राष्ट्रीय
लॉस एंजेलिस, 17 दिसंबर | हवाई के पास समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हुए मेडिकल ट्रांसपोर्ट विमान की तलाश की जा रही है। विमान में तीन लोग सवार थे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने यूएस कोस्ट गार्ड के एक ट्वीट का हवाला देते हुए बताया कि हवाई लाइफ फ्लाइट विमान को किंग एयर ट्विन इंजन प्रॉप विमान बताया गया है। यूएस कोस्ट गार्ड के अनुसार होनोलूलू नियंत्रण सुविधा ने हाना, माउ के दक्षिण में लगभग 15 समुद्री मील दूर विमान के साथ रडार संपर्क खोने की सूचना दी।
ग्लोबल मेडिकल रिस्पांस ने फेसबुक पर एक पोस्ट में पुष्टि की कि उसका एक हवाई लाइफ फ्लाइट फिक्स्ड-विंग प्लेन गुरुवार रात रडार से गायब हो गया।
कंपनी ने कहा, विमान 15 दिसंबर को स्थानीय समयानुसार 21:27 बजे राडार से गायब हो गया। विमान माउ से वेइमिया बिग आइलैंड के रास्ते में था। उसमें तीन लोग सवार थे।
हवाई के केआईटीवी टेलीविजन स्टेशन ने बताया कि सभी हवाई लाइफ ़फ्लाइट ट्रांसपोर्ट को एक मानक प्रक्रिया के रूप में अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।
जॉर्ज एविएशन के साथ एक फ्लाइट इंस्ट्रक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि हमने विमान को नीचे जाते हुए देखा। विमान का पायलट हवाई यातायात नियंत्रण के साथ बात कर विमान को लेकर होनोलूलू वापस जा रहा था।
यूएस नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड ने कहा कि वह दुर्घटना की जांच कर रहा है। (आईएएनएस)|
हैदराबाद, 17 दिसम्बर | तेलंगाना के मचरियल जिले में एक घर में आग लगने से एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। हादसा मंडामारी मंडल के वेंकटपुर गांव में शुक्रवार आधी रात को हुआ।
पुलिस ने कहा कि आग शिवैया के घर में उस समय लगी जब सभी सो रहे थे।
हादसे में मरने वालों में शिवैया (50), उनकी पत्नी पद्मा (45), पद्मा की भतीजी मौनिका (23), उनकी दो बेटियां और एक अन्य रिश्तेदार शांतैया (52) शामिल हैं।
सूचना मिलने पर दमकल कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया।
घर पूरी तरह जलकर खाक हो गया।
पुलिस उपायुक्त अखिल महाजन ने कहा कि शॉर्ट स*++++++++++++++++++++++++++++र्*ट से आग लगने का संदेह है।
उन्होंने कहा कि सही कारण पूरी जांच के बाद पता चलेगा।
पुलिस ने मामला दर्ज कर शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 17 दिसंबर । कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री पद का दावेदार चुनाव के बाद तय किया जाएगा. राजस्थान में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं.
ये बयान उन चर्चाओं को और हवा देगा जो राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी राजनीतिक रस्साकशी की वजह से सालों से चर्चा में रहा है.
सचिन पायलट ने पहले इस मामले में बग़ावत तक कर दी था और ख़बर उड़ी थी कि वो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
इस बीच बीबीसी संवाददाता फ़ैसल मोहम्मद अली को दिए गए एक इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा है कि अशोक गहलोत बहुत अनुभवी और बुज़ुर्ग नेता हैं और उनका गहलोत साहब से कोई मुक़ाबला नहीं है.
जम्मू, 17 दिसंबर | एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में जम्मू-कश्मीर में राजनेताओं, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और सेवारत/सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और जम्मू-कश्मीर कैडर पुलिस और सिविल अधिकारियों से अतिरिक्त सुरक्षा वापस ले ली गई है। शीर्ष सूत्रों ने कहा कि एक सुरक्षा ऑडिट के बाद यह निर्णय लिया गया।
उन्होंने कहा कि यह कवायद इसलिए करनी पड़ी क्योंकि 'वाई' श्रेणी में आने वालों को 'जेड' श्रेणी का सुरक्षा कवर दिया गया था और 'जेड' श्रेणी के लोगों को 'जेड प्लस' श्रेणी का कवर मिला हुआ था।
शीर्ष सूत्रों ने आईएएनएस को बताया, यह असमानता अब दूर हो गई है।
20 राजनेताओं के निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) की वापसी के अलावा, पूर्व डीजीपी एसपी वैद के दो अतिरिक्त पीएसओ और पूर्व एडीजीपी मुनीर अहमद खान के तीन अतिरिक्त पीएसओ भी वापस ले लिए गए हैं।
सुरक्षा मुख्यालय द्वारा सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के एसपीओ, जिनके पास अतिरिक्त पीएसओ थे, को वापस बुला लिया गया है।
सेवानिवृत्त आईजीपी मुबारक अहमद गनी, रौफ-उल-हसन, ए.एस. बाली, मोहम्मद अमीन अंजुम, गुलाम हसन भट, मोहम्मद अमीन शाह, जगजीत कुमार, जावेद अहमद मखदूमी और शमास अहमद खान, उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मुजफ्फर हुसैन अत्तर व पूर्व वरिष्ठ अतिरिक्त मताधिवक्ता बशीर अहमद डार समेत अनेक अधिकारियों की सुरक्षा कम कर दी गई है।
इसके अलावा नेशनल कान्फ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी, बीजेपी, डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी), पीपुल्स कान्फ्रेंस के अनेक नेताओं की भी अतिरिक्त सुरक्षा हटा ली गई है। (आईएएनएस)|
मुजफ्फरपुर, 17 दिसम्बर | पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की महिला एजेंट के हनीट्रैप में आकर भारत के सरकारी गोपनीय दस्तावेज भेजने के आरोप में मुजफ्फरपुर जिला के कटरा रजिस्ट्री कार्यालय के लिपिक को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार आरोपी रवि चौरसिया रक्षा मंत्रालय के भारी वाहन निर्माण कारखाना आवाडी, चेन्नई में तैनात था।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी की सूचना पर स्थानीय पुलिस ने लिपिक को गिरफ्तार कर लिया है।
मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जयंतकांत ने शनिवार को बताया कि लिपिक जब भारी वाहन कारखाना में कार्यरत था तब वह गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट को शेयर करता था।
लिपिक के पास से मोबाइल के साथ ही मेमोरी कार्ड जब्त किया गया है। इसके साथ ही कई गोपनीय सूचनाओं को सुरक्षित कर लिया गया है।
पुलिस के अनुसार लिपिक की मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए आईएसआई की महिला एजेंट से हुई थी। प्रेमजाल में फंसकर उसने अपने मोबाइल से तस्वीर और गोपनीय दस्तावेज आईएसआई एजेंट को दिया था।
इसके बदले में एसबीआई अकाउंट में उसने ऑनलाइन पैसे भेजे थे।
जयंतकांत ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लिपिक से पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तारी की सूचना सुरक्षा एजेंसी को दे दी गई है। आरोपी बिहार के मुंगेर के नया गांव जमालपुर का रहने वाला है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 17 दिसंबर । फिक्की के 95वें वार्षिक सम्मेलन में रक्षा मंक्षी राजनाथ सिंह ने कहा है कि हमने कभी भी विपक्ष के किसी नेता के इरादे पर सवाल नहीं खड़ा किया है. हमने नीतियों को लेकर बहस की है.
उन्होंने कहा, "चाहे गलवान हो या तवांग, हमारी सेना ने जिस शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है. मैं बहुत ही विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं, हमने कभी भी विपक्ष के किसी नेता की मंशा पर सवाल नहीं खड़ा किया है. हमने नीतियों को लेकर बहस की है. राजनीति सच बोलकर ही की जाती है, झूठ बोलकर राजनीति लंबे समय तक नहीं की जा सकती है."
"राजनीति दो शब्दों के मेल से बना है- राज और नीति. और नीति संस्कृत के नय धातु से बना है, जिसका अर्थ है 'ले जाना'. वह पॉलिटिकल सिस्टम जो समाज को सही रास्ते पर आगे ले जाने का काम करे, उसे ही हम राजनीति कहते हैं. हर समय राजनीति में किसी के इरादे पर संदेह करना क्यों ज़रूरी है, इसका कारण मुझे समझ में नहीं आता है."
इसस पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि चीन भारत के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने की तैयारी कर रहा है. चीन हमारे ख़िलाफ़ युद्ध की तैयारी कर रहा है लेकिन हमारी सरकार इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं है, वो सच्चाई छिपा रही है."
राहुल गांधी ने इस दौरान चीन का ज़िक्र किया और कहा कि प्रेस उनसे चीन के बारे में सवाल नहीं करती. ये चीन के मसले पर राहुल गांधी का सरकार पर सबसे तीख़ा हमला कहा जा सकता है. उन्होंने मीडिया से भी शिकायत के लहज़े में कहा कि कोई उनसे चीन के बारे में नहीं पूछता है.
भारतीय सेना के जवानों की प्रशंसा में उन्होंने कहा, "चाहे गलवान हो या तवांग हो, मैं स्वयं इस बात की कल्पना नहीं कर सकता था कि इस प्रकार का करिश्मा हमारी सेना कर सकती है. सेना की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वो कम है."
रक्षा मंत्री ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री ने 'पंच प्रण' यानी पांच संकल्पों की बात की थी जिनमें पहला-विकसित भारत का निर्माण, दूसरा-गुलामी की हर सोच से मुक्ति, तीसरा-विरासत पर गर्व, चौथा-एकता और एकजुटता और पांचवा-नागरिकों द्वारा कर्तव्य पालन, ये पांच बातें शामिल हैं. इनमें से सबसे पहले संकल्प को पूरा किए बिना भारत विश्व की महा शक्ति नहीं बन सकता."
"इसका मतलब ये नहीं निकाला जाना चाहिए कि हम किसी देश पर दबाना चाहते हैं या किसी देश की भूमि को दखल कर लेना चाहते हैं. हम विश्व कल्याण के लिए महाशक्ति बनना चाहते हैं."
भारत और चीन की अर्थव्यवस्था की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, "साल 1949 में चीन की जीडीपी भारत से कम थी. 1980 तक भारत दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्थाओं में कहीं नहीं था. साल 2014 भारत विश्व अर्थव्यवस्थाओं में 9वें स्थान पर था और आज भारत की अर्थव्यवस्था 3.5 ट्रिलियन डॉलर के करीब है और ये दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है." (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 17 दिसम्बर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को असम के कछार जिले में सीपीआई (माओवादी) की गतिविधियों से जुड़े एक मामले में आरोपी के खिलाफ गुवाहाटी की विशेष अदालत में पूरक आरोप पत्र (सप्लीमेंट्री चार्जशीट) दायर किया। सम्राट चक्रवर्ती उर्फ निर्मान के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी और यूए (पी) अधिनियम की धारा 18, 20, 38 के तहत पूरक आरोप पत्र दायर किया गया।
यह मामला असम के कछार जिले से सीपीआई (माओवादी) के दो वरिष्ठ नेताओं अरुण कुमार भट्टाचार्जी उर्फ कंचन दा और काजल उरंग उर्फ आकाश उरंग की गिरफ्तारी से संबंधित है। मामला शुरू में क्राइम ब्रांच पीएस, सिटी गुवाहाटी, कामरूप (मेट्रो), असम में दर्ज किया गया था और 16 मार्च, 2022 को एनआईए द्वारा फिर से दर्ज किया गया। इससे पहले एनआईए ने दो सितंबर को छह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।
चार्जशीट पढ़ें- जांच से पता चला है कि आरोपी निर्मान प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) का एक सक्रिय सदस्य था। वह सीपीआई (माओवादी) नेतृत्व द्वारा असम में अपने संगठनात्मक ढांचे और परिचालन आधार का विस्तार करने के लिए रची गई साजिश का हिस्सा था। वह सीपीआई (माओवादी) संगठन का विस्तार करने और उसे मजबूत करने के इरादे से असम के कछार जिले में विभिन्न ठिकानों पर रहा और विभिन्न क्षेत्रों में सीपीआई (माओवादी) संगठन के नेतृत्व के बीच एक कड़ी के रूप में काम किया। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 17 दिसम्बर | दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को चार लोगों को बरी कर दिया - जिन पर 25 फरवरी, 2020 को जौहरीपुर पुलिया इलाके में दंगे में शामिल भीड़ का हिस्सा होने का आरोप था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के संबंध में दिनेश यादव, बाबू, संदीप और टिंकू के खिलाफ एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं होते हैं।
अदालत ने देखा- हालांकि कई लोगों के घायल होने के साथ-साथ गैरकानूनी असेंबली, दंगा और बर्बरता हुई थी, लेकिन जहां तक दंगाई भीड़ में अभियुक्तों की पहचान का संबंध था, कई गवाहों ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया। गवाह किसी भी दंगाइयों की पहचान नहीं कर सके, उन्होंने उनके चेहरे नहीं देखे थे। अभियोजन पक्ष के दो गवाह भी वर्तमान मामले में जांच की जा रही किसी भी घटना के लिए विशिष्ट नहीं थे। मुझे लगता है कि यहां आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं।
दंगाइयों ने जौहरीपुर पुलिया में कथित तौर पर चार मुस्लिम लोगों की पहचान पूछने पर उन्हें पीटा था। आरोपियों के खिलाफ गोकुलपुरी पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें दंगा, गैर इरादतन हत्या का प्रयास, चोरी, छिपकर घर में घुसना, लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा शामिल थी। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 17 दिसंबर | भाजपा सांसद राज्यवर्धन राठौड़ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस बयान पर निशाना साधा कि चीन भारत के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहा है। राठौर ने कहा है कि जब चीन ने भारत के 37 हजार वर्ग किमी जमीन पर कब्जा कर लिया था, तब राहुल गांधी के नाना सो रहे थे। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राठौड़ ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'जब चीन हमारी सीमा के अंदर आया तो राहुल गांधी के नाना सो रहे थे। राहुल गांधी जानते हैं कि चीन क्या करने जा रहा है। राजीव गांधी प्रतिष्ठान के लिए चीन की कम्युनिस्ट पाटी से गांधी परिवार को 135 करोड़ रुपये का चंदा मिला।
उन्होंने कहा, मोदी सरकार ने सेना को खुली छूट दे दी है, अगर आप (राहुल गांधी) भारतीय सेना के बारे में नहीं जानते, तो बोलिए नहीं। भारत सुरक्षित है और सुरक्षित हाथों में है, इसके लिए कांग्रेस के पेट में दर्द हो रहा है। राठौर ने कहा, भारतीय सेना आज पूरी तरह से तैयार है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा था कि चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है। उन्होंने सरकार पर बीजिंग से खतरे को कम आंकने का आरोप लगाया था।
राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के 100वें दिन जयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, चीन से खतरा स्पष्ट है। वे युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, घुसपैठ की नहीं। मैं दो साल से यह कह रहा हूं, लेकिन सरकार इसे छिपाने की कोशिश कर रही है या इसे नजरअंदाज कर रही है। (आईएएनएस)|
अमरावती, 17 दिसंबर | आंध्र प्रदेश में शुक्रवार को कृष्णा नदी में नहाने के दौरान पांच छात्र लापता हो गए। उनकी तलाश के लिए बचाव अभियान जारी है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि दो शव बरामद कर लिए गए, जबकि तीन अन्य की तलाश जारी है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मी मछुआरों और गोताखोरों की मदद से तलाशी अभियान चला रहे हैं।
विजयवाड़ा के छात्रों का एक ग्रुप, जिनकी उम्र 13 से 17 वर्ष की आयु के बीच थी, नहाने के लिए येनमालाकुदुरु के पास नदी पर गए थे। किनारे पर नहाते हुए छात्र गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे।
नदी के पास बैठे छात्रों में से एक मदद के लिए चिल्लाया। कुछ मछुआरे बचाव के लिए दौड़े और लड़कों में से एक को सुरक्षित बाहर निकाल लिया, जबकि दूसरा तैरकर सुरक्षित निकलने में सफल रहा।
स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और राजस्व व अन्य विभागों की मदद से बचाव अभियान शुरू किया। बाद में एनडीआरएफ के जवान भी शामिल हुए।
9वीं और 10वीं कक्षा के छात्र ई. गुणशेखर (14) और टी. कामेश (15) के शव शुक्रवार देर रात बरामद किए गए। शेष लड़कों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान शनिवार सुबह फिर से शुरू हुआ। इंटरमीडिएट द्वितीय वर्ष का छात्र एम. बालू, 9वीं कक्षा के शेख हुसैन और 8वीं कक्षा के शेख बाजी अभी भी लापता थे।
पुलिस के मुताबिक अलग-अलग स्कूलों के छात्र पढ़ाई छोड़ चुके दो-तीन दोस्तों के साथ नदी में नहाने गए थे। (आईएएनएस)|
मैसूर, 17 दिसम्बर | कर्नाटक में एक खेत मालिक को मैसूर में दशहरा समारोह में भाग लेने वाले एक प्रसिद्ध हाथी पर गोली चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान सुरेश के रूप में हुई है और बलराम नाम के 63 वर्षीय हाथी के दाहिने पैर में सामने की ओर गोली लगी है।
पुलिस ने सुरेश के पास से एक सिंगल बैरल बंदूक और कारतूस बरामद किया है। उसे एस अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
पुलिस ने कहा कि पेरियापटना तालुक के भीमनकट्टे हाथी शिविर में रखा हाथी सुरेश के खेत में घुस गया था। जिससे गुस्साए सुरेश ने उस पर गोली चला दी।
नागरहोल वन्यजीव क्षेत्र वन के अधिकारी रतन कुमार ने कहा कि घटना गुरुवार को हुई थी और जांच जारी है। (आईएएनएस)|
ब्रसेल्स, 17 दिसम्बर | अनुमानित 16,500 लोग ब्रसेल्स की सड़कों पर ऊर्जा की बढ़ती लागत से निपटने के लिए अधिक वेतन की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने 1996 के वेज मार्जिन एक्ट की भी निंदा की, जो अधिकतम औसत वेतन वृद्धि पर बातचीत करने के लिए एक सख्त प्रक्रिया स्थापित करता है।
विरोध-प्रदर्शन के कारण शुक्रवार को बेल्जियम की राजधानी शहर का पूरा सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क बाधित हो गया।
ब्रसेल्स एयरपोर्ट में प्रदर्शन का असर कम दिखाई दिया, लेकिन 60 फीसदी उड़ानें पहले ही रद्द कर दी गई थीं।
बेल्जियम के जनरल लेबर फेडरेशन (एफजीटीबी) के अध्यक्ष थिएरी बोडसन ने कहा, हमें ऊर्जा की कीमतों को रोकना चाहिए न कि मजदूरी को।
चूंकि यूरोप ऊर्जा की कीमतों को अवरुद्ध करने में सक्षम नहीं है, यह बेल्जियम के स्तर पर है कि वह इसे जल्दी, बहुत जल्दी करे।
सीएससी ट्रेड यूनियन के महासचिव मैरी-हेलेन स्का के लिए, सबसे महत्वपूर्ण चुनौती मजदूरी पर बातचीत करने की बुनियादी स्वतंत्रता है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने बेल्जियम से कहा है कि 1996 का कानून बातचीत की स्वतंत्रता के विपरीत है।
बोडसन ने कहा, पिछले दो वर्षों में, सामान्य ट्रेड यूनियन फ्रंट (सीएससी, एफजीटीबी, सीजीएसएलबी) सफलता के बिना इस कानून के खिलाफ लड़ रहा है।
सेक्टा (कर्मचारियों, तकनीशियनों और प्रबंधकों के संघ) के महासचिव मिशेल कैपोन के अनुसार, ऊर्जा की बढ़ती लागत से निपटने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय पर्याप्त नहीं हैं, क्योंकि उनमें समय सीमा काफी कम हैं।
बोडसन ने कहा, मुझे लगता है कि सरकार को लंबे समय तक कड़े कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, हमारा ²ढ़ संकल्प नहीं रुकेगा। 2023 में आगे की कार्रवाई की योजना के साथ लड़ाई जारी रहेगी। (आईएएनएस)|
मोहम्मद शफीक
हैदराबाद, 17 दिसम्बर | भाजपा के एक सांसद द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश करने और भाजपा शासित कई राज्यों जाने द्वारा यूसीसी को लागू करने की घोषणा ने इस विवादास्पद मुद्दे को राजनीति के केंद्र में ला दिया है।
अपनी स्थापना के बाद से भाजपा के एजेंडे में तीन प्रमुख मुद्दों में से यूसीसी एक रहा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और धारा 370 को खत्म करने में मिली सफलता के बाद अब भगवा पार्टी की निगाहें तीसरे लक्ष्य पर टिकी हैं।
राज्यों में धार्मिक, जातीय, क्षेत्रीय और भाषाई समूहों की विविधता और उनकी प्रथाओं को देखते हुए देश आखिरकार यूसीसी के लिए सहमत होगा या नहीं, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा को लगता है कि इस भावनात्मक मुद्दे से उसे चुनाव में लाभ मिल सकता है।
अगले साल कई राज्यों में चुनाव होने हैं और उसके बाद 2024 में आम चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा ध्रुवीकरण के मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर सकती है।
उत्तराखंड राज्य में यूसीसी की संभावना का पता लगाने के लिए एक पैनल गठित करने वाला पहला राज्य है। मध्य प्रदेश ने भी घोषणा की कि राज्य में यूसीसी को लागू करने के लिए एक समिति गठित की जाएगी।
भाजपा ने यूसीसी को हिमाचल प्रदेश चुनाव में अपने घोषणापत्र का हिस्सा बनाया था, लेकिन पार्टी जीतने में नाकाम रही। गुजरात में, जहां भाजपा ने रिकॉर्ड बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रखी, कुछ महीने पहले किए गए वादे के अनुसार यूसीसी की दिशा में कदम उठाने की संभावना है।
2023 के अंत में तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए भाजपा द्वारा इस विवादास्पद मुद्दे का उपयोग करने की संभावना है।
ऐसे राज्यों में जहां भाजपा के नेताओं को पार्टी के सत्ता में आने का मौका दिखाई दे रहा है, वहां इसके जरिए वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक पी. राघवेंद्र रेड्डी कहते हैं, ''बीजेपी इमोशनल इश्यू का इस्तेमाल नैरेटिव तैयार करने के लिए कर सकती है और इस तरह वह खुद को उन इलाकों में और मजबूत कर सकती है, जहां उसे पहले से ही मजबूत माना जाता है।''
उन्होंने कहा, राज्य भाजपा अध्यक्ष बंदी संजय जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, अगर पार्टी इसे चुनाव में अहम मुद्दा बनाने का फैसला करती है तो आश्चर्य नहीं होगा।
बंदी संजय ने दोबारा चुने जाने के बाद समान नागरिक संहिता को लागू करने के वादे के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सराहना की थी। सासंद संजय ने कहा था कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने वोट बैंक की राजनीति से हटकर भाजपा के मिशन को आगे बढ़ाने की बात कही है।
उन्होंने कहा था, मुझे यकीन है कि यह बहुत जरूरी और प्रतीक्षित सुधार देवभूमि से शुरू होने के बाद पूरे देश में फैल जाएगा।
अपनी प्रजा संग्राम यात्रा के दौरान संजय कई विवादास्पद मुद्दों को उठाते रहे हैं। भाजपा नेता, जिन्होंने 15 दिसंबर को अपने वॉकथॉन के पांचवें चरण को पूरा कर लिया, अब बाद के चरणों में इस मुद्दे को उठाने की संभावना है। वह पहले ही कुछ अन्य मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों से विवाद खड़ा कर चुके हैं।
भाजपा नेता ने सभी मस्जिदों में खुदाई कार्य की मांग करते हुए कहा कि इनके नीचे शिवलिंग मिलने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा तेलंगाना में सत्ता में आती है, तो वह सभी मदरसों को बंद कर देगी, मुसलमानों के लिए आरक्षण समाप्त कर देगी और उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में हटा देगी।
संजय भड़काऊ भाषण देते रहे हैं और खुद को हिंदुओं के अधिकारों के चैंपियन के रूप में पेश करते रहे हैं। वह बार-बार अपने भाषणों में इस बात का जिक्र करते हैं कि हिंदुओं की आबादी 80 फीसदी है।
पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के रूप भारत राष्ट्रीय समिति (बीआरएस) द्वारा यूसीसी के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाने की संभावना है। अतीत में पार्टी ने यूसीसी लाने के कदम का विरोध किया था।
चूंकि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली पार्टी को मुस्लिम समुदाय का समर्थन हासिल है, इसलिए उस पर यूसीसी के खिलाफ बोलने का दबाव होगा।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), जो राज्य की एक प्रमुख राजनीतिक ताकत है और बीआरएस और अन्य मुस्लिम राजनीतिक और सामाजिक-धार्मिक समूहों के साथ यूसीसी लाने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करती रही है।
आंध्र प्रदेश में, जहां 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं, सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) द्वारा यूसीसी का विरोध करने की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि आंध्र प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की संभावना नहीं है, इसलिए इस मुद्दे को उठाने से भाजपा को कोई बड़ा लाभ नहीं मिल सकता है।
हालांकि टीआरएस और वाईएसआरसीपी दोनों ने संसद में तीन तलाक और कुछ अन्य विवादास्पद कानूनों पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक का समर्थन किया था, लेकिन वे यूसीसी का समर्थन करके अल्पसंख्यकों के समर्थन को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। (आईएएनएस)|
भोपाल, 16 दिसंबर | भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता का अवसर मिला है, इसकी बैठकें देश के अलग-अलग हिस्सों में होने वाली है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश में भी बैठकें प्रस्तावित हैं। इन बैठकों की व्यवस्था और समन्वय के लिए राज्य सरकार ने मंत्री समूह का गठन किया है। आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार, राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश में होने वाली जी-20 बैठकों के दौरान अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों की आवास से संबंधित व्यवस्था की निगरानी एवं समन्वय के लिए मंत्री समूह का गठन किया गया है।
मंत्री समूह में गृह, जेल, संसदीय कार्य, विधि एवं विधाई कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री गोपाल भार्गव, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा और पर्यटन, संस्कृति, अध्यात्म मंत्री श्रीमती ऊषा ठाकुर शामिल हैं। प्रमुख सचिव संस्कृति, समूह के सचिव होंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत एक दिसंबर 2022 से 20 नवंबर 2023 की अवधि में जी-20 समूह की अध्यक्षता करेगा। इस अवधि में मध्यप्रदेश में विभिन्न स्थानों पर जी-20 की बैठके होंगी। (आईएएनएस)|
लिस्बन, 16 दिसंबर | वर्ष 2022 फीफा विश्व कप की निराशा के बाद फर्नांडो सांतोस ने पुर्तगाल का प्रमुख कोच पद छोड़ दिया है। पुर्तगाल को कतर में विश्व कप के क्वार्टरफाइनल में मोरक्को से 0-1 से हार का सामना करना पड़ा था।
68 वर्षीय सांतोस ने पुर्तगाल के प्रभारी के रूप में आठ साल गुजारे थे और अपने मार्गदर्शन में टीम को पहली बार दो अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत दिलाई थी। पुर्तगाल ने 2016 में फ्ऱांस में यूरो कप जीता था और 2019 में यूएफा नेशंस लीग का खिताब जीता था।
पुर्तगाली फुटबाल संघ ने गुरूवार रात एक बयान में कहा, "पुर्तगाल फुटबॉल संघ और सांतोस सितम्बर 2014 में शुरू हुई अपनी सफल यात्रा को समाप्त करने पर सहमत हो गए हैं। सांतोस का कहना है कि यह नया चक्र शुरू करने का सही समय है।"
सांतोस ने क्रिस्टियानो रोनाल्डो को ग्रुप चरण के बाद हटाने का साहसिक फैसला किया था। इस कदम का राउंड 16 में पुर्तगाल को फायदा मिला। रोनाल्डो की जगह आये गोंसालो रामोस ने स्विट्जरलैंड के खिलाफ 6-1 की जबरदस्त जीत में शानदार हैट्रिक जमाई।
37 वर्षीय रोनाल्डो मोरक्को के खिलाफ क्वार्टरफाइनल में स्थानापन्न खिलाड़ी के रूप में आये लेकिन पुर्तगाल को बाहर जाने से नहीं रोक सके।
सांतोस को रोनाल्डो को हटाने पर लगातार सवालों का सामना करना पड़ा लेकिन प्रमुख कोच ने जोर देकर कहा कि उन्हें अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं है।
पुर्तगाल अब नए प्रमुख कोच को ढूंढने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
पुर्तगाल फुटबाल संघ ने सांतोस और उनकी तकनीकी टीम को आठ वर्षों तक उनकी सेवाओं के लिए धन्यवाद दिया। पुर्तगाल फुटबॉल संघ ने साथ ही कहा कि वह अब नए राष्ट्रीय कोच को ढूंढने की प्रक्रिया शुरू करेगा। (आईएएनएस)|
सिंगापुर, 16 दिसंबर | सिंगापुर में एक भारतीय घरेलू सहायिका ने अपने मालिक की तीन साल की बेटी को बार-बार थप्पड़ मारने और चिकोटी काटने का जुर्म कबूल कर लिया है। द स्ट्रेट्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 39 वर्षीय सहायिका ने कहा कि उसने अपराध इसलिए किया क्योंकि वह काम करते-करते थक गई थी। चिल्ड्रन एंड यंग पर्सन्स एक्ट के तहत भारतीय नागरिक को गुरुवार को बच्चे के साथ बुरा व्यवहार करने के दो मामलों में दोषी ठहराया।
उप लोक अभियोजक अलेक्जेंड्रिया शामिनी जोसेफ ने कहा, जब बच्चे की मां ने आरोपी से चोटों के बारे में पूछा तो आरोपी ने जवाब दिया कि उसे नहीं पता कि चोट कैसे लगी।
जोसेफ ने अदालत को सूचित किया, यह सोचकर कि बच्चे को खेलने के दौरान चोट लग गई होगी मां ने मामले को आगे नहीं बढ़ाया।
पीड़िता की मां ने जुलाई 2020 में घरेलू सहायिका को काम पर रखा और 2021 के मध्य में उन्होंने अपनी बेटी के गालों पर चोट के निशान देखे।
इस साल जनवरी में भी मां ने अपनी बेटी की पीठ पर चोट के निशान देखे और उन्हें शक हुआ कि प्री-स्कूल में बच्चे के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है।
स्कूल के प्रधानाध्यापक के मना करने के बाद उसने अपने घर की सीसीटीवी रिकॉडिर्ंग की जांच की, तो मामले का खुलासा हुआ।
दूध पीने के दौरान सहायिका ने बच्ची के पेट में चिकोटी काट ली थी। सीसीटीवी फुटेज में बच्ची चीखती-चिल्लाती नजर आई।
उसने बच्चे की छाती और बाहों में बार-बार चिकोटी काटने के अलावा, थप्पड़ मारा।
द स्ट्रेट्स टाइम्स की खबर के मुताबिक उसने बच्चे की पीठ पर मुक्का भी मारा।
सहायिक ने अदालत को बताया कि उसने बच्ची के साथ ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह नाराज और काम से थकी हुई थी।
उसने पुलिस को दिए अपने बयान में शिकायतकर्ता के परिवार के लिए काम करने के बारे में कोई शिकायत नहीं की।
दोषी को अगले साल 9 जनवरी को सजा सुनाई जाने की उम्मीद है। (आईएएनएस)|
जयपुर, 16 दिसम्बर | राजस्थान सरकार के अधिकारियों ने बीफ जिलेटिन से बनी 'मेड इन पाकिस्तान' टॉफी जब्त की है। इसे उदयपुर की एक दुकान में बेचा जा रहा था। कई लोगों द्वारा की गई शिकायतों के मद्देनजर खाद्य निरीक्षक के नेतृत्व में एक टीम ने शहर के दिल्ली गेट स्क्वायर इलाके में स्थित चॉकलेट और बर्थडे डेकोरेशन आइटम नामक एक दुकान की जांच की। दुकान में तीन बड़े पैकेट मिले। जबकि दो बंद पैकेटों में 24 'चिली-मिली' टॉफी थीं, एक खुले पैकेट में 23 कैंडीज थीं।
इसके बाद टीम ने बुधवार शाम टॉफी के सैंपल जांच के लिए लैब में भिजवाए। परीक्षण के परिणाम प्रतीक्षित हैं।
बताया जा रहा है कि इसी दुकान से शहर की दूसरी दुकानों पर भी सामान सप्लाई किया जाता है.
20 रुपये की कीमत वाली टॉफी एक रंगीन पाउच में आती है जिस पर 'मेड इन पाकिस्तान' लिखा होता है।
पाउच पर पता बाई इस्माइल इंडस्ट्री लिमिटेड सी-230, एचआईटीई हब, बलूचिस्तान, पाकिस्तान लिखा है। अतिरिक्त जानकारी उर्दू भाषा में है।
इसके साथ ही टॉफी पर भी लाल निशान बना हुआ है, जिसका इस्तेमाल मांसाहारी चीजों के लिए किया जाता है।
खाद्य निरीक्षक अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि शिकायत के आधार पर टॉफी को जब्त किया गया है, क्योंकि इसमें एक घटक के रूप में बीफ जिलेटिन का उल्लेख किया गया है।
फूड सेफ्टी लैब प्रभारी डॉ रवि सेठी ने बताया कि लेबल के आधार पर जांच कराई जाएगी। (आईएएनएस)|
अयोध्या, 16 दिसंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 'राम जन्मभूमि' स्थल पर सुरक्षा के तौर पर तैनात चार महिला पुलिस कांस्टेबलों को कथित तौर पर भोजपुरी गीत 'पतली कमरिया मोरी' पर डांस करते हुए एक वीडियो सामने आया है। वीडियो सामने आने के बाद चारों को निलंबित कर दिया गया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खूब साझा किए जा रहे वीडियो में निलंबित कांस्टेबल वर्दी में नहीं थी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मुनिराज जी. ने अतिरिक्त एसपी (सुरक्षा) पंकज पांडे द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर कांस्टेबल कविता पटेल, कामिनी कुशवाहा, कशिश साहनी और संध्या सिंह को निलंबित करने का आदेश दिया।
बेंगलुरु, 16 दिसंबर | कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शुक्रवार को एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से आतंकवाद और आतंकवादियों पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। उन्होंने कहा कि पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि खड़गे, राहुल और सोनिया गांधी को बताना चाहिए कि क्या वे उन आतंकवादियों को पसंद करते हैं, जो देश में शांति भंग करने का काम करते हैं या देश से प्यार करने वाले देशभक्तों को पसंद करते हैं।
वह कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि वोटर आईडी घोटाले और भ्रष्टाचार से लोगों का ध्यान हटाने के लिए मंगलुरु विस्फोट कांड को अंजाम दिया गया।
सीएम बोम्मई ने कहा, हर बार, पार्टी इसी तरह का खेल खेलती है जो पुलिस बल और देश की नैतिकता को प्रभावित करती है। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी पार्टी किसके पक्ष में है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह यह संकेत दे रहे हैं कि कांग्रेस आतंकवाद का समर्थन कर रही है, उन्होंने कहा कि जब एक आतंकवादी सबूत के साथ पकड़ा जाता है, अगर आप जांच पर सवाल उठाते हैं तो यह आतंकवादी संगठन का समर्थन करने जैसा है।
मंगलुरु विस्फोट मामले में, आरोपी ने कई बार अपना नाम और पहचान बदली थी। वह पहले भी दो से तीन मामलों में पकड़ा जा चुका है। अन्य देशों से आतंकी संबंध स्थापित हो गए हैं और जांच जारी है।
सीएम बोम्मई ने आगे कहा कि कांग्रेस ने आतंकवाद के दसियों मामलों में आतंकवादियों का समर्थन किया और एक आतंकवादी को फांसी देने के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा दी गई सहमति की आलोचना की।
बोम्मई ने कहा, कांग्रेस की यह प्रथा चुनाव के दौरान उनकी तुष्टीकरण की राजनीति का हिस्सा है। वे अल्पसंख्यक वोट हासिल करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। लेकिन, लोग जाग गए हैं।
उन्होंने कहा कि शिवकुमार को यह नहीं भूलना चाहिए कि अवैध मतदाताओं को शामिल करने की प्रथा कांग्रेस द्वारा की जाती है। भारत निर्वाचन आयोग की नई तकनीक तस्वीरों के जरिए दोहरे मतदाताओं का पता लगाती है। उनके नाम हटा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब उन्हें डर लग रहा है। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 16 दिसंबर | श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला ने शुक्रवार को दिल्ली की साकेत अदालत में जमानत याचिका दायर की। उसकी जमानत याचिका पर शनिवार (17 दिसंबर) को सुनवाई होने की संभावना है।
अदालत ने 9 दिसंबर को पूनावाला की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ा दी थी।
दिल्ली पुलिस ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि जांच जारी है और उसकी न्यायिक हिरासत बढ़ाने का अनुरोध किया था।
पूनावाला पर अपने लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वॉल्कर की हत्या करने और फिर उसके शरीर को 35 टुकड़ों में काटने का आरोप है। वर्तमान में वह तिहाड़ जेल में बंद है।
सूत्रों ने 15 दिसंबर को बताया कि महरौली के जंगल में बरामद शरीर के अंगों से निकाले गए डीएनए को उसके पिता के सैंपल्स से मिलाया गया और उसके बाद ही हत्या की क्रूरता की आधिकारिक पुष्टि हुई।
विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा था कि पुलिस को सीएफएसएल से डीएनए टेस्ट रिपोर्ट और रोहिणी के एफएसएल से पॉलीग्राफ टेस्ट रिपोर्ट मिली है।
मामले में पूनावाला का पोस्ट-नार्को टेस्ट 2 दिसंबर को संपन्न हुआ था। उसका टेस्ट तिहाड़ जेल के अंदर एफएसएल अधिकारियों द्वारा किया गया था।
पूनावाला को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। उसकी पॉलीग्राफ टेस्ट रिपोर्ट 14 दिसंबर को फॉरेंसिक साइंसेज लैब (एफएसएल) द्वारा पुलिस को सौंपी गई थी।
छतरपुर घर में फोरेंसिक अधिकारियों द्वारा बाथरूम और रसोई से ब्लड के सैंपल्स भी बरामद किए गए, जहां पूनावाला और श्रद्धा दोनों 15 मई को शिफ्ट हुए थे।
सूत्रों ने कहा, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हड्डियों की ऑटोप्सी की जाएगी। जांचकर्ता एक प्रश्नावली तैयार करेंगे और इसे डॉक्टरों को भेजेंगे, जो ऑटोप्सी रिपोर्ट तैयार करेंगे और मामले में सभी प्रासंगिक जानकारी हासिल करने में मदद करेंगे।
दिल्ली एलजी वी.के. सक्सेना ने श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड में राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए विशेष लोक अभियोजक मधुकर पांडेय और अमित प्रसाद की नियुक्ति के दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
अधिकारियों ने कहा, एडवोकेट मधुकर पांडे और एडवोकेट अमित प्रसाद इस मामले में विशेष लोक अभियोजक के रूप में दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करेंगे। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 16 दिसंबर | भारतीय सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (सास) कंपनी फ्रेशवर्क्स ने खराब वैश्विक परिस्थितियों का हवाला देते हुए लगभग 90 कर्मचारियों, या अपने कुल कर्मचारियों के 2 प्रतिशत को निकाल दिया है। कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गिरीश माथ्रूबूथम ने कर्मचारियों को एक ईमेल में बताया कि यह छंटनी नहीं बल्कि 'संरचनात्मक परिवर्तन' है।
माथ्रूबूथम ने ईमेल में लिखा, "हमारे द्वारा किए गए सभी परिवर्तनों में हमने अपने अधिकांश साथियों को तैनात और बनाए रखा है, हालांकि 5,200 लोगों में से लगभग 2 प्रतिशत या लगभग 90 कर्मचारी जिनके लिए हमारे पास आसानी से उपलब्ध ओपन पॉजिशन नहीं है, उन्हीं को हटाया गया है।"
सीईओ ने कहा कि फ्रेशवर्क्स प्रभावित कर्मचारियों को हेल्थकेयर कवरेज और आउटप्लेसमेंट सेवाएं प्रदान कर उनकी मदद करेगा।
फ्रेशवर्क्स तकनीकी कंपनियों की बढ़ती सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने वैश्विक मैक्रो-इकोनॉमिक स्थितियों के बीच कर्मचारियों की छंटनी की है।
नैस्डैक-सूचीबद्ध फर्म का मूल्य 12.2 अरब डॉलर है, जो पिछले साल सितंबर में 36 डॉलर के शुरुआती पेशकश मूल्य से 21 प्रतिशत ऊपर खुला था।
माथ्रूबूथम ने मीडिया आउटलेट्स के साथ साक्षात्कार में इस बात पर प्रकाश डाला कि आईपीओ ने अपने कर्मचारियों के लिए बहुत अधिक संपत्ति बनाई क्योंकि इसके 500 से अधिक कर्मचारी करोड़पति बन गए।
उन्होंने आगे कहा कि इन 500 कर्मचारियों में से लगभग 70 की उम्र 30 वर्ष से कम है।
नवंबर 2019 में जब कंपनी ने सिकोइया कैपिटल, कैपिटलजी और एस्सेल जैसे निवेशकों से 150 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी, तब उसका मूल्य 3.5 अरब डॉलर था। (आईएएनएस)|
पटना, 16 दिसंबर | बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को साफ कर दिया गया कि जहरीली शराब पीकर मरने वालों को सरकार किसी हाल में कोई मुआवजा नहीं देगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जहरीली (गंदा) शराब पीकर मरने वालों से कोई 'सिम्पैथी' नहीं है। मुख्यमंत्री ने फिर कहा कि जो जहरीली शराब पीएगा, वह मरेगा ही। बिहार विधानसभा और विधान परिषद में सारण जिले में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत के बाद सदन में हंगामा मचा हुआ है। विपक्ष मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग कर रहा है।
इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू रहेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी लागू है, ऐसे में शराब पीकर मरने वालों को किसी तरह की मदद दी जाए, यह हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि अगर कोई शराब पीएगा और गड़बड़ पीएगा तो मरेगा ही।
उन्होंने कहा कि अगर कोई शराब पीकर मर जाता है, तो उसके प्रति हमदर्दी नहीं रखनी चाहिए। लोगों को शराब पीने से मना करना चाहिए। यह गंदी चीज है। उन्होनें कहा कि सभी लोगों का यह फैसला है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी इसकी तारीफ की थी। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि भाजपा शासित राज्यों में भी जहरीली शराब पीकर लोगों की मौत होती है।
उल्लेखनीय है कि सारण जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। बताया जाता है कि जहरीली शराब पीने से 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि जिला प्रशासन 30 लोगों के ही मरने की पुष्टि कर रहा है।
सारण में जहरीली शराबकांड के कारण मशरख थाना प्रभारी रितेश मिश्रा और चौकीदार विकेश तिवारी को गुरुवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। (आईएएनएस)|
बेंगलुरू, 16 दिसम्बर | कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने 19 नवंबर के मंगलुरु कुकर विस्फोट मामले का बचाव नहीं किया। पत्रकारों से बात करते हुए शिवकुमार ने कहा, मैंने केवल इतना कहा कि बीजेपी लोगों का ध्यान भटका रही है। इसने इस मुद्दे का इस्तेमाल वोटर आईडी घोटाले और भ्रष्टाचार को दबाने के लिए किया है। मैंने यह नहीं कहा कि विस्फोट मामले में जांच नहीं की जानी चाहिए। शिवकुमार ने कहा, हमारे नेता आतंकवाद के शिकार हुए हैं। हम इस देश की एकता, शांति और एकता के लिए खड़े हैं। हम आतंकवाद का बचाव नहीं करते हैं।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की इस टिप्पणी पर कि कांग्रेस का आतंकवाद समर्थक रुख है, उन्होंने कहा, यह बयान चर्चा में बने रहने के इरादे से दिया गया है। उन्होंने कहा, मैंने केवल राज्य के भ्रष्टाचार और इसे छुपाने के तरीकों के साथ विश्वासघात के बारे में बात की है।
शिवकुमार ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि मंगलुरु विस्फोट की घटना को सत्तारूढ़ भाजपा ने वोटर आईडी घोटाले से लोगों का ध्यान हटाने के लिए अंजाम दिया था।
गुरुवार को उन्होंने पूछा था कि बिना जांच के धमाके के सिलसिले में गिरफ्तार संदिग्ध मोहम्मद शरीक को आतंकवादी कैसे घोषित किया जा सकता है? क्या यह 26/11 मुंबई आतंकी हमले जैसी घटना थी? क्या यह पुलवामा आतंकी हमले जैसी घटना थी?
शिवकुमार ने सवाल किया, पूरी घटना को सत्तारूढ़ बीजेपी ने कैसे पेश किया? जब कर्नाटक में वोटर आईडी घोटाला सामने आया, तो इसके तुरंत बाद मंगलुरु कुकर विस्फोट की घटना क्यों? कहां से आए आरोपी?
उन्होंने कहा, आप भावनात्मक मुद्दों को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं। आपके (भाजपा) कार्यकाल में एक भी ढंग का काम नहीं किया गया है।
शिवकुमार ने कहा था, डीजी जल्दबाजी में दौरा करते हैं और इसे एक आतंकी कृत्य घोषित करते हैं। यह ध्यान भटकाने का प्रयास है। क्या आपको लगता है कि लोग मूर्ख हैं?
गौरतलब है कि सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मंगलुरु में 19 नवंबर को कुकर विस्फोट की घटना हुई थी। कर्नाटक पुलिस विभाग ने इसे आतंकी कृत्य करार दिया है। जांच से पता चला कि एक संदिग्ध आतंकवादी मोहम्मद शरीक मुख्यमंत्री के समारोह में विस्फोट करने की योजना बना रहा था। जब यह विफल हो गया, तो वह बच्चों के उत्सव में विस्फोट करने के लिए विस्फोटक ले जा रहा था। (आईएएनएस)|
देहरादून, 16 दिसंबर | उत्तराखंड में कोरोना से मां की मौत के बाद दो वक्त की रोटी के लिए सबके आगे हाथ फैलाने के लिए मजबूर दस साल का एक बच्चा करोड़ों की जायदाद का मालिक निकला। दरअसल, उसके दादा ने मरने से पहले अपनी आधी जायदाद उसके नाम कर दी थी। वसीयत लिखे जाने के बाद से परिजन उसे ढूंढ रहे थे। कलियर में सड़कों पर घूमते वक्त गांव के युवक मोबिन ने उसे पहचाना। परिजनों को सूचना दी, जिसके बाद बृहस्पतिवार को वह बच्चे को अपने साथ घर ले गए। बच्चे के नाम गांव में पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन है।
यूपी के जिला सहारनपुर के गांव पंडोली में रहने वाली इमराना पति मोहम्मद नावेद के निधन के बाद 2019 में अपने ससुराल वालों से नाराज होकर अपने मायके यमुनानगर चली गई थी। वह अपने साथ करीब छह साल के बेटे शाहजेब को भी ले गई थी।
सुराल पक्ष ने उसे मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। अब बच्चे को लेकर कलियर आ गई। परिजनों ने काफी ढूंढा लेकिन कुछ पता नहीं चला। कोरोना महामारी आई तो लॉकडाउन लग गया। इसी महामारी में मां इमराना का साया भी मासूम शाहजेब के सिर से उठ गया।
तब से शाहजेब कलियर में लावारिस जिंदगी जी रहा था। चाय व अन्य दुकानों पर काम करने के साथ ही पेट भरने को वह सड़क पर भीख भी मांगने को मजबूर था। उसके सबसे छोटे दादा शाहआलम का परिवार अब उसे सहारनपुर ले गया है।
मासूम की फोटो परिजनों ने व्हाट्सएप ग्रुपों और सोशल साइट्स पर अपलोड कर तलाशने वाले को इनाम का ऐलान किया था। दूर का एक रिश्तेदार मोबिन कलियर आया था। बाजार में घूमते वक्त उसकी नजर शाहजेब पर पड़ी तो उसने वायरल फोटो से उसके चेहरे का मिलान किया। पूछने पर शाहजेब ने अपना और मां के नाम के साथ गांव का नाम सही बताया तो मोबिन ने उसके परिजनों को सूचित किया।
पहले बहू का घर छोड़कर जाना और उसके बाद बेटे की मौत से दादा मोहम्मद याकूब सदमे में थे। हिमाचल में एक स्कूल से रिटायर याकूब की करीब दो साल पहले मौत हो चुकी है। उनके दो बेटों में से नावेद का निधन हो चुका, जिनके बेटे का नाम शाहजेब है। दूसरे बेटे जावेद का परिवार सहारनपुर में ही रहता है। दादा ने अपनी वसीयत में लिखा था कि जब कभी भी मेरा पोता वापस आए तो उसे आधी जायदाद सौंप दी जाए। (आईएएनएस)|
-रेहान फ़ज़ल
1971 के बांग्लादेश अभियान की सबसे निराली बात थी कि भारतीय सेना के सामने पूर्वी पाकिस्तान की राजधानी ढाका पर क़ब्ज़ा करने का लक्ष्य रखा ही नहीं गया था.
भारत की रणनीति थी कि पूर्वी पाकिस्तान की अधिक से अधिक ज़मीन पर क़ब्ज़ा करके वहाँ पर बांग्लादेश की सरकार स्थापित की जाए ताकि भारत आए एक करोड़ शरणार्थियों को वहाँ वापस भेजा जा सके.
मिलिट्री ऑपरेशन के महानिदेशक मेजर जनरल केके सिंह ने युद्ध की जो योजना बनाई थी, उसके तीन बिंदु थे.
श्रीनाथ राघवन अपनी किताब '1971 अ ग्लोबल हिस्ट्री ऑफ़ द क्रिएशन ऑफ़ बांग्लादेश' में लिखते हैं, "योजना का पहला उद्देश्य था पूर्वी पाकिस्तान के दो बड़े बंदरगाहों चटगाँव और खुलना पर क़ब्ज़ा करना ताकि और पाकिस्तानी सैनिक वहाँ न उतर सकें, दूसरा लक्ष्य था उन जगहों पर क़ब्ज़ा करना जहाँ से पाकिस्तानी बल एक जगह से दूसरी जगह पर न जा सकें."
वो आगे लिखते हैं, "तीसरा उद्देश्य था पूर्वी पाकिस्तान को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँट देना ताकि भारतीय सैनिक एक-एक कर उन्हें अपने नियंत्रण में ले सकें. ढाका पर क़ब्ज़ा करने की बात सोची ज़रूर गई थी, लेकिन उसे ज़रूरत से ज़्यादा महत्वाकांक्षी मानकर छोड़ दिया गया था."
यह मानकर चला जा रहा था कि इस पूरे अभियान में भारतीय सेना को तीन सप्ताह लगेंगे.
सन् 1965 के युद्ध में भारत का अनुभव था कि युद्धविराम के अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण इस अभियान को और लंबा नहीं किया जा सकता था.
सैम मानेक शॉ ने जुलाई, 1971 में अपनी योजना पूर्वी कमान के कमांडर लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा को बता दी थी.
अरोड़ा इस योजना से सहमत थे, लेकिन उनके चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ जनरल जैकब ने इस पर अपना विरोध जताया था.
जैकब और मानेक शॉ में मतभेद
जैकब का मानना था कि ढाका पर क़ब्ज़ा करना भारतीय सेना का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए था.
जैकब अपनी किताब 'सरेंडर एट ढाका' में लिखते हैं, "लड़ाई से कुछ महीनों पहले मैंने पाकिस्तानी ठिकानों को बाईपास कर सीधे ढाका कूच करने की योजना को अंतिम रूप दिया था, लेकिन जब मानेक शॉ और केके सिंह पूर्वी कमान के मुख्यालय पर आए थे तो हमारे मतभेद खुलकर सामने आ गए थे."
वो आगे लिखते हैं, "जब केके सिंह ने अपना प्लान सामने रखा तो मैंने कहा कि ढाका पूर्वी पाकिस्तान का 'जियो-पोलिटिकल हार्ट' है. हम पूर्वी पाकिस्तान पर क़ब्ज़े की बात ढाका पर क़ब्ज़ा किए बिना नहीं सोच सकते."
जैकब के मुताबिक़, तब मानेक शॉ ने हस्तक्षेप करते हुए कहा था, "आपको नहीं लगता कि अगर हम चटगाँव और खुलना ले लेते हैं तो ढाका अपने-आप गिर जाएगा? मैंने कहा मैं इससे सहमत नहीं हूँ. मैंने फिर दोहराया कि हमारा मुख्य उद्देश्य ढाका पर क़ब्ज़ा होना चाहिए."
"इस पर मानेक शॉ ने कहा कि ढाका हमारी प्राथमिकता नहीं है. मैं इस पर क़ब्ज़ा करने के लिए अतिरिक्त सैनिक नहीं दूँगा. इस पर जनरल अरोड़ा ने अपनी रज़ामंदी दिखाई थी."
बाद में एयर चीफ़ मार्शल पीसी लाल ने अपनी आत्मकथा 'माई इयर्स विद आईएएफ़' में लिखा था-
"हम ये मानकर नहीं चल रहे थे कि हम पाकिस्तानी सेना को पूरी तरह हराकर ढाका पर क़ब्ज़ा कर पाएँगे. शुरू में लगा भी कि कुछ ऐसा ही होने जा रहा है."
"भारतीय सेना ने जैसोर पर तो 7 दिसंबर को क़ब्ज़ा कर लिया था लेकिन खुलना पर उसका क़ब्ज़ा ढाका में पाकिस्तानी सेना के हथियार डालने के बाद ही हो सका."
जब भारत ने किया युद्ध करने का फ़ैसला
1971 की लड़ाई के 50 वर्ष पूरे होने के बाद भी बहुत से पश्चिमी लेखक भारत की निर्णायक कूटनीति और मुक्ति बाहिनी को प्रशिक्षित करने का श्रेय भारत को नहीं देते, लेकिन उनमें इस बारे में एक राय है कि इस मौके पर भारत के राजनीतिक दलों के आपसी मतभेद होने के बावजूद पूरा देश एकजुट था.
अर्जुन सुब्रमण्यम अपनी किताब 'इंडियाज़ वॉर्स 1947-1971' में लिखते हैं, "शुरू में इंदिरा गाँधी ने सोचा था कि मुक्ति बाहिनी को जिस तरह की मदद और प्रशिक्षण भारत दे रहा था, वो अकेले ही अपने बूते पर पाकिस्तान की सेना को हरा पाने में सक्षम होगी."
वो आगे लिखते हैं, "लेकिन उन्होंने इस बात का अंदाज़ा नहीं लगाया था कि पाकिस्तान की सेना की निर्दयता बढ़ती चली जाएगी और भारत में आने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़ती चली जाएगी."
"जब नवंबर आते-आते भारत में पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की संख्या एक करोड़ पार कर गई और पूरी दुनिया ने इसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की तो भारत के पास पाकिस्तान से पूर्वी सीमा पर युद्ध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा."
इस लड़ाई में पाकिस्तान के सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश के रूप में नए राष्ट्र का जन्म हुआ.
कई पाकिस्तानी युद्धबंदियों ने भी स्वीकार किया कि उनके साथ भारत में अच्छा व्यवहार किया गया था. सेना मुख्यालय का आदेश था कि पाकिस्तानी सैनिकों के साथ जेनेवा समझौते के अनुसार व्यवहार किया जाए.
लेफ़्टिनेंट जनरल टॉमस मैथ्यू याद करते हैं, "आगरा में उनकी पैरा यूनिट को अपने बैरक ख़ाली कर देने के बाद टेंट में रहना पड़ा ताकि पाकिस्तानी युद्धबंदियों को वहाँ रखा जा सके. इस आदेश के बावजूद कि पाकिस्तानी युद्धबंदियों से कम-से-कम घुला-मिला जाए, मैंने युद्धबंदी कैंप का निरीक्षण करने का फ़ैसला किया."
वो बताते हैं, "मैं हाथ में एक बेंत लेकर अपने दो सैनिकों के साथ कैंप में घुसा. मुझे देख कर अधिकतर पाकिस्तानी सैनिक अपनी पलंग के बग़ल में सावधान की मुद्रा में खड़े हो गए, लेकिन पाकिस्तानी स्पेशल फ़ोर्स के कुछ सैनिक मुझे देखकर बैठे रहे."
निक्सन और इंदिरा गाँधी के बीच तनातनी
जब जनरल मैथ्यू ने इसकी वजह पूछी तो वे चुप रहे, लेकिन एक सैनिक ने हिम्मत जुटाकर कहा, "मैं क्यों सावधान की मुद्रा में खड़ा होऊँ जब मुझे पता नहीं है कि मेरी पत्नी और बच्चे पाकिस्तान में किस हाल में रह रहे हैं?"
जनरल मैथ्यू कहते हैं, "मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि मैं पता लगाकर उनकी जानकारी आपको दूँगा. मैंने उस सैनिक का विवरण लेकर दिल्ली में मिलिट्री ऑपरेशन के महानिदेशक को भेजा. कुछ दिनों बाद जब मैंने उस पाकिस्तानी सैनिक को बताया कि उसका परिवार सकुशल है तो उसके चेहरे पर मुस्कान वापस आ गई."
जैसे-जैसे संकट बढ़ा राष्ट्रपति निक्सन और उनके सलाहकार किसिंजर दोनों इंदिरा गांधी की अमेरिका की बात न मानने की नीति से काफ़ी परेशान हुए.
सातवें बेड़े के भेजे जाने का उन पर कोई असर न होना भी अमेरिकी नेतृत्व को बहुत खला.
इंदिरा गांधी की व्यावहारिक राजनीति पर पकड़ के साथ-साथ उनकी पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की पीड़ा से पूरी सहानुभूति ने उन्हें सही फ़ैसले लेने के लिए प्रेरित किया जिसकी वजह से ये लड़ाई एक न्यायसंगत लड़ाई में बदल गई.
1971 की सफलता का सबसे बड़ा श्रेय युद्ध-योजना को दिया जाता है, लेकिन इस योजना पर अमल लेफ़्टिनेंट जनरल सगत सिंह, कैप्टन स्वराज प्रकाश, ग्रुप कैप्टन वोलेन और ग्रुप कैप्टन चंदन सिंह के योगदान के बिना नहीं हो सकता था.
अर्जुन सुब्रमण्यम लिखते हैं, "अगर सगत सिंह ने अखौरा, भैरब बाज़ार और सिल्हट को बाईपास नहीं किया होता या चंदन सिंह ने एमआई हेलिकॉप्टरों के ज़रिए सैनिकों, हथियारों और तोपों को मेघना नदी के पार नहीं पहुँचाया होता या ग्रुप कैप्टेन वोलेन ने अपने पायलटों को तेजगाँव हवाई ठिकाने पर डाइव लगा कर हमला करने के लिए नहीं कहा होता या स्वराज प्रकाश और मेजर जनरल ऊबान ने करीब-करीब आधी डिवीजन भारतीय सेना को चटगाँव सेक्टर में नहीं लगाया होता तो ढाका 16 दिसंबर तक तो नहीं गिर पाता."
ख़ुफ़िया जानकारी काम आई
भारत की जीत का दूसरा बड़ा कारण था मुक्ति बाहिनी का पूरा सहयोग.
लेफ़्टिनेंट जनरल शमशेर सिंह मेहता कहते हैं, "मुक्ति बाहिनी का सबसे बड़ा योगदान था भारतीय सेना तक ख़ुफ़िया जानकारी पहुँचाना."
वो बताते हैं, "अगर हम बांग्लादेश में बिना किसी खुफ़िया जानकारी के गए होते तो पश्चिमी सेक्टर की तरह वहाँ भी हम गतिरोध में उलझ जाते."
वो कहते हैं, "लड़ाई के शुरू के चरण में मुक्ति बाहिनी की वजह से ही हमें पता होता था कि दुश्मन कहाँ है. अगर हमें वो जानकारी नहीं भी होती थी तो हम मुक्ति बाहिनी की सूचना के आधार पर उनके अगले कदम का अंदाज़ा लगा सकते थे."
1971 की पूरी लड़ाई में पाकिस्तान का रुख़ प्रतिक्रियाओं से भरा था.
जब जनरल पिंटो से पूछा गया कि क्या आपको इस बात से आश्चर्य हुआ कि पाकिस्तान ने अपनी अतिरिक्त 6 आर्मर्ड डिवीजन का इस्तेमाल उनकी 57 डिवीजन के ख़िलाफ़ नहीं किया तो उन्होंने कहा कि 'अगर उन्होंने ऐसा किया होता तो संभवत: मैं आपके सामने इस तरह बात नहीं कर रहा होता.'
इस अभियान की एक और ख़ास बात रही कि ऑपरेशन शुरू होने से छह महीने पहले भारतीय सेना ने सभी प्रशिक्षण और मूलभूत ज़रूरतों का अंदाज़ा लगा लिया था.
दूसरी तरफ़ पाकिस्तान की युद्ध की तैयारी संतोषजनक नहीं थी और वो अपनी पूरी ताक़त पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष को कुचलने में लगा रहे थे.
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान का मनोबल तोड़ा
तैयारी के लिए मिले समय में भारतीय वायुसेना ने कुछ नए हवाई ठिकाने बनाए और अपनी वायु सुरक्षा को और मज़बूत किया.
दूसरी तरफ़ 1965 की लड़ाई में ठीक-ठाक प्रदर्शन करने वाली पाकिस्तानी वायुसेना ने अपनी तैयारी में ढील बरत दी और एयर मार्शल नूर ख़ाँ के प्रयासों के बावजूद अपनी सफलता को नई ऊँचाइयों तक नहीं ले जा पाए.
एयर चीफ़ मार्शल पीसी लाल अपनी आत्मकथा 'माई इयर्स विद आईएएफ़ में लिखते हैं, "पश्चिमी मोर्चे पर भारत और पाकिस्तानी वायु सेना की ताक़त लगभग बराबर होने के बावजूद भारतीय वायु सेना ने कुल 7500 उड़ाने भरीं जबकि 1965 में 23 दिनों की लड़ाई में उसने कुल 4000 उड़ानें भरी थीं."
कराची पर नौसेना का हमला
भारतीय वायु सेना ने हाजीपीर में पाकिस्तानी आर्टिलरी ब्रिगेड और चंगामंगा जंगल में पाकिस्तानी हथियारों के भंडार पर हमला कर पाकिस्तानी वायुसेना का मनोबल तोड़ दिया.
कराची बंदरगाह के पास कियामारी तेलशोधक कारख़ाने, सिंध में सुई गैस प्लांट, मंगला बाँध और अटक तेलशोधक कारख़ाने पर बमबारी से भी भारतीय वायु सेना के दबदबे में बढ़ोतरी हुई.
भारतीय नौसेना ने जिस तरह कराची पर हमला करने के लिए मिसाइल बोट्स का इस्तेमाल किया उसकी भी किसी ने कल्पना नहीं की थी.
हमले के दौरान मिसाइल बोट के चालक दल ने आपस में रूसी भाषा में बात की ताकि पाकिस्तानी उनकी भाषा न समझ सकें.
पाकिस्तानी नौसेना आक्रामक रणनीति बनाने में असफल रही. वो भारत की एक पनडुब्बी आईएन एस खुखरी डुबा पाने में ज़रूर कामयाब रहे लेकिन विक्रांत को डुबोने आई उनकी पनडुब्बी ग़ाज़ी, विशाखापट्टनम के तट के पास खुद ही डूब गई.
सैन्य मामलों के विशेषज्ञों के बीच इस बारे में आज भी बहस होती है कि अगर जनरल मानेक शॉ ने अप्रैल में पूर्वी पाकिस्तान पर हमला करने के इंदिरा गाँधी के आदेश को मान लिया होता तो क्या हुआ होता.
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे शायद भारत को फ़ायदा हुआ होता क्योंकि तब तक पाकिस्तान की तैयारी बिल्कुल नहीं के बराबर थी.
लेकिन अर्जुन सुब्रमणियम का मानना है कि "अगर ऐसा हो जाता तो भारतीय सेना की आँख और कान का काम करने वाली मुक्ति बाहिनी की मदद उन्हें न मिल पाती. इसका मतलब ये होता कि भारत के फ़ील्ड कमांडर सूचना के अभाव में उसी तरह अँधेरे में तीर चलाते जैसा उन्होंने पश्चिमी मोर्चे पर चलाए थे."
जहाँ तक बांग्लादेश अभियान के मनोवैज्ञानिक पहलू की बात है, लड़ाई के पहले सप्ताह में ही जनरल नियाज़ी की विरोध करने की इच्छाशक्ति समाप्त हो चली थी.
तंगेल पैराड्रॉप और ढाका के गवर्नमेंट हाउस पर मिग-21 और हंटर विमानों के हमले ने नियाज़ी को मनोवैज्ञानिक रूप से तोड़कर रख दिया था.
पाकिस्तानी फ़ील्ड कमांडरों को लगने लगा था कि हार के लिए ज़िम्मेदार ठहराए जाने से बेहतर है कि वो भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दें.
लेफ़्टिनेंट जनरल शमशेर सिंह मेहता कहते हैं, "अगर सगत सिंह और चंदन सिंह न हुए होते तो ढाका भी नहीं होता. अगर पूर्वी कमान के मुख्यालय में जनरल जैकब नहीं होते तो पाकिस्तानी सेना का आत्मसमर्पण नहीं हो पाता. जहाँ सगत सिंह सैनिक मामलों में जीनियस थे, वहीं जैकब दुश्मन का दिमाग पढ़ने में माहिर थे."
1971 की लड़ाई ने युद्ध में वरिष्ठ नेतृत्व की भूमिका को रेखांकित किया था.
तीनों सेना प्रमुखों ने 30 और 40 के दशक में पैदा हुए अफ़सरों की प्रतिभा को पहचानने और लड़ाई में उन्हें महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी देने में कोई कोताही नहीं बरती थी.
मानेक शॉ ने लड़ाई से कई महीने पहले अपने साथ काम कर चुके क़ाबिल अफ़सरों लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा, मेजर जनरल जैकब, लेफ़्टिनेंट जनरल सगत सिंह और मेजर जनरल इंदर गिल को महत्वपूर्ण पदों पर बैठा दिया था.
एयर चीफ़ मार्शल पीसी लाल ने भी तेज़ अफ़सरों की पहचान कर विनायक मालसे, मैली वोलेन और चंदन सिंह को महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां दी थीं.
एडमिरल नीलकांता कृष्णन, एसएन कोहली और स्वराज प्रकाश के रूप में एडमिरल नंदा ने चुनिंदा अफ़सर चुने थे जो उनकी योजना पर अमल करने में पूरी तरह से सक्षम थे.
युवा अफ़सरों में अरुण खेत्रपाल, होशियार सिंह, निर्मलजीत सिंह सेखों, बहादुर करीम नवीना और डॉन लज़ारुस ने बहादुरी की नई मिसाल कायम की थी.
जहां तक राजनीतिक नेतृत्व की बात है इंदिरा गांधी और जगजीवन राम को युद्ध का नेतृत्व करने का कोई अनुभव नहीं था और न ही उन्हें सैनिक मामलों की कोई गहरी समझ थी.
लेकिन उन्होंने इस मामले में सैन्य बलों की बहुत मदद की कि उन्होंने उनके सामने स्पष्ट रूप से राजनीतिक लक्ष्य रखे और सेना प्रमुखों को काम करने की पूरी आज़ादी दी.
सेना प्रमुखों ने जो सलाह दी उसे एक विस्तृत रणनीति का हिस्सा बनाया गया.
राजनीतिक इच्छाशक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार लोगों के बीच समुचित तालमेल ने भारत को इस युद्ध में विजयी बनाया. (bbc.com/hindi)