रायपुर
![राज्य वित्त आयोग : सरकार जो कहती है करती उसके विपरीत है राज्य वित्त आयोग : सरकार जो कहती है करती उसके विपरीत है](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/16573689850101.jpg)
केरल-राजस्थान का दौरा करेगा वित्त आयोग
अधिकार न मिलने से आयोग के समक्ष बिफरे पंचायत अध्यक्ष और महापौर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 जुलाई। सरजियस मिंज की अध्यक्षता वाले राज्य वित्त आयोग ने पांचों संभागों में पंचायत-नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रायशुमारी पूरी कर ली है। इस दौरान आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला कि प्रदेश में इन निकायों के जरिए विभाग का पूरा सिस्टम ध्वस्त है। जिला-जनपद अध्यक्षों ने अपने अधिकारों को लेकर रोना-गाया उनका कहना था कि सरकार,हमें पावर पैसा नहीं दिया जा रहा ।
मिंज आयोग को जुलाई-23 में अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी है। आयोग ने सभी संभाग मुख्यालयों में सुनवाई पूरी कर ली है। वह अब तक दो जिलों में बैठक करने के बाद राजस्थान,केरल का दौरा कर वंहा की व्यवस्था का अध्ययन करेेंगी। देश में इन दोनों राज्यों में इन निकायों के संचालन की व्यवस्था बेहतर मानी गयी है। अब तक हुई रायशुमारी में पंचायतों के अध्यक्षों का कहना है कि उनके सारे अधिकार केंद्रीकृत कर दिए हैसरकार ने पंचायतों को देय राशि कम कर दी गयी है। वह भी पूरा नहीं मिलता।
अध्यक्ष-उपाध्यक्षों के वेतन बढ़ाने से नहीं विकास के लिए वित्तीय अधिकार दिए जाने चाहिए। कुछ ऐसी ही बातें महापौरों ने भी मिंज आयोग से कही है। उनका कहना है कि सरकार कहती कुछ है और करती कुछ। आयोग अपनी रिपोर्ट में वर्ष-2025-30 के लिए इन निकायों को राज्य की संचित निधि में राशि आबंटन की सिफारिश करेगा। अभी इन निकायों को 8 फीसदी राशि दी जाती है। संकेत है कि मिंज आयोग इसे बढ़ाकर 10 या 11 प्रतिशत करने की सिफारिश कर सकता है।
बहरहाल आयोग ने शुक्रवार को रायपुर संभाग के निकाय प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। जन प्रतिनिधियों ने बताया कि निकायों में आर्थिक स्त्रोत के साधन कम और खर्च अधिक है। नगरीय निकायों में रहने वाले लोगों की सुविधाओं के लिए अपेक्षाएं बहुत होती है। कम आय की वजह से अनेक समस्याओं का सामना करना पडता है। जनसंख्या के हिसाब से नगरीय निकायों मे विभिन्न निधियों का निर्धारण किया जाए। इससे छोटे-छोटे काम को करने में आसानी होगी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सुझाव दिया कि नगरीय निकायों मे मुद्रांक शुल्क, चुंगी क्षतिपूर्ति सहित अन्य करों का भुगतान समय पर हो जाए तो भी बहुत से कार्यो को करने में आसानी होगी। नगरीय क्षेत्रों में स्थापित राजस्व कर का 75 प्रतिशत राशि दी जानी चाहिए। नगरीय क्षेत्रों के चँहुमुखी विकास के लिए निेकायों को और अधिक शक्ति दिया जाना उचित होगा। ज्ञात हो कि पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी स्थानीय निकायों के लिए अनुशंसाएं देने हेतु चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का गठन किया गया है। आयोग द्वारा 2025 से 2030 की अवधि के लिए अनुशंसाएं की जायेगी। स्थानीय निकायों की आर्थिक समीक्षा तथा संभाग के स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों से आज राज्य वित्त आयोग छत्तीसगढ़ द्वारा चर्चा की गई। आयोग द्वारा रायपुर संभाग के पाँचों जिलों के नगरीय निकाय के चयनित प्रतिनिधियों के साथ अलग-अलग चर्चा कर सुझाव प्राप्त किये गए।