रायपुर
![गजराजबांध में रिटेनिंग वॉल पाथवे निर्माण, वेटलैंड अथॉरिटी ने दिए जांच के आदेश गजराजबांध में रिटेनिंग वॉल पाथवे निर्माण, वेटलैंड अथॉरिटी ने दिए जांच के आदेश](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/172243405402.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 31 जुलाई। कमल विहार के पास, राजधानी के 106 एकड़ में फैले, सबसे बड़े तालाब पर हो रहे अवैध कब्जों और नगर निगम द्वारा नियमों के विरुद्ध प्रस्तावित 20 करोड़ के सौन्दर्यीकरण कार्यों जिसमें तालाब में रिटेनिंग वॉल बनाना और पाथवे निर्माण भी शामिल है, को लेकर रायपुर के डॉक्टर राकेश गुप्ता और पर्यावरण और वृक्षारोपण के लिए कार्यरत मोनिका बागरेचा की शिकायत पर छत्तीसगढ़ वेटलैंड अथॉरिटी ने कलेक्टर रायपुर जो कि रायपुर जिला वेटलैंड संरक्षण समिति के अध्यक्ष भी हैं को पूरे मामले की जांच कर वस्तुस्थिति से अथॉरिटी को अवगत कराने के लिए आदेशित किया है। आदेश की कॉपी आयुक्त नगर पालिक निगम रायपुर को भी दी गई है।
इकोलॉजिकल कैरक्टर रखना है बरकरार
नियम 4 की दूसरी प्रमुख शर्त यह है कि तालाब का इकोलॉजिकल कैरक्टर बरकरार रखना होता है। शिकायत में बताया गया है कि गजराजबांध तालाब का गहरीकरण भी किया जायेगा। तालाब गहरीकरण में तालाब की मिटटी निकालने से तालाब का इकोलॉजिकल कैरेक्टर खऱाब हो जायेगा। अगर ये कार्य किये जाते है तो मान सर्वोच्च न्यायलय के आदेश की उलंघना और अवमानना होगी।
क्या कहना है शिकायतकर्ताओं का डॉक्टर गुप्ता ने चर्चा में बताया कि नगर निगम रायपुर ने चुन चुन कर रायपुर के सभी तालाबों में रिटेनिंग वाल बना कर तालाबों की हत्या कर दी है। रिटेनिंग वाल बनाने से पानी रिचार्ज नहीं हो पाता, रिसाव रुक जाता है, तालाब की जैव विविधता समाप्त हो जाती है। मोनिका बागरेचा ने बताया कि वे गजराजबांध की सफाई का ध्यान रखती है वहां वृक्षारोपण भी करवाया है, तालाब की हो रही दुर्दशा देख कर उन्हें दु:ख होता है। डॉ. गुप्ता के साथ उन्होंने गजराजबांध और कई अन्य तालाबों का निरिक्षण किया है, सभी डेड वाटर बॉडी हो गई हैं। गौरतलब है की मोनिका बागरेचा वृक्षारोपण को लेकर व्यापक जागरूकता पैदा करने का कार्य करती हैं।