रायपुर
अधिसूचना बुधवार को जारी होगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 जून। देश के 15 वें राष्ट्रपति के चुनाव की अधिसूचना कल बुधवार को जारी कर दी जाएगी। इसके साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। इस चुनाव में आप और हम यानी भारत का हर नागरिक यह चुनाव लड़ सकता हैं बर्शते कि उसे 50-50 सांसद विधायक का समर्थन हासिल हो। देश के इस सर्वोच्च संवैधानिक पद के चुनाव के लिए कल 60 के आसपास अधिसूचनाएं जारी होगी। ये अधिसूचनाएं निर्वाचन आयोग उसके बाद चुनाव के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सीईओ के रूप में राज्य सभा के महासचिव 29 राज्यों के सीईओ जारी करेंगे। इसके अलावा आयोग राज्यों में चुनाव कराने वाले एआरओ (जो विधानसभाओं के सचिव होंगे)की नियुक्ति की भी अधिसुचना जारी करेगा। संविधान में उल्लेखित चुनाव प्रक्रिया के मुताबिक भारत का हर नागरिक यह चुनाव लड़ सकता है। इसके लिए उसकी आयु 35 वर्ष या अधिक हो और वह देश के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना अनिवार्य है। एक ओर सबसे अहम शर्त यह है कि नामांकन पर्चे में 50-50 विधायक सांसदों का प्रस्तावक सर्मथक के रूप में हस्ताक्षर हो। एक फार्म में सौ लोगों के नाम व हस्ताक्षर होने चाहिए। नामांकन के साथ 15 हजार रूपए की जमानत राशि भी जमा करनी होगी।
भारत के राष्ट्रपति चुनाव में सभी राजनैतिक दलों के विजयी उम्मीदवारों को शामिल किया जाता है। भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है, लेकिन इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व अनुपातिक भी होता है। उनका सिंगल वोट ट्रांसफर होता है, लेकिन उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है। यहां वोटों के गणित को समझने के लिए कुछ बातें जानना आवश्यक है।
अप्रत्यक्ष निर्वाचन- राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज करता है। अर्थात जनता अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं करती, बल्कि उसके वोट से चुने गए प्रतिनिधि करते हैं। यह होता है अप्रत्यक्ष निर्वाचन।
वोट का अधिकार- इसमें सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के चुने सदस्य और लोकसभा सांसद वोट डालते हैं, लेकिन राष्ट्रपति द्वारा संसद में नामित सदस्य वोट तथा राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य नहीं डाल सकते । क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते।
सिंगल ट्रांसफरेबल -इस चुनाव में एक खास तरीके से वोटिंग होती है, जिसे च्सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टमज् कहते हैं। यानी वोटर एक ही वोट देता है, लेकिन वह राष्ट्रपति चुनाव में भाग ले रहे सभी उम्मीदवारों में से अपनी प्राथमिकता तय कर देता है। यदि पहली पसंद वाले उम्मीदवार के वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो सका तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर किया जाता है।
अनुपातिक व्यवस्था- वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग होता है। दो राज्यों के विधायकों के वोटों का वेटेज भी अलग होता है। यह वेटेज जिस तरह तय होता है, उसे अनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था कहते हैं।
सांसद-विधायक के वोटों का महत्व
विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो, उसकी आबादी देखी जाती है। इसके साथ उस प्रदेश के विधानसभा सदस्यों की संख्या को भी ध्यान में रखा जाता है। वेटेज निकालने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से बांटा जाता है। इस तरह जो भी नंबर मिलता है, उसे फिर एक हजार से भाग दिया जाता है। अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का वेटेज होता है। एक हजार से भाग देने पर अगर शेष पांच सौ से ज्यादा हो तो वेटेज में एक जोड़ दिया जाता है। सांसदों के मतों के वेटेज का गणित अलग है। सबसे पहले सभी रा्ज्यों की विधानसभाओं के चुन गए सदस्य के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है।