रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 दिसंबर। प्रदेश में पिछले दो साल में 230 किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर अनुसूचित जाति, और जनजाति के किसान थे।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में एक जनवरी 2020 से 23 नवम्बर 2021 तक 230 किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वाले किसानों में अनुसूचित जाति के 42, और 97 किसान अनुसूचित जनजाति वर्ग के थे।
खास बात यह है कि सबसे ज्यादा बिलासपुर जिले में 134 किसानों ने आत्महत्या की है। दुर्ग में चार, राजनांदगांव में 9, कबीरधाम में 8, बलरामपुर और कोंडागांव में एक-एक, सरगुजा में 71 किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के अलग-अलग कारण हैं।
कृषि विभाग में किसानों के द्वारा आत्महत्या करने पर किसी भी प्रकार का मुआवजा देने का कोई नियम नहीं है। सरकार से जुड़े लोगों का कहना है कि आत्महत्या के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। लेकिन दूसरे राज्यों में कर्ज की वजह से आत्महत्या के मामले आए हैं। वैसा छत्तीसगढ़ में नहीं है।
प्रदेश में सरकार बदलने के बाद किसानों की हालत सुधारने के लिए काफी काम किए गए हैं। मसलन, 25 सौ रूपए क्विंटल में धान खरीदा जा रहा है, जो कि देश में सर्वाधिक है। यही नहीं, गोधन न्याय योजना के जरिए भी किसानों के जीवन में समृद्धि लाने की कोशिश की गई है। बिना ब्याज के किसानों को कर्ज दिया जा रहा है। ऐसे में आत्महत्या के कोई और कारण हो सकते हैं।