रायपुर

बार में अधिक बेचनी होगी शराब, नए बार लाइसेंस नहीं
30-Jan-2022 8:00 PM
बार में अधिक बेचनी होगी शराब, नए बार लाइसेंस नहीं

बार के लिए मिनिमम ग्रांट के कोटे में हो सकता है 20 फीसदी इजाफा

छत्तीसगढ़ संवाददाता

रायपुर, 30 जनवरी। आबकारी विभाग 2022-23 के लिए नई आबकारी नीति बना रहा है। नये साल में सरकार नये बार लाइसेंस जारी करने से बचने जा रही है। इसके स्थान पर वर्तमान में चल रहे बार में ही शराब का कोटा बढ़ाकर राजस्व कमाने की योजना है। इससे बार संचालकों की चिंता बढ़ गई है। बार संचालकों के बीच अभी से 20 फीसदी कोटा बढ़ाए जाने की खबरें गरमाई हुई है कि शराब बिक्री का सिरदर्द भी बढ़ गया है। बार संचालकों के अनुसार लॉक डाउन की मंदी का असर अभी भी दूर नहीं हो सका है। बार में शराब बिक्री के लिए तय किए गए मिनिमम ग्रांट में 40 फीसदी गिरावट कायम है। प्रदेश की राजधानी रायपुर में ही एफएल-3 के 54 लायसेंस जारी किए गए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में एफएल-2 लायसेंस निरस्त करने के फरमान के साथ एफएल-3 लायसेंस रखने वाले संचालकों पर बीयर की बिक्री का कोटा बढ़ाया गया था।

अब नई आबकारी नीति में फिर से कोटा बढ़ाए जाने की सुगबुगाहट तेज होने से बार संचालकों के बीच हडक़ंप की स्थिति है। एक करीबी सूत्र का कहना है, बार संचालक नई नीति का विरोध कर सकते हैं। एफएल-3 के लिए पहले डिपाजिट राशि में 24 लाख रुपये तय किए गए हैं। नए वित्तीय वर्ष में इस राशि में भी बढ़ोतरी करने के संकेत मिल रहे हैं। नई नीति में सरकार नए लायसेंस लेकर बार की संख्या बढ़ाने पर अंकूश लगाए जाने की तैयारी है। पुराने समय में जारी लायसेंस में ही पुराने ठिकानों पर बार संचालित करने की अनुमति होगी। फिलहाल नई आबकारी पॉलिसी को लेकर अफसरों का कहना है एक हफ्ते के भीतर जरूर कुछ जानकारी बाहर आएगी।

मिनिमम ग्रांट में 990 लीटर खपत

अभी लागू की गई आबकारी की पॉलिसी में मिनिमम ग्रांट में बार संचालकों को 990 लीटर शराब और 1080 लीटर बीयर की खपत जरूरी है। बार संचालकों का कहना है जितना ग्रांट दिया गया है मुश्किल से 60 खपत ही हो रही है। आगे अगर कोटा बढ़ा दिया गया तो उनके लिए संकट बढ़ जाएगा। शासन स्तर पर पहले ही शराब दुकानों की संख्या कम किए जाने के बाद नए बार के लिए लायसेंस पर ब्रेक लगाना तय है।

खपत कम होने से कालाबाजारी भी

रायपुर में बार से शराब की कालाबाजारी तेज होने की आशंका है। दरअसल जितना कोटा तय किया गया है उसमें 40 फीसदी स्टॉक रोके जाने पर आबकारी विभाग द्वारा पेनाल्टी का प्रावधान है। अतिरिक्त शुल्क देने से बचने के लिए बार में निर्धारित समयावधि के बाद भी शराब बिक्री और बीयर का स्टाक बाहर करने की स्थिति आम है। शहर में ही पंडरी, रेलवे स्टेशन, एवरग्रीन चौक, फाफाडीह, वीआईपी रोड जैसे इलाकों में देर रात शराब बिक्री के खुलासे हो चुके हैं।

चखना ने बार संचालकों ने रूलाया

बार संचालकों को इस साल जीतना नुकसान हुआ है उसमें सबसे बड़ी वजह अवैध चखना सेंटर है। आबकारी चखना सेंटरों को वैध करने लायसेंस की पॉलिसी लागू नहीं कर पाई लेकिन इसके बावजूद शराब दुकान कैंपस और आसपास चखना सेंटर खोलकर अवैध कारोबार पूरे साल चलता रहा। कई जगहों पर कूलर-पंखे के साथ अवैध अहाता भी खोले गए। इससे बार वालों की बिक्री घट गई। अगर वैध अहाता की पॉलिसी लागू होती तो आबकारी को भी लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ होता। नुकसान दोनों तरफ से हुआ।

अभी कुछ कहना मुश्किल

आबकारी की नई पॉलिसी के बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है। कोटा बढ़ाए जाने की खबरों के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।

- एपी त्रिपाठी, प्रबंधक सीएसएमसीएल

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