रायपुर
![तीसरी लहर भी आ गई, लेकिन दो साल से मेडिकल बिल अटके, 120 प्राध्यापक लगा रहे चक्कर तीसरी लहर भी आ गई, लेकिन दो साल से मेडिकल बिल अटके, 120 प्राध्यापक लगा रहे चक्कर](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1642076950antralaya-indrawati_bhawan.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 जनवरी। कोरोना की दो लहर गुजरने के बाद भी कॉलेज शिक्षकों को मेडिकल बिल के भुगतान के लिए भटकना पड़ रहा है। अब तीसरी लहर चल रही है, लेकिन इससे पीडि़त रहे करीब सौ से अधिक शिक्षकों के पुराने मेडिकल बिल का भुगतान लंबित है।
हालांकि उच्च शिक्षा आयुक्त श्रीमती शारदा वर्मा ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि कुछ मेडिकल बिल जरूर लंबित है, लेकिन कई को भुगतान हो चुका है। कई के प्रकरण प्रोसेस में हैं। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि आबंटन सरेण्डर कर दिया गया है।
बताया गया कि कोरोना में कॉलेज के सैकड़ों शिक्षक चपेट में आए थे। इनमें से बड़ी संख्या में शिक्षक अस्पतालों में भर्ती भी थे। इलाज पर भारी भरकम राशि भी खर्च हुआ था। अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन की मांग पर सीएम भूपेश बघेल ने मेडिकल बिलों के भुगतान में देरी नहीं करने के निर्देश भी दिए थे। कहा जा रहा है कि कॉलेज शिक्षकों के प्रकरणों में ऐसा नहीं हो पाया है।
जानकारी मिली है कि कुल 140 कॉलेज शिक्षकों ने मेडिकल बिल के रिइम्बर्स के लिए आवेदन दिया था, लेकिन इनमें से अभी तक मात्र 20 की राशि रिएम्बर्स हो पाई है। बाकी 120 शिक्षकों के मेडिकल बिल अभी भी डायरेक्टोरेट में लंबित हैं। शहर के एक कॉलेज के प्रोफेसर ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि वो कोरोना से पीडि़त थे, और इलाज में करीब 3 लाख रूपए खर्च हुए थे। सालभर पहले राशि रिएम्बर्स के लिए मेडिकल बिल जमा किए थे। लेकिन अभी तक भुगतान नहीं हो पाया है।
यह भी बताया गया कि पिछले कुछ सालों से मेडिकल बिल के आबंटन की राशि सरेण्डर होते रही हैं। लेकिन बिल रिएम्बर्स नहीं होता है। कोरोना की दो लहर गुजर चुकी है, और तीसरी लहर में भी कई शिक्षक चपेट में आए हैं। मगर बिल का रिएम्बर्स नहीं होने से उनमें नाराजगी है।