राष्ट्रीय
बिहार, 16 दिसंबर । बिहार के छपरा ज़िले में ज़हरीली शराब से पीकर मरने वालों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार विधान सभा में शुक्रवार को फिर बयान दिया है.
मुआवजे के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा, "मत पियो... मरोगे... इसका तो हम और ज़्यादा प्रचार करते हैं. दारू पीकर मर जाएगा तो उसको हम लोग कम्पनशेशन देंगे? सवाल ही नहीं पैदा होता है, ये कभी मत सोचिए. अगर यही करना है तो सब मिलकर तय कर लीजिए खूब कहिए कि शराब पियो. ये सब बात ठीक नहीं है. पिएगा, गड़बड़ पिएगा तो मरेगा. इसलिए इस बात का ध्यान रखिए."
विपक्ष को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, "हम इसका आग्रह करेंगे. ये कैसे होगा. कम्युनिस्ट पार्टी भी आख़िर इसके पक्ष में है, शराब के सख़्त ख़िलाफ़ है. इसलिए ई सब चीज़ का ध्यान रखिए. आप लोग तो मान लीजिए कि नए हैं, हम लोग का रिश्ता आज का नहीं है, बहुत पुराना रिश्ता है. हम लोग सोशलिस्ट हैं, कम्युनिस्ट हैं. सबका रिश्ता कितना है. हम आपको ऐसे ही बता दिए कि जब हम पार्लियामेंट का चुनाव लड़ते थे तो पार्टियां साथ नहीं थीं लेकिन सीपीआई-सीपीएम के लोग हमारी मदद करते थे. इतना ज़्यादा हमारा संबंध है, ई आज का है जी..."
अन्य राज्यों में ज़हरीली शराब के मरने वालों के आंकड़ों का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, "जरा बताइए कि बिहार में ज़हरीली शराब से पीने वालों की संख्या जब शराबबंदी लागू नहीं था तब भी... आज भी उसकी संख्या कम है. दूसरी जगह खूब ज़हरीली शराब जहां शराबबंदी लागू नहीं है, वहां भी लोग ज़हरीली शराब पीकर मर रहे हैं. टॉप पर है मध्य प्रदेश. कहां नहीं है... यूपी. सब जगह का देख लीजिए हिसाब-किताब. बात ये है कि ज़हरीली शराब पीकर लोग मर गए. हम लोग तो इस बात का खूब प्रचार कर रहे हैं कि पियोगे, मरोगे... अब इसी बात को दूसरे रूप में बताया जा रहा है. जब लोग इस तरह से मरते हैं, तो दूसरी जगहों के बारे में क्यों नहीं छापे जाते हैं. अब तो हम आपको बता रहे हैं कि अब तो हम एक बार फिर हर जगह जाकर कहेंगे कि अगर शराब के पक्ष में कोई बोल रहा है तो आप याद रखिए कि ये कभी आपके हित में नहीं जाएगा. उल्टा काम है."
गुजरात के मोरबी में हुई पुल दुर्घटना का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, "कोई विकास काम हो रहा है. जिस राज्य में पुल गिर गया, कितनी बड़ी संख्या में लोग मरे. गुजरात में हुआ था. बस एक दिन अख़बार में छपा. बंगाल में घटना घटी तो कि कितने दिनों तक बात चलती रही. गंदगी होगी तो दूसरा जगह नहीं छपेगा." (bbc.com/hindi)
दिल्ली में स्कूली छात्रा पर हुआ एसिड हमला इस चिंता को और बढ़ाता है कि भारत में एसिड की बिक्री धड़ल्ले से जारी है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
राजधानी दिल्ली के द्वारका इलाके में बुधवार को बाइक सवारों ने स्कूल जा रही 12वीं कक्षा की छात्रा पर तेजाब से हमला कर दिया. पुलिस ने इस घटना के कुछ देर बाद ही मुख्य आरोपी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. बताया जा रहा है कि मुख्य आरोपी छात्रा के पड़ोस में ही रहता था. पुलिस का कहना है कि वह छात्रा पर जबरदस्ती दोस्ती करने का दबाव बना रहा था.
तेजाबी हमले में 17 साल की छात्रा का चेहरा और शरीर का अन्य हिस्सा बुरी तरह से झुलस गया है. घायल पीड़िता का इलाज सफदरजंग अस्पताल में चल रहा है. छात्रा का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने गुरुवार को बताया कि उसके चेहरे और गले पर जलने के निशान हैं.
आरोपी ने ऑनलाइन खरीदा एसिड
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को बुधवार को ही गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान सचिन अरोड़ा, हर्षित अग्रवाल और वीरेंद्र सिंह उर्फ सोनू के रूप में हुई है. पुलिस ने कहा कि तकनीकी साक्ष्य के आधार पर पता चला है कि आरोपी सचिन ने एक ऑनलाइन शॉपिंग साइट से तेजाब खरीदा था. हालांकि ऑनलाइन साइट ने अब तक इस पर बयान नहीं जारी किया है.
पुलिस ने गवाहों और स्थानीय स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर आरोपी व्यक्तियों की पहचान की और घटना के कुछ घंटों के भीतर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
पुलिस के बयान के मुताबिक पूछताछ में पता चला कि आरोपी सचिन पीड़िता को जानता था और इस साल सितंबर तक दोनों के बीच दोस्ताना संबंध थे. उसके बाद उनमें अनबन हो गई.
इस बीच तेजाब हमले की घटना पर दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्वीट कर लिखा, "देश की राजधानी में दो बदमाशों ने एक लड़की पर दिनदहाड़े तेजाब फेंका और भाग गए, क्या किसी को कानून का डर है?"
दिल्ली महिला आयोग ने "एसिड की आसान उपलब्धता" पर ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट और एमेजॉन को नोटिस भेजा है.
मालीवाल ने ट्वीट कर लिखा, "17 साल की लड़की पर जो एसिड फेंका गया वो फ्लिपकार्ट से मंगाया था. एमेजॉन पर भी एसिड बिक रहा है. सोचिए कितना आसान है किसी के लिए भी तेजाब खरीदना…बटन दबाओ, घर बैठे तेजाब की होम डिलीवरी पाओ! मैं फ्लिपकार्ट और एमेजॉन को नोटिस जारी कर रही हूं, उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए!"
बढ़ रहे तेजाबी हमले
दिल्ली में 2018 से 2021 के बीच तेजाब से हमले के 32 मामले दर्ज किए गए थे. आंकड़ों के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान इस तरह के हमले में गिरावट देखी गई थी लेकिन अब इसमें वृद्धि हुई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हवाले से राज्यसभा में सरकार ने बताया है कि 2018 में एसिड अटैक के 11 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2019 में 10 मामले दर्ज हुए. साल 2020 में कोरोना काल के दौरान तेजाबी हमले दो पर आ गए थे और 2021 में यह हमले बढ़कर नौ पर पहुंच गए.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था एसिड की बिक्री पर बैन
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिना लाइसेंस के तेजाब की काउंटर पर बिक्री पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाने को नौ साल बीत चुके हैं लेकिन सच्चाई यह कि तेजाब आसानी से मिल जाता है. पुरानी दिल्ली में तो तेजाब बेचने वाले साइकिल पर टोकरी लादे तेजाब बेचते दिख जाएंगे. कई लोगों का तर्क रहता है कि वे बॉथरूम और फर्श साफ करने के लिए तेजाब का इस्तेमाल करते हैं. दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह समय समय पर तेजाब की बिक्री करने वालों पर छापे मारती है और उनपर उचित कानूनी कार्रवाई भी करती है.
2013 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एसिड बेचने वाले प्रतिष्ठानों को ऐसा करने के लिए अनिवार्य रूप से लाइसेंस की आवश्यकता होगी और जहर अधिनियम के तहत पंजीकृत कराना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया था कि ऐसी दुकानों के मालिकों को एसिड खरीदने वाले ग्राहकों से एक पहचान पत्र मांगना होगा और उनसे एसिड खरीदने का कारण पूछना होगा. कोर्ट ने कहा था ऐसी दुकानों को अपने स्टॉक और एसिड की बिक्री का एक रजिस्टर भी बनाए रखने की जरूरत है.
एसिड हमले की पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2013 ने एसिड की बिक्री को लेकर फैसला सुनाया था. लक्ष्मी ने एक अंग्रेजी अखबार को कहा कि आदेश के बावजूद एसिड की बिक्री बेरोकटोक जारी है. उन्होंने कहा, "कुछ भी नहीं बदला है और जानलेवा एसिड जिंदगियों को बर्बाद करना जारी रखे हुए है. अधिकारियों को कानून तोड़ने वाले ऐसे व्यक्तियों पर कार्रवाई करनी चाहिए."
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने एसिड से हुए ताजा हमले को लेकर दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी है. (dw.com)
बीते दिनों अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच एकबार फिर हाथापाई हुई है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि दोनों ओर के कुछ सैनिक जख्मी हुए हैं.
डॉयचे वैले पर स्वाति मिश्रा की रिपोर्ट-
9 दिसंबर, 2022 को तवांग बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई. 2020 में भी भारत और चीन के सैनिक गलवान में भिड़े थे. इन दोनों घटनाओं के बीच कई अपुष्ट वीडियो वायरल हुए हैं, जिसमें यह बताया जाता है कि भारत और चीन के सैनिक लड़ रहे हैं. भले ही उन वीडियो के बारे में यह ना पता चल सके कि वे कब के हैं और कहां के हैं, लेकिन उनमें एक बात कॉमन मिलती है. इन वीडियो में बंदूकों के बजाय हाथ-पैर, लाठी-डंडे वगैरह से लड़ाई दिखती है.
पहली बार में यह थोड़ा अजीब लगता है कि दो देशों की सेनाएं आज के दौर में भी सीमा पर गोली-बारूद की जगह लाठी-डंडे से लड़ रही हों. तो क्या वजह है कि भारत-चीन सीमा पर किसी झड़प में सैनिक लाठी-डंडे का इस्तेमाल करते हैं. इसकी वजह है भारत और चीन के बीच का समझौता.
कब हुआ समझौता
29 नवंबर, 1996 को नई दिल्ली में भारत और चीन में एक समझौता हुआ. इस समझौते का अंग्रेजी में टाइटल है - - Agreement Between the Government of the Republic of India and the Government of the People's Republic of China on Confidence-Building Measures in the Military Field Along the Line of Actual Control in the India-China Border Areas
समझौते में आर्टिकल 6 का पहला बिंदु है कि दोनों पक्षों में से कोई भी लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल के दो किलोमीटर के अंदर गोली चलाने, खतरनाक केमिकल इस्तेमाल करने, धमाके करने और बंदूक या धमाकों से शिकार करने जैसे काम नहीं करेगा. यह प्रतिबंध स्मॉल आर्म्स फायरिंग रेंज में रूटीन फायरिंग पर लागू नहीं होता.
आर्टिकल 6 का दूसरा बिंदु है कि अगर विकास के कार्यों की वजह से नियंत्रण रेखा के दो किलोमीटर के अंदर ब्लास्ट करने की जरूरत हो, तो डिप्लोमैटिक चैनल या बॉर्डर पर्सनल मीटिंग के जरिए बताया जाना चाहिए और बेहतर होगा कि इसे 5 दिन पहले बताया जाए.
आर्टिकल 6 का तीसरा बिंदु है कि गोली-बारूद के साथ अभ्यास में यह ध्यान रखा जाए कि कोई गोली या मिसाइल दुर्घटनावश भी बॉर्डर के दूसरी तरफ ना जाए और इससे दूसरी तरफ किसी व्यक्ति या प्रॉपर्टी को नुकसान ना पहुंचे.
आर्टिकल 6 का चौथा बिंदु है कि अगर एलएसी के अलाइनमेंट में मतभेद या किसी और वजह से दोनों पक्षों का आमना-सामना हो, तो वे खुद पर काबू रखेंगे. हालात बिगड़ने से बचाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे. दोनों पक्ष डिप्लोमैटिक या/और उपलब्ध दूसरे माध्यमों के जरिए मामले की समीक्षा करेंगे और तनाव बढ़ने से रोकेंगे.
हालिया घटनाओं का संकेत
भौगोलिक दृष्टि से वास्तविक नियंत्रण रेखा काफी दुरूह है. सीमा को लेकर मतभेद बने रहते हैं. ऐसे में दोनों देशों का गोली-बारूद इस्तेमाल ना करने का समझौता किसी बड़े तनाव को रोकने में काफी कारगर रहा है. हालांकि पहले गलवान और अब तवांग सेक्टर में हुई बड़ी झड़प के संदर्भ में एक चिंता की बात यह है कि समझौता बेशक अब भी बरकरार हो, लेकिन दोनों पक्षों के बीच उसे लेकर आग्रह कम होता दिख रहा है. बात बहस में बदल रही है, और बहस हाथापाई में.
ऐसे में दोनों ओर से सैनिक आक्रामक दिखते हैं और इसी का एक नतीजा हाथापाई की ऐसी घटनाओं के रूप में सामने आता है. भले ही दोनों ओर के गश्ती सैनिक अब भी डंडे और स्पाइक्स से ही लड़ रहे हों, लेकिन इसमें केवल जख्मी होने का जोखिम नहीं रहा. गलवान में हुई जवानों की मौतें इन झड़पों के लगातार हिंसक होते जा रहे स्वभाव की मिसाल है. तवांग सेक्टर में हुई हालिया हाथापाई के बाद भारतीय सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा एक अपुष्ट वीडियो भी इसी मिजाज का है. वीडियो कम से कम एक साल पुराना है. विशेषज्ञ इसे पूर्वी इलाके का ही बता रहे हैं, लेकिन मौके और समय की सटीक जानकारी का अभाव है. (dw.com)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
एस जयशंकर ने पाकिस्तान को सलाह दी कि वह अच्छा पड़ोसी बनने की कोशिश करे. उन्होंने कहा पाकिस्तान अच्छी सलाह लेने में अच्छा नहीं है. मुंबई हमले के बारे में उन्होंने कहा कि हम एक और 9/11 और 26/11 होने नहीं दे सकते. जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं जानता है. भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद एक अंतरराष्ट्रीय चुनौती है. उन्होंने आगे कहा विश्व समुदाय को मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना चाहिए. साथ ही उन्होंने भारत में होते आए आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत लंबे समय से आतंकवाद से लड़ रहा है. सीमा क्षेत्रों में आतंकी घटनाओं के बारे में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि सीमा पर हजारों बेकसूरों की जान जा चुकी है.
भारत दिसंबर 2022 के महीने के लिए यूएनएससी की अध्यक्षता कर रहा है. विदेश मंत्री ने गुरुवार को "आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे: वैश्विक आतंकवाद-विरोधी दृष्टिकोण-सिद्धांत और रास्ता पर यूएनएससी ब्रीफिंग की अध्यक्षता की."
भारत: आतंकवाद पर दोहरे मानदंड नहीं होने चाहिए
विदेश मंत्री ने दोहराया कि आतंक, आतंक है इसका स्पष्टीकरण चाहे जो भी हो. उन्होंने कहा, "सवाल अब उस देश की जिम्मेदारियों के बारे में उठता है, जिनकी धरती से इस तरह की कार्रवाइयों की योजना बनाई जाती है, समर्थन किया जाता है और अंजाम दिया जाता है."
हिलेरी क्लिंटन के शब्दों को याद करते हुए जयशंकर ने कहा, "एक दशक पहले हिलेरी क्लिंटन ने अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान कहा था कि अगर आप अपने घर के पीछे सांप पालते हैं, तो आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे केवल आपके पड़ोसियों को ही काटेंगे."
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान में ऐसे मंत्री हैं जो बता सकते हैं कि पाकिस्तान कब तक आतंकवाद का अभ्यास करना चाहता है. दुनिया मूर्ख नहीं है, यह तेजी से आतंकवाद में शामिल देशों और संगठनों को बुलाती है. मेरी सलाह है कि आप अपने कृत्य को साफ करें और एक अच्छा पड़ोसी बनने की कोशिश करें."
अपने संबोधन के दौरान जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को यह भी बताया कि "आतंकवाद का सामयिक केंद्र" बहुत अधिक सक्रिय रहता है. उन्होंने चीन को परोक्ष रूप से कठघरे में खड़ा करते हुए इस बात को लेकर अफसोस भी जताया कि आतंकवादियों की काली सूची में डालने के लिए साक्ष्य समर्थित प्रस्तावों को पर्याप्त कारण बताए बिना रोक दिया जाता है.
पाकिस्तान का जवाब
भारत द्वारा आतंकवाद पर लगाए आरोपों पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने गुरूवार को न्यूयॉर्क में कहा, "मैं जयशंकर को याद दिलाना चाहता हूं कि ओसामा बिन लादेन मर चुका है, लेकिन गुजरात का कसाई जिंदा है और वह (भारत का) प्रधानमंत्री है."
भुट्टो ने आगे कहा, "उन्हें (नरेंद्र मोदी) को इस देश (अमेरिका) में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था. ये आरएसएस के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री हैं, जो हिटलर के एसएस से प्रेरणा लेते हैं."
भुट्टो की इस विवादित टिप्पणी पर भारत की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. (dw.com)
लखनऊ, 16 दिसम्बर | इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 1991 के पीलीभीत मुठभेड़ मामले में 43 प्रोविंशियल आम्र्ड कांस्टेबुलरी (पीएसी) कर्मियों को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया है। गौरतलब है कि मुठभेड़ में 10 सिखों की मौत हो गई थी। हालाकि उच्च न्यायालय ने उन्हें आईपीसी की धारा 304 (भाग 1) के तहत दोषी ठहराया, उन्हें सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 4 अप्रैल, 2016 को पीएसी के 47 कर्मियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कर्मियों ने इस अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायालय में अपील के लंबित रहने के दौरान चार आरोपियों की मौत हो गई।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने कहा, ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित 4 अप्रैल, 2016 को 43 पीएसीकर्मियों को दी गई सजा रद्द की जाती है।
अदालत ने कहा, हालांकि यह अदालत अपीलकर्ताओं को आईपीसी की धारा 304 (भाग 1) के तहत दोषी ठहराती है और प्रत्येक को 10 हजार रुपये जुर्माने के साथ सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाती है।
कोर्ट ने इस साल 29 अगस्त को मामले की सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने कहा, पुलिस का यह कर्तव्य नहीं है कि वे आरोपी को केवल इसलिए मार दें क्योंकि वह एक खूंखार अपराधी है। पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार करना होगा और अदालत में पेश करना होगा।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने उन्हें कानून द्वारा प्रदान की गई शक्ति से अधिक सक्रियता दिखाई, जो 10 सिखों की मौत का कारण बना।
गौरतलब है कि पीएसी के जवानों ने 12 जुलाई 1991 को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में तीर्थ यात्रा पर सिखों को ले जा रही एक बस को रोक लिया था और मुठभेड़ मे उसमें सवार 10 यात्रियों की मौत हो गई थी। इस दौरान गायए हुए बच्चे का आज तक पता नहीं चल सका है।
सीबीआई की जांच में कहा गया था कि 57 जवानों ने फर्जी एनकाउंटर किया था। सीबीआई की पूछताछ के दौरान 10 आरोपियों की मौत हो गई थी।
सीबीआई की विशेष अदालत ने 4 अप्रैल, 2016 को 47 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
सभी दोषियों ने विशेष सीबीआई अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। (आईएएनएस)|
शहरजनापुर, 16 दिसम्बर | शाहजहांपुर की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को भगोड़ा घोषित कर दिया है। वह कोर्ट में उपस्थिति नहीं हुए थे। चिन्मयानंद को 2011 में अपने पूर्व शिष्य द्वारा दर्ज कराए गए कदाचार के मामले में एसीजेएम कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वह कोर्ट में पेश नहीं हुए, तो उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया।
कोर्ट ने उनके खिलाफ नोटिस जारी कर सभी पुलिस स्टेशनों को सूचना दे दी है।
उल्लेखनीय है कि मामले को 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने वापस लेने का प्रयास किया था, लेकिन शिकायतकर्ता द्वारा आपत्ति दर्ज कराने के बाद अदालत ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया था। (आईएएनएस)|
ग्रेटर नोएडा, 16 दिसम्बर | ग्रेटर नोएडा के बीटा 2 थाना क्षेत्र में पुलिस और ब्रेजा कार सवार वाहन चोर गैंग के बदमाशों के बीच मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ के दौरान दो बदमाश पैर में गोली लगने से घायल हो गए, तो वहीं एक बदमाश को पुलिस ने कॉम्बिंग के दौरान पकड़ लिया। पुलिस ने बदमाशों के कब्जे से चोरी की एक ब्रेजा कार बरामद की है। थाना बीटा-2 क्षेत्र के परी चौक के पास एन्टी आटो थैफ्ट पुलिस द्वारा पिंक टॉयलेट के पास कासना रोड पर चेकिंग की जा रही थी, तभी अल्फा गोल चक्कर की तरफ से बिना नम्बर प्लेट की एक सफेद रंग की ब्रेजा कार आती दिखाई दी, जिसे रूकने का इशारा किया, लेकिन वह नहीं रुकी। सूचना पर होण्डा चौक पर चेकिंग कर रहे बीटा-2 पुलिसकर्मियों द्वारा उस गाड़ी को रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन बदमाशों ने गाड़ी को चूहडपुर अंडर पास की तरफ दौड़ा दिया। पुलिस टीम द्वारा गाड़ी का पीछा किया गया।
अपने को घिरता देख एटीएस गोल चक्कर पर बदमाश गाड़ी से उतरकर पुलिस पार्टी पर फायरिंग करते हुए प्राधिकरण की खाली पड़ी जमीन की तरफ भागने लगे। बदमाशों की फायरिंग के जबाब में पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। पुलिस की फायरिंग में दो बदमाशों के पैर में गोली लग गई। बदमाशों पहचान अभिजीत उर्फ लाला उर्फ साइमन्ड निवासी इटावा व संदीप नागर निवासी मैनपुरी के रूप में हुई। वहीं तीसरे बदमाश अमरदीप निवासी इटावा को पुलिस ने कांबिंग के दौरान गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने बदमाशों के कब्जे से चोरी की एक ब्रेजा कार, तीन तमंचा, कारतूस व अन्य सामान बरामद किया है। (आईएएनएस)|
न्यूयॉर्क, 16 दिसम्बर | एक भारतीय-अमेरिकी दंपति ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निपटाने के लिए 422,789 डॉलर का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है। उन पर आरोप लगाया गया था कि प्रयोगशाला परीक्षण के लिए मरीजों को रेफर करने के बदले में उन्हें रिश्वत मिली थी। डॉक्टर विजेश पटेल और टेक्सास की उनकी ऑफिस मैनेजर और पत्नी लाजू पटेल को न्यू जर्सी, टेक्सास और साउथ कैरोलिना में तीन प्रयोगशालाओं में डॉक्टर के रेफरल के बदले में किकबैक प्राप्त हुआ।
एंटी-किकबैक कानून मेडिकेयर, मेडिकेड और अन्य संघीय वित्त पोषित स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों द्वारा कवर की गई वस्तुओं या सेवाओं के रेफरल को प्रेरित करने के लिए पारिश्रमिक की पेशकश, भुगतान, या प्राप्त करने पर रोक लगाता है।
दिसंबर 2016 से जुलाई 2018 तक, विजेश ने कथित तौर पर इंडस एमजी एलएलसी नाम के एक कथित प्रबंधन सेवा संगठन (एमएसओ) से हजारों डॉलर का भुगतान प्राप्त किया, इसके बदले में उसने ट्रू हेल्थ डायग्नोस्टिक्स एलएलसी, फ्रिस्को, टेक्सास में एक नैदानिक प्रयोगशाला से परीक्षण के लिए भेजा।
इंडस एमएसओ द्वारा विजेश को किया गया भुगतान कथित रूप से निवेश रिटर्न के रूप में छिपाया गया था, लेकिन वास्तव में न्याय विभाग के एक बयान के अनुसार ट्रू हेल्थ के लिए उनके रेफरल पर आधारित था और बदले में इसकी पेशकश की गई थी।
अगस्त 2018 से अगस्त 2021 तक विजेश को न्यू जर्सी स्थित आरडीएक्स बायोसाइंस, इंक से प्रयोगशाला परीक्षण का आदेश देने के बदले एविएर ग्रुप एलएलसी नाम के एक कथित एमएसओ से कथित रूप से निवेश रिटर्न के रूप में हजारों डॉलर प्राप्त हुए।
इसके अलावा दिसंबर 2018 से अगस्त 2022 तक, उनकी पत्नी लाजू ने कथित तौर पर विजेश द्वारा आरडीएक्स को संदर्भित परीक्षण के लिए मूत्र के नमूने एकत्र करने के लिए व्यावसायिक रूप से अनुचित शुल्क के रूप में आरडीएक्स से रिश्वत प्राप्त की।
विजेश को दक्षिण कैरोलिना के एंडरसन में लैबटेक डायग्नोस्टिक्स एलएलसी (लैबटेक) से प्रयोगशाला परीक्षणों के आदेश के बदले में कथित रूप से अगस्त 2019 से दिसंबर 2021 तक प्रति माह सैकड़ों डॉलर प्राप्त हुए।
न्याय विभाग के सिविल डिवीजन के प्रमुख प्रिंसिपल डिप्टी असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल ब्रायन एम बॉयटन ने एक बयान में कहा, किकबैक एक चिकित्सक के चिकित्सा निर्णय को कमजोर कर सकता है और करदाताओं द्वारा वहन की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल लागत में वृद्धि कर सकता है।
बॉयटन ने कहा, हम संघीय स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों की अखंडता की रक्षा के लिए नियमों का उल्लंघन करने वाली योजनाओं के लिए जिम्मेदार चिकित्सकों, प्रयोगशालाओं और अन्य लोगों का पीछा करना जारी रखेंगे। (आईएएनएस)|
बुलंदशहर (उप्र), 16 दिसंबर (आईएएनएस)| जिले के सौजना झाया गांव में एक शराबी ने डेढ़ साल के बच्चे की गला काटकर हत्या कर दी। आरोपी की पहचान काजू उर्फ किशनपाल के रूप में हुई। बाद में बच्चे की हत्या से गुस्साए ग्रामीणों ने किशनपाल की भी जमकर पिटाई कर दी। बाद में उसकी अस्पताल में मौत हो गई। आरोपी ने घर के बाहर खेल रहे बच्चे को खेत में ले गया और उसकी हत्या कर दी। बच्चे के परिजनों ने जब उसकी तलाश शुरू की तो उसका शव खेत में मिला और कुछ दूरी पर आरोपी खड़ा था।
ग्रामीणों ने जब उसे रोकने का प्रयास किया तो उसने उन पर चाकू से हमला कर दिया। इस पर ग्रामीणों ने उसकी जमकर पिटाई कर दी।
बुलंदशहर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुरेंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि ग्रामीणों ने किशनपाल की पिटाई की। मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया। हालांकि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने बताया कि नाबालिग का शव पोस्टमॉर्टम के बाद परिवार को सौंप दिया गया है।
एसपी ने कहा कि आरोपी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और उसके परिवार को सूचित कर दिया गया है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 16 दिसम्बर | यूपी में कभी गंदगी का पर्याय रही गंगा नदी को प्रदूषित करने वाले स्थलों को सरकार सेल्फी प्वाइंटों में बदल रही है। कानपुर में जहां कभी कोई गंदगी और बदबू के कारण आना पसंद नहीं करता था, आज उन स्थानों पर लोग परिवार के साथ पहुंचकर फोटो खिंचा रहे हैं। जाजमऊ के पास फिर जलीय जीव दिखाई देने लगे हैं। इनको देखने वालों की चहल-पहल बढ़ी है। बिजनौर से बलिया तक अविरल व निर्मल गंगा बनाने के लिए नदी में सीधे गिरने वाले नालों को टैप कराया जा रहा है। नए-नए एसटीपी निर्माण के लिए डीपीआर बन रहे हैं। नमामि गंगे परियोजना से गंगा किनारे पौधरोपण, घाटों और कुंडों का निर्माण हो रहा है। गंगा से जुड़ी सहायक नदियों को जीवंत करने के साथ जलीय जीवों को भी जीवन देने के प्रयास हो रहे हैं। सरकार की मंशा गंगा को उसकी पवित्रता वापस लौटाना है। नमामि गंगे विभाग इसको आकार देने में जुटा है।
विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार यूपी में गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये जहां उसमें गिरने वाले 216 नालों में से 76 नालों को टैप किया गया है, वहीं 11 नाले आंशिक टैप किये गये हैं। 107 अनटैप्ड नालों को टैप करने का काम भी युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है। गंगा को शुद्धता प्रदान करने के लिये प्रदेश में 3667.35 एमएलडी के 119 एसटीपी काम कर रहे हैं। 684.1 एमएलडी के 41 एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है। 32 नए एसटीपी (1036.91 एमएलडी) के लिये तैयार डीपीआर के प्रस्तावों को अनुमति के लिए केन्द्र सरकार को भेजा गया है।
बता दें कि नमामि गंगे परियोजना ने जहां कानपुर की खोई पहचान को लौटाया है। वहीं प्रयागराज में महाकुंभ 2025 से पहले गंगा में एक भी नाला न गिरे इसका भी लक्ष्य तय किया है। योजना से जहां कानपुर में 482.30 एमएलडी के 8 एसटीपी संचालित हैं। वहीं 30 एमएलडी के एक एसटीपी का निर्माण भी तेजी से हो रहा है। प्रयागराज में नैनी, झूंसी और फाफामऊ में सीवर शोधन के लिये एसटीपी निर्माण के कार्य पूरे कराए जा रहे हैं। उनकी मॉनीटरिंग के साथ ही सलोरी एसटीपी का सौंदर्यीकरण भी चल रहा है। (आईएएनएस)|
जम्मू, 16 दिसम्बर | जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में शुक्रवार को दो युवकों के शव बरामद किए गए। शव राजौरी के टीसीपा इलाके से बरामद हुए हैं।
शव बरामद होने पर प्रदर्शनकारियों ने राजौरी-जम्मू राजमार्ग में प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इससे इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है।
इलाके में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बलों को क्षेत्र में भेजा गया है।
आगे की कारवाई जारी है। (आईएएनएस)|
चित्रदुर्ग (कर्नाटक), 16 दिसम्बर | बलात्कार के आरोपी लिंगायत संत शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू के खिलाफ साजिश के मामले की जांच कर रही कर्नाटक पुलिस ने मुरुघा मठ के पूर्व प्रशासक की पत्नी सौभाग्य बसवराजन को हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। केस दर्ज होने के बाद एस.के. बसवराजन की पत्नी गायब हो गई थी। चित्रदुर्ग ग्रामीण पुलिस ने उसे दावणगेरे शहर में ट्रैक किया और हिरासत में ले लिया। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उसे गुरुवार देर रात हिरासत में लिया गया और उसे सरकारी अस्पताल में रखा गया है। पुलिस ने कहा कि उससे पूछताछ की जाएगी।
मठ के प्रभारी बसवप्रभु स्वामीजी ने 9 नवंबर को सौभाग्य बसवराजन और अन्य के खिलाफ साजिश की शिकायत दी थी। उनकी जमानत याचिका हाल ही में चित्रदुर्ग अदालत ने खारिज कर दी थी। पुलिस ने उसके पति बसवराजन को भी गिरफ्तार किया था, जो कभी बलात्कार के आरोपी संत के करीबी सहयोगी थे।
बसवप्रभु स्वामीजी ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने पैसे के लिए संत शिवमूर्ति मुरुघा शरणरू को फंसाने की साजिश रची थी।
कर्नाटक पुलिस ने इससे पहले लिंगायत संत शिवमूर्ति मुरुघा शरणरू के खिलाफ दूसरे पॉक्सो मामले में पीड़ित नाबालिग लड़की की मां को भी गिरफ्तार किया था। जमानत पर बाहर आने के बाद मां ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर न्याय या इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई थी।
सौभाग्य बसवराजन पर पीड़ितों के परिवार के माध्यम से गिरफ्तार संत के खिलाफ साजिश रचने का आरोप है। सौभाग्य बसवराजन और उनके पति ने शिकायत दर्ज कराने से पहले पहले मामले में पीड़ितों को आश्रय दिया था।
मठ के कार्यकारी संत की शिकायत में कहा गया है कि आरोपी ने पैसे के लिए शिवमूर्ति मुरुघा संत को बदनाम करने की साजिश रची थी। इस संबंध में 14 मिनट की ऑडियो क्लिप में कथित तौर पर पीड़ित लड़कियों को शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू के खिलाफ मामला दर्ज कराने के लिए सिखाया जा रहा है।
शिकायत में कहा गया है कि यह संत के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश थी, जिसे निहित स्वार्थों के तहत अंजाम दिया गया था। (आईएएनएस)|
कुआलालंपुर, 16 दिसम्बर | मलेशिया के सेलांगोर राज्य में शुक्रवार को हुए भूस्खलन में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग फंसे हुए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने दमकल और बचाव विभाग के हवाले से बताया कि भूस्खलन क्षेत्र के एक पॉपुलर कैंप साइट पर हुआ। इस आपदा में 60 लोगों को बचाया जा चुका है।
सेलांगोर राज्य के अग्निशमन और बचाव विभाग के प्रमुख नोराजम खामिस ने कहा कि फंसे हुए लोगों की तलाश और बचाव के प्रयास जारी हैं, जिनमें कम से कम 12 टीमें जीवित बचे लोगों की तलाश कर रही हैं।
इससे पहले विभाग ने अनुमान लगाया था कि आपदा के समय 79 लोग फंसे हुए थे। लेकिन मलेशिया की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने बाद में कहा कि माना जा रहा है कि 92 लोग फंसे हुए हैं।
इस बीच प्रधान मंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा कि वह बाद में साइट का दौरा करेंगे और सभी संबंधित सरकारी निकायों को रेस्क्यू ऑपरेशन तेज करने का आदेश दिया है।
मलेशियाई राष्ट्रीय समाचार एजेंसी बरनामा के अनुसार, वर्तमान में के9 ट्रैकर डॉग यूनिट, सेंटोसा, अम्पांग, पांडन, कोटा आंगरिक, कजांग दान अंडालस फायर एंड रेस्क्यू स्टेशनों से इमरजेंसी मेडिकल रेस्क्यू सर्विस और विशेष सामरिक अभियान और बचाव टीम की सहायता से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
देश के मौसम विभाग के अनुसार देश वर्तमान में पूर्वोत्तर मानसून की चपेट में है। सेलांगोर सहित कई राज्यों में भारी बारिश दर्ज की जा रही है। (आईएएनएस)|
कानपुर, 16 दिसम्बर | यूपी के कानपुर देहात जिले में 27 वर्षीय व्यापारी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। मामले में सिपाही प्रशांत गौतम को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। व्यापारी बलवंत सिंह की पुलिस हिरासत में सोमवार की रात को मौत हो गई। बलवंत सिंह के चाचा आंगद सिंह ने पुलिस के खिलाफ केस दर्ज कराई है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक बलवंत सिंह, जिनको कथित लूट के मामले में हिरासत में लिया गया था, उनके शरीर पर गंभीर घाव के निशान मिले हैं। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक गंभीर चोट लगने से बलवंत की मौत हुई है।
पुलिस अधिकारी देहांत सुनिति ने इस मामले में कहा, पुलिस ने गुरुवार को सात आरोपितों में से एक एसओजी प्रभारी प्रशांत गौतम को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकी फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। इनकी गिरफ्तारी के लिए छह टीमों का गठन किया गया है। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 16 दिसंबर | उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मामलों की पहचान करने के लिए एक अभियान शुरू किया है। यह अभियान महीने की प्रत्येक 15 तारीख को टीबी के संदिग्ध मामलों पर फोकस करेगा। इस अभियान को 'निक्षय दिवस' का नाम दिया गया है, जिसके तहत राज्य में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं संदिग्ध मामलों की जांच और परीक्षण प्रदान करेंगी।
आशा कार्यकर्ता डोर-टू-डोर अभियान चलाएंगी और संदिग्ध मामलों की पहचान करने का प्रयास करेगी।
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा, आशा कार्यकर्ताओं के अलावा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मरीजों की पहचान होने के बाद उनका इलाज भी किया जाएगा।
आशा कार्यकर्ता संदिग्ध मामलों को निकटतम स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में लाएगी और सीएचओ उस मामले में प्राइमरी टेस्ट करेंगे। लक्षणों के अनुसार टेस्ट में एचआईवी, डायबिटीज शामिल हो सकते हैं।
एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ अभिषेक शुक्ला ने कहा, टीबी के प्रसार को शीघ्र निदान के माध्यम से रोका जा सकता है। इसलिए, अभियान जो हर महीने प्रभावी ढंग से चलेगा, टीबी के मामलों की पहचान करने और बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद करेगा, क्योंकि मरीजों का इलाज शुरूआती चरण में ही शुरू हो जाएगा।
आशा कार्यकर्ता यह सुनिश्चित करेंगी कि एक बार मरीजों की पहचान और पंजीकरण के बाद निक्षय पोर्टल में उनका बैंक विवरण भर दिया जाए, ताकि रोगी/लाभार्थी के बैंक खाते में 500 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता भेजी जा सके।
प्रमुख सचिव ने कहा कि 30 फीसदी मरीजों की पहचान अस्पतालों द्वारा की जाती है। निजी चिकित्सकों को भी अपने टीबी मरीजों को सूचित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
शर्मा ने कहा, बीच में इलाज छोड़ने वाले टीबी मरीजों की सूची तैयार की जानी चाहिए और अस्पताल के ओपीडी में 10 प्रतिशत मरीजों का परीक्षण किया जाना चाहिए। (आईएएनएस)|
तिरुवनंतपुरम, 16 दिसंबर | केरल राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड (सप्लाईको) से जुड़े एक अधिकारी को रक्षा कर्मियों के खिलाफ 'आपत्तिजनक' टिप्पणी करने के मामले में निलंबित कर दिया गया है। सुजॉय कुमार ने रक्षा कर्मियों की तुलना कुत्ते से की थी। उसने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में ये बात कही। उसे सस्पेंड कर दिया गया है।
पिछले महीने साझा किया गया पोस्ट वायरल हो गया था, जिसकी तीखी आलोचना की गई और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई। इसके बाद विभाग ने घटना की जांच शुरू की।
सप्लाईको एक सरकारी कंपनी है जो आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए खुदरा बाजार में समय-समय पर हस्तक्षेप करती है। (आईएएनएस)|
गया, 16 दिसंबर | बिहार के सारण जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में जहरीली शराब पीने से हुई लोगों की मौत के बाद राज्य में शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस बीच, गया जिले के विश्व प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर परिसर से शराब की बोतलें बरामद होने के बाद पुलिस सकते में है। पुलिस के मुताबिक, गया के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को मंदिर परिसर में शराब के सेवन की खबरें मिल रही थी। इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने एक टीम बनाकर परिसर में तलाशी अभियान चलाने का निर्देश दिया।
इस अभियान के दौरान बीएमपी के एक कांस्टेबल के बैग से शराब की खाली बोतल मिली जबकि परिसर में मेस और बैरक के समीप झाड़ियों से 4 खाली शराब की बोतलें मिली। शराब की खाली बोतलें मिलने के बाद आशंका जताई जा रही है कि महाबोधि मंदिर परिसर में शराब का सेवन हो रहा है।
गया की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर ने बताया कि महाबोधि मंदिर के अंदर के परिसर से शराब की खाली बोतलें मिली है। पूरे मामले की जांच करवाई जा रही है। इस मामले को लेकर फिलहाल बीएमपी कांस्टेबल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा गया है।
उल्लेखनीय है कि महाबोधि मंदिर के अंदर की सारी सुरक्षा व्यवस्था बीएमपी ही देखती है। परिसर में प्रवेश के समय लोगों को स्कैन से गुजरना पड़ता है।
बिहार में 2016 से शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 16 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पिछले एक महीने से चल रहे काशी-तमिल संगमम का शुक्रवार को समापन हो रहा है। इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। शाह यहां एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। इसके अलावा उनके साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई दिग्गज नेता भी समारोह में शामिल होंगे। इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वाराणसी में काशी-तमिल संगमम को संबोधित करने के लिए उत्साहित हूं, जिसका उद्देश्य भारत के दो सबसे प्राचीन शिक्षण स्थलों -- वाराणसी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक और पारंपरिक संबंधों को पुनर्जीवित करना है।
जानकारी के मुताबिक, काशी-तमिल संगमम के समापन समारोह में अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी और तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि भी शामिल होंगे। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में होने वाले इस समारोह में अमित शाह एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। इसके अलावा अमित शाह महान तमिल कवि सुब्रह्मण्यम भारती के हनुमान घाट स्थित घर भी जा सकते हैं।
दरअसल 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी और तमिल की पुरानी संस्कृति को जिंदा करने के लिए वाराणसी में काशी तमिल संगमम का आगाज किया था। कहा ये भी जा रहा है कि इसके जरिए भारतीय जनता पार्टी दक्षिण में अपने पांव मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इसी को लेकर पूरा कार्यक्रम आयोजित किया गया है। (आईएएनएस)|
बिहार, 15 दिसंबर । बिहार में कथित तौर पर ज़हरीली शराब से हुई मौतों पर राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि बीजेपी शासित राज्यों में अधिक गंभीर स्थिति है.
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, "ज़हरीली शराब की वजह से मरने वालों के मामले में भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित राज्य टॉप 3-4 में आते हैं. अगर आप बिहार और गुजरात की तुलना करें तो पिछले चार सालों में गुजरात में 50 लोगों की मौत हुई है जबकि बिहार में 21 लोग मरे हैं. बीजेपी के लोगों का एजेंडा केवल झूठ और नफ़रत फैलाना है."
उन्होंने कहा, "अभी छपरा में शराबकांड हुआ है जिसमें लोगों की मृत्यु हुई है, तो ये लोग (भाजपा) 3-4 महीने पहले कहां थे. जब गोपालगंज कांड हुआ था तब भाजपा वाले मौन धारण किए हुए थे. तब उनके एक मंत्री के रिश्तेदार के घर पर शराब बरामद हुआ था तब कोई कुछ क्यों नहीं बोल रहा था?"
"आज वे लोग केवल नाटक कर रहे हैं. जब सत्र चल रहा हो तो बीच में इस तरह का नाटक करना उचित नहीं है. दरअसल, इनके पास कोई मुद्दा नहीं है, ये 2024 को लेकर डरे हुए हैं." (bbc.com/hindi)
अयोध्या, 15 दिसंबर । अयोध्या में इन दिनों राम जन्म भूमि को जाने वाली तीन सड़कों (राम पथ, जन्म भूमि पथ और भक्ति पथ) को चौड़ा करने का काम चल रहा है. लेकिन कुछ अयोध्या वासी दुकानों को तोड़ने और सरकार के इन सड़कों के इर्द गिर्द हो रहे ज़मीन अधिग्रहण की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं.
कुछ ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि उन्होंने राम मंदिर के लिए कारसेवकों की देखभाल की, लेकिन आज उन्हें अपनी रोज़ी-रोटी छिनती हुई नज़र आ रही है. वो सरकार से मिल रहे मुआवज़े को कम बता रहे हैं और कुछ कहते हैं कि जो नई दुकाने उन्हें मिल रही हैं, वो मंदिर परिसर से दूर हैं और वहां उन्हें नए सिरे से व्यापार करना पड़ेगा.
अयोध्या के ये दुकानदार कहते हैं कि वो विकास विरोधी नहीं हैं, लेकिन उन्हें अपनी दुकाने और अपने घर टूटते देख ऐसा लगता है कि उनकी ज़िंदगियां उजड़ सी गई हैं.
प्रशासन का कहना है कि सड़कों के लिए अधिग्रहण का काम नियमों के अनुसार हो रहा है, लोगों की सहमति से हो रहा है, और उसके लिए उचित मुआवज़ा मिल रहा है.
प्रशासन कहता है कि वो दुकानदार और मकानमालिकों के प्रति संवेदनशील है, लेकिन जब कभी विकास होता है और सृजन होता है तो लोगों को थोड़ी पीड़ा ज़रूर होती है. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 15 दिसंबर । भारतीय वायु सेना के ईस्टर्न कमांड अपने क्षेत्र में 15 और 16 दिसंबर को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सैन्य अभ्यास करेगी.
एयरफोर्स ने अपने बयान में कहा है कि "तवांग में हाल के घटनाक्रमों से पहले ही इस अभ्यास की योजना थी, और इसका हालिया घटनाओं कोई ताल्लुक़ नहीं है." ये अभ्यास वायु सेना चालक दल के प्रशिक्षण के लिए आयोजित किया जा रहा है.
9 दिसंबर, 2022 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में बयान देते हुए कहा कि "9 दिसंबर 2022 को पीएलए सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांगत्से एरिया में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने का प्रयास किया. चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया है."
उन्होंने कहा, "इस फेस ऑफ में हाथापाई भी हुई है. भारतीय सेना ने पीएलए को उनकी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया."
राजनाथ सिंह ने कहा, "इस झड़प में दोनों ओर के सैनिकों को चोटें भी आई हैं. इस घटना में हमारे किसी भी सैनिक की न तो मृत्यु हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है." (bbc.com/hindi)
कोर्ट रूम लाइव के विडियो को देख कर आम आदमी को उस समय काफी तसल्ली मिलती है, जब जज साहब किसी पुलिस वाले या फिर जनता से सीधे जुड़े विभागों के अधिकारियों या कर्मचारियों को फटकार लगाते दिख जाते हैं.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट-
पिछले कुछ दिनों में पटना उच्च न्यायालय के कोर्ट रूम की कार्यवाही के ऐसे कई वीडियो वायरल हुए हैं, जो अदालत में लोगों का भरोसा बढ़ा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग के मुद्दे पर कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार न्याय का अधिकार तभी सार्थक हो सकेगा, जब अदालतों के सामने होने वाली कार्यवाही तक आम जनता की पहुंच होगी. इसी साल एक मामले की सुनवाई के दौरान वकील के अगली तारीख मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि इस समस्या का एक ही समाधान है कि कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की जाए, जिससे जनता को भी पता चल सके अदालतों में आखिर इतने मामले क्यों लंबित पड़े हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार 26 अगस्त, 2022 को संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अपनी संविधान पीठ की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया. इस संबंध में जो नोटिस जारी की गई थी, उसमें लिंक भी शेयर किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से भी एक्सेस किया जा सकता था. यह एक औपचारिक कार्यवाही थी. इसी दिन तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना सेवानिवृत्त हो रहे थे. इससे ठीक एक साल पहले दिसंबर, 2021 में पटना हाईकोर्ट यू-ट्यूब पर लाइव स्ट्रीमिंग करने वाला देश का पांचवां हाईकोर्ट बन गया. इससे पहले गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक व ओडिशा हाईकोर्ट में कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जा रहा था.
सुनवाई में बेहतरी आई
जानकारों का मानना है कि लाइव स्ट्रीमिंग की वजह से पूरी न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता तो बढ़ती ही है, सुनवाई भी बेहतर होती है. साथ ही ओपेन कोर्ट की अवधारणा को भी बल मिलता है. दोनों तरफ के वकील सुनवाई सार्वजनिक होने की वजह से पहले की अपेक्षा कहीं अधिक तैयारी कर आते हैं. इस व्यवस्था से अदालतों में चल रहे उन मुकदमों के बारे में लोगों को विस्तृत जानकारी मिल जा रही है, जिसका सीधा वास्ता आज के समाज में व्याप्त कुरीतियों और व्यवस्थागत खामियों से है.
दबंगई, भ्रष्टाचार, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी नासूर बनती जा रही है. सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी इसे काबू में करना मुश्किल हो रहा है. पत्रकार एस.के. रवि कहते हैं, ‘‘आप अपने चारों ओर बस केवल नजर घुमाइये. हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति किसी ना किसी रूप में सिस्टम की खामियों की मार खाता मिलेगा. जिनके लिए आखिरी आसरा अदालत ही रह जाता है. क्योंकि, और कहीं से कुछ राहत नहीं मिलता देख उसे अंतत: अदालत की शरण में जाना ही पड़ता है.''
वाकई, ऐसे कई मामले आए दिन सुनने को मिलते हैं, जिसमें या तो पुलिस की एकतरफा कार्रवाई दिखती है या फिर मिलीभगत से प्रशासनिक स्तर पर ऐसे फैसले लिए जाते हैं जो कालांतर में मुकदमे का कारण बनते हैं. बिहार की राजधानी पटना के एक ऐसे ही मामले में सुनवाई का वीडियो वायरल हो गया. इस वीडियो में जज साहब बिना किसी नोटिस के पुलिस द्वारा बुलडोजर से किसी का घर तोड़ दिए जाने पर पुलिस, भूमाफिया को जमकर फटकार लगाते हुए देखे और सुने जा सकते हैं, "आप जनता के लिए हैं या फिर किसी व्यक्ति विशेष के लिए." इसी दौरान जज साहब को यह जानकारी भी दी जाती है कि पुलिस ने पीड़ित परिवार के खिलाफ झूठी एफआईआर भी दर्ज कर ली है. जज साहब अगले आदेश तक ना केवल गिरफ्तारी पर रोक लगा देते हैं बल्कि पुलिस को खूब खरी-खोटी सुनाते हैं.
शिक्षक की भूमिका में भी दिखते हैं जज साहब
अदालती कार्यवाही के एक वीडियो में जज साहब काफी हड़बड़ी में किसी महिला चिकित्सक को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के लिए डीएसपी को यह समझाते देखे जा रहे हैं कि जिसके पास ज्यादा अधिकार है, उसे काफी संयमित व स्थिर होकर काम करने की जरूरत है. वे उनसे पूछते है, "जब आप साठ वर्ष की उम्र में रिटायर हो जाएंगे, आपकी वर्दी उतर जाएगी और किसी मामले में आपके सहयोगी आपको इसी तरह गाड़ी में बिठाकर ले जाएंगे तो आपको कैसा लगेगा. गिरफ्तारी में इतनी हड़बड़ी किसी खूंखार अपराधी या आतंकवादी की गिरफ्तारी में दिखाते. महिला चिकित्सक के मामले में ऐसी हड़बड़ी क्यों."
एक और वीडियो में दबंगों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगों की मदद करने की नीयत से अदालत के निर्देश की गलत व्याख्या करने पर जज साहब थानेदार से पूछते देखे जाते हैं कि क्या उन्हें अंग्रेजी आती है? आदेश को नहीं पढ़ पाने की स्थिति में जज साहब उन्हें समझाते हुए कहते हैं कि जब आपको अंग्रेजी नहीं आती, तब आदेश को क्या समझेंगे. जब समझ में नहीं आए तो वरीष्ठ अधिकारियों से संपर्क कीजिए.
बढ़ी जनता की पहुंच
पत्रकार अमिता राय कहतीं हैं, ‘‘कोर्ट रूम में क्या हुआ, पीडि़तों के लिए यह जानना थोड़ा कठिन था, किंतु अब लाइव होने से आम आदमी कहीं से भी अपने मुकदमे की कार्यवाही को देख व समझ सकता है. पूरी व्यवस्था पारदर्शी हो गई है.'' पटना व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता राजेश कुमार भी इससे सहमति जताते हुए कहते हैं, ‘‘इस व्यवस्था से न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में और पारदर्शिता आ गई है. लाइव होने से लोगों को यह पता हो रहा है कि उनके वकील ने मुकदमे की पैरवी किस तरह से की और कोर्ट ने किस तरह मामले को सुना. जाहिर है, इससे उनका भरोसा कोर्ट और अपने अधिवक्ता पर बढ़ेगा ही.''
वहीं, हाईकोर्ट की अधिवक्ता समरीन कोर्ट रूम की लाइव स्ट्रीमिंग से सहमत नहीं हैं. वे कहती हैं, ‘‘कुछ मामलों में अदालत की कार्यवाही की काफी सराहना होती है, किंतु कभी-कभी अजीबोगरीब स्थिति भी पैदा हो जाती है. जैसे बुलडोजर वाले मामले को लेकर काफी सराहना हुई, वहीं हफ्ता भर बाद ही एक मामले में आरक्षण संबंधी टिप्पणी पर विवाद भी हुआ. यह स्थिति अंतत: कहीं ना कहीं कोर्ट को अनडिग्नीफाई करती है.''
निजता खत्म होने का डर
समरीन का मानना है कि इतनी पारदर्शिता भी अच्छी नहीं है. लोग थोड़ा भी कुछ अलग होने पर आलोचना करने लगते हैं. पति-पत्नी से संबंधित मामलों में कार्यवाही के दौरान उनके बीच हो रही बातचीत से उनकी निजता खत्म होती है. समरीन कहतीं हैं, ‘‘कल को कार्यवाही के दौरान मुझसे ही कोई बड़ी गलती हो जाती है तो मेरी आलोचना होने लगेगी, मेरे ऊपर मीम्स बनने लगेगा. यह मुझे खराब तो लगेगा ही, इससे मेरा कॉन्फिडेंस भी लूज हो जाएगा.'' हां, कानून के छात्रों को इसका लाभ जरूर मिलता है.आम लोग भी अपने मुकदमे की सुनवाई होते देख पाते हैं, लेकिन सब कुछ पब्लिक डोमेन में नहीं आना चाहिए.
जाहिर है, हर व्यवस्था के पक्ष या विपक्ष के अपने अलग-अलग तर्क होंगे. किंतु, इतना तो तय है कि आम लोगों को यह सब देख सुकून भी मिलता है, क्योंकि ऐसी ही परिस्थिति की मार हर कोई कहीं न कहीं झेल रहा होता है और कोई उसे सुनने वाला नहीं होता. अदालत की कार्यवाही के दौरान पीड़ित पक्ष में वह अपना अक्स देखता है और इससे उसका भरोसा न्यायिक व्यवस्था में बढ़ता है कि कोई तो है जो उसकी सुन रहा है. (dw.com)
दस साल पहले चलती बस में युवा महिला के साथ क्रूर गैंगरेप और हत्या ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था. इस कांड ने भारत में यौन हिंसा की उच्च दर की ओर ध्यान भी आकर्षित किया था.
23 साल की ज्योति सिंह और उनके दोस्त 16 दिसंबर 2012 की शाम को बस में सवार हुए. ज्योति पर बेरहमी से हमला किया गया, लोहे की रॉड से मारा-पीटा गया और सामूहिक बलात्कार किया गया. उसके बाद ज्योति को सड़क किनारे फेंक दिया गया. हालांकि, ज्योति सिंह हमलावरों की पहचान करने के लिए काफी समय तक जीवित रहीं. इसलिए उन्हें एक उपनाम 'निर्भया' दिया गया.
दस साल पहले निर्भया के साथ क्या हुआ?
16 दिसंबर 2012 को निर्भया अपने दोस्त के साथ सिनेमा हॉल से घर लौटने के लिए बस में सवार हुई. बस में पहले से कुछ लोग सवार थे. इन लोगों ने निर्भया के साथ बलात्कार किया और बहुत क्रूर तरीके से टॉर्चर भी किया. गैंगरेप और अमानवीय अत्याचार की शिकार इस महिला को बाद में इन लोगों ने सड़क पर फेंक दिया था. जिस दोस्त के साथ निर्भया बस में सवार हुई थी, उस दोस्त को इन आरोपियों ने पहले ही बस से उतार दिया था. इस जघन्य अपराध को झेलने के बाद निर्भया कुछ दिनों तक जीवित रहीं. उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया जहां उन्होंने 13 दिन बाद दम तोड़ दिया. निर्भया की मां ने मीडिया को बयान दिया था और कहा था कि मरने से पहले निर्भया ने उनसे यानी अपनी मां से एक वादा लिया था कि वह उसका यह हाल करने वालों को न्याय के कठघरे में लाएगी और उनकी सजा सुनिश्चित करेगी.
अपराधियों का क्या हुआ?
निर्भया मामले ने भारत में विरोध और प्रदर्शनों का तूफान खड़ा कर दिया था. गैंगरेप और हत्या के इस मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए. एक आरोपी को नाबालिग होने के कारण कुछ देर हिरासत में रखने के बाद छोड़ दिया गया. एक अन्य आरोपी ने जेल में आत्महत्या कर ली, जबकि बाकी चार को मौत की सजा सुनाई गई. दिल्ली की तिहाड़ जेल में इन दोषियों को फांसी दे दी गई. निर्भया की मां आशा देवी ने उस वक्त कहा था, "आखिरकार मेरी बेटी को न्याय मिला."
आशा देवी ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा, "जाहिर है कि घाव बहुत गहरे हैं और दर्द दूर नहीं होता है. ज्योति को 12 से 13 दिनों तक बहुत दर्द हुआ, लेकिन वो जिंदा थी. मेरी बेटी को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी."
आशा देवी कहती हैं, "एक इंसान किसी दूसरे इंसान के साथ ऐसा कैसे कर सकता है."
दस साल बाद भी महिलाएं डर का शिकार हैं
राजधानी दिल्ली में निर्भया के साथ जघन्य अपराध को एक दशक बीत चुका है, लेकिन दो करोड़ की आबादी वाले इस शहर में अभी भी कई महिलाएं रात में सफर करने से डरती हैं. निर्भया कांड के बाद से उनकी मां आशा देवी महिला सुरक्षा की प्रमुख प्रचारक बन गई हैं. यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार से बचे लोगों के परिवारों के साथ परामर्श, कानूनी लड़ाई में उनका समर्थन करना अब उनका यह काम है.
आशा देवी को अपनी बेटी के लिए संघर्ष, महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों के लिए उनके काम के लिए कई पुरस्कार मिले हैं.
उन्होंने कहा, "मेरी बेटी के दर्द ने मुझे यह लड़ाई लड़ने की ताकत दी." निर्भया मामले ने देश भर में विरोध प्रदर्शनों को भड़का दिया था जिसके बाद देश में बलात्कार के लिए सख्त दंड, ज्यादा से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे और स्ट्रीट लाइट लगाने और कुछ बसों पर सुरक्षा मार्शलों की तैनाती की गई.
एए/वीके (एएफपी)
लखनऊ, 15 दिसंबर | अब कम गम्भीर और बिना ऑपरेशन की जरूरत वाले मरीजों को पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) में ही सभी स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं मिल जाएगी। यहां लगा हेल्थ एटीएम सेहत से जुड़े सभी (60) जांच कर रोग के विषय में जानकारी दे देगा। लखनऊ के एसजीपीजीआई या केजीएमयू के विशेषज्ञ चिकित्सक से भी टेलीमेडिसिन के द्वारा सलाह ली जा सकेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल पर शीघ्र ही यह सेवा शुरू हो जाएगी। इस योजना के तहत सरकार प्रदेश के सभी पीएचसी (4600) पर हेल्थ एटीएम लगाएगी। इन पर जांच करने वालों को सरकार ट्रेनिंग भी देगी। यह व्यवस्था शुरू भी हो चुकी है।
दरअसल स्वास्थ्य क्षेत्र पर मुख्यमंत्री की विशेष निगाह है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज की स्तिथि सुधारने पर जोर दिया।
जानकारी के मुताबिक, केंद्रों में भी इलाज या दाखिले के लिए पहले जैसी मारामारी नहीं होगी, क्योंकि हफ्ते भर पहले योगी सरकार ने 'एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज' कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए 6 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से महोबा, मैनपुरी, बागपत, हमीरपुर, हाथरस और कासगंज में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए निवेशकों को चयनित किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश पहला राज्य है, जिसने पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए टेंडर जारी किए हैं। इन्हें खोलने में करीब 1525 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और केंद्र सरकार सब्सिडी का करीब 1012 करोड़ रुपये भार उठाएगी।
सरकार बिना किसी दुष्प्रभाव के रोगों को जड़ से खत्म करने वाले इलाज की परंपरागत विधाओं पर भी बराबर ध्यान दे रही है। इसके लिए गोरखपुर में प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय निमार्णाधीन है। चंद रोज पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाजियाबाद के कमला नेहरू नगर में 382 करोड़ की लागत से बने राष्ट्रीय यूनानी केंद्र का भी उद्घाटन किया। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 15 दिसम्बर | दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 157 दर्ज किया गया। जो पिछले कई दिनों के मुकाबले बेहतर है। 157 एक्यूआई मध्यम श्रेणी में आता है। एयर क्वालिटी इंडेक्स के मध्यम श्रेणी में आने पर दिल्ली में ग्रेप 2 के तहत पाबंदियों को हटा लिया गया है, लेकिन ग्रेप 3 के तहत पाबंदियां जारी रहेंगी। इस पर अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर कहा है कि दिल्ली के लोगों ने प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत मेहनत की है। जिसके धीरे-धीरे नतीजे आ रहे हैं और अभी प्रदूषण को और भी कम करना है।
फिलहाल जारी ग्रेप 3 की पाबंदियों के अनुसार हर दिन सड़क की सफाई होगी और हर दूसरे दिन पानी का छिड़काव किया जाएगा। इसके अलावा होटलों और रेस्टोरेंट में कोयले या तंदूर के इस्तेमाल पर पाबंदी होगी, अस्पताल, रेल सर्विस और मेट्रो इन जगहों को छोड़कर कहीं भी डीजल जनरेटर का इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा। लोग अपनी पर्सनल गाड़ियों के अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें, इस बात पर भी जोर देते हुए पाकिर्ंग फीस को बढ़ा दिया जाएगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अक्टूबर और नवंबर में दिल्ली का औसत एक्यूआई 142 एमजीसीएम रहा है। यह 2018 की तुलना में 18 प्रतिशत तक कम है। 2016 की तुलना में 36 प्रतिशत तक कम है। (आईएएनएस)|