रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 दिसंबर। हांडी पारा स्थित छत्तीसगढ़ी भवन में मंगलवार को छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित पंडित सुंदर लाल शर्मा, ठा. प्यारेलाल सिंह एवं धनश्याम सिंह गुप्ता की जयंती के अवसर पर उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर शाम 5 बजे गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता राज्यज़ आंदोलनकारी किसान मोर्चा के प्रमुख दाऊ.जीपी चंद्राकर ने किया।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए राज्य आंदोलनकारी किसान मोर्चा के अध्यक्ष अनिल दुबे ने कहा कि हमारे तीनों महापुरुषों ने समाज एवं राष्ट के लिए संघर्ष और त्याग किया है वह अनुकरणीय है। उसे अपने जीवन मे उतारकर उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने की आवश्यकता है। साथ ही हमारे महापुरुषों के उज्जवल इतिहास को जन-जन में फैलने की आवश्यकता है।
गोष्ठी में आज निकलकर आया कि आजाद चौक से हांडीपारा (छत्तीसगढ़ी भवन) होते हुए तेलघानी चौक तक मार्ग गया है, उसका नाम ठा.प्यारेलाल सिंह मार्ग था। उसे पुन: स्थापित करने के लिए राज्य आंदोलनकारियों ने संकल्प लिया। किसान नेता रामगुलाम सिंह ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा हमारे इतिहास पुरुषों को याद किया जा रहा है। इसी प्रकार से 10 दिसम्बर को शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत स्थल जय स्तम्भ चौक में आदमकद मूर्ति लगाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया।वरिष्ठ रंगकर्मी अरविंद मिश्रा ने कहा कि हमारे महापुरुष राष्ट्रीय नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर के विभूति थे।
पंडित सुंदरलाल शर्मा समाज सुधारक,अछूतोद्धार के पुरोधा, पत्रकार, साहित्यकार एवं छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वप्न द्रष्टा थे। उन्होंने समाज सेवा राष्ट्रीय आंदोलन में 18 गांव की जमीदारी न्योछावर कर दिया। उनकी अमरकृति दानलीला से समाज में सांस्कृतिक जागरण पैदा हुआ।
रामेश्वर शर्मा ने पंडित सुंदरलाल शर्मा के व्यक्तित्व कृतित्व पर विस्तार से बात रखी। काविश हैदरी ने ठा. प्यारेलाल सिंह के त्याग, संघर्ष पर विस्तार से विचार रखा।दाऊ जीपी चंद्राकर ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में खेद व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे राज्य और समाज में एक से बढक़र एक विभूति एवं गौरव पुरूष हैं जिन्हें हम लोग याद नहीं करते, खुद भूल जाते हैं।इसीलिए समाज पिछड़ जाता है।
पंडित सुंदरलाल शर्मा अछूतोद्धार के प्रेणता थे। उन्होंने किसी की परवाह किये बिना समाज सुधार का कार्य किया।जिसके चलते महात्मा गांधी को अपना गुरु स्वीकार करना पड़ा।उन्होंने समाज सुघार, राष्ट्रीय आंदोलनों के लिए सब कुछ लूटा दिया। उसी प्रकार ठा. प्यारेलाल सिंह आजीवन समाज सेवा के लिये सतत संघर्ष एवं कठोर त्याग किया।
इसीलिए उन्हें त्याग मूर्ति एवं किसान मजदूरों का मसीहा कहा जाता है। शकुंतला तरार ने संविधान पुरूष घनश्याम सिंह गुप्ता के व्यक्तित्व कृतित्व पर विस्तार से आलेख का पठन किया।
गोष्ठी में डॉ. उदयभान सिंह चौहान, डॉ. पंचराम सोनी,सुश्री ममता आहार, वेगेंद्र सोनवेर, चेतन देवांगन, विमल ताम्रकार, गिरधारी ठाकुर, देवेंद्र कश्यप आदि ने भी अपना विचार रखते हुए तीनों विभूतियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। मंच का संचालन किसान मोर्चा के प्रवक्ता जागेश्वर प्रसाद ने किया एवं आभार प्रदर्शन अशोक कश्यप ने किया।