रायपुर
![सिकल सेल, थैलेसीमिया जैसी बीमारियों में बार-बार खून चढ़ाने से शरीर में हो जाती है आयरन की अधिकता सिकल सेल, थैलेसीमिया जैसी बीमारियों में बार-बार खून चढ़ाने से शरीर में हो जाती है आयरन की अधिकता](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1639568176611842327G_LOGO-001.jpg)
रायपुर, 15 दिसंबर। पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के बाल्य एवं शिशु रोग विभाग द्वारा हीमेटो आंकोलॉजी अपडेट पर आज सीएमई (कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन/सतत चिकित्सा शिक्षा) का आयोजन किया गया।
चिकित्सा महाविद्यालय के लेक्चरर हाल क्रमांक 6 में सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक आयोजित एक दिवसीय सीएमई में रक्त के विकारों जैसे एनीमिया, सिकल सेल, थैलेसीमिया, हीमोफीलिया के साथ-साथ ल्यूकेमिया जैसी कैंसर बीमारियों के उपचार, जांच एवं रोकथाम के मौजूदा गाइडलाइन को लेकर विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिये।
सीएमई के मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. एटी दाबके, विशिष्ट अतिथि संचालक चिकित्सा शिक्षा एवं अधिष्ठाता (चिकित्सा महाविद्यालय) डॉ. विष्णु दत्त और संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक (अम्बेडकर अस्पताल) डॉ. एस. बी. एस. नेताम थे।
फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. उषा जोशी ने रुधिर विज्ञान में चेलेटिंग एजेंटों की भूमिका पर व्याख्यान देते हुए बताया कि सिकल सेल एनीमिया एवं हीमोफीलिया जैसी बीमारियों में बार-बार खून चढ़ाने (ब्लड ट्रांसफ्युजन) की आवश्यकता पड़ती है। कई बार ब्लड ट्रांसफ्युजन के कारण शरीर में आयरन की अधिकता हो जाती है। आयरन की अधिक मात्रा को कम करने के लिए आयरन चेलेटिंग एजेंट दिये जाते हैं। आयरन चेलेटिंग एजेंट सिकल सेल बीमारी की जटिलताओं को कम करते हैं।