रायपुर
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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 दिसंबर। सीएम भूपेश बघेल ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा कि एक समय था भारत सोने की चिडिय़ा कहलाता था। इंदिरा जी पूरे देश के किसानों का आह्वान किया कि हमें खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर होना है। किसानों ने इस चुनौती को स्वीकार कर अनाज के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाया।
श्री बघेल कहा कि छत्तीसगढ़ में धान, कोदो, कुटकी, गन्ना, मक्का सबके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ उचित कीमत देना शुरू किया। उसके बाद ही कृषि के क्षेत्र क्रांति आई। वही दौर है जब 1967 में एमएसपी घोषित हुआ।
श्री बघेल ने कहा कि हमने छत्तीसगढ़ में धान, कोदो, कुटकी, गन्ना, मक्का के साथ भी वनोपजों की खरीदी भी शुरू की, जिसे 7 से बढ़ाकर 52 प्रकार के लघुवनोपजों को शामिल किया। इसके अलावा हमने वनोपजों का वैल्यू एडिशन भी किया।
उन्होंने कहा कि सरकार के सामने जैसे जनसंख्या समस्या है, वैसे ही अनाज का अधिक उत्पादन भी समस्या बनी। महुआ से पहले सिर्फ शराब बनती थी, आज लड्डू और एनर्जी ड्रिंक बनाये जा रहे। हमने छत्तीसगढ़ में धान, कोदो कुटकी, रागी, लघु वनोपज सबके लिए समर्थन मूल्य निर्धारित किया।
श्री बघेल ने कहा कि पहले बस्तर काजू 50 रुपये में बाहर भेज दिए जाते थे, आज प्रोसेसिंग के कारण 1800 रुपये तक बिक रहा। लोग तीखुर नही जानते थे, आज ड्रिंक्स बनाये जा रहे। महिलाओं को रोजगार मिला, प्रतिदिन 250 से 300 रुपये की आमदनी हो रही। बस्तर काजू के नाम से हमने ब्रांडिंग की।
सीएम ने कहा कि असहमति का सदैव सम्मान रहा है देश में गांधीवादी रास्ते पर चलकर 16 देश आजाद हुए हैं। जब उत्तर प्रदेश में चुनाव होने के बावजूद वहां खाद की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कर पाए रहे। हमको इस देश में सभी चर्चाओं में भाग लेना चाहिए, सबका सम्मान करना चाहिए। कितने भी शक्तिशाली लोग क्यों न हो आप गांधीवादी विचारों पर चलकर अपनी बातें मनवा सकते हैं।