रायपुर

मानसिक रोगों के बारे में जागरुकता फैलाने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण-साहू
17-Sep-2021 6:02 PM
मानसिक रोगों के बारे में जागरुकता फैलाने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण-साहू

रायपुर, 17 सितंबर। मानसिक रोगों के बारे में जानकारी देने और जागरुकता फैलाने में मीडिया की भूमिका अहम है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (छत्तीसगढ़) के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर आनंद साहू ने शुक्रवार को रेडियो कर्मियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर की गई कार्यशाला आओ चैट करें में कहा मानसिक विकार एक अदृश्य रोग है जिसे समय पर पहचान लिया जाए तो उपचार किया जा सकता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन,और फ्रेया डेवलेपमेंट फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस रेडियो कार्यशाला में आनंद साहू ने कहा मीडिया मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का काम करती है। इससे रोगियों की पहचान जल्दी होगी और उनका उपचार समय से हो सकता है।

उन्होंने कहा अक्सर लोग मानसिक स्वास्थ्य जैसी अदृश्य रोगों का उपचार करवाने से कतराते हैं। साथ ही कई बार इन विकारों के बारे में रोगियों को जानकारी ही नहीं होती है जिसकी वजह से उपचार नहीं होता है, जो समस्या दिखाई देती है उसका उपचार तो हो सकता है लेकिन जो नजर न आए उसका इलाज कठिन होता है।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. एस पमभोई, जॉइन्ट डायरेक्टर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने कहा कोरोनाकाल में लोगों ने सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पर किए गए कार्य को समझा क्योंकि ऐसे समय में फोकस मानसिक स्वास्थ्य पर भी रहा।

हालांकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन इस पर कई वर्षों से कार्य करता आ रहा है। उन्होंने कहा मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं अब हर व्यक्ति तक पहुंच रही हैं जिससे प्रदेश में आत्महत्या दर में भी कमी आएगी। डॉ. महेंद्र सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य मिशन ने कहा कि कोरोनाकाल के दौरान और उसके बाद मानसिक स्वास्थ्य पर फोकस रहा है।

डाक्टर सुरभि दुबे, मनोचिकित्सक, पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने प्रतिभागियों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी और ऐसे रोगियों की पहचान करने के कुछ बिन्दु बताए। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थय सर्वे, 2015-16 के अनुसार, छत्तीसगढ़ में  11.66 फीसदी आबादी में किसी प्रकार का मानसिक विकार है और 14.06फीसदी लोगों को जीवन में कभी न कभी मानसिक रोग होता है।

प्रदेश में 29.86फीसदी लोगों को तम्बाकू खाने की आदत है और 7.14 फीसदी शराब पीने के आदि है। यह दोनों आदतें भी मानसिक विकार माने जाते हैं। इसी प्रकार 1.59 फीसदी लोगों को गंभीर तनाव के कारण मानसिक रोग है और 2.38फीसदी आबादी को तनाव है। गंभीर मानसिक विकार जैसे साइकोसिस, बाइपोलर डिसऑर्डर और अन्य रोग 1फीसदी से कम लोगों में पाए जाते हैं।

इसी प्रकार प्रदेश की जनसंख्या के 0.28 फीसदी लोगों में आत्महत्या करने की संभावना है। आम मानसिक विकार 17.85 फीसदी पुरुषों में पाए जाते हैं परन्तु केवल 5.03 फीसदी महिलाएं इन विकारों से ग्रसित हैं। मानसिक विकार शहरों में ज्यादा पाए जाते हैं। आम मानसिक रोग 13.08 फीसदी शहरी लोगों में पाए जाते हैं लेकिन केवल 10.58त्न गांव में रहने वाले लोग इनसे ग्रसित हैं।

छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की दर 26.4/1 लाख है जो राष्ट्रीय दर 10.4 से अधिक है। देश में चौथे नंबर पर है। दुर्ग-भिलाइनगर भी सभी शहरों में चौथे नंबर पर है। जहां यह दर 35.5 है। लेकिन मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य की तरह ही महत्त्वपूर्ण होता है और सही समय पर उपचार से ठीक हुआ जा सकता है।

मानसिक रोगों का उपचार सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में निशुल्क किया जाता है। हर जिला अस्पताल में स्पर्श क्लिनिक भी होता है जहां पर रोगियों का नाम गुप्त रखा जाता है। इसके अलावा 104 नंबर पर मानसिक रोगों की जानकारी ली जा सकती है। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य कर्मी जैसे मितानिन भी मानसिक रोगियों की पहचान कर सकते है और उनकी सलाह भी ली जा सकती है।

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