राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने किसानों के विरोध-प्रदर्शन को खालिस्तान समर्थकों और नक्सली तत्वों से जोड़ने पर केंद्र की खिंचाई की और सवाल किया कि अगर ऐसा है तो सरकार ने प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत क्यों की। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मंत्रियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को को खालिस्तानी, पाकिस्तानी, चीन के एजेंटों, नक्सली और 'टुकड़े-टुकड़े' गिरोह के रूप में वर्णित किया है। यदि आप इन सभी श्रेणियों की बात करते हैं, तो इसका मतलब है कि हजारों प्रदर्शनकारियों के बीच कोई किसान नहीं है। यदि किसान नहीं हैं, तो सरकार उनसे क्यों बात कर रही है?"
इस बीच, प्रदर्शनकारी किसानों के साथ केंद्र की बातचीत बंद होने के बीच, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को पंजाब के भाजपा नेताओं के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में किसानों के मुद्दों पर चर्चा की।
यहां शाह के आवास पर लगभग 40 मिनट की बैठक में, पंजाब की स्थिति और आने वाले दिनों में किसानों का विरोध प्रदर्शन और तेज होने की स्थिति से निपटने के कदमों पर भी चर्चा हुई। बैठक में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 13 दिसंबर | देशभर में चल रहे किसान आंदोलनों को अपना समर्थन देने के लिए पंजाब के डीआईजी (जेल) लखमिंदर सिंह जाखड़ ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कहना है कि वह पहले एक किसान हैं और बाद में पुलिस अफसर हैं। 56 वर्षीय जाखड़ को मई में जेल कर्मियों से हर महीने रिश्वत लेने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था।
भारतीय सेना में अपनी सेवा दे चुके जाखड़ ने अपने त्यागपत्र में लिखा है, "मैं पहले एक किसान हूं और बाद में पुलिस अधिकारी हूं। आज मैं जिस भी पद पर हूं, वह केवल इसलिए, क्योंकि मेरे पिता ने खेतों में एक किसान के तौर पर काम किया है और मुझे पढ़ाया है। इसके चलते मैं खेतीबाड़ी के प्रति ऋणी हूं।"
उन्होंने मीडिया को बताया कि उनकी मां ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए प्रेरित किया है, ताकि वह दिल्ली में किसानों के साथ बैठ सके।
उन्होंने आगे कहा, "मैं जल्द ही दिल्ली जाने वाला हूं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए एक ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लिया गया है। खास बात यह कि अगले साल यानी 2021 से ही इसके क्रियान्वयन की तैयारी शुरू हो गई है। इसके तहत समान डिग्री के लिए एक प्रवेश परीक्षा होगी। विज्ञान, मानविकी, भाषा, कला और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर आधारित विषयों में दाखिले के लिए कॉमन एप्टीट्यूड टेस्ट होगा। यह प्रवेश परीक्षा साल में एक या दो बार आयोजित की जा सकती है। देशभर में इसके लिए प्रवेश परीक्षा कराने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को दी गई है। हालांकि प्रवेश परीक्षा की योजना बनाने में विश्वविद्यालयों की राय भी ली जाएगी।
उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहा, "वर्ष 2021 में कई बड़े बदलाव होंगे। इसमें सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए समान प्रवेश परीक्षा, क्रेडिट बैंक का गठन, जिसमें छात्र अपना अकादमिक कड्रिट सुरक्षित रखना आदि शामिल हैं।"
दरअसल, नई नीति में उच्च शिक्षा में भी बदलाव किए जा रहे हैं। यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई की बजाय अब उच्च शिक्षा के लिए पूरे देश में एक ही नियामक होगा। सभी तकनीकी और सामान्य विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम और प्रोग्राम की समीक्षा होगी।
उच्च शिक्षा सचिव ने कहा, "यूजीसी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद जैसे निकायों का विलय किया जाएगा। भारत में एक हॉयर एजुकेशन कमीशन होगा।"
इसके अलावा देश में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए, एक राष्ट्रीय अनुसंधान कोष का गठन भी किया जाएगा।
उच्च शिक्षा सचिव ने कहा, "सभी विश्वविद्यालय, चाहे वे निजी हों, राज्य हों या केंद्रीय हों, उनके पास कंपटेटिव फंडिंग हो सकती है। यह अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन की तरह है। हमने इसमें कुछ और भी जोड़ा है, सामाजिक विज्ञान भी नेशनल रिसर्च फंड का हिस्सा होगा।"
इन सबसे पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय आपस में जोड़े जाएंगे। योजना के पहले चरण में सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को जोड़ा जाएगा। इसके बाद अन्य विश्वविद्यालय और कॉलेजों को जोड़ा जाना है। इसके लिए बाकायदा सरकार राज्य सरकारों के साथ बैठक करेगी, ताकि सही जानकारी दी जा सके। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के प्रमुख भाषणों के संग्रह पर आधारित पुस्तक 'यशस्वी भारत' का 19 दिसंबर को दिल्ली में विमोचन होगा। यह ऐसी पुस्तक है जिसे पढ़कर आरएसएस को समझने में आसानी होगी। इस किताब में मोहन भागवत के भिन्न-भिन्न स्थानों पर अलग-अलग विषयों पर दिए गए कुल 17 भाषणों का संग्रह है। खास बात है कि वर्ष 2018 के सितंबर में दिल्ली के विज्ञान भवन में दिए गए दो प्रमुख भाषणों और तीसरे दिन के प्रश्नोत्तरी को भी शामिल किया गया है। संघ के जानकारों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझना इतना आसान नहीं है, फिर भी लोगों को इस पुस्तक से काफी कुछ जानकारी मिलेगी। साथ ही उन्हें यह भी स्पष्ट होगा कि विभिन्न विषयों पर संघ का क्या विचार है? 17 भाषणों के संकलन वाली पुस्तक का प्रकाशन नई दिल्ली स्थित प्रभात प्रकाशन ने किया है।
पुस्तक में शामिल भाषणों की मुख्य बातें :
'यशस्वी भारत' पुस्तक में सरसंघचालक मोहन भागवत के भाषणों के माध्यम से विभिन्न मुद्दों पर संघ के ²ष्टिकोण को बताया गया है। पुस्तक के प्रथम प्रकरण का शीर्षक है - 'हिंदू, विविधता में एकता के उपासक'। इसमें कहा गया है कि 'हम स्वस्थ समाज की बात करते हैं, तो उसका आशय संगठित समाज होता है। हम को दुर्बल नहीं रहना है, हम को एक होकर सबकी चिंता करनी है।'
किताब में संघ के बारे में कहा गया है, हमारा काम सबको जोड़ने का है। संघ में आकर ही संघ को समझा जा सकता है। संगठन ही शक्ति है। विविधतापूर्ण समाज को संगठित करने का काम संघ करता है।
पुस्तक में राष्ट्रीयता को संवाद का आधार बताया गया है। संघ मानता है कि वैचारिक मतभेद होने के बाद भी एक देश के हम सब लोग हैं और हम सबको मिलकर इस देश को बड़ा बनाना है। इसलिए हम संवाद करेंगे।
संघ का काम व्यक्ति-निर्माण का है। व्यक्ति निर्मित होने के बाद वे समाज में वातावरण बनाते हैं। समाज में आचरण में परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं। यह स्वावलंबी पद्धति से, सामूहिकता से चलने वाला काम है। संघ केवल एक ही काम करेगा-व्यक्ति-निर्माण, लेकिन स्वयंसेवक समाज के हित में जो-जो करना पड़ेगा, वह करेगा।
किताब में हिंदुत्व को लेकर कहा गया है, भारत से निकले सभी संप्रदायों का जो सामूहिक मूल्यबोध है, उसका नाम 'हिंदुत्व' है। इसलिए संघ हिंदू समाज को संगठित, अजेय और सामथ्र्य-संपन्न बनाना चाहता है। इस कार्य को संपूर्ण करके संघ रहेगा। प्रस्तावना लिखते हुए एम.जी. वैद्य ने वर्तमान पीढ़ी से इस 'यशस्वी भारत' पुस्तक को पढ़ने की अपील की है। (आईएएनएस)
इटावा (उप्र), 13 दिसंबर | इटावा लॉयन सफारी में शनिवार की आधी रात के बाद जेसिका नाम की एक शेरनी ने दो शावकों को जन्म दिया। शेरनी और उसके शावकों को सावधानी से रखा जा रहा है और शावकों के लिंग का पता नहीं लगाया जा सका है।
सफारी के उप निदेशक, सुरेश चंद्र राजपूत ने कहा कि पहले 72 घंटे महत्वपूर्ण हैं।
इससे पहले जेसिका ने छह शावकों को जन्म दिया है, जो सुल्तान, शिम्बा, बाहुबली, भरत, सोना और रूपा हैं। गिर नेशनल पार्क से वह एकमात्र शेरनी है, जिसके शावक जीवित हैं। वहीं सेंट्रल जू अथॉरिटी के मानदंडों के अनुसार, लायन सफारी के खुलने की उम्मीद शावकों के जन्म के साथ बढ़ गई है।
सफारी में शावक की संख्या अब आठ हो गई है।
वन्यजीव अधिकारियों ने कहा कि जेसिका को दिसंबर 2015 में गिर से लाया गया था, जिसका तीन महीने पहले मनन के मेल कराया गया था और दिसंबर में दूसरे सप्ताह में उसके प्रसव की उम्मीद थी।
दिलचस्प बात यह है कि सभी बचे हुए शावकों का पिता मनन है। वहीं जेसिका का एक मात्र एक शावक जन्म के तुरंत बाद 2019 में जीवित नहीं बच पाया था।
सफारी अधिकारियों ने नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं।
राजपूत ने कहा, "जेसिका ने पहले बच्चे को रात 12.08 बजे जन्म दिया और दूसरे को रात 1:13 बजे। उन्हें एक बाड़े में रखा गया है और अधिकारी सीसीटीवी कैमरों के जरिए उनकी निगरानी कर रहे हैं। जेसिका शावकों को दूध पिला रही है। बाड़े में सिर्फ सफारी कीपर और पशु चिकित्सकों की अनुमति है।"
इस समय इटावा लायन सफारी में चार शेर और दो शेरनी, जेसिका और हीर हैं और छह शावक हैं, जिनका जन्म जेसिका से हुआ है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | प्रदर्शनकारी किसानों के साथ केंद्र सरकार की बातचीत अभी रुकी हुई है। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को पंजाब के भाजपा नेताओं के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में किसानों के मुद्दों पर चर्चा की। यहां शाह के आवास पर लगभग 40 मिनट की बैठक में, पंजाब की स्थिति और आने वाले दिनों में किसानों के प्रदर्शन को तेज करने की योजना से निपटने के कदमों पर भी चर्चा हुई। इस दौरान केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे।
हालांकि, बैठक की जानकारी उपलब्ध नहीं है। सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि नेताओं ने आंदोलन से निपटने के लिए एक नई रणनीति पर चर्चा की। किसानों के प्रदर्शन की वजह से दिल्ली और हरियाणा के साथ उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले पांच बॉर्डर प्वाइंट को बंद करने के कारण राष्ट्रीय राजधानी की आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित हो रही है।
32 किसान यूनियनों ने शनिवार को सिंघू सीमा पर 14 दिसंबर को एक दिन की 'भूख हड़ताल' करने और किसी भी सकारात्मक संकेत के अभाव में पूरे देश में आंदोलन को बढ़ाने की घोषणा की थी। (आईएएनएस)
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), 13 दिसंबर | उत्तर प्रदेश से एक चौंका देने वाली घटना सामने आई है। गोरखपुर में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह में 53 वर्षीय मां और उनकी 27 वर्षीय बेटी ने एक साथ ब्याह रचाया। महिला का नाम बेली देवी है, जिनके पति को गुजरे हुए 25 साल हो चुके हैं। उन्होंने अपने ही पति के छोटे भाई जगदीश (55 वर्षीय) से शादी की है। जगदीश पेशे से एक किसान हैं और अब तक उनकी शादी नहीं हुई थी। इस समारोह में करीब 63 युगल आपस में शादी के बंधन में बंधे, जिसमें एक मुस्लिम जोड़ा भी शामिल रहा।
बेली देवी की सबसे छोटी बेटी का नाम इंदू है। पिछले हफ्ते आयोजित किए गए विवाह समारोह में इंदू ने भी शादी रचाई।
बेली देवी ने पत्रकारों को बताया, "मेरे दो बेटों और दो बेटियों की पहले ही शादी हो चुकी है इसलिए जब मेरी छोटी बेटी की शादी होनी वाली थी, तो मैंने भी अपने देवर संग शादी करने का मन बना लिया। मेरे सभी बच्चे खुश हैं।"
इंदू की शादी 29 वर्षीय राहुल से हुई है। उन्होंने कहा, "मेरी मां और मेरे चाचा ने हमारा ख्याल रखा है और मैं बहुत खुश हूं कि अब ये दोनों आपस में एक-दूसरे का ख्याल रखेंगे।"
इस सामूहिक विवाह समारोह में जिला के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | बैंकों ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) के तहत 80,93,491 कर्जदारों को 2,05,563 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण राशि मंजूर की है। महामारी के समय में मझोले और छोटे सेक्टरों को लिक्विडिटी सपोर्ट प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा 3 लाख करोड़ रुपये की ईसीएलजीएस योजना को इस वर्ष की शुरुआत में आत्मनिर्भर भारत पैकेज (एएनबीपी) के हिस्से के रूप में घोषित किया गया था।
केंद्र द्वारा की गई इस संबंध में प्रगति के अनुसार, 4 दिसंबर तक, निजी क्षेत्र के 23 शीर्ष बैंक और 31 एनबीएफसी द्वारा अतिरिक्त क्रेडिट राशि 2,05,563 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, जबकि 1,58,626 करोड़ रुपये 40,49,489 कर्जदारों को दिए गए हैं।
इस योजना में 26 नवंबर को संशोधन किया गया था और इसकी अवधि अब 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दी गई है। इसके अलावा, निर्धारित टर्नओवर सीमा को हटा दिया गया है।
यह उम्मीद की जाती है कि 45 लाख इकाइयां इस योजना के माध्यम से व्यावसायिक गतिविधि को फिर से शुरू कर सकती हैं और नौकरियों की सुरक्षा कर सकती हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को विभिन्न मंत्रालयों / विभागों के सचिवों के साथ एएनबीपी की व्यापक समीक्षा की। समीक्षा में मुख्य क्रियान्वयन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि पैकेज वांछित परिणाम उत्पन्न कर सके।
4 दिसंबर की समीक्षा के दौरान प्रस्तुत प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने 27,794 करोड़ रुपये की पोर्टफोलियो खरीद को मंजूरी दी है और वर्तमान में 45,000 करोड़ रुपये की आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना 2.0 के तहत 1,400 करोड़ रुपये के लिए अनुमोदन / वार्ता की प्रक्रिया में हैं। बॉन्ड या वाणिज्यिक पत्रों (सीपी) की खरीद की समय सीमा को आगे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 तक कर दिया गया है। 4 दिसंबर तक, इस विशेष सुविधा से 25,000 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है। शेष राशि 5,000 करोड़ रुपये स्पेशल लिक्विडिटी फैसिलिटी के तहत छोटी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों-माइक्रो फाइनेंस संस्थानों (एनबीएफसी-एमएफआई) के लिए आरबीआई द्वारा नाबार्ड को आवंटित किए गए।
इसके अलावा, नाबार्ड ने छोटे एनबीएफसी और एनबीएफसी-एमएफआई के लिए एसएलएफ से संवितरण को शुरू करने के लिए 6 अक्टूबर को दिशानिर्देश जारी किए थे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर कोविड-19 से संक्रमित लोगों के लिए इस बीमारी से लड़ाई का अंत रिकवरी के बाद भी शायद नहीं हो रहा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, युवाओं सहित कई लोगों में घातक बीमारी से रिकवरी के बाद हृदय संबंधी समस्याएं देखी जा रही हैं। डॉक्टरों के अनुसार, अस्पतालों में ऐसे युवाओं की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जो संक्रमण से ठीक होने के बाद कार्डियक मुद्दों की वजह से आ रहे हैं। इनमें सबसे आम घबराहट, या हृदय गति का बढ़ना है, वहीं कुछ मामलों में कार्डियक अरेस्ट या दिल का दौरा भी देखा गया है।
हालांकि कोविड-19 की सबसे खतरनाक समस्याएं फेफड़ों पर असर और सांस लेने में समस्या जैसे लक्षण हैं, लेकिन अब ऐसा समझा जा रहा है कि वायरस से हृदय पर भी गहरा असर पड़ रहा है। यह मौजूदा हृदय रोगों से ग्रसित रोगियों के लिए एक गंभीर खतरा है।
संक्रमण के कारण हृदय में रक्त के थक्के बन सकते हैं और कई मामलों में यह हृदय में सूजन भी पैदा कर सकता है। हाल ही में दिल्ली के एक निजी अस्पताल में 31 वर्षीय एक व्यक्ति का इलाज किया गया, जिसे संक्रमण से उबरने के बाद दिल का दौरा पड़ा। मरीज का हृदय संबंधी बीमारियों का कोई पूर्व इतिहास नहीं था और वह बिल्कुल स्वस्थ था।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर सुदीप मिश्रा ने कहा, "कोविड से उबरने के बाद युवा, सहित कई लोग सभी प्रकार के कार्डियक समस्याओं के साथ अस्पताल वापस आ रहे हैं। वायरस सूजन प्रक्रिया को बढ़ाता है। यहां तक कि यदि वायरस से संक्रमित रोगी की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी सूजन रहती है।"
उन्होंने आगे बताया, "इससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर होती है और रोगी हृदयाघात की समस्या का सामना कर सकते हैं। यह वेसेल्स की सूजन को भी बढ़ाता है और थक्के के गठन को बढ़ाता है। अस्पताल में हर 10 में से एक व्यक्ति हृदय संबंधी समस्याओं के साथ वापस आ रहे हैं।"
मिश्रा ने कहा, "डॉक्टरों का सुझाव है कि जो लोग कोविड-19 से उबर चुके हैं, उन्हें अपनी इकोकार्डियोग्राफी जरूर करवानी चाहिए। कोविड-19 संक्रमण के दौरान, ध्यान सिर्फ फेफड़ों पर रहता है। बाद में लोगों को पता चलता है कि उन्हें हृदय की समस्याएं भी थीं, जिसे पहले पूरी तरह से नजरअंदाज किया जाता है।"
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में कार्डियोलॉजी विभाग की अतिरिक्त निदेशक, अपर्णा जसवाल ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि युवाओं सहित 5-10 प्रतिशत कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज अस्पताल में हृदय संबंधी मुद्दों के साथ वापस आ रहे हैं।
जसवाल ने कहा, "कई युवा मरीज घबराहट के साथ वापस आ रहे हैं, जिनकी अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। हमने हृदय गति धीमी होने जैसे कई मामलें भी देखे हैं। कुछ मरीजों में हार्ट फेल भी देखा गया।"
हालांकि एक अन्य कार्डियोलॉजिस्ट ने कहा कि कोविड-19 से उबरने के बाद युवाओं में हृदय संबंधी समस्याओं का संकेत यह दर्शाता है कि इस आयु वर्ग में पहले से ही अंतर्निहित बीमारी थी।
दिल्ली में उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के कार्डियोलॉजिस्ट संजीव गुप्ता ने कहा, "कोविड -19 वास्तव में अघोषित समस्या का भंडार है। इसके अलावा, युवाओं की खराब जीवनशैली और खान-पान की आदतें भी उन्हें बीमारियों का शिकार बना रही हैं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | सुहैब अहमद फारुकी पेशे से पुलिसवाले हैं लेकिन अगर इनकी जिंदगी के पन्ने को पलटा जाए तो वह एक बहुत अच्छे शायर भी हैं। बीते 10 सालों से यह दो किरदार में नजर आ रहे है और दोनों ही किरदार को एक साथ निभाना बड़ा ही मुश्किल है, लेकिन सुहैब अब इन दोनों किरदारों को एक साथ निभाने के आदी हो चुके हैं। दिल्ली पुलिस में एक थाने की जिम्मेदारी के साथ शायर की भूमिका में भी नजर आ रहे हैं। पुलिस की जिंदगी जीने के साथ सुहैब बतौर शायर भी जाने जाते हैं। देश भर के विभिन्न जगहों में होने वाले मुशायरों में हिस्सा भी लेते रहे हैं।
ये जान कर हैरानी होगी सुहैब की आदत और भाषा को सुनकर एक अपराधी अपनी सजा पूरी करने के बाद सुहैब से मिलने आया था। सुहैब ने आईएएनएस को बताया, करीब 2 महीने पहले कुछ अपराधी पकड़े थे। इसके 15-20 दिन बाद ही वह जमानत पर छूट गए। उस दौरान वो अपने घर जाने के बजाए मुझसे मिलने आए। उनको मेरी आदत और भाषा बहुत अच्छी लगी थी।
सुहेब की पैदाइश 1969 में यूपी के इटावा में हुई। लेकिन पिता उत्तरप्रदेश में सिंचाई विभाग में बतौर जूनियर इंजीनियर थे, जिसके कारण सुहेब की पढ़ाई कहीं एक जगह नहीं हो सकी। सुहेब की स्कूलिंग यूपी के एटा, उत्तराखंड के देहरादून में हुई। कॉलेज शिक्षा मुरादाबाद स्थित हिंदू कॉलेज से की, साथ ही सुहेब ने उर्दू शिक्षा भी हासिल की हुई है।
1993 में दिल्ली आने के बाद नगर निगम के प्राथमिक स्कूल में अध्यापक रहे। उसके बाद 1995 में दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर भर्ती हुए।
घरों में उर्दू का माहौल होने की वजह से सुहेब के जहन में हमेशा उर्दू भाषा को लेकर जगह बनी रही। जामिया उर्दूू बोर्ड से अदीब ए कामिल (उर्दू में बीए) परीक्षा देने के लिए उर्दू की पढ़ाई भी की। लेकिन पुलिस की नौकरी के चलते समय नहीं दे सके।
सुहैब के मुताबिक 40 साल की उम्र के बाद इंसान की जिंदगी में एक ठहराव आता है। उस समय थोड़ा बहुत लिखते रहते थे। ये बात जानकर हैरानी होगी कि सोशल मीडिया की बदौलत सुहैब को एक दूसरी पहचान मिल सकी।
सुहैब ने आईएएनएस को बताया, शुरूआती दौर में सोशल मीडिया पर ऑरकुट एक प्लेटफॉर्म हुआ करता था, वहां ग्रुप बनने शुरू हुए। उसी दौरान ख्यालात की तब्दीली हुई। उसी समय मुझे एहसास हुआ कि मैं शायरी लिख पढ़ सकता हूं।
फेसबुक आने के बाद से एक मेरी जिंदगी मे रिवोल्यूशन सा हुआ, क्योंकि वहां आप अपने मन के ख्यालों को लिख सकते थे और बीच मे कोई एडिटर नहीं हुआ करता था। आपकी बातों को छापने के लिए किसी की शिफारिश की जरूरत नहीं पड़ती थी।
उन्होंने आगे बताया, 2010 में बतौर इंस्पेक्टर प्रमोशन हुआ। 2015 में जामिया नगर में एडिशनल एसएचओ तैनात हुआ। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी का जो मुझे माहौल मिला उससे भी सीखने को मिला। उर्दू भाषा जानने वाले लोगों के साथ बातचीत शुरू हुई। जिसके कारण मेरी भाषा में और सुधार हुआ।
जामिया यूनिवर्सिटी से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। इसी वजह से मेरा जो शौक था वो निखर कर आया। हमने इस दौरान काफी मुशायरे भी कराए। जिनमें राहत इंदौरी साहब भी मौजूद हुए। उनसे भी काफी कुछ सीखने को मिला।
सुहेब का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति साहित्य में रुचि रखता है तो उसका प्रभाव आपकी जीवन शैली में जरूर पड़ता है। बाहरी लोगों को सुनकर अच्छा लगता है। लेकिन पुलिस में नौकरी में रहने के लिए ये हैरान कर देने वाली बात है।
दरअसल पुलिस की नौकरी करते वक्त भाषा में काफी बदलाव आता है। हर तरफ क्राइम या अपराधी देख देख कर आपकी जिंदगी पर भी असर पड़ता है। हालांकि सुहेब मुशायरा भी करते हैं जिसका असर उन्हें स्टेज पर भी देखना को मिला है।
सुहेब के साथ कई बार ऐसा हुआ है कि उन्होंने पुलिस की भाषा को मुशायरे में जोड़ दिया। जिसके कारण सुनने वालों को अजीब लगा।
उन्होंने इस बात पर बताया कि, मुझे काफी बार याद रखना पड़ता है कि मैं अभी पुलिस में नौकरी कर रहा हूं या स्टेज पर मुशायरे कर रहा हूं। कई बार ऐसे भाषा निकल जाती है कि आपको खुद को समझाना पड़ता है कि मैं अदब की महफिल में बैठा हूं।
उर्दू मुशायरे में हिंदी का प्रयोग और हिंदी मुशायरे में उर्दू के शब्द का प्रयोग सुनने में बड़ा अजीब सा लगता है। स्टेज पर काफी दफा ऐसा हुआ है जब लोगों से ये अपील की गई हैं कि ये पुलिस में हैं इनके मुंह से अगर कुछ गलत शब्द निकल आए तो इन्हें माफ कर देना।
सुहेब को इस कारण स्टेज पर ताना भी सुनना पड़ा। उनको लगता था कि इनका शायरी से कोई लेना देना नहीं है। एक पुलिस अफसर है तो सिफारिश के चलते यहां तक आ गए हैं। लेकिन जब लोगों ने शायरी सुनी तो खूब तालियां भी बटोरी और लोगों के मुंह से ये तक निकला कि एक पुलसी वाला भी शायरी कर सकता है।
उन्होंने बताया, मेरे पहले मुशायरे के दौरान इंदौरी साहब ने कहा था कि एक पुलिस वाले शायरी पढ़कर गये हैं। अच्छी बात है लेकिन खुदा की कसम ऐसा लगता है कि जब पुलिस वाला शायरी करता है तो ऐसे लगता है जैसे शैतान कुरान ए शरीफ पढ़ रहा हो।
अगले मुशायरे के दौरान इंदौरी साहब फिर आए हुए थे। उस वक्त मैंने वापसी में कहा था कि मैंने इंदौरी साहब के बयान को दुआ के रूप में लिया।
सुहैब के साथ कई बार ऐसा भी हुआ है कि मुशायरे के दौरान किसी आला अफसर का फोन आने लगा जिसके कारण वो शायरी भी भूल गए। सुहैब का मानना है कि आप चाहे जितने भी काबिल शायर हों, लेकिन आप परफॉर्मर नहीं तो सब बेकार है।
हालांकि सुहैब की पत्नी भी शायरी पढ़ने का शौक रखती है जिसके कारण इनके घर मे झगड़े कम होते हैं।
सुहैब ने आगे बताया, कोरोना महामारी के दौरान मेरी एक नज्म 'कोरोना से जंग' काफी चर्चित रही। पुलिस विभाग में भी मुझे इज्जत दी जाती हैं। एक शायर की तरह देखा जाता है। साहित्य ने मेरी जिंदगी को सुकून दिया।
नफरत तुम्हें इतनी ही उजालों से अगर है
सूरज को भी फूंकों से बुझा क्यों नहीं देते
शोलों की लपट आ गई क्या आपके घर तक
अब क्या हुआ शोलों को हवा क्यों नहीं देते
अब इतनी खमोशी भी सुहैब अच्छी नहीं है
एहबाब को आईना दिखा क्यों नहीं देते (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसम्बर | सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) को मंजूरी दे दी है कि वह बिहार में क्रिकेट को चलाने और प्रबंधन के लिए बीसीसीआई के पास जाए और एक स्वतंत्र एड-हॉक समिति या सुपरवाइजरी समिति का गठन करने को कहे। सीएबी का प्रतिनिधित्व कर रहे विकास मेहता ने शीर्ष अदालत के सामने कहा है कि कोर्ट को बीसीसीआई की प्रतिक्रिया मांगनी चाहिए ताकि विवाद को सुलझाया जा सके। इससे पहले न्यायाधीश एल.नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता और अजय रस्तोगी की पीठ ने मेहता से कहा था कि अगर कोई विवाद है तो अपीलकर्ता सही फोरम से संपर्क कर सकता है। मेहता ने कहा था कि इसके लिए सबसे उपयुक्त फोरम बीसीसीआई है।
सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने बोर्ड की तरफ से शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है जिसमें कहा है कि बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) नकारात्मकता के जाल में फंस गई है।
उन्होंने लिखा, "हर तबगा अपनी वार्षिक आम बैठक बुलाता है और दूसरे के खिलाफ कदम उठाता है, बीसीए न सिर्फ अपने आप को पंजीकृत कराने में असफल रही है बल्कि वह ऐसी संघ भी नहीं रही जो इस समय काम कर रही हो।"
वर्मा ने कहा कि बीसीए के आंतरिक मामलों के कारण क्रिकेट को नुकसान हुआ है क्योंकि बिहार के अंडर-16, 19, 23 के खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, चयनकतार्ओं और स्टाफ को वेतन नहीं मिला है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में न्यायाधीश आर.एम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था जिसने जनवरी 2016 में अपनी रिपोर्ट दाखिल की दी थी। शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई के नए संविधान को मंजूरी दे दी थी और हर सदस्य को इसके अंतर पंजीकृत कराने को कहा था। वर्मा ने कहा कि बीसीए ने अभी तक अपने आप को पंजीकृत नहीं कराया है। (आईएएनएस)
भोपाल, 13 दिसंबर | केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदेालन की मध्य प्रदेश में भी सुगबुगाहट तेज होने लगी है, किसानों का भोपाल में आंदोलन चल रहा है तो केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र से दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरु होने वाला है। इसी बीच भाजपा ने भी किसानों के बीच जाकर कानूनों की हकीकत बताने का फैसला लिया है। इसी क्रम में भाजपा द्वारा जनजागरण अभियान के साथ किसान सम्मेलनों के आयोजन का फैसला लिया है। देश के विभिन्न हिस्सों के किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं, हजारों किसानों का दिल्ली की ओर जाने वाले रास्तों पर डेरा है। मध्य प्रदेश के किसानों ने भी दिल्ली की ओर कूच किया है, वहीं भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों का भोपाल के नीलम पार्क में धरना जारी है। इस आंदोलन में शामिल किसानों ने प्रदर्शन के अनोखे तरीके अपनाए हैं। इन किसानों ने घुटनों के बल चल कर प्रदर्शन किया था तो शनिवार को उन्होंने साष्टांग (सड़क पर लेटकर) मार्च किया।
भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि सरकार को सद्बुद्धि मिले, इसीलिए उन्होंने राजधानी के नीलम पार्क से काली जी के मंदिर तक साष्टांग मार्च किया। नीलम पार्क में धरना बीते सात दिनों से जारी है। वहीं एकता परिषद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना से 17 दिसंबर को दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरु करने वाली है। इसकी अगुवाई सामाजिक कार्यकर्ता पी.वी. राजगोपाल करेंगे।
एक तरफ जहां किसानों के समर्थन में लामबंदी जारी है तो दूसरी ओर भाजपा ने भी किसानों को केंद्र सरकार के कानूनों की हकीकत बताने के लिए जनजागरण अभियान चलाने का फैसला लिया है। भाजपा प्रदेश में जनजागरण अभियान के तहत 15 एवं 16 दिसंबर को संभाग केन्द्रों पर किसान सम्मेलन आयोजित होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा सहित केन्द्रीय मंत्री एवं पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी सम्मेलनों को संबोधित करेंगे। जिसके साथ ही जनजागरण अभियान एवं व्यापक जनसंपर्क अभियान के माध्यम से किसानों को कृषि कानून के लाभ एवं विपक्षी दलों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम को दूर किया जाएगा।(आईएएनएस)
लखनऊ, 13 दिसंबर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गोरखपुर के डॉक्टर कफील खान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। डॉ. खान पर यह कानून नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ एक कथित भाषण को लेकर लागू किया गया था। हाईकोर्ट ने 1 सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि उत्तर प्रदेश के डॉक्टर कफील खान की नजरबंदी 'गैरकानूनी' थी। कोर्ट के अनुसार, डॉक्टर के भाषण में नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने जैसा कोई प्रयास नहीं नजर आया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि डॉ. खान का आपराधिक इतिहास रहा है, जिसके कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई, सेवा से निलंबन, पुलिस मामलों का पंजीकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत आरोप लगाया गया था।
डॉ. खान पर पिछले साल के अंत में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक सभा में सीएए के खिलाफ दिए गए उनके भाषण के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आरोप लगाया गया था।
गोरखपुर के डॉक्टर को 29 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। वहीं उन पर धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच नफरत को बढ़ावा देने के लिए आरोप लगाया गया था और इस साल 10 फरवरी को जमानत दिए जाने के बाद एनएसए के तहत आरोप लगाए गए थे।
डॉ. खान को मथुरा की एक जेल से रिहा किए जाने के बाद उन्होंने कहा था कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहेंगे कि वे राज्य की चिकित्सा सेवाओं में उन्हें वापस नौकरी दें।
गौरतलब है कि साल 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से उन्हें निलंबित कर दिया गया था। दरअसल सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी के कारण कई बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके बाद उन पर कार्रवाई की गई थी।
हालांकि विभागीय जांच में डॉ. खान पर लगे आरोपों को बाद में खारिज कर दिया गया था, लेकिन उनका निलंबन रद्द नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर अलीगढ़ में कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिया और मुसीबतों से घिर गए।
एनएसए के तहत सरकार उन लोगों को हिरासत में ले सकती है, जिन पर उन्हें संदेह है कि वे सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित कर सकते हैं या भारत की सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं या फिर विदेशों के साथ उनके संबंध हो सकते हैं। इस कानून के तहत सरकार आरोपी को बिना कोर्ट में चार्ज लगाए एक साल तक हिरासत में रख सकती है। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 13 दिसंबर | ओडिशा के मलकानगिरी जिले के स्वाभिमान अंचल में रविवार को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में एक महिला समेत 2 नक्सली मारे गए हैं। डीजीपी अभय ने कहा, स्वाभिमान अंचल के गजलमुमुदी इलाके में नक्सलियों और विशेष अभियान समूह (एसओजी) के बीच हुई फायरिंग के दौरान यह घटना हुई। नक्सलियों द्वारा एसओजी टीम पर गोलियां चलाने के बाद टीम ने जवाबी कार्रवाई की। मौके से सुरक्षाकर्मियों ने भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और माओवादी लेख जब्त किए हैं।
डीजीपी ने कहा, "क्षेत्र में तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है। ओडिशा पुलिस स्वाभिमान अंचल से नक्सलियों को भगाने के लिए ²ढ़संकल्पित है। मैं फिर से उनसे आग्रह करता हूं कि वे ओडिशा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दें।" (आईएएनएस)
हैदराबाद, 13 दिसंबर | हैदराबाद में रविवार को तड़के एक कार और ट्रक की टक्कर में कार सवार 5 युवाओं में से चार की मौके पर मौत हो गई। यह जानकारी पुलिस ने दी। यह दुर्घटना गाचीबवली के विप्रो पर घटी। कार सिग्नल तोड़कर आगे बढ़ गई और ट्रक से जा टकराई।
टेक महिंद्रा में काम करने वाले सॉफ्टवेयर पेशेवर और उनके चार दोस्तों की सुबह करीब 3 बजे हुई दुर्घटना में मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार, आईआईआईटी, हैदराबाद की ओर से आ रही एक स्विफ्ट कार गाउलिडोडी की तरफ जा रही थी और कार रेड सिग्नल तोड़कर आगे बढ़ गई। इसी दौरान कोकापेट से आ रही और आईआईआईटी की ओर जा रहे एक टिप्पर वाहन ने कार को टक्कर मार दी।
टक्कर इतनी भीषण थी कि टिप्पर वाहन भी पलट गया और कार कई मीटर दूर तक घसीटती चली गई।
घटना में चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक अन्य ने निकटवर्ती कॉपोर्रेट अस्पताल में दम तोड़ दिया। पुलिस ने मृतक की कार से शवों को निकाला और उन्हें पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
मृतकों की पहचान के. संतोष (25), (टेक महिंद्रा कर्मचारी) चिन्ता मनोहर (23), (एनीमेशन कंपनी में कर्मचारी), कोल्लुरू पवन कुमार (24), पप्पू भारद्वाज (20) और नागीसेट्टी रोशन (23) के रूप में हुई है। वे सभी मधुपुर के मारुति मेन्स हॉस्पिटल में ठहरे थे।
गाचीबावली पुलिस ने धारा 304 ए (लापरवाही से मौत का कारण) के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने ट्रक मालिक और मृतक के रक्त के नमूने एकत्र किए, ताकि पता चल सके कि उन्होंने शराब पी रखी थी या नहीं। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 13 दिसंबर | भारत में प्रदर्शनकारी किसानों के मुखर समर्थक रहे ब्रिटिश लेबर सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने किसानों को अलगाववादी या आतंकी के रूप में पेश कर गलत सूचना फैलाने के लिए मीडिया की आलोचना की है। ढेसी जिन्होंने पहले ब्रिटिश विदेश मंत्री डॉमिनिक रैब को 35 अन्य सांसदों के साथ नई दिल्ली के साथ किसानों के आंदोलन का मुद्दा उठाने के लिए लिखा था, उन्होंने शनिवार को ट्वीट किया, "आपके अपशब्द और धमकियां मुझे सच बोलने से नहीं रोक सकती।"
ढेसी ने कहा, "कुछ मीडिया ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों को अलगाववादी या आतंकी के रूप में पेश कर गलत जानकारी देना शुरू कर दिया है।"
उन्होंने कहा कि आप अपने राष्ट्र और पेशे को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "हेटर ट्रोल फैक्ट्री : आपकी गाली और धमकी मुझे सच बोलने से रोक नहीं पाएगी।"
उन्होंने मीडिया आउटलेट्स के स्क्रीनशॉट साझा किए, जिन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों को बदनाम करने के प्रयास किए थे।
ढेसी ने पिछले सप्ताह संसद में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से किसानों के विरोध पर टिप्पणी करने और उनके खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे बल प्रयोग को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री से वर्तमान गतिरोध के शीघ्र समाधान के बारे में चिंता व्यक्त करने के लिए कहा था।
एक प्रतिक्रिया में, जॉनसन, जिन्होंने सवाल को गलत सुन लिया और भारत-पाक विवाद समझ लिया, ने जवाब दिया, "हमारा विचार है कि निश्चित रूप से, भारत और पाकिस्तान के बीच क्या हो रहा है, इस बारे में हमारी गंभीर चिंताएं हैं, लेकिन ये पहले से महत्वपूर्ण मामले हैं और दोनों सरकारों को इसे हल करना है।" (आईएएनएस)
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), 13 दिसंबर | इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार की धर्मातरण रोधी अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। कोर्ट द्वारा याचिका स्वीकार किया जाना अभी बाकी है।
एक अधिवक्ता, सौरभ कुमार ने यह कहते हुए अदालत का रुख किया है कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 नैतिक और संवैधानिक दोनों रूप से अवैध है।
उन्होंने अदालत से इस कानून को 'संवैधानिक अधिकार से परे' घोषित करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वह अध्यादेश के अनुपालन में कोई ठोस कार्रवाई न करें जो पिछले महीने घोषित किया गया था।
याचिका के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 अक्टूबर, 2020 को एक बयान दिया था कि उनकी सरकार 'लव जिहाद' के खिलाफ एक कानून लाएगी, यह शब्द मुस्लिम पुरुषों और हिंदू महिलाओं के बीच विवाह को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, और इसे हिंदू महिलाओं के धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने की एक साजिश का हिस्सा बताया जाता है।
मुख्यमंत्री ने अपने बयान में, इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एकल पीठ के फैसले का उल्लेख किया था जिसमें कहा गया था कि सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करना अवैध है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि कुछ दिनों बाद, उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को खारिज कर दिया। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 13 दिसम्बर | केंद्र द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने को लेकर देशभर में किसानों द्वारा प्रदर्शन जारी है। इसी बीच, भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे पंजाब के डीआईजी (जेल) लखमिंदर सिंह जाखड़ ने किसानों के समर्थन में आकर रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि वह किसानों के समर्थन में खड़े होंगे और उनकी मुहिम का हिस्सा बनेंगे।
जाखड़ को मई में जेल कर्मियों से हर महीने रिश्वत लेने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 13 दिसम्बर | जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में रात भर आंशिक रूप से बादल छाए रहने के कारण रात के तापमान में और गिरावट दर्ज की गई। द्रास में तापमान शून्य से 17.6 डिग्री सेल्सियस नीचे और गुलमर्ग स्की रिसॉर्ट में रविवार को न्यूनतम तापमान शून्य से 7.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "इस सप्ताह के दौरान मौसम मुख्य रूप से शुष्क रहने की उम्मीद है और रात में आसमान साफ रहने के कारण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में न्यूनतम तापमान और गिरने की संभावना है।"
श्रीनगर में रविवार को 0.1, पहलगाम में शून्य से 3.2 और गुलमर्ग में शून्य से 7.6 डिग्री सेल्सियस नीचे न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।
लद्दाख के लेह में रात का न्यूनतम तापमान 13.8 डिग्री, कारगिल में शून्य से 12.6 डिग्री नीचे और द्रास में शून्य से 17.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
द्रास में जनवरी 1995 में न्यूनतम तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया था।
जम्मू में न्यूनतम तापमान 9.2, कटरा में 9.5, बटोत में 1.8, बनिहाल में 2.0 और भदरवाह में शून्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के आवास पर धरना देने से पहले ही दिल्ली पुलिस ने रविवार सुबह आम आदमी पार्टी के कई विधायकों को हिरासत में ले लिया। यह विधायक, नगर निगम में कथित घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग कर रहे हैं। इसी मांग को लेकर गृहमंत्री और उपराज्यपाल आवास के विधायक बाहर धरना देने जा रहे थे।
जिन विधायकों को हिरासत में लिया गया है उनमें दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा कुलदीप कुमार, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा आदि शामिल हैं।
राघव चड्ढा ने रविवार सुबह पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर कहा, भाजपा शासित एमसीडी ने दिल्ली के इतिहास का सबसे बड़ा 2500 करोड़ रुपये का घोटाला किया। हमने गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का समय मांगा तो उन्होंने मुझे मेरे आवास से ही गिरफ्तार कर लिया है। अमित शाह जी, आप अपनी पुलिस के दम पर अपनी पार्टी का भ्रष्टाचार क्यों दबाना चाहते हैं।
आप विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा, दिल्ली के इतिहास में यह सबसे बड़ा घोटाला है। बीजेपी के नेताओ ने कर्मचारियों के वेतन के 2500 करोड़ रुपये का घपला किया है। अब हम गृह मंत्री और एलजी से इनके खिलाफ जांच की मांग कर रहे है तो हमारे विधायकों को घरों से गिऱफ्तार कर रहे है।
आम आदमी पार्टी के एक अन्य विधायक कुलदीप कुमार को भी दिल्ली पुलिस ने रविवार सुबह हिरासत में ले लिया। कुलदीप कुमार ने कहा, ये तो तानाशाही है। हमें गृह मंत्री अमित शाह के घर पर निगम में हुए 2500 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच की मांग हेतु जाना था। अमित शाह ने पुलिस को घर भेज कर हमें गिरफ्तार करा दिया। क्या देश में लोकतंत्र खत्म हो गया है।
गौरतलब है कि भाजपा के पार्षद मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना दे रहे हैं। इसके जवाब में अब आम आदमी पार्टी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली के उपराज्यपाल आवास के बाहर धरना देना चाहती है। इसके लिए दिल्ली पुलिस से इजाजत भी मांगी गई है। 'आप' के मुताबिक जैसे पुलिस ने सीएम हाउस के बाहर धरना देने की इजाजत दी है उसी तरह गृहमंत्री और एलजी हाउस के बाहर भी धरना देने की इजाजत दी जाए।
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में ढाई हजार करोड रुपए से अधिक से अधिक का घोटाला हुआ है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस मामले में सचिव स्तर की जांच के आदेश दिए हैं। आम आदमी पार्टी इसकी जांच के लिए सीबीआई जांच की मांग कर रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 13 दिसंबर भारत में बीते 24 घंटों में कोविड-19 के और 30,254 नए मामले दर्ज किए गए हैं, जिनके साथ रविवार को संक्रमण का कुल आंकड़ा 98,57,029 तक पहुंच गया। वहीं इसी अवधि में और 391 मौतों के साथ मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,43,019 हो गई है। यह जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से मिली। पिछले 24 घंटों में कुल 33,136 लोग संक्रमण से उबरे हैं, जिनके साथ ठीक हुए लोगों की संख्या 93,57,464 हो गई है। वर्तमान में, 3,56,546 सक्रिय मामले हैं। रिकवरी दर 94.93 प्रतिशत है, और मृत्यु दर 1.45 प्रतिशत है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि कोविड-19 के लिए अब तक कुल 15,37,11,833 नमूनों का परीक्षण किया गया है। इनमें से 10,14,434 नमूनों की जांच शुक्रवार को की गई।
महाराष्ट्र अब तक 18,76,699 मामलों के साथ सबसे खराब स्थिति वाला राज्य बना हुआ है।
दर्ज किए गए मामलों में 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, केरल, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा का 72 प्रतिशत से अधिक योगदान है।
कोविड-19 वैक्सीन के आठ कैंडिडेट क्लिनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में हैं, जो निकट भविष्य में प्राधिकरण के लिए तैयार हो सकते हैं। इनमें तीन स्वदेशी वैक्सीन भी शामिल हैं।
इनमें एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया निर्मित कोविशिल्ड, भारत बायोटेक लिमिटेड की कोवैक्सिन, जाइडस कैडिला द्वारा जाइकोव-डी, रूसी वैक्सीन उम्मीदवार स्पुतनिक-5, एसआईआई की एनवीएक्स-कोव2373, जिनेवा की एचजीसीओ19, और दो बिना लेबल वाले वैक्सीन, जिनमें बायोलॉजिकल ई लिमिटेड की रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन एंटीजन आधारित वैक्सीन और भारत बायोटेक की इनएक्टिव रेबीज वेक्टर है। (आईएएनएस)
रजनीश सिंह
नई दिल्ली, 13 दिसम्बर | दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर पहला प्रमुख किसान आंदोलन स्थल सिंघु सीमा, पिछले 17 दिनों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के धरने के लिए भविष्य की रणनीति बनाने के साथ किसानों के प्रदर्शन के लिए एक प्रभावशाली केंद्र बन गया है। यह तीन महीने पहले संसद द्वारा तीन कृषि कानूनों को लागू करने के बाद उनके मुद्दों को हल करने में सरकार के साथ चर्चा करने के लिए प्रतिनिधियों का चयन करने और धरने को लेकर रणनीति बनाने का अड्डा बन गया है।
शांतिपूर्ण विरोध जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के हजारों किसान शामिल हैं, विभिन्न राज्यों और कस्बों के 40 से अधिक किसान यूनियनों से जुड़े किसानों के प्रतिनिधियों द्वारा केंद्रीय रूप से निगरानी की जा रही है, जो 26 नवंबर से सिंघु बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।
मध्य दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर, सिंघु, जहां बहुसंख्यक 'जाट और गुर्जर' समुदाय निवास करते हैं, उस समय सुर्खियों में आया जब अपने 'दिल्ली चलो मार्च' के तहत झंडे लेकर जा रहे हजारों किसान नारे लगाते हुए यहां और दिल्ली-हरियाणा में टीकरी सीमा पर 17 दिन पहले एकत्रित हो गए। इन किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड लगाए, आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया।
क्रान्तिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शनपाल ने आईएएनएस को बताया कि सिंघु सीमा से जारी संदेश का अनुपालन दिल्ली के विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा किया जा रहा है, जो उन्हें अब तक के पूरे आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाए रखने में मदद करते हैं।
हालांकि, नेता ने इस दावे को नकार दिया कि विरोध में वामपंथी लोग हावी हैं। लोगों ने जोर देकर कहा कि सिंघु से मीडिया के माध्यम से एक केंद्रीय संदेश प्रसारित किया जाता है और विभिन्न राज्यों के हमारे किसानों द्वारा इसका पालन किया जा रहा है जो सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ यहां एकत्र हुए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने आईएएनएस को बताया, "कई लोगों ने अपना कार्यक्रम लिया, लेकिन हम उन्हें ऐसा नहीं करने की अपील कर रहे हैं क्योंकि यह आंदोलन को दिशाहीन बनाता है। यह समस्याओं को बढ़ाता है। सिंघु बॉर्डर से जो भी संदेश दिए जाते हैं, उनका सभी को पालन करना चाहिए।"
आंदोलन का मैदान, जहां अधिकांश किसान पंजाबी हैं, अब उन सभी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है, जो इनके समर्थन में खड़े हैं। देश भर के गायक, पहलवान और राजनेता किसानों के समर्थन में आए हैं, बॉर्डर पहुंचकर किसानों से मिले हैं।
पिछले कुछ दिनों में 'मिनी-पंजाब' में तब्दील हो चुके सिंघु ने अब तक किसानों-सरकार की वार्ता के तीसरे, चौथे और 5 वें दौर का आयोजन किया है, जो दुर्भाग्य से, तीन कृषि कानूनों को लेकर दोनों पक्षों के अड़ियल रुख के कारण बेनतीजा रहे।
केंद्रीय नेतृत्व ने सिंघु से अपने फैसले सर्कुलेट किए और किसानों की पंचायत बैठक का आयोजन भी उस जगह पर किया गया, जहां किसानों के विभिन्न समूह अपने ट्रक और ट्रैक्टरों के साथ, तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग को स्वीकार करने के सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, जिसे वे काला कानून, किसान विरोधी कानून कहते हैं।
सिंघू सीमा विरोध स्थल से ही 8 दिसंबर को 'भारत बंद' का आह्वान किया था, जिसका कई विपक्षी दलों ने समर्थन किया था। (आईएएनएस)
मुंबई, 13 दिसंबर । कई बार नेताओं के ऐसे वीडियो भी सामने आते हैं, जहां वे स्पेशल ट्रीटमेंट की मांग करते हैं. अपनी मांगों के चलते वे आयोजकों की नाक में दम कर देते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी सादगी से सभी का दिल जीत लिया. सोशल मीडिया पर भी उनके फैसले की काफी तारीफ हुई. ठाकरे औरंगाबाद में एक जल वितरण योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कई विकास कार्यों की घोषणा की.
कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे सीएम ठाकरे जैसे की आयोजन स्थल पर पहुंचे, तो सभी ने उनका जमकर स्वागत किया. हालांकि, इस दौरान ठाकरे की नजर उस कुर्सी पर ठहर गई, जो उनके बैठने के लिए तैयार की गई थी. हालांकि, इस कुर्सी पर उन्होंने आपत्ति जताई और बैठने से इंकार कर दिया.
उनके इस फैसले ने कुछ पलों के लिए सभी को हैरान किया, लेकिन फिर जमकर तारीफें भी बटोरीं. ठाकरे ने शनिवार को संभाजीनगर में 1680 करोड़ रुपए की जल योजना, 152 करोड़ रुपए की बाला साहब ठाकरे मेमोरियल पार्क, सफारी पार्क और सड़क कार्यों का शिलान्यास किया.
राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को बढ़ावा देगा पार्क
औरंगाबाद में दिवंगत बाल ठाकरे की याद में तैयार होने जा रहे पार्क को लेकर सीएम ठाकरे ने कहा कि यह आने वाली पीढिय़ों में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एहसासों को बढ़ावा देगा. उन्होंने कहा 'यह उन्हें उनके कामों के बारे में भी बताएगा. ठाकरे ने मुंबई-नागपुर समृद्धि कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का श्रेय भी पार्टी को दिया है. उन्होंने कहा जब प्रोजेक्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण शुरू हुआ, तो शिवसेना ही थी, जो सबसे पहले प्रभावित किसानों तक पहुंची थी. हम उनसे मिले और उनकी परेशानियों को सुलझाया.
पवार को बताया था मार्गदर्शक
शनिवार को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार का जन्मदिन था. इस मौके पर सीएम ठाकरे ने भी उन्हें बाधाई दी थी. ठाकरे ने कहा कि पवार की ऊर्जा और उत्साह सभी के लिए प्ररेणास्रोत हैं. उन्होंने एक बयान में कहा, हम उम्मीद करते हैं कि उनमें यही ऊर्जा और उत्साह भरा रहेगा. हम शरद पवार साहेब के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करते हैं. वह एमवीए के स्तंभ, वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक हैं।
नई दिल्ली, 13 दिसंबर । साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ा गया युद्ध कई दिन तक चला था, लेकिन 2 पैरा बटालियन ग्रुप के पहुंचने के बाद पाक सेना बांग्लादेश की राजधानी ढाका में चारों तरफ से घिर चुकी थी. इसी दौरान पाक सेना के लेफ्टीनेंट जनरल एएके नियाज़ी को एक खत भेजा गया था, लेकिन ढाका में यहां-वहां फैली पाक सेना ने खत ले जाने वाले कैप्टन निर्भय और उनकी टीम पर ही हमला बोल दिया. किसी तरह से उस एक लाइन के खत को पाक सेना के अफसर तक पहुंचाया गया. और खत की उस लाइन को पढ़ते ही पाक सेना के 93 हजार अफसर और जवानों ने सरेंडर कर दिया.
रिटायर्ड लेफ्टीनेंट जनरल निर्भय शर्मा बताते हैं, हम ढाका शहर के बाहर उसके बॉर्डर पर खड़े थे. भारतीय सेना चारों तरफ से ढाका को घेरे खड़ी थी. 16 दिसम्बर की सुबह मेजर जनरल जी. नागरा का एक मैसेज उनके एडीसी कैप्टन मेहता के मार्फत मिला. यह मैसेज हमारे सीओ कर्नल केएस. पन्नू के नाम आया था. मैसेज था कि एक खत जनरल नियाजी तक पहुंचाना है. सीओ साहब ने खत भेजने के लिए मुझे चुना. मुझे कैप्टन मेहता के साथ जाना था. सुबह 10.45 बजे मैं अपनी टीम के मेजर सेठी, लेफ्टीनेंट तेजेंदर और कैप्टन मेहता के साथ ढाका में दाखिल हो गया. यह पहला मौका था जब भारतीय सेना ढाका में घुस रही थी. हम एक जीप में सवार थे और सरेंडर का मैसेज ले जाते हुए इतिहास का हिस्सा भी बनने जा रहे थे.
वह बताते हैं कि उस एक लाइन के खत में लेफ्टीनेंट जनरल नियाज़ी के लिए लेफ्टीनेंट जनरल नागरा का यह मैसेज था,
जनरल नियाजी और जनरल नागरा भारत-पाक बंटवारे से पहले एक-दूसरे को जानते थे. रिटायर्ड लेफ्टीनेंट जनरल निर्भय शर्मा बताते हैं कि जनरल नियाजी सरेंडर के लिए तैयार हो चुके थे, लेकिन उन्होंने कुछ शर्त रखीं थी, जिसे हमारे आर्मी चीफ जनरल सैम मानेकशॉ ने नकार दिया था. वह कहते हैं, हमें नहीं पता था कि अभी तक पाक सेना को सरेंडर करने के आदेश नहीं मिले हैं. हम जब एक ब्रिज के पास पहुंचे तो हमारे ऊपर गोलियां दागी जाने लगीं. तब मैंने अपनी पूरी ताकत से चीखते हुए फायरिंग रोकने के लिए कहा. फायरिंग तो रुक गई, लेकिन उन्होंने हमारे हथियार छीन लिए. वो पाक सेना का एक जूनियर कमीशंड अफसर था. मैंने उसे चेतावनी भरे लहाजे में कहा कि अगर हमे हाथ भी लगाया तो उसके नतीजे ठीक नहीं होंगे. भारतीय सेना ने ढाका को चारों ओर से घेर लिया है और उनका जनरल नियाज़ी सरेंडर करने को तैयार है.
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वह कहते हैं, मैंने उसे उसके सीनियर को बुलाने के लिए कहा. तभी वहां उसका एक कैप्टन आ गया. मैंने उसे पूरी बातों के साथ खत के बारे में भी बताया. तब वो हमे अपने एक कमांडर के पास ले गया जिसने हमसे खत लिया और हमे कुछ देर रुकने के लिए कहा. करीब आधा घंटे बाद मेजर जनरल मोहम्मद जमशेद हमारे सामने आए और जीप में बैठकर हमारे साथ चल दिए. जमशेद मेरे और मेजर सेठी के बीच में बैठे हुए थे. जमशेद खाकी ड्रेस में थे.
निर्भय शर्मा बताते हैं कि एक पाकिस्तानी जीप हमारे पीछे चल रही थी. हम वापस अपने ठिकाने पर जा रहे थे. एक बार फिर से हमारे ऊपर फायरिंग होने लगी. मेजर सेठी को पैर में गोली लगी और एक गोली तेजेंदर को भी लगी और वो वहीं शहीद हो गया. कुछ देर बाद हम अपने ठिकाने पर पहुंच चुके थे. जनरल नागरा कर्नल पन्नू के साथ वहीं थे. इस तरह से मेजर जनरल मोहम्मद जमशेद ने अपनी पिस्तौल जनरल नागरा को सौंप कर सरेंडर कर दिया.
गौरतलब रहे कि बाद में कैप्टन निर्भय शर्मा लेफ्टीनेंट जनरल के पद तक पहुंचे. रिटायर्ड होने के बाद पहले अरुणाचल और फिर मिजोरम के गर्वनर भी रहे. साथ ही यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के मेम्बर भी रहे. और सबसे अहम बात यह कि जनरल शर्मा ने कश्मीर और नॉथ-ईस्ट में आतंकवाद के खिलाफ बहुत काम किया. वक्त-वक्त पर उनकी बहादुरी लिए उन्हें पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम और वीएसएम अवार्ड से भी नवाजा गया।
हरदोई, 13 दिसंबर । उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक 21 वर्षीय युवती ने दुष्कर्म और जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाते हुए शाहाबाद पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई है। यह नए कानून के तहत दर्ज की गई पांचवी प्राथमिकी है जिसके तहत सीतापुर, मऊ, बरेली और मुजफ्फरनगर में अब तक 28 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि वह दो साल से शाहाबाद के एक शख्स मोहम्मद आजाद के साथ रिश्ते में थी।
उसने दावा किया कि इस अवधि के दौरान, शादी के बहाने आजाद ने उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया।
उसने कहा कि 30 नवंबर को, जब उसने उससे शादी करने के लिए कहा, तो आजाद ने उसे धर्म परिवर्तन कर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा।
उसने आगे कहा कि आजाद ने उसे धमकी दी कि पुलिस को सूचित करने पर वह उसे जान से मार देगा।
युवती ने यह भी दावा किया कि उसे संदेह था कि आजाद उसे दिल्ली ले जाकर बेच देगा।(आईएएनएस)