रायपुर

आदिवासियों के जमीनों को फर्जी ग्रामसभा का दस्तावेज प्रस्तुत कर कोयला खनन की स्वीकृति दी गई-शुक्ला
10-Jun-2022 7:03 PM
आदिवासियों के जमीनों को फर्जी ग्रामसभा का दस्तावेज प्रस्तुत कर कोयला खनन की स्वीकृति दी गई-शुक्ला

ग्रामसभाओं के विरोध के बावजूद हुआ कोल ब्लॉक का आवंटन 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 10 जून। छत्तीसगढ़ हसदेव बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक मंडल के सदस्य आलोक शुक्ला ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि हसदेव अरण्य को बचाने के लिए स्थानीय आदिवासी समुदाय पिछले एक दशक से आन्दोलनरत हैं । अपने जल जंगल,जमीन , आजीविका और पर्यावरण को बचाने का यह संघर्ष सिर्फ हसदेव नही बल्कि सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ की लड़ाई बन चुकी है। केन्द्र और राज्य सरकार और अडानी को मुनाफा देने के नाम पर छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के साथ खिलवाड़ कर रही है। खनन परियोजना को शुरू करने के लिए आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचला जा रहा है। ग्रासभाओं के निर्णयों की अनदेखा करके फर्जी तरीके से स्वीकृति दी गई है । गांधी की बात करने । वाली सरकार उनकी आत्मा गाँव और पेसा कानून के आदशों को सिर्फ अडानी के मुनाफे के लिए कुचल रही है ।

शुक्ला ने कहा हसदेव अरण्य के विनाश से न सिर्फ पर्यावरण बल्कि कई विरल प्रजाति की वनस्पति और वन्य प्राणी का अस्तित्व खतरे में है । इसके विनाश से हसदेव नदी के जल ग्रहण क्षेत्र और उस पर बने मिनी माता बाथ से निर्भर 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल की सिचाई पर सकट होगा । इसके विनाश से मानव हाथी संघर्ष इतना विकराल होगा जिसे कभी सभाला नहीं जा सकता । भारतीय वन्य जीव संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में देते हुए सम्पूर्ण हसदेव अरण्य को खनन मुक्त करने की सिफारिश की है ।

प्रभावित ग्रामसभाओं के फर्जी प्रस्ताव की जांच तक नहीं हुई 1252 हेक्टेयर क्षेत्रफल की इस खनन परियोजना से 2 गाँव फतेहपुर हरिहरपुर, साल्ही, अंाशिक तौर पर विस्थापित किया जायेगा। जिसमे लगभग 1500 ग्रामीण प्रभावित होंगे । इन गाँव की ग्रामसभाओं ने वर्ष 2014 से 18 के बीच 4 बार ग्रामसभाओं में विरोध दर्ज किया । वाबजूद इसके वर्ष 2018 में कम्पनी और जिला प्रशासन के द्वारा फर्जी प्रस्ताव ब्लॉक मुख्यालय उदयपुर में लिखे गए 300 किलोमीटर पदयात्रा के बाद राज्यपाल के निर्देश के बाबजूद बिना ग्रामसभा जाँच किए परियोजना की अंतिम वन स्वीकृति के बाद भी भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है।

ग्रामसभाओं के विरोध के बावजूद हुआ कोल ब्लॉक का आवंटन

वर्ष 2014 के बाद प्रामसभाओं के विरोध के बावजूद परसा परसा ईस्ट बजे वासन और केते एक्सटेसन कोल ब्लॉक राजस्थान सरकार का दगी छत्तीसगढ़ सरकार एवं मदनपुर साऊथ आध्रप्रदेश सरकार को आवंटित किए गए है । सभी कोल ब्लॉक के विकास व खनन का अनुबंध अडानी समूह को दिया गया है । राजस्थान सरकार को आवंटित कोल ब्लॉक में खनन शुरू करने के लिए अडानी समूह के द्वारा फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव के आधार पर वन स्वीकृति हासिल कर जबरन भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य व केंद्र सरकार के सहयोग से आगे बधाई जा रही है ।

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