रायगढ़

वन विभाग द्वारा बनाए जा रहे गौठान रायगढ़ अनुभाग में फिसड्डी
27-May-2022 2:54 PM
वन विभाग द्वारा बनाए जा रहे गौठान रायगढ़ अनुभाग में फिसड्डी

कुकुरदा का आवर्ती केंद्र चढ़ गया भ्रष्टाचार की भेंट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 26 मई।
रायगढ़ वन मंडल के तहत भी राज्य सरकार की महती योजना गोठान जिसे चकरी चराई आवर्ती केंद्र के रूप में जाना जाता है। इस योजना को क्रियान्वित करने के लिये जिम्मेदारी दी गयी हैं। जिन गांवों में राजस्व भूमि उपलब्ध नहीं है और वन भूमि उपलब्ध है तो उन गांवों के लिये वन विभाग द्वारा चकरी चराई योजना के तहत गौठान निर्माण कर वे सभी कार्य सम्पादित कराने होते हैं, जो गौठान के तहत हो रही है।

महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से गोबर खरीदी, वर्मी कंपोस्ट खाद का निर्माण कर विक्रय करने ,चारागाह निर्माण व गौ देखभाल जैसे महती कार्य करने होते हैं। वन मंडल द्वारा 20 हेक्टेयर के तहत 18 ,40 ,900  रुपये की स्वीकृति दी जाती है वही 7 हेक्टेयर के आवर्ती केंद्र के लिए लगभग 12 लाख रूपये स्वीकृति के प्रावधान है। वन मंडल रायगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार  रायगढ़ अनुभाग में 33 आवर्ती केंद्र है जिनमें  8 सारंगढ़ रेंज में व 27 रायगढ़ रेंज में हैं। 12 आवर्ती केंद्रों में गोबर खरीदी करने के लिये मुनादी करा दी गयी है वही जिनमे 5 में खरीदी चालू है। इनमें बाकी 7 से ज्यादा को आवर्ती केंद्र के रूप में विकसित करना अपव्यय होगी इसलिए इन्हें चारागाह के रूप में विकसित किया जाएगा।

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता ने कुकुरदा आवर्ती केंद्र का मुआयना किया और ग्रामीणों से मुलाकात कर इस गौठान के बारे में जानकारी ली। कुकुरदा आवर्ती केंद्र के लिये वन विभाग में पता चला कि यहाँ 18,40 ,900 रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति 30 मार्च 2020 को दी गयी है। यह 20 हेक्टेयर में विकसित किये जाने हैं।

रायगढ़ पूर्वांचल क्षेत्र के जामगांव वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले कुकुरदा बिट में वन विभाग द्वारा आवर्ती केंद्र गौठान का निर्माण पिछले 2 साल से लंबित पड़ा हुआ है। वन रक्षक नरेश सतपथी इस आवर्ती केंद्र के निर्माणकर्ता है।
कुकुरदा के निर्मल पुजारी ने बताया कि लगभग एक वर्ष से ज्यादा हो गया जंगल की ही लकड़ी काट कर झोपड़ी बनाया गया है और पैरा व पॉलीथिन ढंक दी गई है,  जो हवा पानी मे उड़ गया है। कोटना निर्माण भी नही की गई । 3 नग नाडेप टांका बनाया गया है जो गुणवत्ताविहीन है। न तो बोर खोदी गयी है और न ही घेराव की गई । सी पी टी गड्ढा भी नही खोदी गयी है। कार्य मे लीपापोती की जा रही है ।कितने लागत से बन रही है इसकी जानकारी भी ग्रामीणों को नही है। हम इसके जांच की मांग करते हैं और अन्य जगह पर जिस तरह से गुणवत्तापूर्ण कार्य हो रहे हैं वैसे ही इस गौठान का निर्माण होनी चाहिए।

ग्राम सरपंच मोहित राठिया ने बताया कि यह कार्य पंचायत को आया था लेकिन गांव में शासकीय भूमि नही होने के कारण वन विभाग को सौप दी गयी है। वन विभाग निर्माण को लेकर किसी तरह की जानकारी पंचायत व ग्रामीणों को नही दे रहे हैं। निर्माण बहुत ही घटिया हो रहा है ,अस्थायी सेड बनाई गई है जो पॉलीथिन ढकी गई है वह हवा में उड़ गया है। यह गौठान 2 वर्ष हो गये चालू ही नही हुआ है। गांव के ही लक्ष्मण कुमार गुप्ता ने बताया कि डेड से 2 साल हो गए हैं गौठान निर्माण अधूरी पड़ी है। जंगल की लकड़ी काट कर झोपड़ी बनाई गई और पॉलीथिन ढांक दी गयी है। जो टूट फुट हो चुकी है वही यह गांव से 3 किलोमीटर दूर है ऐसे में कुकुरदा गांव के लिये अनुपयोगी है, इतना दूर हम गोबर बेचने नही जा सकते। इस गौठान को जांच होनी चाहिए। निर्माण के नाम पर लीपापोती की जा रही है।

उप वन मंडलाधिकारी अमिता गुप्ता ने बताया कि उसने इस आवर्ती केंद्र का दौरा किया और देखा कि यहाँ अस्थायी सेड बनाया गया है और कुछ नही बना है। 2 साल से पेंडिंग होने की बात को लेकर उप वन मंडलाधिकारी ने कहा कि यह दुखद है कि कोविड के चलते तथा कर्मचारियों के हड़ताल में जाने व अधिकारियों के स्थानांतरण के कारण भी यह निर्माण कार्य प्रभावित हुई है। हमारे आये एक महीने हो रहा है अब इसे अगले एक महीने में कम्प्लीट कर चालू कर दी जाएगी। चूंकि जामगांव आवर्ती केंद्र गांव से दूर व हाथी प्रभावित क्षेत्रों में है तो वहा चारागाह विकसित किया जाएगा और कुकुरदा आवर्ती केंद्र में कुकुरदा व  जामगांव के महिला समूहों के द्वारा कार्य संपादन कराई जाएगी।

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