राष्ट्रीय
मुंबई, 9 अप्रैल | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आयकर विभाग के दो अधिकारियों को कथित तौर पर 15 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अधिकारियों की पहचान दिलीप कुमार और आशीष कुमार के रूप में की गई है।
तीसरा आरोपी, इंस्पेक्टर एस.एन. राय, को सीबीआई द्वारा नामित किया गया है और आगे की जांच चल रही है।
सीबीआई के अनुसार, एक शिकायत के बाद, आरोपियों के खिलाफमामला दर्ज किया गया था। आरोपियों ने शिकायतकर्ता से आईटीडी जांच के सिलसिले में मदद के एवज में रिश्वत की मांग की थी।
शिकायतकर्ता ने पहले जाल बिछाया और 10 लाख रुपये और 5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए दो इंस्पेक्टरों को गिरफ्तार किया।
सीबीआई ने आरोपियों के मुंबई में दो स्थानों पर और नई दिल्ली में एक स्थान पर आवासों और कार्यालयों में छापे मारे। (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर, 9 अप्रैल | कृषि कानून के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन को 134 दिन हो चुके हैं, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या अब बेहद कम हो चुकी है। किसान अपनी फसल की कटाई और यूपी के पंचायत चुनाव के कारण आंदोलन स्थल से वापस अपने अपने गंतव्य स्थान की ओर रुख कर चुके हैं। बॉर्डर पर पिछले कुछ दिनों से लगातार किसानों की संख्या कम होती जा रही है, हाल ये हो चुका है कि किसान नेता के होने के बावजूद भी आंदोलन स्थलों पर लोग नहीं दिखाई पड़ रहे है।
बॉर्डर पर लगे मंच के सामने भी लोग अब इक्का दुक्का ही नजर आ रहें हैं और उनमें भी मंच के सामने बिछी त्रिपाल पर सोते या लेटे हुए नजर आ रहे हैं।
इस मसले पर गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे आंदोलन स्थल कमिटी के सदस्य जगतार सिंह बाजवा ने आईएएनएस को बताया कि, "आंदोलन को चलाने के लिए जो संख्या होनी चाहिए वो यहां मौजूद है। लेकिन ये जरूर है कि बैसाखी का त्यौहार है तो फसल की कटाई शुरू हो चुकी है, इसके साथ उत्तरप्रदेश में पंचायती के चुनाव चल रहे हैं उसमें बहुत से लोग व्यस्त हैं।"
"10-15 दिन संख्या बढ़ाने का हमारा कोई उद्देश्य नहीं है, लोग अपनी खेती करने के बाद फिर वापस आएंगे और किसानों को भी तभी आना चाहिए, क्योंकि पहले हमारे लिए फसल है।"
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने आईएएनएस को बताया कि, "बॉर्डर पर हमारे नेता भी कम रहते हैं, दूसरा ये कटाई का वक्त चल रहा है और किसान के पास करीब 8 दिन हैं, वहीं पंचायत चुनाव एक देश का बड़ा चुनाव होता है ऐसे में हर व्यक्ति का लगाव होने का भी प्रभाव है, अगले 10 दिन बाद सामान्य संख्या हो जाएगी।"
बॉर्डर पर बनाए गए बड़े बड़े टेंट में किसान नहीं हैं, वहीं सड़कों पर भी पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है। लंगर सेवा चालू है, लेकिन लंगर में बैठने के लिए किसान नहीं हैं।
न सुबह के वक्त किसान नजर आ रहे हैं और न शाम के वक्त, बॉर्डर पर लगे हुए टेंट भी उखड़ने लगे हैं। हालांकि किसान उनकी जगह दूसरे जगह टेंट बना रहे हैं, लेकिन उनमें रुकने के लिए किसान फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं।
हालांकि जिस तरह किसान फसल की कटाई और पंचायत चुनाव में व्यस्थ दिख रहे हैं, उससे ये साफ कहा जा सकता है कि अगले कुछ और दिनों तक गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या बेहद कम रहेगी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 अप्रैल | सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक सड़कों पर यातायात को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है। नोएडा की एक महिला द्वारा नोएडा से दिल्ली के बीच की सड़कों को क्लियर करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए।" शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता गलत उत्पीड़न का सामना कर रही है और इस मामले में संबंधित अधिकारियों को व्यवस्था करनी चाहिए कि रास्ता साफ रहे।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने मोनिका अग्रवाल की याचिका पर केंद्र और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया था। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि नोएडा से दिल्ली की जिस यात्रा के लिए उन्हें सामान्य तौर पर 20 मिनट लगते थे, अब उसमें 2 घंटे लगते हैं।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा, "सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए, और इस पहलू पर इस अदालत के पिछले आदेशों में बार-बार जोर दिया गया है। याचिकाकर्ता सिंगल पैरेंट हैं और ऐसे में यदि सड़कें भी बंद रहती हैं तो यह उनके साथ उत्पीड़न है।"
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले में उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार को पक्षकार बनाया जाए।
इस पर जस्टिस कौल ने कहा, "हमें इस बात से मतलब नहीं है कि आप इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं। आप चाहे राजनीतिक रूप से, प्रशासनिक रूप से या न्यायिक रूप से सुलझाएं। हमने केवल यह कहा है कि सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 अप्रैल | भारतीय महिला टेनिस टीम की चार सदस्य- रुतुजा भोसले, जील देसाई और करमन कौर थांडी, रिजर्व रिया भाटिया बिली जीन किंग कप (पहले फेड कप के नाम से मशहूर) के लिए शुक्रवार को लातविया की राजधानी रीगा के लिए रवाना हो गई। यह टूर्नामेंट 16-17 अप्रैल को खेला जाएगा।।
भारतीय टीम के कप्तान विशाल उप्पल ने ट्वीट किया, भारत में महिला टेनिस के लिए रोमांचक समय। लातविया में पूरी टीम के साथ एकजुट होने का इंतजार करें!
अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) ने शुक्रवार को खिलाड़ियों और कोचों के साथ सोशल मीडिया पर फेस मास्क पहने हुए तस्वीरें पोस्ट कीं।
भारत अग्रणी टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा, जिन्हें हाल ही में चार साल के लिए खेल मंत्रालय की टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम में शामिल किया गया था, और अंकिता रैना दुबई से टीम में शामिल होंगी। ये दोनों दुबई में पिछले एक सप्ताह से प्रशिक्षण ले रहे हैं।
यह इतिहास में पहली बार है कि भारतीय महिला टेनिस टीम ने बिली जीन किंग कप के वल्र्ड ग्रुप प्ले-ऑफ में जगह बनाई है - जिसे फेड कप के रूप में जाना जाता था।
भारत ने पहली बार एशिया/ओशिनिया ग्रुप 1 टाई दूसरे स्थान पर रहते हुए विश्व ग्रुप प्ले-ऑफ में पहली बार स्थान बनाया, जो मार्च 2020 में अमीरात में हुआ था, जबकि लातविया को संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने समूह में हराया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 अप्रैल | कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि भारतीय वैज्ञानिक समुदाय ने समाधान विकसित करने के लिए ओवरटाइम काम किया था, लेकिन उनके प्रयासों को केंद्र ने खराब कार्यान्वयन और असावधानी से कम कर दिया। उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार वैक्सीन के निर्यात पर तत्काल रोक लगाए और टीकाकरण को हर उस व्यक्ति तक पहुंचाए, जिसे इसकी आवश्यकता है।
अपने तीन पन्नों के पत्र में राहुल ने कहा, "मैं आपको बड़ी चिंता के साथ लिख रहा हूं क्योंकि हम एक बार फिर से कोरोनावायरस महामारी की चपेट में हैं। बीते वर्ष से, हमारे देश में अपूरणीय क्षति हुई है और एक बार फिर हम वायरस के नए हमले का सामना कर रहे हैं।"
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह 'दुर्भाग्यपूर्ण' है कि हमारे वैज्ञानिक समुदाय और वैक्सीन आपूर्तिकर्ताओं ने समाधान विकसित करने के लिए ओवरटाइम किया, लेकिन उनके प्रयासों को केंद्र के खराब कार्यान्वयन से कम कर दिया।"
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि टीकाकरण में भारत को सबसे पहले आगे बढ़ने का लाभ मिला और फिर भी हम काफी कम गति से आगे बढ़ रहे हैं।
"ऐतिहासिक रूप से, भारत ने दुनिया के कुछ सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों को डिजाइन करने और निष्पादित करने में प्रचूर अनुभव प्राप्त किया है। फिर भी वर्तमान मामले में, हम तीन महीनों में एक प्रतिशत से भी कम लोगों को पूरी तरह से टीकाकरण करने में कामयाब रहे हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि हमारे वर्तमान टीकाकरण की दर से देखें तो 75 प्रतिशत आबादी को टीका लगाने में कई साल लगेंगे। इससे भयावह प्रभाव पड़ेगा और भारत की अर्थव्यवस्था में गंभीर गिरावट आएगी।"
कोविड-19 टीकों को विदेशों में निर्यात करने के निर्णय पर सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा, "इस बात का कोई स्पष्ट कारण नहीं है कि सरकार ने टीकों के बड़े पैमाने पर निर्यात की अनुमति क्यों दी। जबकि हमारा राष्ट्र टीकाकरण की कमी का सामना कर रहा है। टीकों की छह करोड़ से अधिक खुराक का निर्यात किया गया है।" (आईएएनएस)
पटना, 9 अप्रैल | महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के मद्देनजर सरकार की ओर से की जा रही सख्ती के कारण वहां रह रहे बिहार के लोग वापस अपने घर लौटने लगे हैं। ऐसी स्थिति में वहां से आने वाले लोगों की कोरोना जांच के लिए जिला प्रशासन मुस्तैद है। पटना रेलवे स्टेशन और पटना हवाई अड्डे पर महाराष्ट्र से लौटे 23 यात्रियों को कोविड-19 संक्रमित पाया गया है। पटना की सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी सिंह ने शुक्रवार को बताया कि कुर्ला-पटना एक्सप्रेस, जो रात एक बजे पटना पहुंची, के 655 यात्रियों की कोरोना जांच की गई। इसमें 17 कोरोना पॉजिटिव पाए गए। उन्होंने बताया कि मुंबई से पटना पहुंचे छह विमान यात्रियों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित ट्रेन यात्रियों को आइसोलेशन सेंटर भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र से आने वाली सभी ट्रेनों के यात्रियों की जांच के लिए स्टेशनों पर टीम तैनात की गई है।
इस बीच, रेलवे ने महाराष्ट्र से बिहार के लिए कई विशेष ट्रेनें चलाने की घोषणा की है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने आने वाले प्रवासी लोगों के लिए प्रखंडस्तरीय क्वारंटीन सेंटर बनाने के निर्देश दिए हैं। एक ओर जहां बिहार में भी कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं प्रवासी मजदूरों के वापस लौटने को लेकर सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 9 अप्रैल | लखनऊ में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने अपने बेटे और बहू के खिलाफ चोरी की शिकायत दर्ज कराई है। गोमती नगर एक्सटेंशन इलाके में दर्ज कराई गई शिकायत में उन्होंने अपने बेटे-बहू पर आपराधिक विश्वासघात का आरोप लगाते हुए उनके फ्लैट से 24 लाख रुपये नकद और सोने के कई गहने चोरी करने का आरोप लगाया गया है। पूर्व आईएएस अधिकारी मदनपाल आर्य ने अपनी शिकायत में कहा है कि नई दिल्ली निवासी उनके बेटे रजत आर्य और बहू बरखा फरवरी के आखिरी हफ्ते में उनके फ्लैट पर आए और उनसे अनुरोध किया कि वे उन्हें अपने पास रहने दें।
उन्होंने पुलिस को बताया, "रजत और बरखा ने मुझे बताया कि उन्हें लॉकडाउन के कारण भारी नुकसान हुआ है और उन पर कई लाख रुपये का कर्ज हो गया है। मैं भावुक हो गया और अपने साथ रखने के लिए सहमत हो गया। 27 मार्च को किसी निजी काम के लिए मैं लखीमपुर खीरी गया था। इसके बाद 30 मार्च की रात को रजत ने मुझे फोन करके बताया कि वे जा रहे थे। मैंने रजत से कहा कि वह रामपाल को चाबी दे दें।"
इसके बाद जब 1 अप्रैल को आर्य वापस लौटे तो उन्हें अपने घर से 24 लाख रुपये नकद, सोने की 1 घड़ी, सोने के 4 कंगन, सोने की 3 चेन, सोने की चूड़ी और 1 लॉकेट आलमारी से गायब मिला।
उन्होंने आगे बताया, "इसके बाद मैंने अपनी पत्नी को पूछताछ के लिए बुलाया कि क्या उसने उन्हें कहीं और रखा है और फिर उसके बाद गोमती नगर के एसएचओ को घटनास्थल का निरीक्षण करने के लिए बुलाया।"
एसएचओ, गोमती नगर एक्सटेंशन, पवन कुमार ने कहा, "हमने आपराधिक विश्वासघात तोड़ने का मामला दर्ज किया है और मामले की जांच कर रहे हैं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 अप्रैल | भारत में कोविड-19 मामलों में हुई अचानक वृद्धि के बीच अप्रवासी श्रमिकों की घर वापसी को रोकना प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की सबसे बड़ी प्राथमिकता लगती है। इसमें खासतौर पर वो श्रमिक शामिल हैं, जो प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में काम करते हैं।
पिछले साल जैसी घबराहट की स्थिति को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन, रेलवे और सरकार मुंबई समेत प्रमुख शहरों से मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए एक विस्तृत योजना पर काम कर रही है।
सरकार के शीर्ष सूत्रों ने बताया है कि मुंबई और अन्य महानगरों के औद्योगिक इलाकों के स्थानीय प्रशासन को कहा गया है कि वे फैक्ट्री प्रबंधन, श्रमिक संघों और संबंधित समूहों से संपर्क करें, ताकि प्रवासी श्रमिकों को अचानक बढ़े मामलों से डरने के लिए मना किया जा सके। साथ ही औद्योगिक निकायों और कारखानों के मैनेजमेंट को टीकाकरण की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
दरअसल, पीएमओ प्रवासी श्रमिकों को लेकर खासा चिंतित है और श्रमिकों के पलायन को रोकना चाहता है, क्योंकि इसके कारण पिछले साल कई नौकरियां गईं और लोगों को बहुत दुख-मुश्किलें झेलनी पड़ीं। चूंकि बुधवार की रात बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों के झुंड बांद्रा, दादरा और चर्चगेट के रेलवे स्टेशनों पर देखे गए, इससे यह डर पैदा हो गया कि बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हो गया है और इससे कारखानों में उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
हालांकि संबंधित अधिकारियों ने कहा कि इस भीड़ की वजह गर्मियों में होने वाली भीड़ थी।
आरपीएफ के महानिदेशक (महानिदेशक) अरुण कुमार ने कहा, "मैंने मुंबई में पश्चिम रेलवे के आईजी और आरपीएफ सेंट्रल रेलवे से बात की है। मैं बता दूं कि मुंबई में रात के कर्फ्यू के कारण श्रमिकों के कई समूह अलग-अलग रेलवे स्टेशनों पर रहे लेकिन कर्फ्यू हटने पर वे अपने कारखानों में वापस लौट आए। प्लेटफार्मों पर देखी गई भीड़ मुख्य रूप से गर्मियों में चल रही विशेष ट्रेनों में सवार होने के लिए इंतजार कर रहे यात्रियों की थी।"
उन्होंने आईएएनएस को बताया कि श्रमिकों के रिवर्स माइग्रेशन से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
बता दें कि मार्च 2020 के दौरान कई लाख प्रवासी कामगार अपने गांव लौटे थे। लॉकडाउन के कारण ट्रेन समेत परिवहन के सभी साधन बंद होने के कारण कई प्रवासी पैदल चलकर अपने घर पहुंचे थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी घटनाओं से बहुत परेशान थे। जिसके कारण गरीब मजदूरों को पैदल चलना पड़ा था और इस दौरान उन्हें कई बार भोजन भी नहीं मिला था। इस बार हम सतर्क हैं। सरकार नहीं चाहती है कि ऐसा फिर से हो। मजदूरों के बड़े पैमाने पर पलायन को रोकने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। श्रमिकों की सेहत और देश का औद्योगिक उत्पादन हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।" (आईएएनएस)
मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश), 9 अप्रैल | मुरादाबाद के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) बलराम सिंह साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं। उनके नाम पर अज्ञात आरोपी ने फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाई है और उनके दोस्तों मेडिकल इमरजेंसी होने का मैसेज भेजकर पैसे मांगे हैं। डीएसपी को इस बारे में तब पता चला जब लोगों ने उन्हें फोन करके उनकी कुशलक्षेम पूछी। कांठ क्षेत्र के सर्कल अधिकारी और डीएसपी सिंह ने बताया, "मुझे बताया गया कि मेरे नाम और प्रोफाइल पिक्च र वाले फेसबुक अकाउंट के जरिए मेरे दोस्तों को मैसेज भेजे जा रहे हैं। मैंने मुरादाबाद पुलिस को तुरंत सूचित किया कि मेरे नाम और फोटो का सोशल मीडिया पर गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। "
मामले में जांच का आदेश दिया गया है और साइबर क्राइम सेल ने इस साइबर धोखाधड़ी में शामिल लोगों का पता लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
बता दें कि कुछ ही समय पहले उप्र के बाल अधिकार आयोग के चेयरपर्सन डॉ.विश्वेश कुमार गुप्ता के इसी तरह के धोखाधड़ी का शिकार होने का मामला सामने आया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 अप्रैल | फेसबुक और इंस्टाग्राम की सेवाएं शुक्रवार सुबह कुछेक घंटे के लिए फिर से प्रभावित हुईं। यह एक महीने से भी कम समय के दरमियां दूसरी बार है, जब इन सोशल मीडिया साइट्स के लाखों यूजर्स को परेशानी का सामना करना पड़ा है। इंस्टाग्राम और फेसबुक में लोगों का स्वागत जब 'सॉरी समथिंग वेंट रॉन्ग' से किया गया, तो लोगों ने ऑनलाइन आउटेज डिटेक्टर प्लेटफॉर्म डाउन डिटेक्टर का सहारा लिया और अपनी शिकायतें दर्ज कीं।
मशहूर डेपलपर जेन वॉन्ग ने अपने एक ट्वीट में कहा कि इस आउटेज का प्रभाव फेसबुक के इंटरनल वेबसाइट पर भी देखने को मिला है।
यहां तक कि इस दिन फेसबुक के आउटेज डैशबोर्ड में भी समस्याएं देखी गईं। हालांकि कुछ घंटे बाद दोनों की ही सेवाएं बहाल हो गईं।
19 मार्च को दुनियाभर में फेसबुक और इससे संबंधित ऐप्स व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम ने तकनीकि समस्याओं के चलते वैश्विक आउटेज का सामना किया था।
इस डाउन डिटेक्टर में इंस्टाग्राम में आ रही दिक्कतों को लेकर एक लाख से अधिक यूजर्स ने शिकायतें दर्ज की थीं, वहीं व्हाट्सऐप को लेकर आ रही परेशानियों को लेकर 25,000 से अधिक यूजर्स ने रिपोर्ट किया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 9 अप्रैल | लोग अभी 53.3 करोड़ उपयोगकर्ताओं (61 लाख भारतीय शामिल) के विशाल फेसबुक डेटा लीक को पचा नहीं पाए हैं और अब खबर आई है कि माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाले पेशेवर नेटवर्किं ग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन के 50 करोड़ उपयोगकर्ताओं का डेटा लीक हो गया है। कथित तौर पर यह डेटा ऑनलाइन बेचा जा रहा है। 50 करोड़ लिंक्डइन प्रोफाइल से डेटा को कथित रूप से स्क्रैप किए गए अर्काइव को एक लोकप्रिय हैकर फोरम पर बिक्री के लिए रखा गया है। इतना ही नहीं हैक के पीछे शामिल लोगों ने लीक हुए 20 लाख रिकॉर्ड को तो नमूने के तौर पर पेश भी किया है।
साइबरन्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है, "लीक हुई 4 फाइलों में लिंक्डइन उपयोगकर्ताओं के बारे में उनका पूरा नाम, ईमेल पते, फोन नंबर, कार्यस्थल की जानकारी और कई सारी ऐसी जानकारियां स्क्रैप की गई हैं।
बिक्री के लिए रखे गए लीक डेटा में लिंक्डइन आईडी, पूरा नाम, ईमेल पते, फोन नंबर, लिंग, लिंक्डइन प्रोफाइल के लिंक, अन्य सोशल मीडिया प्रोफाइल के लिंक, पेशेवर पद और उनके काम संबंधी बाकी डेटा शामिल हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि "हैकर फोरम के उपयोगकर्ता 2 डॉलर के फोरम क्रेडिट की मदद से लीक किए गए नमूनों को देख सकते हैं, वहीं थ्रेट एक्टर कम से कम 4-अंकों वाली राशि के बिटकॉइन में संभवत: 50 करोड़ से ज्यादा उपयोगकर्ताओं के डेटाबेस की नीलामी करता दिखाई देता है।"
लिंक्डइन ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उसने "बिक्री के लिए पोस्ट किए गए लिंक्डइन डेटा के कथित सेट की जांच की गई है और यह लिंक्डइन का लीक डेटा नहीं था। साथ ही हम जितनी समीक्षा कर पाए हैं उसके अनुसार लिंक्डइन के किसी भी निजी सदस्य के अकाउंट का डेटा इसमें शामिल नहीं था, जो हम समीक्षा करने में सक्षम थे, कंपनी ने कहा।" (आईएएनएस)
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 9 अप्रैल | भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त डॉ.प्रवीण मलिक ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में मृत प्रवासी पक्षियों में पाए गए बर्ड फ्लू के नये स्ट्रेन की पहचान पहले ही हो चुकी है, इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के सिर्फ दो-तीन राज्यों में ही कुछ जगहों पर बर्ड फ्लू के केस अब तक मिल रहे हैं लेकिन बाकी जगहों पर स्थिति नियंत्रण मंे है। आयुक्त ने आगे बताया कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला स्थित पौंग डैम में मृत पाए गए प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू एच-5 एन-8 वायरस स्ट्रेन पाए जाने की रिपोर्ट उन्हें मिली है और यह कोई नया वायरस स्ट्रेन नहीं है।
पशुपालन आयुक्त ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि बर्ड फ्लू के नये स्ट्रेन की पहचान भारत में जनवरी में ही हो गई थी और दुनिया के अन्य देशों में इससे पहले ही हो गई थी। लिहाजा यह नया स्ट्रेन नहीं है और इससे घबराने की भी जरूरत नहीं है। हर साल ज्यादातर जगहों पर एच-5,एन-1 वायरस से एवियन इन्फ्लूएंजा यानी बर्ड फ्लू का प्रकोप फैलने के मामले सामने आते थे, लेकिन इस साल बर्ड फ्लू का एक नया वायरस एच-5 एन-8 मिला है जो पूरी दुनिया में पाया गया है और इसका प्रकोप ज्यादा रहा है जबकि कुछ जगह पोल्ट्री में एच-5 एन-1 के मामले भी मिले हैं।
मलिक ने कहा, "हमने देखा है कि शुरू में प्रवासी पक्षियों में एच-5 एन-1 स्ट्रेन निकल रहे थे जबकि देसी पक्षियों में एच-5 एन-8 स्ट्रेन मिला था, जोकि दूसरे देशों में भी पाया गया था। इससे जाहिर होता है कि कुछ जंगली पक्षी दूसरे देशों से दोनों प्रकार के वायरस स्ट्रेन लेकर आए थे।"
देश में बर्ड फ्लू के प्रकोप की ताजा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर डॉ. प्रवीण मलिक ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में बर्ड फ्लू के कारण जंगली पक्षिायों की मौत के मामले सामने आए हैं। वहीं जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में एक दो जगहों पर पोल्ट्री बर्ड में यह फ्लू पाया गया है। उन्होंने कहा कि देश में बाकी जगहों पर पीओएसपी (पोस्ट ऑपरेशन सर्विलांस प्लान) शुरू हो गया है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 9 अप्रैल | भारतीय जनता पार्टी ने पंचायत चुनाव में उन्नाव जिले की सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। सजायाफ्ता पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर को भी भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है। उन्हें टिकट दिए जाने की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी ने भाजपा पर निशाना साधा है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. आषुतोष वर्मा ने कहा, "भाजपा पिछले रास्ते से अपराधियों को बढ़ावा देना चाहती है। सेंगर की पत्नी पहले भी जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं है। उन पर एक्शन लेने के बजाय उन्हें टिकट देकर प्रोत्साहित किया गया है। भाजपा महिलाओं का सम्मान नहीं करती है। बल्कि वह जातिवादी को बढ़ावा दे रही है। कुलदीप सेंगर का इतिहास देखें तो पता चलेगा कि भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है। यह पूरी तरह से मैनेंजमेंट की सरकार है।"
सजायाफ्ता पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर को फतेहपुर चैरासी तृतीय से भाजपा ने जिला पंचायत की टिकट दी है। 2016 के पंचायत चुनावों में संगीता मियागंज तृतीय सीट से निर्वाचित हुई थीं। लेकिन इस बार सीट आरक्षित होने कारण उन्हें दूसरी जगह से चुनाव लड़ना पड़ रहा है। 2016 के चुनाव में खींचतान के बीच लॉटरी सिस्टम से संगीत विजयी हुईं थीं।
गौरतलब हो कि कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव की बांगरमऊ से भाजपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। साल 2017 में उन्नाव के चर्चित दुष्कर्म कांड में कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें अगस्त 2019 में भाजपा ने पार्टी से बाहर कर दिया था और फिर बाद में उनकी विधान सभा की सदस्यता भी समाप्त कर दी गई थी। पिछले साल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दुष्कर्म और अपहरण के मामले में दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। (आईएएनएस)
रायपुर/जम्मू, 8 अप्रैल | छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले के बाद अगवा किए गए कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास को रिहा कर दिया गया है। उन्हें 3 अप्रैल को मुठभेड़ के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों द्वारा बंदी बना लिया गया था। सीआरपीएफ ने कहा कि उन्हें गुरुवार शाम को रिहा कर दिया गया।
210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट ऐक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल राकेश्वर सिंह मन्हास की मुक्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा कुछ प्रमुख लोगों को नक्सलियों से बातचीत के लिए नामित किए जाने के बाद गुरुवार शाम उन्हें मुक्त कर दिया गया।
उन्हें राज्य पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को सौंप दिया गया।
सीआरपीएफ के आईजी (ऑपरेशंस) सी.जी. अरोड़ा ने आईएएनएस को बताया कि मन्हास फिलहाल शारीरिक रूप से ठीक है।
जम्मू में मन्हास के परिवार में उनकी रिहाई की खबर सुनते ही जश्न का माहौल बन गया।
पड़ोसी और परिवार के सदस्य उसके घर पहुंचे, लोगों ने देशभक्ति के नारे लगाए और मिठाई बांटकर उनकी रिहाई की खबर पर जश्न मनाया। उनकी पत्नी ने कहा कि जब से वह नक्सलवादियों द्वारा बंदी बनाए गए थे, तब से वह सोई नहीं थी।
मीनू ने कहा, मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं पिछले छह दिनों से सो नहीं पा रही थी।
मन्हास के भाई साहिल ने कहा, मैं बहुत खुश हूं कि वह रिहा हो गया है। हमें सिर्फ खबर मिली है।
तीन अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 300 से अधिक पीएलजीए नक्सलियों के साथ भीषण गोलीबारी के बाद मन्हास लापता हो गए थे। इस गोलीबारी में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे और 31 घायल हुए थे। सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के 1,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों ने ऑपरेशन में हिस्सा लिया था।
मंगलवार को भाकपा-माओवादी की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने मन्हास को अपनी हिरासत में सुरक्षित घोषित किया था और उनकी रिहाई के लिए एक वातार्कार नियुक्त करने की मांग की थी।
गृह मंत्रालय छत्तीसगढ़ सरकार के साथ संभावित वातार्कार के नाम की तलाश में व्यस्त था, इसी बीच मन्हास को रिहा कर दिया गया। (आईएएनएस)
पालतू कुत्ते छोटे बच्चों की तरह होते हैं. जब वे बीमार महसूस करते हैं, तो उसे बयान नहीं कर पाते. कुत्ते अकसर ऐसे में चुपचाप कोने में पड़े रहते हैं. ऐसे में उन्हें डिप्रेशन या दिल की कोई बड़ी बीमारी भी हो सकती है.
तनाव की चपेट में ना केवल मनुष्य बल्कि जानवर भी आते हैं. हालांकि पालतू जानवरों में तनाव उम्र बढ़ने, उनकी प्रतिरक्षा क्षमता, मौसम के परिवर्तन, विभिन्न अन्य कारकों के साथ जुड़ा हुआ है. पशुचिकित्सा करने वाली प्राची क्षत्रिय का कहना है कि सबसे अधिक तनाव संवेदनशील अंग हृदय होता है, जो न केवल प्रत्येक शरीर के ऊतकों की आवश्यकता को पूरा करता है, बल्कि दबाव चरण के दौरान एक समर्थन प्रणाली के रूप में भी कार्य करता है.
आमतौर पर बड़ी नस्लों की तरह डोबर्मन पिंसर्स, लैब्राडोर र्रिटीवर्स, बॉक्सर और जर्मन शेफर्ड कुत्तों को हृदय संबंधी बीमारियों की संभावना अधिक होती है, जैसे कंजेस्टिव कार्डियक फेलियर, हार्ट वाल्व अपर्याप्तता, पेरिकार्डियल इफ्यूजन और दूसरी बीमारियां इनमें प्रमुख हैं. उनका कहना है कि अपने पालतू कुत्ते के बर्ताव में निम्नलिखित बातों को नजरअंदाज ना करें:
- नियमित खांसी आना
- कम चलने या चंचल गतिविधि के बाद थकावट
- ज्यादा देर तक लेटे रहना
- भूख कम होना
- सीढ़ियों पर चढ़ने के लिए अनिच्छुक
- सुस्त उपस्थिति और अकेले बैठे रहना
प्राची क्षत्रिय का कहना है कि लगभग 10 प्रतिशत युवा और 65 प्रतिशत पुराने कुत्ते विभिन्न हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित होते हैं. मालिकों की लापरवाही के कारण उनकी मौत तक हो जाती है. हालांकि विशेषज्ञों की सलाह है कि यदि आप अपने पालतू जानवरों के व्यवहार या दिनचर्या की गतिविधियों में कोई बदलाव पाते हैं, तो पशु चिकित्सकों से तत्काल संपर्क करें. इमेजिंग परीक्षण जैसे एक्स-रे, इकोकार्डियोग्राफी, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी आदि ही पुष्टि करेगा कि आपका पालतू किसी बीमारी से पीड़ित है, उसे हृदय रोग है या नहीं.
पूजा गुप्ता (आईएएनएस)
यह तेजी से उछलता है, आपका हुक्म मानता है और आपके घर को गंदा नहीं करता, मिलिए अल्फा डॉग से. यह चीन में पालतू जीवों और तकनीक के प्रति बढ़ते प्यार का नतीजा है.
यह रोबोटिक कुत्ता सेंसरों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से देखता और सुनता है. इसे साथ लेकर आप टहलने भी जा सकते हैं. इसे बनाने वाली कंपनी वाइलान के मुख्य तकनीकी अधिकारी मा जी का कहना है, "यह असली कुत्ते से काफी मिलता जुलता है." अल्फा डॉग को "स्पॉट" के पदचिन्हों पर ही बनाया गया है. चार पैरों वाले "स्पॉट" को बोस्टन डायनेमिक्स ने औद्योगिक इस्तेमाल के लिए बनाया था जिसका वीडियो यूट्यूब में आने के बाद इंटरनेट पर सनसनी फैल गई थी.
चीन के नानजिंग में अल्फाडॉग को बनाने वाले लोगों ने इसके जरिए आम लोगों तक पहुंचने की योजना बनाई है. उनका दावा है कि 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भागने और किसी पप्पी की तरह उछल कूद करने वाला कुत्ता बाजार में सबसे तेज है. धातु से बने इसके चारों पांव इसे असली कुत्ते से ज्यादा स्थिरता देते हैं.
रोबोट में 5 जी का इस्तेमाल
मा जी ने बताया, "यह घर्षण को पहले से जान लेता है और जमीन की ऊंचाई को भी ताकि उसके हिसाब से अपनी ऊंचाई कम या ज्यादा कर सके, यह अपनी उछाल को व्यवस्थित कर सकता है और वातावरण के हिसाब से खुद को ढालने में भी सक्षम है." रोबोट खुद से ऑपरेट कर सके इसलिए इसमें 5जी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसके जरिये इसके रिएक्शन टाइम को बेहद कम रखने में सफलता मिली है.
चीन में साम्यवादी नेता माओ त्से तुंग के शासन में कुत्ता पालने पर पाबंदी थी. हालांकि उसके बाद से यह देश में बड़ी तेजी से बढ़ी. रोबोटिक कुत्ता भी बड़ी तेजी से चीनी घरों में अपनी जगह बना रहा है. बाजार में उतरने के पहले महीने में ही 2400 डॉलर की भारी कीमत के बावजूद 1800 से ज्यादा अल्फा डॉग बेचे जा चुके हैं.
रोबोटिक्स में भारी निवेश
चीन अपने कामगारों को ज्यादा कुशल बनाना चाहता है. इस कोशिश में रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भारी निवेश किया जा रहा है. रोबोटों का इस्तेमाल पार्सल डिलीवर करने, रेस्तरां में खाना परोसने, स्टेशनों पर सूचना देने और यहां तक कि कोविड-19 के लिए टेस्ट करने में पहले से ही हो रहा है. अल्फा डॉग बनाने वाले मानते हैं कि यह कुत्ता उन लोगों की मदद कर सकता है जिन्हें दिखाई नहीं देता. वह लोगों को सड़क पार करने और सुपरमार्केट से सामान लाने जैसे कामों में बड़ी मदद कर सकता है.
इस कुत्ते के सॉफ्टवेयर में बदलाव कर इसे आने वाले दिनों में भौंकने में भी सक्षम बनाया जाएगा. इसके बाद इसमें इंसानी आवाज भी डालने की योजना है ताकि यह अपने मालिक से बात भी कर सके.
मुम्बई, 8 अप्रैल | जी5 को मूल कंटेंट बनाने के लिए जाना जाता है जो वास्तविक, प्रेरणादायक कहानियों से प्रेरित होती हैं। ऐसा ही एक उदाहरण 'सीज ऑफ स्टेट: 26/11' था और इस सीरीज की सफलता व लोकप्रियता के बाद, जी5 ने अब 'स्टेट ऑफ सीज: टेम्पल अटैक' की घोषणा कर दी है। निर्माताओं ने एक विशेष टास्क फोर्स अधिकारी के रूप में कलाकारों की टोली में अक्षय खन्ना को शामिल कर लिया है। फिल्म पर काम करने के बारे में बात करते हुए, अक्षय ने कहा, परम बलिदान की शपथ लिए बिना वर्दी पहनने में सक्षम होना। यह एक ऐसा प्रिविलेज है जो केवल एक अभिनेता को ही दिया जाता है। मेकिंग के दौरान मेरा एकमात्र ध्यान, उस प्रिविलेज का अनादर नहीं करना था।
कॉन्टिलो पिक्च र्स के सीईओ अभिमन्यु सिंह ने साझा किया, बहुत कम ही हमने अपने दुश्मनों द्वारा हमलों को बेअसर करने में भारतीय कमांडो की भूमिका पर प्रकाश डाला है। स्टेट ऑफ सीज श्रृंखला को उनके परिप्रेक्ष्य और योगदान देने के लिए डिजाइन किया गया था। स्टेट ऑफ सीज: 26/11 की सफलता ने हमें इन कहानियों को आगे बताने के लिए प्रोत्साहित किया है और हमारे लिए स्पष्ट विस्तार राष्ट्र को हिला देने वाले मंदिर हमले की घटनाओं को क्रॉनिकल करना था। अक्षय के व्यवहार और क्रा़फ्ट ने उन्हें इस कहानी का नेतृत्व करने के लिए एकदम उपयुक्त बना दिया है और हम इस एक बार फिर से जी5 के साथ साझेदारी करने के लिए उत्साहित हैं।
ड्रीम टीम कॉन्टिलो पिक्च र्स (अभिमन्यु सिंह) जिन्होंने 'स्टेट ऑफ सीज: 26/11' की रचना की थी, वह फिल्म का निर्माण करने के लिए वापस आ गए है, जिसे केन घोष द्वारा निर्देशित किया जाएगा जिन्होंने हाल ही में लोकप्रिय और सफल अभय 2 के साथ-साथ लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) का निर्देशन किया था। सुदीप सेन जो 'स्टेट ऑफ सीज: 26/11' प्रॉजेक्ट पर एक सलाहकार थे और 26/11 के मुंबई हमलों के दौरान एनएसजी में दूसरी कमान थे, वह इस फिल्म के लिए भी अपनी विशेषज्ञता प्रदान करेंगे।
24 सितंबर 2002 में गुजरात के गांधीनगर में बने अक्षरधाम मंदिर में आतंकवादी हमला हुआ था। इस भीषण हमले के परिणामस्वरूप 30 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 80 से अधिक घायल हो गए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) घटनास्थल पर पहुंची, स्थिति को संभाला और आतंकवादियों को सफलतापूर्वक मार गिराया और घेराबंदी को समाप्त करने में सफल रहे थे। (आईएएनएस)
मुंबई, 8 अप्रैल | शिवसेना सांसद और पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने अब सरकार गिराने के लिए गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र में जेलों में बंद कैदियों द्वारा पत्र लिखवाकर सरकार की बदनामी का नया चलन शुरू हुआ है। ये महागठबंधन सरकार को बदनाम करने और अस्थिर करने के लिए एक राजनीतिक साजिश है।' गिरफ्तार और निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे द्वारा लेटर-बम' की पैरवी के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में महाविकास अघाड़ी के मंत्रियों के खिलाफ कई आरोप लगाए थे।
राउत ने आगे कहा, "राज्य सरकार को गिराने की कोशिश करने वालों के असली चेहरे सामने आ रहे हैं। जेल में लोगों का पत्र लिखने का एक नया चलन शुरू हुआ है। देश ने पहले कभी इस तरीके से गंदी राजनीतिक खेल खेलते हुए नहीं देखा।"
वाजे के पत्र में पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख, परिवहन मंत्री अनिल परब और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नाम सामने आए हैं।
राउत ने तीखे तेवर के साथ कहा, "लेकिन ये नाम कौन ले रहा है। यह (पत्र) जेल में बंद एक व्यक्ति द्वारा लिखा गया है, जिसे अपराध के लिए जेल में डाल दिया गया है और अब इसे सबूत के रूप में दिखाया जा रहा है।"
शिवसेना नेता परब ने बुधवार को वाजे के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि वह आरोपों की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की कसम खाई और कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है।
राउत ने आगे कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तथाकथित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) महा विकास अघाड़ी सरकार को गिराने के लिए नये-नये हथकंड़े अपना रहीहै। लेकिन उनके इरादे सफल नहीं होंगे।
शिवसेना सांसद की प्रतिक्रियाएं 3 अप्रैल को वाजे द्वारा विशेष एनआईए जज को लिखे एक पत्र के सार्वजनिक होने के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने देशमुख, परब, अजीत पवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। दागी पुलिसकर्मी को 9 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया गया है। (आईएएनएस)
पणजी, 8 अप्रैल | गोवा सरकार द्वारा केंद्रीय मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत जुर्माना लागू करने के दो दिन बाद राज्य भाजपा अध्यक्ष सदानंद शेट तनावडे ने गुरुवार को कहा कि गोवा में आम व्यक्ति किसी भी स्थिति में नया जुर्माना अदा नहीं कर सकता। तनावडे ने यह भी कहा, "उन्होंने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और परिवहन मंत्री मौविन गोडिन्हो से अनुरोध किया था कि वे संशोधित कानून को लागू रखें।"
उन्होंने आगे कहा, "हमने गोवा सरकार से संशोधित मोटर व्हीकल संशोधन को यथावत रखने का अनुरोध किया है। हमने सीएम और परिवहन मंत्री से बात की है। आम लोगों से फीस नहीं ले पाएंगे।"
नये जुर्माना के अनुसार, बिना वैध लाइसेंस के हल्के मोटर वाहन चलाने पर 500 रुपये का जुर्माना लगता था। लेकिन अब नए टैरिफ ढांचे के तहत जुर्माना बढ़ाकर 1,500 रुपये कर दिया गया है।
ओवरस्पीडिंग के लिए जुर्माना भी 400 रुपये से बढ़ाकर 1,500 रुपये कर दिया गया है। छोटे मोटर वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग करने वालों पर 3,000 रुपये और उसके बाद पकड़े जाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि पहले जुर्माना 500 रुपये तक सीमित था।
नए केंद्रीय कानून के तहत बार-बार होने वाले नियमों का उल्लंघन करने वाले ड्राइवर का लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित हो जाएगा।
बुधवार को एक मीडिया बातचीत के दौरान टैरिफ का अनावरण करते हुए परिवहन मंत्री गोडिन्हो ने कहा, सरकार ने जुर्माना की सीमा न्यूनतम रखी थी और गोवा सरकार की मंशा आम आदमी की जेब को ढिली करने की नहीं थी।
विपक्ष ने बुधवार को भी जुर्माना शुल्क को तत्काल वापस लेने की मांग की थी।
नए ट्रैफिक जुर्माना को ऐसे समय में लागू किया गया है, जब राज्य में राजनीतिक दल राज्य विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस रहे हैं, जो 2022 की शुरूआत में होने वाले हैं। इस महीने के अंत में पांच नगरपालिका परिषदों के चुनाव भी होने हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 8 अप्रैल | उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दल वोट बैंक बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार घोषणाएं करते हुए दिख रहे हैं। इसी क्रम में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ऐलान कर कहा कि 14 अप्रैल को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर सपा दलित दीवाली मनाएगी। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भाजपा की राजनीतिक अमावस्या के काल में संविधान खतरे में है, बाबासाहेब ने स्वतंत्र भारत को नयी रोशनी दी थी, इसलिए पार्टी डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती, 14 अप्रैल को उत्तर प्रदेश, देश व विदेश में 'दलित दीवाली' मनाने का आह्वान करती है।
गौरतलब है कि अम्बेडकर जयंती को सभी राजनीतिक पार्टियां धूमधाम से मनाती हैं। सपा के इस फैसले को यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। यूपी में राजनीति पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। इन दिनों बसपा से बड़ी संख्या में सपा में लोगों ने ज्वाइन किया। मायावती की चाल धीमी देखकर दलितों के लिए नया विकल्प भी बनने का सपा प्रयास कर रही है। (आईएएनएस)
बांका (बिहार), 8 अप्रैल | बिहार के बांका जिले के धोरैया प्रखंड क्षेत्र में परंपरा और कानूनी मजबूरियों के कारण एक वैवाहिक कार्यक्रम में अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई और अंत में बिना सात फेरे लिए ही एक दुल्हन को अपने पति के साथ विदा करना पड़ गया। पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक, कुशाहा गांव निवासी रसिकलाल मुर्मू की बेटी बासमती मुर्मू की शादी बौंसी थाना क्षेत्र स्थित शोभा गांव के रहने वाले अरविंद मंडल के साथ तय हुई थी। विवाह को लेकर तय तिथि 5 अप्रैल को धूमधाम के साथ बारात भी आ गई और सभी रस्म-रिवाज निभाए भी जाने लगे।
इसी क्रम में गांव में पुलिस पहुंची और ग्राम प्रधान गोपाल सोरेन को शराब रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उनके घर से दो से तीन लीटर शराब बरामद की गई। रीति-रिवाजों और परंपरा के मुताबिक गांव प्रधान के बिना शादी की रस्म नहीं अदा की जा सकती है। ऐसी स्थिति में शादी की रस्में टल गईं और शादी रुक गई।
इसके बाद गांव के लोगों ने प्रधान को छुड़ाने की प्रशासनिक स्तर पर काफी कोशिशें की, लेकिन बात नहीं बनी। कहा जा रहा है कि प्रधान ने शराब शादी की रस्म निभाने के लिए ही घर में रखी थी।
आदिवासी परंपरा के मुताबिक लड़की की शादी में महुआ शराब देवी देवताओं को चढ़ाई जाती है। दुल्हन बनी बासमती के भाई दिनेश मुर्मू बताते हैं कि हमारे यहां परंपरा के मुताबिक प्रधान ही शादी करवाते हैं।
ऐसी स्थिति में गांव में पंचायत बैठाई गई और बिना शादी के ही बासमती को उसके दुल्हे के साथ विदा करने का फैसला हुआ।
धोरेया के प्रखंड विकास अधिकारी अभिनव भारती बताते हैं कि मामला कानून का है। गांव प्रधान को शराब रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, अब अदालत से ही जमानत मिल सकती है।
इधर, गांव के लोग कहते हैं कि प्रधान की रिहाई के बाद ही अब शादी की रस्म निभाई जाएगी। बहरहाल, यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 8 अप्रैल | सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जम्मू के उपजेल में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं। उन्हें कानून का पालन किए बगैर डिपोर्ट नहीं किया जा सकता। (आईएएनएस)
प्रभाकर मणि तिवारी
कोलकाता से, 7 अप्रैल। "कोरोना क्या है? कोरोना कहीं नहीं है. कोरोना ख़त्म हो चुका है." पश्चिम बंगाल में होने वाली चुनावी रैलियों में हिस्सा लेने आए बिना मास्क पहने किसी भी व्यक्ति से अगर इसकी वजह पूछें तो उसका जवाब कमोबेश इन शब्दों में ही मिलता है. राज्य के एक वरिष्ठ राजनेता तो नाम नहीं बताने की शर्त पर कहते हैं, "अभी हमारे सामने दूसरी लड़ाई है. कोरोना के साथ दो मई के बाद लड़ लेंगे." इन टिप्पणियों से पता चलता है कि कोरोना के बढ़ते ख़तरों से बंगाल में लोग कितने लापरवाह हैं. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अभियान के तेज़ी पकड़ते ही इसके साथ कंधे से कंधा मिला कर कोरोना के मामले भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों ने चेताया कि विधानसभा चुनाव ख़त्म होने पर बंगाल में कोरोना संक्रमण का नया रिकॉर्ड बन सकता है. उनका कहना है कि आठ चरणों तक चलने वाली चुनाव प्रक्रिया कोरोना के लिहाज़ से भारी साबित हो सकती है.
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सोशल डिस्टेंसिंग के नियम
तमाम राजनीतिक दलों की रैलियों और चुनाव अभियान के दौरान न तो कहीं किसी के चेहरे पर मास्क नज़र आता है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना की इस दूसरी लहर को ध्यान में रखते हुए आठ अप्रैल को कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बैठक करेंगे. उससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर गहरी चिंता जताई है. लेकिन साथ ही चेताया है कि अब कोरोना की आड़ में मतदान स्थगित करने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं किया जाएगा.
ममता कहती हैं, "पूरे देश में दोबारा संक्रमण बढ़ रहा है. क्या ऐसी परिस्थिति में तीन या चार चरणों में ही मतदान कराना उचित नहीं होता? लेकिन अब जब आठ चरणों में चुनाव हो ही रहा है तो इसे किसी भी हालत में रोका नहीं जा सकता. खेल जब शुरू हो ही गया है तो इसे ख़त्म भी करना होगा."
लेकिन राज्य में सत्ता की प्रमुख दावेदार के तौर पर उभरी बीजेपी ने ममता की टिप्पणी को अहमियत देने से इनकार कर दिया है.
प्रदेश बीजेपी के महासचिव सायंतन बसु कहते हैं, "कोरोना के बीच अगर बिहार में चुनाव हो सकते हैं तो बंगाल में क्यों नहीं? राज्य में अभी हालत इतनी ख़राब नहीं हुई है कि चुनाव रोकना पड़े. ममता धांधली नहीं कर पा रही हैं. इसलिए ऐसी टिप्पणी कर रही हैं."
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निर्वाचन आयोग को डॉक्टरों की चिट्ठी
सीपीएम और कांग्रेस ने भी कहा है कि फ़िलहाल कोरोना की स्थिति इतनी ख़राब नहीं हुई है.
सीपीएम नेता रबीन देब कहते हैं, "अभी बंगाल में संक्रमण की स्थिति उतनी ख़राब नहीं है कि चुनाव रोकना पड़े. लेकिन हम सबको कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए."
कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने ममता और बीजेपी पर कोरोना के मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.
वहीं राज्य के डॉक्टरों के सामूहिक मंच 'द ज्वॉइंट फ़ोरम ऑफ़ डॉक्टर्स-वेस्ट बंगाल' ने निर्वाचन आयोग को पत्र भेज कर चुनाव अभियान के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल की सरेआम धज्जियां उड़ने पर गहरी चिंता जताते हुए उससे हालात पर नियंत्रण के लिए ठोस क़दम उठाने की अपील की है.
बिहार चुनाव से पहले आयोग ने कोविड-19 से बचाव के लिए जो प्रोटोकॉल बनाए थे, पश्चिम बंगाल में तमाम राजनीतिक दल उनकी अनदेखी करते रहे हैं.
डॉक्टरों के समूह ने अपने पत्र में लिखा है, "क्या आपने कभी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मास्क पहनते देखा है? अगर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री ही कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करें तो हम क्या कर सकते हैं?"
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चुनावी प्रक्रिया के दौरान
जाने-माने पर्यावरणविद् सुभाष दत्त ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे पत्र में कहा है, "चुनाव अभियान के दौरान कोविड प्रोटोकॉल के सरेआम उल्लंघन पर आयोग की चुप्पी पीड़ादायक है."
जाने-माने स्वास्थ्य विशेषज्ञ कुणाल सरकार कहते हैं, "चुनाव आयोग बंगाल में चुनाव अभियान के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल को लागू करने में नाकाम रहा है. तमाम राजनीतिक दल बिना मास्क पहने सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किए बिना हज़ारों लोगों के साथ रैलियां कर रहे हैं."
वैसे तो पश्चिम बंगाल के अलावा जिन बाक़ी चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं वहां भी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज़ी देखी गई है.
असम में तीन दौर में 126 सीटों के लिए मतदान पूरा हो चुका है और बाक़ी राज्यों में एक ही दिन छह अप्रैल को मतदान कराए गए.
लेकिन पश्चिम बंगाल में फ़िलहाल तीन चरणों में कुल 91 सीटों के लिए वोट पड़े हैं. अभी 29 अप्रैल तक पाँच चरणों में बाक़ी 201 सीटों पर मतदान होना है.
पूर्वोत्तर राज्य असम में मंगलवार यानी छह अप्रैल को कोरोना के 92 नए मामलों के साथ सक्रिय मामलों की संख्या 683 तक पहुंच गई है.
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राज्य में कोरोना संक्रमण का ग्राफ़
इससे पहले पाँच अप्रैल को 70 और चार अप्रैल को 69 नए मामले सामने आए थे. सिर्फ़ अप्रैल के आंकड़ों को देखें तो ऐसे मामलों में रोज़ाना वृद्धि हो रही है.
इस महीने पहले छह दिनों में ही 420 मामले सामने आए हैं. जबकि इसके पहले कई महीनों से ऐसे मामलों की संख्या रोज़ाना 10 से 15 के बीच थी.
आख़िरी चरण में कामरूप ज़िले के एक मतदान केंद्र पर वोट देने आए अलकेश डेका कहते हैं, "संक्रमण की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए मतदान केंद्रों की तादाद बढ़ाई जानी चाहिए थी ताकि कोविड-19 से बचाव के नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके. लेकिन यहां तो लोग कतार में एक-दूसरे से चिपक कर खड़े हैं."
दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में तमाम सीटों पर एक ही चरण में छह अप्रैल को वोट डाले गए. बावजूद इसके मंगलवार को राज्य में 3,645 नए मामले सामने आए.
इनमें से 1,303 मामले अकेले राजधानी चेन्नई में थे. राज्य में एक दिन में 15 लोगों की मौत भी हो गई. दक्षिण के एक अन्य राज्य केरल में भी मतदान तो एक ही चरण में हुआ.
लेकिन चुनाव अभियान के ज़ोर पकड़ने के साथ ही राज्य में संक्रमण का ग्राफ़ भी तेज़ी से चढ़ा है.
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चुनावी रैलियों में भीड़
राज्य में मंगलवार को 3,502 नए मामले सामने आए. इनमें सबसे ज़्यादा 360 मामले कोझिकोड में आए और उसके बाद 316 मामलों के साथ एर्नाकुलम दूसरे नंबर पर रहा.
राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कुल मामलों में से 3,124 लोग अपने स्थानीय तौर पर ही संक्रमित हुए हैं.
उनका कहना है कि चुनावी रैलियों में भीड़ से संक्रमण फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इन रैलियों में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं किया गया.
पश्चिम बंगाल चुनाव में जहां सत्ता के दावेदारों की साख और नाक दांव पर हों, कोरोना संक्रमण उनकी प्राथमिकता सूची में काफ़ी नीचे चला गया है.
राज्य में छह अप्रैल को 2,058 नए मामले सामने आए. यह इस साल का रिकॉर्ड है. वैसे, इससे पहले बीते तीन दिनों से औसतन 19 सौ मामले सामने आ रहे थे. चुनाव अभियान से इसका संबंध समझना कोई मुश्किल नहीं है.
नए मामलों की संख्या
मार्च के पहले सप्ताह में जब चुनाव अभियान की शुरुआत हुई थी तो दो मार्च को संक्रमण के नए मामलों की संख्या महज़ 171 थी.
अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दो मई को चुनाव के नतीजे आने तक दैनिक संक्रमण कई गुना ज़्यादा हो सकता है.
दरअसल, 26 फ़रवरी को विधानसभा चुनाव की तारीख़ों के एलान के बाद से ही संक्रमण का ग्राफ़ लगातार ऊपर चढ़ रहा है.
26 फ़रवरी को 216 नए मामले सामने आए थे जो 31 मार्च को बढ़ कर 931 तक पहुँच गए. इस दौरान पॉज़िटिविटी रेट भी चार गुना बढ़ गई.
कोलकाता नगर निगम में स्वास्थ्य सलाहकार तपन मुखर्जी कहते हैं, "अगर संक्रमण का ग्राफ़ इसी तरह चढ़ता रहा तो मई में नए मामलों की तादाद तीन हज़ार के पार पहुँच सकती है."
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ
एक साल से भी लंबे समय तक कोरोना के मरीज़ों की देखभाल और इस बीमारी पर शोध करने वाले स्वास्थ्य विभाग के महामारी विशेषज्ञ अनिर्वाण दलुई कहते हैं, "बीते साल 24 मई को 208 मामले सामने आए थे. संक्रमितों की संख्या में दस गुनी वृद्धि में तब दो महीने से ज़्यादा का समय लगा था. लेकिन अब चार मार्च से चार अप्रैल तक यानी ठीक एक महीने में ही इसमें दस गुनी वृद्धि हुई है. अगर हमने तुरंत इस पर अंकुश लगाने के उपाय नहीं किए तो इस महीने के आख़िर तक दैनिक मामलों की संख्या छह से सात हज़ार तक पहुंचने की आशंका है."
माइक्रोबायोलॉजिस्ट भास्कर नारायण चौधरी कहते हैं, "लॉकडाउन नहीं होना, कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन और चुनावी रैलियों में बिना किसी सुरक्षा के बढ़ती भीड़ ही तेज़ी से बढ़ते संक्रमण की प्रमुख वजहें हैं."
डॉक्टर अनिर्वाण दलुई कहते हैं, "आठ चरणों में होने वाले चुनावों की वजह से रोज़ाना किसी न किसी पार्टी की रैली या सभाएं हो रही हैं. वहां जुटने वाली भीड़ में सामाजिक दूरी का पालन संभव ही नहीं है, ज़्यादातर लोग बिना मास्क के होते हैं. ऐसे में अभी दूसरी लहर का चरम आना बाक़ी है."
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कोलकाता के इंस्टीट्यूट ऑफ़ चाइल्ड हेल्थ के एसोसिएट प्रोफेसर प्रभाष प्रसून गिरी कहते हैं, "राजनीतिक दलों को अपनी रैलियों में जुटने वाली भीड़ की तादाद कम करने के साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करना चाहिए था. तमाम नेताओं को बार-बार लोगों से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की भी अपील करनी चाहिए थी."
महानगर के एक निजी अस्पताल में कोविड वार्ड के प्रमुख और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉक्टर अजय सरकार बताते हैं, "मार्च के पहले सप्ताह में हमारे कोविड वार्ड में पांच मरीज़ थे जो अब 24 तक पहुँच गए हैं."
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव आयोग को रैलियों और चुनाव अभियान के दौरान लोगों की तादाद तय कर देनी चाहिए. ऐसा नहीं हुआ तो हालात बेक़ाबू होने का अंदेशा है.
हालांकि राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी आरिज आफ़ताब कहते हैं, "तमाम उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों से कोरोना से उपजी परिस्थिति को ध्यान में रख कर ही चुनाव अभियान चलाने को कहा गया है."
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कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त शुभंकर सिन्हा कहते हैं, "हम कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वालो के ख़िलाफ़ कार्रवाई के साथ ही लोगों में जागरूकता फैलाने का अभियान भी चला रहे हैं." कोलकाता नगर निगम का दावा है कि वह भी बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चला रहा है. इसके साथ ही तमाम इलाक़ों को सैनिटाइज़ करने का काम भी चल रहा है. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इन उपायों का ज़मीन पर कोई असर नहीं नज़र आता. तेज़ी से बढ़ते आंकड़े ही इसका सबूत हैं. राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक अजय चक्रवर्ती भी मानते हैं, "लोगों में कोरोना के प्रति जागरूकता का बेहद अभाव है." (bbc.com/hindi)
कोलकाता, 7 अप्रैल | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को चौथी बार पूछताछ के लिए अवैध कोयला तस्करी के कथित किंगपिन अनूप मांझी उर्फ लाला को तलब किया है। जांच से जुड़े सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "हमने माझी को 8 अप्रैल को यहां साल्ट लेक में अपने कार्यालय में पूछताछ के लिए समन जारी किया है।"
एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पूछताछ के दौरान माझी अधिकारियों से शुरू से ही सहयोग नहीं कर रहे हैं।
सीबीआई ने मंगलवार को मांझी से कई घंटों तक पूछताछ की। उन्हें पहले भी दो बार - 30 मार्च और 1 अप्रैल को पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
माझी के करीबी सहयोगी गणेश बावरिया से 3 अप्रैल को पूछताछ की गई, और बीरभूम के पूर्व पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह से 1 अप्रैल को पूछताछ की।
5 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), जो मनी लॉन्ड्रिंग भाग की जांच कर रहा है, ने 165.86 करोड़ रुपये मूल्य की मांझी की अचल संपत्तियों को कुर्क कर दिया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 7 अप्रैल | 126 सदस्यीय असम विधानसभा के लिए मंगलवार को मतदान समाप्त होने के एक दिन बाद, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी बैजयंत जय पांडा ने बुधवार को कहा कि भाजपा पूर्वोत्तर राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाएगी। राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के टीकाकरण के बाद मीडिया से बात करते हुए, पांडा ने कहा कि भाजपा निश्चित रूप से असम में सत्ता बनाए रखेगी।
पांडा ने कहा, "असम में लोग केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के काम से काफी खुश हैं और राज्य सरकार या केंद्र सरकार के खिलाफ कोई सत्ताविरोधी लहर नहीं है।"
उन्होंने ध्यान दिलाया कि भाजपा सरकार के तहत पिछले पांच वर्षो में जिस तरह के विकास कार्य हुए हैं, वह पिछले 70 वर्षो में हुए विकास से कहीं अधिक है।
उन्होंने कहा, "विकास ने इतनी गति पहले कभी नहीं पकड़ी थी और प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रगति में व्यक्तिगत रुचि ली है, जिससे लोगों का भाजपा में विश्वास बढ़ा है।" (आईएएनएस)