रायपुर
![एम्स में कैंसर के लिए ब्रेकीथैरेपी शुरू, गरीबों को मिलेगा सस्ता इलाज एम्स में कैंसर के लिए ब्रेकीथैरेपी शुरू, गरीबों को मिलेगा सस्ता इलाज](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1637239621-02.gif)
त्वचा, होठ, आंख, सिर, गला के कैंसर में काफी मददगार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 नवम्बर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, कैंसर के इलाज के लिए अत्याधुनिक ब्रेकीथैरेपी शुरू हो गई है। इसकी मदद से कई प्रकार के कैंसर के मरीजों का रायपुर में सस्ता और जल्द इलाज संभव हो सकेगा। एम्स में इस थैरेपी की उपलब्धता से उन गरीब मरीजों को काफी लाभ मिलेगा जो अभी तक इलाज के लिए अन्य प्रदेशों में भटकते थे।
कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से न सिर्फ इनकी इलाज की प्रक्रिया निर्धारित होगी बल्कि डोज की कितनी मात्रा चाहिए यह भी आसानी से तय किया जा सकेगा। बुधवार को बिलासपुर के सांसद अरूण साव और एम्स, रायपुर के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जार्ज ए डिसूजा ने नई सुविधा का उद्घाटन किया।
श्री साव ने एम्स में नई सुविधा प्रारंभ होने की सराहना करते हुए कहा कि कोविड 19 और अन्य गंभीर रोगों के इलाज में एम्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कम खर्च में अत्याधुनिक इलाज की वजह से एम्स सभी वर्गों के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है। उद्घाटन के अवसर पर एम्स के अध्यक्ष प्रो. जार्ज ए डिसूजा, संस्थान निकाय के सदस्य प्रो. गंगाधर, प्रो. विजयेंद्र कुमार, प्रो. प्रदीप कुमार पात्रा भी उपस्थित थे।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने बताया कि ब्रेक्रीथैरेपी को कैंसर के इलाज की नई तकनीक माना जाता है। यह थैरेपी प्रमुख रूप से शरीर के ऊपरी सतह पर होने वाले कैंसर के इलाज के लिए काफी उपयोगी होती है।
बेक्रीथैरेपी की मदद से प्रमुख रूप से सेरेविक्स, ब्रेस्ट, त्वचा, सिर, गला, रेक्टम, आंख और अन्य इसी प्रकार के कैंसर का आसानी के साथ इलाज किया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में रेडियोएक्टिव सोर्स को एक खास प्रकार के मेटेलिक कैप्सूल में रखकर कैंसरग्रस्त टिश्यू के पास छोड़ दिया जाता है। इससे यह कैंसर की सेल्स को खत्म करने के साथ ही उन टिश्यू को सिकोडऩा शुरू कर देता है। इस कैप्सूल की मदद से रेडियोएक्टिव सोर्स भी एक स्थान पर बना रहता है शरीर के अन्य किसी भाग पर इसका असर नहीं पड़ता। ब्रेकीथैरेपी में कम समय और कम लागत में तेजी के साथ कैंसर का इलाज किया जा सकता है। इसके लिए कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद ली जाती है। इस पर कार्य करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित मेडिकल फिजिस्ट होते हैं। एम्स में इसके लिए चार मेडिकल फिजिस्ट रखे गए हैं। कैंसर मरीज के परीक्षण के बाद सभी इंडीकेटर्स को कंप्यूटर प्रोग्राम में फीड कर रोगी को दी जाने वाली थैरेपी के बारे में निर्णय लिया जाता है।
उप-निदेशक (प्रशासन) अंशुमान गुप्ता ने बताया कि ब्रेकीथैरेपी के लिए एम्स के रेडियोथैरेपी विभाग में पृथक व्यवस्था की गई है। विभाग ने ब्रेकीथैरेपी से इलाज के लिए विभिन्न पैकेज बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। गरीब मरीजों और बीपीएल कार्डधारकों के लिए यह लगभग मुफ्त होगी जबकि अन्य मरीजों को भी काफी कम लागत पर इसका लाभ मिल सकेगा।
प्रो. नागरकर ने कहा है कि ब्रेकीथैरेपी की मदद से कैंसर के इलाज में नई तकनीक का उपयोग काफी कारगर होगा। उन्होंने कहा कि एम्स कैंसर सहित सभी गंभीर बीमारियों के कम खर्च और कम समय में इलाज के लिए कृत संकल्पित है। ब्रेकीथैरेपी भी इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है।