रायपुर
![सावन की तैयारियां शुरू, इसी माह हुआ था समुद्र मंथन सावन की तैयारियां शुरू, इसी माह हुआ था समुद्र मंथन](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1657460523SC_0219a.jpg)
4 सोमवार, हरियाली अमावस्या और नागपंचमी भी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 जुलाई। हिंदू धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व है। सावन का महीना देवों के देव महादेव को अतिप्रिय है। सावन मास में भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि सावन मास में भगवान शंकर की पूजा व सोमवार व्रत करने से मनोकामना पूरी होती है। इस साल सावन का पवित्र महीना जुलाई से शुरू हो रहा है और अगस्त तक रहेगा। सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू हो रहा है । इस बार सावन माह में कई विशेष और शुभ संयोग भी बन रहे है । भोले का दरबार सजने लगा है । शहर के छोटे/बड़े शिव मंदिरों में भोले कि भक्ति की धूम रहेगी । शिवालयों में बोल बम के जयघोष लगेंगे तो मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहेगा । सावन से पहले शिवालयों की विशेष साज - सज्जा का दौर भी प्रारंभ हो गया है । महादेव घाट शिव मंदिर के मुख्य पुजारी सुरेश महराज ने बताया कि हिंदी पंचांग के अनुसार 14 जुलाई गुरुवार से श्रवण मास की शुरुवात हो रही है । इस पुण्य महीने में हरियाली अमावस्या पर पंच महायोग का संयोग है । नाग पंचमी भी मंगलवार को है । जिसके बाद सावन मास काल रक्षा बंधन के दूसरे दिन तक रहेगा।
श्रावण मास को भगवान शिव का महीना माना गया है। इस वर्ष श्रावण मास 14 जुलाई से आरम्भ होकर 12 अगस्त तक रहेगा, जिसके अंतर्गत चार प्रमुख सोमवार आएंगे। भक्त श्रावण मास में भगवान शिव को जल और बेलपत्र समर्पित कर मनोकामनाए मांगते है। और भक्ति भाव का एक सुखद अनुभव होता है।
श्रावण मास की बहुत सारी पौराणिक कथाएं भी प्रचलित है। भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन भी श्रावण मास में हुआ है। श्रावण मास में समुद्र मंथन हुआ था जिससे उत्पन्न विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था जिसकी वजह से नीलकंठ कहलाए थे। विष धारण करने के बाद उनको अत्यंत भीषण ताप हुआ जिसको देखते हुए देवताओं ने उन पर जल वर्षा किया और भगवन विष्णु ने समस्त सृष्टि को वरदान दिया की जो भी इस मास में भगवान शिव पर जलाभिषेक करेगा उसको जन्म जन्मांतर के पापों से, कर्मबन्धन से और अनिष्ट से मुक्ति प्राप्त होगी। जिसके चलते जनमानस ,देवी देवता, आसमान, समस्त प्रकृति भी भगवान शिव को अभिषेक करने के लिय आतुर रहते हैं। पूरा श्रावण मास भोले की भक्ति में रम जाते है।
कहा जाता है कि जब माता गंगा पृथ्वी पर नहीं आ रही थीं तो भागीरथी ने उनसे प्रार्थना किया और उनको वरदान दिया की प्रत्येक श्रावण मास में कोई भी नर नारी कोई भी व्यक्ति जब तक भगवान शिव पर आपको समर्पित नहीं करेगा तब तक उसकी पूजा सफल नहीं होगी इसी के चलते कांवड़ यात्रा का प्रचलन है। भक्त गंगाजल को लेकर उपवास रखकर शिव का नाम जपते हुए भगवान शिव पर समर्पित करता है।
नगर के प्रमुख शिव मंदिर श्री हाटकेश्वर महादेव मंदिर में सावन मास की तैयारी आरंभ कर दी गई है । इसके लिए मंदिर में रंगाई - पुताई का कार्य प्रारंभ हो गया है । दर्शनार्थियों एवं भंडारे, भक्तो की भीड़ को देखते हुवे समिति द्वारा मंदिर की साफ सफाई और श्रद्धालुवों के लिए भगवान के दर्शन,पूजा के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
रुद्राभिषेक का महत्व
भगवान शिव का रुद्राभिषेक करके अनंत लाभ प्राप्त किया जाता है। जीवन में कोई कार्य पूर्ण न हो पा रहा हो या कोई बीमारी से ग्रस्त हो ,किसी की संतान न हो रही हो , विद्या प्राप्ति के लिए ,किसी की शादी न हो पा रही हो ऐसे स्थिति में रुद्राभिषेक करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। और भोले की कृपा बनी रहती है। श्रावण का सोमवार का अत्यंत महत्त्व रहता है। इस दिन की पूजा और उपवास अनंत लाभ देने वाला होता है। इस बार श्रावण मास में चार सोमवार है और चारों सोमवार की मान्यता अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है।