रायपुर

झारखंड में मुस्लिम समाज में 12 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार-डॉ. मिश्र
27-Dec-2021 5:37 PM
झारखंड में मुस्लिम समाज में 12 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार-डॉ. मिश्र

पत्र लिखकर कार्यवाही-कानून बनाने की मांग     

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 27 दिसंबर। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि झारखंड के धनबाद से मुस्लिम समाज के  11 परिवारों के    सामाजिक बहिष्कार की घटना सामने आयी है  जिसमे उनका हुक्का पानी बंद कर दिया गया है.तथा वे परिवार अत्यंत परेशानी का सामना कर रहे है .डॉ दिनेश मिश्र ने इस मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री  हेमन्त सोरेन को पत्र लिख कर इस मामले में कार्यवाही करने एवं बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाने की मांग की है।

डॉ .मिश्र ने बताया उन्हें जानकारी मिली है कि झारखंड के  धनबाद के  मिल्लत ,  कांड्रा, महुदा थाना क्षेत्र के  सरफुद्दीन शेख  एवं10 परिवारों को  उनके समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है तथा उनका हुक्का पानी बंद करने का फरमान जारी कर दिया गया है तथा प्रत्येक परिवार से जुर्माना माँगा जा रहा है, जिससे उन्हें अत्यंत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उक्त परिवारों ने स्थानीय स्तर पर शिकायत भी की है पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है . सामाजिक बहिष्कार एक ऐसी सामाजिक कुरीति है जिसके कारण देश भर में लाखों लोग अन्याय सहने को मजबूर हैं हमारा संविधान देश में प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता है उसे कोई भी सामाजिक पंचायत/ खाप पंचायत द्वारा बहिष्कृत करने का फरमान नहीं दिया जा सकता पर आज भी कुछ सामाजिक पंचायतें अपनी मनमानी करने के लिए बहिष्कार जैसे फरमान सुझा रही हैं ,जिसके  कारण एक निर्दोष व्यक्ति का जीवन कठिनाइयों में पड़ जाता है।

सामाजिक बहिष्कार के मामलों को देखते हुए झारखंड प्रदेश में भी सामाजिक बहिष्कार निरोधक कानून बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है .वर्तमान में देश में सिर्फ महाराष्ट्र में ही  सामाजिक बहिष्कार निरोधक कानून बन पाया  है ,जो सन 2016 से प्रभाव शील है, यदि झारखंड में  भी इस संबंध में एक कानून बन जाता है तो झारखंड देश में महाराष्ट्र के बाद  दूसरा राज्य होगा ,जहां इस प्रकार का कानून बन पाएगा तथा बहिष्कार जैसी कुरीति को खत्म करने में मदद मिलेगी तथा खाप पंचायतों की तरह काम करने वाले सामाजिक संगठनों पर भी नकेल कसी जा सकेगी अत: आपसे निवेदन है कि सामाजिक बहिष्कार के इस मामले पर जांच कर ना केवल कड़ी कार्यवाही करें बल्कि सामाजिक बहिष्कार विरोधी कानून बनाने के लिए पहल कर प्रदेश में इस कुरीति को समाप्त करने के लिए कदम उठाएं।

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