राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | केंद्र ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि भारत के साथ ही दुनियाभर में तैयार की जा रही कोरोना वैक्सीन ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में पाए गए स्ट्रेन या वेरिएंट पर भी कारगर होगी। सरकार ने सभी वैक्सीन को सार्स-सीओवी-2 का मुकाबला करने के लिए कारगर बताया है।
भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर कृष्णस्वामी विजय राघवन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस स्तर पर नोवेल कोरोनावायरस के मिले हालिया वेरिएंट के संबंध में टीकों की प्रभावकारिता के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
लोग चिंतित हैं कि क्या वर्तमान वैक्सीन इस नए वेरिएंट के खिलाफ काम करेंगे या नहीं? इस पर सरकार ने आश्ववासन दिया है कि वैक्सीन प्रभावकारी रहेगी। विजय राघवन ने कहा, ऐसा कोई प्रमाण नहीं कि वैक्सीन नए कोरोना वैरिएंट के खिलाफ काम नहीं करेगी। वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम में एंटीबाडीज की वाइड रेंज बढ़ाते हैं। ब्रिटेन का वैरिएंट ज्यादा फैलने वाला है, लेकिन ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि यह बीमारी की गंभीरता बढ़ाता हो।
भारत में कोरोनावायरस की रफ्तार धीमी हुई थी कि कोरोना के नए स्ट्रेन ने दस्तक देखकर लोगों की चिंता बढ़ा दी। भारत में कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन के छह पॉजिटिव मामले मिले हैं। इससे पहले मंगलावार को भारत सरकार ने इस बात की पुष्टि की। ये वही कोरोना स्ट्रेन है, जिसने पूरे ब्रिटेन में लॉकडाउन जैसी स्थिति पैदा कर दी है।
नए कोरोनावायरस से संक्रमित छह लोग ब्रिटेन से वापस लौटे हैं। इनमें से तीन बेंगलुरू, दो हैदराबाद और एक पुणे की लैब में की गई जांच में नया स्ट्रेन पाया गया है।
यूके से लौट रहे लोगों की जीनोम स्किवेंसिंग की गई थी, जिसकी रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई है। जिसमें अलग-अलग लैब में टेस्ट किए गए सेक्शन के बारे में बताया गया।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि इन सभी व्यक्तियों को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा नामित स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में अलग से क्वांरटीन किया गया है। इसके अलावा उनके करीबी संपर्क में आए लोगों को भी क्वारंटीन किया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | भारत सरकार के विशेष अर्धसैनिक बल आईटीबीपी को छह दशक के लंबे इंतजार के बाद राष्ट्रीय राजधानी में अपना मुख्यालय बनाने के लिए भूमि आवंटित कर दी गई है। 2023 तक नए आईटीबीपी मुख्यालय भवन का निर्माण होने की उम्मीद है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) का गठन भारत-चीन युद्ध के दौरान सीआरपीएफ अधिनियम के तहत 24 अक्टूबर 1962 को किया गया था। आईटीबीपी का मुख्यालय विभिन्न सरकारी कार्यालयों की इमारत में स्थित है, मगर अभी तक अर्धसैनिक बल को अपनी खुद की समर्पित भूमि या भवन प्राप्त नहीं हो सका है।
शहरी विकास मंत्रालय के तहत भूमि और विकास प्राधिकरण द्वारा 24 दिसंबर को भूमि आवंटित की गई है। सरकार ने मथुरा रोड, नई दिल्ली में आईटीबीपी बल मुख्यालय भवन के लिए भूमि आवंटित की है, जो कि ब्लॉक आईटी पर वर्तमान आईटीबीपी मुख्यालय से लगभग दो किलोमीटर की दूर पर है। दक्षिण दिल्ली के लोधी क्षेत्र में केंद्र सरकार के कार्यालयों (सीजीओ) परिसर से इसकी दूरी लगभग दो किलोमीटर है।
आईटीबीपी के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि सरकार ने भूमि का जो टुकड़ा आवंटित किया है, वह दो भागों में है।
सूत्र ने कहा, "3.83 एकड़ का पहला हिस्सा मुख्यालय के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जबकि हरियाली विकसित करने के लिए 4.85 एकड़ की दूसरी भूमि का उपयोग किया जाएगा। भूमि का दूसरा हिस्सा अस्थायी आधार पर होगा।"
सूत्र ने कहा कि आईटीबीपी केवल भवन का निर्माण करेगी और भूमि के दूसरे हिस्से में हरियाली बढ़ाएगी, लेकिन इसकी प्रकृति में कोई अन्य बदलाव करने के लिए अधिकृत नहीं होगी।
भूमि के आवंटन के साथ, भवन विकास योजना तैयार करने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से संपर्क करने सहित तमाम प्रक्रियाएं शुरू कर दी गई हैं।
जानकारी के अनुसार, टेंडर पूरा होते ही मुख्यालय का निर्माण कार्य तीन-चार महीनों के भीतर शुरू कर दिया जाएगा। बताया गया है कि भूमि के आवंटन के दो साल के भीतर निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
आईटीबीपी के महानिदेशक (डीजी) एस. एस. देसवाल ने बल परिवार को दिए नववर्ष के बधाई संदेश में कहा है कि जल्द ही आईटीबीपी को नया मुख्यालय मिलेगा।
देसवाल ने कहा, "मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि सरकार ने मथुरा रोड स्थित मुख्यालय बल के लिए आईटीबीपी को जमीन आवंटित कर दी है।"
उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि बल के मुख्यालय भवन का निर्माण बहुत जल्द शुरू हो जाएगा और एक बार जब यह पूरा हो जाएगा, हमारी सभी शाखाएं वहां से कार्य कर सकेंगी।"
95,000 जवानों के साथ मजबूत आईटीबीपी बल देश के सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में से एक है, जिसके पास 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा की रक्षा करने की जिम्मेदारी है। इसके साथ ही बल अन्य सौंपी गई सुरक्षा भूमिकाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
अपने मूल कार्यो के अलावा आईटीबीपी ने इस साल फिट इंडिया मिशन में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। आईटीबीपी ने मिशन 200 किलोमीटर और मिशन 100 किलोमीटर जैसे जन जागरूकता के सफल अभियान आयोजित किए हैं।
आईटीबीपी कर्मियों ने कोविड-19 प्रबंधन में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | भारत कोरोनोवायरस वैक्सीन की नियामक मंजूरी की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि देश अभी एक ऐसे स्थान पर है जहां 'कुछ दिनों' में टीके की उम्मीद की जा सकती है। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने कहा, "हम उस स्थान पर हैं, जहां हम कुछ दिनों में वैक्सीन की उम्मीद कर सकते हैं। हमें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिन बेहतर होंगे।"
भारत में वर्तमान में आठ कोविड-19 वैक्सीन कैंडिडेट हैं, जिनमें तीन स्वदेशी टीके शामिल हैं। ये टीके क्लिनिकल परीक्षणों के विभिन्न चरणों में हैं, जिसे जल्द ही मंजूरी मिल सकती है।
केंद्र सरकार ने पहले चरण के अंतर्गत लगभग 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की योजना बनाई है। इसके तहत एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ, 2 करोड़ फ्रंटलाइन और आवश्यक वर्कर्स को टीके लगाए जाएंगे। इसके साथ ही इस चरण में 27 करोड़ बुजुर्ग भी शामिल हैं, जिसमें से अधिकतर 50 वर्ष से उपर हैं और किसी बीमारी से पीड़ित हैं। (आईएएनएस)
जमुई (बिहार), 29 दिसंबर | बिहार के जमुई जिले के चंद्रदीप थाना क्षेत्र में मंगलवार को अपराधियों ने एक पूर्व मुखिया की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या का कारण आपसी रंजिश बताया जा रहा है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि नोनी गांव निवासी और कोल्हाना पंचायत के पूर्व मुखिया निरंजन सिंह मंगलवार को अपने गांव में घूम रहे थे कि दो की संख्या में आए अपराधियों ने उन्हें गोली मार दी। गोली चलने की आवाज सुनकर पहुंचे लोग घायल अवस्था में उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जा रहे थे कि रास्ते में उनकी मौत हेा गई।
अनुमंडल पुलिस अधिकाारी राकेश कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया इस घटना के पीछे पुरानी राजनीतिक रंजिश की आशंका बताई जा रही है। पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर प्रत्येक कोणों से मामले की जांच कर रही है।
घटना के बाद से ही गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है। अगले साल बिहार में पंचायत चुनाव होना है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आईआईटी-हैदराबाद में ऑटोनोमस नेविगेशन टेस्टबेड (जमीन और हवा में चलने वाले ऑटोनोमस वाहनों) टेक्नोलॉजी विभाग का उद्घाटन किया। इस तकनीक पर बात करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसकी मदद से कृषि एवं परिवहन के क्षेत्र में इस्तेमाल की जा रही कई पारंपरिक तकनीकों को भी अपग्रेड किया जा सकेगा। कृषि क्षेत्र में हवाई वाहनों के उपयोग से हम बेहतर फसल भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा जमीन पर चलने वाले ऑटोनोमस वाहन सुरक्षित परिवहन और सैन्य निगरानी को मजबूत करने में भी मदद कर सकते हैं।
यह सिस्टम अगली पीढ़ी की मोबिलिटी के लिए महत्वपूर्ण है। भारत सहित कई देशों के लिए प्राथमिक तकनीकी लक्ष्यों में से एक है।
उन्होंने कहा कि जमीन और हवा में चलने वाले ऑटोनोमस वाहनों का विकास भारत को न सिर्फ विश्वस्तर पर तकनीक में अग्रणी पंक्ति में खड़ा करेगा, बल्कि यह व्यवसाय और रोजगार के नए अवसर खोलेगा।
डॉ. निशंक ने कहा, "भारत कई औद्योगिक क्षेत्रों जैसे कृषि, सर्वे, सर्विलांस, ऊर्जा आदि में हवा और जमीन पर चलने वाले ऑटोनोमस वाहनों में काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। फिलहाल यह तकनीकी बाहर से आयात की जा रही है। इस तकनीकी में वैश्विक मार्गदर्शक बनने के लिए भारत को इसका विकास देश में ही करना होगा। इसीलिए सरकार इसको भारत में ही विकसित करने के लिए उत्साहित है। इसी लक्ष्य के साथ सरकार ने आईआईटी-हैदराबाद को नेशनल मिशन ऑन इंटर डिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स के तहत तिहान प्रदान किया है।
आईआईटी-हैदराबाद में स्थापित तिहान एक बहु-विभागीय पहल है। इसमें प्रतिष्ठित संस्थानों और उद्योग से सहयोग और समर्थन के साथ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, गणित और डिजाइन के शोधकर्ता शामिल हैं।
ऑटोनोमस नेविगेशन और डाटा एक्वीजीशन सिस्टम्स के विशिष्ट डोमेन क्षेत्र में इंटर-डिसिप्लिनरी तकनीकियों के अनुसंधान और विकास पर ध्यान देने के साथ, यह केंद्र जमीन और हवाई अनुप्रयोगों के लिए मानव रहित ऑटोनोमस वाहनों की तकनीकी में आने वाली चुनौतियों का भी समाधान करेगा।
इस परियोजना के हिस्से के रूप में विकसित की जा रही 'मल्टी-सेंसरी अवधारणा' से संबंधित मानक संचालन प्रक्रिया नियमों और भारतीय परि²श्य में विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए संचालन नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण मदद करेगी।
उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि आईआईटी-हैदराबाद ने इतनी बड़ी योजना को शुरू करने की पहल की। इस तकनीकी इनोवेशन हब में हवाई और जमीनी उपयोग के मामलों के लिए विकसित ऑटोनोमस नेविगेशन और डाटा एक्वीजीशन तकनीकियों को मान्य करने के लिए एक अत्याधुनिक परीक्षण सुविधा का निर्माण किया जाएगा। (आईएएनएस)
दिल्ली/तिरुवनंतपुरम, 29 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी स्थित पीएमओ में केरल के जैकोबाइट चर्च के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इसके एक दिन पहले ही मोदी ने ऑर्थोडॉक्स चर्च के एक धड़े से मुलाकात की थी। मिजोरम के गवर्नर पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने प्रधानमंत्री के साथ बैठक आयोजित करने में मदद की है। बताया जा रहा है कि मोदी ने उन्हें केरल के मालंकारा ऑर्थोडॉक्स और जैकोबाइट चर्च के गुटों के बीच मध्यस्थता करने को कहा है। मोदी ने उन्हें दोनों गुटों के बीच चल रहे मुद्दों का हल निकालने को कहा है।
जैकोबाइट गुट के नेताओं ने प्रधानमंत्री से शिकायत की कि ऑर्थोडॉक्स चर्च के अधिकारी चचरें के अधिग्रहण की होड़ में लगे हैं। उन्होंने इस मामले में उनके हस्तक्षेप का आग्रह किया।
जैकोबाइट गुट के नेताओं ने मोदी को यह भी बताया कि वे केरल में कई क्षेत्रों में बहुमत में हैं, लेकिन ऑर्थोडॉक्स चर्च द्वारा उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से गुटों के बीच विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने में मदद करने का आग्रह किया।
नेताओं ने बाद में मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री ने पिल्लई को चर्चाओं को आगे बढ़ाने और दोनों पक्षों को एक सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने में मदद करने के लिए निर्देशित किया है।
जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स गुट केरल में चर्चो और अन्य संस्थानों के नियंत्रण के लिए एक-दूसरे के सामने हैं उनमें गतिरोध बना हुआ है।
3 जुलाई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने केरल मालंनकारा चर्च के ऑर्थोडॉक्स गुट को चर्च, पैरिश और संस्थानों सहित सभी संपत्तियों का अधिकार देने का फैसला सुनाया था।
18 नवंबर, 2017 को जैकोबाइट गुट द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया और इस तरह से ऑर्थोडॉक्स गुट को 1,100 चर्चो और परगनों सहित संपत्तियों पर अधिकार मिलने का रास्त साफ हुआ।
शीर्ष अदालत के 1958 और 1995 में पहले के फैसले भी ऑर्थोडॉक्स चर्च गुट के पक्ष में गए थे।
इससे पहले पिल्लई ने भी दोनों गुटों में समाधान निकालने की पहल की थी। इसके बाद उन्होंने अब दोनों गुटों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक की व्यवस्था की।
इस बीच, पिल्लई ने नई दिल्ली में मिजोरम भवन में जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रतिनिधियों के लिए दोपहर के भोजन का आयोजन किया। दोनों गुटों के नेताओं ने दोपहर के भोजन में भाग जरूर लिया, मगर आपस में नजरें तक नहीं मिलाईं।
पिल्लई ने फोन पर आईएएनएस को बताया, "मैं इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहा हूं। किसी को दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित करना इस पहल का हिस्सा नहीं है। लेकिन निश्चित रूप से, मुझे खुशी है कि दोनों गुट के नेताओं ने लंच बैठक में भाग लिया।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | दिल्ली में अभी अगले कुछ और महीने स्कूल खुलने के आसार नहीं हैं। इसी के चलते अब दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 8 लाख बच्चों को मिड-डे-मील योजना के तहत सूखा राशन देगी। जब तक स्कूल फिर से नहीं खुल जाते, तब तक यह योजना जारी रहेगी। फिलहाल 6 महीने तक बच्चों को इस प्रकार का सूखा राशन दिया जाएगा। सीएम अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को मंडावली में स्कूली बच्चों को सूखे राशन की किट बांटकर इसकी शुरुआत की। इस दौरान केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली सरकार के स्कूलों में आज भी वही शिक्षक और बच्चे हैं, लेकिन माहौल बदल गया है। अब हमारे बच्चों के आईआईटी और मेडिकल में एडमिशन हो रहे हैं। दुनियाभर के लोग दिल्ली के स्कूल देखने आते हैं। यह दिल्ली वालों के लिए गर्व की बात है। कोरोना काल में भी हमारे स्कूलों के 94 प्रतिशत बच्चे अभी भी ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "मंडावली का सरकारी स्कूल बहुत ही शानदार है। पूरे देशभर में इस तरह के सरकारी स्कूल देखने को नहीं मिलते हैं। पहले स्कूलों की दशा काफी खराब होती थी। स्कूल टूटे-फूटे होते थे, टूटी-फूटी दीवारें होती थीं। लेकिन अब माहौल बदल गया है। वही अध्यापक आज कमाल करके दिखा रहे हैं। हमारे बच्चों के आईआईटी, डॉक्टरी, वकालत में दाखिले हो रहे हैं। ये स्कूल दिल्ली के लोगों के लिए बड़े गर्व और शान की बात बनते जा रहे हैं।"
सीएम केजरीवाल ने कहा कि पिछले 9 महीने में सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हुई है। बच्चे कमरे में बंद होकर नहीं रह सकते, बच्चों के अंदर ऊर्जा होती है। बच्चे इधर उधर उछल-कूद करना चाहते हैं। स्कूल जाना चाहते हैं और खेल कूद करना चाहते हैं, लेकिन सब चीजें बंद करनी पड़ीं। हमारे 94 प्रतिशत बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं अभी भी चल रही हैं।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हमने पहले कोशिश की कि मिड डे मील का जो पैसा बनता है, वह अभिभावकों के खाते में डाल दिया जाए, ताकि बच्चों को अच्छा भोजन मिलता रहे। फिर कई अभिभावकों ने कहा कि पैसा तो देते हैं, लेकिन कहीं भी खर्च हो जाता है। इसकी जगह अगर सीधे राशन दे दिया जाए, तो अच्छा रहेगा। ऐसे में राशन देने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। हर बच्चे के मुताबिक, जितना राशन बनता है, उतना 6 महीने का राशन हर परिवार को दे दिया जाएगा। बच्चों के पौष्टिक आहार में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आनी चाहिए।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर| दिल्ली पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है, जो प्रतिष्ठित कंपनियों में नौकरी देने का वादा करके लोगों को ठग रहा था। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। कोविड-19 के बीच नौकिरयों के संकट के समय आरोपियों ने अच्छी नौकरी की संभावनाओं के साथ मोटे वेतन का लालच देकर लोगों को ठगा।
पुलिस ने जांच के सिलसिले में दक्षिणी दिल्ली के महरौली इलाके में छापेमारी की। केहर सिंह एस्टेट, पश्चिमी मार्ग लेन नंबर 2, सैदुल्लाजाब पर खोजबीन की गई। यहां चार लड़कियों सहित कुल नौ आरोपी व्यक्तियों को मौके से गिरफ्तार किया गया, जबकि दो लोगों को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने पांच लैपटॉप, पांच मोबाइल फोन और आठ सिम कार्ड भी जब्त किए हैं।
आरोपी व्यक्ति लोगों से नौकरी प्रदान करने के लिए ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से पंजीकरण शुल्क के तौर पर 2200 रुपये लेते थे।
दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी अतुल ठाकुर ने कहा, "प्रारंभिक पूछताछ के दौरान यह पाया गया है कि वे बेरोजगार युवाओं को टेलीफोन कॉल करके संपर्क करते थे और विभिन्न कंपनियों में नौकरी देने का वादा करके उन्हें प्रलोभन देते थे। पंजीकरण राशि प्राप्त करने के बाद उन्होंने नकली साक्षात्कार पत्र और नियुक्ति पत्र भेजे और अतिरिक्त राशि एकत्र की।"
यह पाया गया कि फर्जी नियुक्ति पत्र भेजने से पहले वे उम्मीदवार के बजट के आधार पर 10,000 से 40,000 रुपये के बीच कहीं भी एकत्र करते थे।
पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक, आशीष ने मोदीपुरम में सोभित विश्वविद्यालय से सूचना एवं प्रौद्योगिकी विषय में बीटेक किया है और तालाबंदी से पहले एक बैंक में काम कर रहा था। अन्य आरोपी व्यक्ति किसी भी तकनीकी शिक्षा से संबंध नहीं रखते हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 29 दिसंबर| उत्तर प्रदेश के मंत्री कपिल देव अग्रवाल के भाई के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया गया है। राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल के भाई ललित अग्रवाल के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
ललित अग्रवाल और उनके सहयोगियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें लगाकर राज्य भर में एक 'स्वदेशी' ब्रांड के मोबाइल फोन के लॉन्च के लिए होर्डिंग्स लगाए थे।
होर्डिग्स पर फोटो और फोन को इस तरह से दिखाया गया था कि मानो सरकार 'स्वदेशी' मोबाइल फोन लॉन्च करने की योजना बना रही है।
गौरतलब है कि कपिल देव अग्रवाल और अन्य मंत्री भी फोन लॉन्चिंग में शामिल थे।
फोन को बनाने वाली कंपनी ने ललित अग्रवाल को एक बड़ी रकम के बदले विज्ञापन दे कर इसे प्रमोट करने के लिए कहा।
ललित अग्रवाल ने होर्डिग्स के माध्यम से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में फोन का विज्ञापन किया, लेकिन फोन बाजार में नहीं आया।
अब यह संदेह किया जा रहा है कि कंपनी का इरादा सस्ती दर पर सरकार से भूमि और अन्य सुविधाएं लेना था।
कंपनी के सीईओ दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी के फेसबुक प्रोफाइल से पता चलता है कि वह उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले से है।
सुल्तानपुर के भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी ने न केवल प्रचार में भाग लिया, बल्कि दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी की प्रशंसा में ट्वीट भी किया।
कपिल देव अग्रवाल ने ट्विटर के माध्यम से फोन स्वदेशी होने के बारे में भी कहा।
जब मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंचा, तो आनन-फानन में लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।
पुलिस अधिकारियों ने प्राथमिकी दर्ज होने की पुष्टि की है लेकिन आगे कोई जानाकरी देने से इनकार कर दिया। (आईएएनएस)
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लखनऊ, 29 दिसंबर| नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव के समक्ष सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस दौरान अखिलेश ने ऐलान किया कि सपा की सरकार बनने पर सीएए व एनआरसी के विरोध में आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। अखिलेश ने पार्टी कार्यालय में सुमैया राना और गोंडा से बसपा के सांसद प्रत्याशी रहे मसूद आलम को सपा की सदस्यता दिलाई। सुमैया राना सीएए के खिलाफ लखनऊ के घंटाघर पर मोर्चा खोलने के बाद सुर्खियों में आई थीं। अखिलेश ने ऐलान किया कि यूपी में 2022 में सपा की सरकार बनने पर नागरिकता संशोधन कानून व एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर दर्ज किए गए मुकदमे वापस लिए जाएंगे।
इस मौके पर आयोजित पत्रकार वार्ता में अखिलेश ने कहा, "वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक बदलाव होगा। भाजपा सरकार जब तक नहीं जाएगी, तब तक लोकतंत्र नहीं बच सकता। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा छोटे दलों के लिए दरवाजे खुले रखेगी। सपा लगातार छोटे दलों को जोड़ रही है। भाजपा सरकार विरोध में उठने वाली हर आवाज को दबाने के लिए झूठे मुकदमे लगा रही है।"
उन्होंने कहा, "नया कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारंट है। किसान आंदोलन में सपा ने लगातार सक्रिय भूमिका निभाई है। देश में किसी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर इतने मुकदमे नहीं दर्ज हुए, जितने सपा नेताओं पर आंदोलन के दौरान लगे। हम किसानों के लिए एक्सप्रेसवे के किनारे जो मंडियां बना रहे थे, वो इस सरकार ने बंद करवा दी।"
उन्होंने मांग की है कि किसानों को दोगुनी आय के बराबर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए। बसपा से निष्कासित दो नेताओं ने भी मंगलवार को समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। इनमें सांसद प्रत्याशी मसूद खां व पूर्व विधायक रमेश गौतम हैं। अखिलेश ने इनके करीब अपने 200 समर्थकों को भी सपा ज्वाइन कराई। (आईएएनएस)
आपके फोन में वाट्सऐप होना उतना ही स्वाभाविक है जितना आपके पास स्मार्टफोन होना. वाट्सऐप का नाम सुनकर दिमाग में जो बात आती है वो है मैसेंजर. आपके हिसाब से वाट्सऐप का इस्तेमाल चैटिंग के लिए होता है फिर चाहे वो टेक्स्ट चैट हो या ऑडियो या फिर वीडियो. चैटिंग के अलावा वाट्सऐप में कुछ ऐसे ट्रिक्स छुपे हैं जिनके चलते आपको दूसरे ऐप डाउनलोड करने से छुटकारा मिल सकता है. जानिए क्या हैं ये ट्रिक्स जो आपकी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा कर सकती हैं…
वाट्सऐप को वीडियो कटर की इस्तेमाल किया जा सकता है. जब आप वाट्सऐप पर किसी फ्रेंड को वीडियो भेजने के लिए वीडियो फाइल अपलोड करते हैं तो ऐप की विंडो के ऊपरी हिस्से में वीडियो की स्लाइड्स दिखाई देती हैं. आप चाहें तो अपने हिसाब से स्लाइड्स को वीडियो से हटा सकते हैं. हालांकि वीडियो सिर्फ शुरुआत या अंत से ही कट किया जा सकता है, बीच के हिस्से को कट करने का विकल्प वाट्सऐप में नहीं है.
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वीडियो एंड इमेज एडिटर
वाट्सऐप वीडियो और फोटो भेजने के वक़्त फाइल को एडिट करने की सुविधा मुहैया कराता है. ध्यान देने वाली बात यह है कि एडिटिंग सिर्फ वीडियो और फोटो की अपलोडिंग के दौरान ही की जा सकती है. बतौर एडिटिंग आप इमेज क्रॉप या फिर फाइल में टेक्स्ट और डूडल जोड़ सकते हैं.
इमेज रिसाइजर
जिस तरह से बेहतरीन मेगापिक्सल कैमरे वाले स्मार्टफोन आज के चलन में हैं, इमेज साइज का बढ़ना आम बात है. तिस पर अगर आप डाटा सेव करना चाहते हैं या किसी फॉर्म को भरने के लिए कम साइज की फोटो की जरूरत है तो बजाय कोई इमेज रिसाइजिंग ऐप डाउनलोड करने के, आप उस इमेज को वाट्सऐप के किसी कांटेक्ट को भेज सकते हैं. वाट्सऐप ऑटोमेटिकली इमेज की साइज को कम करके आगे फॉरवर्ड करता है.
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लोकेशन फाइंडर
वाट्सऐप हमें लोकेशन शेयर करने का ऑप्शन देता है. ऐसे में कभी आप ऐसी जगह पर पहुंच जाएं जहां के बारे में आपको ज्यादा पता न हो, और आप किसी दूसरे व्यक्ति पर भरोसा न कर पाएं, तो आप वाट्सऐप के लोकेशन फीचर का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह फीचर आपकी करेंट लोकेशन तो बताता ही है साथ में आसपास की नामी जगहों की जानकारी भी आपको देता है.
लिंक चेकर
वाट्सऐप ने एक फीचर लांच किया था, जिसके मुताबिक अगर आपको मैसेज में कोई सस्पीशियस लिंक आती है तो उसका टेक्स्ट लाल रंग का दिखता है. हालांकि यह फीचर पूरी तरह से संदिग्ध लिंक पहचानने में समर्थ नहीं है. इस फीचर की मदद से सिर्फ वाट्सऐप ही नहीं बल्कि दूसरे ऐप पर आए फेक लिंक्स से भी बचा जा सकता है. आपको बस कहीं भी आए लिंक को कॉपी करके वाट्सऐप चैट पर पेस्ट करना है. फेक लिंक खुद ब ख़ुद लाल रंग की हो जाएगी.
वीडियो टू जिफ कन्वर्टर
वाट्सऐप में किसी को वीडियो मैसेज भेजते वक़्त, वीडियो फाइल को GIF फाइल में बदलने का ऑप्शन होता है. इस तरीके से आप किसी भी वीडियो को GIF में बदलकर अपने फोन में सेव और दूसरे प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल कर सकते हैं. (tv9hindi.com)
हैदराबाद, 29 दिसंबर तेलुगू राज्यों -- तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सार्स-सीओवी-2 के दो नए म्यूटेंट का पता चला है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस बारे में मंगलवार को चेतावनी दी। स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को कहा किएक मामला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में पाया गया और दूसरा पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश में पाया गया।
दोनों 32 वापस आने वाले उन यात्रियों में शामिल थे जो हाल ही में पॉजिटिव पाए गए थे। जीनोम अनुक्रमण के लिए उनकी रिपोर्ट को सेंटर फॉर सेल्युलर और मोल्यूकुलर बॉयोलोजी (सीसीएमबी) में भेजा गया था।
दोनों ब्रिटेन में पाए गए कोरोना के नए प्रकार से संक्रमित पाए गए हैं, जिसके बारे में कहा गया है कि यह अधिक संक्रामक है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि दोनों व्यक्तियों को स्वास्थ्य सुविधाओं में आइसोलेशन में एक अलग कमरे में रखा गया है।
कुल मिलाकर, ब्रिटेन से तेलंगाना और आंध्रपेदश लौटने वाले क्रमश: 21 और 11 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे।
अधिकारियों ने कहा कि ब्रिटेन से वापस आए सभी लोगों की स्वास्थ्य स्थिति स्थिर है। लौटे लोगों में से अधिकांश में रोग के कोई लक्षण नहीं हैं।(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 29 दिसंबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि भारत ने मजबूती से कोरोनावायरस महामारी का सामना किया है, इसलिए हम इस महामारी से उबर पाने में सक्षम हुए हैं। आरएसएस प्रमुख ने कोझिकोड में 'केसरी भवन' का उद्घाटन करते हुए कहा, "अगर विश्वास और आस्था है, तो किसी भी संकट से लड़ा जा सकता है और आरएसएस ने कई अवसरों पर यह साबित किया है।"
उन्होंने कहा कि लोगों को जहां तक हो सकेसमाज का समर्थन करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज कोरोना चुनौती का सामना करने के लिए उठ खड़ा हुआ और इस पर काबू पाया।
भागवत ने कहा कि मलयालम में आरएसएस के मुखपत्र केसरी ने जो स्तर हासिल किया, वह संगठन से जुड़े कई लोगों के बलिदान और कड़ी मेहनत का नतीजा है।
केसरी भवन, आरएसएस के मलयालम मुखपत्र 'केसरी' के मुख्यालय के रूप में कार्य करेगा।
भागवत बुधवार को यहां राजभवन में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात करेंगे और आरएसएस के राज्य पदाधिकारियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। वह 31 दिसंबर को नागपुर के लिए रवाना होंगे। (आईएएनएस)
चेन्नई, 29 दिसंबर | तमिलनाड़ु में ब्रिटेन से लौटे एक व्यक्ति में कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन मिला है। मंगलवार को स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन ने इसकी जानकारी दी है। यहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने ब्रिटेन से लौटने वाले यात्रियों के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि उन्होंने इस शख्स के बारे में बात की, जो इस वक्त ब्रिटेन में फैले कोरोनावायरस के नए वेरिएंट से संक्रमित है। राधाकृष्णन ने बताया कि मरीज को अलग-थलग रखा गया है और उसका इलाज चल रहा है।
स्वास्थ्य सचिव ने आगे बताया कि नोवेल कोरोनावायरस की चपेट में आए अन्य व्यक्तियों में 17 ब्रिटेन से लौटे हैं और 16 इनके संपर्क में आए व्यक्ति हैं।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर| भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि डॉ. भीमराव आंबेडकर समान आचार संहिता चाहते थे। डॉ. आंबेडकर महिलाओं की बराबरी का हक चाहते थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस पर डॉ. आंबेडकर की उपेक्षा करने का भी आरोप लगाया। दुष्यंत कुमार गौतम का समान आचार संहिता को लेकर बयान ऐसे समय में आया है, जब देश में जोरशोर से सभी धर्मों के लिए समान कानून लागू करने की मांग उठ रही है। संघ परिवार से जुड़े संगठन भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, डॉ भीमराव अंबेडकर जी धारा 370 नहीं चाहते थे, वो समान आचार संहिता चाहते थे, महिलाओं को बराबरी का हक चाहते थे। कांग्रेस डॉ आंबेडकर जी से इतना द्वेष रखती थी कि उन्हें भारत रत्न मिले इसके लिए गैर कांग्रेस सरकार का इंतजार करना पड़ा।
भाजपा के राज्यसभा सांसद ने दलित छात्रों की छात्रवृत्ति में गड़बड़ी रोकने के लिए मोदी सरकार की ओर से उठाए गए डीबीटी जैसे कदम की चर्चा की। उन्होंने कहा, केंद्र में भाजपा सरकार आने से पहले करीब 50 लाख नकली छात्र पकड़े गए थे। फर्जी नाम पर छात्रवृति ले ली जाती थी और दलितों को इसका लाभ नहीं मिलता था। आज डीबीटी के माध्यम से छात्रों को पूरी छात्रवृति मिलेगी।
दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा, अभी पंजाब में जब हमने छात्रवृत्ति दी थी तो 2019 में वो 303.92 करोड़ रुपये थी। 18 दिसंबर को उन्होंने वहां से 248 करोड़ रुपये निकाले। उसमें से 39 करोड़ रुपये की पेमेंट का दस्तावेज वहां अभी तक नहीं मिला है। जिससे साबित होता है कि बहुत बड़ा घोटाला छात्रवृत्ति में किया गया है। (आईएएनएस)
आगरा, 29 दिसंबर| उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित फतेहाबाद में मंगलवार को एक तेज रफ्तार डंपर ने कार को टक्कर मार दी। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई। फतेहाबाद थाना के प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि मामला आगरा जनपद के डौकी थाना क्षेत्र के कुंडौल का है। पेट्रोल पंप से तेल भरवाने के बाद एक कार निकल रही थी इसी दौरान आगरा की तरफ से आ रहे तेज रफ्तार डंपर ने कार को टक्कर मार दी। हादसे में कार में सवार तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और घायल को उपचार के लिए भेजा है। मरने वाले कुंडौल क्षेत्र के बताए गए हैं। इस घटना में एक साइकिल सवार भी चपेट में आ गया जो गंभीर रूप से घायल हुआ है।
पुलिस टीम ने राहत बचाव शुरू किया। इस दौरान कार में फंसे शवों को बाहर निकालने में पुलिस को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। कार को गैस कटर से काटा गया। करीब दो घंटे के बाद शवों को बाहर निकाला गया।
पुलिस ने बताया कि मृतकों की शिनाख्त हो गयी है। ये सभी कुंडौल के रहने वाले थे। वहीं, साइकिल सवार पानी लेने जा रहा था। उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। इसके अलावा अज्ञात कैंटर ड्राइवर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | देश की शीर्ष अदालत ने करीब चार सौ नब्बे साल पुराने अयोध्या विवाद में बीते साल नौ नवंबर को अपने फैसले में कहा कि अदालत आस्था नहीं बल्कि सबूतों के आधार पर फैसले सुनाती है। मामला मंदिर-मस्जिद से जुड़ा था इसलिए सवाल आस्था का भी था, लेकिन अदालत ने 40 दिनों की नियमित सुनवाई के दौरान किस प्रकार इतने पुराने मामले में साक्ष्यों की जांच की और किस प्रकार सदियों पुराने विवाद का समाधान निकाला, इसे टीवी पत्रकार प्रभाकर मिश्र ने इतिहास के आईने में बड़ी रोचकता के साथ कहानी के अंदाज में अपनी किताब 'एक रूका हुआ फैसला' में पेश किया है। किताब में यह काफी रोचक जिक्र है कि शीर्ष अदालत के फैसले में पैराग्राफ '786' में मुस्लिम पक्ष का विवादित स्थल पर कब्जे का दावा साबित नहीं होने का जिक्र है। अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के सर्वसम्मत 929 पृष्ठों के फैसले में कुल 806 पैराग्राफ हैं जिनमें 786वें पैराग्राफ में अदालत ने विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष के कब्जा होने के दावे की विस्तार से समीक्षा की है और यही पैराग्राफ मामले में फैसले का मुख्य आधार है।
इसी तरह कई अन्य रोचक तथ्यों व प्रसंगों का इस किताब में उल्लेख किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट को एक अहम सबूत माना गया है। एएसआई की रिपोर्ट के साक्ष्यों की महत्वपूर्ण जानकारी भी काफी दिलचस्प है।
किताब में अयोध्या विवाद मामले के संबंध में कई ऐसी जानकारी है जो पाठकों का रुचि बढ़ाती है। मसलन, दुनिया जिस विवाद को श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के नाम से जानती है, सुप्रीम कोर्ट में यह मुकदमा एम सिद्दिकी बनाम महंत सुरेश दास व अन्य के नाम से लड़ा गया। मामले में निचली अदालतों से शीर्ष अदालत तक मुकदमे के तमाम महत्वपूर्ण पहलुओं और पक्षकारों का विवरण भी क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
अयोध्या विवाद को इतिहास के आईने में पेश करते हुए लेखक ने मामले में चली सुनवाई के दौरान हिंदु पक्ष और मुस्लिम पक्ष की तरफ से दी गई दलीलों के अहम पहलुओं को इस किताब में समेटने की कोशिश की है। मसलन, हिंदु और मुस्लिम दोनों पक्षों में अंतर्विरोध का जिक्र। लेखक बताते हैं कि ऐसा नहीं था कि कोर्ट में हिंदु पक्ष ही आपस में लड़ रहे थे। मुसलमानों के बीच का शिया-सुन्नी विवाद भी अयोध्या मामले में दिखता रहा।
अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई के दौरान देश में चली सियासत के कारण टलती रही सुनवाई और इस दौरान हुई बयानबाजी भी जिक्र 'एक रूका हुआ फैसला' में किया गया है। किताब में झांसी की रानी का निमोर्ही अखाड़ा से संबंध का रोचक जिक्र है। वहीं, मामले मंे पक्षकार हाशिम अंसारी और महंत रामचंद्र दास की मित्रता को भी दिलचस्प तरीके से पेश किया गया है।
बीते डेढ़ दशक से सुप्रीम कोर्ट की रिपोटिर्ंग कर रहे प्रभाकर मिश्र अयोध्या विवाद पर आए फैसले से पहले मामले में हुई सुनवाई के चश्मदीद रहे हैं। कानून के छात्र रहे मिश्र ने मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का गहराई से अध्ययन कर उसके महत्वपूर्ण व रोचक पहलुओं को अपनी किताब में कहानी की तरह पेश करने की कोशिश की है।
सर्वोच्च न्यायालय में अयोध्या मामले की चली आखिरी 40 दिनों की सुनवाई और उसके बाद आए फैसले पर आधारित किताब 'एक रुका हुआ फैसला' पेंगुइन प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। किताब में सरल शब्दों में मुकदमे से जुड़ी जानकारी को कहानी के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश काफी सराहनीय है।
किताब का नाम: एक रुका हुआ फैसला
लेखक: प्रभाकर मिश्र
प्रकाशन: पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया
मूल्य: 250 रुपये
समीक्षक: प्रमोद कुमार झा (आईएएनएस)
टीआरपी घोटाले की जांच कर रही मुंबई पुलिस ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में दावा किया है कि टीवी पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने अपने चैनलों की रेटिंग बढ़ाने के लिए बार्क के पूर्व सीईओ को लाखों रुपये दिए थे.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी का लिखा-
टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) घोटाले की जांच कर रही मुंबई पुलिस ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में लिखित दावा किया है कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी पार्थ दासगुप्ता को "लाखों रुपये" बतौर रिश्वत दी थी. मुंबई पुलिस जो कि कथित टीआरपी घोटाले की जांच कर रही है उसने दासगुप्ता को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया था. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक दासगुप्ता की हिरासत पर सुनवाई के दौरान पुलिस ने कहा, "उन्होंने रिपब्लिक टीवी की टीआरपी बढ़ाने के लिए के लिए अर्नब के साथ साजिश की."
पुलिस ने अपने रिमांड नोट में कोर्ट को बताया कि दासगुप्ता ने बार्क के एक और पूर्व बड़े अधिकारी के साथ मिलकर रिपब्लिक टीवी की टीआरपी बढ़ाने के लिए हेरफेर की और वे इस पूरे घोटाले के "मास्टरमाइंड" हैं. पुलिस का यह भी कहना है कि दासगुप्ता ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और रिपब्लिक भारत और रिपब्लिक टीवी (अंग्रेजी) की टीआरपी अवैध तरीके से बढ़ाई. दासगुप्ता जून 2013 से नवंबर 2019 के बीच बार्क के सीईओ थे.
कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक "अर्नब ने रिपब्लिक टीवी की टीआरपी बढ़ाने के लिए दासगुप्ता को लाखों रुपये दिए और इन पैसों से दासगुप्ता ने महंगी चीजें खरीदीं." पुलिस ने यह दावा करते हुए पूर्व सीईओ की हिरासत को और अधिक बढ़ाने की मांग की, जिससे यह जांच की जा सके कि इस तरह के और भुगतान किए गए थे या नहीं. पुलिस की मांग के बाद कोर्ट ने उनकी रिमांड 30 दिसंबर तक बढ़ा दी है.
यह पहला मौका है जब पुलिस ने अर्नब गोस्वामी की कथित भूमिका का जिक्र टीआरपी घोटाले में किया है. हालांकि रिमांड नोट में "रिपब्लिक ओनर्स" लिखा गया है और स्पष्ट तौर पर गोस्वामी का नाम नहीं लिखा गया है. गोस्वामी ने इस पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है.
इससे पहले अर्नब गोस्वामी 2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उसकी मां की आत्महत्या के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया था. इस मामले की जांच महाराष्ट्र सीआईडी कर रही है.
मानवाधिकार समूहों के विरोध के बावजूद बांग्लादेश ने करीब 1,000 रोहिंग्या शरणार्थियों के दूसरे समूह का पुनर्वास एक सुदूर द्वीप पर शुरू कर दिया है.
बंगाल की खाड़ी में स्थित भाषान चर नाम के द्वीप पर रोहिंग्या शरणार्थियों के दूसरे जत्थे को बसाने के लिए सोमवार को करीब एक हजार लोगों को वहां भेजने की तैयारी शुरू कर दी गई. मंगलवार को सभी लोग सात नावों पर सवार होकर भाषान चर द्वीप के लिए रवाना होंगे.
बांग्लादेश ने सोमवार 28 दिसंबर को रोहिंग्या शरणार्थियों के एक अन्य समूह को बंगाल की खाड़ी में स्थित भाषान चर द्वीप पर ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू की. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने सुरक्षा कारणों से शरणार्थियों को वहां भेजने के काम पर रोक लगाने की मांग की है, लेकिन सभी दबावों के बावजूद शरणार्थियों को द्वीप पर भेजने का काम जारी है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों से करीब 1,000 और शरणार्थियों को भाषान चर द्वीप पर स्थानांतरित किया जा रहा है. ये सभी शरणार्थी म्यांमार से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे. 2017 में म्यांमार में एक सैन्य अभियान के दौरान अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानों के गांव नष्ट कर दिए गए थे. संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं के मुताबिक लाखों लोग वहां से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे.
शरणार्थियों को कॉक्स बाजार से चटगांव के बंदरगाह पर भेजा गया है, जहां से उन्हें जहाज द्वारा मंगलवार को द्वीप पर ले जाया जाएगा. इससे पहले 4 दिसंबर को पहली बार अधिकारियों ने द्वीप पर 1,600 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को भेजा था और उस वक्त भी अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इसकी कड़ी आलोचना की थी. भाषान चर द्वीप 20 साल पहले ही समुद्र में बना है और यहां अक्सर बाढ़ आ जाती है. अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि भारी बारिश और चक्रवात के समय में वहां खतरा बढ़ सकता है.
क्या शरणार्थी अपनी मर्जी से जा रहे हैं?
बांग्लादेश की नौसेना ने द्वीप पर बाढ़ से बचाव के लिए बांध, मकान, अस्पताल और मस्जिदें बनाई हैं. इस द्वीप पर लगभग एक लाख लोग रह सकते हैं. म्यांमार से भागकर आए दस लाख से ज्यादा रोहिंग्या कॉक्स बाजार में शिविरों में रहते हैं. शिविर शरणार्थियों से इतनी भीड़ के कारण अक्सर यहां सुविधाओं की कमी हो जाती है. हालांकि द्वीप पर एक लाख लोगों के रहने की सुविधा देश में उनकी आबादी के हिसाब से बहुत कम है.
बांग्लादेश की सरकार का दावा है कि सिर्फ उन्हें ही द्वीप पर भेजा जा रहा है जिन्होंने इच्छा जाहिर की है, जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई शरणार्थियों को वहां जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने जोर देकर कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को स्वतंत्र रूप से यह फैसला करने की इजाजत दी जानी चाहिए कि वे वहां जाना चाहते हैं या नहीं. बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "वे अपनी मर्जी से वहां जा रहे हैं."
एए/एके (रॉयटर्स, एएफपी)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने पहले कहा था कि टेस्ला कारों को भारत में लाने की प्रक्रिया जनवरी 2021 में शुरू होगी। लेकिन अब उन्होंने देश में इलेक्ट्रिक कारें आने पर कोई निश्चित समयसीमा देने से इनकार कर दिया है। एक फोलोवर्स ने उनसे पूछा कि क्या टेस्ला भारत में जनवरी 2021 में आ रही है, मस्क ने इसपर कहा, "नहीं, लेकिन निश्चित रूप से इस साल।"
अक्टूबर में, मस्क ने कहा कि इलेक्ट्रिक कार निर्माता अब आखिरकार अगले साल भारत के बाजार में प्रवेश करने के लिए तैयार है। टेस्ला क्लब इंडिया के एक ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए, मस्क ने कहा था, "जनवरी में हम संभवत: ऑर्डर के लिए तैयार होंगे।"
दूसरी ओर, मंगलवार को द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि टेस्ला 2021 की शुरूआत में अपना परिचालन शुरू करेगी और फिर 'संभवत:' देश में वाहनों के असेंबल और निर्माण पर ध्यान देगी।
हालांकि, क्या मस्क प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के घरेलू विनिर्माण सपने को आगे बढ़ाने के लिए भारत में टेस्ला संयंत्र की घोषणा करेंगे या उन्हें अन्य फैसेलिटी से यहां लाएंगे (जिसमें शंघाई में स्थित गिगाफैक्ट्री सबसे नजदीक है)। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
पहले कई मौकों पर, मस्क ने खुलासा किया था कि वह टेस्ला को भारत लाना चाहते हैं, लेकिन 2018 के ट्विटर पोस्ट में, उन्होंने 'कुछ चुनौतीपूर्ण सरकारी नियमों' का बाधा के रूप में हवाला दिया था। (आईएएनएस)
लखनऊ, 29 दिसंबर | ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईए) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपना पहला उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यहां विधानसभा चुनाव 2022 की शुरुआत में होने वाले हैं। पार्टी ने अन्य दलों के साथ अपने गठबंधन की औपचारिक घोषणा की प्रतीक्षा किए बिना ही पहले उम्मीवार का नाम घोषित कर दिया है।
पार्टी ने बलरामपुर जिले की उतरौला विधानसभा सीट से डॉ. अब्दुल मन्नान को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। मन्नान पेशे से डॉक्टर हैं।
मन्नान इस महीने की शुरूआत में पीस पार्टी छोड़ने के बाद एआईएमआईएम में शामिल हो गए थे।
16 दिसंबर को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लखनऊ में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर से 2022 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर मुलाकात की थी।
एक दिन बाद, प्रगतिवादी समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीए) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने भी कथित रूप से गठबंधन में शामिल होने के लिए राजभर से मुलाकात की थी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को प्रयागराज में ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) और ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) के 351 किलोमीटर लंबे 'न्यू भाउपुर-न्यू खुर्जा सेक्शन' का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मोदी ने कहा, आजादी के बाद हम देश के सबसे उन्नत रेल खंड के उद्घाटन के साक्षी बन रहे हैं। नई भाऊपुर-खुर्जाखंड पर चलने वाली पहली मालगाड़ी नए आत्मानिर्भर भारत का संदेश देगी और प्रयागराज में नया ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नियंत्रण केंद्रों में से एक होगा।
उन्होंने कहा, प्रयागराज में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर नए भारत की नई शक्ति का प्रतीक है। किसी को भी गर्व होगा क्योंकि नियंत्रण केंद्र में इस्तेमाल की जाने वाली प्रबंधन और डेटा तकनीक भारत में तैयार की गई है।
मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि बुनियादी ढांचा देश के विकास का सबसे बड़ा स्रोत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कनेक्टिविटी राष्ट्र की तंत्रिका है, और यदि तंत्रिकाएं बेहतर काम करती हैं तो देश का स्वास्थ्य और समृद्धि अच्छा होता है।
उन्होंने कहा कि आज, जब भारत दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, तब सबसे अच्छी कनेक्टिविटी देश की प्राथमिकता है।
मोदी ने कहा, इस विचारधारा के साथ, हमने पिछले छह वर्षों में देश में आधुनिक कनेक्टिविटी के हर पहलू पर काम किया है।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) सरकार द्वारा शुरू की गई सबसे बड़ी रेल अधोसंरचना परियोजनाओं में से एक है। कुल लागत 81,459 करोड़ रुपये आंकी गई है।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के नियोजन, विकास, वित्तीय संसाधन जुटाने, निर्माण, रखरखाव और संचालन के लिए एक विशेष उद्देश्य के रूप में स्थापित किया गया है।
पहले चरण में, संगठन पश्चिमी डीएफसी (1,504 किमी) और पूर्वी डीएफसी (1,856 किमी) का निर्माण कर रहा है, जिसकी कुल लंबाई 3,360 किमी है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत में यात्री और मालगाड़ी एक ही पटरियों पर चलती हैं। इसके चलते मालगाड़ी की गति धीमी होती है। ऐसी स्थिति में, मालगाड़ियों को रास्ता देने के लिए स्टेशनों पर यात्री ट्रेनों को रोक दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप यात्री रेलगाड़ियां देरी से चलती हैं।
मोदी ने कहा, मालगाड़ियों के लिए ये विशेष गलियारे यात्री ट्रेनों को समय पर चलाना सुनिश्चित करेंगे। यह सुनिश्चित भी करेंगे कि मालवाहक ट्रेनें ज्यादा गति से चल सकें और वे दोहरी भार क्षमता ले जा सके।
मोदी ने कहा कि फ्रेट कॉरिडोर आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी, चाहे वह उद्योग हो, व्यापार हो या व्यवसाय, किसान हो या उपभोक्ता, सभी को इससे फायदा होने वाला है। (आईएएनएस)
पीलीभीत, 29 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक व्यक्ति ने आपराधिक मामले में अपने पड़ोसियों को फंसाने के लिए कथित रूप से अपनी ही 10 वर्षीय बेटी के अपहरण की मनगढं़त कहानी गढ़ डाली। पुलिस के मुताबिक, पीलीभीत शहर के रहने वाले शख्स ने शनिवार को शिकायत दर्ज कराई कि उसकी बेटी का उसके पड़ोसियों ने कथित तौर पर अपहरण कर लिया है। तुरंत ही लड़की की खजोबीन शुरू कर दी गई।
जांच के दौरान, पुलिस ने लड़की की दादी से भी पूछताछ की। हालांकि, उसकी कहानी उस समय के सीसीटीवी फुटेज से मेल नहीं खाई।
हालांकि, शाम को, पुलिस को सूचित किया गया कि लड़की को दो पुरुषों द्वारा घर छोड़ दिया गया है।
लड़की को पुलिस थाने लाया गया। शुरू में, उसने अपने पिता के कहे अनुसार पुलिस को अपने अपहरण की कहानी बताई।
पूछताछ के दौरान, पुलिस उसे भरोसे में लेने में कामयाब रही और उसने बताया कि उसके पिता ने शुक्रवार शाम को पूरनपुर कोतवाली पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले पिपरिया गांव में उसे एक रिश्तेदार के घर छोड़ दिया था और फिर शनिवार शाम को उसे घर वापस ले आए।
पुलिस ने लड़की को बाल कल्याण समिति की सुरक्षा में रखा है, जहां उसका बयान दर्ज किया जाएगा। उसे मेडिकल जांच के लिए भी भेजा गया था।
पीलीभीत शहर के सुनगढ़ी पुलिस थाने के एसएचओ अत्तार सिंह ने कहा, "लड़की के बयान के आधार पर, उसके पिता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।" (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 29 दिसंबर | बिहार में अब तक जनता दल (युनाइटेड) के सर्वेसर्वा माने जाने वाले नीतीश कुमार ने अपने सबसे विश्वासपात्र आर सी पी सिंह को पार्टी की कमान सौंपकर इतना तो तय कर ही दिया है कि वे अब संगठन नहीं बिहार पर ध्यान देंगे। कहा जाता रहा है कि नीतीश कोई भी काम बिना मकसद के नहीं करते, इस निर्णय के भी अब मायने निकाले जाने लगे हैं।
जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार ने सिंह को पार्टी के सर्वोच्च पद पर बैठाकर एक नया सियासी दांव चला है। जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा कहते हैं कि सिंह के अध्यक्ष बनने पर पार्टी आशान्वित है कि ये पार्टी को बहुत आगे लेकर जाएंगें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दौर में पार्टी के लाभ को समझते हैं, यही कारण है कि उन्होंने अनुभवी व्यक्ति के हाथ में पार्टी को सौंपा है।
इधर, माना जा रहा है कि नीतीश ने सिंह को पार्टी का 'बॉस' बनाकर उन्होंने क्षेत्रीय दलों को एक संदेश दिया है कि पार्टी वंशवाद और परिवारवाद से अलग है। भाजपा के प्रवक्ता और भाजपा के पूर्व विधायक मनोज शर्मा भी कहते हैं कि भाजपा पहले से ही पार्टी में परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ रही है।
उन्होंने कहा कि यह मामला जदयू का आंतरिक मामला है। कई पार्टियां हैं जो वंशवाद और परिवारवाद के नाम पर राजनीति चला रही है, उनके लिए नीतीश कुमार ने पार्टी के कर्मठ नेता को पार्टी का नेतृत्व सौंपने का फैसला लेकर एक संदेश दिया है।
सिंह को प्रारंभ से ही नीतीश का विश्वासी माना जाता रहा है। जदयू में काफी दिनों से नीतीश के बाद दूसरे नंबर को लेकर प्रश्न उठाए जाते रहे हैंै। नीतीश ने यह जिम्मेदारी तय कर इस प्रश्न का उत्तर भी दे दिया है कि उनके सबसे भरोसमंद लोगों में सिंह सबसे आगे हैं।
इधर, राजनीतिक विश्लेषक कन्हैया भेल्लारी का कहना है कि आमतौर पर देखा जाता है कि पार्टी उसी नेता को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपती है जो संगठनकर्ता के रूप में दक्ष हो। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के लिए सिंह ना केवल भरोसेमंद रहे हैं बल्कि संगठन को मजबूत करने में भी उनकी भूिमका शुरू से रही है।
इधर, कहा यह भी जा रहा है कि 'सोशल इंजीनियरिंग' के माहिर समझे जाने वाले नीतीश ने स्वजातीय को पार्टी की कमान सौंपकर जातीय कार्ड भी खेला है। भेल्लारी भी इसे स्वीकार करते हुए कहते हैं कि आज के दौर में सभी नेता जातीय और क्षेत्रीय कार्ड खेलकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं, नीतीश भी उन्हीं में से एक हैं।
इधर, भारतीय प्रशासनिक अधिकारी रह चुके सिंह को सामंजस्य बैठाने में भी माहिर समझा जाता है। कहा जा रहा है कि भाजपा के नेताओं के साथ सामंजस्य बैठाए रहने के लिए पहले नीतीश कुमार को खुद बात करनी पड़ती थी अब सिंह को यह जिम्मेदारी सौंप कर नीतीश खुद बिहार की जिम्मेदारी संभालेंगे।
बहरहाल, जदयू के सर्वेसर्वा रहे नीतीश ने सिंह को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपकर पार्टी में सेकंड लाइन के नेताओं को आगे कर पार्टी के नेताओं को भी एक संदेश दिया है जिसका सभी ने स्वागत किया है। (आईएएनएस)
राम गोपाल द्विवेदी
गोरखपुर. धार्मिक किताबें छापने वाले गीता प्रेस को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया में एक खबर चल रही है कि प्रेस की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए नये साल पर गीता प्रेस की 'डायरी' गीता दैनन्दिनी को लेकर गीता प्रेस की आर्थिक मदद की जाए.
‘नो प्रॉफिट-नो लॉस’ पर काम करती है गीता प्रेस
इस मैसेज की सच्चाई जानने के लिए न्यूज-18 की टीम ने गीता प्रेस के टस्ट्री देवी दयाल अग्रवाल से बात की. सोशल मीडिया पर चल रही आर्थिक स्थिति खराब होने की खबर पर देवी दयाल अग्रवाल ने कहा कि गीता प्रेस ‘नो प्रॉफिट-नो लॉस’ पर काम करती है. हम लोग लागत से भी कम दाम पर किताब उपलब्ध कराते हैं. साथ ही गीता प्रेस किसी से भी डोनेशन (चंदा) नहीं लेती है इसलिए इस तरह की बातें पूरी तरह से निराधार हैं.
15 दिसम्बर से ही आउट ऑफ स्टॉक हो गई गीता दैनन्दिनी
उन्होंने बताया कि जहां तक गीता दैनन्दिनी की बात है तो 15 दिसम्बर से ही आउट ऑफ स्टॉक हो गया. लगातार आर्डर आ रहे हैं पर अब इस साल हम लोग इसे छापने में सक्षम नहीं हैं. गीता दैनन्दिनी को सोशल मीडिया पर ‘डायरी’ बताने पर गीता प्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी का कहना है कि ये डायरी नहीं बल्कि एक छोटा पंचाग है. जिसे लोग लेकर आसानी से चल सकते हैं.
ये डायरी नहीं पंचांग है: लालमणि तिवारी
लालमणि तिवारी ने बताया कि इस पंचाग को लेकर लोग अपने धार्मिक कामों भी करते हैं, महिलाएं व्रत रखती हैं, साथ ही इसमें हर पेज पर गीता के वाक्य लिखे हैं. जिसका मकसद है कि जो भी व्यक्ति इसे खोले वो गीता के स्लोकों को भी पढ़े और मनन करें.
वैसे प्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विवटर हैंडल से भी गीता दैनन्दिनी के पूरी तरह समाप्त होने की जानकारी दी और शुभचिंतकों का आभार जताया है.
"गीताप्रेस के प्रचार हेतु शुभचिंतको का आभार""वर्ष २०२१ की गीता दैनन्दिनी पूर्णतः समाप्त हो चुकी है |"
नो प्राफिट और नो लॉस के रुप में चलने वाली गीता प्रेस की स्थापना गोरखपुर में 1923 में की गई थी. गीता प्रेस का सफर 10 रुपये के किराये के मकान में चालू हुआ था, आज गीता प्रेस में 15 भाषाओं में करीब 1800 पुस्तकें छपती है. गीता प्रेस में आज भी 2 रुपये की धार्मिक किताबें उपलब्ध हैं. गीता प्रेस अपनी स्थापना से लेकर अब तक 70 करोड़ से अधिक धार्मिक किताबें बेंच चुका है. प्रेस लगातार आधुनिकता की चादर में सराबोर होकर तेजी से आगे बढ़ रहा है और लोगों तक सस्ती धार्मिक किताबें उपलब्ध करा रहा है.