राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) के एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। दरअसल सीसीआईएम ने भारतीय चिकित्सा पद्धति की विशिष्ट स्ट्रीमों में स्नातकोत्तर चिकित्सकों को सामान्य सर्जिकल प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षित करने की अनुमति दे दी है, इसी के विरोध में आईएमए ने कोर्ट का रूख किया है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने कहा, "कोर्ट में शनिवार को याचिका दायर कर यह आग्रह किया था कि सीसीआईएम के इस बाबत जारी आदेश को खारिज कर दे और यह घोषित कर दे कि परिषद को सिलेबस में मॉर्डन मेडिसिन शामिल करने का अधिकार नहीं है।"
केंद्र सरकार ने नवंबर में जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन में संशोधन को अधिसूचित करके आथोर्पेडिक, नेत्र विज्ञान, ईएनटी और डेंटल सहित कई तरह की सामान्य सर्जरी और मेडिकल प्रक्रियाओं में आयुर्वेद के पीजी छात्रों को सर्जरी करने की अनुमति दी थी।
नवीनतम संशोधन आयुर्वेद के स्नाकोत्तर छात्रों को ऐसी प्रक्रियाओं के लिए औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की अनुमति देता है। सर्जिकल प्रक्रियाओं के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल को आयुर्वेदिक अध्ययन के पाठ्यक्रम में जोड़ा जाएगा।
सीसीआईएम ने इंडियन मेडिसीन सेंट्रल काउंसिल (पोस्टग्रेजुएट आयुर्वेद एजुकेशन) रेगुलेशन,2016 में संशोधन किया है, ताकि आयुर्वेद के पीजी छात्र सामान्य सर्जरी की प्रैक्टिस कर सकें।
इस कदम की मार्डन मेडिसीन के डॉक्टरों ने आलोचना की है, जिससे इस महीने पूरे देश में आईएमए सदस्यों ने सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया है।
सरकारी अस्पतालों में नौकरी करने वालों सहित लाखों डॉक्टरों ने सीसीआईएम की अधिसूचना के खिलाफ छोटे समूहों में प्रदर्शन किया।
केंद्र द्वारा इस तरह की नीतिगत कदमों का आईएमए खुले तौर पर विरोध कर रहा है। आईएमए आने वाले वर्षो में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) की पारंपरिक प्रणालियों के साथ आधुनिक चिकित्सा मिश्रण की योजना से नाराज है। (आईएएनएस)
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 20 दिसंबर | कोरोना महामारी के प्रकोप पर लगाम लगाने के लिए जो वैक्सीन तैयार किए गए हैं उनका स्टोरेज एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इसके लिए माइनस 70 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान की जरूरत होती है। लेकिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के संस्थान इसका समाधान दे सकते हैं। आईसीएआर के अंतर्गत आने वाले हरियाणा के करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के पास ऐसी सुविधा है जहां माइनस 80 डिग्री सेंटीग्रेड तक के तापमान पर स्टोरेज की क्षमता है।
एनडीआरआई के निदेशक डॉ. एम.एस. चौहान ने आईएएनएस को बताया कि उनके संस्थान में ऐसे डीप-फ्रीजर हैं जिसमें माइनस 80 डिग्री सेंटीग्रेड पर बायोलॉजिकल मटीरियल रखे जाते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास इस समय सिर्फ चार डीप-फ्रीजर हैं जिनकी क्षमता संस्थान की जरूरत तक ही है, लेकिन अगर डीप-फ्रीजर मुहैया करवाया जाए तो उनके संस्थान में कम से कम 10 से 15 और डीप-फ्रीजर रखे जा सकते हैं।
डॉ. चौहान ने कहा कि इस संबंध में कोई भी व्यवस्था आईसीएआर के माध्यम से ही की जा सकती है।
आईसीएआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनडीआरआई ही नहीं आईसीएआर से सबंधित अन्य संस्थानों में भी करीब 400 से 600 लीटर तक के ऐसे डीप-फ्रीजर हैं जिनमें माइनस 86 डिग्री सेंटीग्रेड तक के कम तापमान पर स्टोरेज किया जाता है, लेकिन मौजूदा डीप-फ्रीजर की जितनी क्षमता है वह संस्थानों की जरूरत के मुताबिक ही है। हालांकि, अधिकारी बताते हैं कि अगर ऐसे ऐसे नए डीप-फ्रीजर मुहैया करवाए जाते हैं तो आईसीएआर के हेल्थ से संबंधित संस्थानों के पास 200 से अधिक डीप-फ्रीजर रखने की क्षमता होगी।
एक जानकार सूत्र ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से देशभर के अनुसंधान संस्थानों में मौजूद ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्च र और डीप-फ्रीजर रखने की क्षमता के बारे में जानकारी मांगी गई है। इस सिलसिले में आईसीएआर से भी जानकारी मांगी गई है।
एनडीआरआई के निदेशक डॉ. चौहान ने बताया कि न सिर्फ आईसीएआर के संस्थानों के पास डीप-फ्रीजर में अत्यंत कम तापमान पर बायोलॉजिकल मटीरियल रखने की सुविधा होती है, बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी और बायोटेक्टनोलोजी विभाग के संस्थानों के पास भी ऐसी सुविधाएं होती हैं।
बताया जाता है कि दवा विनिमार्ता कंपनी फाइजर द्वारा विकसित कोरोना वायरस के टीके यानी वैक्सीन के स्टोरेज के लिए माइनस 70 डिग्री सेंटीग्रेड तक कम तापमान की जरूरत होगी। इसी प्रकार, अन्य कंपनियों द्वारा विकसित वैक्सीन के लिए भी शून्य से काफी कम तापमान पर स्टोरेज की सुविधा की आवश्यकता बताई जा रही है।(आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर (नई दिल्ली/उप्र), 20 दिसंबर| कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। हालांकि इस आंदोलन के दौरान कुछ किसानों की मृत्यु भी हुई। जिनकी याद में रविवार को दिल्ली बॉर्डर पर श्रधांजलि सभा रखी गई है। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पहुंचे। हरीश रावत ने इस दौरन आईएएनएस से कहा कि, मैं किसान हूं, किसान का बेटा हूं। किसान जिंदाबाद कहने आया हूं। भगवान और किसान से कोई नहीं जीता है। यदि कोई इन दोनों से जीत जाएगा उस दिन अनर्थ हो जाएगा।
किसान और भगवान एक ही है। जो किसान को परेशान करेगा वो भगवान को परेशान करेगा। मैं सरकार से यही कहना चाहता हूं कि किसानों की मांगों को माना जाए।
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री ज्यादा देर बॉर्डर पर नहीं रुके और उत्तराखंड के लिए रवाना हो गए। दरअसल रविवार को बॉर्डर पर मृतक किसानों के लिए श्रंद्धाजलि सभा आयोजित की गई थी। हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों ने इन सभी मृत्यु के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया है। किसानों ने अपने साथियों को शहीद का दर्जा दिया और कहा कि बहुत दु:ख है कि हमारे भाई हमारे बीच नहीं रहे, ये सभी शहीद हैं।
दरअसल किसान कानूनों में संशोधन के लिए तैयार नहीं हैं। बल्कि उनकी मांग है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 6 दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। (आईएएनएस)
हमीरपुर (उप्र), 20 दिसंबर | उत्तर प्रदेश में हमीरपुर जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र में 5 साल की भतीजी के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म करने के आरोप में 16 साल के लड़के को पुलिस ने हिरासत में लिया है। एसपी नरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा, "शनिवार की दोपहर 5 साल की लड़की अपने घर के दरवाजे पर खेल रही थी, तभी उसका 16 साल का चाचा उसे बिस्किट देने के बहाने अपने घर ले गया। वहां उसने कथित तौर पर उसके साथ दुष्कर्म किया। इस घटना के बाद, लड़की आरोपी के घर से रोती हुई बाहर निकली और उसने अपनी मां को पूरी घटना सुनाई।"
लड़की के परिवार की शिकायत पर नाबालिग आरोपी के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत मामला दर्ज किया गया है। वहीं बच्ची को मेडिकल परीक्षण के लिए भेज दिया गया है। मामले की जांच चल रही है।(आईएएनएस)
सिंघु बॉर्डर, 20 दिसंबर| कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 25वें दिन भी जारी है और इस प्रदर्शन को यादगार बनाने के लिए नौजवान कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बॉर्डर पर पंजाब, हरियाणा से आए युवा किसान इस आंदोलन के समर्थन में ब्लड डोनेट कर रहे हैं तो वहीं अपने शरीर पर कृषि विषय पर टैटू भी बनवा रहे हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा है। किसानों और सरकार के 6 दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। हजारों की संख्या में बुजुर्ग किसान और नौजवान इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं।
इस आंदोलन को यादगार बनाने के लिए हर कोई अपने तरीके से किसानों का समर्थन कर रहा है। सिंघु बॉर्डर पर
नौजवान अपना ब्लड डोनेट करके अपना समर्थन किसानों को दे रहे हैं। बॉर्डर पर एक निजी एनजीओ द्वारा ब्लड बैंक लगाया गया है। ब्लड बैंक शनिवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक लगा। जिसमें 18 वर्ष से 40 वर्ष तक के करीब 50 लोगों ने अपना ब्लड डोनेट किया।
लाइंस ब्लड बैंक के इंचार्ज हीरेन्द्र सहरावत ने आईएएनएस को बताया कि, हम लोगों से यहां की खाप (पंचायत ) द्वारा सम्पर्क किया गया था। जिसके बाद हम लोगों ने बॉर्डर पर अपना ब्लड बैंक लगाया है।
कैथल से प्रदर्शन में शामिल होने आए अंग्रेज सिंह ने अपना खून दान दिया। उनके अनुसार, मैं इस प्रदर्शन को देखने आया हूं। मैंने ब्लड बैंक की गाड़ी देखी, जिसके बाद किसानों को समर्थन देने के लिए मैं ब्लड डोनेट कर रहा हूं।
अंग्रेज सिंह जैसे अन्य नौजवान भी ब्लड डोनेट करके अपना समर्थन दे रहें हैं। कुछ नौजवान सिर्फ ब्लड बैंक की गाड़ी देख कर ही खून दान कर रहे हैं। उनके मुताबिक यादगार के तौर पर ब्लड डोनेट करने का एक मौका मिल गया।
दरअसल बॉर्डर पर बैठे किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। लेकिन सरकार की तरफ से अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया है। हालांकि सरकार कानून में कुछ बदलाव करने को तैयार है।
वहीं दूसरी ओर सिंघु बॉर्डर पर हाल ही में आए कुछ नौजवान किसानों को अपना समर्थन देने के लिए अपने शरीर पर कृषि विषय पर टैटू बनवा रहे हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि नौजवान अनोखे तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।
बॉर्डर पर नौजवान युवा कृषि से जुड़े अलग-अलग नारों वाले टैटू बनवा रहे हैं। दरअसल लुधियाना से आए तीन आर्टिस्टों ने सिंघु बॉर्डर पर अपनी एक स्टॉल लगाई है। जहां वह नौजवानों के शरीर पर टैटू बना रहे हैं और टैटू बनाने का कोई पैसा भी नहीं ले रहे हैं। बॉर्डर पर आए लोगों के लिए ये एकदम फ्री है।
चेतन सुध, रविन्द्र और करण सिंह शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे और अब तक इनसे बॉर्डर पर करीब 80 लोग टैटू बना चुके हैं।
रविन्द्र ने आईएएनएस को बताया, हम लुधियाना निवासी हैं और 8 सालों से टैटू बनाने का का काम कर रहें हैं। यहां हम साथ आए है और लोगों के टैटू बना रहे हैं। शुक्रवार को हमने 30 टैटू बनाए थे।
एक टैटू बनाने में करीब आधा घंटा लगता है और 3 हजार से लेकर 4 हजार रुपए का खच4 आता है। बॉर्डर पर नौजवान युवा टैटू बनवाने को लेकर काफी उत्साहित हैं।
इन सभी टैटू का हम कोई पैसा नहीं ले रहें हैं। हम फ्री में टैटू बनाकर अपना समर्थन दे रहें हैं और ये युवा टैटू बनवाकर अपना समर्थन किसानों को दे रहे हैं।
'हमने युवाओ को चुनने के लिए कुछ टैटू दिए हैं, जिनमें पंजाब का नक्शा, ट्रैक्टर, बब्बर शेर, और गेहूं शामिल है। इनमें कुछ नारे है 'हर मैदान फतेह', 'निर्भयो निरवैर' और 'निश्चय कर अपनी जीत करूं' नारे भी शामिल है।
गुरसेवक सिंह ने अपनी कलाई पर एक नारा 'निर्भयो निरवैर' प्रिंट करवाया है। उन्होंने आईएएनएस को बताया, मैंने अपनी कलाई पर ये नारा लिखवाया जिसका मतलब न किसी से डरने वाले और न किसी से दुश्मनी करने वाला होता है। यहां हर कोई अपने ढंग से समर्थन दे रहा है। इसे बनाकर मैं अपना समर्थन किसानों को दे रहा हूं। और जब तक ये कानून वापस नहीं ले लेती सरकार, तब तक हम यहीं डटे रहेंगे।
हालांकि शनिवार और रविवार को छुट्टी होने के कारण दिल्ली और हरियाणा से किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले कुछ परिवार अपने बच्चों के साथ बॉर्डर पर पहुंचे। परिवार इस आंदोलन में शामिल होने और किसानों को अपना समर्थन देने आए हुए हैं। वहीं हाथों में कुछ बिस्किट के पैकेट भी लाए है जो कि यहां के किसानों को देने हैं।
विनोद देसवाल पानीपत से सिंघु बॉर्डर आए हैं और अपने बच्चों को समझा रहे हैं कि किसान खेतों के अलावा अन्य जगहों पर भी मेहनत करता है और एक किसान होना मामूली बात नहीं है। ये कहना गलत नहीं होगा कि बॉर्डर पर हर वर्ग के लोग आ रहे है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| रविवार सुबह बिना किसी पूर्व सूचना के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुद्वारा श्री रकाब गंज साहिब में मत्था टेकने पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में दान भी किया। इसी दौरान प्रधानमंत्री ने गुरु तेग बहादुर जी के सम्मान में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके उपरांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुद्वारे की ओर से सिरोपा भेंट किया गया। रविवार सुबह करीब 8 बजकर 35 पर गुरुद्वारा रकाबगंज पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथि भाई हरदयाल सिंह को दान भेंट किया। गुरुद्वारा रकाब गंज के मुख्य ग्रंथि भाई हरदयाल सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने गुरु ग्रंथ साहिब को श्री रुमाला साहिब भेंट किया। हमने प्रधानमंत्री मोदी को माला पहनाई और उन्हें सिरोपा भेंट किया।
प्रधानमंत्री ने पहले से गुरुद्वारे में मौजूद सामान्य संगत के बीच में ही मत्था टेका और श्री गुरु तेग बहादुर की शहीदी को नमन किया।
मुख्य ग्रंथि भाई हरदयाल सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरुद्वारा पहुंचने की हमको कोई जानकारी नहीं थी। प्रधानमंत्री ने गुरुद्वारे में माथा टेका और करीब 10 मिनट का समय यहां बिताया। इस दौरान हमने प्रधानमंत्री को गुरु साहिब के इतिहास के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा यह सब जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा, यहां आकर बहुत सुकून मिला। गुरुद्वारे में प्रधानमंत्री से किसी और विषय पर कोई बात नहीं हुई।
सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महाप्रबंधक बलवीर सिंह बिल्लू ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला जैसे ही गुरुद्वारा परिसर में दाखिल हुआ किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि प्रधानमंत्री आए हैं।
गौरतलब है कि बीते कई दिनों से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पंजाब से आए सैकड़ों किसान केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इन विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी बिना किसी कैबिनेट सहयोगी या राजनेता को साथ लिए अकेले ही एक सामान्य नागरिक की तरह गुरुद्वारे में माथा टेकने पहुंचे थे।
हालांकि इस दौरान प्रधानमंत्री ने कोई राजनीतिक चर्चा नहीं की न ही गुरुद्वारे में मौजूद ग्रंथियों और सेवादारों ने कोई राजनीतिक प्रश्न किए। गुरुद्वारा रकाब गंज के मुख्य ग्रंथी भाई हरदयाल सिंह ने कहा, मोदी जी हमारे प्रधानमंत्री है उनका यहां आना हमें बहुत अच्छा लगा। यह गुरु घर है प्रधानमंत्री जी यहां आए यह अच्छी बात है, लेकिन इस दौरान गुरु साहिब के इतिहास के अलावा किसान आंदोलन या फिर किसी और विषय पर बात नहीं हुई। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| दिल्ली सरकार एक ऐसी योजना लागू करने जा रही है जिसके अंतर्गत उन बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जिनके माता-पिता जेल में बंद हैं। इस योजना के अंतर्गत उन बच्चों की मदद की जाएगी, जिनके माता-पिता सजा काट रहे हैं और उनके पास बच्चों के लिए कोई वित्तीय व्यवस्था नहीं है। दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने रविवार को महिला और बाल विकास विभाग की निदेशक, सचिव गृह विभाग, सचिव समाज कल्याण विभाग के साथ एक बैठक की। बैठक में पात्रता मानदंड और बच्चे को वित्तीय सहायता के सुचारू संवितरण के बारे में गहन चर्चा हुई।
दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल ने कहा, यह बैठक एक ऐसी योजना के कार्यान्वयन के बारे में है जिसमें उन बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जिनके माता-पिता जेल में है। इस योजना के चिन्हित लाभार्थी वे बच्चे हैं, जिनके माता-पिता सजा काट रहे हैं और उनके पास अपना समर्थन देने के लिए कोई वित्तीय साधन नहीं है। इससे पहले, योजना की पात्रता मानदंड केवल उन्हीं बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करती थी जिनके माता-पिता दोनों जेल में हैं या यदि एक माता-पिता का निधन हो चुका है।
मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने निर्देश दिए की अगर कोई भी एक ब्रेड विनर जेल में होगा तब भी उसके बच्चे वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है।
राजेंद्र पाल गौतम ने कहा, इस योजना का उद्देश्य उन बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिनके माता-पिता जेल में हैं और उनके पास आर्थिक रूप से खुद को बनाए रखने का कोई साधन नहीं है। माता या पिता के जेल जाने से अक्सर बच्चों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थितियों में सरकार का यह कर्तव्य बन जाता है कि वह बच्चे को सहायता प्रदान करे।
डीसीपीसीआर के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने योजना के कार्यान्वयन और प्रक्रिया को शुरू से ही परेशानी मुक्त बनाने के संबंध में मंत्री के सामने रेकमेंडेशन्स प्रस्तुत की है।
राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि इस योजना के बारे में गिरफ्तारी के दिन कैदी के परिवारों को सूचित किया जाना चाहिए। परिवार के सदस्यों के सभी विवरणों के साथ एक डैशबोर्ड गृह विभाग द्वारा बनाए रखा जाना चाहिए। फिर सूचना को समाज कल्याण विभाग को भेजा जाना चाहिए। 15 दिनों के भीतर यह प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए और वित्तीय सहायता लाभार्थी तक पहुंचनी चाहिए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर बैठक के दौरान राहुल गांधी के करीबी सहयोगी के.सी. वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला मौजूद नहीं थे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। वेणुगोपाल के करीबी सूत्रों ने कहा कि वह अपनी मां के निधन के बाद कुछ धार्मिक रस्म करने के लिए अपने पैतृक स्थान पर हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या राहुल गांधी ने वेणुगोपाल को जानबूझकर बैठक से दूर रखा। वेणुगोपाल का पार्टी में पद बढ़ाए जाने से असंतुष्टि, असहमति बढ़ी है।
शायद इसका कोई जवाब नहीं है और दूसरे खेमे के सूत्रों ने कहा कि उनकी अनुपस्थिति को एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि राहुल गांधी वरिष्ठों के साथ काम करना चाहते हैं, इसलिए पंचमढ़ी की तर्ज पर विचार मंथन का सुझाव दिया जा रहा है, लेकिन पार्टी की स्थिति पर अंतिम विचार करने से पहले सोनिया गांधी अधिकांश नेताओं से मिलेंगी।
वरिष्ठ पार्टी नेता पवन बंसल ने कहा, "राहुल गांधी के साथ किसी को कोई समस्या नहीं है और यह सिर्फ आज के लिए नहीं है। हर किसी ने कहा कि हमें राहुल गांधी के नेतृत्व की जरूरत है। हमें अन्य लोगों के जाल में नहीं फंसना चाहिए जो पार्टी के एजेंडे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।" (आईएएनएस)
23 नेताओं के समूह ने इस साल अगस्त में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व में सुधार की मांग की थी जिसके बाद ये बैठक हुई है।
भोपाल, 20 दिसंबर| अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए मध्य प्रदेश में धन संग्रह किया जाएगा, इसके लिए 15 जनवरी से 14 फरवरी तक अभियान चलाया जाएगा। श्रद्धा निधि समर्पण राशि के 10 रुपये, 100 रुपये और 1000 रुपये के कूपन तैयार किए गए हैं। इसके अलावा इससे अधिक राशि देनी है तो डीडी, चेक या रसीद-बुक से पैन नंबर के साथ दे सकेंगे। म्ांदिर निर्माण के लिए चलाए जाने वाले अभियान के प्रांत सह अभियान प्रमुख ओम प्रकाश सिसोदिया ने बताया है कि 15 जनवरी से 14 फरवरी तक राज्य में जन-जन को जोड़कर निधि समर्पण के अंतर्गत राशि संग्रह की जाएगी। इसमें आम लोग कूपन से मंदिर निर्माण में अपनी श्रद्धा निधि समर्पण राशि दे सकेंगे।
उन्हांेने आगे कहा कि इस पूरे निधि समर्पण कार्यक्रम का उद्देश्य समस्त हिन्दू समाज को भव्य राम मंदिर निर्माण से सीधे जोड़ना है इसलिए इसे लेकर विस्तृत योजना बनी है और मध्य भारत प्रांत व संपूर्ण मध्यप्रदेश में प्रत्येक सनातन घर तक संपर्क करेंगे। 30 दिन चलने वाले इस अभियान में संग्रहित निधि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास को भेजी जाएगी।
सिसोदिया ने बताया है कि भारत सरकार के सीबीडीटी नोटिफिकेशन द्वारा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को एतिहासिक महत्व का स्थान एवं सार्वजनिक पूजा स्थल घोषित किया गया है। इसलिए दान या समर्पण निधि पर आयकर अधिनियम 1961 धारा 80जी में नियमानुसार छूट दी गई है। (आईएएनएस)
पेरिस समझौते को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि देशों और दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की सटीक जानकारी हो, पर समस्या यह है कि जलवायु परिवर्तन और तापमान वृद्धि के बारे में वैज्ञानिकों को जितनी ठोस जानकारी है, उतनी इसके उत्सर्जन के बारे में नहीं हैI
महेन्द्र पांडे
पिछले महीने आयोजित जी-20 समूह की बैठक को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा था कि जलवायु परिवर्तन रोकने के मुद्दे पर हम अपने निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक काम कर रहे हैंI इस सन्दर्भ में उदाहरण के तौर पर लगातार नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र के आंकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं, पर उसमें भी पिछले दो वर्षों से मंदी छा गई हैI सौर और पवन ऊर्जा की अनेक कम्पनियां बंद हो चुकी हैं, अनेक परियोजनाएं रोक दी गई हैंI
दूसरी तरफ बड़े देशों में भारत ही एक ऐसा देश है जहां कोयले की मांग और खपत लगातार बढ़ती जा रही है और कोयला आधारित नए बिजलीघर आज भी स्थापित किये जा रहे हैंI भारत के कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन के उत्सर्जन के आंकड़ों पर लगातार देशी-विदेशी वैज्ञानिक प्रश्न चिह्न लगाते रहे हैंI संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत वनों के आंकड़ों पर भी सवाल खड़ा किया था और इन्हें फिर से पेश करने को कहा थाI इन सबके बीच, सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या भारत जैसा देश ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन या फिर पर्यावरण विनाश के सही आंकड़े प्रस्तुत कर सकता है?
पिछले वर्ष जब भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को हटा दिया और उसके बाद नागरिकता संशोधन कानून लागू किया तब देश-विदेश में तीखी प्रतिक्रया व्यक्त की गई थीI इसके विरोध में मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने भी तीखे बयान दिए थे। जाहिर है ये बात पीएम मोदी और उनकी सरकार को नागवार गुजरीI सरकारी तौर पर तो इस पर विरोध दर्ज कराया ही गया, पर पर्दे के पीछे से मलेशिया को व्यापारिक तौर पर कमजोर भी किया गयाI
दरअसल भारत पाम आयल का दुनिया में सबसे बड़े उपभोक्ता और आयातक देशों में सम्मिलित हैI परंपरागत तौर पर मलेशिया से भारत में सबसे अधिक पाम आयल का आयात किया जाता हैI जब सरकार ने मलेशिया के प्रधानमंत्री के वक्तव्यों पर विरोध दर्ज किया, तब सरकार को खुश करने के लिए देश के पाम आयल व्यापारी संघ ने अचानक मलेशिया से पाम आयल के आयात को बंद करने का ऐलान कर दिया और महंगे दामों पर इंडोनेशिया से इसका आयात करना शुरू कर दियाI
इंडोनेशिया को जब भारत से बड़े आर्डर मिलने लगे तब वहां इसके उत्पादन को बढाने के तरीके आजमाए जाने लगेI इन तरीकों में एक था, पाम आयल के पौधों को नए क्षेत्र में लगाना और इनका दायरा बढ़ानाI इसके लिए नए क्षेत्र तलाशे गए, जिनमें अधिकतर क्षेत्र वहां के वर्षा वनों को काट कर निकाले गएI इंडोनेशिया के वर्षा वन विशेष हैं और ऐसे जंगल पूरे एशिया में दूसरे नहीं हैंI विशेष वनस्पतियों और वन्यजीवों से भरे ये वन सामान्य वनों की अपेक्षा वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड का अधिक अवशोषण करते हैंI
ऐसे में जब पाम आयल प्लान्टेशन के लिए जंगलों का बड़ा हिस्सा साफ किया गया, तब जाहिर है वनस्पतियों में अवशोषित कार्बन वायुमंडल में मिल गयाI भारत को पाम आयल का निर्यात करने के लिए इंडोनेशिया में जंगल काटे गए और इससे कार्बन डाइऑक्साइड भारी मात्रा में वायुमंडल तक पहुंची, पर इसका उल्लेख हमारे देश के उत्सर्जन में कहीं नहीं होगाI
इन दिनों देश में अधिकतर बड़े ताप बिजली घर गौतम अडानी की कंपनियों के नाम हैं और अनेक नए बड़े बिजलीघर उनकी कंपनी स्थापित भी कर रही हैI समस्या यह है कि अपने देश में कोयला के भंडार तो बहुत हैं पर उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं हैI ऑस्ट्रेलिया के कोयले की गुणवत्ता बहुत अच्छी मानी जाती हैI अडानी की कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े कोयला खदानों में से एक को खरीदा और अब उस पर काम अंतिम चरण में है और जल्द ही उत्पादन शुरू होगाI इसके लिए बड़े पैमाने पर वनस्पतियों का सफाया किया गया, रेल लाइन बिछाने के लिए जंगल काटे गए और पोर्ट बनाने के लिए कोरल रीफ को बर्बाद किया गयाI जाहिर है, देश के ताप बिजली घरों को चलाने के लिए ऑस्ट्रेलिया में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ गयाI
कुछ दिनों पहले की खबर के अनुसार दुनिया भर में बड़ी खान-पान से जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां जो चिकेन परोसती हैं, उन मुर्गों/मुर्गियों का मुख्य भोजन सोयाबीन है, जो पहले चीन से मंगाया जाता था, पर अब चीन का बहिष्कार करने के चक्कर में ब्राजाल से मंगाया जाता हैI ब्राजील में सोयाबीन की खेती का क्षेत्र बढाने के नाम पर अमेजन के वर्षा वन काटे जा रहे हैं, जिनसे एक तरफ तो पर्यावरण का विनाश हो रहा है तो दूसरी तरफ ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में मिल रही हैंI ब्राजील के अमेजन के वर्षा वनों को धरती का फेफड़ा कहा जाता है, क्योंकि हवा को साफ करने में इनका बड़ा योगदान हैI
जाहिर है कि किसी देश द्वारा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बता पाना कठिन काम है, क्योंकि मुक्त व्यापार के इस दौर में हरेक देश के कारण उत्सर्जन दूसरे देशों में भी हो रहा हैI अब, अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्वाचन की इलेक्टोरल कॉलेज से स्वीकृति मिलने के बाद से फिर से जलवायु परिवर्तन के नियंत्रण से संबंधित पेरिस समझौते, जिसके हाल में ही पांच वर्ष पूरे हुए हैं, की चर्चा जोर-शोर से की जा रही हैI जो बाइडेन ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दुहराया हैI उनके अनुसार राष्ट्रपति पद का जिम्मा संभालते ही पहले दिन वे पेरिस समझौते में वापस शामिल होने की कार्यवाही शुरू कर देंगे और अपने कार्यकाल के 100 दिनों के भीतर ग्रीनहाउस गैसों के प्रमुख उत्सर्जक देशों का सम्मलेन अमेरिका में आयोजित करेंगेI
पेरिस समझौते को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि देशों और दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की सटीक जानकारी हो, पर समस्या यह है कि जलवायु परिवर्तन और तापमान वृद्धि के बारे में वैज्ञानिकों को जितनी ठोस जानकारी है, उतनी इसके उत्सर्जन के बारे में नहीं हैI नीतियों में भले ही विभिन्न देशों में भिन्नता हो, पर व्यापार के मामले में सभी देश एक दूसरे से मिले हुए हैंI एक देश की मांग दूसरे देश से पूरी हो रही है, ऐसे में दूसरे देश के ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का जिम्मेदार किसे माना जाएगा, यह भी स्पष्ट नहीं हैI (navjivanindia.com)
श्रीनगर, 20 दिसंबर| आसमान में छाए बादलों के कारण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में रात के तापमान में आंशिक रूप से सुधार हुआ है, लेकिन दोंनो केंद्र शासित प्रदेशों में शीत लहर जारी है। न्यूनतम तापमान में मामूली सुधार के बावजूद रविवार को घाटी और लद्दाख में तीव्र शीत लहर शुरू हो गई है। श्रीनगर की प्रसिद्ध डल झील के कुछ हिस्से जम गए हैं जिससे झील के ऐसे हिस्सों में नावें खड़ी करना मुश्किल हो गया है।
मौसम विभाग ने सोमवार और मंगलवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हल्की बारिश या बर्फबारी होने का अनुमान लगाया है। श्रीनगर में न्यूनतम तापमान माइनस 6.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो कल के माइनस 6.6 से कुछ बेहतर था।
विभाग के अधिकारी ने कहा, "पहलगाम और गुलमर्ग में क्रमश: माइनस 7.7 और माइनस 7.5 तापमान रहा, जो कल के माइनस 9.5 और माइनस 9.2 से बेहतर था।"
लद्दाख के लेह शहर में माइनस 17.0, कारगिल में माइनस 20.0 और द्रास में माइनस 27.3 न्यूनतम तापमान रहा।
वहीं जम्मू में न्यूनतम तापमान 4.2, कटरा में 5.8, बटोटे में 2.3, बनिहाल में 0.6 और भद्रवाह में माइनस 2.6 तापमान दर्ज हुआ।
40 दिन की कठोर सर्दी की अवधि 'चिल्लई कलां' सोमवार से शुरू होने वाली है जो 31 जनवरी तक रहेगी। इस दौरान होने वाली बर्फबारी से ही पहाड़ों में बारहमासी पानी के जलाशय भरते हैं। जो गर्मियों में पिछलकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की विभिन्न नदियों, झरनों और झीलों में पहुंचते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| नये कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के धरना-प्रदर्शन का रविवार को 25वां दिन है। इस आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए जगह-जगह रविवार को श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया जा रहा है। देश में रविवार को गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। वह सिखों के नौवें गुरु थे। भारतीय किसान यूनयिन किसान (भाकियू) से जुड़े पंजाब के किसान नेता गुरविंदर सिंह ने कहा कि अपने हकों के लिए किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को भी आज श्रद्धांजलि दी जा रही है। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा समेत देश के अन्य प्रांतों में भी श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया जा रहा है।
पंजाब में ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल दिल्ली में आयोजित एक श्रद्धांजलि-सभा में पहुंचे। पुनावाल ने आईएएनएस से बताया कि तीनों नये कानूनों का अध्यादेश जून में आने के बाद से किसान इसका विरोध कर रहे हैं और इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान पूरे देश में अब तक जितने किसान शहीद हुए हैं उनकी याद में आज पूरे देश में श्रद्धांजलि-सभा आयोजित कर उनको श्रद्धांजलि दी जा रही है।
पुनावाल ने बताया कि आज दोपहर बाद किसान संगठनों की सिंघु बॉर्डर पर फिर एक बैठक होगी जिसमें आंदोलन के आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सरकार से बातचीत को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ''हम सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है बशर्ते सरकार हमें यह बताएं कि वह तीनों कानूनों को वापस लेने पर विचार करेगी।''
संसद के मानसून सत्र में कृषि से जुड़े तीनों अध्यादेशों से संबंधित तीन अहम विधेयकों संसद में पेश किए गए और दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद इन्हें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के रूप सितंबर में लागू किए गए।
दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे किसान संगठन इन तीनों काूननों को वापस लेने की मांग कर रहो हैं जबकि सरकार इनमें किसानों के हितों से जुड़े मुद्दों को शामिल कर संशोधन का प्रस्ताव दे चुकी है।
इस बीच 17 दिसंबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम एक पत्र लिखकर इन कानूनों से किसानों को होने वाले फायदे का जिक्र करते हुए विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। इन पत्र के जवाब में प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री तोमर के नाम एक पत्र लिखा गया जिसमें सरकार द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों का जवाब दिया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर | पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का किला ध्वस्त करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने उन दस हजार छोटे-बड़े सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं पर फोकस किया है, जिनका हिंदू मतदाताओं में काफी असर है। भाजपा ने कई ग्रुप गठित कर इन सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों से जनसंपर्क अभियान शुरू किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल दौरे के दौरान महापुरुषों की जन्मस्थली पर जाने के साथ बुद्धिजीवियों और समाज के अन्य वर्गों के साथ गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की भेंटवार्ता हर वर्ग को पार्टी से जोड़ने की रणनीति का हिस्सा हैं। पश्चिम बंगाल में हिंदुओं में भी तमाम पंथ और वर्ग हैं, जो रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, हिंदू मिलन समाज, इस्कॉन आदि संगठनों के अनुसार अपना रुख तय करते हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को रामकृष्ण मिशन जाकर पश्चिम बंगाल का दो दिवसीय दौरा शुरू किया। उन्होंने रामकृष्ण मिशन जाकर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए। बंगाल में स्वामी विवेकानंद की बेहद स्वीकार्यता है। जनता उन्हें अपना आदर्श मानती है। भाजपा के एक नेता ने आईएएनएस से कहा, पश्चिम बंगाल में रामकृष्ण मिशन के करीब 50 लाख अनुयायी हैं। स्वामी विवेकानंद ने दुनिया में भारत का मान बढ़ाया, लेकिन मौजूदा तृणमूल कांग्रेस सरकार ने न स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और न ही रामकृष्ण मिशन के कार्य को आगे बढ़ाने की दिशा में कोई पहल की। अब भाजपा पश्चिम बंगाल के सभी महापुरुषों की विरासत को आगे बढ़ाएगी।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की चुनावी रणनीति का दारोमदार प्रशांत किशोर (पीके) के कंधे पर है। जबकि भाजपा कई थिंकटैक के माध्यम से ममता बनर्जी की हर रणनीति का काउंटर करने में जुटी है। ऐसा ही एक थिंक टैंक है- श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन। दिल्ली के अशोका रोड से संचालित यह थिंकटैंक भी पश्चिम बंगाल में भाजपा की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभा रहा है। गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान फाउंडेशन के डायरेक्टर अनिर्बान गांगुली भी मौजूद रहे।
भाजपा का थिंक टैंक पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के अनुरूप रणनीति बनाने में जुटा है। शुरूआत में भाजपा ने कार्यक्रमों में जय श्रीराम के नारे लगाने शुरू किए तो ममता बनर्जी ने इसे उत्तर भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बंगाल की जनता पर थोपने की बात कही थी। जिस पर भाजपा के थिंक टैंक ने तुरंत अपनी लाइन बदलते हुए बंगाल के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर जोर देना शुरू कर दिया। पश्चिम बंगाल में मां काली के अनुयायियों की भारी संख्या देख भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता हर दौरे के दौरान दक्षिणेश्वर काली मंदिर का दौरा करते हैं। इस प्रकार श्रीराम की जगह अब मां काली पर भाजपा ने फोकस किया है।
भाजपा ने हर जिले में धार्मिक और सामाजिक संगठनों से जनसंपर्क के लिए कुछ कमेटियां बनाई हैं। ये कमेटियां पूर्व सांसद और भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी अनुपम हाजरा के निर्देशन में कार्य कर रहीं हैं। अनुपम हाजरा बोलपुर से तृणमूल कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निकाले जाने पर उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। हालांकि भाजपा के टिकट पर वह जादवपुर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे।
(आईएएनएस)
मुरादाबाद (उप्र), 20 दिसंबर | पति के नए 'लव जिहाद' कानून के तहत गिरफ्तार होने के बाद आश्रय गृह में रह रही मुरादाबाद की 22 वर्षीय युवती का गर्भपात हो गया है। एक निजी लैब द्वारा किए गए अल्ट्रासाउंड टेस्ट से यह पता चला है। इसके साथ ही लव जिहाद को लेकर चल रहा ड्रामा भी समाप्त हो गया। इस महीने की शुरूआत में मुरादाबाद में पुलिस ने एक युवक और उसके भाई को नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया था। रशीद नाम का यह युवक उस समय कांठ में रजिस्ट्रार कार्यालय में था, जब उसे बजरंग दल के सदस्यों ने पुलिस को सौंपा था।
युवती का जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के आरोपों को साबित करने के लिए पुलिस द्वारा सबूत पेश न किए जाने के चलते शनिवार को उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने राशिद और उसके भाई को रिहा कर दिया था।
राशिद ने करीब 5 महीने पहले देहरादून के बिजनौर की रहने वाली 22 वर्षीय पिंकी से शादी की थी। दोनों की मुलाकात देहरादून में हुई थी। वहां राशिद काम करता था और लड़की पढ़ाई कर रही थी। रशीद की गिरफ्तारी के बाद पिंकी को एक आश्रय गृह में भेज दिया गया। पिंकी ने आरोप लगाया कि चिकित्सकीय लापरवाही के कारण उसे गर्भपात हो गया। उसने यह भी कहा कि उसे नारी निकेतन में प्रताड़ित किया गया था।
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में कहा गया कि पिंकी का गर्भपात हो गया है और उसके गर्भाशय में संक्रमण है, जिसका इलाज किया जाना चाहिए।
पिंकी ने आरोप लगाया था कि संरक्षण गृह के कर्मचारियों ने उसकी बिगड़ती हालत को नजरअंदाज किया और अस्पताल ले जाने पर वहां डॉक्टर ने एक इंजेक्शन दिया, जिससे उसका गर्भपात हो गया। अस्पताल ने आरोपों का सिरे से खंडन किया है।
मुरादाबाद जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. निर्मला पाठक ने कहा, "अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट डॉ.आर.पी. मिश्रा ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि भ्रूण दिखाई दे रहा था लेकिन दिल की धड़कन नहीं थी।"
उन्होंने आगे कहा, "पहले ही अल्ट्रासाउंड के बाद हमें संदेह था क्योंकि बच्चे की दिल की धड़कन नहीं मिली थी। दूसरे परीक्षण के लिए हमने डॉपलर अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया, लेकिन दिल की धड़कन का पता नहीं चल सका।"
इस बीच 13 दिनों तक जेल में रहने के बाद शनिवार को अदालत के आदेश के बाद राशिद और उसके भाई को रिहा कर दिया गया। पिंकी को भी ससुराल लौटने की इजाजत दे दी गई है।
कांठ पुलिस ने एक रिपोर्ट में कहा कि पिंकी ने राशिद और उसके भाई सलीम द्वारा जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के आरोपों से इनकार कर दिया था इसलिए हमें कोई सबूत नहीं मिले।
(आईएएनएस)
कानपुर (उत्तर प्रदेश), 20 दिसंबर | अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए सुर्खियों में रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने अब कहा है कि "जैसा कि पाकिस्तान से अधिक मुसलमान भारत में हैं, उनका अल्पसंख्यक दर्जा खत्म कर दिया जाना चाहिए।" साक्षी शनिवार को उन्नाव में एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान की तुलना में भारत में मुस्लिम आबादी अधिक है, इसलिए मुसलमानों के अल्पसंख्यक दर्जे को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया जाना चाहिए। मुसलमानों को अब खुद को हिंदुओं का छोटा भाई-बहन समझना चाहिए और देश में उनके साथ रहना चाहिए।"
देश की बढ़ती जनसंख्या पर बोलते हुए साक्षी ने कहा, "जल्द ही बढ़ती जनसंख्या की जांच के लिए एक विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे, उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाएगा।"
भाजपा सांसद ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे विरोध पर विपक्षी दलों पर हमला किया, और कहा, "सरकार कृषि कानूनों के बारे में बात करने के लिए तैयार है।"
उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, "राम मंदिर की तरह, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों को कृषि बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए न कि उन्हें भोलेभाले किसानों के कंधों से बंदूक चलानी चाहिए।"
(आईएएनएस)
हाथरस (उत्तर प्रदेश), 20 दिसंबर | सीबीआई द्वारा हाथरस मामले में दुष्कर्म और हत्या के चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किए जाने के दो दिन बाद 19 वर्षीय पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने कहा है कि वे गांव छोड़कर जाना चाहते हैं। पीड़िता के भाईयों में से एक ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "चारों आरोपियों के परिवार गांव के प्रभावशाली लोग हैं और गांव के चार-पांच दलित परिवार 'परेशानी' से दूर रहना चाहते हैं और हमारा सहयोग नहीं करेंगे। 63 से अधिक उच्च जाति के परिवार हैं जो बात भी नहीं करते हैं। शुक्रवार को चार्जशीट दायर होने के बाद हालात और भी अधिक प्रतिकूल हो गया है।"
पीड़िता ने मरने के पहले दिए बयान में कहा था कि आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया है लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने दुष्कर्म की बात को नकार दिया था।
14 सितंबर को वह दुष्कर्म का शिकार होने के बाद 30 सितंबर को दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मौत के बाद राष्ट्रीय आक्रोश पैदा हो गया था।
परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान की गई है, लेकिन परिवार के सदस्यों का कहना है कि हमेशा सुरक्षाकर्मी नहीं रहेंगे।
भाई ने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार हमें दिल्ली में एक घर दे ताकि हम यहां से दूर जा सकें और शांति से अपना जीवन जी सकें।"
पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा ने भी एक समाचार चैनल से कहा कि वह मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग करेंगी।
उन्होंने कहा, "यूपी के अधिकारियों पर भी मामले में लापरवाही का आरोप है। हम चार्जशीट में उनको शामिल करने की मांग करेंगे। यह निश्चित रूप से गांव में रह रहे पीड़िता के परिवार के लिए सुरक्षित नहीं है।"
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक रविवार को सुबह-सुबह यहां रकाबगंज गुरुद्वारे में पहुंच गए। उन्हें अचानक गुरुद्वारा परिसर में देखकर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के लोग भी चौंक गए। उनके गुरुद्वारे जाने को लेकर न तो सड़कों पर सिक्योरिटी और न ही बैरेकेडिंग के इंतजाम किए गए थे। आम आदमी की तरह बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा पहुंचकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने इस दौरान सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर जी को नमन करते हुए शांति का संदेश दिया। किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री मोदी का अचानक गुरुद्वारा पहुंचने को महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है।
गुरु तेगबहादुर ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। उनकी शहादत हर साल शहीदी दिवस के रूप में याद किया जाता है। बीते शनिवार को ही पूरे देश ने उनका शहीदी दिवस मनाया है। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान ध्यान रखा गया कि इस दौरान आम आदमी को किसी तरह की दिक्कत न हो। क्योंकि रविवार के दिन गुरुद्वारे में शीश नवाने जाने वालों की संख्या ज्यादा होती है। इसीलिए कहीं कोई सुरक्षा आदि की वैसी व्यवस्था नहीं हुई, जैसी आमतौर पर होती है।
गुरु तेग बहादुर ने 17वीं शताब्दी के दौरान सिख धर्म का प्रचार किया। वर्ष 1975 में उन्होंने हंसते-हंसते प्राणों का बलिदान कर दिया था। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब के किसानों की ओर से चलाए जा रहे आंदोलन के बीच अचानक गुरुद्वारा पहुंचकर एक संदेश दिया है। हालांकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि यह शुद्ध आस्था का मामला है। इसे किसी और नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। (आईएएनएस)
हुबली (कर्नाटक), 20 दिसंबर | जहां कर्नाटक में कांग्रेस गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्तावित विधेयक का पुरजोर विरोध कर रही है, वहीं पार्टी के एक वरिष्ठ नेता सी.एम. इब्राहिम ने शनिवार को राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के सत्तारूढ़ भाजपा के फैसले का स्वागत किया। इब्राहिम का बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में गौ हत्या पर प्रतिबंध को लागू करने के फैसले को लेकर विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने भाजपा सरकार पर कई हमले किए हैं।
इब्राहिम ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए मुसलमानों से गोमांस नहीं खाने की अपील की और मांग की कि सत्तारूढ़ भाजपा पंचायत स्तर पर गौशाला स्थापित करे न कि तालुका स्तर पर।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, एक मुसलमान के रूप में, मुझे लगता है कि हमारे समुदाय को देश में हिंदुओं की धार्मिक भावना को आहत करने वाली किसी भी गतिविधि में लिप्त नहीं होना चाहिए। मुस्लिम समुदाय को इसका एहसास होना चाहिए और गोमांस खाने से दूर रहना चाहिए।
इब्राहिम इस वक्त राज्यव्यापी दौरे पर हैं। वो कांग्रेस छोड़ कर जनता दल (एस) में शामिल हो सकते हैं।
इब्राहिम ने कहा कि पार्टी और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उनके साथ गलत व्यवहार और अनदेखा किया।
हालांकि पिछले हफ्ते कर्नाटक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने इब्राहिम से मुलाकात की और कांग्रेस नहीं छोड़ने की अपील की थी।
लेकिन अगले ही दिन इब्राहिम ने जद (एस) सुप्रीमो एच.डी. देवेगौड़ा और उनके बेटे, एच.डी. कुमारस्वामी से उनके घर पर मुलाकात की और कांग्रेस छोड़ने का संकेत दिया।
इसके तुरंत बाद, सिद्धारमैया ने मैसूरु में स्पष्ट किया पार्टी के लिए कोई भी अपरिहार्य नहीं है।
--आईएएनएस
पश्चिम बंगाल की राजनीति से जुड़े हर शख़्स के लिए बीता सप्ताह काफ़ी उथल-पुथल और बदलावों वाला रहा.
चाहे वो राजनेता हों, पार्टी कार्यकर्ता हों, पश्चिम बंगाल की राजनीति को कवर करने वाले पत्रकार हों या फिर टीवी की बहस में बैठने वाले नियमित पैनेलिस्ट ही क्यों ना हों.
पश्चिम बंगाल की राजनीति से जुड़े इन सभी लोगों के लिए गुज़रा सप्ताह बेहद बदलाव भरा और व्यस्त रहा.
अगर टीवी न्यूज़ पर ग़ौर किया हो तो आपको बीते कुछ दिनों में पॉलिटिकल ब्रेकिंग कुछ ज़्यादा दिखाई दी होंगी.
और राजनीतिक बदलाव कई जगह होते देखे गए. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक, आसनसोल, बैरकपुर, बांकुरा, हल्दिया, मेदिनीपुर, पुरुलिया, मालदह में बड़े राजनीतिक बदलाव देखने को मिले.
कांथी कस्बा बनाम कालीघाट
पश्चिम बंगाल की राजनीति में मचे बवाल का सबसे अधिक असर या यूं कहें कि इस समय का सबसे बड़ा आकर्षण रहा - कांथी कस्बा.
तटवर्ती इलाके में स्थित कांथी कस्बे को ब्रितानी काल के दौरान कोंटाई नाम से जाना जाता था.
इसकी वजह ये है कि कांथी अब 'क' से ही शुरू होने वाले दूसरे स्थान को चुनौती दे रहा है- कालीघाट को.
कालीघाट वो इलाका है जहाँ राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रहती हैं. कांथी में शुभेंदु अधिकारी का घर है.
शुभेंदु अधिकारी साल 2007-2008 में प्रस्तावित पेट्रो केमिकल हब के ख़िलाफ़ चले नंदीग्राम के किसानों के आंदोलन का चेहरा थे.
शुभेंदु बीजेपी में शामिल हुए
नंदीग्राम आंदोलन ने साल 2011 में ममता बनर्जी के सत्ता में आने के मार्ग को प्रशस्त किया था.
इसके अलावा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के बाद वह टीएमसी के दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता थे.
भले ही वे पुरबा मेदिनीपुर ज़िले में नंदीग्राम से विधायक हैं लेकिन आस-पास के कई ज़िलों में भी उनका समर्थन आधार काफी है.
पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़ा बदलाव तब आया जब बीते हफ़्ते शुभेंदु अधिकारी ने मंत्री पद और सभी सरकारी ओहदों से इस्तीफ़ा दे दिया और शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए. केंद्रीय मंत्री अमित शाह की मेदिनीपुर में शनिवार को हुई एक रैली में टीएमसी के पूर्व नेता शुभेंदु अधिकारी आधिकारिक तौर पर बीजेपी में शामिल हो गए.
आसनसोल नगर निगम के प्रमुख जितेंद्र तिवारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ
दल बदल या बदलाव
ऐसा माना जा रहा है कि अधिकारी के कई समर्थक भी आने वाले दिनों में उन्हीं की राह पर चलते हुए बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
टीएमसी, सीपीआई, सीपीआईएम और कांग्रेस के कई सांसद, विधायक, पूर्व सांसद-विधायक और मंत्रियों को बीजेपी में शामिल होने की बात भी सामने आ रही है.
एक ओर जहां मीडिया के लिए यह बदलाव बड़ी ख़बर है. वहीं, राज्य में सरकारी अमला यह आकलन करने में व्यस्त है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले वो कौन होंगे जो बीजेपी में शामिल हो जाएंगे. लेकिन आशंका सिर्फ़ एकतरफ़ा नहीं हैं.
आशंका इस बात को लेकर भी हैं कि क्या टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए बाग़ी नेताओं को बीजेपी पार्टी के कार्यकर्ता और स्थानीय नेता स्वीकार करेंगे या नहीं.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरुंधति मुखर्जी के मुताबिक़, "आसनसोल नगर निगम के प्रमुख जितेंद्र तिवारी का उदाहरण देखिए. तिवारी ने टीएमसी और निगम के पद से इस्तीफ़ा दिया. वे बीजेपी में आने के लिए पूरी तरह तैयार थे लेकिन केंद्रीय मंत्री और आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो समेत अन्य वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने खुले तौर पर तिवारी का विरोध किया था. अभी जब कल तक बीजेपी तिवारी का विरोध करती रही है कि वे उन्हें अब पार्टी में कैसे स्वीकार कर सकती है?"
इसके अलावा कई अन्य मामले भी हैं जब बीजेपी कार्यकर्ताओं ने टीएमसी नेताओं के बीजेपी में शामिल होने का विरोध किया है.
क्या इससे बीजेपी में फूट पैदा होगी?
क्या इससे पुरानी बीजेपी और नई बीजेपी के बीच संघर्ष होगा?
बीजेपी नेता और आरएसएस की बंगाली में छपने वा पत्रिका स्वास्तिका के संपादक रंतिदेब सेनगुप्ता कहते हैं, "पार्टी नेतृत्व ने निश्चित तौर पर इस बारे में सोचा है और एक स्पष्ट संदेश दिया कि नए लोगों के लिए रास्ता बनाने का मतलब पुराने लोगों को दरकिनार करना नहीं."
सेनगुप्ता के अनुसार, "विभिन्न दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के हमारे साथ जुड़ने की उम्मीद है. ख़ासतौर पर टीएमसी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के शामिल होने की. यह एक भ्रामक प्रचार है कि जब नए कार्यकर्ता और नेता पार्टी में शामिल होते हैं तो पुरानों को दरकिनार कर दिया जाता है. ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा है. केंद्रीय नेतृत्व ने हर किसी को यह स्पष्ट किया है."
मुखर्जी भी इस संबंध में केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका को अहम बताती हैं.
वो कहती हैं, "बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और यह तय करेगा कि चीजों को किस तरह आगे ले जाना है. उन्होंने निश्चित तौर पर तिवारी के संबंध में उठे विरोध के स्वर को सुना होगा कि उन्हें पार्टी में आने से रोक दिया गया है. बीजेपी किसी क़ीमत पर नहीं चाहेगी कि चुनावों से पहले पार्टी में गुटबाज़ी शुरू हो जाए. हमने कोलकाता में विजयादशमी के बाद एक सभा के दौरान विभिन्न बीजेपी गुटों के नेताओं को हाथ मिलाते हुए देखा है."
मुकुल रॉय का उदाहरण
जिन नेताओं के टीएमसी छोड़ने की बात सामने आ रही है उनके संबंध में अक्सर कहा जाता रहा है कि वे देशद्रोही हैं और सत्ता के लालची हैं.
टीएमसी का आरोप है कि टीएमसी के कार्यकाल में सत्ता का आनंद लेने के बाद वे बीजेपी से टिकट पाने के लिए चुनावों के ठीक पहले पार्टी में शामिल हो रहे हैं.
रंतिदेब सेनगुप्ता कहते हैं, "उनमें से कुछ को तो निश्चित तौर पर चुनावी टिकट मिलेगा लेकिन हर किसी को तो नहीं. जो कोई भी हमारे साथ जुड़ना चाहता है, उसे पहले हमारी विचारधारा को स्वीकार करना होगा. वे हमारे एजेंडे के साथ हैं इसलिए आ रहे हैं. नेतृत्व को अच्छे से पता है कि कौन किस पद के लिए उपयुक्त है और वे उसी आधार पर फ़ैसले लेंगे."
राजनीतिक विश्लेषक बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय का उदाहरण देते हैं. बीजेपी में शामिल होने से पहले मुकुल रॉय टीएमसी में दूसरे सबसे प्रभावशाली नेता थे.
अरुंधति मुखर्जी कहती हैं, "जब मुकुल रॉय टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, तभी यह स्पष्ट कर दिया गया था कि वे राज्य में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे. अब अगर शुभेंदु अधिकारी के समर्थक ये सपना देख रहे हैं कि बीजेपी के जीतने पर वो सीएम बनेंगे तो यह तो बिल्कुल भी नहीं होने वाला है. इस बात का फ़ैसला सिर्फ़ आरएसएस ही करेगी कि सीएम पद पर कौन होगा."
बंगाल की राजनीति
अरुंधति मुखर्जी का कहना है, "अगले कुछ महीनों में कोलकाता निगम के चुनाव होने हैं और मेयर कौन होगा यह फ़ैसला तक आरएसएस करेगी. वो जो भी होगा या होगी वो पुरानी बीजेपी पार्टी से ही होगा या होगी. कोई ऐसा तो बिल्कुल नहीं बनेगा जिसने अभी अभी पार्टी ज्वॉइन की हो."
मुखर्जी आगे कहती हैं कि यह ज़रूर है कि टीएमसी के कुछ नेताओं को टिकट ज़रूर मिलेगा लेकिन सभी को तो नहीं.
हाल के सालों में बीजेपी में अब तक का यह सबसे बड़ा दल-बदल है.
क्या यह बदलाव आने वाले चुनावों में बीजेपी को सत्तारूढ़ टीएमसी पर बड़ी बढ़त दिला पाएगा?
बंगाल की राजनीति में आज यह सबसे बड़ा सवाल है. (bbc)
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने अब तक के सियासी करियर की सबसे बड़ी उलझन में फंस गए हैं.
मुंबई की एक युवती द्वारा उनपर लगाए गए बलात्कार के कथित आरोपों के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उनसे इस्तीफ़े की मांग की है.
बीजेपी ने इन आरोपों की सीबीआई जांच कराने की भी मांग की है.
बीजेपी ने कहा है कि यह जांच इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश के राजनीतिक इतिहास की यह पहली घटना है, जब किसी मौजूदा मुख्यमंत्री पर बलात्कार के आरोप लगे हों.
वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने कहा है कि बीजेपी 'डर्टी पॉलिटिक्स' कर रही है.
इस बीच झारखंड हाईकोर्ट में दायर कराई गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) में बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास और दूसरे नेताओं पर झारखंड में सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
बाबूलाल मरांडी के आरोप
तेजी से बदलते इन घटनाक्रमों के कारण राज्य की सियासत अचानक तेज हो गई है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने दुमका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की.
उन्होंने कहा, "मुंबई की एक युवती ने मुख्यमंत्री पर बलात्कार का आरोप लगाया है. उसने यह भी कहा है कि हाल ही में उसका एक्सीडेंट हुआ और उसे शक है कि उसकी जान मारने की कोशिश की जा रही है. उसने इसकी शिकायत पुलिस से की है. उसकी चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. ऐसे में नैतिकता का तकाजा यह है कि हेमंत सोरेन तत्काल इस्तीफा दें और जनता को सच बताएं. वे स्वयं इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करें और महाराष्ट्र सरकार इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश करे. ताकि, दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ सके."
"यह गंभीर आरोप है. अगर इसकी निष्पक्ष जांच नहीं करायी गई, तो हर रसूखदार आदमी अपनी हैसियत से लोगों को प्रभावित करता रहेगा और फिर प्रलोभन या दबाव देकर से मामलों मे समझौता करा लेगा. ऐसे में तो देश में अपराध रुकेगा ही नहीं."
बाबूलाल मरांडी ने यह भी कहा, "मैं यह मानता हूं कि हर संभ्रात और कानूनपसंद व्यक्ति का दायित्व बनता है कि वह इस घटना को लेकर सड़क पर उतरे और निष्पक्ष जांच की मांग करे. यह आरोप कोई साधारण आरोप नहीं है. हमें जानकारी मिली है कि आरोप लगाने वाली युवती ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट में दरख्वास्त देकर इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग की है."
क्या है मामला
दरअसल खुद को बॉलीवुड की स्ट्रगलर अभिनेत्री बताने वाली एक युवती ने कथित तौर पर आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन ने साल 2013 के 5 सितंबर को मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में उनके साथ बलात्कार किया था. इस दौरान उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी थी.
इसके 45 दिन बाद उस युवती ने इस कथित घटना की शिकायत मुंबई के एक मेट्रोपोलिटन कोर्ट में की, लेकिन इसके 9 दिन बाद ही उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली और यह मामला बंद हो गया. हेमंत सोरेन उस दौरान भी झारखंड के मुख्यमंत्री थे.
अब उस युवती का 8 दिसंबर, 2020 का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने बांद्रा (मुंबई) पुलिस से इस पूरे मामले की शिकायत करते हुए इसकी फिर से जांच कराने की मांग की है.
मुंबई पुलिस के डीसी (जोन-9) अभिषेक त्रिमुखे ने शिकायती मेल की पुष्टि करते हुए मीडिया से कहा है कि पुलिस इसकी जांच कर रही है और हम बातों को वेरिफाई कर रहे हैं.
इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग ने उस वायरल पत्र को आधार बनाकर महाराष्ट्र के डीजीपी से जवाब तलब किया है. आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस संबंधित ट्वीट्स भी किए हैं.
मुंबई पुलिस ने शिकायती मेल की पुष्टि करते हुए मीडिया से कहा है कि पुलिस इसकी जांच कर रही है और हम बातों को वेरिफाई कर रहे हैं
आरोप लगाने वाली युवती गायब
हालांकि जिस युवती के पत्र के आधार पर बीजेपी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस्तीफे की मांग की है, उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है.
उनका फोन नंबर बंद है और वे बीबीसी के तमाम मैसेजेज का जवाब देने कि लिए भी उपलब्ध नहीं हुईं.
मुंबई पुलिस को भी उन्होंने सिर्फ एक मेल किया था, जिसके बाद उनके मेल की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.
अभी तक यह बात सार्वजनिक नहीं की गई है कि वे मुंबई पुलिस से स्वयं मिली हैं या नहीं.
बीजेपी की डर्टी पॉलिटिक्स: जेएमएम
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस पूरे प्रकरण को बेसलेस (आधारहीन) बताया है. पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि बीजेपी डर्टी पालिटिक्स कर रही है. जनता इसका जवाब देगी.
उन्होंने कहा कि क्या शिबू सोरेन का बेटा होना गुनाह है, जो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर इस तरह के गंदे आरोप लगाए जा रहे हैं. क्या यह नैतिक है कि एक बंद मामले को उखाड़ कर किसी की छवि खराब की जाए.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने बीबीसी से कहा, "यह सीधे तौर पर कैरेक्टर एसिसनेशन की कोशिश है और यह सही बात नहीं है. इसके खिलाफ लोअर कोर्ट (रांची सिविल कोर्ट) में पहले से ही मानहानि का मामला चल रहा है. मुख्यमंत्री जी ने बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ इस मामले में अपनी मानहानि का मामला दर्ज कराया था. कोर्ट उसकी सुनवाई कर रहा है. अभी उसपर कोई निर्णय आता, इससे पहले ही बीजेपी के नेताओं ने फिर से वही राग अलापना शुरू कर दिया."
"ये लोग (बीजेपी) साल भर में इतना घबरा गए हैं कि किसी भी स्तर पर जाकर कुछ भी कर सकते हैं. सात साल पुराना मामला, जिसका कहीं कोई एवीडेंस (प्रमाण) नहीं है. उसमें केवल एक चिट्ठी के आधार पर महिला आयोग का संज्ञान लेना यह साबित करता है कि बीजेपी संवैधानिक संस्थाओं का भी दुरुपयोग कर रही है. इससे उनकी मंशा पता चलती है. हाथरस के मामले में कल सीबीआई ने चार्जशीट दायर की. उस मामले में यूपी के डीजीपी ने कहा था कि रेप नहीं हुआ है. महिला आयोग ने उस मामले में क्यों नहीं संज्ञान लिया. ऐसी कई घटनाएं हो रही हैं जिन पर महिला आयोग ने कोई नोटिस नहीं लिया. लेकिन, एक ऐसा मामला जो कई साल पहले बंद हो गया और जिसका कोई आधार नहीं है, उसमें महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान ले लिया. जनता यह सब समझ रही है. इसका जवाब भी देगी."
सरकार गिराने की साजिश
इस बीच बीजेपी के नेताओं पर सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोप भी लगे हैं. रांची की एक सामाजिक कार्यकर्ता जहां आरा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप लगाने वाली युवती के कॉल रिकॉर्ड और बैंक स्टेटमेंट की जांच सीआईडी से कराने की मांग की है.
उनका आरोप है कि बीजेपी झारखंड में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई हेमंत सोरेन सरकार को गिराने की साजिश रच रही है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और राज्य सरकार को प्रतिवादी बनाया है.
उनके अधिवक्ता राजीव कुमार बीबीसी से कहा, "बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कुछ समय पहले दुमका में कहा था कि वे दो माह में सरकार गिरा देंगे. उनके संपर्क में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 10-12 विधायक हैं. तब नंदकिशोर सिंह नामक व्यक्ति ने उनके खिलाफ दुमका सदर थाना में देशद्रोह की एफआईआर भी कराई थी. इसकी जांच तेजी से कराई जानी चाहिए. इसके साथ ही यह जांच झारखंड सीआईडी से कराई जानी चाहिए कि जिस युवती ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर रेप के लगाए, वह किन-किन बीजेपी नेताओं के सपर्क में रही हैं. उसके फोन रिकार्ड और बैंक स्टेटमेंट की जांच हो, ताकि पता चल सके कि वह किसके इशारे पर ऐसे आरोप लगा रही है. क्योंकि, बीजेपी के नेता झारखंड में सरकार गिराने की कोशिश लंबे वक्त से कर रहे हैं और ये ताजा आरोप भी उसी सिलसिले में लगाए गए हैं. इसका सच सीआईडी जांच से ही सामने आ सकेगा." (bbc)
पणजी(गोवा), 20 दिसंबर | पुर्तगालियों के चंगुल से गोवा को मुक्ति मिलने के 60 साल पूरे होने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यहां शनिवार को आयोजित गोवा लिबरेशन डे समारोह में हिस्सा लेते हुए राज्य में लागू समान नागरिक संहिता की सराहना करते हुए इसे गौरव का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने, समान नागरिक संहिता को अपनाया है। ऐसा करने से, यहां की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा मिला है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बयान ऐसे समय आया है, जब पूरे देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने की मांग उठ रही है।
राष्ट्रपति ने गोवा मुक्ति की लड़ाई को लेकर कहा, "आज का दिन, गोवा के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए विशेष रूप से स्मरणीय है। लगभग 450 वर्ष के औपनिवेशिक शासन के बाद 1961 में आज के ही दिन, गोवा को विदेशी शासन से मुक्त कराया गया था। आप सभी के पूर्वजों ने, आजादी की मशाल को बुझने नहीं दी। इसे जलाए रखने के लिए, अनेक स्वाधीनता सेनानियों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया।"
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोवा के लोगों को मेहनती बताते हुए कहा, "आज, गोवा जब अपनी आजादी के 60वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है तो यह देखकर गर्व होता है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह राज्य पहले स्थान पर है। इसका श्रेय गोवा के मेहनती लोगों, जन-प्रतिनिधियों, जन-सेवकों तथा उद्योग क्षेत्र को जाता है।"
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर गोवा में मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत की ओर से संचालित स्वयंपूर्ण गोवा पहल की सराहना की।"
उन्होंने कहा, "डॉ. प्रमोद सावंत, अपने पूर्ववर्ती और आदर्श कर्मयोगी स्वर्गीय श्री मनोहर पर्रिकर की समृद्ध विरासत को सच्चे अर्थो में आगे बढ़ा रहे हैं। आज जब पूरा देश, 'आत्मनिर्भर भारत' के मंत्र पर चलते हुए स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ रहा है, तब गोवा ने मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत के गतिशील नेतृत्व में 'आत्मनिर्भर भारत, स्वयंपूर्ण गोवा' की सराहनीय पहल शुरू की है।"
राष्ट्रपति ने गोवा को मुक्त कराने के लिए आरएसएस, आजाद गोमांतक दल, गोवा विमोचन समिति, गोवा मुक्ति सेना सहित सभी संगठनों की एकजुटता और राममनोहर लोहिया के प्रयासों को भी याद किया। उन्होंने गोवा के लोगों की अतिथि भावना की भी सराहना करते हुए कहा कि गोवा की 160 किलोमीटर लंबी तट-रेखा पर, दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत समुद्र-तट मौजूद हैं। गोवा की प्राकृतिक सुषमा अनूठी है और यहां के लोग 'अतिथिदेवो भव' की परंपरा के सच्चे प्रतिनिधि हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोरोना काल में गोवा की सरकार के कार्यो की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा योजना और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मजबूत बुनियादी ढांचे के कारण, महामारी के दौरान, गोवा की सरकार, लोगों की समुचित देखभाल करने में सक्षम रही है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 20 दिसंबर | केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों की तरफ से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, (एआईकेएससीसी) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम एक खुला पत्र लिखकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर सरकार की ओर से लगाए तमाम आरोपों का खंडन किया है। किसान संगठन (एआईकेएससीसी) ने पत्र में प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को संबोधित पत्र में लिखा है- "बड़े खेद के साथ आपसे कहना पड़ रहा है कि किसानो ंकी मांगों को हल करने का दावा करते-करते, जो हमला दो दिनों से आपने किसानों की मांगों व आंदोलन पर करना शुरू कर दिया है वह दिखाता है कि आपको किसानों से कोई सहानुभूति नहीं है और आप उनकी समस्याओं का हल करने का इरादा शायद बदल चुके हैं। निस्संदेह, आपके द्वारा कही गईं सभी बातें तथ्यहीन हैं।"
पत्र में आगे लिखा है- "उससे भी ज्यादा गंभीर बात यह है कि जो बातें आपने कही हैं, वे देश व समाज में किसानों की जायज मांगें, जो सिलसिलेवार ढंग से पिछले छह महीनों से आपके समक्ष लिखित रूप से रखी जाती रही हैं, देशभर में किए जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रति अविश्वास की स्थिति पैदा कर सकती है। इसी कारण से हम बाध्य हैं कि आपको इस खुले पत्र के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया भेजें, ताकि आप इस पर बिना किसी पूर्वाग्रह के गौर कर सकें।"
नए कृषि काननोूं के संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा शुक्रवार को मध्यप्रदेश में आयोजित किसानों के एक सम्मेलन दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए किसान संगठन ने पत्र में लिखा है- "आपने मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में आयोजित किसानों के सम्मेलन में जोर देकर कहा कि किसानों को विपक्षी दलों ने गुमराह कर रखा है, वे कानूनों के प्रति गलतफहमी फैला रहे हैं, इन कानूनों को लंबे अरसे से विभिन्न समितियो में विचार करने के बाद और सभी दलों द्वारा इन परिवर्तनों के पक्ष मे राय रखे जाने के बाद ही अमल किया गया है, जो कुछ विशिष्ठि समस्याएं इन कानूनों में थीं, उन्हें आपकी सरकार ने वार्ता में हल कर दिया है और यह आंदोलन असल में विपक्षी दलों द्वारा संगठित है। आपकी ये गलत धारणाएं और बयान गलत जानकारियों से प्रेरित हैं और आपको सच पर गौर करना चाहिए।"
किसान संगठन ने प्रधानमंत्री के बयान और केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा 17 दिसंबर को किसानों के नाम लिखे पत्र में किसानों के आंदोलन को लेकर लगाए गए तमाम आरोपों का खंडन किया है। किसान संगठन ने पत्र में कानून की कुछ खामियों का भी जिक्र किया है।
पत्र में लिखा है- "आपने कुछ विशेष सवाल उठाकर कहा है कि आप भ्रम दूर करना चाहते हैं। आपका कहना है कि किसानों की जमीन पर कोई खतरा नहीं है, ठेके में जमीन गिरवी नहीं रखी जाएगी और जमीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा। हम आपका ध्यान ठेका खेती कानून की धारा 9 पर दिलाना चाहते हैं जिसमें साफ लिखा है कि किसान को जो लागत के सामान का पेमेंट कंपनी को करना है, उसके पैसे की व्यवस्था कर्जदाता संस्थाओं के साथ एक अलग समझौता करके पूरी होगी, जो इस ठेके के अनुबंध से अलग होगा। गौर करें कि कर्जदाता संस्थाएं जमीन गिरवी रखकर ही कर्ज देती हैं।"
किसान संगठन के मुताबिक, दूसरा यह कि ठेका खेती कानून की धारा 14(2) में लिखा है कि अगर कंपनी से किसान उधार लेता है तो उस उधार की वसूली कंपनी के कुल खर्च की वसूली के रूप में होगी, जो धारा 14(7) के अंतर्गत भू-राजस्व के बकाया के रूप में की जाएगी।
संगठन ने कहा, "अत: आपका यह कथन कि 'परिस्थिति चाहे जो भी हो किसान की जमीन सुरक्षित है', आपके कानून के हिसाब से गलत हैं। अच्छा होता कि ये बात कानून में लिखी होती और तब आप ये बात कहते।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 20 दिसम्बर | दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने जालसाजों के एक गिरोह को गिरफ्तार किया है, जो सेना के जवान के रूप में लोगों को मालीसियस यूपीआई लिंक भेजता था और उनकी गाढ़ी कमाई का पैसा ठगता था। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी ने लेडीज सूट की ऑनलाइन बिक्री का कारोबार किया। इस साल सितंबर में उनके पास एक आरोपी व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को सेना का जवान बताया और अपने आर्डर की पुष्टि की। इसके बाद, उसने शिकायतकर्ता से अनुरोध किया कि वह केवल यूपीआई मोड के माध्यम से भुगतान करेगा, क्योंकि वह सेना का आदमी है। बाद में, आरोपी ने कुछ बैंक विवरण भरने के लिए शिकायतकर्ता को एक मालीसियस यूपीआई लिंक भेजा और उसके पास से 2,45,990 रुपये ठग लिए।
अतिरिक्त डीसीपी शाहदरा संजय कुमार सेन ने कहा, "बाद में, उसने मालीसियस यूपीआई लिंक सेंड किए, जिसके बाद, जब पीड़ितों ने उक्त लिंक पर अपने बैंक विवरण भरे, तो उनके अकाउंट से सभी पैसे फेक अकाउंट में ट्रांसफर हो गए। पैसे ट्रांसफर करने के लिए आरोपी ने कई फेक बैंक अकाउंट और फेक पेटीएम अकाउंट का उपयोग किया।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली/श्रीनगर, 20 दिसम्बर | पूर्व केंद्रीय मंत्री और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को एक बड़ा झटका देते हुए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को जे एंड के क्रिकेट एसोसिएशन मामले में 11.86 करोड़ रुपये मूल्य की छह संपत्तियां जब्त की हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। ईडी के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, "हमने अब्दुल्ला की छह संपत्तियों को जब्त किया है। इसमें तीन आवासीय भवन हैं, जबकि दो प्लॉट शामिल हैं।"
उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता की संपत्तियां धनशोधन रोकथाम अधिनियम(पीएमएलए) के तहत जब्त की गई है।
अधिकारी ने कहा, "संलग्न संपत्तियों में, श्रीनगर में गुप्कर रोड स्थित निवास, तहसील कटिपोरा के तन्मर्ग में, और सुंजवान जम्मू भटिंडी गांव की संपत्ती शामिल है।"
उन्होंने आगे कहा कि जांच के दौरान, यह पता चला कि 2005-06 से दिसंबर 2011 तक जेकेसीए ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से 109.78 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे।
अधिकारी ने आगे कहा, "2006 और जनवरी 2012 के बीच, फारूक अब्दुल्ला जेकेसीए के अध्यक्ष थे और उन्होंने जेकेसीए में पदाधिकारियों की अवैध नियुक्तियां करने के लिए अपनी स्थिति और रसूख का गलत इस्तेमाल किया, जिसके लिए उन्होंने जेकेसीए फंडों की वैधता के उद्देश्य से वित्तीय अधिकार दिए।"
--आईएएनएस
श्रीनगर, 20 दिसम्बर | जम्मू-कश्मीर राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) के. के. शर्मा ने शनिवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव के अंतिम चरण में लगभग 51 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, एसईसी ने कहा कि कश्मीर संभाग की 13 और जम्मू संभाग की 15 सहित कुल 28 डीडीसी निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान शांतिपूर्ण रहा, जिनमें कुल 50.98 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है।
एसईसी ने बताया कि 1,703 मतदान केंद्रों में मतदान हुआ, जिनमें कश्मीर संभाग में 1,028 और जम्मू संभाग में 675 मतदान केंद्र शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जम्मू संभाग में औसत मतदान 72.71 प्रतिशत दर्ज किया गया, जिसमें से सबसे अधिक पुंछ जिले में 83.58 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद रियासी जिले में 81.92 और राजौरी में 77.31 प्रतिशत मतदान हुआ।
उन्होंने कहा कि कश्मीर संभाग में कुल 29.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें से सबसे अधिक कुपवाड़ा जिले में 63.80 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद बांदीपोरा में 56.56 प्रतिशत और बारामूला जिले में 44.60 प्रतिशत मतदान हुआ।
एसईसी ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में पहली बार 280 डीडीसी निर्वाचन क्षेत्रों के लिए चुनाव हुए थे।
उन्होंने कहा कि यह ध्यान देने योग्य बात है कि लोगों की बहुत अच्छी भागीदारी देखी गई है और लोगों में उत्साह इस चरम पर था कि इन चुनावों का ग्रामीण समुदाय में विकास के परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है।
इनके अलावा 1,088 पंचायत 'हलका' और 12153 पंच निर्वाचन क्षेत्रों में भी चुनाव हुए हैं।
राज्य चुनाव अधिकारी ने कहा कि 321,694 (169,271 पुरुष और 152,423 महिला मतदाता) लोगों ने केंद्र शासित प्रदेश में अंतिम चरण के लिए मताधिकार के अपने अधिकार का प्रयोग किया।
--आईएएनएस