रायपुर

दूरस्थ वनांचल के लिए परियोजनाएं तैयार करने लिडार तकनीक का होगा उपयोग
08-Dec-2021 5:52 PM
   दूरस्थ वनांचल के लिए परियोजनाएं तैयार करने लिडार तकनीक का होगा उपयोग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 8 दिसंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गैर वन क्षेत्रों के साथ-साथ वन क्षेत्रों में भी राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना ‘‘नरवा विकास’’ के अंतर्गत भू-जल संरक्षण के कार्यों का प्राथमिकता से क्रियान्वयन हो। इसके तहत कैम्पा मद से वन क्षेत्रों में किये जाने वाले कार्यों से वनवासियों, आदिवासियों तथा वन क्षेत्रों के आस-पास के ग्रामीणों को रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध होता है।

श्री बघेल की अध्यक्षता में आज मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) के शासी निकाय की द्वितीय बैठक में उक्त आशय के निर्देश दिए गए।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बैठक में राज्य में कैम्पा मद की राशि का बेहतर उपयोग कर स्वीकृत सभी कार्यों को तेजी के साथ पूरा करने के निर्देश दिए। इसके तहत वनों की सुरक्षा के साथ-साथ वन्यप्राणी सुरक्षा और लघु वनोपजों के विकास तथा इनके संरक्षण व संवर्धन के कार्यों पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे वनांचल में स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध होगा और उनकी आमदनी में भी वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राज्य में जंगली हाथियों द्वारा की गई जनहानि, फसल हानि एवं संपत्ति हानि में तत्परता से कार्यवाही कर मुआवजा का वितरण सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।

बैठक में चर्चा करते हुए राज्य में दूरस्थ वनांचल के लिए परियोजनाएं तैयार करने ‘‘लिडार’’ तकनीक के उपयोग के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने सहमति देते हुए यह प्रस्ताव केन्द्र को भेजने के निर्देश दिए। सामान्यत: वाटर शेड क्षेत्रों के विकास हेतु क्षेत्रीय स्तरों में परम्परागत मैनुअल पद्धति से मानचित्रण कर परियोजनाएं तैयार की जाती हैं जिसमें बहुत सीमित पद्धति से कार्य किया जा सकता है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के जंगलों के सर्वे के लिए अत्याधुनिक रिर्मोट सेंसिंग लिडार तकनीकी का उपयोग बेहतर होगा। इससे वैज्ञानिक पद्धति से मैपिंग का उपयोग कर दूरस्थ तथा सुदूर अंचलों के लिए भी परियोजनाएं तैयार की जा सकती है। लिडार तकनीक से वन क्षेत्रों में वृद्धि, वृक्षों की ऊंचाई और उनका वॉल्यूम, मिट्टी में नमी के संरक्षण की स्थिति, वाटर शेड एनालिसिस, वन क्षेत्रों में अतिक्रमण, खनन गतिविधियों, वन क्षेत्र में अग्नि नियंत्रण, वन्य जीवों की संख्या और उनके मूवमेंट का सटीक आंकलन किया जा सकता है। इससे वन क्षेत्रों के विकास की योजना बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद मिलेगी।

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