंग दल से कोई रिश्ता नहीं है."
जय जय राम पानी की गुमटी चलाते हैं और गांव में वो 'महात्मा जी' के नाम से जाने जाते हैं.
गांव की खामोशी
सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट का प्रभार संभाल रहे डॉ अखिलेश कुमार बताते हैं, "दोनों बच्चियों की हालत खतरे से बाहर है."
लेकिन साहेबपुर कमाल के इस गांव में बेचैन करने वाली शांति है. महतो टोले में ख़ासकर, सभी अभियुक्त जहां के रहने वाले हैं, वहां कभी भी लोगों का गुस्सा उबल पड़ता है.
स्थानीय लोग अपनी छोटी बच्चियों को घर से बाहर निकलने देने में भी अब परहेज बरत रहे हैं.
ज़फ़ीर और मोहम्मद एजाज़ के बच्चे उसी सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं जहां ये घटना हुई.
वो बीबीसी हिंदी से कहते हैं, "प्रशासन पहले स्कूल में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, उसके बाद ही अपने बच्चों को स्कूल हम भेजेंगे. इन लोगों ने स्कूल जैसे ज्ञान के मंदिर को असामाजिक काम का अड्डा बनाया हुआ है."
घटना के बाद से ही गांव में लगातार बिहार पुलिस के जवान तैनात हैं. गांव में शांति रहे, इस मकसद से गांव के मुखिया के पति मोहम्मद नसीरूद्दीन की पहल पर 35 सदस्यीय शांति समिति का गठन किया गया है.
शांति समिति के सदस्य विनोद कुमार और सदन कुमार सिंह बताते हैं, "हमारी कोशिश है कि किसी भी तरह गांव का माहौल न बिगड़े, किसी तरह का दंगा होगा तो हम सबका नुक़सान होगा. पुलिस की कार्रवाई से हम लोग संतुष्ट हैं और चाहते हैं कि अपराधियों को जल्द से जल्द सज़ा मिले." (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 11 मार्च | दिल्ली पुलिस ने राजधानी के पहाड़गंज इलाके में होली के दिन जापानी महिला पर्यटक को रंग लगाने के बहाने छेड़खानी करने के मामले में एक किशोर सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। वायरल हुई घटना के एक वीडियो में, लड़कों का एक ग्रुप जापानी लड़की को होली है के नारों के बीच जबरन रंग लगाते हुए दिखाई दे रहा है।
वीडियो में एक लड़का जापानी लड़की के सिर पर एक अंडा फोड़ते हुए भी देखा जा सकता है, जबकि महिला वहां से निकलने के लिए 'बाय बाय' चिल्ला रही है।
अधिकारी ने कहा कि महिला शुक्रवार को बांग्लादेश के लिए रवाना हुई। उन्होंने न तो दिल्ली पुलिस को और न ही जापानी दूतावास को कोई शिकायत या कॉल की, जैसा कि दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे गए एक मेल के जवाब में मिशन के एक अधिकारी ने पुष्टि की।
अधिकारी ने कहा, वीडियो में देखे गए लड़कों की पहचान फील्ड अधिकारियों और स्थानीय खुफिया विभाग के गहन प्रयासों के बाद की गई है और एक किशोर सहित तीन लड़कों को पकड़ा गया है। उन्होंने वीडियो में देखी गई घटना के बारे में कबूल किया है। वे सभी पहाड़गंज के पास के इलाके के निवासी हैं।
महिला ने एक ट्वीट में कहा कि वह बांग्लादेश पहुंच गई है और मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ है। (आईएएनएस)|
चेन्नई, 11 मार्च | एक हिस्ट्रीशीटर, जो सीपीआई के एक पदाधिकारी सहित कई हत्याओं में शामिल था, उसकी तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। नीडमंगलम, तिरुवरुर और तिरुचि जिले के अन्य हिस्सों में 1,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। तिरुचि के पुलिस अधीक्षक ने मीडियाकर्मियों को बताया कि हमलावरों को पकड़ने के लिए तीन विशेष टीमों को तैनात किया गया है।
राजकुमार के तिरुचि और मदुरै जिलों में कई गिरोहों के साथ संबंध होने के कारण, पुलिस हाई अलर्ट पर है क्योंकि उसकी हत्या का बदला लेने के लिए हमला किया जा सकता है।
32 वर्षीय राजकुमार, जिसकी शुक्रवार को हत्या कर दी गई थी, 10 नवंबर, 2021 को भाकपा कार्यकर्ता तमिझारवन (51) की हत्या का मुख्य आरोपी था।
पुलिस ने कहा था कि राजकुमार और तामिझारवन के बीच पहले से दुश्मनी थी।
तिरुचि के नीडमंगलम में पुलिस के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि यह स्पष्ट नहीं है कि राजकुमार की हत्या तामिझारवन की हत्या का प्रतिशोध थी या अन्य हत्याओं की प्रतिक्रिया के रूप में जो उसने पहले की थी।
चेन्नई में पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि पुलिस राजकुमार की हत्या के पीछे के लोगों को गिरफ्तार करेगी और तमिलनाडु पुलिस के डीजीपी सी. सिलेंद्रबाबू के नेतृत्व में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तिरुचि में हाल के घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंगे। (आईएएनएस)|
टोरंटो, 11 मार्च | कनाडा स्थित ऑनलाइन स्टोरीटेलिंग प्लेटफॉर्म वॉटपैड ने घोषणा की है कि चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिस्थितियों के बीच लगभग 15 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी कर दी है। 267 वर्कफोर्स में से 42 कर्मचारियों को निकाल दिया गया है। वॉटपैड अंतरिम अध्यक्ष केबी नाम ने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा, जैसा कि आप सभी जानते हैं, पिछले एक साल में वैश्विक आर्थिक वास्तविकता मौलिक रूप से बदल गई है और अन्य व्यवसायों की तरह, हम समर्थ नहीं हैं। हमने अपने कार्यबल को कम करने का कठिन निर्णय लिया है। वॉटपैड के लिए काम करने वाले 267 लोगों में से 42 कर्मचारियों को निकाल दिया गया है।
इसका मतलब यह नहीं है कि टीम के ये सदस्य हमारे काम का अहम हिस्सा नहीं रहे हैं। यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि ये निर्णय बदलती व्यावसायिक वास्तविकताओं और आवश्यकताओं की प्रतिक्रिया में हैं, और किसी भी तरह से व्यक्तिगत योगदान का प्रतिबिंब नहीं हैं। वॉटपैड में हर किसी ने जबरदस्त उपलब्धि हासिल की है और हमारी कंपनी पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
इसके अलावा, कंपनी ने कहा कि वह प्रस्थान करने वाले कर्मचारियों को कम से कम 12 सप्ताह का विच्छेद और छह महीने का निरंतर लाभ प्रदान करेगी, साथ ही, उन्हें अपने लैपटॉप और अन्य उपकरणों को रखने की अनुमति होगी।
जनवरी में, ई-कॉमर्स व्यवसायों को इक्विटी-मुक्त पूंजी समाधान प्रदान करने वाले एक ई-कॉमर्स निवेशक, कनाडा स्थित क्लियरको ने अपने कर्मचारियों के 30 प्रतिशत को बंद कर दिया। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 11 मार्च | फिल्म और टीवी एक्ट्रेस सुषमा सेठ को महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्डस (मेटा) 2023 लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी में कमानी ऑडिटोरियम में 29 मार्च को पुरस्कार समारोह के दौरान उन्हें सम्मानित किया जाएगा। टीमवर्क आर्ट्स और महिंद्रा ग्रुप ने जूरी सदस्यों के थिएटर निर्देशक अमल अल्लाना, थिएटर और फिल्म एक्ट्रेस अरुंधति नाग, पुरस्कार विजेता थिएटर निर्देशक ब्रूस गुथरी, रंगमंच निर्देशक नीलम मानसिंह चौधरी, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्तकर्ता अभिनेता मोहन अगाशे, पुरस्कार विजेता रंगमंच कलाकार और अभिनेता शेरनाज पटेल और इंडिया हैबिटेट सेंटर के निदेशक और दिल्ली म्यूजिक सोसाइटी के अध्यक्ष सुनीत टंडन की घोषणा की है।
ये घोषणाएं राजधानी में 23 से 28 मार्च तक चलने वाले सप्ताह भर चलने वाले मेटा और फेस्टिवल से पहले की गई हैं। इसके दौरान दस-शॉर्टलिस्ट किए गए प्ले का प्रदर्शन किया जाएगा।
असमिया, अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, मारवाड़ी और तमिल जैसी भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली 400 से अधिक एंट्रीज प्राप्त हुई।
इस साल की लाइफटाइम अवार्ड विजेता सुषमा सेठ ने अपने करियर की शुरूआत 1950 के दशक में की थी, और वह दिल्ली स्थित थिएटर ग्रुप यात्रिक की संस्थापक सदस्य थीं। उनकी पहली फिल्म 'जुनून' (1978) थी और उन्हें 1980 के दशक में प्रसारित टीवी सोप 'हम लोग' में 'दादी' की भूमिका के लिए जाना जाता है।
महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के कल्चरल आउटरीच के प्रमुख जय शाह ने कहा, हम सुषमा सेठ को मेटा 2023 लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान करने के लिए रोमांचित हैं, जो रंगमंच की जटिलता और बारीकियों को समझती हैं और वास्तव में थिएटर की बारीकियों को समझती हैं। उनके शानदार कार्य के माध्यम से वह यह अवॉर्ड जीती है।
टीमवर्क आर्ट्स एंड फेस्टिवल प्रोड्यूसर के प्रबंध निदेशक संजय के. रॉय ने कहा, मेटा 2023 लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड सहित 14 कैटेगिरी में पुरस्कार प्रदान करेगा। बेस्ट प्ले, बेस्ट डायरेक्टर,व बेस्ट स्टेज डिजाइन,बेस्ट लाइट डिजाइन, बेस्ट इनोवेटिव साउंड डिजाइन, बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन, बेस्ट एक्टर इन अ लीड रोल (मेल), बेस्ट एक्ट्रेस इन अ लीड रोल (फीमेल), बेस्ट एक्टर इन अ सर्पोटिंग रोल (मेल), बेस्ट एक्ट्रेस इन अ सर्पोटिंग रोल (फीमेल), बेस्ट ओरिजनल स्क्रिप्ट औप बेस्ट कोरियोग्राफर के लिए 13 कॉम्पिटेटिव कैटेगिरीज हैं। (आईएएनएस)|
मुजफ्फरनगर, 10 मार्च | जुआ रैकेट चलाने के आरोप में यहां पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। आरोपियों की पहचान इकबाल, रईश, वजाहत, आबिद और शाहआलम के रूप में हुई है।
बुढ़ाना थाना प्रभारी (एसएचओ) बृजेश शर्मा ने कहा कि बाहरी जिले में संगठित अपराध के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है और इसके लिए इलाके में मौजूद 'बुरे चरित्रों' पर नजर रखने के लिए गुप्त मुखबिरों को तैनात किया गया है।
एसएचओ शर्मा ने कहा, 8 मार्च को दो पुलिस कांस्टेबल ड्यूटी पर थे। जब वे कस्बा बुढ़ाना रोड पर, खण्डरनुमा मकान के पास पहुंचे, तो उन्होंने एक व्यक्ति को '10 का 100' चिल्लाते हुए देखा। वहां चार और लोग मौजूद थे।
पुलिस ने पांचों को हिरासत में लिया और उनके कब्जे से 41,240 रुपये नकद ,एक मोबाइल फोन और दो ताश की गड्डी को बरामद किया।
पुलिस ने बुढ़ाना थाने में जुआ अधिनियम की धारा 5, 9 और 55 के तहत मामला दर्ज किया और उनके सरगना इकबाल सहित सभी पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 10 मार्च । दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए पूर्व विधायक एवं कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन अनिल भारद्वाज ने कहा, दिल्ली कांग्रेस पूछती है कि अन्ना-दूत अरविन्द केजरीवाल की नई शराब नीति में कोई भ्रष्टाचार नहीं था। वे राजस्व में फायदा पहुंचाने वाली थी तब दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति को वापस क्यों लिया? शराब करोबारियों की कमीशन को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत किसने की और इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं। किसके इशारे पर ब्लेक लिस्टेड कारोबारियों को अनुबंधित किया? दिल्ली को घोटालों की राजधानी बनाने वाले अरविन्द केजरीवाल नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा दें।
आगे अनिल भारद्वाज ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली 15 साल की शीला दीक्षित सरकार पर मनघंढ़त आरोप लगाकर भ्रष्टाचारी कहा था। क्या शीला दीक्षित के किसी भी मंत्री पर चार्जशीट हुई जबकि केजरीवाल सरकार के 9 वर्षों की सरकार के कार्यकाल में इनके 6 मंत्री जेल की हवा खा चुके हैं। मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन आज भी जेल में हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली मंत्रीमंडल के प्रमुख होने के नाते मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इस्तीफा दें और दिल्ली की जनता से माफी मांगें।
अनिल भारद्वाज ने कहा कि 2014 में जनलोकपाल के गठन के लिए 49 दिन की सरकार से इस्तीफा देकर पुन: पूर्ण बहुमत से सत्ता हथियाने के बाद अरविन्द केजरीवाल के 9 वर्षों के कार्यकाल में जनलोकपाल तो नहीं बनाया परंतु दिल्ली को घोटाले की राजधानी जरूर बना दिया। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली में जनलोकपाल होता तो दिल्ली के भ्रष्टाचारी पहले ही जेल में होते। कहां है जनलोकपाल। ( आईएएनएस )।
शिवपुरी, 10 मार्च | मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित माधव नेशनल पार्क में दो बाघ के छोड़ने से अब अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर पहचान मिली है। इतना ही नहीं 27 साल बाद इस माधव नेशनल पार्क में बाघों की फिर दहाड़ सुनाई दी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में बाघ का एक जोड़ा छोड़ा। इस मौके पर मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि शिवपुरी ऐतिहासिक प्राचीन पर्यटन नगरी है। नेशनल पार्क में आज दो बाघ के छोड़ने से अब शिवपुरी अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर पहचाना जाएगा। पर्यावरण-संरक्षण एवं संवर्धन के लिये बाघों का संरक्षण और उनकी सुरक्षा भी करनी होगी। उन्होंने कहा कि शिवपुरी में बाघों के आने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और देशी एवं विदेशी पर्यटकों के आने से जिले की इकोनॉमी भी बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री चौहान ने बाघ मित्रों से संवाद करते हुए कहा कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क से मादा और सतपुड़ा नेशनल पार्क से नर बाघ शिवपुरी लाया गया है। शीघ्र ही तीन बाघ और लाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बाघ मित्रों से कहा कि हमें बाघ और वन्य-प्राणियों के संरक्षण के लिये लोगों को जागरूक कर बताना होगा कि वन्य-प्राणी हमारे मित्र है और हमें उन्हें संरक्षण देना है। (आईएएनएस)|
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बाघ प्रोजेक्ट में बाघों के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ अधो-संरचना के कार्य भी किए जायेंगे। साथ ही गाइड, होटल एवं टैक्सी संचालकों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। होम-स्टे को भी बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे बाहर से आने वाले सैलानियों को प्राकृतिक एवं खुले वातावरण में बाघ एवं वन्य-प्राणियों को देखने का अवसर मिलेगा। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के साथ स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रदेश के लिए बड़ी खुशी की बात है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में चीते छोड़े थे। आज शिवपुरी के नेशनल पार्क में दो बाघ छोड़े गए हैं।
केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सिंधिया ने कहा कि 27 वर्षों के बाद माधव नेशनल पार्क में अब बाघों की दहाड़ सुनने के साथ सैलानियों को उन्हें देखने का भी अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि शिवपुरी सहित अंचल के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है और क्षेत्र के लिए गौरव की बात भी है।
उन्होंने कहा कि उनके पूज्य पिताजी स्व. माधवराव सिंधिया की जयंती पर मुख्यमंत्री चौहान के प्रयासों से आज माधव नेशनल पार्क में पुन: बाघों को विस्थापित किया गया है। दूसरे चरण में तीन बाघ और लाए जाएंगे।
सिंधिया ने कहा कि बाघों के आने से जहां पर्यावरण संतुलित होगा, वहीं स्थानीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे क्षेत्र की आर्थिक संपन्नता भी बढ़ेगी।
वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा कि स्व-सहायता समूह के माध्यम से स्थानीय लोगों को चार टैक्सी उपलब्ध कराई जाएगी, जो सैलानियों को नेशनल पार्क का भ्रमण करायेंगी। साथ ही टूरिस्ट गाइड के रूप में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे स्थानीय स्तर पर भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि सैलानियों के आने से स्थानीय होटल के साथ होम-स्टे से भी रोजगार बढ़ेगा।
करीमनगर (तेलंगाना), 11 मार्च | कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह तेलंगाना में पार्टी के सत्ता में आने के बाद दो साल के भीतर सभी जमीनों का फिर से सर्वेक्षण करेगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने राज्य के करीमनगर जिले के सुल्तानपुर में 'कांग्रेस गारंटी कार्ड' बांटने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि पार्टी 'एक पट्टा एक रिकॉर्ड' की अवधारणा लाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी भूमि रिकॉर्ड के संबंध में 125 अधिनियमों और 30,000 सरकारी आदेशों को समाप्त कर देगी।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि पार्टी सभी 33 जिलों में भूमि न्यायाधिकरण स्थापित करेगी। यह धारानी पोर्टल द्वारा की गई गलतियों को सुधारने के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा, धारानी पोर्टल में 60 लाख भूस्वामियों के खातों में से 20 लाख भूस्वामियों को विसंगतियों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि आने वाले 60 दिनों में, सभी निर्वाचन क्षेत्रों में 'धारानी अदालतें' आयोजित की जाएंगी, जहां भूस्वामी अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी उनके लिए 'कांग्रेस गारंटी कार्ड' जारी करेगी और राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने पर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
रमेश ने कहा, जब कांग्रेस सत्ता में आएगी तो मालिक की सहमति के बिना जबरदस्ती जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। (आईएएनएस)|
पटना, 11 मार्च | राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके भाई तेजस्वी यादव के दिल्ली स्थित आवास पर छापेमारी करने पर निशाना साधा। प्रवर्तन निदेशालय ने नौकरी के बदले जमीन मामले में शुक्रवार को राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय राजधानी स्थित आवास समेत 15 से अधिक जगहों पर छापेमारी की।
ट्वीट करते हुए उन्होंने ईडी के छापे के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की भी आलोचना की। आचार्य ने ट्वीट किया, गर्भवती महिला और बच्चों को परेशान करने के लिए आपको खुद पर शर्म आनी चाहिए।
बीजेपी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए उन्होंने ट्विटर पर लिखा, हम इस तरह के अन्याय को याद रखेंगे। सब कुछ याद रखा जाएगा। उन छोटे बच्चों के अपराध क्या हैं? आप उन्हें क्यों प्रताड़ित कर रहे हैं? शुक्रवार सुबह से उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा। आपको सही समय पर उचित जवाब मिलेगा।
इस बीच, बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, नीतीश कुमार लालू प्रसाद परिवार को बचा रहे हैं..शरद यादव और ललन सिंह ने 2008 में नौकरी के लिए जमीन की जांच के लिए पहल की थी। उन्होंने सीबीआई को सारे दस्तावेज मुहैया कराए थे। जांच के लिए ललन सिंह ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को ज्ञापन दिया था। अब वह कार्रवाई रोकने के लिए केंद्र को पत्र लिख रहे हैं।
राजद के पूर्व विधायक अबु दुजाना के कार्यालयों और घरों पर ईडी के छापे पर प्रतिक्रिया देते हुए सुशील मोदी ने कहा, अबू दुजाना वह व्यक्ति है जो पटना में तेजस्वी यादव का 750 करोड़ रुपये का मॉल बनवा रहा था। ईडी ने शुक्रवार को तेजस्वी यादव, उनकी बहन चंदा यादव, रागिनी यादव, हेमा यादव, लालू प्रसाद के करीबी अबू दुजाना और अन्य के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित घर समेत लालू के परिवार और दोस्तों के 15 ठिकानों पर छापेमारी की।
इससे पहले सीबीआई ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद और उनकी बेटी मीसा भारती से छह और सात मार्च को आईआरसीटीसी की भूमि मामले में पूछताछ की थी। (आईएएनएस)|
अनिमेष सिंह
नई दिल्ली, 10 मार्च | सरकार ने भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) में अपनी 25 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी के विनिवेश को मंजूरी दे दी है और प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवश्यक औपचारिकताएं चल रही हैं।
बीसीसीएल देश की सबसे बड़ी शुष्क ईंधन उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सहायक कंपनी है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय अधिकार प्राप्त मंत्रिस्तरीय समिति, जिसमें कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी शामिल हैं, ने बीसीसीएल की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रिस्तरीय समिति के पास बीसीसीएल में 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी देने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि समिति ने प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद इसे कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के बोर्ड को भेज दिया था, जिसने भी इसे मंजूरी दे दी है। हालांकि यह देखा जाना बाकी है कि बीसीसीएल के शेयरों का विनिवेश रणनीतिक बिक्री के जरिए किया जाएगा या आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के जरिए।
सीआईएल के पुनर्गठन की अपनी योजना के तहत सरकार ने पिछले साल बीसीसीएल के 25 फीसदी शेयरों की शुरूआती लिस्टिंग का फैसला किया था। सीआईएल ने मई 2022 में कहा था कि वह अपनी असूचीबद्ध शाखा बीसीसीएल में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है और आगे की मंजूरी प्राप्त करने के बाद स्टॉक एक्सचेंजों में सहायक कंपनी की बाद की लिस्टिंग के लिए जाएगी।
मार्च 2022 में इस मामले पर चर्चा करने के लिए सीआईएल के बोर्ड की एक बैठक आयोजित की गई थी, कोयला बेहेमोथ ने नियामक फाइलिंग में इसकी जानकारी दी थी। यह सूचित करते हुए कि कंपनी के बोर्ड ने प्रस्ताव को केवल सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी, उस समय सीआईएल ने कहा था कि सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
बीसीसीएल को झरिया और रानीगंज कोलफील्ड्स में संचालित कोकिंग कोल खदानों को संचालित करने के लिए जनवरी 1972 में शामिल किया गया था। इसे 16 अक्टूबर, 1971 को सरकार द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया था। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 11 मार्च | शुक्रवार को एक अधिकारी ने कहा कि 29 वर्षीय एक व्यक्ति को द्वारका इलाके में होली (8 मार्च) में नशे की हालत में एक ऑन-ड्यूटी दिल्ली पुलिस हेड कांस्टेबल को कार से टक्कर मारने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। बुधवार की शाम करीब 8.30 बजे सेक्टर 10 में जब दो पुलिस कर्मी पेट्रोलिंग कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक कार के अंदर बैठे कुछ लोग तेज म्यूजिक बजा रहे हैं। कार सवारों को आवाज कम करने को कहा गया।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, इसके बाद कार आगे बढ़ाने लगे और वह हेड कांस्टेबल जगदीश की ओर आने लगी, जो कार से बचने में सफल रहे। जगदीश को मामूली चोटें आईं, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी।
इसके बाद दोनों हेड कांस्टेबलों ने वाहन का पीछा किया और चालक को पकड़ लिया, जिसकी पहचान द्वारका के धुलसीरस गांव निवासी नितिन गोदारा के रूप में हुई है। पुलिस अधिकारी ने कहा, ड्राइवर नशे की हालत में पाया गया और उसकी मेडिकल जांच की गई। मामला दर्ज कर लिया गया है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। (आईएएनएस)|
पटना, 11 मार्च | बिहार पुलिस ने तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमलों का फर्जी वीडियो बनाने वाले मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। बिहार पुलिस के एक प्रवक्ता के अनुसार, दो आरोपी मनीष कश्यप और यूराज सिंह फरार हैं। पुलिस जमुई जिले के मूल निवासी आरोपी अमन कुमार को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। प्रवक्ता ने कहा, मुख्य आरोपी गोपालगंज जिले के मूल निवासी राकेश रंजन कुमार ने 6 मार्च को 2 व्यक्तियों की मदद से जक्कनपुर थाना अंतर्गत पटना की बंगाली कॉलोनी में किराए के मकान में फर्जी वीडियो बनाया था। उसने अपराध कबूल कर लिया है। वीडियो बनाने के पीछे बिहार और तमिलनाडु की पुलिस को गुमराह करना था। प्रवक्ता ने कहा कि हमने राकेश रंजन कुमार के मकान मालिक से भी पूछताछ की, उन्होंने भी पुष्टि की है कि वीडियो उनके घर पर बनाया गया था।
उन्होंने कहा,जांच दल ने पटना में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) पुलिस स्टेशन में राकेश रंजन, मनीष कश्यप, यूराज सिंह और अमन कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
पुलिस ने कहा कि राकेश रंजन कुमार द्वारा बनाए गए एक वीडियो को 8 मार्च को मनीष कश्यप नाम के व्यक्ति ने ट्वीट किया था। उसने वीडियो को बीएनआर न्यूज हनी नाम के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था।
पवक्ता ने बताया, वीडियो में दो लोग किसी चीज से बंधे नजर आ रहे हैं। वीडियो संदिग्ध लग रहा था। जांच के दौरान सामने आया कि वीडियो राकेश रंजन कुमार ने बनाया था। उसे गोपालगंज से हिरासत में लेकर ईओयू थाने में पटना लाया गया। उसने अपराध कबूल कर लिया। प्रवक्ता ने विस्तार से बताया।
पुलिस के मुताबिक मनीष कश्यप के खिलाफ सात आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह पुलिस टीम पर हमला करने में भी शामिल था। पुलवामा की घटना के बाद, वह पटना के ल्हासा बाजार में कुछ कश्मीरी व्यापारियों की पिटाई करने में शामिल था और जेल की सजा काट चुका है। वह पूर्व में कई आपत्तिजनक सांप्रदायिक पोस्ट अपलोड करने में भी शामिल था।
आरोपी यूराज सिंह भी फर्जी वीडियो अपलोड करने में शामिल था। उसके खिलाफ तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। वह तीन माह पहले भोजपुर जिले के नारायणपुर गांव में फायरिंग में शामिल था और फरार चल रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि मधुबनी के एक युवक की तमिलनाडु में हत्या शीर्षक वाली कहानी एक हिंदी दैनिक में प्रकाशित हुई थी। हालांकि, तिरुपुर जिले (तमिलनाडु) के एसपी ने इस खबर का खंडन किया।
बहन की शादी टलने के बाद शंभू मुखिया नाम के युवक ने आत्महत्या कर ली थी। उसकी पत्नी ने 5 मार्च को तिरुपुर जिले के मंगलम पुलिस थाने में एक आवेदन दिया था और उसने दावा किया था कि उसके पति ने अपनी कलाई काट ली है।
बिहार पुलिस ने तमिलनाडु की घटना के संबंध में दो प्राथमिकी दर्ज की और विभिन्न सोशली मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड किए गए 30 वीडियो की पहचान की। पुलिस ने 26 संदिग्ध सोशल मीडिया खातों की भी पहचान की और 42 अन्य सोशल मीडिया खातों को नोटिस दिए गए। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 11 मार्च | विदेशी पाकिस्तानी कामगारों द्वारा भेजे जाने वाले धन में फरवरी में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। केंद्रीय बैंक ने यह जानकारी दी। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने कहा कि श्रमिकों के प्रेषण ने फरवरी में पिछले महीने के 1.894 अरब डॉलर की तुलना में 1.987 अरब डॉलर का प्रवाह दर्ज किया।
एसबीपी ने कहा कि साल-दर-साल आधार पर प्रेषण में 9.5 प्रतिशत की कमी आई है।
बैंक के अनुसार, पिछले महीने मुख्य रूप से सऊदी अरब से 454.6 मिलियन डॉलर, संयुक्त अरब अमीरात से 324 मिलियन डॉलर, ब्रिटेन से 317 मिलियन डॉलर और अमेरिका से 219.4 मिलियन डॉलर पाकिस्तान भेजा गया।
गौरतलब है कि विदेश में रह रहे श्रमिकों द्वारा भेजा जाने वाला धन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वे विदेशी मुद्रा के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 11 मार्च | अमेरिका के वाशिंगटन राज्य के रेडमंड में एक संदिग्ध व्यक्ति ने प्रेमी युगल की हत्या कर खुद भी खुदकुशी कर ली। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस को एक घर में गोली लगने से घायल एक व्यक्ति मिला, बाद में उसकी मौके पर ही मौत हो गई। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने रेडमंड के पुलिस प्रमुख डेरेल लोवे के हवाले से कहा कि घर के अंदर एक महिला की भी मौत हो गई थी और संदिग्ध हमलावर का शव मुख्य बेडरूम में मिला।
लोवे के अनुसार, घर पर रहने वाली महिला की मां ने संदिग्ध का सामना किया और किसी तरह भागने में सफल रही और पुलिस को सूचना दी।
जोड़े की पहचान जारी नहीं की गई है। रेडमंड पुलिस ने संदिग्ध की पहचान 38 वर्षीय रामिन खोडाकरमरेजाई के रूप में की है।
खोडाकरमरेजाई एक ट्रक ड्राइवर था। उसने महिला का पोडकास्ट सुना। द सिएटल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वे क्लबहाउस ऐप पर मिले थे।
पीड़िता ने दिसंबर 2022 में रेडमंड पुलिस से संपर्क किया और संदिग्ध गतिविधियों के तेज होने के बाद जनवरी में फिर से संपर्क किया।
लोवे ने शुक्रवार दोपहर एक मीडिया ब्रीफिंग में मामले की जानकारी दी। (आईएएनएस)|
गाजियाबाद, 11 मार्च | गाजियाबाद में लालू यादव के समधी जितेंद्र यादव के घर ईडी की जांच 16 घंटे तक चली। शुक्रवार सुबह 8 बजे शुरू हुई जांच-पड़ताल रात 12 बजे जाकर पूरी हुई। ईडी टीम तीन बड़े बॉक्स में डॉक्यूमेंट्स भरकर अपने साथ ले गई है। हालांकि ईडी ने अभी तक इस कारवाई को लेकर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। सूत्रों ने बताया कि ईडी टीम को जितेंद्र यादव के घर से कुछ संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। इनके संबंध में परिवार के सदस्यों से पूछताछ चल रही है। कहा जा रहा है कि टीम को कुछ संदिग्ध हाथ लगा है।
गौरतलब है कि बिहार में लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में हुए लैंड फॉर जॉब स्कैम से जुड़े मामले में अब उनके करीबियों के यहां ईडी की कार्रवाई चल रही है। गाजियाबाद के आरडीसी राजनगर में लालू के समधी जितेंद्र यादव रहते हैं। ईडी की टीम तीन गाड़ियों में शुक्रवार सुबह 8 बजे जितेंद्र यादव के आवास पर पहुंची थी। ईडी की टीम ने परिवार के सभी सदस्यों के फोन अपने कब्जे में लिए थे।
लालू यादव के चौथे नंबर की बेटी रागिनी की शादी साल-2012 में जितेंद्र यादव के बेटे राहुल यादव से हुई थी। जितेंद्र यादव समाजवादी पार्टी के नेता हैं और पूर्व एमएलसी हैं। उनके बेटे राहुल यादव ने सपा के टिकट पर साल-2017 और 2022 का विधानसभा चुनाव बुलंदशहर जिले की सिकंदराबाद विधानसभा सीट से लड़ा था, लेकिन दोनों बार हार हुई। (आईएएनएस)|
विधानसभा चुनाव के वक्त दाखिल हलफनामे के मुताबिक, राहुल के पास करीब 25 करोड़ रुपए की संपत्ति है। राहुल गाजियाबाद में एक रेस्टोरेंट भी चलाते हैं, इसमें रागिनी भी उनका हाथ बंटाती हैं। करीब 5 साल पहले राहुल यादव के खाते से एक करोड़ रुपए राबड़ी देवी के खाते में ट्रांसफर हुए थे, उस वक्त भी उनसे एजेंसियों ने पूछताछ की थी।