राष्ट्रीय
लखीमपुर खीरी, 29 जनवरी | तेज गति से आ रही कार की चपेट में आए बाइक सवार को बचाने के लिए सड़क पर आ रहे ट्रक ने अपना संतुलन खो दिया जिसके चलते वहां चल रहे लोगों पर ट्रक चढ़ गया जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। घटना लखीमपुर सदर कोतवाली थाना क्षेत्र के पांगी खुर्द गांव के समीप शनिवार देर रात हुई।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनहानि पर शोक व्यक्त किया है और जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह को जीवित बचे लोगों का सर्वोत्तम संभव इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
एक चिकित्सा अधिकारी ने कहा, "मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि दो लोगों की हालत बेहद गंभीर है। उन्हें लखनऊ के एक चिकित्सा केंद्र में रेफर किया गया है।"
पुलिस अधीक्षक (एसपी) खीरी गणेश प्रसाद साहा ने कहा, "दुर्घटना संभवत: ट्रक का स्टीयरिंग व्हील फेल होने या ट्रक चालक को सड़क पर लोगों को नहीं देख पाने के कारण हुआ। हम सही कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।"
शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। (आईएएनएस)|
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 29 जनवरी | श्रीरामचरित्र मानस को लेकर इन दिनों देश भर में सियासी तूफान मचा हुआ है। जानकारों की मानें तो राजनीतिक दलों के आपसी टकराव के बीच इस ग्रंथ को पीसा जा रहा है। कुछ लोग कहते हैं रामचरितमानस कहीं आस्था और अस्मिता के बीच के विवादों में तो नहीं फंस रही।
जानकारों की मानें तो पहली बार रामचरित मानस राजनीतिक आलोचना विमर्श का केंद्र बना है। हालांकि इसकी चौपाइयों पर सवाल पहले भी उठे हैं लेकिन इसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। शरद नवरात्रि में कहीं कहीं इसके सुन्दर कांड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मंडलों द्वारा मंगलवार और शनिवार को इसके सुन्दरकांड का पाठ किया जाता है।
इतिहासकारों की मानें तो रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। रामचरितमानस की लोकप्रियता बहुत है। रामचरितमानस में 12,800 पंक्तियां हैं, जो 1,073 दोहों और सात कांड में विभाजित हैं। बालकांड, अयोध्याकांड, अरंयकांड, किष्किन्धाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड।
हालांकि उत्तरकांड को लेकर विवाद है। माना जाता है कि वाल्मीकि रामायण में यह बाद में जोड़ा गया तो मानस में भी यह बाद का कांड ही माना जाता है। जबकि वाल्मीकि रामायण लंकाकांड पर समाप्त हो जाती है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के. विक्रम राव कहते हैं कि बुनियादी तौर पर इस पर सवाल उठना प्रसंगहीन है। 500 साल पुराना ग्रंथ है। यह हर घर में शादियों से प्रचलन में रहा है। अब अचानक 2023 में इस पर सवाल उठना मकसद को दर्शाता है। मकसद है जो हिंदू संगठित हो रहे हैं, उसकी ²ष्टि यह उनके वोट पाने का प्रयास है। जो सेकुलर हिन्दू हैं वो इस कथन का समर्थन कर सकते हैं।
राव कहते हैं कि राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में देखें तो रामचरित मानस कभी विवाद का विषय नहीं रहा है। राममनोहर लोहिया खुद नास्तिक थे, उन्होंने रामायण मेला शुरू किया था। सपा संस्थापक मुलायम सिंह भी इस मेले में जाते थे। उनकी पार्टी के लोग पता नहीं क्यों अब सवाल उठा रहे हैं।
एक अन्य विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि राममंदिर की चर्चा अगले कुछ माह में शुरू हो जाएगी। जनवरी 2024 में उद्घाटन की बात सामने आ रही है। मंदिर निर्माण भी मुद्दा हो सकता है। ऐसे में हिंदू वर्ग का समर्थन सत्तारूढ़ दल को जा सकता है। विपक्ष इस समर्थन को कमजोर करने का प्रयास जरूर करेगा। इसीलिए वो लोग राममंदिर में सवाल न उठाकर उनके ग्रंथ और चरित्र पर प्रश्न कर रहे हैं।
साहित्य भूषण से सम्मानित और आध्यात्म के जानकर प्रमोदकान्त मिश्र कहते हैं कि भगवान राम के चरित्र पर प्रश्न उठाना मूर्खता है। यह राजनीति का विषय नहीं है। सस्ती लोकप्रियता पाने वाले इस पर राजनीति करते हैं। यह लोकास्था का विषय है। घर घर पढ़ी जाने वाली पुस्तक की लोकमान्यता है। 500 वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह महाकाव्य स्वार्थ सिद्ध का साधन नहीं बन सकता।
ढोल गवांर शूद्र पशु नारी। सकल ताड़न के अधिकारी।'' में ताड़न के अर्थ को समझने की जरूरत है। ऋषियों और कथावाचकों द्वारा की गई व्याख्या ताड़ना का अर्थ है ²ष्टि रखना। ढोलक के सुर के लिए अच्छी ²ष्टि रखने की जरूरत है, पीटने से फट सकता है। पशुओं पर नजर नहीं रखेंगे तो दूसरे का खेत की फसल खराब कर सकती है। मूर्ख व्यक्ति पर ²श्य रखना जरूरी है। नारी पर नजर रखना पड़ता है। अगर किसी की बहन बेटी स्कूल कालेज जाती है, उन्हें देखना पड़ता है। समय समय पर विद्यालय में उनके अभिवावक देख रेख करते हैं। धर्मग्रंथ पर सवाल उठना सस्ती लोकप्रियता पाने का तरीका है।
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डाक्टर आशुतोष वर्मा कहते हैं कि राम के नाम से किसी को कोई परेशानी नहीं है। कोई ग्रंथ अगर समाज को विभाजित करता है तो उस पर आपत्ति होती है। लेकिन यह कार्य राजनीतिक व्यक्ति का नहीं बल्कि धर्मगुरुओं का है। वह अपने हिसाब से निर्णय लें।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अवनीश त्यागी कहते हैं। रामचरितमानस हिंदुओं की आस्था का ग्रंथ है। इसे महाकाव्य माना गया है। इसका विरोध करना मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है।
रामचरित मानस को लेकर कर्नाटक के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और लेखक केएस भगवान ने भगवान राम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा, वह सीता के साथ दिन में बैठकर शराब पीते थे इसलिए भगवान राम आदर्श नहीं हैं।
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पटना में नालंदा ओपन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला और समाज को बांटने वाला ग्रंथ बताया है।
यूपी के सपा नेता व विधानपरिषद सदस्य स्वामी प्रसाद ने कहा कि रामचरितमानस में शूद्रों का अपमान किया गया। उन्होंने यह कहा कि ऐसी पुस्तकों से इन दोहों चौपाइयों को हटाना चाहिए या फिर इन्हें प्रतिबंधित करना चाहिए। (आईएएनएस)|
बेंगलुरू, 29 जनवरी | आईटी उद्योग में छंटनी जारी के कारण कर्मचारियों, खासकर वरिष्ठ पेशेवरों और फ्रेशर्स पर इसका काफी प्रभाव पड़ा है। मानव संसाधन विभाग बुरी खबर बताने को लेकर तनाव में है। एचआर प्रोफेशनल्स का कहना है कि नौकरी खोना दुनिया का अंत नहीं है और यह कौशल बढ़ाने का समय है। वे मानते हैं कि एक कर्मचारी के लिए यह मुश्किल हो सकता है। एक प्रतिष्ठित आईटी कंपनी के एक वरिष्ठ एचआर प्रमुख ने कहा कि विभाग के पास कर्मचारियों के सवाल काफी संख्या में आ रहे हैं।
आईटी कंपनियों द्वारा स्थिति की स्पष्ट तस्वीर देने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाते हैं और नियमित रूप से कर्मचारियों के साथ बातचीत के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। वह बताते हैं कि कर्मचारियों में चिंता और डर दिखाई दे रहा है।
रेडटैलेंट के संस्थापक और सीईओ पीयूष भारती का कहना है कि नौकरी छूटना एक दर्दनाक अनुभव है। यह आपको निराश, तनावग्रस्त और अनिश्चित महसूस करवा सकता है कि आगे कहां जाना है।
भारती ने कहा, इससे पहले, हमने देखा कि महामारी के चलते बहुत से लोगों की नौकरियां चली गईं और भविष्य के बारे में बहुत अनिश्चितता थी, लेकिन चीजें धीरे-धीरे बढ़ीं। इसलिए हम करंट सेनेरियो से एक बात सीख सकते हैं कि आपकी नौकरी छूटने का मतलब यह नहीं है कि आपका करियर खत्म हो गया है।
भारती ने कहा: हम उन चीजों के बारे में बात कर रहे हैं जिन पर हमें इस कठिन समय में ध्यान देना चाहिए। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण इस तथ्य को समझना और स्वीकार करना है कि यह आपकी गलती नहीं है क्योंकि इसमें विभिन्न आर्थिक और वित्तीय कारक शामिल हैं जो कंपनियों को इस तरह के कठोर कदम उठाने के लिए प्रेरित करते हैं। मैं यहां जो बात कहने की कोशिश कर रही हूं वह यह है कि किसी को खुद को दोष नहीं देना चाहिए और न ही इसे अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करने देना चाहिए।
दूसरा, अपने मित्रों और सहकर्मियों के मंडली में लोगों से बात करें; कोशिश करें और अपने नेटवर्क का विस्तार करें क्योंकि परिस्थितियां बदलती हैं और किसी के पास एक अवसर हो सकता है जिसे आप आगे बढ़ा सकते हैं। अपने आप को अलग-थलग न रखें और लोगों से मिलने या बात करने में संकोच न करें क्योंकि इससे अवसर हाथ से निकल सकता है।
अपना बायोडाटा और ऑनलाइन प्रोफाइल अपडेट करें। आप इस स्तर पर इसके बारे में बहुत अच्छा महसूस नहीं कर सकते हैं, लेकिन अपनी उपलब्धियों और अनुभव को लिखने से आपको अपने कौशल और मूल्य को पहचानने में मदद मिलेगी।
अपने करियर पर चिंतन करें और सोचें कि यहां से आपके करियर के लिए अगला सबसे अच्छा कदम क्या हो सकता है और अपने आप को अपस्किल करें। अपस्किलिंग आपको भविष्य के लिए अधिक मूल्यवान बना देगा और संभावित रूप से करियर के कई द्वार खोल देगा। यह आपके अंदर कुछ नया करने का जुनून भी जगा देगा।
इस पर ध्यान केंद्रित करें कि आप क्या नियंत्रित कर सकते हैं, जैसा कि हमने शुरूआत में कहा कि भावनात्मक और मानसिक तौर पर खुद को मजबूत बनाने के लिए अपने दोस्तों और परिवार के साथ चर्चा करें।
नौकरी छूटना वास्तव में मुश्किल हो सकता है, चाहे यह कैसे भी हो। बहुत से लोग अभी इसका अनुभव कर रहे हैं। लेकिन शुरुआत में बतायी गई रणनीतियों को आजमाकर आप महसूस करेंगे कि आप इस समय का सामना करने और बेहतर चीजों के लिए तैयार होने में अधिक सक्षम हैं।
बाटिक की सह-संस्थापक सेमलानी ने कहा, नौकरी खोना एक कठिन अनुभव हो सकता है, लेकिन यह दुनिया का अंत नहीं है।
सेमलानी ने कहा, याद रखें कि आपकी पहचान नौकरी से नहीं हैं। जिंदगी में समय बदलता रहता है। इस समय को अपनी ताकत और जुनून को हथियार बनाएं और नए अवसरों को पाने के लिए इसे एक मौके के तौर पर इस्तेमाल करें।
उन्होंने आगे कहा, अपने आप पर और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें, और विश्वास करें कि जिंदगी में कुछ बेहतर जरुर होगा। याद रखें, आप अकेले नहीं हैं, और काम करने वाली कॉम्यूनिटी हमेशा अलग-अलग प्लेटफार्म्स पर इस परिवर्तन के माध्यम से आपकी सहायता के लिए उपलब्ध रहेगा। (आईएएनएस)|
वाशिगंटन, 29 जनवरी | न्यूजीलैंड के ऑकलैंड शहर में मूसलाधार बारिश के कारण बाढ़ आ गई, जिसके चलते चार लोगों की मौत हो गई। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ऑकलैंड में शुक्रवार से रिकॉर्ड बारिश और खराब मौसम के कारण देश के सबसे बड़े शहर में भारी बाढ़ आ गई है।
जबकि सफाई और क्षति का आकलन का काम चल रहा है।
सिविल डिफेंस ने ऑकलैंड में रविवार की सुबह से लेकर सोमवार की सुबह तक भारी बारिश पर निगरानी रखी है।
देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा, मौसम विभाग ने कहा कि, अगले कुछ दिनों में एक और मौसम प्रणाली ऑकलैंड और नॉर्थलैंड में स्थानांतरित हो जाएगी, जबकि ऊपरी उत्तरी द्वीप के लिए गंभीर मौसम की निगरानी अभी भी जारी है।
न्यूजीलैंड के उप प्रधान मंत्री कार्मेल सेपुलोनी ने रविवार को कहा कि, सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि ऑकलैंड के लोग सुरक्षित हों, आवासित हों और सहायता सेवाओं तक उनकी पहुंच हो।
शुक्रवार से, ऑकलैंड में शनिवार दोपहर 1:00 बजे तक 24 घंटे में 249 मिमी बारिश के साथ ऐतिहासिक बारिश दर्ज की गई है। ऑकलैंड और पास के वेटोमो के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 28 जनवरी | केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी सफलता मिली है। सीआरपीएफ और बिहार पुलिस ने एक संयुक्त अभियान में बिहार के औरंगाबाद जिले में तालाशी के दौरान 162 आईईडी बरामद किए हैं। ये आईईडी नक्सलियों द्वारा जंगल में छुपाए गए थे। सीआरपीएफ की तरफ से ये जानकारी दी गई है। सीआरपीएफ ने बताया कि शुक्रवार को बिहार के औरंगाबाद के लडुइया पहाड़ इलाके में सीआरपीएफ और बिहार पुलिस ने एक सर्च और डिस्ट्रक्शन ऑपरेशन चलाया। इस दौरान तलाशी लेने पर पहले जवानों को 13 प्रेशर आईईडी का पता चला। इसके बाद जवानों ने आईईडी को मौके पर ही नष्ट कर दिया और ऑपरेशन जारी रखा।
एक अधिकारी ने बताया कि तलाशी के दौरान सीआरपीएफ के जवान एक गुफा के पास पहुंचे और गुफा की बारीकी से तलाशी ली गयी, तो करीब एक-एक किलो वजन के 149 और आईईडी बरामद किए गए। इस तरह पूरे ऑपरेशन के दौरान करीब 162 आईईडी मिले, जिन्हें जवानों ने नष्ट कर दिया।
सीआरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीएफ और बिहार पुलिस द्वारा चलाए जा रहे सघन अभियान से राज्य सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है। नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी को नष्ट करने और हथियार और गोला-बारूद बरामद करने के उद्देश्य से उन क्षेत्रों में अभियान जारी है, जिन्हें पहले नक्सलियों का गढ़ माना जाता था।
गया, 28 जनवरी | बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी शराबबंदी कानून को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। इस बीच उन्होंने अब उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सामने शराबबंदी कानून वापस लेने की मांग की और मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समझाने के लिए कहा। उन्होंने कहा' अति सर्वत्र वर्जयेत'। बोधगया में आयोजित बौद्ध महोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जीतन राम मांझी पहुंचे थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव से उपरोक्त मांग कर दी। उन्होंने बिहार में शराब फिर से चालू करने की वकालत करते हुए अपने मगही अंदाज में कहा, तेजस्वी बाबू बिहार में फेर से शराब चालू करवा देहू, एकरा बारे में मुख्यमंत्री जी से भी बात करहु। ( शराब को फिर से चालू कराने के लिए मुख्यमंत्री से बात कीजिए)।
सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख मांझी ने तेजस्वी से यह भी कहा कि अगर आप चाहिएगा, तो मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा कि 'अति सर्वत्र वर्जयेत'। ज्यादा नींबू गारने से तीखा हो जाता है।
उन्होंने कहा कि बिहार में घूमने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आ रहे हैं, लेकिन वो घूमने के बाद यहां रुक नहीं रहे हैं। वे आस-पास के राज्यों में रुकते हैं, क्योंकि बिहार में शराबबंदी है।
उन्होंने कहा कि जब वे बिहार में रुकेंगे ही नहीं तो बिहार में विदेशी मुद्रा से राजस्व कैसे बढ़ेगा? उन्होंने कहा कि शराबबंदी के कारण पर्यटकों की संख्या घट गई है, इसलिए आप ( तेजस्वी ), मुख्यमंत्री से शराबबंदी वापस लेने की बात करें। इससे बिहार घूमने आए हुए पर्यटक बिहार में ही रुकेंगे और बिहार की आय भी बढ़ेगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 जनवरी | त्रिपुरा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने अपने 40 सदस्यीय स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। त्रिपुरा चुनाव के मद्देनजर सियासी दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। इस सूची में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे, सांसद राहुल गांधी, महासचिव प्रियांका गांधी, प्रदेश प्रभारी अजय कुमार, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल, अधीर रंजन चौधरी, मुकुल वासनिक, सुखविंदर एस सुक्खू, सुदीप रॉय बर्मन, अब्दुल खालिक, सचिन पायलट, मोहम्मद अजहरुद्दीन, अरविंदर सिंह लवली, दीपा दास मुंशी,
विजेंद्र सिंह, बी.वी.श्रीनिवास, नेट्टा डिसूजा समेत 22 अन्य नेताओं को शामिल किया गया है।
चुनाव आयोग के शेड्यूल के मुताबिक, 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा के लिए 16 फरवरी को वोटिंग होगी। नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 जनवरी है। कागजात और संबंधित दस्तावेजों की जांच अगले दिन की जाएगी। नाम वापसी की अंतिम तिथि 2 फरवरी है और मतगणना 2 मार्च को होगी। (आईएएनएस)
मुरैना /भोपाल, 28 जनवरी | मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में वायु सेना के दो विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए। हादसे के ब्यौरे की प्रतीक्षा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने हादसे पर दुख जताया है। सूत्रों ने बताया कि मुरैना के कोलारस क्षेत्र में वायु सेना के दो विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए। इन विमानों के पायलट सुरक्षित बाहर निकल आए। विमान के अंदर कोई था या नहीं, इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है।
हादसे की सूचना मिलने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने ट्वीट किया और कहा कि मुरैना के कोलारस के पास वायुसेना के सुखोई-30 और मिराज-2000 विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर अत्यंत दुखद है। मैंने स्थानीय प्रशासन को त्वरित बचाव एवं राहत कार्य में वायुसेना को सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। विमानों के पायलट के सुरक्षित होने की ईश्वर से कामना करता हूं। (आईएएनएस)
पुणे, 28 जनवरी | प्रसिद्ध शिक्षाविद और संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय (एसजीबीएयू) के कुलपति डॉ दिलीप एन. मालखेड़े का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अधिकारियों ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी। अधिकारियों ने कहा कि वह 56 वर्ष के थे और एक साल से अधिक समय से ब्लड कैंसर से जूझ रहे थे और आज सुबह एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। अधिकारियों ने बताया कि उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं।
पिछले साल डॉ. मलखेड़े को ब्लड कैंसर का पता चला था और कई महीनों तक उनका इलाज चला। इसके बाद वे ठीक हो गए और फिर से काम पर लग गए।
हालांकि कुछ समय पहले, उनकी फिर से तबीयत खराब हो गई, जिसके बाद उन्हें पुणे के एक अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया।
अमरावती में गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री लेने वाले डॉ. मालखेड़े ने आईआईटी बॉम्बे से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और शिक्षण, अनुसंधान और प्रशासन में अपना कार्य जारी रखा।
बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज, पुणे में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में सेवा की, और बाद में सितंबर 2021 में एसजीबीएयू के वीसी में नियुक्त होने से पहले उन्हें जून 2016 से एआईसीटीई में सलाहकार के रूप में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था।
महाराष्ट्र के राज्यपाल और चांसलर भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि डॉ. मालखेड़े के निधन के बारे में जानकर उन्हें दुख हुआ। उन्होंने शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।
राज्यपाल ने उनकी शैक्षणिक सेवाओं को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने विशेष रूप से उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता लाने के लिए एसजीबीएयू के समग्र विकास में गहरी रुचि ली, और उनकी असामयिक मृत्यु शिक्षा के क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है। (आईएएनएस)
रायचुर, 28 जनवरी | कर्नाटक में कल्याण राज्य प्रगति पार्टी (केआरपीपी) गठित करने वाले खनन कारोबारी से नेता बने गली जनार्दन रेड्डी ने शनिवार को कहा कि उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्य के दौरे की पृष्ठभूमि में उनका बयान महत्वपूर्ण है।
रेड्डी ने कहा कि वह 10 फरवरी तक विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा करेंगे।
हाल ही में हुई छापेमारी और उनकी संपत्ति की जब्ती पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, "संपत्तियों की जब्ती से मुझे कोई धमकी नहीं दे सकता। अदालतें हैं। यदि वे आज एक रुपया हड़प लेते हैं, तो भविष्य में दस रुपये देने होंगे।"
उन्होंने कहा, "मैं विकास के एजेंडे के साथ जनता के सामने जा रहा हूं। मैं चुनाव प्रचार में अन्य दलों के बारे में जागरूकता पैदा करूंगा।"
इस घटनाक्रम को राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए झटका माना जा रहा है। रेड्डी की नई पार्टी से हैदराबाद-कर्नाटक जिलों में सत्तारूढ़ पार्टी को नुकसान होने की संभावना है।
जनार्दन रेड्डी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "मुझे किसी से डरने की जरूरत नहीं है। मैं अपनी पार्टी का आयोजन करूंगा। मैं सभी को आमंत्रित नहीं कर सकता, उन्हें कुर्सियों की पेशकश कर सकता हूं, और समझा सकता हूं कि मैं क्या कर रहा हूं।"
उन्होंने कहा, "मैं आने वाले दिनों में रायचूर में एक बड़ी रैली करूंगा। 10 दिनों में कई नेता मेरी पार्टी में शामिल हो रहे हैं। नई पार्टी 30 विधानसभा क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर पहुंच गई है।"
उन्होंने कहा, "हमारे पास 13 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार हैं। शेष की घोषणा 10 फरवरी तक की जाएगी।" (आईएएनएस)
गुजरात में जिन हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग होती हैं, उनकी सबसे बड़ी खेप रूस से आती है. यूक्रेन युद्ध के बाद से यह सप्लाई बाधित हो गई है.
डॉयचे वैले पर मुरली कृष्णन की रिपोर्ट-
41 साल के महेश पटेल पिछले दो दशक से गुजरात के सूरत में अलग-अलग कंपनियों के लिए हीरे की कटाई और पॉलिश का काम करते हैं. सूरत को हीरे की पॉलिशिंग के लिए दुनिया के सबसे बड़े केंद्रों में गिना जाता है.
सूरत के महिधरपुरा क्षेत्र के भीड़-भाड़ वाले बाजारों में काम करने के दौरान उनके वर्षों के अनुभव और उनकी पारखी नजर की वजह से उन्होंने अच्छी आमदनी की.
लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से पटेल और उनके हजारों साथी या तो बेरोजगार हो गए हैं या फिर उन्हें कुछ ही घंटों का काम मिल पा रहा है. स्थानीय हीरा उद्योग को ज्यादातर हीरे रूस से प्राप्त होते हैं और जैसे-जैसे इनकी उपलब्धता घट रही है, हीरा कारखानों के सामने संकट गहराता जा रहा है.
DW से बातचीत में पटेल कहते हैं, "हीरों की आपूर्ति घटने के कारण कई फैक्ट्री मालिकों ने कर्मचारियों की छंटनी की है. हमें कड़ी टक्कर मिल रही है और काम मिलना मुश्किल हो गया है. छोटी हीरा ईकाइयां बंद हो गई हैं."
न तो पर्याप्त हीरे हैं और न पर्याप्त काम
हाल के महीनों में हीरे के बाजारों में शांति छाई हुई है. उद्योग जगत के अनुमानों के अनुसार सूरत में हीरे चमकाने वाली यानी पॉलिश करने वाली करीब छह हजार ईकाइयां हैं, जो पांच लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार देती हैं. साथ ही, ये ईकाइयां सालाना करीब 21-24 अरब अमेरिकी डॉलर तक का कारोबार भी करती हैं. लेकिन, सूरत डायमंड वर्कर्स यूनियन का एक मोटा अनुमान कहता है कि करीब दस हजार हीरा श्रमिकों को हाल के दिनों में अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है.
सूरत के एक अनुभवी हीरा व्यापारी चंदर भाई सूता ने DW को बताया, "पर्याप्त हीरे नहीं हैं, इसलिए पर्याप्त काम भी नहीं है." वहीं हीरा व्यापारी परेश शाह कहते हैं, "हीरों की सही कीमत भी नहीं मिल रही है."
वह कहते हैं, "कोई नहीं जानता कि यह स्थिति कब और कैसे सुधरेगी. हालांकि, उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है. कई ईकाइयां घाटे का सामना करने के बावजूद किसी तरह खुद को बनाए रखने में सफल रही हैं."
रूस का अलरोसा एक हीरा-खनन व्यवसाय है, जो आंशिक रूप से रूसी राज्य के स्वामित्व में है. वैश्विक स्तर पर कच्चे हीरे की लगभग 30 फीसदी आपूर्ति यही करता है. यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो दुनियाभर में 80-90 फीसदी कच्चे हीरे का आयात करता है और फिर उसकी कटिंग और पॉलिश करता है. ऐसा माना जाता है कि भारत को अपना 60 फीसदी कच्चा माल अलरोसा से प्राप्त होता है.
यूक्रेन में युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने कच्चे हीरे की आपूर्ति को बाधित कर दिया और भारत के सूरत शहर में यह फैल गया. संयुक्त राज्य अमेरिका भारत में संसाधित यानी पॉलिश किए गए हीरों का सबसे बड़ा बाजार है, लेकिन कई बड़ी अमेरिकी कंपनियां अब रूसी मूल के सामान को खरीदने से इनकार कर रही हैं.
भारत के 'वोस्त्रो' खाते प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए नाकाफी
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन विपुल शाह कहते हैं कि इस समय हीरा उद्योग चुनौती का सामना कर रहा है. DW से बातचीत में वह कहते हैं, "प्रतिबंधों के कारण हीरों की मात्रा में तीस फीसद से ज्यादा की गिरावट देखी गई है और निर्यात की मात्रा में 35 फीसद की कमी आई है. निश्चित तौर पर पिछले कुछ महीनों में मंदी आई है, लेकिन हमें उम्मीद है कि चीजें बेहतर होंगी."
हीरे की आपूर्ति करने वालों का कहना है कि प्रतिबंधों ने रूस के केंद्रीय बैंक और दो प्रमुख बैंकों को वैश्विक स्विफ्ट भुगतान प्रणाली से हटा दिया है. पिछले साल नवंबर में भारत ने रूस के साथ रुपये में व्यापार की सुविधा के लिए नौ बैंकों को "वोस्ट्रो" खाते खोलने की मंजूरी दी थी. वोस्ट्रो खाते वे होते हैं, जो एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक की ओर से खोले गए होते हैं. रुपये में व्यापार करने के पीछे विचार यह था कि इससे रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों के असर को दूर किया जा सके.
हालांकि, इस कदम से समस्या हल नहीं हुई. भारत रुपये में व्यापार को बढ़ावा देना चाहता है, लेकिन अब भी उसे अपनी घरेलू मुद्रा में किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय व्यापार सौदे का इंतजार है.
शाह कहते हैं, "व्यापार निपटान मुश्किल हो गया है और इससे आपूर्ति बाधित हुई है. कई कंपनियां वोस्ट्रो खातों का उपयोग नहीं कर रही हैं."
विकल्प के तौर पर प्रयोगशाला में विकसित हीरे
हीरा व्यापारियों को अब इन मुश्किलों का एहसास हो रहा है कि वे रूस से हीरों की आपूर्ति घटने की भरपाई कैसे करें. तैयार उत्पाद की कीमतें भी बढ़ रही हैं. उद्योग के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि उच्च गुणवत्ता वाले पॉलिश किए गए हीरों के लिए अंतरराष्ट्रीय दर यूक्रेन पर आक्रमण से पहले की तुलना में 20-30 फीसद ज्यादा है.
DW से बातचीत में आभूषण जगत के प्रमुख उद्योगपति और KGK ग्रुप के वाइस चेयरमैन संजय कोठारी कहते हैं,"निश्चित रूप से व्यवधान है और मैं देख रहा हूं कि चीजें इस साल की दूसरी छमाही में स्थिर हो सकती हैं. कच्चे माल की कमी ने कुछ कंपनियों को प्रयोगशाला में विकसित हीरों की ओर प्रेरित किया है."
प्रयोगशाला में विकसित हीरे हर तरह से खनन किए गए हीरों के समान ही होते हैं. बस वे मूल रूप से हीरे नहीं होते. उनके पास वही रासायनिक, भौतिक और प्रकाशीय गुण होते हैं, जो खनन किए गए हीरों में होते हैं. प्रयोगशाला में विकसित हीरों में भी वैसी ही आग और चमक होती है. हालांकि, उद्योग जगत का मानना है कि अगर अलरोसा पर अमेरिकी प्रतिबंध जारी रहे, तो लैब में बने हीरे तत्काल उनकी जगह नहीं ले सकते.
गुजरात में ज्यादातर संसाधित हीरे रूसी मूल के हैं, जबकि कुछ हीरा ईकाइयों ने अफ्रीकी देशों से कच्चा माल खरीदना शुरू कर दिया है. लेकिन, इन देशों से आने वाले कच्चे माल की कीमत कहीं ज्यादा है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार चल रहे विवाद के कारण कच्चे हीरों की कीमतों में भी वृद्धि होने की संभावना है, जो इस वित्तीय वर्ष में 10 से 12 फीसद तक हो सकती है. (dw.com)
जानकारों का कहना है कि चैटजीपीटी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबोट से पढ़ाई-लिखाई के तरीके बदल रहे हैं. ये "भाषायी मॉडल" एकदम सही लगने वाले अकादमिक निबंध लिख सकते हैं. तो क्या ये खतरा है या अवसर, या दोनों?
डॉयचे वैले पर लुकास श्टॉक की रिपोर्ट-
डोरिस वेसेल्स ने डीडब्लू को बताया कि जब उन्होंने पहली बार चैटजीपीटी में लॉग किया, तो वो एक "जादुई पल" था. डोरिस बिजनेस इंफॉर्मेटिक्स की प्रोफेसर हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उसके शिक्षा के प्रभावों पर सालों से शोध करती आ रही हैं. इससे कुछ ही दिन पहले, 30 नवंबर 2022 को ओपनएआई नाम की कंपनी ने एआई चालित चैटबोट, चैटजीपीटी को रिलीज किया था.
इंटरनेट ब्राउजर के जरिए कोई भी चैटजीपीटी में इंटरैक्ट कर सकता है. आप सवाल टाइप कीजिए या कमांड दीजिए और चैटजीपीटी जवाब देगा (कमोबेश हर चीज का). उसकी रिलीज के पांच दिनों के भीतर ही, दस लाख लोग उसके ग्राहक बन गए. चैटजीपीटी को लेकर ये दावा किया जाता है कि वो मनुष्य सरीखी योग्यता या प्रवीणता के साथ समझा सकता है, प्रोग्राम कर सकता है और दलील दे सकता है. कील यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेस से जुड़ी वेसेल्स इस तकनीक से हैरान हैं. वो कहती हैं, "ये दूसरी दुनिया में दाखिल होने की तरह है."
यूनाइटेड किंगडम की ओपन यूनिवर्सिटी में रिटायर्ड प्रोफेसर माइक शार्पल्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अपने 40 साल के करियर के दौरान ऐसे ''प्रमुख आविष्कार'' चुनिंदा ही देखे हैं. उनमें चैटजीपीटी का पूर्ववर्ती जीपीटी-3 भी है. शार्पल्स आगाह करते हैं कि, "जीपीटी, प्लेजियरिज्म (अकादमिक साहित्य की चोरी) को वांछित बना देता है." कुछ शिक्षार्थी, एक मुकम्मल अकादमिक भाषा में अपने निबंध लिखने के लिए इस तकनीक के इस्तेमाल पर परहेज नहीं करते हैं. एक तरह से ये हर किसी के लिए मुफ्त घोस्टराइटिंग की तरह है. लेकिन ऐसे भी उदाहरण हैं जो दिखाते हैं कि चैटजीपीटी के जवाब तथ्यात्मक रूप से गलत हो सकते हैं.
क्या चैटजीपीटी यूनिवर्सिटी शिक्षा के लिए खतरा है?
शोधपत्र लिखने में भी चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया जा सकता है. शार्पल्स ने उसके जरिए एक वैज्ञानिक आलेख तैयार किया जो उनके मुताबिक, "पहली अकादमिक रिव्यू को पास कर सकता है." वेसल्स इससे चिंतित हैं. वो कहती हैं कि विश्वविद्यालयों को पीछे रह जाने का खतरा था. एक तरफ, सॉफ्टवेयर उद्योग है जो और भी ज्यादा शक्तिशाली एआई प्रणालियां विकसित कर रहा है. और दूसरी तरफ वे शिक्षार्थी हैं जो अध्यापकों से ज्यादा तेज गति से जानकारी देने वाले एआई का उपयोग करना सीख रहे हैं.
छात्र अक्सर सोशल मीडिया के जरिए रीयल टाइम में तेजी से नयी एआई तकनीक के बारे में सीखते हैं. वे नये नये तरीके भी आजमाते रहते हैं. इस मामले में कुछ अकादमिक कर्मियों और प्रोफेसरों की गति धीमी हो सकती है या वे अपने ढंग से ही काम चलाते हों.
वेसल्स एक "संभावित खौफनाक मंजर" देखती हैं. जब कुछ छात्र अपना त्रुटिहीन यानी सौ फीसदी सही असाइनमेंट जमा कराते हैं तो उनके प्रोफेसर को ये गफलत हो सकती है कि वो उनके पढ़ाए का कमाल था, जबकि वो कुछ और नहीं चैटजीपीटी का कियाधरा होता है या उस जैसे किसी और सिस्टम का.
चैटजीपीटी के खतरे का आकलन करने के लिए बहुत कम डाटा
नयी दिल्ली स्थित एक एकआई विशेषज्ञ देबारका सेनगुप्ता की भी यही चिंता है. आईआईटी दिल्ली में, इंफोसिस सेंटर ऑर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रमुख सेनगुप्ता कहती हैं, "भारत में चैटजीपीटी के बारे में हर किसी को पता है." सेनगुप्ता को चिंता है कि अगर छात्र इस तकनीक के भरोसे रहे तो अकादमिक मापदंडों या स्तर पर असर पड़ेगा. सेनगुप्ता के मुताबिक अगर वे अपने से निबंध लिखना नहीं सीखेंगे और चैटजीपीटी चला देंगे तो वे "बड़े ही नाकाबिल और लत के शिकार" बन जाएंगे.
लेकिन ऐसी आशंकाओं के पक्ष में अभी भी बहुत कम डाटा उपलब्ध है. चैटजीपीटी को चालू हुए अभी दो महीने ही हुए हैं. सेनगुप्ता कहती हैं, "साहित्यिक चोरी और धोखेबाजी हमेशा से अस्तित्व में रही हैं." उनके मुताबिक शिक्षार्थियों की सीखने की प्रेरणा को कम नहीं आंकना चाहिए. दूसरी ओर शार्पल्स कहते हैं, "छात्र विश्वविद्यालय में सीखने जाते हैं, जालसाजी करने नहीं."
एआई चैटबोट्स से छात्रों को कैसे मिलेगी मदद
बर्नाडेटे मैथ्यु प्रोफेसर सेनगुप्ता की छात्रा हैं. वो जीवविज्ञान में कैंसर की ग्रोथ पर पीएचडी कर रही हैं. मैथ्यु जो प्रयोग करती हैं उनसे बड़े पैमाने पर डाटा तैयार होता है जिसका विश्लेषण किए जाने की जरूरत है. लेकिन वो हाथों से तो हो नहीं सकता. लिहाजा, कम्प्यूटर की मदद से वो डाटा विश्लेषण की प्रक्रिया को स्वचालित करने और उसकी गति को बढ़ा सकती हैं जिसके लिए वो कोडिंग सीख रही हैं, लेकिन इस चक्कर में उनके शोधकार्य पर भी असर पड़ रहा है.
सेनगुप्ता ने मैथ्यु की मुश्किलों के बारे में सुना और उनका राब्ता चैटजीपीटी से करा दिया. मैथ्यु को उससे बड़ी मदद मिली. चैटबोट ने तफ्सील से वो सब बताना शुरू किया जो वो कोडिंग के बारे में नहीं समझती थी. उनकी कोडिंग में उसने गल्तियां ढूंढ निकाली और कभीकभार तो मैथ्यु उसे ही कोडिंग करने देती हैं.
मैथ्यु कहती हैं कि 99 फीसदी समय ये कारगर रहता है. और सबसे अच्छी बात ये है कि चैटजीपीटी सिर्फ उनका काम नहीं करता, वो उन्हें कोडिंग को समझने में मदद भी करता है. मैथ्यु के मुताबिक इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने उन्हें "सशक्त" होने का अहसास कराया है कि वो अपने बूते काम कर सकती हैं. वो कहती हैं, "चैटजीपीटी के साथ चैटिंग ऐसे ही है जैसे किसी वास्तविक व्यक्ति के साथ बातें करना. अगर मुझे पहले मालूम होता तो मेरा बहुत सारा समय और मेहनत बच जाती."
मैथ्यु कहती हैं कि ये चैटबोट्स प्रयोगधर्मी जीवविज्ञानियों के काम में "क्रांति" ला सकते हैं. क्योंकि शोधकर्ता सिर्फ अपनी रिसर्च पर ही फोकस करेंगे, कोडिंग करना नहीं सीख रहे होंगे. वेसल्स कहती हैं कि चैटजीपीटी दूसरे क्षेत्रों में भी शिक्षार्थियों की मदद कर सकता है. वो किसी निबंध के शुरुआती कठिन शब्द या पहला पैराग्राफ लिखने के लिए प्रेरित कर सकता है. यानी उन्हें "खाली पन्ने के भय" से निजात दिला सकता है.
चैटजीपीटी को कैलकुलेटर जैसा समझिए
कनाडा के नोवा स्कोटिया प्रांत की अकाडिया यूनिवर्सिटी में साइकोलिंग्विस्ट डेनियल लामेती कहते हैं कि चैटजीपीटी अकादमिक टेक्स्ट के लिए वही काम करेगा जो कैलकुलेटर गणित के लिए करता है. कैलकुलेटर ने गणित की पढ़ाई के तरीके बदल डाले थे. उसके आने से पहले, अंतिम नतीजे का ही बोलबाला था, हल या समाधान. लेकिन जब कैलकुलेटर आए, तो आपको ये दिखाना लाजिमी हो गया कि अपना सवाल आपने कैसे हल किया है, यानी आपका मैथड यानी तरीका.
कुछ जानकारों का कहना है कि अकादमिक निबंधों पर भी यही बात लागू हो सकती है. वे क्या कहते हैं सिर्फ इसी चीज का आकलन नहीं किया जाता है बल्कि इसका भी किया जाता है कि छात्र कैसे एआई से तैयार अपने टेक्स्ट को संपादित करते या सुधारते हैं, यानी उनका तरीका.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इतनी भी इंटेलिजेंट नहीं
चैटजीपीटी अपने लिखे निबंधों को नहीं समझता है, उसे भाषा का अर्थ नहीं मालूम. प्रोफेसर के दफ्तर में उस तोते की तरह जो संवादों को सुनता है और उन्हें दोहराने लगता है, उसी तरह एक एआई चैटबोट उस भाषा और उन तथ्यों को महज प्रोसेस और पेश ही करता है जो उसमें भरे गए हैं. और ये चीज समस्याएं खड़ी कर सकती है.
चैटजीपीटी से निकले टेक्स्ट के ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं जिनमें भाषा ऐसी होती है जैसे किसी विशेषज्ञ ने लिखी हो, लेकिन उसकी सामग्री तथ्यात्मक रूप से गलत होती है. लिहाजा जैसा कि दूसरी एआई तकनीकों के साथ होता है, ऐसे टेक्स्ट को रिव्यू करने और दुरुस्त करने के लिए इंसानों की जरूरत पड़ती है. वो संपादन अक्सर पेचीदा होता है और उसके लिए विषय का वास्तविक ज्ञान होना जरूरी है. भविष्य में ये चीज भी विश्वविद्यालयों में ग्रेड के दायरे में लाई जा सकती है.
डीडब्ल्यू ने जिन विशेषज्ञों से बात की, उनका कहना है कि तकनीक तो कहीं नहीं जा रही. वो कहते हैं कि चैटजीपीटी को स्वीकार करना, अध्यापन के लिए एक चुनौती है. लेकिन शिक्षा और शिक्षण के लिहाज से विश्वविद्यालयों के लिए ये एक अवसर भी हो सकता है. देबारका सेनगुप्ता कहती हैं कि एआई से हासिल मौकों का उपयोग करने में, तकनीक प्रेमी भारत खासतौर पर तेजी दिखाएगा. (dw.com)
बर्फ न होने का मतलब विंटर गेम्स न होना है. लेकिन शिपिंग, खेती और बिजली सप्लाई के लिए भी, बर्फ की किल्लत एक बुरी खबर है. आइए देखें कि बर्फ कैसे पहाड़ों की हिफाजत करती है और जलवायु परिवर्तन को रोकने में मददगार है.
डॉयचे वैले पर जनेट स्विंक की रिपोर्ट-
जर्मनी और फ्रांस से लेकर चेक गणराज्य तक, यूरोप के बहुत से स्की रिसॉर्टो में इस सीजन सर्दियों की अद्भुत छटा नजर नहीं आ रही. उसकी बजाय खाली ढलानों पर जहां-तहां नकली बर्फ बिखरी हुई है.
फॉसिल ईंधनों को जलाने से होने वाले उत्सर्जनों से जलवायु का बदलना जारी है, तापमान इतना गरम हो रहा है कि बर्फ टिकती ही नहीं. कई जगहों पर बर्फबारी की जगह बारिश हो रही है. उसके नतीजे विंटर स्पोर्ट्स तक सीमित नहीं हैं. पानी की सप्लाई और जैव विविधताको भी नुकसान पहुंच रहा है.
कम बर्फ का मतलब गर्मियों में कम पानी
ईटीएच ज्युरिख यूनिवर्सिटी में ग्लेसियोलॉजिस्ट, डेनियल फारीनोती कहते हैं, "जल चक्र में बर्फ एक अहम भूमिका निभाती है. वो एक निश्चित समय के लिए पानी को बचाए रखती है. बर्फ में जमा पानी तत्काल ही नहीं बह जाता बल्कि पहले गर्मियों में बहता है." जब बर्फ पिघलती है, तो पिघला हुआ पानी धीरे धीरे आसपास की झीलों, नदियों और भूजल में चला जाता है.
बर्फ एक तरह की स्टोरेज का काम करती है और जब वो कम हो जाती है या नहीं रहती, तो उस साल के आखिर में हमें कम पानी मिलता है. आंशिक रूप से बर्फ के पिघले पानी से भरने वाली नदियों का जलस्तर भी कम रह जाता है. यूरोप के सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक, राइन नदी भी इस कमी का शिकार है.
बर्फ की किल्लत शिपिंग और बिजली सप्लाई के लिए भी बुरी
राइन के लिए पिघली हुई बर्फ के जलाशय अहम हैं क्योंकि उनकी बदौलत वो गर्मियों के सूखे हालात झेलती है. इंटरनेशलन कमीशन फॉर द हाइड्रोलॉजी ऑफ द राइन बेसिन के एक अध्ययन के मुताबिक, "पिघलते ग्लेशियर और कम बर्फ, बाजेल से लेकर उत्तरी सागर तक राइन में जलस्तर की कमी को और गंभीर बना सकते हैं. अध्ययन के मुताबिक पिघली बर्फ से बने पानी की कमी की भरपाई, बारिश नहीं कर पाएगी. और उथली होती जाती राइन नदी उन सभी पर असर डालेगी जो उस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार सदी के आखिरी वर्षों में, मालवाहक जहाज साल में दो महीने से ज्यादा की औसत अवधि में कई बार बुरी तरह बाधित हो सकते हैं. बिजली उत्पादन बाधित हो सकता है. पेयजल आपूर्तिकर्ताओं और किसानों को तीखी, सूखी गर्मियों में और ज्यादा किल्लत का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा, जब पानी की मांग बढ़ जाती है.
बर्फ की किल्लत से सामंजस्य बैठाने की जरूरत
इटली के साउथ टाइरोल स्थित यूराक रिसर्च नाम के एक इंटरडिसिप्लीनरी शोध केंद्र में जलवायु वैज्ञानिक, मार्क सेबिश के मुताबिक, बर्फ के पिघलाव में आ रही कमी से पैदा पानी की किल्लत से निपटने के लिए, सर्दियों में बारिश के पानी को जमा करने वाले कृत्रिम भंडार वाले बेसिनों की जरूरत है. लेकिन उसका मतलब होगा प्राकृतिक पर्यावरण में बदलाव. ऐसे बेसिनों के लिए पहाड़ों में जगह भी सीमित है.
इसीलिए, सेबिश के मुताबिक, सूखे का खतरा जब बढ़ता है, तो जहां कहीं संभव है हमें पानी बचाना होगा." सेबिश कहते हैं कि दक्षिणी आल्प का कृषि सेक्टर अभी भी काफी पानी यूं ही बहा देता है. जैसे कि, खेतों में फव्वारों का इस्तेमाल होता है जिससे कि एक महत्वपूर्ण संसाधन वाष्प बनकर उड़ जाता है और रिस जाता है.
ऑस्ट्रिया की इन्सब्रुक यूनिवर्सिटी में जियोग्राफर और टूरिज्म रिसर्चर रॉबर्ट श्टाइगर कहते हैं कि किसानों को भविष्य के और अधिक सूखे पर्यावरण में उगाने लायक फसलों के बारे में सोचना होगा. वे कहते हैं, "इटली की पो घाटी में, बहुत कम चावल उगाने की योजना है क्योंकि उसमें बहुत पानी खर्च होता है." पिछली गर्मियों में पो करीब करीब सूख ही गया था. बेतहाशा गर्मी और सूखे की अवधि से जूझने के अलावा, इटली को पिछली सर्दियों में बर्फ और बारिश के अभाव से भी जूझना पड़ा था. दोनों चीजों की किल्लत से यूरोप की कई नदियों का जलस्तर काफी नीचे चला गया था.
पहाड़ों को नुकसान पहुंचाता बर्फ का अभाव
पर्वतीय इलाकों में भी गायब होती बर्फ के दुष्परिणाम महसूस किए जा रहे हैं. जब बर्फबारी के बदले भारी बारिश होती है, तो श्टाइगर कहते हैं, भूस्खलन का खतरा भी बढ़ जाता है. बर्फ का पिघलाव और भारी बारिश अगर एक साथ हो तो स्थिति और बिगड़ जाती है. ईटीएच ज्युरिख से जुड़े फारीनोती कहते हैं कि कम बर्फबारी से ईकोसिस्टम भी बदल जाते हैं. उनके मुताबिक, "बर्फ के बिना, ईको प्रणालियों का कम्पोजिशन अलग हो जाएगा क्योंकि दूसरी प्रजातियां माइग्रेट कर जाएंगी."
पिघली हुई बर्फ पहाड़ों की मिट्टी को बारिश के पानी की अपेक्षा ज्यादा लंबे समय तक नम रखती है क्योंकि वो लंबी अवधि में धीरे धीरे पानी छोड़ती है ना कि एक झटके में. वसंत ऋतु में दूसरी चीजों के अलावा, पौधों की वृद्धि के लिए भी ये नमी महत्वपूर्ण होती है. पानी की कमी से कीट भी पनपते हैं. साउथ टाइरोल में सेबिश ने बार्क बीटल (गुबरैला) के संक्रमण में बढ़ोतरी दर्ज की थी. सूखे, कमजोर पेड़ों को ये कीड़े मजे से चट करते जाते हैं.
बर्फ के बिना प्रकाश के रिफलेक्शन में कमी
बर्फ की सतह, अलबेडो प्रभाव का एक अहम हिस्सा है. प्रकाश को परावर्तित करने की, किसी सतह की क्षमता को अलबेडो अफेक्ट कहा जाता है. प्रकाश को परावर्तित कर सफेद बर्फ, धरती के तापमान को कम बनाए रखने में मदद करती है. ध्रुवीय इलाकों में ये खासतौर पर महत्वपूर्ण है, समन्दर पर फैली बर्फ और स्कैंडिनेविया और साइबेरिया के बर्फ से ढके विशाल ट्रुंडा वनों के बारे में जरा सोचिए. सेबिश कहते हैं, "बर्फ धरती का सनस्क्रीन हैं. वो वॉर्मिंग से हिफाजत करती हैं."
निचली पर्वत ऋंखलाओं में, बर्फ का अभाव वैश्विक अलबेडो अफेर्ट में बड़ी भूमिका नहीं निभाता है. लेकिन उसका एक उल्लेखनीय स्थानीय असर तो पड़ता ही है. प्रकाश को रिफलेक्ट करने वाली बर्फ के बगैर, मिट्टी तेजी से गरम हो जाती है और सूखने लगती है. बारिश का पानी जमीन में रिसने के बजाय ऊपर ही ऊपर सूख जाता है, जो आगे चलकर जंगल में आग का खतरा भी बढ़ा सकता है क्योंकि ज्यादा सूखा पर्यावरण ज्यादा ज्वलनशील होता है.
नयी नयी बर्फ ग्लेशियरों के लिए भी बहुत जरूरी है. पानी धरती पर आइस के रूप में तभी जमा रह सकता है जबकि पूरे साल भर आसमान से फाहों की तरह गिरकर वायुमंडलीय भाप, उसके ऊपर बर्फ की तरह न जमी रहे. सेबिश कहते हैं, "अगर बर्फ न रही तो ग्लेशियर भी खत्म समझो."
नकली बर्फ और प्लास्टिक के तिरपाल नहीं काम आ सकते
बर्फ यानी हिम को बदलना या स्टोर करना कतई नामुमकिन है. श्टाइगर कहते हैं कि ऐसा करना बहुत महंगा सौदा है और किन्हीं खास ठिकानों पर ही ऐसा संभव है जहां कोई आर्थिक दलील जुड़ी हो जैसे कि विंटर खेलों को लेकर. कृत्रिम बर्फ तैयार करने के लिए बहुत सारी ऊर्जा और पानी की जरूरत है. विशेषज्ञों के मुताबिक कई इलाकों में नकली बर्फ के लिए भी एक रोज बहुत ज्यादा तपिश भरी स्थिति हो जाएगी.
बर्फ को सफेद प्लास्टिक तिरपाल से बचाए रखना भी कोई आसान काम नहीं. कुछ लोगों ने ग्लेशियरों पर ये आजमाया है. श्टाइगर कहते हैं, "तिरपाल की चद्दरों को खोलकर बिछाने में कई हफ्ते लग जाते हैं और उन्हें हटाने में भी उतना समय लगता है. ये भी पता चला है कि तिरपाल पर्यावरण में माइक्रोप्लास्टिक भी छोड़ते हैं."
फारीनोती के मुताबिक दुनिया के बर्फविहीन या हिमविहीन होने से रोकने के लिए, एक ही काम है जो हम लोग कर सकते हैं. और वो है सीओटू उत्सर्जन में कटौती करते हुए जलवायु परिवर्तन को रोकना. फारनोती कहते हैं, "मैं मानता हूं कि वैसा करना, इन तमाम तकनीकी उपायों की अपेक्षा, ज्यादा आसान और उचित होगा." (dw.com)
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण से सम्मानित करके बीजेपी सपा को पसोपेश में डाल दिया है. पर सवाल यह भी है कि बीजेपी का यह कदम कहीं उसके लिए आत्मघाती तो साबित नहीं हो जाएगा.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
1990 के दशक में जब मंडल-कमंडल की राजनीति का दौर था, तब से लेकर अब तक भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी एक-दूसरे की धुर विरोधी रही हैं. भारतीय जनता पार्टी ने जहां अपने राजनीतिक अस्तित्व को न सिर्फ बचाने, बल्कि यहां तक पहुंचाने के लिए अयोध्या में राम मंदिर का सहारा लिया. वहीं बीजेपी मुलामय सिंह यादव को इस बात के लिए कोसती रही कि उन्होंने विवादित बाबरी मस्जिद को बचाने और वहां मंदिर बनने से रोकने के लिए कारसेवकों पर गोलियां तक चलवाईं. यहां तक कि मुलायम सिंह यादव को परोक्ष रूप से 'मुल्ला मुलायम' तक की संज्ञा दे डाली.
भारतीय जनता पार्टी के मोदी दौर में भी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी उसकी सबसे बड़ी विरोधी पार्टी है. लेकिन, पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव के साथ बीजेपी, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तालमेल कुछ इस तरह रहा है कि कई बार समाजवादी पार्टी के लोग ही नहीं, बल्कि मुलायम सिंह के बेटे और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी हैरान रह जाते हैं.
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जिन छह लोगों को पद्मविभूषण देने की घोषणा हुई, उनमें समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का भी नाम था. उन्हें मरणोपरांत यह सम्मान देने का एलान हुआ. मुलायम सिंह यादव का पिछले साल 10 अक्टूबर को निधन हो गया था. पद्मविभूषण सम्मान की घोषणा ने सभी को हैरान कर दिया, समाजवादी पार्टी को भी. सपा के सामने स्थिति यह आ गई कि वे इस सम्मान के लिए बीजेपी का आभार जताए या न जताए. विरोध का तो खैर सवाल ही पैदा नहीं होता.
बहरहाल, पार्टी ने आधिकारिक तौर पर तो इस पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन पार्टी के कई नेताओं ने इस सम्मान पर खुशी जताई और नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव को भारत रत्न देने की मांग की.
नरेंद्र मोदी और मुलायम सिंह यादव के रिश्ते
यह पहला मौका नहीं है, जब मुलायम सिंह यादव के साथ बीजेपी के संबंधों को लेकर राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म है. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की चुनावी सभा में भावुक होकर उन्हें याद किया, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने उनके पैतृक गांव सैफई गए. अभी कुछ दिनों पहले ही बीजेपी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में भी मुलायम सिंह यादव को कुछ इस तरह याद किया गया, मानो वह बीजेपी के ही कोई बड़े नेता रहे हों.
दरअसल विपक्षी दलों के नेताओं को सम्मान देने या फिर उनके योगदान को महत्व देते हुए उन्हें पुरस्कार देना कोई नई परंपरा नहीं है और न ही इस पर हैरानी होनी चाहिए. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से राजनीति में विपक्षी दलों और उनके नेताओं को सिर्फ राजनीतिक विरोधी न मानते हुए जिस तरह दुश्मन सरीखा व्यवहार करने की परंपरा चल निकली है, उसे देखते हुए ऐसी घटनाएं हैरान करती हैं.
अतीत में कैसी रही हैं परंपराएं
राजनीतिक विरोधियों का सार्वजनिक सम्मान करना एक आम चलन रहा है. लोकसभा में अपने विरोध में चुनाव लड़ने और हराने के बावजूद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की कोशिश रहती थी कि समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया संसद में जरूर पहुंचें. इसकी वजह यह थी कि वह लोहिया जैसे विपक्षी नेताओं की जरूरत समझते थे, जो उन्हें गलतियों के प्रति आगाह करते थे. अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर सरीखे नेताओं का संसद और संसद के बाहर सभी दलों के नेता आदर करते थे. यह सूची बहुत लंबी है.
अब बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में ऐसी स्थिति आ गई है कि लोकतंत्र में विपक्ष के योगदान को सिर्फ इसलिए स्वीकार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि वे सरकार का विरोध कर रहे हैं. सत्ताधारी पार्टी विचारों की प्रतिस्पर्धा के बदले विपक्ष को कमजोर करने में लगी हैं और संदेह का माहौल इतना गहरा है कि अपनी पार्टी के लोग भी सम्मान स्वीकार करने में घबरा रहे हैं.
बीजेपी के कौन से फायदे गिनाते हैं जानकार
जहां तक मुलायम सिंह यादव को सम्मान देने का सवाल है, तो बीजेपी एक तीर से दो निशाने साधने में लगी है. एक ओर वह बचे-खुचे अन्य पिछड़े वर्गों को अपनी ओर मिलाने में लगी है, तो दूसरी ओर यूपी में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को एक ऐसी स्थिति में डाल देना चाहती है कि वह बीजेपी सरकार के कार्यों की प्रशंसा करने पर विवश हो जाए. हालांकि, इससे पहले भी बीजेपी कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं का सम्मान करके और कांग्रेस पार्टी से जुड़े महापुरुषों का सम्मान करके उन पर अधिकार जताने की कोशिश कर चुकी है.
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं, "मुलायम सिंह यादव को सम्मान देकर बीजेपी ने यादवों का तुष्टिकरण करने की कोशिश नहीं की है, बल्कि पिछड़े वर्गों का तुष्टिकरण करने का प्रयास किया है. मुलायम सिंह यादव लंबे समय तक पिछड़ी जातियों के सर्वमान्य नेता रहे हैं. अखिलेश यादव की वह स्थिति नहीं है. बीजेपी ने इससे बड़ा संदेश देने का काम किया है. सबसे बड़ी बात यह भी है कि कैसे अखिलेश यादव को धर्म संकट में डाला जाए. चुनाव से पहले बीजेपी अक्सर ऐसा करती है कि संदेश भी चला जाए और भ्रम भी बना रहे. इस एक कदम से उसके दोनों मकसद सिद्ध हो गए."
बीजेपी पर सपा के साथ सांठ-गांठ के आरोप
हालांकि, समाजवादी पार्टी, खासकर मुलायम सिंह यादव पर अक्सर ऐसे आरोप लगते रहे कि उनका बीजेपी के साथ कोई 'छिपा गठबंधन' है. कई मौकों पर ऐसे आरोपों की पुष्टि भी होती रही और साल 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान ये आरोप काफी मुखरता से लगे. इसके अलावा साल 2019 में संसद भवन में मुलायम सिंह द्वारा नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं देना और एक मौके पर अखिलेश यादव की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कान में कुछ कहना, अब तक रहस्य बना हुआ है.
मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के अन्य सदस्यों पर आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कराने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी कहते हैं, "बीजेपी और सपा के बीच सांठ-गांठ का इसी से पता चलता है कि जो बीजेपी सपा शासन के दौरान उस पर इतने घोटालों के आरोप लगाती रही, सरकार बनने के बाद सीबीआई जांच की सिफारिश भी की, लेकिन आज तक सारी कार्रवाई ठंडे बस्ते में पड़ी है. जबकि राज्य में बीजेपी सरकार का दूसरा कार्यकाल चल रहा है. दरअसल यूपी में समाजवादी पार्टी को विपक्ष के तौर पर बनाए रखना बीजेपी को राजनीतिक लाभ देता है और बीजेपी इस लाभ को हाथ से क्यों जाने देगी."
बीजेपी को नुकसान होने की सूरत
हालांकि, इसका एक दूसरा पक्ष भी है. बीजेपी ने मुलायम सिंह यादव की जो छवि गढ़ी है और जिस तरह से उन्हें कथित तौर पर हिन्दू विरोधी और मुस्लिम समर्थक नेता के तौर पर प्रचारित किया है, अब उनके प्रति यह सम्मान और इतनी हमदर्दी दिखाना कहीं बीजेपी के लिए ही आत्मघाती न बन जाए.
यूपी में बीजेपी के एक बड़े नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, "जब आम कार्यकर्ता और बीजेपी समर्थक बीजेपी नेताओं से मुलायम सिंह को दिए इस सम्मान के बारे में पूछेगा, तो हम क्या जवाब देंगे? क्या हम यह बताएंगे कि उन्हें यह सम्मान कारसेवकों पर गोलियां चलवाने के लिए दिया गया, दंगे करवाने के लिए दिया गया या फिर राममंदिर का विरोध करने के लिए दिया गया? आखिर हमारी पार्टी ही तो अब तक इन सबके लिए मुलायम सिंह को कोसती थी?"
पार्टी के अंदरखाने क्या है हाल
लेकिन सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि बीजेपी का मौजूदा नेतृत्व यूपी और उत्तर भारत के अन्य राज्यों में लगातार मिल रहे विशाल जनसमर्थन के चलते इतने आत्मविश्वास में है कि उसे इन सब बातों की परवाह ही नहीं है. वह कहते हैं, "बीजेपी ऐसे बिंदु पर पहुंच गई है, जहां उसे नुकसान होता नहीं दिख रहा है. उसे लगता है कि हिन्दू समुदाय उन्हें बहुमत देता रहेगा और इसलिए देता रहेगा, क्योंकि उसके पास बीजेपी के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. दूसरी ओर, बीजेपी को अपना आधार बढ़ाना है, तो अब और कहां बढ़ाएंगे. जिन्हें वे अपनी तरफ कर चुके हैं, उनके छोड़ने का डर बीजेपी को शायद नहीं है, क्योंकि उसे यह लगता है कि ये लोग बीजेपी को छोड़कर जाएंगे कहां?"
हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले यूपी बीजेपी के नेता इस मुगालते में नहीं हैं. वे चाहते हैं कि उनकी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी इस गफलत में न रहे. वे कहते हैं, "यूपी में एक बार आधार खिसका था, तो दोबारा सत्ता में आने में चौदह साल लग गए. तब भी कुछ लोग यही मानते थे कि अब हमें कोई हटा ही नहीं सकता है. लेकिन इतना आत्मविश्वास भी ठीक नहीं है. जिस दिन मजबूत और स्थाई आधार को नजरअंदाज कर दिया गया, तो नए आधार पर इमारत खड़ी करना तो दूर, उसे बचाना मुश्किल हो जाएगा." (dw.com)
कोलकाता, 28 जनवरी | करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2016 में पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षकों के पदों के लिए लिखित परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों का चयन करने के लिए प्रश्न पत्रों के लीक होने की ओर इशारा करने वाले व्हाट्सएप चैट का पता लगाया है। सूत्रों ने कहा कि चुनिंदा प्रश्न पत्रों को लीक करने का काम मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस के युवा नेता कुंतल घोष ने किया था, जिन्हें ईडी ने 21 जनवरी को उनके आवास से गिरफ्तार किया था।
जांच एजेंसी ने व्हाट्सएप चैट भी बरामद किया है, जो दर्शाता है कि घोष को राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी का संरक्षण प्राप्त था।
घोष के आवास से जब्त दस्तावेजों से केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने 2016 में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाले कुछ उम्मीदवारों के प्रवेश पत्रों की प्रतियां भी बरामद की हैं।
ईडी के जासूसों को 35 व्यक्तियों के नाम मिले हैं, जिन्होंने गिरफ्तार युवा नेता को पैसे देकर सरकारी स्कूलों में शिक्षक के रूप में नौकरी हासिल की और ये सभी वर्तमान में विभिन्न स्कूलों में कार्यरत हैं। जांच को आगे बढ़ाने के लिए उनमें से हर एक से पूछताछ की जाएगी।
तथ्य यह है कि चुनिंदा उम्मीदवारों के लिए प्रश्न पत्र लीक किए गए थे, जब ईडी के अधिकारियों ने पाया कि उनके शैक्षणिक रिकॉर्ड के अनुसार, भर्ती परीक्षा में कुछ अत्यंत निचले-औसत उम्मीदवारों ने अत्यधिक स्कोर किया था।
सूत्रों ने कहा कि उनकी शैक्षणिक परीक्षाओं में प्राप्त अंक उनकी ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट में उनके अंकों को सही नहीं ठहराते हैं। (आईएएनएस)|
ग्रेटर नोएडा, 28 जनवरी | ग्रेटर नोएडा में पुलिस के द्वारा तस्करों से पकड़ी गई शराब को न्यायालय के आदेश के बाद नष्ट किया जा रहा है। शुक्रवार को दादरी पुलिस ने भी मालखाने में रखी हुई शराब को नष्ट किया। इस दौरान 7 करोड़ रुपए की अवैध शराब को जेसीबी चलाकर नष्ट किया गया। गौतमबुद्ध नगर पुलिस द्वारा अवैध शराब के खिलाफ विशेष अभियान चलाया गया था। इस दौरान शराब तस्करों की धरपकड़ हुई। उनसे अवैध शराब बरामद की गई। जिले में न्यायालय के आदेश के बाद मालखानों में रखी अवैध शराब को नष्ट किया जा रहा है। दादरी पुलिस ने 2015 से 2022 तक पकड़ी गई शराब को नष्ट किया। दादरी पुलिस ने आबकारी अधिनियम के तहत 290 मुकदमे दर्ज किए थे। करीब 500 शराब तस्करों से 1,27,000 लीटर अवैध शराब बरामद की थी। तस्करों से बरामद की गई 1 लाख 27 हजार लीटर शराब दादरी थाने के मालखाने में रखी थी, जिसे लेकर न्यायालय ने आदेश दिया कि शराब को नष्ट किया जाए। न्यायालय के आदेश के बाद शुक्रवार को पुलिस ने शराब को मालखाने से निकालकर जेसीबी से नष्ट करा दिया। करीब 1,27000 लीटर शराब नष्ट की गई। कुल नष्ट की गई शराब की कीमत करीब 7 करोड़ रुपए बताई जा रही है।
दादरी थाना प्रभारी उमेश बहादुर सिंह ने बताया कि न्यायालय के आदेश के बाद करीब 7 करोड़ रुपये की शराब को नष्ट किया गया है। यह शराब करीब 290 मामलों में पकड़ी गई थी। उन्होंने बताया कि यह शराब 2015 से लेकर 2022 के बीच पकड़ी गई है।
ग्रेटर नोएडा, 28 जनवरी (आईएएनएस)। ग्रेटर नोएडा में पुलिस के द्वारा तस्करों से पकड़ी गई शराब को न्यायालय के आदेश के बाद नष्ट किया जा रहा है। शुक्रवार को दादरी पुलिस ने मालखाने में रखी हुई शराब को नष्ट किया। इस दौरान 7 करोड़ रुपए की अवैध शराब को जेसीबी चलाकर नष्ट किया गया।
गौतमबुद्ध नगर पुलिस द्वारा अवैध शराब के खिलाफ विशेष अभियान चलाया गया था। इस दौरान शराब तस्करों की धरपकड़ हुई। उनसे अवैध शराब बरामद की गई। जिले में न्यायालय के आदेश के बाद मालखानों में रखी अवैध शराब को नष्ट किया जा रहा है। दादरी पुलिस ने 2015 से 2022 तक पकड़ी गई शराब को नष्ट किया। पुलिस ने 290 मुकदमे दर्ज किए थे। करीब 500 शराब तस्करों से 1,27,000 लीटर अवैध शराब बरामद की थी। शराबोस्करों से बरामद की गई 1 लाख 27 हजार लीटर शराब दादरी थाने के मालखाने में रखी थी, जिसे लेकर न्यायालय ने आदेश दिया कि शराब को नष्ट किया जाए। न्यायालय के आदेश के बाद शुक्रवार को पुलिस ने शराब को मालखाने से निकालकर जेसीबी से नष्ट करा दिया। करीब 1,27000 लीटर शराब नष्ट की गई। नष्ट की गई शराब की कीमत करीब 7 करोड़ रुपए बताई जा रही है।
दादरी थाना प्रभारी उमेश बहादुर सिंह ने बताया कि न्यायालय के आदेश के बाद करीब 7 करोड़ रुपये की शराब को नष्ट किया गया है। यह शराब करीब 290 मामलों में 2015 से लेकर 2022 के बीच पकड़ी गई है। (आईएएनएस)|
यरूशलम, 28 जनवरी | पूर्वी यरूशलम में एक बस्ती में शुक्रवार रात हुई गोलीबारी में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए। इजराइल की मैगन डेविड एडोम आपातकालीन सेवा के अनुसार घायलों का उपचार किया जा रहा है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार इजरायली मीडिया ने बताया कि हमला एक आराधना स्थल में शुरू हुआ और पड़ोस की एक सड़क तक फैल गया।
यह घटना गाजा पट्टी से फिलिस्तीनी आतंकवादियों द्वारा इजरायल में रॉकेट दागे जाने के घंटों बाद हुई। राकेट हमले में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
इसके पहले गुरुवार को कब्जे वाले वेस्ट बैंक में जेनिन शरणार्थी शिविर में एक छापे में इजरायली बलों ने 61 वर्षीय एक महिला सहित नौ फिलिस्तीनियों को मार डाला था, तब से तनाव अधिक है। इजराइल ने कहा कि आतंकवादी दस्ते को विफल करने के लिए छापे मारे गए, जिसने इजराइलियों के खिलाफ हमले की योजना बनाई थी। (आईएएनएस)|
अदन (यमन), 28 जनवरी | दक्षिणी प्रांत लहज में हौथी लड़ाकों द्वारा शुक्रवार को यमन के सरकारी बलों के सैन्य ठिकानों पर किए गए हमले में कम से कम आठ लोग मारे गए। एक स्थानीय सैन्य अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, हौती लड़ाकों के एक समूह ने हमला किया और लहज प्रांत के उत्तरी हिस्से में सरकारी बलों द्वारा नियंत्रित प्रमुख स्थलों पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ने का प्रयास किया।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार हौथी हमले ने भीषण लड़ाई छेड़ दी। इसमें कम से कम पांच विद्रोही और तीन सरकारी सैनिक मारे गए। घंटों संघर्ष के बाद विद्रोहियों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
गौरतलब है कि संघर्ष के समाधान की दिशा में ठोस प्रयास के अभाव में दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ कमर कस रहे हैं।
हाल के दिनों में यमन के विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय युद्धरत गुटों के बीच छिटपुट सशस्त्र टकराव होते रहे हैं।
2014 के अंत से यमन एक गृहयुद्ध में घिर गया, जब हौथी मिलिशिया ने कई उत्तरी शहरों पर धावा बोल दिया और यमनी सरकार को राजधानी सना से बाहर कर दिया। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 28 जनवरी | दिल्ली पुलिस को बहुसंख्यक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और दो पत्रिकाओं के खिलाफ शिकायत मिली है। हालांकि पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। संदीप देव, जो एक यूट्यूब चैनल चलाते हैं और इंडिया स्पीक्स डेली के एडिटर-इन-चीफ हैं, ने अपनी शिकायत में कहा है कि भागवत के हाल ही में दो पत्रिकाओं को दिए इंटरव्यू में महाभारत की हस्तियों का हवाला देकर समलैंगिकता का समर्थन किया गया।
देव ने अपने बयान में कहा, आरएसएस प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में महाभारत काल के शास्त्रों, ऐतिहासिक व्यक्तित्व हम्सा और दिंबक के समलैंगिक संबंध होने, एक दूसरे के प्रति आकर्षण होने का हवाला दिया, जो तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है।
देव ने आगे कहा कि गीता प्रेस से छपे पृष्ठ संख्या 1303 से 1366 तक श्री हरिवंश पुराण में इसी ऐतिहासिक घटना का सही उल्लेख है। उन्होंने आईपीसी की धारा 295 ए (जानबूझकर किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा) के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
शिकायत में कहा गया है, भागवत की टिप्पणी से हिंदू समुदाय के एक बड़े वर्ग की भावनाएं आहत हुई हैं। उन्हें महाभारत हरवंशपुराण जैसे ग्रंथ की गलत व्याख्या के लिए लिखित माफी मांगी जानी चाहिए। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 28 जनवरी | कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे ने राहुल गांधी की सुरक्षा में चूक के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा, भारत जोडो यात्रा के दौरान जम्मू और कश्मीर में राहुल गांधी की सुरक्षा ने चूक बेहद निराशाजनक है। सुरक्षा प्रदान करना केंद्र की प्रमुख जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि भारत पहले ही दो प्रधानमंत्री और सैकड़ों नेताओं को खो चुका है और हम यात्रियों के लिए बेहतर सुरक्षा की मांग करते हैं। भारत जोड़ो यात्रा को सुरक्षाकर्मियों द्वारा दिए सुझाव के बाद इसे निलंबित कर दिया गया था। हम इसकी समाप्ति पर राजनीतिक दलों के नेताओं सहित एक विशाल सभा के होने उम्मीद कर रहे हैं। इस संबंध में गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है।
खड्गे ने पत्र में लिखा कि हम जम्मू-कश्मीर पुलिस की सराहना करते हैं और उनके बयान का स्वागत करते हैं। यह कहते हुए कि वे यात्रा के समापन तक पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करना जारी रखेंगे।
बहरहाल, आप इस बात की सराहना करेंगे कि प्रतिदिन भारत जोड़ो यात्रा में आम लोगों की भारी भीड़ शामिल हुई है। आयोजकों के लिए यह बताना मुश्किल है कि पूरे दिन में कितने लोगों के आने की उम्मीद ह,ै क्योंकि यात्रा में शामिल होने के लिए आम लोगों में सहज भाव है।
हम अगले दो दिनों में यात्रा में शामिल होने के लिए एक विशाल सभा की उम्मीद कर रहे हैं और 30 जनवरी को श्रीनगर में होने वाले समारोह में भी भीड़ हो सकती है। 30 जनवरी को समापन समारोह में कांग्रेस तमाम वरिष्ठ नेता और अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों के नेता शामिल होंगे।
उन्होंने गृह मंत्री से अपील करते हुए कहा, यदि आप व्यक्तिगत रूप से इस मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं और सलाह दे सकते हैं, तो मैं आभारी रहूंगा। संबंधित अधिकारियों को यात्रा की समाप्ति और 30 जनवरी को श्रीनगर में होने वाले समारोह तक पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा गया है।
इससे पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शुक्रवार को कहा था कि 15 मिनट तक भारत जोड़ो यात्रा के साथ कोई सुरक्षाकर्मी नहीं था, और ये एक गंभीर चूक है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा जम्मू-कश्मीर में यात्रा के अपने अंतिम चरण में है। 7 सितंबर को कन्याकुमारी में शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा 3,970 किलोमीटर, 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करने के बाद 30 जनवरी को श्रीनगर में समाप्त होगी। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 28 जनवरी | फिनटेक प्लेटफॉर्म भारत पे ने वित्त वर्ष 2022 में कंपनी के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर को 1.69 करोड़ रुपए का वेतन दिया, जबकि उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर, जो कंपनी में पूर्व नियंत्रण प्रमुख थीं, ने 63 लाख रुपए का वेतन लिया। वर्तमान में कंपनी 88.6 करोड़ रुपए के धन की हेराफेरी के मामले में अशनीर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के पास दायर वित्तीय विवरण के अनुसार, इसके पूर्व सीईओ सुहैल समीर ने वर्ष 2022 में 2.1 करोड़ रुपए लिए।
भारत पे के अध्यक्ष रजनीश कुमार को 21.4 लाख रुपए मिले, जबकि बोर्ड के सदस्य शाश्वत नकरानी को 29.8 लाख रुपए का भुगतान किया गया।
मनी कंट्रोल ने सबसे पहले भारत पे के शीर्ष अधिकारियों को पारिश्रमिक के बारे में रिपोर्ट किया था।
इस बीच, वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत पे को 5,610.7 करोड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ। वर्ष 2021 में, कंपनी ने 1,619.2 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा दर्ज किया था।
इस महीने की शुरुआत में कंपनी ने स्पष्ट किया था कि सीसीपीएस से संबंधित आइटम वन-ऑफ है और अगले साल से नहीं होगा, क्योंकि हमने अब देयता से इक्विटी के लिए अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय वरीयता शेयरों को पुनर्वगीर्कृत किया है।
इस बीच, वित्त वर्ष 2011 में परिचालन से इसका राजस्व 3.8 गुना बढ़कर 456.8 करोड़ रुपए हो गया, जो कि ऋण संवितरण पर भुगतान की मात्रा में वृद्धि के कारण था। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 28 जनवरी | एलन मस्क द्वारा संचालित ट्विटर ने शनिवार को घोषणा की है कि वह अपने नियमों को तोड़ने वाले उपयोगकर्ता खातों के खिलाफ कम गंभीर कार्रवाई करेगा और उनसे विवादास्पद ट्वीट हटाने और आगे बढ़ने के लिए कहेगा। कंपनी ने कहा कि वह केवल उन ट्विटर खातों को निलंबित करेगी जो उसके नियमों के गंभीर चल रहे हैं।
माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने कहा, हम कम गंभीर कार्रवाई करेंगे, जैसे नीति-उल्लंघन करने वाले ट्वीट्स की पहुंच को सीमित करना या आपको अपने खाते का उपयोग जारी रखने से पहले ट्वीट्स को हटाने के लिए कहना शामिल है।
इसमें कहा गया है कि हमारी नीतियों के गंभीर या जारी, बार-बार उल्लंघन के लिए खाता निलंबन आरक्षित रहेगा।
गंभीर उल्लंघनों में अवैध सामग्री या गतिविधि में शामिल होना, हिंसा या नुकसान के लिए उकसाना या धमकी देना, गोपनीयता का उल्लंघन, प्लेटफॉर्म में हेरफेर या स्पैम, और उपयोगकर्ताओं के लक्षित उत्पीड़न में शामिल होना शामिल है।
ट्विटर ने कहा कि वह पहले से निलंबित खातों को सक्रिय रूप से बहाल कर रहा है।
ट्विटर ने कहा, "1 फरवरी से, कोई भी खाता निलंबन की अपील कर सकता है और बहाली के लिए हमारे नए मानदंडों के तहत मूल्यांकन किया जा सकता है।"
कंपनी ने कहा कि उसने उन खातों को बहाल नहीं किया जो अवैध गतिविधि, नुकसान या हिंसा की धमकी, बड़े पैमाने पर स्पैम और प्लेटफॉर्म हेरफेर में शामिल थे या जब खाते को बहाल करने के लिए हाल ही में कोई अपील नहीं की गई थी। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 28 जनवरी | एलन मस्क द्वारा संचालित ट्विटर ने शनिवार को घोषणा की है कि वह अपने नियमों को तोड़ने वाले उपयोगकर्ता खातों के खिलाफ कम गंभीर कार्रवाई करेगा और उनसे विवादास्पद ट्वीट हटाने और आगे बढ़ने के लिए कहेगा। कंपनी ने कहा कि वह केवल उन ट्विटर खातों को निलंबित करेगी जो उसके नियमों के गंभीर चल रहे हैं।
माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने कहा, हम कम गंभीर कार्रवाई करेंगे, जैसे नीति-उल्लंघन करने वाले ट्वीट्स की पहुंच को सीमित करना या आपको अपने खाते का उपयोग जारी रखने से पहले ट्वीट्स को हटाने के लिए कहना शामिल है।
इसमें कहा गया है कि हमारी नीतियों के गंभीर या जारी, बार-बार उल्लंघन के लिए खाता निलंबन आरक्षित रहेगा।
गंभीर उल्लंघनों में अवैध सामग्री या गतिविधि में शामिल होना, हिंसा या नुकसान के लिए उकसाना या धमकी देना, गोपनीयता का उल्लंघन, प्लेटफॉर्म में हेरफेर या स्पैम, और उपयोगकर्ताओं के लक्षित उत्पीड़न में शामिल होना शामिल है।
ट्विटर ने कहा कि वह पहले से निलंबित खातों को सक्रिय रूप से बहाल कर रहा है।
ट्विटर ने कहा, "1 फरवरी से, कोई भी खाता निलंबन की अपील कर सकता है और बहाली के लिए हमारे नए मानदंडों के तहत मूल्यांकन किया जा सकता है।"
कंपनी ने कहा कि उसने उन खातों को बहाल नहीं किया जो अवैध गतिविधि, नुकसान या हिंसा की धमकी, बड़े पैमाने पर स्पैम और प्लेटफॉर्म हेरफेर में शामिल थे या जब खाते को बहाल करने के लिए हाल ही में कोई अपील नहीं की गई थी। (आईएएनएस)|
हसन, 28 जनवरी | कर्नाटक पुलिस ने हसन जिले में एक चोर को कथित तौर पर पीटने और उसे उल्टा लटकाने के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, कित्तावारा गांव की रहने वाले मंजू को बेलूर तालुक के बेलवार में एक बागान से कॉफी के बीज चुराने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया था।
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान केपी राघवेंद्र, बेलावर गांव के केपी उमेशा, मल्लिगानुरू गांव के कीर्ति, डोनानामाने के सैमुअल और कित्तावारा गांव के नवीन राज के रूप में हुई है।
आरोपियों ने युवक को पकड़ने के बाद उसके हाथ-पैर बांध दिए और पूरी रात मारपीट करते रहे।
अगली सुबह उन्होंने उसे पेड़ से उल्टा लटका दिया और डंडों से पीटा और गाली-गलौज की। पुलिस ने कहा कि सूचना मिलने पर टीम पहुंची और चोर को छुड़ाया और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
हासन के एसपी हरिराम शंकर ने पुष्टि की है कि घटना के सिलसिले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और जांच जारी है।
हुबली, 28 जनवरी | मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को कहा, ''केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चुनावी कर्नाटक की यात्रा राज्य में भाजपा की चुनावी तैयारियों को गति दे रही है।'' पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि शाह पूरे राज्य का दौरा करेंगे। जब भी कोई चुनाव होता है तो वह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे पहले, वह दक्षिण कर्नाटक में मांड्या गए थे और अब कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में हैं।
गृह मंत्री शुक्रवार रात शहर पहुंचे। अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान, वह धारवाड़ और बेलगावी शहरों में एक मेगा रोड शो और सार्वजनिक रैलियों सहित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
कित्तूर कर्नाटक क्षेत्र भाजपा पार्टी का मजबूत आधार है। मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि अमित शाह अगले महीने हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र का दौरा करेंगे और केंद्र सरकार की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।
उन्होंने कहा, पार्टी राज्य में वरिष्ठ राष्ट्रीय नेताओं के दौरे के इस अवसर का उपयोग अपने लाभ के लिए करना चाहती है। हम राज्य की भलाई के लिए उनके प्रभाव का उपयोग करेंगे।
इस सवाल पर कि क्या भाजपा की राज्य इकाई आंतरिक कलह का सामना कर रही है, सीएम बोम्मई ने कहा, भाजपा में कोई असंतोष नहीं है। पार्टी के संबंध में किसी भी नेता द्वारा असंतोष का एक शब्द नहीं बोला जा रहा है।
पार्टी का विकास सबसे महत्वपूर्ण है और सभी को इसके लिए प्रयास करना चाहिए। पार्टी को प्रदेश के सभी क्षेत्रों में विकास करना है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता बीजेपी से डर रहे हैं और बयान जारी कर रहे हैं।
विशेष रूप से, गृह मंत्री शाह कर्नाटक लिंगायत सोसाइटी (केएलई) के बीवीबी इंजीनियरिंग कॉलेज के इनडोर स्टेडियम का उद्घाटन करेंगे। बाद में वह केएलई के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित अमृत महोत्सव में भी हिस्सा लेंगे।
बाद में, वह धारवाड़ में फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की आधारशिला रखेंगे।
वह कुंडागोल में 'विजया संकल्प यात्रा' में हिस्सा लेने के अलावा वहां के 300 साल पुराने प्राचीन शंभूलिंग मंदिर में पूजा-अर्चना भी करेंगे। वह बसवन्ना मठ भी जाएंगे।
पार्टी ने डेढ़ किलोमीटर तक मेगा रोड शो का आयोजन किया है। वह एमके में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। कित्तूर विधानसभा क्षेत्र के हुबली और भाषण देते हैं। वह संघ परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के साथ बातचीत करेंगे और क्षेत्र में भाजपा पार्टी के लिए रणनीति बनाने के लिए पार्टी नेताओं के साथ तीन बैठकें करेंगे। (आईएएनएस)|