राष्ट्रीय
बेंगलुरु, 3 फरवरी | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत ने अगले 7-8 वर्षों में सैन्य आधुनिकीकरण पर 130 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई है। यहां 'एयरो इंडिया' शो में बोलते हुए, मंत्री ने कहा, "हमने हाल ही में अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। बड़े और जटिल रक्षा प्लेटफार्मों का घरेलू विनिर्माण अब हमारी नीति के तहत आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत केंद्रित हो गया है। सैन्य आधुनिकीकरण पर 130 अरब डॉलर खर्च करने की हमारी योजना है।"
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता और निर्यात के दोहरे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 2024 तक एयरोस्पेस और रक्षा उपकरणों और सेवाओं में 35,000 करोड़ रुपये के निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत कई मित्र देशों को रक्षा उपकरणों का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बनने की क्षमता रखता है। मंत्री ने कहा, "हमारे पास एक मजबूत और विविधतापूर्ण सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम क्षेत्र है, जिसकी 5,000 से अधिक सक्रिय इकाइयां हैं।"
'एयरो इंडिया' के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत आज रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण में एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा, कि यह अवसर एक बढ़ती मांग, बेहतर नवाचार, अनुकूल नीतियों और रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण क्षेत्र में परिपक्व पारिस्थितिकी तंत्र के संगम के रूप में आता है।
मंत्री ने कहा कि विमानन क्षेत्र में, एयर शो और विमानन प्रदर्शनी सबसे चमकीले गैलेक्सी में से एक है जो विभिन्न प्रकार के विकल्प, समाधान, साझेदारी और अवसर प्रदान करते हैं।
सिंह ने मालदीव, यूक्रेन, गिनी, ईरान, कोमोरोस और मेडागास्कर के रक्षा मंत्रियों का आभार व्यक्त किया, जो इस अवसर पर उपस्थित थे, और अन्य वर्चुअल रूप से शामिल हुए।
80 से अधिक विदेशी कंपनियों, रक्षा मंत्रियों और प्रतिनिधियों, सेवा प्रमुखों और 55 से अधिक देशों के अधिकारियों सहित लगभग 540 प्रदर्शक इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह वैश्विक समुदाय के बढ़ते आशावाद को दर्शाता है।"
सिंह ने यह भी कहा कि एयरोस्पेस और इंजीनियरिंग फर्मों द्वारा विकसित मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला, एक निवेशक-हितैषी सरकार, सरलीकृत प्रक्रियाओं और सिंगल-विंडो तंत्र के माध्यम से फास्ट-ट्रैक व्यापार की मंजूरी के साथ कर्नाटक को उद्योग के लिए एक बहुत ही आकर्षक गंतव्य बनाती है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 फरवरी | कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि सरकार किसानों से न उलझे, क्योंकि वे देश की रीढ़ की हड्डी हैं। कांग्रेस ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि किसान आंदोलन की वजह से अंग्रेजों को भी कुछ कानूनों को वापस करना पड़ा था। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में भाग लेते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "कांग्रेस चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ थी, लेकिन किसानों से उलझना अच्छी बात नहीं है।"
उन्होंने कहा, "जब अंग्रेजों ने कई कानूनों को वापस ले लिया, तो हम क्यों नहीं ले सकते। मैं प्रधानमंत्री से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और 26 जनवरी की घटना के बाद लापता हुए लोगों का पता लगाने का अनुरोध करता हूं।"
कांग्रेस नेता ने लाल किले की घटना की निंदा की और ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि किसान नेताओं पर फर्जी मामले नहीं लगाए जाने चाहिए।
कांग्रेस ने यह भी कहा कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर और पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।
कश्मीर पर बोलते हुए आजाद ने कहा, "जब वहां राज्य सरकार थी, तब बहुत विकास हुआ था, आतंकवाद कम था और कानून व्यवस्था की समस्या कम थी।"
उन्होंने कहा, "राज्य में पर्यटन बहुत कम हो गया है और लोग घर बैठे हैं। राज्य में शिक्षा समाप्त हो गई है, स्कूलों के बिना विकास कैसे हो सकता है। साथ ही इंटरनेट समस्या के कारण ऑनलाइन कक्षाएं संचालित नहीं की जा सकती।"
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव कराने के लिए सरकार को बधाई दी। कांग्रेस नेता ने कहा कि धारा 370 के खत्म होने से लोग नाखुश हैं।
आजाद ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री से जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य बनाने और चुनाव कराने का अनुरोध करता हूं।"
इससे पहले, विपक्ष विवादास्पद कृषि कानूनों पर चर्चा से पहले धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए सहमत हो गया और सर्वसम्मति से चर्चा का समय बढ़ाने का निर्णय लिया गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 फरवरी | गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में कथित भूमिका के लिए दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू, जुगराज सिंह, गुरजोत सिंह और गुरजंत सिंह के बारे में सूचना देने वालों को एक लाख रुपये का नकद ईनाम देने की घोषणा की है। इसके लिए पुलिस ने जजबीर सिंह, बूटा सिंह, सुखदेव सिंह और इकबाल सिंह के बारे में सूचना देने वालों के लिए 50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है।
पंजाबी फिल्मों के एक्टर दीप सिद्धू को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस की टीमें पंजाब में कई जगह दबिश दे रही हैं। उसने अपने फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया है जिसमें वह पंजाबी में बात कर रहा है और खुद को निर्दोष बता रहा है।
तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े किसानों के लाल किले पर हिंसक आंदोलन में कथित भूमिका के लिए पुलिस दीप सिद्धू की तलाश कर रही है।
बहरहाल, 31 जनवरी को फेसबुक पोस्ट पर अपलोड किए गए 15 मिनट के इस वीडियो को सिद्धू ने 'स्ट्रेट फ्रॉम माई सोल' नाम दिया है। इसमें वह एक भावनात्मक बयान देते हुए दिख रहा है। इसमें वह कह रहा है कि अपनी पूरी जिंदगी पीछे छोड़ आने के बावजूद मैं पंजाबियों का उनके विरोध में साथ देने के लिए आया। किसी ने कुछ भी नहीं देखा, लेकिन मुझे गद्दार बना दिया गया।
उसने कहा कि मैंने आपके अधिकारों के लिए आवाज उठाई। पिछले कई दिनों से मैं सड़कों पर और तंबुओं में लोगों से मिल रहा हूं और अब मुझे गद्दार बनाया जा रहा है। यह वीडियो अपलोड होने के दो घंटे के भीतर ही इसे 19,000 बार देखा गया और इस पर 11,000 कमेंट्स भी आए।
26 जनवरी को हिंसा भड़कने के बाद दिल्ली पुलिस ने 122 लोगों को गिरफ्तार किया है और विभिन्न थानों में 44 मामले दर्ज किए हैं। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 3 फरवरी | बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के बाद पार्टी को मजबूत करने को लेकर आलाकमान ने बिहार प्रभारी की जिम्मेदारी भले ही भक्त चरण दास को सौंप दी गई हो, लेकिन प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ कार्यकर्ताओं का गुस्सा अब प्रभारी को झेलना पड़ रहा है।
फिलहाल कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास राज्य के विभिन्न जिलों के दौरे पर हैं, लेकिन कई जिलों में पार्टी के गुटबाजी के कारण उन्हें फजीहत झेलनी पड़ी है।
दास और प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा जब बक्सर पहुंचे और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक प्रारंभ की तब दो गुटों के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। प्रभारी और अध्यक्ष के सामने ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हुई भिड़ंत के बाद पार्टी की अंतर्कलह सामने आ गई।
मदन मोहन झा ने हालांकि कहा कि पार्टी में कोई बड़ा विवाद नहीं है। पार्टी में किसी को किसी तरह की परेशानी है तो शांति से अपनी बात कहना चाहिए।
दास के गोपालगंज के दौरे में भी पार्टी में गुटबाजी सामने आई थी, जब यहां भी बैठक के दौरान हंगामा प्रारंभ हो गया और दो गुट के लोग आमने-सामने आ गए। प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी के सामने ही पार्टी नेताओं पर कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने सहित जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट नही देने का आरोप लगाने लगे।
पार्टी नेताओं ने विधानसभा चुनाव में दूसरे दल के टिकट पर दूसरे नेताओं को जबरन थोपने का आरोप लगाया और उसके साथ हीं पार्टी के प्रत्याशियों ने भी कार्यकर्ताओं को चुनाव में साथ नहीं देने का आरोप लगाया। दोनों पक्षों से आरोप-प्रत्यारोप की वजह से बैठक में जमकर हंगामा होने लगा।
कैमूर जिले में भी कांग्रेस की हालत उस समय बिहार प्रभारी के सामने बेपरदा हो गई जब यहां के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया और पार्टी आलाकमान से प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को बदलने की मांग की।
वैसे, बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही बिहार कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के विरोध में कार्यकर्ता आवाज मुखर करते रहे हैं। कई नेताओं पर टिकट बेचने तक के आरोप लग रहे हैं।
इधर, कांग्रेस के नेता और प्रदेश युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार कहते हैं कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है और कुछ लोगों में नाराजगी होना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन, विरोध का अपना तरीका है, इससे अनुशसान भंग हो ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी पार्टी को मजबूत करने के लिए कार्य किए हैं।
उन्होंने प्रदेश प्रभारी से अनुशासन भंग करने वाले कार्यकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई करने तक की मांग की है। उन्होंने तो यहां तक कहा कि प्रभारी कार्रवाई करने की अनुशंसा तो करते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
वैसे, कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि बिहार प्रभारी भी प्रदेश नेतृत्व से ज्यादा खुश नहीं हैं। ऐसे में बिहार के जिले के दौरा करने के बाद प्रभारी के दिल्ली लौटने के बाद कांग्रेस में फेरबदल की संभावना व्यक्त की जा रही है। (आईएएनएस)
पटना, 3 फरवरी | बिहार में मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अमर्यादित टिप्पणी करने पर कानूनी कार्रवाई के सरकारी फरमान का अभी विरोध चल ही रहा था कि बिहार पुलिस द्वारा हाल में दिए गए एक आदेश के बाद राज्य की सियासत फिर गर्म हो गई है। हालांकि सत्ता पक्ष पुलिस के बचाव में उतर आया है। बिहार पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल ने एक आदेश में कहा है, यदि कोई व्यक्ति किसी विधि व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम, इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोप पत्रित (चार्जशीट) किया जाता है, तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाए। ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योकि उनमें सरकारी नौकरी, ठेके आदि नहीं मिल पाएंगें।
सरकारी ठेके में चरित्र सत्यापन को अब अनिवार्य कर दिया गया है।
इधर, पुलिस महानिदेशक के इस आदेश के बाद राज्य की सियासत गर्म होती दिख रही है। विपक्ष इसे आम जनता के सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन के लोकतांत्रिक अधिकार का हनन मान रहा है जबकि सत्ता पक्ष इसे कानून व्यवस्था के हित में उठाया गया कदम बता रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इस आदेश की कॉपी शेयर करते हुए लिखा, मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते हैं अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी। मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे। बेचारे 40 सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे हैं?
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने तेजस्वी के ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा कि धरना, प्रदर्शन कर आंदोलन करना सबका लोकतांत्रिक अधिकार है। उसकी आड़ में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले, तोड़फोड़ करने वाले उपद्रवी तत्वों के खिलाफ अगर कार्रवाई की बात हो रही हैं तो उपद्रवियों को मिर्ची लग रही है। उन्होंने कहा कि अब आप तय किजिए कि आप लोकतंत्र को मानते हैं या उपद्रव को। (आईएएनएस)
नई दिल्ली. एशिया का सबसे बड़ा एयर शो ‘एयरो इंडिया 2021’ आज से बेंगलुरू में शुरू होने जा रहा है. इस एयर शो में लोग घर बैठे शामिल हो सकते हैं. कोरोना की वजह से पहली बार वर्चुअल एंट्री की व्यवस्था की गई है. यानी एयर शो के साथ-साथ वहां लगने वाली सारी एक्जिबिशन भी घर बैठे देख सकते हैं. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सुबह 9.30 बजे एयरो इंडिया का उद्घाटन करेंगे. इसके बाद 10.15 बजे फ्लाइंग पास्ट होगा, जिसमें देश के स्वदेशी एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर भाग लेंगे.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की संयुक्त सचिव ऊषा पाढे ने बताया कि 5 फरवरी तक चलने वाला शो पहली बार हाईब्रिड मॉडल पर आधारित है. इसमें लोगों को वर्चुअल एस्सेज की व्यवस्था की गई है. अभी तक लोग टीवी पर केवल एयर शो देख पाते थे, वहां लगी एक्जिबिशन केवल वही लोग देख पाते थे, जो वहां मौजूद रहते थे.
इस बार देश के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति देख सकता है. कोरोना की वजह से इस वर्ष एयरो इंडिया में आम लोगों का प्रवेश नहीं है. तीनों दिन बिजनेस डे हैं. इस वजह से पिछले वर्षों की तुलना में कम संख्या में लोग मौजूद रहेंगे. एयरो इंडिया में शामिल होने वाले लोगों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य किया गया है.
संयुक्त सचिव ऊषा पाढे ने बताया कि इस दौरान नागरिक उड्यन मंत्रालय एक सेमीनार आयोजित करेगा, जिसका विषय द डायनमिज्म ऑफ सिविल एविएशन-मेकिंग इंडिया ए सिविल एविएशन हब है. इसमें एयर लाइंस, एयरपोर्ट, ड्रोन्स, आर एंड डी और मैन्युफैक्चरिंग जैसे विषय शामिल होंगे.
13वें एयरो इंडिया शो में देश-विदेश की 600 कंपनियां शामिल हो रही हैंं. इसमें 14 देशों की 78 कंपनियां शामिल होंगी. इस वर्ष 203 कंपनियां वर्चुअल रूप में अपने हथियारों और दूसरे सैन्य सामान प्रदर्शित करेंगी. वर्चुअल होने की वजह से इसे हाईब्रिड मोड एक्जिबिशन नाम दिया गया है.
नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का कई देशों के सांसदों, संगीतकारों, अभिनेताओं और ऐक्टिविस्टों ने समर्थन किया है. इनमें स्वीडन की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबेर्ग और अंतर्राष्ट्रीय पॉप-स्टार रिहान्ना शामिल हैं.
डॉयचेवेले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-
मंगलवार शाम रिहान्ना ने किसानों के धरना स्थलों पर सरकार द्वारा इंटरनेट बंद कर दिए जाने के बारे में ट्वीट कर कहा, "हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं"? उसके कुछ घंटों बाद जलवायु परिवर्तन के खिलाफ युवाओं का आंदोलन खड़ा करने वाली ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबेर्ग ने भी किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देने के बारे में ट्वीट किया. फिर एक के बाद एक कई अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों और संस्थानों ने किसानों के आंदोलन पर ट्वीट कर किसानों के अपना समर्थन व्यक्त किया.
इनमें अमेरिकी अभिनेता जॉन क्यूजैक, ब्रिटेन के सांसद तनमनजीत सिंह, ब्रिटेन की ही एक और सांसद क्लॉडिया वेब, अमेरिकी अधिवक्ता और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस, कनाडा की यूट्यूबर लिली सिंह, यूगांडा की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट वनेसा नकाते, अंतरराष्ट्र्रीय मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच, अमेरिकी पर्यावरण ऐक्टिविस्ट जेमी मारगोलिन जैसी हस्तियां शामिल हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने रिहान्ना को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और यह उम्मीद जताई कि इससे उनके आंदोलन के बारे में आम लोगों में जानकारी फैलेगी. इस बीच किसान आंदोलन पर संसद के दोनों सदनों में भी सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध छिड़ गया है. सरकार किसानों के प्रदर्शन पर संसद में 15 घंटों की चर्चा कराने को तैयार हो गई है. चर्चा शुक्रवार को कराने का निर्णय लिया गया है लेकिन विपक्ष चर्चा तुरंत शुरू कराना चाह रहा है.
दूसरी तरफ दिल्ली की सीमाओं पर सरकार द्वारा लगाए गए तरह तरह के बैरिकेडों से किसान नाराज हैं. सवाल उठ रहे हैं कि इस तरह की घेराबंदी करके सरकार किसानों से बातचीत को कैसे आगे बढ़ाएगी. किसान यह भी मांग कर रहे हैं कि 26 जनवरी की घटनाओं के संबंध में हिरासत में लिए किसानों को भी रिहा किया जाए. उधर दिल्ली पुलिस ने पंजाबी अभिनेता और राजनीतिक कार्यकर्ता दीप सिद्धू को खोजने के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं.
पुलिस ने सिद्धू के बारे में जानकारी देने के लिए एक लाख रुपयों के इनाम की घोषणा की है. किसान संगठनों का आरोप है कि सिद्धू ने कुछ किसानों को बरगला कर 26 जनवरी की अप्रिय घटनाओं को अंजाम दिया. सिद्धू पर बीजेपी के इशारे पर किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा होने के भी आरोप लगे हैं. हालांकि बीजेपी कह चुकी है कि सिद्धू अब पार्टी के साथ नहीं हैं.
बेंगलुरु, 3 फरवरी | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत कई मोर्चो पर खतरों और चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन सतर्क है और किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए तैयार है। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना यहां द्विवार्षिक 'एयरो इंडिया' शो और विमानन प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर अपने भाषण में कहा कि भारत स्टेट स्पॉन्सर्ड और स्टेट इन्फ्लिक्टेड आतंकवाद का शिकार भी है, जो अब एक वैश्विक खतरा है।
चीन के साथ देश की उत्तरी सीमाओं पर तनातनी के बारे में उन्होंने कहा: "हम लंबे समय से अनसुलझे सीमा विवादों के साथ यथास्थिति को जबरन बदलने के दुर्भाग्यपूर्ण प्रयासों को देखते आए हैं।"
रक्षा मंत्री ने कहा, "भारत सतर्क है और हर कीमत पर हमारे लोग क्षेत्रीय अखंडता का बचाव करने के लिए किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने और हराने के लिए तैयार है।"
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर नौ महीने से गतिरोध है। कई स्तरों पर वार्ताओं के बावजूद, कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है।
पिछले महीने, दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवादित क्षेत्रों में फ्रंटलाइन सैनिकों को शीघ्र पीछे हटाने पर सहमत हुए।
भारतीय और चीनी सैन्य अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी सीमा विवाद को हल करने के लिए नौ दौर की बातचीत की है।
दोनों देशों ने अपने देशों के नेताओं के बीच आम सहमति का पालन करने, बातचीत की अच्छी गति बनाए रखने, और सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को संयुक्त रूप से आगे बढ़ाने के लिए कोर कमांडर लेवल मीटिंग के 10वें दौर का आयोजन करने पर सहमति व्यक्त की है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 फरवरी | केंद्र सरकार ने राज्यसभा में हुए एक सवाल के जवाब में बताया है कि देश में पर्यटन के प्रमोशन के लिए पिछले तीन वर्षों में एक अरब से ज्यादा की धनराशि मीडिया अभियानों पर खर्च हुई है। ओडिशा के बीजू जनता दल के सांसद भास्कर राव नेक्कांति और प्रशांत नंदा के एक लिखित सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार प्रहलाद सिंह पटेल ने यह जानकारी दी है। दरअसल, बीजू जनता दल के दोनों सांसदों ने भारत में घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मीडिया अभियानों पर खर्च हुई धनराशि पर सवाल पूछा था। इस सवाल का लिखित में जवाब देते हुए पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने बताया कि पर्यटन मंत्रालय की ओर से भारत में घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न मीडिया अभियान चलाए जाते हैं। पिछले तीन वर्षों में प्रिंट मीडिया, टेलीविजन, ऑनलाइन, रेडियो, थियेटर और एसएमएस अभियान चलाए गए हैं। इन अभियानों पर बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में 25,70,95,135 रुपये खर्च हुए, जबकि वर्ष 2018-19 में 65,25,12,193 रुपये खर्च किए गए। इसी तरह वर्ष 2019-20 में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 33,27,44,370 रुपये खर्च कर मीडिया अभियान संचालित हुए। इस प्रकार तीन वर्ष में पर्यटन से जुड़े मीडिया अभियानों पर 1,24,23,51,698 रुपये खर्च हुए।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि पर्यटन मंत्रालय द्वारा ब्यूरो ऑफ आउटरीच कम्युनिकेशन (बीओसी), दूरदर्शन, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के माध्यम से मीडिया प्लान प्राप्त किए जाते हैं। यह अभियान भारत के सभी राज्यों के लिए होते हैं न कि राज्य विशेष के लिए।
(आईएएनएस)
-Sanjay Srivastava
भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को एक ट्वीट किया कि किस तरह भारत में पेट्रोल के दाम दो पड़ोसी देशों नेपाल और श्रीलंका से काफी ज्यादा हैं. इसमें गौरतलब ये है कि नेपाल में जो तेल जाता है, उसकी आपूर्ति पूरी तरह भारत से ही की जाती है, तब भी वहां तेल हमारे यहां से सस्ता कैसे है.
सबसे पहले आपको ये भी बता दें कि 01 नेपाली रुपया 62 पैसे के बराबर होता है यानि नेपाल का 100 रुपया भारत के करीब 62 रुपए के बराबर होता है.
सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया राम के भारत में पेट्रोल 92 रुपए तो सीता के नेपाल में 53 रुपए और रावण के श्रीलंका में 51 रुपए. श्रीलंका का 100 रुपए भारत के 38 रुपए के बराबर है.
नेपाल की सीमाएं तीन ओर से भारत को छूती हैं जबकि उत्तरी सीमा से चीन से लगा है. इस पड़ोसी देश में तेल और तेल उत्पादों की सारी आपूर्ति भारत से होती है.
इंडियन आयल कारपोरेशन करता है आपूर्ति
इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) तेल रिफाइन करके नेपाल भेजता है. भारत से करीब 1800 तेल टैंकर रोज तेल लेकर सड़क के रास्ते नेपाल जाते हैं.
साथ ही 69 किलोमीटर लंबी मोतीहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन के जरिए अब भारत से तेल नेपाल के पारसा के अमलेखगंज डिपो को भेजा जा रहा है. इस पाइप लाइन को आईओसी द्वारा ही संचालित किया जाता है. इसका उद्घाटन सितंबर 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
क्या है नेपाल में तेल का दाम
नेपाल तेल कारपोरेशन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 19 जनवरी को बीरगंज में तेल के दाम 108.50 नेपाली रुपए (67.95 भारतीय रुपया) है. वहीं नेपाल के एक दूसरे सीमावर्ती जिले रक्सौल में तेल के दाम 140.76 नेपाली रुपया यानि भारतीय रुपए के हिसाब से 88.15 रुपया है.
भारत और नेपाल के तेल दामों की तुलना
तेल के दाम बताने वाली आधिकारिक साइट के अनुसार 03 फरवरी को भारत के विभिन्न शहरों में पेट्रोल के दाम 87 रुपए से लेकर 92 रुपए तक हैं. जयपुर और मुंबई में पेट्रोल सबसे महंगा यानि 92 रुपए से कुछ ऊपर है. ये जाहिर है कि जो तेल भारत से ही नेपाल जाता है, वो भारत की तुलना में ज्यादा सस्ता है. अगर नेपाल के कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो वहां ज्यादातर इलाकों में पेट्रोल भारतीय रुपए के अनुसार 67 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है.
नेपाल से भारत में सस्ता तेल स्मगल होना बड़ी समस्या
ऐसा कैसे है. नेपाल ऐसा कैसे कर पा रहा है कि वो भारत से ही तेल खरीदता है और उसे भारत की तुलना में अपने यहां ज्यादा सस्ता बेचता है. इसके चलते नेपाल से बड़े पैमाने पर तेल भारत में स्मगल होने की भी खबरें आती रहती हैं. नेपाल की सीमा पर बहुत से ऐसे पेट्रोल पंप खुल गए हैं, जो सस्ते में तेल बेचने का दावा करते हैं और भारत से बड़े पैमाने पर लोग वहां से तेल लेने पहुंचते हैं.
भारत में तेल पर टैक्स काफी ज्यादा
भारत में पेट्रोल और तेल के दामों में केंद्र सरकार का एक्साइज और राज्य सरकारों का सेल्स टैक्स अगर काफी ज्यादा है तो इस पर सेस भी वसूला जाता है. मोटे तौर पर हम जिस तेल का मूल्य 84 रुपए प्रति लीटर दे रहे हैं, उसकी मूल कीमत 26-27 रुपए प्रति लीटर है. बाकी पैसा टैक्स, ड्यूटी और डीलर के कमीशन का होता है.
नेपाल में टैक्स कम
वहीं नेपाल में तेल पर टैक्स तो वसूला जाता है लेकिन वो भारत की तुलना में काफी कम है. पिछले साल वहां पेट्रोल पर इंफ्रास्ट्रक्चर टैक्स के नाम पर 05 रुपए प्रति लीटर चार्ज लगाया गया तो पूरे देश में रोष फैल गया. फिलहाल नेपाल में पेट्रोल के प्रति लीटर में जो टैक्स वसूले जाते हैं वो 40 रुपए के आसपास हैं, इसमें प्रदूषण नियंत्रण, पेट्रोलियम इंफ्रास्ट्रक्चर, रोड मैंटीनेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे टैक्स हैं. यहां तेल के दामों का निर्धारण महीने में एक बार नेपाल आयल कारपोरेशन के जरिए किया जाता है.
पाकिस्तान में तेल के दाम
पाकिस्तान में हाल ही में तेल के दामों में बढोतरी हुई है. पाकिस्तान का 01 रुपया भारत के 46 पैसे के आसपास होता है यानि पाकिस्तान के 100 रुपए भारत के 46 रुपए के बराबर हैं. पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 111.90 पाकिस्तानी रुपए (50.99 भारतीय रुपए) प्रति लीटर है तो डीजल की कीमत 116.07 पाकिस्तान रुपए (52.81 भारतीय रुपया) जबकि कैरोसिन 80.19 पाकिस्तानी रुपए.
श्रीलंका में तेल के दाम
श्रीलंका में पेट्रोल के दाम फिलहाल 161 श्रीलंकाई रुपया प्रति लीटर है यानि भारतीय मुद्रा के अनुसार 61 रुपए. बांग्लादेश में पेट्रोल के दाम 89 रुपए लीटर हैं. भारतीय मुद्रा के अनुसार 76 रुपए लीटर.
भूटान में सबसे सस्ता
भूटान में तेल के दाम शायद भारत के पड़ोसी देशों में सबसे सस्ते हैं. यहां पेट्रोल 49 रुपए लीटर है तो डीजल 46 रुपए प्रति लीटर के आसपास. भूटान भी पूरी तरह भारत से ही तेल मंगाता है. उसे ये तेल इंडियन आयल कारपोरेशन द्वारा भेजा जाता है. लेकिन भूटान में तेल पर टैक्स बहुत कम लगता है. साथ ही वहां वाहनों की सीमा तय है ताकि प्रदूषण पर काबू रखा जा सके. यहां आपको बता दें कि भारत और भूटान की करेंसी की कीमत बिल्कुल बराबर है.
लखनऊ, 3 फरवरी | उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह उन 162 किसानों के खिलाफ मामले वापस ले रही है जिन्हें 'शांति का उल्लंघन' करने का नोटिस जारी किया गया था, जिसमें पूछा गया था कि उन्हें 10-10 लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड क्यों नहीं भरने चाहिए। 19 जनवरी को सीतापुर में किसानों (अधिकांश ट्रैक्टर मालिक किसान) को कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने की आशंका पर नोटिस जारी किए गए थे।
पिछले हफ्ते, हाईकोर्ट ने राज्य और जिले के अधिकारियों को यह बताने के लिए कहा था कि "गरीब किसानों को ये नोटिस कैसे और क्यों जारी किए गए थे।"
एक्टिविस्ट अरुंधति धुरु द्वारा दायर याचिका पर वकीलों ने किसानों के लिए बहस करते हुए कहा कि नोटिस "निराधार है और एक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को भी छीन लेते हैं।"
मंगलवार को मामले में अपने अंतिम आदेश में, अदालत ने कहा, "यूपी सरकार के लिए पैरवी करते हुए, एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) वी.के. शाही ने अदालत को सूचित किया है कि 10 लाख रुपये के बांड को एक्जीक्यूट करने और इतनी ही राशि जमानत के लिए 162 व्यक्तियों को नोटिस जारी किए गए थे, जिनमें से 43 लोग पेश हुए थे।"
इसने कहा,"ताजा रिपोटरें के आधार पर, सभी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई हटा दी गई है, क्योंकि शांति भंग करने या सार्वजनिक शांति भंग करने की कोई आशंका नहीं है।"
अदालत ने कहा कि एएजी ने न्यायाधीशों को आश्वासन दिया कि वह सीतापुर के जिलाधिकारी को भविष्य में सावधान रहने का निर्देश देंगे, जबभी इस तरह की कोई भी कार्रवाई शुरू होगी, ताकि किसी भी व्यक्ति का कोई अनावश्यक उत्पीड़न नहीं हो और आगे वह अपने अधीन काम करने वाले को निर्देश दे सके।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 फरवरी| आंध्र प्रदेश में पिछले डेढ़ साल के भीतर कई मंदिरों पर हमले की घटनाओं को भाजपा के राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने बुधवार को सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि मंदिरों और हिंदू धर्म के प्रतीकों पर हमले की अब तक 140 घटनाएं दर्ज हो चुकीं हैं, लेकिन राज्य सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। भाजपा सांसद ने गृहमंत्रालय से इस मामले में कार्रवाई की मांग उठाई। उत्तर प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि आंध्र प्रदेश के अंतवेर्दी लक्ष्मीनरसिम्हा स्वामी मंदिर के 70 साल पुराने रथ को जला दिया गया। जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची। उन्होंने कहा, राज्य के अलग-अलग हिस्सों में पिछले डेढ़ वर्ष के भीतर मंदिरों पर हमले की घटनाएं बढ़ीं हैं। लेकिन राज्य सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है। जबकि राज्य सरकार को दोषियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। मैं गृहमंत्रालय से भी एक्शन की मांग करता हूं।
भाजपा के राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के रामतीर्थम मंदिर में तोड़फोड़ की घटना को भी जोरशोर से उठाया।
बता दें कि आंध्र प्रदेश में पिछले साल सितंबर में अंतवेर्दी मंदिर के रथ को जलाए जाने की घटना के बाद राज्य में तनाव फैल गया था। उस दौरान राज्य में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था। भाजपा का आरोप है कि राज्य की जगन मोहन रेड्डी सरकार हिंदू विरोधी मानसिकता के तहत कार्य कर रही है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 3 फरवरी | बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि कटीले तार से किसान परिवारों में दहशत फैलाने के बजाए आतंकियों को रोकने में ऐसी कार्रवाई हो तो बेहतर होगा। मायावती ने बुधवार को ट्वीटर के माध्यम से लिखा कि, लाखों आंदोलित किसान परिवारों में दहशत फैलाने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर जो कंटीले तार व कीलें आदि वाली जबर्दस्त बैरिकेडिंग की गई है वह उचित नहीं है। इनकी बजाए यदि आतंकियों को रोकने हेतु ऐसी कार्रवाई देश की सीमाओं पर हो तो यह बेहतर होगा।
उन्होंने आगे लिखा कि, तीन कृषि कानूनों की वापसी की वाजिब मांग को लेकर खासकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलित किसानों के प्रति सरकारी रवैये के कारण संसद के बजट सत्र में भी जरूरी कामकाज व जनहित के खास मुद्द पहले दिन से ही काफी प्रभावित हो रहे हैं। केन्द्र किसानों की मांग पूरी करके स्थिति सामान्य करे।
इससे पहले उन्होंने लिखा कि बीएसपी ने केन्द्र सरकार द्वारा काफी अपरिपक्व तरीके से लाए गए नए कृषि कानूनों का संसद में व संसद के बाहर हमेशा विरोध किया है। देश के गरीबों, दलितों व पिछड़ों आदि की तरह किसानों के शोषण व अन्याय के विरूद्ध व इनके हक के लिए भी बीएसपी हमेशा आवाज उठाती रहेगी।(आईएएनएस)
गोरखपुर, 3 फरवरी| दिन शनिवार। चार फरवरी-1922। इसी दिन गोरखपुर से पश्चिम करीब 20 किलोमीटर दूर चौरी-चौरा में एक घटना घटी। इस घटना की वजह से महात्मा गांधी को अपना असहयोग आंदोलन वापस लेना पड़ा था। तबके इतिहासकारों ने इतिहास का रुख मोड़ देने वाली इस घटना को कोई खास तवज्जो नहीं दिया। नामचीन इतिहासकारों की किताबों में चंद लाइनों में इस घटना का जिक्र है। आजादी के बाद भी किसी ने इस भूल को सुधारने की कोशिश नहीं की। देश की स्वाधीनता के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वालों, आजीवन करावास की सजा पाने वालों और अंग्रेजों के जुल्म के शिकार लोगों को शहीद और स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा पाने में वर्षों लग गये। चार फरवरी 2021 से शुरू और साल भर चलने वाले चौरी-चौरा के शताब्दी वर्ष पर पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर उनकी सरकार चौरी-चौरा के शहीदों और उनके परिजनों को वह सम्मान देने जा रही है जिसके वह हकदार हैं। कार्यक्रम का वर्चुअल उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस दिन पूरे प्रदेश में एक साथ, एक समय पर बंदे मातरम गूंजेगा। सुबह प्रभात फेरी निकलेगी। शाम को हर शहीद स्थल पर दीप प्रज्जवलित किया जाएगा। शहीदों की याद में अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
इतिहास ने की अनदेखी, पर लोकगीतों में बने रहे नायक
तबके इतिहासकारों ने भले ही चौरी-चौरा की घटना को अपने चश्मे से देखते हुए इसको कमतर आंका हो, पर स्थानीय लोगों के लिए तो शहादत देने वाले उनके नायक थे। इसी वजह से पूर्वांचल के लोकगीतों में यह अब भी जिंदा हैं। ये लोकगीत घटना के बाद से अब तक जब भी गाये जाते हैं लोग रोमांचित हो जाते हैं।
लोकगीतों में चौरी-चौरा के नायक
इनमें से (कोमल वीर मस्ताना फुंकले चौरी-चौरा थाना) तो किसी जमाने में बेहद लोकप्रिय था। इसके अलावा भी कोमल को लेकर एक लोकगीत (सहुआकोल में कोमल तपले, फूकले चौरा थाना, ठीक दुपहरिया चौरा जर गइल, कोई मरम नहीं जाना) और वीर रस की एक कविता (भड़के अहीर गांव के सारे, दई थाने में आग लगाय। काट गिराया थानेदार को, गई खबर हिंद में छाय..। खबर सुनी जब गांधी जी ने, दहशत गई बदन में छाय। फैली अशांति कुछ भारत में, आंदोलन को दिया थमाय, सोचा कुछ हो शायद उनसे गलती गए यहां पर खाय। मौका मिली फेरि गोरों को दीनी यहां फूट कराय। मची फूट फेरि भारत में, रक्षा करें भगवती माय। खूब लड़ाया हम दोनों को, मतलब अपना लिया बनाय। बने खूब हम पागल कैसे, जरा सोचना दिल में भाय) भी कभी-कभी सुनने को मिलती है।
दरअसल, 13 अप्रैल 1919 को हुआ जलियावाला बाग कांड और 4 फरवरी 2021 को चौरी-चौरा की घटना के बाद से ही जंगे आजादी में चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, अशफाक उल्लाह जैसे क्रांतिकारी सोच के लोग हारावल दस्ते के रूप में उभरे। इन सबका मानना था कि आजादी सिर्फ अहिंसा से मिलने से रही। उस दौरान गोरखपुर ऐसे क्रांतिकारियों का गढ़ बन गया था। काकोरी कांड के आरोप में रामप्रसाद बिस्मिल ने वहीं के जेल में सजा काटी। वहीं 10 दिसंबर 1927 को उन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा था। शचींद्र नाथ सान्याल, प्रो. सिब्बन लाल सक्सेना, विश्वनाथ मुखर्जी, शिवरतन लाल, जामिन अली आदि का शुमार ऐसे ही लोगों में होता है।
सान्याल ने तो यहीं पर अंतिम सांस ली।
यहां शचिन्द्र सान्याल का जिक्र थोड़ा प्रासंगिक होगा। शचिंद्र चार भाइयों में सबसे बड़े थे। सारे के सारे भाई आजादी के प्रति इतने दीवाने हों यह खुद में अपवाद है। रवीद्रनाथ सान्याल बनारस षड्यंत्र में शामिल थे। जीतेंद्रनाथ सान्याल को बनारस और लाहौर के षडयंत्र के आरोप में सजा मिली थी। भूपेंद्र नाथ सान्याल काकोरी कांड के आरोपी थे। शचीन्द्रनाथ सान्याल को अन्य सजाओं के साथ दो बार काला पानी की सजा हुई। अपने 52 साल के जीवन के 25 साल उन्होंने जेल में ही गुजारे। अंतिम सांस भी उन्होंने गोरखपुर के दाउदपुर मोहल्ले में ली। (आईएएनएस)
-अनिल अश्विनी शर्मा
वित्तमंत्री ने घोषणा की है कि शिप रिसाइकलिंग वर्क से डेढ़ लाख रोजगार मिलेगा, लेकिन आईएलओ के अनुसार दुनिया का यह सबसे खतरनाक रोजगार है
कोविड-19 के दौर में भारत में प्रवासी मजदूरों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। बजट में यह वर्ग उम्मीद कर रहा था कि उनके लिए सरकार रोजगार संबंधी घोषणाएं करेगी। बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा अवश्य की, लेकिन यहां देखने वाली बात यह है कि भारत के प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार ने ऐसा रोजगार देने की घोषणा की है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आईएलओ ने उसे दुनिया का सबसे खतरनाक काम की संज्ञा दी है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं कि शिप रिसाइकिल वर्क यानी पुराने जहाजों को तोड़ने का काम। आईएलओ के अनुसार शिपब्रेकिंग दुनिया की सबसे खतरनाक नौकरियों में से एक है। यह विशाल पुराने जहाजों को स्पेयर पार्ट्स में तोड़ने की प्रक्रिया है। यह हमेशा भारत सहित कई और विकासशील देशों में होता है और इससे काम करने वाले मजदूर हर हाल में गंभीर चोटों के शिकार आए दिन होते हैं और इसके अलावा उन्हें कई लाइलाज बीमारियां भी बड़े पैमाने पर होती हैं।
अब वित्तमंत्री ने बड़े फक्र से केंद्रीय सरकार के वित्तीय वर्ष 2021-22 के आम बजट में ग्लोबल शिपिंग क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने की घोषणा करते हुए कहा कि इससे लगभग डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके लिए वित्त मंत्री ने 1,624 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा की है।
उन्होंने इसके लिए गुजरात में शिप रिसाइकल वर्क में विस्तार की भी घोषणा की। बजट भाषण में वित्तमंत्री ने कहा कि भारत ने एक रिसाइकिलिंग ऑफ शिप्स एक्ट, 2019 तैयार किया है। गुजरात के अलंग में लगभग 90 शिप रिसाइकिलिंग यार्ड्स है। भाषण में कहा गया है कि यूरोप और जापान से और अधिक जहाजों को यहां रिसाइकिलिंग के लिए लाने का प्रयास भविष्य में किया जाएगा।भारत की शिप रिसाइकिलिंग कैपेसिटी फिलहाल लगभग 4.5 मिलियन लाइट डिस्प्लेसमेंट टन (एलडीटी) है। इसे वर्ष 2024 तक दो गुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
पर्यावर्णीय हानि
अलंग शिप रिसाइक्लिंग साइट भावनगर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस साइट पर काम करने वाले अधिकांश श्रमिक प्रवासी श्रमिक हैं जो उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और बिहार जैसे भारत के कम औद्योगिक क्षेत्रों वाले राज्यों से आते हैं।
केंद्रीय जहाजरानी राज्यमंत्री मनसुख मांडवीया के अनुसार पूरी दुनिया में हर साल लगभग 1,000 बड़े जहाज को तोड़ा जाता है। इनमें से करीब 350 से 400 जहाज अकेले अलंग के शिप ब्रेकिंग यार्ड में तोड़े जाते हैं। लेकिन इसके एवज में कितनी पर्यावर्णीय नुकसान होता आया है या अब तक कितने श्रमिकों की मौत हुई है, इसका अनुमान वित्तमंत्री ने बजट भाषण में नहीं लगाया।
गैर सरकारी संगठन शिपब्रेकिंग प्लेटफार्म के अनुसार इस उद्योग में पारदर्शिता की अत्याधिक कमी है। किसी भी मीडिया, वैज्ञानिक और गैर सरकारी संगठनों को इन साइटों पर जाने की अनुमति नहीं मिलती है। संगठन के अनुसार उसने अलंग की साइट पर अनुमति मांगी थी, लेकिन गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (एक सार्वजनिक निकाय है जो गुजरात में सभी बंदरगाहों को चलाता है) ने नहीं दी।
यह बोर्ड अलंग में शिपब्रेकिंग यार्ड को नियंत्रित करता है। फिर भी संगठन ने स्थानीय सूत्रों के हवाले बताया कि 2018 में यार्ड में कम से कम 9 श्रमिकों की मृत्यु हुई थी। टॉक्सिक्स वॉच एलायंस की रिसर्च के अनुसार 1991 और 2012 के बीच भारतीय शिपब्रेकिंग यार्ड में कम से कम 434 लोगों की मौत हुई।
इसके अलावा इन साइटों पर श्रमिकों के घायल होने की संख्या उपलब्ध नहीं है। साथ ही यहां काम करने के कारण होने वाली बीमारियों जैसे कि कैंसर, श्वसन और त्वचा रोग संबंधी किसी प्रकार के आंकड़े नहीं रखे जाते। यहां तक कि इस खतरनाक काम की असुरक्षित स्थिति पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी चिंता जताई थी क्योंकि अदालत ने इस उद्योग की तुलना खनन जैसे खतरनाक उद्योग से की थी।
अन्य देशों में यह काम भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों बांग्लादेश और पाकिस्तान में और साथ ही साथ हाल ही में पश्चिमी अफ्रीकी देशों नाइजीरिया और घाना में भी किया जाता है। ध्यान रहे कि जब भी जहाज अपने जीवन के अंत में पहुंचते हैं तो वे लोगों और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करते हैं।
विश्व बैंक द्वारा 2010 में जारी एक अध्ययन के अनुसार, “हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि 2030 तक बांग्लादेश और पाकिस्तान में लाखों टन खतरनाक कचरा जलकर नष्ट हो जाएगा।” अध्ययन के अनुसार इसमें 85,000 टन एस्बेस्टस, 2,56,000 टन खतरनाक रसायन, 75,000 टन पेंट जिसमें भारी धातु और विष होते हैं, 720 टन भारी धातु शामिल होंगे।
अध्ययन में बताया गया है कि काम की जगह के आसपास के समुद्री जीवन को भी भारी नुकसान पहुंचता है और कायदे से देखा जाए तो इस उद्योग ने मछुआरों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है। शिपब्रेकिंग प्लेटफार्म के अनुसार 2017 में दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत शिप रिसाइकलिंग भारत के अलंग, बांग्लादेश में चटगांव और पाकिस्तान के गडानी के समुद्र तटों हुआ। (downtoearth.org.in)
-ललित मौर्य
शोध से पता चला है कि रक्त में मौजूद ओमेगा-3 कोविड-19 से होने वाली मृत्यु के जोखिम को कम कर सकता है
फैटी एसिड रिसर्च इंस्टीट्यूट और सीडर्स-सिनाई मेडिकल सेंटर द्वारा किए शोध से पता चला है कि रक्त में मौजूद ओमेगा-3 कोविड-19 से होने वाली मृत्यु के जोखिम को कम कर सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह इस बात का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण है कि जिन लोगों का ओमेगा -3 इंडेक्स अधिक होता है, उनकी कोरोना वायरस से मरने की आशंका कम होती है।
रिपोर्ट के अनुसार ऐसा ईपीए और डीएचए में मौजूद एंटी-इन्फ्लैमटरी गुणों के कारण होता है। ऐसे में कोविड-19 के चलते होने वाली मौतों में कमी करने के लिए पोषण पर ध्यान देना जरुरी है। यह शोध प्रोस्टाग्लैंडिंस, ल्यूकोट्रिएनेस एंड एसेंशियल फैटी एसिड्स नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
क्या कुछ निकलकर आया इस अध्ययन में सामने
इस अध्ययन में कोविड-19 के चलते अस्पताल में भर्ती 100 रोगियों को शामिल किया गया था। शोधकर्ताओं ने इन रोगियों के स्वास्थ्य की स्थिति और उनके रक्त में मौजूद ओमेगा-3 इंडेक्स का विश्लेषण किया था। इनमें से 14 मरीजों की मौत हो गई थी।
इन रोगियों को उनके रक्त में मौजूद ओमेगा-3 इंडेक्स के अनुसार चार वर्गों में बांटा था। प्रत्येक हिस्से में 25 फीसदी मरीजों को रखा था। इसमें पहले वर्ग में जहां मरीज में ओमेगा-3 इंडेक्स 5.7 फीसदी से ज्यादा था, वहां 25 रोगियों में से 1 की मृत्यु हुई थी, जबकि शेष तीन वर्गों में जहां ओमेगा-3 इंडेक्स 5.7 फीसदी से कम था वहां 75 में से 13 रोगियों की मौत दर्ज की गई। वहीं यदि उम्र और लिंग के आधार पर किए विश्लेषण से पता चला है कि जिस वर्ग में ओमेगा-3 इंडेक्स 5.7 फीसदी या उससे ज्यादा था, उसमें मृत्यु का जोखिम अन्य तीन वर्गों की तुलना में 75 फीसदी कम था।
क्या होता है ओमेगा-3? शरीर के लिए कितना है जरुरी
ओमेगा 3 एक फैटी एसिड है। देखा जाए तो वास्तव में यह एक ऐसा पोषक तत्व है जो हमें कई तरह के फायदे पहुंचाता है और अनेक बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। यह मुख्यतः तीन प्रकार का होता है: पहला, एएलए (अल्फा-लिनोलेनिक एसिड), जोकि पौधों में पाया जाता है, जबकि डीएचए (डोकोसाहेक्सानोइक एसिड) और ईपीए (इकोसापैनटोइनिक एसिड) पशुओं से मिलता है। यह त्वचा से लेकर कैंसर और सांस सम्बन्धी रोगों से लड़ने में मददगार होता है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस अब तक 22 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुका है, जबकि 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। भारत में भी यह वायरस 154,392 लोगों की जान ले चुका है। 2.6 करोड़ से ज्यादा मामले अभी भी सक्रिय हैं। इनमें से 0.4 फीसदी लोग गंभीर रूप से पीड़ित हैं जबकि 99.6 फीसदी में बहुत हलके लक्षण हैं। (downtoearth.org.in)
-दयानिधि
39 सालों में 167 पशु प्रजातियों पर 208 अलग-अलग अध्ययनों का संकलन और विश्लेषण करने के बाद रिपोर्ट जारी की गई है
पहली बार वैज्ञानिकों ने जानवरों की आवाजाही पर मानव गतिविधि के दुनिया भर में पड़ने वाले प्रभावों की गणना की है। जिसमें प्रजातियों के अस्तित्व और जैव विविधता को खतरा पैदा करने वाले व्यापक प्रभावों का खुलासा किया गया है।
शहरीकरण जैसी गतिविधियों का वन्यजीवों पर बड़ा प्रभाव हो सकता है, ऑस्ट्रेलिया में सिडनी विश्वविद्यालय और डीकिन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि शिकार, सैन्य गतिविधि और मनोरंजन जैसी लगातार चलने वाली गतिविधियों से भी जानवरों के व्यवहार में बड़े बदलाव हो सकते हैं।
सिडनी विश्वविद्यालय में वन्यजीव पारिस्थितिकीविद् और प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ टिम डोहर्टी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम उस प्रभाव के पैमाने को समझते हैं जो मनुष्यों की अन्य जानवर प्रजातियों पर पड़ती है। जानवरों की बदली हुई गतिविधि के परिणाम गहरे हो सकते हैं और जानवरों का स्वस्थ रहना कम हो सकता है। उनके जीवित रहने की संभावना कम हो सकती है, प्रजनन दर कम हो सकती है, आनुवंशिक से अलग और यहां तक कि स्थानीय विलुप्ति भी हो सकती है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
गड़बड़ी होने पर जानवरों की गतिविधि तथा उनके आवाजाही में परिवर्तन आम हैं
शिकार, विमान का उपयोग, सैन्य गतिविधि और मनोरंजन जैसे लगातार होने वाली मानव गतिविधियां, उनके रहने वाली जगहों में बदलाव करना जैसे कृषि आदि के लिए उपयोग के कारण उनके आवाजाही की दूरी में बहुत अधिक वृद्धि हो सकती सकती हैं।
लगातार होने वाली गड़बड़ी उनकी गतिविधि में कुल मिलाकर 35 प्रतिशत परिवर्तन में वृद्धि या कमी के लिए मजबूर करती है। निवास के बदलावों में 12 प्रतिशत परिवर्तन होता है
अध्ययन में कहा गया है कि लोगों की गतिविधि के द्वारा अशांति से होने वाले पशु आवाजाही पर प्रभाव न पड़े इसके लिए दुनिया भर में पुनर्गठन की आवश्यकता है, जिसके कारण जानवरों की आबादी, प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रियाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
डॉ. डोहर्टी ने कहा कि जानवरों के अस्तित्व के लिए उनकी आवाजाही महत्वपूर्ण है, लेकिन यह मानवीय गड़बड़ी से बाधित हो सकती है। जानवर मानव गतिविधियों को समायोजित करने के लिए व्यवहार में इसे अपनाते हैं, जैसे कि मनुष्यों का भागना या बचना, भोजन या साथी को खोजने के लिए आगे की यात्रा करना या मनुष्यों या शिकारियों से बचने के लिए नए आश्रय की खोज करना।
कुछ मामलों में मानव गतिविधियों ने जानवरों की आवाजाही में कमी लाने के लिए मजबूर किया है। अध्ययन में पाया गया कि लोगों के रहने वाले स्थानों तक भोजन की बढ़ती पहुंच के कारण, बदले गए निवास स्थान से दूसरी जगह जाने की क्षमता कम हो गई या शारीरिक बाधाओं से उनकी आवाजाही पर रोक लग रही है।
डॉ. डोहर्टी ने कहा जानवरों की प्रजातियों पर सीधा असर पड़ने के साथ ही दस्तक देने वाले प्रभाव भी हैं। जानवरों की आवाजाही महत्वपूर्ण पारिस्थितिक प्रक्रियाओं जैसे परागण, बीज फैलाव और मिट्टी की उर्वरा शक्ति से जुड़ा हुआ है, इसलिए जानवरों की आवाजाही पर रोक से पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में बहुत खराब प्रभाव पड़ सकते हैं।
नीतियों को लागू करना
डॉ डोहर्टी ने कहा है कि निष्कर्षों में जानवरों की जैव विविधता के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है। समुद्री वातावरण और परिदृश्य मानव प्रभाव से उतना प्रभावित नहीं है, यह महत्वपूर्ण है कि आवास में बदलाव से बचा जाना चाहिए।
यह मौजूदा संरक्षित क्षेत्रों को मजबूत बनाने और कानूनी सुरक्षा के लिए जंगल के अधिक क्षेत्रों को सुरक्षित करना इसमें शामिल हो सकता है। अध्ययन कहता है कि जंगल में, विशेष रूप से जानवरों के प्रजनन काल के दौरान, शिकार और पर्यटन जैसे कुछ गतिविधियों का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करके गड़बड़ी के प्रभावों को कम करना आसान हो सकता है। यह अध्ययन नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है।
डॉ डोहर्टी ने कहा जहां निवास में बदलाव करना जरूरी न हो वहां बदलाव नहीं किए जाने चाहिए। अध्ययनकर्ता सुझाव देते हैं कि जानवरों की आवाजाही वाले व्यवहार की जानकारी और प्रबंधन के बारे में पता होना चाहिए ताकि जानवरों की आवाजाही सुरक्षित हो सके। उन्होंने कहा कि जानवरों की आवाजाही पर मानव गतिविधि के खराब प्रभावों को कम करने के लिए एक तेजी से मानव बहुल दुनिया में जैव विविधता हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
डॉ डोहर्टी ने कहा दुनिया के तेजी से विकसित हो रहे हिस्सों में जानवरों की आवाजाही और उनके आवासों में किए जा रहे बदलावों के प्रभाव को समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
अध्ययन में 39 वर्षों में 167 पशु प्रजातियों पर 208 अलग-अलग अध्ययनों का संकलन और विश्लेषण किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मानव गतिविधि से होने वाली अशांति से जानवरों की आवाजाही कैसे प्रभावित होती है। एक तिहाई से अधिक मामलों में, जानवरों को उन परिवर्तनों के लिए मजबूर किया गया, जिनमें उनकी आवाजाही में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई।
अध्ययन में 0.05 ग्राम ग्राम स्लीपी नारंगी तितली से लेकर 2000 किलोग्राम से अधिक ग्रेट वाइट शार्क शामिल हैं। इसमें 37 पक्षी प्रजातियां, 77 स्तनपायी प्रजातियां, 17 सरीसृप प्रजातियां, 11 उभयचर प्रजातियां, 13 मछली प्रजातियां और 12 आर्थ्रोपॉड (कीट) प्रजातियां शामिल थीं। (downtoearth.org.in)
भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत हो चुकी है. 16 जनवरी से भारत में टीके लगने शुरू हो गए थे. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, प्राथमिकता के स्तर पर पहले तीन करोड़ स्वास्थकर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जा रही है.
लेकिन एक बड़ा सवाल ये था कि आख़िर आम आदमी इन टीकों को कब ले पाएगा?
बिज़नेस स्टैंडर्ड की ख़बर के अनुसार, अभी तक टीकाकरण के लिए कम लोग आगे आए हैं इसलिए केंद्र सरकार मार्च या अप्रैल तक सामान्य बाज़ार में टीकों को उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है. अख़बार के मुताबिक़, सरकार टीकाकरण की दर को बढ़ाना चाहती है इसलिए वो जल्द से जल्द बाज़ार में वैक्सीन उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है.
इन टीकों की स्टेबिलिटी छह महीने है. यानी ये टीके छह महीने तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं. अख़बार ने सूत्र के हवाले से लिखा है कि जनवरी महीने में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के पास कोविड वैक्सीन की क़रीब 10 करोड़ खुराक थीं.
भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को प्रगाण करते हुए कई पड़ोसी देशों को कोविशील्ड यानी कोरोना की वैक्सीन भेजी है. एक बड़ी चुनौती इन वैक्सीन को छह महीने के भीतर इस्तेमाल कर लेने की है. (bbc.com)
नई दिल्ली, 2 फरवरी | केंद्र की ओर से पारित किए गए कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को विपक्ष के हंगामे के कारण बार-बार कार्यवाही स्थगित होने के बाद आखिरकार लोकसभा की कार्यवाही शाम 7 बजे तक, यानी दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सदन में जमकर नारेबाजी की। इसके चलते कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
प्रमुख विपक्षी दलों के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो पूर्व सहयोगियों द्वारा किए गए हंगामे के बीच सदन में कुछ खास कामकाज नहीं हो पाया।
पिछले साल सितंबर में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए 10 से अधिक विपक्षी पार्टी के सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के पास जाकर नारेबाजी की। विपक्षी नेताओं ने 'काला कानून वापस लो' के नारे लगाए।
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर 'ब्रिटिश युग जैसा' शासन चलाने का आरोप लगाते हुए, सदन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन को देखते हुए किसानों के मुद्दे पर बहस कराने का अनुरोध किया और पिछले साल पारित किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की।
चौधरी ने कहा, पूरा देश देख रहा है कि किसान सरकार के खिलाफ किस तरह से आंदोलन कर रहे हैं। 170 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है। जिस तरह से किसानों पर अत्याचार हो रहे हैं, ऐसा लगता है कि हम अंग्रेजों के जमाने में चले गए हैं।
उन्होंने कहा, पहले किसानों के मुद्दे पर बहस सदन की प्राथमिकता होनी चाहिए।
चौधरी को कांग्रेस के अन्य सांसदों ने समर्थन दिया, जिसमें भाजपा के पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और शिवसेना के सदस्य भी शामिल रहे। उनके साथ ही द्रमुक, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों को भी कानून वापसी की मांग के साथ हाथों में तख्तियां लिए देखा गया।
वाईएसआरसीपी और बहुजन समाज पार्टी के सदस्य भी अपनी सीटों से सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से अपनी सीटों पर वापस जाने और सदन को चलने देने का आग्रह किया। उन्होंने मुद्दों को उठाने के लिए उन्हें पर्याप्त समय देने का आश्वासन भी दिया।
वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार सदन के भीतर और बाहर विपक्ष द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है। तोमर ने सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए विपक्षी नेताओं की निंदा भी की।
तोमर ने कहा, "यह सदन असाधारण परिस्थितियों में अपना बजट सत्र आयोजित कर रहा है। विपक्ष को सदन का कीमती समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। सरकार विपक्ष द्वारा उठाए गए हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है।"
उधर, राज्यसभा में भी कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग के साथ हंगामे के कारण कार्यवाही कई बार रोकनी पड़ी और उपराष्ट्रपति और सभापति वैंकेया नायडू ने विपक्ष को शांत करने की कोशिश की। अंत में राज्यसभा की कार्यवाही भी दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 फरवरी | सुप्रीम कोर्ट केंद्र द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यन के साथ ही प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ इसकी सुनवाई करेगी।
दायर की गई याचिकाओं में से एक में एनआईए को इस मामले की जांच के निर्देश देने की मांग की गई है। कहा गया है कि ट्रैक्टर रैली का हिस्सा रहे उन असामाजिक तत्वों के खिलाफ अदालत की निगरानी में एनआईए को जांच करनी चाहिए, जो गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर हिंसा में लिप्त थे।
अधिवक्ता शशांक शेखर झा और मंजू जेटली शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले और राष्ट्रीय ध्वज पर हुए हमले पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों को विरोध के नाम पर हिंसा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। दलील में कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विरोध जताने के साथ ही दूसरों के अधिकारों पर भी विचार करना चाहिए।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक विशेष जांच दल की अध्यक्षता वाले न्यायिक आयोग के गठन के लिए भी निर्देश देने की मांग की गई है, जिसकी निगरानी शीर्ष अदालत द्वारा किए जाने की बात कही गई है।
इसके अलावा अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा एक याचिका दायर की गई है, जिसमें शीर्ष अदालत से राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या संगठन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि दुर्भाग्य से ट्रैक्टर रैली ने हिंसक मोड़ ले लिया, जिससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ और साथ ही लोगों को भी चोट पहुंची। याचिका में कहा गया है, "इस घटना ने जनता की दैनिक दिनचर्या को भी प्रभावित किया है। इंटरनेट सेवाओं को बाधित किया गया है, क्योंकि सरकार ने ऑपरेटरों को इसे निलंबित करने का आदेश दिया।"
इसके अलावा मुंबई के एक कानून के छात्र ने लाल किले में हुई घटना मामले में सू मोटो संज्ञान लेने के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश बोबडे को पत्र भी लिखा है। गणतंत्र दिवस पर हिंसा में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक शीर्ष अदालत में लगभग पांच दलीलें दायर की गई हैं।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए गणतंत्र दिवस पर हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी, लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई। कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया। कई जगहों पर पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने वाहनों में तोड़फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज भी फहराया था। (आईएएनएस)
बेंगलुरू, 2 फरवरी | कई देशों ने भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस में रुचि दिखाई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को बेंगलुरू में फाइटर जेट के लिए तीसरी उत्पादन लाइन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। एलसीए इकाई का उद्घाटन मेगा एरो इंडिया शो के एक दिन पहले किया गया है।
सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण के दौरान कहा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश अपनी रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में तत्पर है। उन्होंने कहा, "भारत अपनी रक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकता।"
राजनाथ सिंह ने एक ट्वीट में कहा, "तेजस न केवल स्वदेशी है, बल्कि अनेक मानकों पर अपने विदेशी समकक्षों से बेहतर और अपेक्षाकृत सस्ता भी है। अनेक देशों ने तेजस में रुचि दिखाई है। भारत कुछ साल में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में 1.75 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य को हासिल करेगा।"
पिछले महीने सुरक्षा संबंध मामलों पर सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) ने भारतीय वायु सेना के लिए इन्फ्रास्ट्रक्च र सहित 48,000 करोड़ रुपये की लागत से 83 तेजस फाइटर जेट खरीदने की मंजूरी दी थी।
सीसीएस ने स्वदेशी एलसीए के साथ वायु सेना के बेड़े को मजबूत करने के लिए सबसे बड़े स्वदेशी रक्षा खरीद सौदे को मंजूरी दी थी।
एलसीए-तेजस आने वाले वर्षो में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बनने जा रहा है। एलसीए-तेजस में बड़ी संख्या में नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, जिनमें से कई का भारत में कभी प्रयास नहीं किया गया था। एलसीए-तेजस की स्वदेशी सामग्री एमके 1ए संस्करण में फिलहाल 50 प्रतिशत है, जिसे 60 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।
लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस को स्वदेशी तौर पर एयरक्राफ्ट डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) द्वारा डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के तहत डिजाइन किया गया है और इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की ओर से निर्मित किया गया है।
एचएएल ने 20 तेजस वितरित किए हैं और शेष 20 को वितरित करने की प्रक्रिया में है। (आईएएनएस)
-माया शर्मा
बेंगलुरू: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को यहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नए प्लांट का उद्घाटन किया, इससे भारत में बने फाइटर जेट LCA Tejas का उत्पादन दोगुना किया जा सकेगा. इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अपनी रक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकता. उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान' के तहत देश अपनी रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में तत्पर है. हल्का लड़ाकू विमान तेजस न केवल स्वदेशी है बल्कि अनेक मानकों पर अपने विदेशी समकक्षों से बेहतर और अपेक्षाकृत सस्ता भी है.
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘अनेक देशों ने तेजस में रुचि दिखाई है. भारत कुछ साल में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में 1.75 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य को हासिल करेगा.'' HAL के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर माधवन ने हाल ही में कहा था कि 48,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत तेजस एलसीए की भारतीय वायुसेना को आपूर्ति मार्च 2024 से शुरू होगी और 83 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति पूरी होने तक हर साल करीब 16 विमानों को शामिल किया जाएगा.
माधवन ने यह भी कहा था कि अनेक देशों ने तेजस खरीदने में रुचि दिखाई है और निर्यात का पहला ऑर्डर अगले कुछ साल में आ सकता है.गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने 13 जनवरी को इस सौदे को मंजूरी दी थी. (इनपुट भाषा से भी)
नई दिल्ली, 2 फरवरी | केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न हुए हालात को ध्यान में रखते हुए यूजीसी नेट की परीक्षा 2 से 17 मई के बीच करवाने का फैसला लिया है। मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसको लेकर यह आधिकारिक जानकारी दी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "जूनियर रिसर्च फैलोशिप और सहायक प्रोफेसर के लिए पात्रता परीक्षाएं 2 से 17 मई के बीच अलग-अलग तारीखों में होनी हैं। परीक्षा लेने की जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को सौंपी गई है। परीक्षाएं 2 मई से शुरू होकर 3, 4, 5, 6, 7, 10, 11, 12, 14 और 17 मई को होंगी।"
परीक्षा से पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने विशेषज्ञों के साथ कोरोना की स्थिति एवं इसके प्रभाव का पूरी तरह से आकलन किया है। इसके उपरांत ही यूजीसी नेट की परीक्षाएं 2 मई से करवाने का निर्णय लिया गया है। कई छात्र ऐसे हैं जिन्होंने यूजीसी नेट के साथ ही अन्य परीक्षाओं में भी शामिल होने के लिए अपना पंजीकरण कराना है। ऐसे छात्रों की सुविधा को महत्व दिया गया है। यूजीसी नेट की परीक्षाएं का कार्यक्रम बनाते समय इस बात को ध्यान में रखा गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक यूजीसी नेट की परीक्षाएं दो पालियों में आयोजित की जाएंगी। परीक्षा में 2 प्रश्न पत्र शामिल होंगे। प्रथम प्रश्न पत्र 100 अंकों का होगा और इसमें 50 बहु वैकल्पिक प्रश्न होंगे। दूसरा प्रश्न पत्र 200 अंकों का होगा और इसमें 100 बहु वैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएंगे।
परीक्षा की पहली पाली का समय सुबह 9 बजे से 12 बजे तक निर्धारित किया गया है। वहीं दूसरी पाली का समय दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक रहेगा। यह परीक्षाएं तीन-तीन घंटे की होंगी। यह परीक्षाएं कंप्यूटर आधारित सीबीटी विधि से आयोजित की जाएंगी।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के मुताबिक परीक्षा में शामिल होने के इच्छुक अभ्यार्थी, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की वेबसाइट पर उपलब्ध यूजीसी नेट की सूचना विवरणिका देख सकते हैं। परीक्षा का फॉर्म ऑनलाइन 2 फरवरी से उपलब्ध करा दिया गया है। परीक्षा के इच्छुक अभ्यार्थी 2 मार्च तक ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकते हैं। हालांकि आवेदन शुल्क का भुगतान 3 मार्च तक किया जा सकता है। (आईएएनएस)
विजयवाड़ा, 2 फरवरी | कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रवक्ता कोम्मारेड्डी पट्टाभि राम पर मंगलवार को उनके घर के पास हमला किया गया, जिससे उन्हें मामूली चोट आई हैं। विजयवाड़ा के पुलिस आयुक्त बी. श्रीनिवासुलु ने कहा, "वह अपने घर से करीब 100 मीटर दूर अपने स्थित तेदेपा कार्यालय जा रहे थे, जहां रास्ते में कुछ 10 लोग लाठी और डंडों के साथ आए और उनकी कार के शीशे तोड़ दिए, जिससे उन्हें मामूली चोटें आईं।"
श्रीनिवासुलु ने कहा कि पुलिस हमलावरों की पहचान नहीं कर पाई है।
आयुक्त ने कहा, "हम हमलावरों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। अभी तक उन्होंने (पट्टाभि) ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की है। हम शिकायत लेने की कोशिश कर रहे हैं और बदमाशों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।"
तेदेपा के एक बयान के अनुसार, हमलावरों ने कॉल करने से रोकने के लिए पट्टाभि का सेलफोन तोड़ दिया और आरोप लगाया कि यह सत्तारूढ़ युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी के उपद्रवी शासन का एक उदाहरण है।
तेदेपा नेता ने कहा, "पार्टी इस हमले को बहुत गंभीरता से ले रही है। जिन लोगों ने इसे अंजाम दिया है, उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिए।"
विपक्षी दल ने चेतावनी दी कि अगर पुलिस ने जल्द जवाब नहीं दिया और हमलावरों को गिरफ्तार किया, तो उन्हें न्यायपालिका को जवाब देना होगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 फरवरी | आम बजट के बाद देश का शेयर बाजार मंगलवार को लगातार दूसरे दिन जोरदार लिवाली से गुलजार रहा। सेंसेक्स पिछले सत्र से 1197.11 अंकों यानी 2.46 फीसदी की तेजी के साथ 49,797.72 पर बंद हुआ और निफ्टी भी 366.65 अंकों यानी 2.57 फीसदी की मजबूत बढ़त के साथ 14,647.85 पर ठहरा। आम बजट से उत्साहित निवेशकों ने जमकर खरीदारी की जिससे बाजार में बहार बनी रही और सेंसेक्स कारोबार के दौरान एक बार फिर 50,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर के ऊपर तक उछला और निफ्टी भी 450 अंक चढ़ा।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स पिछले 592.65 अंकों की तेजी के साथ 49,193.26 पर खुला और 50,154.48 तक उछला, जबकि दिनभर के कारोबार के दौरान इसका निचला स्तर 49,193.26 रहा।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी पिछले सत्र से 199.90 अंकों की बढ़त के साथ 14,481.10 पर खुला और दिनभर के कारोबार के दौरान 14,731.70 तक उछला, जबकि निफ्टी का निचला स्तर 14,469.15 रहा।
बीएसई मिडकैप सूचकांक बीते सत्र से 420.80 अंकों यानी 2.26 फीसदी की तेजी के साथ 19,051.11 पर बंद हुआ, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक 292.62 अंकों यानी 1.59 फीसदी की बढ़त बनाकर 18,645.94 पर ठहरा।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 27 शेयरों में तेजी दर्ज की गई, जबकि तीन शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। सबसे ज्यादा तेजी वाले पांच शेयरों में एसबीआईएन (7.10 फीसदी), अल्ट्राटेक सीमेंट (6.70 फीसदी), एचडीएफसी बैंक (5.63फीसदी), एलएंडटी (4.82 फीसदी) और भारती एयरटेल (3.54 फीसदी) शामिल रहे।
सेंसेक्स के गिरावट वाले तीन शेयरों में बजाज फिनसर्व (2.34 फीसदी), टाइटन (1.08 फीसदी) और हिंदुस्तान यूनीलीवर (0.77 फीसदी) शामिल रहे।
बीएसई के सभी 19 सेक्टरों में तेजी रही जिनमें से सबसे ज्यादा तेजी वाले पांच सेक्टरों में इंडस्ट्रियल (4.23 फीसदी), ऑटो (3.95 फीसदी), कैपिटल गुड्स (3.91फीसदी), रियल्टी (3.70 फीसदी) और बैंक इंडेक्स (3.42 फीसदी) शामिल रहे।
बाजार के जानकार बताते हैं कि आम बजट से बाजार खुश हुआ है, इसलिए निवेशकों की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है और विदेशी संस्थागत निवेशकों की लिवाली फिर लौटी है। वहीं, वैश्विक संकेत भी मजबूत रहने से बाजार को सपोर्ट मिला।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आम बजट 2021-22 संसद में पेश किया।
निवेश सलाहकार शोमेश कुमार ने आईएएनएस को बताया शेयर बाजार ने इसलिए इस बजट पर सकारात्मक प्रतिक्रिया जाहिर की है, क्योंकि इससे देश के आर्थिक विकास में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है। उन्होंने कहा कि बाजार में इस समय लिवाली का रुख एक बार फिर बन गया है। (आईएएनएस)