अंतरराष्ट्रीय
सुमी खान
ढाका, 10 जनवरी बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए. अब्दुल मोमन ने शनिवार को ढाका में पाकिस्तान हाई कमिशन द्वारा बांग्लादेशियों के लिए वीजा पर सभी प्रतिबंध हटाए जाने की किसी भी तरह की जानकारी मिलने से मना कर दिया।
मोमन ने आईएएनएस को बताया, "मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है कि पाकिस्तान हाई कमिशन ने यहां बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वीजा पर लगे सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं।"
विदेश मंत्री शुक्रवार को अल जजीरा में एक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि ढाका में पाकिस्तान हाई कमिशन ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए वीजा पर सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं।
गौरतलब है कि बांग्लादेश ने गुरुवार को 1971 के नरसंहार के लिए पाकिस्तान से आधिकारिक तौर पर माफी की मांग की थी।
ढाका में पाकिस्तान के नए हाई कमिशनर इमरान अहमद सिद्दीकी के सौजन्य से आए फोन के दौरान बांग्लादेश के विदेश मामलों के मंत्री शहरियार आलम ने कहा था कि, नरसंहार के लिए माफी, बांग्लादेश में फंसे पाकिस्तानियों के प्रत्यावर्तन को पूरा करना और संपत्ति के विभाजन को निपटाना आवश्यक मामले थे।
सिद्दीकी ने कहा, "पाकिस्तानी नागरिकों पर बांग्लादेश के प्रतिबंध अभी भी लागू हैं और इसीलिए मैंने राज्य मंत्री को सूचित किया कि हमने अपनी तरफ से सभी प्रतिबंध उठा लिए हैं।" (आईएएनएस)
कई देशों ने बोइंग 737 विमानों की उड़ान पर रोक लगा दी है
भारत के बोइंग 737 मैक्स विमानों की उड़ान पर रोक लगाने के फ़ैसले के बाद फ़्लाइटों के किराए बढ़ सकते हैं.
द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ स्पाइस जेट के 13 बोइंग 737 मैक्स विमानों को मंगलवार रात भारत सरकार के फ़ैसले के बाद उड़ने से रोक दिया गया है. वहीं जेट एयरवेज़ के 119 में से 54 विमान नहीं उड़ सकेंगे.
वहीं पायलटों की कमी की वजह से इंडिगो ने अप्रैल तक रोज़ाना 30 उड़ानें रद्द कर दी हैं. गो एयर भी अपने कुछ विमानों को नहीं उड़ा रहा है.
स्पेयर पार्ट्स की कमी की वजह से एयर इंडिया के भी 23 विमान नहीं उड़ पा रहे हैं. विमानों की कमी का सीधा असर हवाई किराए पर होगा.
द हिंदू अख़बार की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ जिन लोगों का नाम राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में नहीं है उनका वोट अपने आप नहीं कटेगा.
भारत के निर्वाचन आयोग से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एनआरसी में नाम न होने के आधार पर मतदाता सूची से नाम नहीं काटे जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से असम में मतदाताओं की सूची में शामिल नामों का ब्यौरा भी मांगा है. एनआरसी का ड्राफ़्ट मसौदा बीते साल जुलाई में जारी हुआ था और अंतिम एनआरसी इस साल 31 जुलाई तक प्रकाशित होना है.
असम में रह रहे लाखों लोगों के नाम एनआरसी में नहीं है जिससे उनकी नागरिकता जाने का ख़तरा पैदा हो गया है. (bbc.com)
दमिश्क, 10 जनवरी | सीरिया में पिछले दो दिनों में 130 से ज्यादा हवाई हमलों में आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) के ठिकानों को निशाना बनाया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, ब्रिटेन स्थित 'सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स' ने शनिवार को कहा कि सीरिया में आईएस के ठिकानों पर रूसी युद्धक विमानों ने हवाई हमले किए क्योंकि आईएस ने हमले कर कई सीरियाई सैन्य ठिकानों को अपने कब्जे में ले लिया था।
वॉचडॉग ग्रुप ने कहा कि आईएस आतंकवादी बाद में हवाई हमलों के डर से उन जगहों से हट गए जहां उन्होंने बढ़त बनाई थी।
ऑब्जर्वेटरी ने कहा कि पिछले 48 घंटों में लड़ाई के दौरान, 19 सरकारी सैनिक मारे गए, साथ ही 12 आईएस आतंकवादी भी मारे गए।
सीरिया में महत्वपूर्ण क्षेत्रों को खोने के बाद, आईएस समूह सीरियाई रेगिस्तानी क्षेत्र के कई हिस्सों में मौजूद है और उसने सीरियाई सरकारी बलों पर अनगिनत हमले किए हैं। (आईएएनएस)
जकार्ता, 10 जनवरी | इंडोनेशिया के पश्चिम जावा प्रांत में हुए भूस्खलन से 11 लोगों की मौत हो गई है। रविवार को आपदा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्राकृतिक आपदा के कारण 17 घायल हुए भी हैं। इसके अलावा 14 लोगों के लापता होने की खबर है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ को प्रोविंसियल डिजाइस्टर मैनेजमेंट एजेंसी (बीपीबीडी) की इमरजेंसी यूनिट के प्रमुख बुदी बुदिमन ने बताया कि सुमेदंग जिले के सिहांजुआन गांव में लगभग 4 बजे भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ, जिसमें 8 लोग दबकर मर गए। उन्होंने कहा, "जब पीड़ितों की खोज और बचाव के लिए अभियान चल रहा था, तभी करीब शाम साढ़े 7 बजे फिर से भूस्खलन हुआ जिसने और लोगों को मौत की नींद सुला दिया।"
बाद में हुए भूस्खलन में मरने वालों में जिले में बीपीबीडी की आपातकालीन इकाई के प्रमुख और सिमांगग उप-जिले के मिल्रिटी कमांडर शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि भूस्खलन से कुल 14 घर नष्ट हो गए हैं। इन घरों के 17 लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से कुछ का इलाज गांव के स्वास्थ्य क्लीनिक में चल रहा है।
लापता लोगों को तलाशने के लिए रविवार सुबह चलाए जा रहे ऑपरेशन में 500 से ज्यादा बचावकर्मी और 3 भारी मशीनरी उपकरणों की मदद ली जा रही है। (आईएएनएस)
लॉस एंजेलिस, 10 जनवरी। रियलिटी टीवी स्टार किम कार्दशियां ने मांस और दूध से बने उत्पादों को त्याग दिया है। उन्होंने नए साल की शुरुआत शाकाहारी आहार से की है। एसशोबिज डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, किम ने आध्यात्मिकता में भी गंभीरता दिखाई है। वह नियमित रूप से बाइबल स्टडी क्लास में भाग ले रही हैं।
कथित तौर पर रैपर पति कान्ये वेस्ट के साथ तलाक ले रही रियलिटी टीवी स्टार ने इंस्टाग्राम पर अपने आहार परिवर्तन की घोषणा की। किम ने मांस के उत्पादन से भरे फ्रिज की एक तस्वीर पोस्ट की और उसके साथ लिखा, "किसी ने सुना कि मैंने शाकाहार अपना लिया है।"
उन्होंने बहन ख्लो कार्दशियां के साथ वर्कआउट सेशन की तस्वीर भी साझा की। उन्होंने बताया कि वह इस साल फिटनेस कार्यक्रम को गंभीरता से ले रही हैं।
(आईएएनएस)
पाकिस्तान में शनिवार की देर रात अचानक लगभग समूचे देश में बिजली गुल हो गई.
ऊर्जा मंत्रालय ने ट्विटर के जरिए सूचना दी कि पावर ट्रांसमिशन सिस्टम की फ्रीक्वेंसी में अचानक 50 से 0 की गिरावट आने से देशव्यापी ब्लैकआउट हो गया. मंत्रालय के मुताबिक यह तकनीकी खामी 11.41 बजे हुई.
मंत्रालय के मुताबिक इसकी वजह जानने के प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही मंत्रालय ने उस दौरान लोगों से संयम बरतने के लिए कहा.
आम लोगों के मुताबिक अचानक कराची, इस्लामाबाद, लाहौर, पेशावर, रावलपिंडी समेत देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों में बिजली गुल हो गई.
देखते देखते यह ख़बर पाकिस्तान के पड़ोसी देशों तक भी पहुँच गई और पाकिस्तान की तरह ही भारत में भी #blackout ट्रेंड करने लगा.
इस दौरान सूचना मंत्री शिबली फ़राज़ ने इसे एनटीडीसी के सिस्सट में तकनीकी गड़बड़ी बताते हुए लिखा कि बिजली की बहाली की जा रही है.
शुरुआत में मंत्रालय की तरफ से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया कि यह संकट कब तक बरकरार रहेगा.
हालाँकि मंत्रालय ने बताया कि सभी संबंधित टीमें अपने अपने स्टेशनों पर पहुंच गई हैं और ऊर्जा मंत्री उमर अयूब ख़ान खुद बिजली की बहाली के काम की देखरेख कर रहे हैं. उन्होंने भी ट्वीट के ज़रिए मंत्रालय की तरफ से जारी की गई सूचना को ही शेयर किया.
इसके कुछ देर बाद मंत्रालय के ट्विटर अकाउंट से नैशनल पावर कंट्रोल सेंटर में बिजली की बहाली के काम को देखते हुए ऊर्जा मंत्री की एक तस्वीर भी जारी की गई.
शुरू शुरू में लोगों से संयम बरकरार रखने की अपील करते हुए मंत्रालय ने लिखा कि समय समय पर लोगों को बिजली की बहाली के बारे में सूचित किया जाता रहेगा.
रात क़रीब डेढ़ बजे मंत्रालय ने सूचना दी कि जल्द ही क्रमबद्ध तरीके से बिजली की बहाली शुरू की जा रही है. फिर पाकिस्तान के समयानुसार रात क़रीब 1.45 बजे एनटीडीसी के संगजनी और मर्दन ग्रिड में बिजली की बहाली की सूचना दी गई.
फिर शाही बाग ग्रिड औऱ बहरिया टाउन में भी बिजली की बहाली की सूचना दी गई. इसके बाद इस्लामाबाद इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी के ग्रिड से भी बिजली चालू कर दी गई.
बिजली गुल होने से लेकर बहाली तक के दौरान पाकिस्तान के लोगों की तरफ से इस पर प्रतिक्रियाएँ और तस्वीरें साझा की जाती रहीं. (bbc)
बारूद के ढेर पर खड़ा अमरीका, बाइडेन के शपथ से पहले भड़क सकती है ख़तरनाक हिंसा, “ट्रम्प या जंग” जैसे ट्वीट, टीकाकारों ने किया सचेत
ट्रम्प के चरमपंथी समर्थकों ने जो बाइडेन के शपथ ग्रहण से पहले विद्रोह व अशांति को जारी रखने का आह्वान किया है।
सीएनएन के मुताबिक़, अमरीकी राष्ट्रपति के चरमपंथी समर्थक, सोशल साइटों पर नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के शपथ ग्रहण से पहले, अशांति को हवा देने का बार बार आह्वान कर रहे हैं।
सोशल साइटों पर ट्रम्प के समर्थक अपने प्रचार में कह रहे हैः “ट्रम्प या जंग”, “अगर बंदूक़ चलाना नहीं आता, अभी सीखो”, “हम सरकारी इमारतों पर धावा बोलेंगे”, “पुलिस, सुरक्षा अधिकारियों, सरकारी कर्मचारियों और गुप्तचर सेवा के अधिकारियों की हत्या करेंगे” और “मतों को फिर से गिनने का निवेदन करें”।
उधर न्यूयॉर्क स्थित ऐन्टी डिफ़ेमेशन लीग के प्रमुख जॉनथन ग्रीनब्लैट ने सचेत किया है कि जिस तरह नस्लपरस्त व चरमपंथी गुट भड़काउ बयान दे रहे हैं, उससे हिंसा तेज़ होने का ख़तरा है।
इस बीच अमरीका की साइबर सेक्युरिटी संस्था के पूर्व निदेशक क्रिस क्रेब्स ने भी बाइडेन के शपथ ग्रहण तक हिंसा बढ़ने और ज़्यादा तादाद में हत्याएं होने की चेतावनी दी है।
क्रिस क्रेब्स अमरीका की आतंरिक सुरक्षा मंत्रालय के साइबर स्पेस विभाग के प्रमखु थे, जिन्हें ट्रम्प ने इसलिए निकाल दिया क्योंकि उन्होंने 2020 के चुनाव के ईमानदारी से आयोजित होने पर आधारित रिपोर्ट पेश की थी। उन्होंने सचेत किया है कि ट्रम्प के समर्थक बाइडेन के शपथ ग्रहण तक और रक्तपात करेंगे।
क्रिस क्रेब्स ने कहाः “अधिक हिंसा भड़केगी। शपथ ग्रहण तक और ज़्यादा हिंसा होगी। यह ख़त्म नहीं हुई है। और होगी। बहुत से लोग हैं जो ऐसा करेंगे। मैं घुमा फिरा कर नहीं बल्कि साफ़ साफ़ कह रहा हूं कि राष्ट्रपति को एलान करना होगा कि यह ईमानदारी से चुनाव हुआ है। वह हार गए हैं। उनके पास अभी भी वक़्त है सही क़दम उठाने का। ऐसा होगा। अधिक रक्तपात होगा।” (parstoday)
बुडापेस्ट, 9 जनवरी| पांच स्वर्ण सहित 10 ओलंपिक पदक जीतने वाली सबसे वृद्ध जीवित ओलंपिक चैम्पियन और हंगरी की पूर्व महिला जिम्नास्ट एग्नेस क्लेटी ने शनिवार को अपना 100वां जन्मदिन मनाया। वर्ष 1921 में जन्मीं हंगरी की सबसे सफल ओलंपियन क्लेटी ने जिम्नास्टिक में अपने करियर में 10 पदक जीते थे, जिसमें पांच स्वर्ण पदक भी शामिल है। उन्होंने 1952 हेलिंस्की ओलंपिक और 1956 मेलबर्न ओलंपिक में स्वर्ण पदक पदक जीते थे।
क्लेटी शनिवार को अपना 100वां जन्मदिन मना रही है और उन्हें दुनियाभर से उनके जन्मदिन की बधाई भी मिल रही है।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष थॉमस बाक ने क्लेटी को उनके जन्मदिन पर बधाई देते हुए कहा, " आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। आपकी कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है। आपने त्रासदी को दूर करने के लिए ²ढ़ संकल्प और साहस की शक्ति का परिचय दिया है। ये एक महान ओलंपिक चैंपियन की कहानी हैं। एक ओलंपियन के रूप में आपके 10 पदक, उनमें से पांच स्वर्ण, वास्तव में आश्चर्यजनक हैं। मुझे यकीन है कि अगर 1948 लंदन ओलंपिक खेलों प्रतिस्पर्धा करती तो आप और भी अधिक पदक जीत सकती थीं।"
क्लेटी को हंगरी की सबसे सफल महिला ओलंपिक माना जाता है। उनके अलावा केवल तीन दिग्गज पुरुषों (अलादेर गेरेविच, पाल कोवक्स और रुडोल्फ कोर्पटी) ने तलवारबाजी में हंगरी के लिए अधिक ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं।
क्लेटी 1940 और 1944 ओलंपिक के द्वीतीय विश्व युद्ध के कारण रद्द होने से इसमें नहीं खेल पाई थीं। अगर वो इन खेलों में खेलती तो और भी पदक जीत सकती थी। उन्होंने 31 साल की उम्र में 1952 हेलिंस्की खेलों से ओलंपिक में अपना पदार्पण किया था और इसके बाद 35 साल की उम्र में वह जिमनास्टिक के इतिहास में सबसे उम्रदराज स्वर्ण पदकधारी बनी थीं।
1956 मेलबर्न ओलंपिक के बाद क्लेटी ने आस्ट्रेलिया में ही राजनीतिक शरण प्राप्त कर ली। इवेंट के दौरान ही सोवियत संघ ने हंगरी पर आक्रमण कर दिया था और वह अंतत: इजरायल चली गईं, जहां उन्होंने फिर से शादी की और उसके दो बच्चे थे। बाद में वह ओर्डे विंगेट इंस्टीट्यूट में शारीरिक शिक्षा पढ़ाने लगीं और फिर इजरायल में महिला जिम्नास्टिक कोच बन गईं।
क्लेटी को 2002 में अंतर्राष्ट्रीय जिम्नास्टिक हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था और इजरायल में खेलों में योगदान देने के लिए 2017 में उन्हें इजरायल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। (आईएएनएस)
बीजिंग, 9 जनवरी | 8 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड-19 पर नियमित संवाददाता सम्मेलन पर डब्ल्यूएचओ के आपात कार्यक्रम पर जिम्मेदार अधिकारी मिचेल रेएन ने कहा कि कोविड-19 महामारी का फैलाव तेज हो रहा है। इसका अनुमान लगाना कठिन है कि कितने लोग वास्तव में कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन संभावना है कि विश्व में तीन-चौथाई से अधिक आबादी कोविड-19 से अति संवेदनशील है। उन्होंने यह भी कहा कि वायरस का प्रसार जारी है, हमें इस महामारी को जल्द काबू में लाना होगा।
संवाददाता सम्मेलन में डब्ल्यूएचओ ने यह भी घोषणा की कि उसके नेतृत्व वाले कोवाक्स यानी कोविड-19 टीका कार्यांवयन योजना ने वैक्सीन की 2 अरब खुराकों का सौदा संपन्न किया है। जब वैक्सीन मिलेंगे तो तत्काल कोवाक्स में भाग लेने वाले समुदायों में वितरित किया जाएगा। (आईएएनएस)
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता से उड़ान भरने के बाद एक यात्री विमान लापता हो गया है. इस विमान में 62 लोग सवार थे. अधिकारियों का कहना है कि श्रीविजया एयर बोइंग 737 से, जकार्ता से वेस्ट कलिमनतन प्रांत के रास्ते में संपर्क टूट गया और विमान लापता हो गया.
जकार्ता, 9 जनवरी | फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट फ्लाइटरडार24.कॉम के मुताबिक, ये विमान एक मिनट से भी कम समय में दस हज़ार फुट नीचे आया. परिवहन मंत्रालय का कहना है कि विमान का पता लगाने के लिए राहत और बचाव दलों को सक्रिय किया गया है.
श्रीविजया एयर का कहना है कि वो इस उड़ान के बारे में और अधिक जानकारी जुटा रही है. अधिकारियों का कहना है कि लापता हुए विमान से आख़िरी संपर्क स्थानीय समयानुसार दोपहर 2.40 मिनट पर हुआ था.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्हें कम से कम एक धमाके की आवाज़ सुनाई दी. सोलिहिन नामक एक मछुआरे ने बीबीसी की इंडोनेशियन सर्विस को बताया कि उन्होंने हादसा होते हुए देखा, जिसके बाद उन्होंने अपने कैप्टन के साथ द्वीप लौट जाने का फ़ैसला किया.
उन्होंने बताया, ''विमान बिजली की तरह समुद्र में गिरा और पानी में धमाका हो गया. हम नज़दीक थे कि कुछ मलबा हमारे जहाज़ से टकराया.''
नेशनल सर्च एंड रेस्क्यू एजेंसी के एक अधिकारी बामबैंग सुरयो अजी का कहना है कि ''हम हादसे की सटीक जगह का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि आज रात तक इसका पता चल जाएगा. समुद्र की गहराई लगभग 20-23 मीटर है.''
उन्होंने स्वीकार किया कि समुद्र में एक जगह पर मलबा नज़र आया है.
'26 साल पुराना था विमान'
बीबीसी के बिज़नेस संवाददाता थियो लेगेट के मुताबिक, इंडोनेशिया में कई विमान बहुत पुराने हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद उड़ान भर रहे हैं.
उनका कहना है शनिवार को लापता हुआ विमान 26 साल पुराना था. सुरक्षित उड़ानों के मामलों में इंडोनेशिया का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. इंडोनेशिया में ऐसे कई विमान अभी भी प्रयोग में लाए जा रहे हैं जो अस्सी और नब्बे के दशक में बने थे.
इंडोनेशिया में इससे पहले दो बड़े विमान हादसे हो चुके हैं जिनमें 737 मैक्स बोइंग विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे. हालांकि शनिवार को जकार्ता से उड़ा विमान 737 मैक्स श्रेणी का नहीं है.
अक्तूबर 2018 में इंडोनेशियन लायन एयर की फ्लाइट हादसे का शिकार हुई थी जिसमें 189 लोग मारे गए थे और विमान का मलबा समुद्र में मिला था.(bbc.com/hindi)
रामल्ला, 9 जनवरी | फिलिस्तीनी अधिकारियों ने दक्षिणी वेस्ट बैंक के हेब्रोन शहर में स्थित प्राचीन इब्राहिमी मस्जिद स्थल को 10 दिनों के लिए बंद करने के इजरायल के फैसले की निंदा की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, धार्मिक मामलों और इस्लामी संबंधों पर फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के सलाहकार महमूद अल-हबाश ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि इजरायल द्वारा मस्जिद को बंद करना एक 'युद्ध अपराध' है।
अल-हबाश ने कहा, "मुस्लिम उपासकों को मस्जिद में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगाने से दुनिया भर के मुसलमानों की भावनाएं भड़क सकती हैं।" उन्होंने कहा कि यह अल-वक्फ विभाग में हस्तक्षेप है।
फिलिस्तीनी अल-वक्फ मंत्रालय पवित्र स्थलों का प्रभारी है, मुख्य रूप से फिलिस्तीनी क्षेत्रों में स्थित मस्जिदों का।
इससे पहले इजरायली मीडिया ने बताया था कि यहूदी देश के अधिकारियों ने हेब्रोन में फैले कोविड-19 से निपटने के लिए एहतियाती उपायों के तहत मस्जिद को 10 दिनों के लिए बंद करने का फैसला किया है।
इब्राहिमी मस्जिद के निदेशक हेफजी अबू स्नीनेह ने कहा, "इजरायल का बहाना निराधार है, क्योंकि सभी उपासक और आगंतुक मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के सुरक्षा उपायों को अपनाकर स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन कर रहे थे।"
--आईएएनएस
इंडोनेशिया, 9 जनवरी | इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता से उड़ान भरने के बाद एक यात्री विमान लापता हो गया है. इस विमान में 62 लोग सवार थे. अधिकारियों का कहना है कि श्रीविजया एयर बोइंग 737 से, जकार्ता से वेस्ट कलिमनतन प्रांत के रास्ते में संपर्क टूट गया और विमान लापता हो गया.
फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट फ्लाइटरडार24.कॉम के मुताबिक, ये विमान एक मिनट से भी कम समय में दस हज़ार फुट नीचे आया. परिवहन मंत्रालय का कहना है कि विमान का पता लगाने के लिए राहत और बचाव दलों को सक्रिय किया गया है.
श्रीविजया एयर का कहना है कि वो इस उड़ान के बारे में और अधिक जानकारी जुटा रही है. अधिकारियों का कहना है कि लापता हुए विमान से आख़िरी संपर्क स्थानीय समयानुसार दोपहर 2.40 मिनट पर हुआ था.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्हें कम से कम एक धमाके की आवाज़ सुनाई दी. सोलिहिन नामक एक मछुआरे ने बीबीसी की इंडोनेशियन सर्विस को बताया कि उन्होंने हादसा होते हुए देखा, जिसके बाद उन्होंने अपने कैप्टन के साथ द्वीप लौट जाने का फ़ैसला किया.
उन्होंने बताया, ''विमान बिजली की तरह समुद्र में गिरा और पानी में धमाका हो गया. हम नज़दीक थे कि कुछ मलबा हमारे जहाज़ से टकराया.''
नेशनल सर्च एंड रेस्क्यू एजेंसी के एक अधिकारी बामबैंग सुरयो अजी का कहना है कि ''हम हादसे की सटीक जगह का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि आज रात तक इसका पता चल जाएगा. समुद्र की गहराई लगभग 20-23 मीटर है.''
उन्होंने स्वीकार किया कि समुद्र में एक जगह पर मलबा नज़र आया है.
'26 साल पुराना था विमान'
बीबीसी के बिज़नेस संवाददाता थियो लेगेट के मुताबिक, इंडोनेशिया में कई विमान बहुत पुराने हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद उड़ान भर रहे हैं.
उनका कहना है शनिवार को लापता हुआ विमान 26 साल पुराना था. सुरक्षित उड़ानों के मामलों में इंडोनेशिया का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. इंडोनेशिया में ऐसे कई विमान अभी भी प्रयोग में लाए जा रहे हैं जो अस्सी और नब्बे के दशक में बने थे.
इंडोनेशिया में इससे पहले दो बड़े विमान हादसे हो चुके हैं जिनमें 737 मैक्स बोइंग विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे. हालांकि शनिवार को जकार्ता से उड़ा विमान 737 मैक्स श्रेणी का नहीं है.
अक्तूबर 2018 में इंडोनेशियन लायन एयर की फ्लाइट हादसे का शिकार हुई थी जिसमें 189 लोग मारे गए थे और विमान का मलबा समुद्र में मिला था.(bbc.com/hindi)
वॉशिंगटन, 9 जनवरी | वाशिंगटन के गवर्नर जे.इंसली ने कहा है कि अमेरिकी राज्य वॉशिंगटन, विधायकों, राज्य के कर्मचारियों और कैपिटल कैंपस की इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। यहां 11 जनवरी को 2021 को विधानमंडल का गठन होना है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने इंसली के बयान के हवाले से कहा, "जैसे ही वॉशिंगटन राज्य के लोगों की ओर से विधायक काम करना शुरू करते हैं, हमें वह सब सुनिश्चित करना होगा जो हम कर सकते हैं, ताकि वे अपने काम को बिना किसी भय, धमकी या उत्पीड़न के कर सकें।"
उन्होंने बयान में कहा, "इस सप्ताह की शुरूआत में वॉशिंगटन डीसी और ओलंपिया में जो हुआ, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य थी और इसे दोहराने नहीं दिया जाएगा।"
इंसली ने वाशिंगटन स्टेट पैट्रोल और नेशनल गार्ड को ओलंपिया में सक्रिय कर दिया है। इसमें नियमित तौर पर कैपिटल कैंपस की सुरक्षा करने वाली टीमों के अलावा 750 सदस्य और बड़ी संख्या में वाशिंगटन स्टेट पैट्रोल के सैनिकों को शामिल किया गया है।
इंसली ने कहा है कि वे राज्य में किसी भी ऐसे काम को बर्दाश्त नहीं करेंगे, जिससे लोकतांत्रिक संस्थानों के कामों में बाधा आए।
बता दें कि गवर्नर की यह घोषणा मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों द्वारा कैपिटल बिल्डिंग पर हमला करने के बाद आया है, जिसके जरिये उन्होंने 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में जो बाइडेन की जीत की पुष्टि करने की प्रक्रिया भंग करने की कोशिश की थी। हमले में हुई हिंसा में कम से कम पांच लोगों की जान चली गई है।
--आईएएनएस
रामल्ला, 9 जनवरी | वेस्ट बैंक में इजरायली सैनिकों के साथ झड़प के दौरान कम से कम सात फिलिस्तीनी घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया कि शुक्रवार को उस समय झड़प हुई जब सैनिकों ने दर्जनों फिलिस्तीनियों को तितर-बितर करने के लिए बल का प्रयोग किया, जो रामल्ला के पास दीर जरीर कस्बे में एक बस्ती में इजरायली निर्माण का विरोध कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जवानों ने प्रदर्शनकारियों पर रबर-कोटेड गोलियां और आंसू गैस के गोले दागे, जिन्होंने सैनिकों पर पत्थर फेंके थे।
फिलिस्तीनी मेडिकल टीमें जल्द ही घटनास्थल पर पहुंची और कम से कम सात प्रदर्शनकारियों के घायल होने की पुष्टि की। (आईएएनएस)
तेहरान, 9 जनवरी | ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने टेलीवाइज्ड संबोधन में अमेरिका और ब्रिटेन से कोरोनोवायरस वैक्सीन के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हुए कहा कि ये दोनों देश भरोसेमंद नहीं हैं।
खमेनेई ने शुक्रवार को अपने संबोधन में कहा, "मैंने पहले ही सरकारी अधिकारियों से कहा है, और अब सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा करता हूं। अमेरिकी और ब्रिटिश टीकों का आयात प्रतिबंधित है।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, शुक्रवार को अपने संबोधन में खामेनेई ने कहा कि अमेरिकी और ब्रिटिश टीकों को देश में अनुमति नहीं है। अमेरिका और ब्रिटेन भरोसेमंद नहीं हैं।
सर्वोच्च नेता ने मानव परीक्षण चरण में अब ईरानी कोविद -19 वैक्सीन की देश के लिए 'गौरव के स्रोत' के रूप में प्रशंसा की, और आशा व्यक्त किया कि देश में भविष्य में अन्य वैक्सीन परियोजनाओं का विकास और सुधार होगा।
खामेनेई के संबोधन के बाद, ईरानी रेड क्रिसेंट सोसाइटी ने अमेरिकी फाइजर कोविड-19 टीकों के आयात को रद्द करने की घोषणा की।
आईआरसीएस के प्रवक्ता मोहम्मद हसन कोसियान मोकाद्दम ने शुक्रवार रात को समाचार एजेंसी आईआरएनए को बताया कि ईरानी रेड क्रिसेंट सोसाइटी द्वारा अमेरिका से देश में कोरोनावायरस वैक्सीन (विकसित) फाइजर इंक के 150,000 खुराक के आयात को रद्द कर दिया गया है। (आईएएनएस)
विलमिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा कि वह जो बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जाएंगे. 20 जनवरी को अमेरिका के नए राष्ट्रपति बाइडेन का शपथ ग्रहण समारोह है. बाइडेन ने ट्रंप के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि ये अच्छी बात है. बाइडेन ने विलमिंगटन, डेलावेयर में संवाददाताओं को बताया, "यहां आने के दौरान मुझे रास्ते में बताया गया कि उन्होंने (ट्रंप) संकेत दिए हैं कि वह शपथ ग्रहण में नहीं आएंगे."
बाइडेन ने कहा, "बहुत ही कम चीजें हैं जिस पर वो और मैं कभी सहमत हों. हाल ही घटनाओं के बाद वह देश के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गए हैं. उनका शपथ ग्रहण समारोह में नहीं आना एक अच्छी बात है." उन्होंने कहा, "ट्रंप संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास में सबसे अक्षम राष्ट्रपतियों में से एक है."
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वह देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होंगे. ट्रंप ने सत्ता का ‘‘सुचारू, व्यवस्थित एवं निर्बाध'' हस्तांरण सुनिश्चित करने का वादा करने के बाद यह कहा. ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘‘जिन लोगों ने मुझसे इस बारे में पूछा था, मैं उन्हें बता रहा हूं कि मैं 20 जनवरी को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होऊंगा.''
अमेरिका में तीन नवंबर को हुए चुनाव में कई सप्ताह तक जीत का ‘‘झूठा'' दावा करने वाले ट्रंप के इस समारोह में शामिल होने की उम्मीद नहीं की जा रही थी. अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में अपने समर्थकों द्वारा की गई हिंसा की बुधवार को यह कहते हुए अंतत: निंदा की कि वे अमेरिका का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. सांसत में पड़े ट्रंप ने इसके साथ ही संकल्प लिया कि वह नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन को सत्ता का व्यवस्थित, निर्बाध और सुगम हस्तांतरण सुनिश्चित करेंगे.
(भाषा के इनपुट के साथ)
जापान के लोग लंबा जीते हैं और स्वस्थ रहते हैं. रिसर्च दिखाते हैं कि इसकी वजह उनकी एक आम सी आदत है, भारत की ही तरह रोज नहाने की. जापान के करीब 80 फीसदी लोग रोजाना गरम पानी में नहाते ही नहीं काफी समय तक पानी में रहते हैं.
डॉयचे वैले पर जूलियान रायल, टोक्यो से का लिखा-
शिन्या हायासाका मेडिकल डॉक्टर हैं और टोक्यो सिटी यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. वे दो दशक से स्वास्थ्य पर गर्म पानी के प्राकृतिक सोते "ऑनसेन" में स्नान करने के असर पर काम कर रहे हैं. इस परंपरा के पीछे का विज्ञान अब एक कला के रूप में सामने आया है. हायासाका का कहना है, "लगभग 20 साल पहले, एक बुजुर्ग मरीज की घर पर देखभाल करने वाली एक नर्स ने मुझसे सलाह मांगी थी. वह चिंतित थी क्योंकि मरीज को हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत थी और यह तय करना बेहद मुश्किल था कि स्नान करना सुरक्षित है."
हायासाका कहते हैं, "उस समय इस सवाल का जवाब देने के लिए कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं था और मुझे लगा कि इसके लिए वैज्ञानिक सबूत की जरूरत थी." हायासाका का पहला पेपर द जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में मई 1991 में प्रकाशित हुआ. इस शोध में बुजुर्गों के गर्म पानी में नहाने की निगरानी की बात कही गई थी. लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने शोध का विस्तार कर उसमें जापान की दैनिक स्नान संस्कृति को शामिल कर लिया.
प्राकृतिक 'ऑनसेन' गर्म सोते
जापान में लगभग 27,000 प्राकृतिक गर्म सोते हैं जो प्राचीन काल में लगभग सब के लिए गर्म पानी का स्रोत था. इसके साथ ही स्नान देश की राष्ट्रीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया. इसमें धर्म ने भी एक भूमिका निभाई. कई मंदिर स्थानीय लोगों को मुफ्त स्नान की सुविधा प्रदान करते थे. कई बौद्ध सूत्रों में भी नियमित स्नान की सिफारिश की गई है.
1960 के दशक तक अधिकांश जापानी घरों में बाथरूम नहीं हुआ करता था और लोग पड़ोस के सार्वजनिक स्नानघर में इकट्ठा होते थे. मिलजुलकर नहाना एक सामाजिक कार्यक्रम बन गया था. देश में आज लगभग हर घर में बाथरूम है, लेकिन इसके बावजूद कुछ सार्वजनिक स्नानघर मौजूद हैं.
हायासाका बताते हैं, "नियमित रूप से स्नान करने के तीन मुख्य स्वास्थ्य लाभ हैं: गर्मी, हल्कापन और हाइड्रोस्टेटिक दबाव. व्यक्तिगत साफ-सफाई भी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, जो केवल एक शॉवर लेने से ही मिल सकता है. लेकिन अन्य तीन के लिए आपको खुद को गर्म पानी में डुबोना होगा."
शरीर का तापमान बढ़ने से लाभ
हायासाका के अनुसार पहला लाभ शरीर के तापमान को बढ़ाने से होता है, जिसमें पानी का तापमान कम से कम 38 सेल्सियस होना चाहिए. वे कहते हैं, "गर्म पानी में डूबने से धमनियों को आराम मिलता है और वो फैलते हैं जिससे खून का बहाव बेहतर होता है."
"रक्त आपके शरीर में करीब 3,700 अरब कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषण पहुंचाता है और साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरे गंदे तत्वों को दूर करता है." उन्होंने बताया, "रक्त संचरण में बेहतरी सोते में शरीर को जुबोने से पैदा होने वाली भावना के लिए जिम्मेवार है, जैसे कि दिन भर की थकान भाप के बादल के ऊपर तैरते हुए दूर हो रही है."
हायासाका कहते हैं कि गर्मी दर्द को भी कम करती है और शरीर को गर्म रखने से तंत्रिकाओं की संवेदनशीलता कम हो जाती है. इससे पीठ दर्द, अकरे हुए कंधे और अन्य तरह के दर्द भी कम हो सकते हैं. गर्मी कोलेजन युक्त लिगामेंट को भी नरम करती है जो जोड़ों को घेरे हुए हैं. यह जोड़ों को नरम बना देता है जिससे दर्द में राहत मिलती है.
रात को आती है अच्छी नींद
पुरानी कहावत है कि गरम बाथ लेने से नींद अच्छी आती है. शोध दिखाता है कि इसमें सच्चाई है क्योंकि इससे शरीर की भारी मांसपेशियों का तनाव दूर होता है और उन्हें आराम मिलता है. हायासाका ने कहा, "जब आप सोते में डूबते हैं, तो तीसरा मुख्य लाभ ये होता है कि आपके शरीर के आसपास का पानी शरीर के हर हिस्से पर हाइड्रोस्टेटिक दबाव बढ़ाता है. यह पैरों और शरीर के निचले हिस्से के लिए विशेष रूप से लाभकारी है. यह सूजन को कम करने में मदद करता है क्योंकि सूजी हुई वाहिकाओं से रक्त दिल में लौटता है और रक्त संचरण में सुधार होता है."
चिबा विश्वविद्यालय के रिसर्चरों के साथ किए गए एक अध्ययन में हायासाका ने तीन साल तक 14,000 बुजुर्ग लोगों का निरीक्षण किया. इस अध्ययन से निष्कर्ष निकला कि जो लोग हर दिन गर्म स्नान करते हैं, उन्हें उन लोगों के मुकाबले जो हफ्ते में सिर्फ दो या कम बार स्नान करते हैं, नर्सिंग देखभाल की जरूरत 30 प्रतिशत कम होती है.
इस साल की शुरुआत में ओसाका में वैज्ञानिकों द्वारा एक दूसरा अध्ययन पूरा हुआ. इसमें 20 वर्षों के दौरान 30,000 लोगों की सेहत की जांच की गई और यह पाया गया कि रोज स्नान करने वाले लोगों में स्ट्रोक या दिल के दौरे जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा लगभग 30 प्रतिशत कम है.
स्ट्रोक के खतरे में कमी
प्रोफेसर हायासाका के अध्ययन से संकेत मिलता है कि नियमित स्नान स्ट्रोक या दिल के दौरे के जोखिम को कम करता है क्योंकि गर्मी रक्त वाहिकाओं को फैलाती है, रक्तचाप को कम करती है और संवहनी एंडोथेलियल फंक्शन में सुधार होता है. उनके अनुसार कुछ अध्ययनों से यह संकेत भी मिला है कि गरम पानी में ज्यादा देर रहने से मानसिक कुशलता में भी सुधार होता है और डिमेंशिया का खतरा घटता है. हायासाका इसके लिए मस्तिष्क के रक्त प्रवाह में सुधार को जिम्मेवार मानते हैं.
औसत जापानी महिला 87 साल से ज्यादा जीती हैं और पुरुषों की औसत उम्र 81 साल है. जर्मन महिला औसतन 83 साल जीती हैं, जबकि पुरुष की औसत उम्र 78 साल होती है. इस वर्ष जापान में 100 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या पहली बार 80,000 से अधिक हो गई जिनमें करीब 88 प्रतिशत महिलाएं हैं. चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न इलाकों के विशेषज्ञ हायासाका के नतीजों के साथ इत्तेफाक रखते हैं.
लॉस एंजिलेस में स्थित कान, नाक और गले के विशेषज्ञ माइकल ए पर्स्की कहते हैं, "परिधीय परिसंचरण और पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम की उत्तेजना में वृद्धि हमारे नाड़ियों और न्यूरोलॉजिकल सिस्टम के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है." उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "मैं यह भी मानता हूं कि गर्मी हमारे जोड़ों, नसों, लिगामेंट और मांसपेशियों में दर्द को कम करने में मदद करती है, जिसके परिणामस्वरूप पूरे शरीर की अकड़न में राहत मिलती है." उनके अनुसार "गर्म पानी में लेटने से शरीर और मस्तिष्क दोनों को शांति मिलती है."
'शक्तिशाली उपचार'
डॉक्टर जेनेल किम सैन डिएगो में जेबीके वेलनेस लैब्स के संस्थापक है और पारंपरिक पूर्वी दवाओं के चिकित्सक हैं. उन्होंने बताया कि "विशेष रूप से हर्बल पानी में डूबना, जिसमें रक्त संचार और ची को बढ़ावा देने वाले हर्बल तत्व होते हैं, दिमाग और शरीर के लिए सबसे शक्तिशाली उपचारों में से एक हो सकता है." वे कहती हैं, "आखिरकार, त्वचा हमारा सबसे बड़ा अंग है, और गर्म पानी में डूबने पर हमारे सभी पोर खुल जाते हैं और जड़ी-बूटियों के लाभकारी तत्वों को अवशोषित करते हैं."
किम का कहना है कि गर्म सोते में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले मैग्नीशियम, कैल्शियम, सोडियम, और सल्फेट जैसे अन्य तत्व, "मन को शांत करने, मांसपेशियों और जोड़ों को आराम देने पाचन को सुधारने और शरीर को संतुलित करने शक्तिशाली तरीका हो सकते हैं.
हायासाका कहते हैं, "दुर्भाग्य से जापानी लोगों की भागदौड़ वाली जीवन शैली के कारण बहुत से लोग लंबे दिन के अंत में बाथ लेने के बजाय शॉवर ले रहे हैं. हाल के अध्ययनों से पता चला है कि सिर्फ 40 प्रतिशत लोग ही अब रोज स्नान करते हैं. आधुनिकता के कारण परंपरा से दूर जाने से होने वाले बदलावों के नतीजे गंभीर हो सकते हैं. जापान में इसके कारण दिल के दौरे और स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है.
2014 में जब ऐक्ट ईस्ट नीति की घोषणा हुई थी, तब इसका फोकस दक्षिणपूर्व और पूर्वी एशिया के देश थे. पिछले छह सालों में इस नीति में कई छोटे बड़े परिवर्तन आए हैं.
डॉयचे वैले पर राहुल मिश्र का लिखा-
1 जून 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शांगरी ला भाषण में भारत की इंडो-पैसिफिक नीति की औपचारिक रूप से घोषणा की. उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक स्वतंत्र, मुक्त, और समावेशी इंडो-पैसिफिक व्यवस्था का हिमायती है और इसके लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है.
इंडो-पैसिफिक नीति को ऐक्ट ईस्ट और आसियान देशों को केंद्र में रखने की बात कहकर उन्होंने दक्षिण पूर्वी देशों के संशयों को भी खतम करने की कोशिश की. साथ ही क्वाड के जरिए अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के साथ चतुष्कोणीय सम्बंध मजबूत करने की तरफ भी बड़े कदम उठाए गए. यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि भारत क्वाड को इंडो-पैसिफिक से सीधे जोड़ने से बचता रहा है.
इसकी प्रमुख वजह यह है कि भारत और जापान दोनों ही मानते हैं कि चीन को अनायास भड़काना बेमतलब की कवायद है. दूसरी ओर, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया इसे इंडो-पैसिफिक और चीन दोनों से जोड़ कर देखते हैं. पिछले दो से ज्यादा वर्षों में इन चारों देशों के क्वाड को लेकर दिए गए वक्तव्यों से यह बात साफ है.
बहरहाल, भारतीय नीति निर्धारकों को जल्द ही यह अहसास हुआ कि अगर इंडो-पैसिफिक क्षेत्रीय व्यवस्था को मूर्त रूप देना है तो इस तरफ तेजी से और बड़े कदम उठाने होंगे. इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव इसी सोच का नतीजा है.
आज से लगभग एक साल पहले चौदहवीं ईस्ट एशिया शिखर वार्ता के दौरान बैंकॉक में नवंबर 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव की घोषणा की. कुछ ही दिनों बाद जब भारत और जापान के बीच 2+2 विदेश और रक्षामंत्री-स्तरीय बैठक में भी भारत ने औपचारिक तौर पर इसकी बात की. तब से लेकर आज तक भारत की ऐक्ट ईस्ट, इंडो-पैसिफिक और नेबरहुड नीतियों में इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव एक अहम स्थान रखता है.
इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव के सात स्तम्भ
हाल ही में इसकी झलक एक बार फिर तब देखने को मिली जब अपनी 5 से 7 जनवरी 2021 की श्रीलंका यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत और श्रीलंका के बीच इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव के तहत सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया. कोलम्बो पोर्ट में भारतीय निवेश को भी इसी का हिस्सा मान कर देखा जाता है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव के सात स्तंभ हैं:
समुद्री सुरक्षा
समुद्री पारिस्थिकी
समुद्री संसाधन
विज्ञान, तकनीक, और शैक्षिक सहयोग
आपदा जोखिम को कम करना और आपदा प्रबंधन
क्षमता निर्माण और संसाधनों को साझा करना और
ट्रेड कनेक्टिविटी और समुद्री यातायात
भारतीय विदेश नीति के नजरिए से देखें तो यह एक बड़ी पहल थी क्योंकि इससे पहले इंडो-पैसिफिक क्षेत्रीय व्यवस्था को मूर्त रूप देने के लिए भारत ने कोई बड़ी पहल नहीं की थी. श्रीलंका, बांग्लादेश और दशिण एशिया के देश, मॉरिशस, मालदीव और हिंद महासागर के तमाम देश, म्यांमार, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम, थाईलैंड और दक्षिणपूर्व एशिया के तमाम देश, और यही नहीं जापान और कोरिया समेत पूर्वी एशिया के देशों के साथ ही ऑस्ट्रेलिया और ओशियानिया के देश भी इस पहल का बड़ा हिस्सा बन रहे हैं.
समुद्री व्यापार और यातायात, समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर पर फुर्ती से साथ साथ काम करने की कवायद के पीछे कहीं न कहीं चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना का साया तो है ही लेकिन साथ ही इस बात का अहसास भी है कि सहयोग की बुनियादी जरूरतों जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, यातायात सुरक्षा की गारंटी और संसाधनों के जिम्मेदाराना ढंग से उपयोग को मिलकर और नियम-बद्ध तरीके से अमल में नहीं लाया गया तो आगे आने वाला समय मुशकिल होगा. साफ है इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव का मूल उद्देश्य है सुरक्षित, सुदृढ़ और मजबूत नियम-बद्ध और शांतिपरक क्षेत्रीय व्यवस्था को मजबूत करना.
दवाई भी कड़ाई भी
राजकोट में एम्स की आधारशिला रखने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 के लिए नया नारा दिया है. नया नारा कोरोना महामारी के संदर्भ में हैं और प्रधानमंत्री मानते हैं कि भारत इस महामारी से लड़ने में कामयाब हुआ है.
नियम-बद्ध क्षेत्रीय व्यवस्था है क्या?
तो आखिर यह नियम-बद्ध क्षेत्रीय व्यवस्था है क्या और इस पर भारत इतना जोर क्यों दे रहा है? दरसल नियम-बद्ध क्षेत्रीय व्यवस्था, जिसे रणनीतिकार रूल्स-बेस्ड रीजनल ऑर्डर की संज्ञा भी देते हैं, वह व्यवस्था है जिसमें आधुनिक विश्व के तमाम सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किए जाने वाले नियमों को न सिर्फ मान्यता दी जाती है बल्कि यह माना जाता है कि सभ्य और आधुनिक राष्ट्रों के लिए यह नियम नैतिक तौर पर अनुल्लंघनीय हैं. इन नियमों में प्रमुख हैं – मानवाधिकारों का सम्मान, लोकतंत्र को बढ़ावा, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन में ताकतवर और कमजोर देश के बीच फर्क ना करना, विवादों का शांतिपूर्वक निपटारा और जरूरत आन ही पड़े तो मामले को सुलझाने में अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों की सहायता लेना.
समुद्री जहाजों के नेविगेशन की स्वतंत्रत्रा इससे जुड़े सबसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद मुद्दों में आता है. महत्वपूर्ण इसलिए कि समुद्र और आकाश किसी एक देश की सम्पत्ति नहीं हैं, न हो सकते हैं. इन्हें "वैश्विक कॉमन्स” की संज्ञा दी जाती है. इस श्रेणी में साइबर जगत, वातावरण, आउटर स्पेस और अंटार्कटिका जैसे मामले आते हैं. ये वो मामले हैं जिन पर एक देश की कब्जे की अनाधिकार चेष्टा को रोकना नियम-बद्ध क्षेत्रीय और विश्व व्यवस्था का जिम्मा. संयुक्त राष्ट्र संघ और ऐसे ही तमाम अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों और कानूनों ने इस व्यवस्था को बचाए रखने की कोशिश की है. हालांकि इस मामले में सफलताओं का गिलास भी अकसर आधा भरा ही पाया जाता है.
बड़े देश छोटों को न परेशान करें और दुष्ट देशों की नियम्बद्ध शांतिपूर्वक मरम्मत हो जाए, यह तो शायद दूसरी दुनिया का चलन हो, धरती पर तो ऐसा होना दिनों दिन मुश्किल हो रहा है. बहरहाल, इस रास्ते पर बढ़ने में कोशिश करने से ही रास्ता निकलेगा और ऐसा भी नहीं है कि नियम-बद्ध क्षेत्रीय व्यवस्था की दिशा में हमें सफलताएं नहीं मिली हैं. हुआ बस यह कि दुनिया के तमाम देश अपनी अपनी छोटी सहूलियतों के लिए बड़े उद्देश्यों को भूल गए हैं.
इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव और इस जैसे तमाम छोटे बड़े बहुपक्षीय सहयोग के रास्तों के जरिए ही इंडो-पैसिफिक व्यवस्था का जापान, भारत और ऐसे तमाम देशों का सपना साकार होगा और इसके लिए सभी सामान विचारधारा वाले देशों को पुरजोर कोशिश भी करनी होगी.
(राहुलमिश्रमलायाविश्वविद्यालयकेएशिया-यूरोपसंस्थानमेंअंतरराष्ट्रीयराजनीतिकेवरिष्ठप्राध्यापकहैं.)
बर्लिन, 9 जनवरी | जर्मनी में कोविड-19 के कारण पिछले 24 घंटों में रिकॉर्ड 1,188 मौतें हुईं हैं। देश की डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन कंट्रोल एजेंसी रॉबर्ट कोक इंस्टीट्यूट (आरकेआई) ने कहा है कि अब तक मरने वालों की कुल संख्या 38,795 हो चुकी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिक, आरकेआई ने कहा है कि पिछले 2 दिनों से कोरोनावायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा 1 हजार से अधिक दर्ज हो रहा है। बुधवार को देश में 1,019 मौतें और गुरुवार को 1,070 मौतें हुईं। इससे पहले 30 दिसंबर, 2020 को सबसे ज्यादा 1,129 मौतें हुईं थीं।
वहीं नए मामलों की संख्या भी दैनिक आंकड़ों की सबसे बड़ी संख्या के करीब है। शुक्रवार को यहां 31,849 मामले आए। जर्मनी में अब संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 18.7 लाख हो गई है।
इसके अलावा जर्मन अधिकारियों ने बार-बार जोर देकर कहा है कि साल के आखिर में हुई छुट्टियों के कारण परीक्षण और रिपोटिर्ंग में हुई देरी से कोविड-19 आंकड़ों की असल व्याख्या करना मुश्किल है।
चांसलर एंजेला मर्केल और संघीय राज्यों के मंत्रियों ने कम से कम जनवरी के अंत तक सख्?त लॉकडाउन लगाने पर सहमति जताई है। इसके तहत देश में नियम सख्?त किए गए हैं।
1 लाख की आबादी पर 200 से ज्यादा मामले वाले क्षेत्रों में तो राज्यों को अतिरिक्त उपाय करने की सलाह दी गई है। इसमें बिना किसी अहम जरूरत के 15 किलोमीटर से ज्यादा यात्रा न करने जैसे प्रतिबंध शामिल हैं।
जर्मनी साल 2020 के आखिर में टीकाकरण अभियान शुरू कर चुकी है, जिसमें पहली प्राथमिकता 80 साल से अधिक के बुर्जुगों और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को दी गई है। (आईएएनएस)
बीजिंग, 9 जनवरी | अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के उपाध्यक्ष यू जियाक्विंग ने कहा है कि कोरोना सम्बंधी चुनौतियों के बावजूद आईओसी के साथ-साथ मेजबान जापान टोक्यो ओलंपिक के जुलाई-अगस्त में आयोजन को लेकर कृतसंकल्प है। जियाक्विंग का यह बयान आईओसी के सबसे दीर्घकालीन सदस्य डिक पाउंड के उस बयान के बाद आया है, जिनमें उन्होंने बीबीसी से कहा था कि मौजूदा हालात को देखते हुए टोक्यो ओलंपिक के आयोजन पर संदेह है।
पाउंड के इस बयान पर टोक्यो 2020 के आयोजकों ने कहा कि वे हरसम्भव एहतियात बररते हुए खिलाड़ियों एवं अधिकारियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए 23 जुलाई से 8 अगस्त तक ओलंपिक के आयोजन की तैयारी कर रहे हैं।
जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने बीते दिनों कहा था कि उनका देश टोक्यो ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने के लिए वह दृढ़ हैं, हालांकि देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति बिगड़ रही है।
सुगा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के लिए वह 'दृढ़ संकल्प' के साथ तैयारी करेंगे। उन्होंने साथ ही कहा कि वायरस के खिलाफ वह हर संभव उपाय करेंगे और पूरी दुनिया को 'आशा और साहस' प्रदान करेंगे।
टोक्यो ओलंपिक खेलों का आयोजन बीते साल जुलाई-अगस्त में होना थ, लेकिन विश्वव्यापी कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे 2021 तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
(आईएएनएस)
बर्लिन, 9 जनवरी | जर्मनी में कोविड-19 के कारण पिछले 24 घंटों में रिकॉर्ड 1,188 मौतें हुईं हैं। देश की डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन कंट्रोल एजेंसी रॉबर्ट कोक इंस्टीट्यूट (आरकेआई) ने कहा है कि अब तक मरने वालों की कुल संख्या 38,795 हो चुकी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिक, आरकेआई ने कहा है कि पिछले 2 दिनों से कोरोनावायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा 1 हजार से अधिक दर्ज हो रहा है। बुधवार को देश में 1,019 मौतें और गुरुवार को 1,070 मौतें हुईं। इससे पहले 30 दिसंबर, 2020 को सबसे ज्यादा 1,129 मौतें हुईं थीं।
वहीं नए मामलों की संख्या भी दैनिक आंकड़ों की सबसे बड़ी संख्या के करीब है। शुक्रवार को यहां 31,849 मामले आए। जर्मनी में अब संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 18.7 लाख हो गई है।
इसके अलावा जर्मन अधिकारियों ने बार-बार जोर देकर कहा है कि साल के आखिर में हुई छुट्टियों के कारण परीक्षण और रिपोटिर्ंग में हुई देरी से कोविड-19 आंकड़ों की असल व्याख्या करना मुश्किल है।
चांसलर एंजेला मर्केल और संघीय राज्यों के मंत्रियों ने कम से कम जनवरी के अंत तक सख्?त लॉकडाउन लगाने पर सहमति जताई है। इसके तहत देश में नियम सख्?त किए गए हैं।
1 लाख की आबादी पर 200 से ज्यादा मामले वाले क्षेत्रों में तो राज्यों को अतिरिक्त उपाय करने की सलाह दी गई है। इसमें बिना किसी अहम जरूरत के 15 किलोमीटर से ज्यादा यात्रा न करने जैसे प्रतिबंध शामिल हैं।
जर्मनी साल 2020 के आखिर में टीकाकरण अभियान शुरू कर चुकी है, जिसमें पहली प्राथमिकता 80 साल से अधिक के बुर्जुगों और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को दी गई है।
(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 9 जनवरी | वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या ने 8.88 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है, जबकि संक्रमण से हुई मौतें 19.1 लाख से अधिक हो गई हैं। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने शनिवार को दी। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने शनिवार सुबह अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि वर्तमान में दुनियाभर में कुल मामले और मौतें क्रमश: 88,821,629 और 1,911,637 है।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका 21,857,293 मामलों और 368,736 मौतों के साथ दुनिया के सबसे अधिक प्रभावित देश बना हुआ है।
संक्रमण के मामलों के हिसाब से भारत 10,413,417 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर बना हुआ है, जबकि देश में मौत का आंकड़ा 150,570 हो गया है।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, दस लाख से अधिक पुष्ट मामलों वाले अन्य देश ब्राजील (8,013,708), रूस (3,321,163), ब्रिटेन (2,966,235), फ्रांस (2,804,743), तुर्की (2,307,581), इटली (2,237,890), स्पेन (2,050,360), जर्मनी (1,894,376), कोलम्बिया (1,755,568), अर्जेंटीना (1,703,352), मेक्सिको (1,493,569), पोलैंड (1,365,645), ईरान (1,274,514), दक्षिण अफ्रीका (1,192,570), यूक्रेन (1,139,800) और पेरू (1,026,180) हैं।
संक्रमण से हुई मौतों के मामले में वर्तमान में ब्राजील 201,460 आंकड़ों के साथ दूसरे नंबर पर है।
वहीं 20,000 से अधिक मौत दर्ज करने वाले देश मेक्सिको (131,031), ब्रिटेन (79,965), इटली (77,911), फ्रांस (67,566), रूस (60,067), ईरान (56,018), स्पेन (51,874), कोलंबिया (45,431), अर्जेंटीना (44,273), जर्मनी (39,502), पेरू (38,049), दक्षिण अफ्रीका (32,425), पोलैंड (30,574), इंडोनेशिया (23,753), तुर्की (22,450), और यूक्रेन (20,432) हैं।
--आईएएनएस
न्यूयॉर्क, 9 जनवरी | सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ट्विटर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 'हिंसा भड़काने के जोखिम' का हवाला देते हुए अपने प्लेटफॉर्म पर उन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। ट्विटर ने यह प्रतिबंध ट्रंप समर्थकों द्वारा अमेरिकी कैपिटल पर हमला करने के दो दिन बाद लगाया है।
ट्विटर पर डोनाल्ड ट्रंप के हैंडल में उनके द्वारा फॉलो किए गए अकाउंट्स की संख्या 51 और उनके 8.87 करोड़ फॉलोअर्स की संख्या नजर आ रही है। साथ ही स्क्रीन के केंद्र में दो शब्द 'अकाउंड सस्पेंडेड' लिखे हुए हैं।
ट्विटर ने एक बयान में कहा है, "एट द रेट रियल डोनाल्ड ट्रंप अकाउंट से हाल ही में किए गए ट्वीट्स की करीबी समीक्षा करने और उनके संदर्भों को देखने के बाद हमने भविष्य में हिंसा को भड़काने के जोखिम को देखते हुए अकाउंट को स्थायी रूप से बंद कर दिया है।"
ट्विटर ने अपने अवलोकन में 8 जनवरी के 2 ट्वीट को आधार बनाया है। इसमें पहला ट्वीट, "7.5 करोड़ महान अमेरिकी देशभक्त जिन्होंने मुझे वोट दिया है, उन्हें बता दूं कि अमेरिका फर्स्ट और मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का नारा आने वाले समय में भी जारी रहेगा। उनके साथ किसी भी तरह से गलत तरीके से अपमानजनक तरीके से व्यवहार नहीं किया जाएगा।" दूसरा ट्वीट, "यह उन सभी के लिए है जिन्होंने पूछा है कि मैं 20 जनवरी को उद्घाटन में नहीं जाऊंगा।"
ट्विटर ने कहा है कि ये दोनों ट्वीट्स को "देश में हुईं व्यापक घटनाओं के संदर्भ में और राष्ट्रपति के बयानों के उस पैटर्न के संदर्भ में देखने की जरूरत है, जिसने लोगों के उकसाया है। यहां कि हिंसा के लिए भी आगे बढ़ाया है। ट्रंप की भाषा हमारी हिंसा की नीति के खिलाफ है।"
ट्विटर ने 20 जनवरी के शपथ ग्रहण से पहले एक अन्य संभावित हमले की आशंका को देखते हुए भी यह कदम उठाया है।
बता दें कि इससे पहले 6 जनवरी की शाम को ट्विटर ने ट्रंप के अकाउंट को 12 घंटों के लिए बंद कर दिया था। क्योंकि ट्रंप द्वारा एक वीडियो पोस्ट करने के बाद उनके समर्थकों ने अमेरिकी कैपिटल में कांग्रेस को जो बाइडेन की जीत की पुष्टि करने की प्रक्रिया को रोकने की कोशिश करते हुए हमला कर दिया था। हमले में कैपिटल पुलिस अधिकारी समेत 5 लोगों के मारे जाने की सूचना है।
--आईएएनएस
वाशिंगटन, 9 जनवरी | अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि उन्होंने व्यवस्थित तरीके से सत्ता का हस्तांतरण करने के लिए राष्ट्रपति चुने गए जो बाइडेन के स्टेट सेक्रेटरी नामित हुए एंटनी ब्लिंकन के साथ मुलाकात की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार पोम्पिओ ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, "आज मैंने राष्ट्रपति-चुने गए जो बाइडेन के सक्रेटरी नामित किए गए ए.ब्लिंकन के साथ मुलाकात ताकि व्यवस्थित तरीके से हस्तांतरण हो सके और अमेरिकी हितों को विदेशों में सुरक्षित रखा जा सके।"
पोम्पिओ ने कहा कि उनकी मुलाकात अच्छी रही और वे हस्तांतरण के दौरान अमेरिका की ओर से एक साथ काम करना जारी रखेंगे।
मीडिया रिपोटरें के अनुसार, पोम्पिओ और ब्लिंकन की मुलाकात दिसंबर के मध्य में होनी थी, लेकिन पेाम्पिओ के कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के कारण बैठक रद्द कर दी गई थी।
राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा 2020 के चुनावों में अपनी हार स्वीकार करने और डेमोक्रेट प्रशासन को सत्ता का व्यवस्थित तरीके से हस्तांतरण करने के वादे के एक दिन बाद ही यह बैठक हुई है। इससे पहले ट्रंप अपने समर्थकों द्वारा अमेरिकी कैपिटल पर हमला करने के कारण बड़े पैमाने पर आलोचना का शिकार हुए थे।
बता दें कि 58 वर्षीय ब्लिंकन पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर और डिप्टी सेकेटरी ऑफ स्टेट रह चुके हैं। 2 दशकों से वे बाइडेन के करीबी सहयोगी हैं।
--आईएएनएस
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर अकाउंट हमेशा के लिए निलंबित कर दिया गया है. ट्विटर का कहना है कि ऐसा हिंसा को बढ़ावा देने की आशंका को देखते हुए किया गया है.
ट्विटर ने अपने बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के हाल के ट्वीट्स की गहनता से समीक्षा की गई. ट्विटर के मुताबिक़ @realDonaldTrump के ट्वीट के संदर्भों को भी देखा गया और उसके बाद इस अकाउंट को हमेशा के लिए निलंबित करने का फ़ैसला लिया गया.
इससे पहले ट्रंप के अकाउंट को ट्विटर ने 12 घंटों के लिए लॉक किया था. तब ट्विटर ने कहा था कि अगर इस प्लेटफ़ॉर्म के नियमों को तोड़ा गया तो ट्रंप को हमेशा के लिए बैन कर दिया जाएगा.
बुधवार को ट्रंप ने ऐसे कई ट्वीट किए थे जिसमें अपने हिंसक समर्थकों को 'देशभक्त' कहा था. बुधवार को ट्रंप के सैकड़ों हिंसक समर्थक अमेरिकी कांग्रेस के कैपिटल बिल्डिंग में घुस गए थे.
तब अमेरिकी कांग्रेस में नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की जीत की औपचारिक पुष्टि की प्रक्रिया चल रही थी. ट्रंप समर्थकों के अमेरिकी कांग्रेस पर हमला बोलने से पहले राष्ट्रपति ने इन्हें संबोधित करते हुए कहा था, ''हमलोग हार नहीं मानेंगे. हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे.''
गुरुवार को फ़ेसबुक ने ट्रंप के अकाउंट को अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने की घोषणा की थी. इसके अलावा लोकप्रिय गेमिंग प्लेटफॉर्म ट्विच ने भी ट्रंप के चैनल पर अनिश्चित कालीन बैन लगाने की घोषणा की थी. इसके ज़रिए ट्रंप अपनी रैलियों का प्रसारण करते थे. अभी ट्रंप स्नैपचैट पर हैं.
ई-कॉमर्स कंपनी शोपिफाई ने भी ट्रंप के सभी कैंपेन को अपने स्टोर से हटा दिया था. शोपिफ़ाई ऑनलाइन स्टोर प्लेटफॉर्म है. कनाडा की इस कंपनी ने कहा था कि हिंसा को प्रोत्साहित करने वाले मटीरियल थे, इसलिए यह फ़ैसला लिया गया. इसके अलावा शुक्रवार को रेडिट ने भी ट्रंप समर्थकों के डोनाल्ड ट्रंप फोरम को भी बैन कर दिया था.
ट्विटर ने यह फ़ैसला क्यों लिया?
डोनाल्ड ट्रंप ट्विटर का बख़ूबी इस्तेमाल करते थे. वो अपने संदेश को आसानी से ट्वीट कर लोगों तक पहुँचाते थे. ट्रंप इस संक्षेप माध्यम को काफ़ी पसंद करते थे. उन्हें ये पसंद था कि बिना किसी मीडिया के एक क्लिक में करोड़ों लोगों तक ट्विटर में संदेश पहुँचाने की क्षमता है.
ट्विटर ने बुधवार को कैपिटल बिल्डिंग पर ट्रंप के हिंसक समर्थकों के हमले के 48 घंटे बाद यह फ़ैसला लिया. इससे पता चलता है कि सोशल मीडिया की इस जाइंट कंपनी के लिए भी यह कोई आसान फ़ैसला नहीं था.
ट्विटर पर ट्रंप के होने से इस प्लेटफॉर्म को बेशुमार फ़ायदा था. ट्विटर दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति से ताज़ातरीन चीज़ें सुनने का प्लेटफॉर्म रहा है. लेकिन ट्विटर को कई वजहों से यह फ़ैसला करना पड़ा. कहा जा रहा है कि ट्रंप भविष्य में हिंसा को हवा दे सकते हैं. लेकिन एक कारण यह भी है कि वो सत्ता से बेदख़ल हो रहे हैं. अब वो अमेरिका के किसी आम आदमी की तरह होंगे.
'ट्रंपवाद' का क्या होगा?
इसके अलवा लगातार ग़लत सूचना फैलाना, फ़र्जी ख़बरें देना और हिंसा के लिए उकसाने वाली पोस्ट भी मुख्यधारा के इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से निलंबन के मुख्य कारण रहे. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बिना मुख्यधारा के मीडिया के समर्थन के 'ट्रंपवाद' ज़िंदा रहेगा? या फिर यह इंटरनेट की दुनिया से ग़ायब हो जाएगा?
ट्विटर ने शुक्रवार को एक ब्लॉग पोस्ट लिखा था: इस हफ़्ते ख़तरनाक चीज़ें हुईं. हमने बुधवार को स्पष्ट कर दिया था कि ट्विटर के नियमों का और उल्लंघन किया गया तो स्पष्ट रूप से कार्रवाई होगी. हमारा जनहित फ्रेमवर्क है, जो दुनिया के नेताओं और चुने गए अधिकारियों को सीधे सुनने का मंच देता है.''
''हमारा यह सिद्धांत है कि लोगों के पास अपना खाता खुला रखने का अधिकार है. लेकिन हमने ये भी साफ़ कर दिया था कि ट्विटर अकाउंट नियमों से परे नहीं हो सकते. ट्विटर का इस्तेमाल हिंसा फैलाने में नहीं किया जा सकता. हम नीतियों के मामले में आगे भी पारदर्शी बने रहेंगे.''
इससे पहले शुक्रवार को ट्विटर ने ट्रंप के दो वफ़ादारों- पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ्लिन और अटॉर्नी सिडनी पॉवेल को हमेशा के लिए बैन कर दिया था. ट्विटर के 350 कर्मचारियों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर करके कंपनी के सीईओ जैक डोर्सी से कैपिटल हिंसा को लेकर ट्रंप के अकाउंट को बैन करने के लिए कहा था.
पत्र में कहा गया था कि ट्रंप के कारण छह जनवरी को हिंसा भड़की है. इससे पहले ट्विटर ने ट्रंप के ख़िलाफ़ मई 2020 में क़दम उठाया था. तब ट्विटर ने उनके ट्वीट में फैक्ट चेक जोड़ दिया था. ट्रंप उस वक़्त पोस्टल बैलेट में धांधली का दावा कर रहे थे.
जब अमेरिका में 'ब्लैक लाइव्स मैटर' आंदोलन चल रहा था तब ट्रंप ने सेना लगाने की धमकी देते हुए कहा था, 'लूटपाट करने वालों को शूट कर दिया जाएगा.'' ट्विटर ने ट्रंप के लगभग हर ट्वीट में फैक्ट चेक लगाए रखा. अमेरिका के सांसदों और कई हस्तियों ने ट्विटर से ट्रंप को हटाने की मांग की थी. ट्विटर पर ट्रंप के 8.8 करोड़ फॉलोवर्स थे. मिशेल ओबामा ने भी ट्रंप को इस प्लेटफॉर्म से हटाने की माँग की थी. (bbc)