रायपुर
भाजपा और कांग्रेस शासन काल में हुई अनियमितता पर महालेखाकार की रिपोर्ट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 27 जुलाई। पूर्ववर्ती भाजपा और कांग्रेस शासन काल में शासकीय अस्पतालों ये लिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस निगम लिमिटेड (सीजीएमएससीएल) की दवा खरीदी काफी चर्चित रही है। इसे लेकर भाजपा बजट से लेकर कल खत्म हुए मानसून सत्र तक में विभाग को घेरा। और महालेखाकार ने तो विभाग और दवा निगम में खरीदी को लेकर हुए भ्रष्टाचार और अनियमितता की परतें खोल दी है। शुक्रवार को सदन में पेश रिपोर्ट में महालेखाकार ने साबित किया है कि निगम की लापरवाही से 33.63 करोड़ की दवा एक्सपायर हुई है। वहीं, 49.68 करोड़ के उपकरण अनुपयोगी पड़े है। यहीं नहीं ?24 करोड़ की दवाएं ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से खरीदी गई है। कोरोना काल के दौरान बिना अनुशंसा के 23.13 करोड़ रुपये की दवाएं खरीदी गई है।
सीएजी की यह रिपोर्ट पेश 2016 से 2022 तक की ऑडिट रिपोर्ट में कई गंभीर खामियां पाई गई हैं। इस दौरान भाजपा कांग्रेस की सरकारें रहीं। मार्च-2022 को समाप्त वर्ष तक के लिए तैयार रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन कंपनियों ने घटिया दवा की सप्लाई की, उनसे क्वालिटी वाली दवा लेना तो दूर न तो 1.69 करोड़ जुर्माना लगाया और न ही 24.60 लाख डैमेज शुल्क लिया गया। क्रय नियमों का भी पालन नहीं किया गया है।
मेडिकल सामानों की सेंट्रल एजेंसी होने के बावजूद 27 से 50.65 फीसदी खरीदी लोकल पर्जेच के माध्यम से करनी पड़ी है, क्योंकि जरूरत के अनुसार क्रय नियमावली तैयार नहीं की जा सकी। 278 निविदाएं सीजीएमएससीएल की ओर से निकाली गई, लेकिन इनमें से 165 टेंडर तीन से 694 दिनों तक फाइनल नहीं किए जा सके। इससे समय पर सप्लाई नहीं हुई और महंगे दाम पर लोकल पर्चेज करना पड़ा।
वर्ष 2016-22 के दौरान मांग की गई मात्रा से आवश्यक दवाओं का 48.82 प्रतिशत एव 63.59 प्रतिशत के मध्य था, जिसके लिए आरसी को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। परिणास्वरूप 2017-22 के दौरान 97.93 करोड़ की दवाओं का स्थानीय क्रय किया गया।
कैग की रिपोर्ट में यह भी
- 4,996 में से 502 एसएचसी (उप स्वास्थ्य केंद्र) में कोई एएनएम की नियुक्ति नहीं, स्वीकृत पद का 17 प्रतिशत रिक्त
- 23 एमसीएच (मातृ शिशु अस्पताल) में डाक्टर व कर्मचारी के 915 स्वीकृत पद में से 694 की पदस्थापना, 24.15 की कमी
- आयुर्विज्ञान परिषद के मानक के अनुसार बिस्तर क्षमता के अनुसार स्टाफ नर्स नहीं किया गया था तय
- शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालयों में 29 प्रतिशत चिकित्सक, 60 प्रतिशत स्टाफ नर्स व 29 प्रतिशत शिक्षण स्टाफ की कमी
- चयनित जिलों में 538 औषधालयों में से 130 बिना चिकित्सक के संचालित
- सात जिला अस्पतालों में से चार में जांच के उपरांत आपातकालीन वार्ड में आवश्यक सुविधाएं नहीं
- प्रदेश के 23 जिला अस्पतालों में से पांच में नवजात शिशु देखभाल इकाई सेवा की कमी
- 15 जिलों में एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस की संख्या अपर्याप्त
- 41 स्वास्थ्य संस्थानों में से 39 के पास अग्नी सुरक्षा लाइसेंस नहीं, 30 में चिकित्सालय संक्रमण नियंत्रण समिति का गठन नहीं
- सीजीएमएससीएल के सक्षम अधिकारी के अनुमोदन के बिना उपकरणों और दवाओं खरीदी के लिए नए दर अनुबंध की वैधता अवधि को बढ़ाया गया
- दवाओं व उपकरणों की खरीदी के लिए निविदाएं थोक की बजाए सांकेतिक मात्रा के साथ की गई आमंत्रित
- दरों की औचित्य आंकलन किए बिना उच्च दरों पर की गई खरीदी
- एनएचएम से प्राप्त निधि का उपयोग करने में विफल, 453.20 करोड़ में से केवल 244.58 करोड़ ही व्यय
- असंचारी रोगों (एनसीडी) जैसे हृदय, मधुमेह, फेफड़ों के रोग, कैंसर व उच्च रक्तचात के मामले 2016-17 में 24,144 से बढक़र 2021-22 में 12,13,113 हो गए। हालांकि, एनसीडी कार्यक्रम के अंतर्गत प्राप्त 36 करोड़ की निधि मार्च 2022 तक उपयोग में नहीं लाई गई।
- 2.22 लाख गर्भवती महिलाओं को नहीं दी गई प्रोत्साहन राशि
- 1,52,790 क्षय रोगियों में से 26,332 को प्रति माह 500 रुपये नहीं किया गया हस्तांतरित
- 29.62 करोड़ की निधि जारी करने के बावजूद 222 में से 120 स्वास्थ्य संस्थानों में ईटीपी नहीं हुआ स्थापित