रायपुर

राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ जी की चातुर्मासिक नगर प्रवेश भव्य शोभायात्रा, सम्पूर्ण मार्ग में छाया गुरुभक्ति का उल्लास, सुज्जित अश्व, ऊंट, ध्वजाएं
12-Jul-2022 12:46 PM
राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ जी की चातुर्मासिक नगर प्रवेश भव्य शोभायात्रा, सम्पूर्ण मार्ग में छाया गुरुभक्ति का उल्लास, सुज्जित अश्व, ऊंट, ध्वजाएं

रायपुर, 12 जुलाई। राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागरजी महाराज एवं डॉ. मुनि श्री शांतिप्रिय सागरजी महाराज के रविवार को ऐतिहासिक नगर प्रवेश के पावन प्रसंग पर प्रात: 8 बजे जैन दादाबाड़ी एमजी रोड से आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा तक भव्य चातुर्मासिक मंगल प्रवेश शोभायात्रा निकाली गई।

जिन शासन और संयम धर्म की जय-जयकार के साथ निकली यह शोभायात्रा दादाबाड़ी से शारदा चौक, जयस्तंभ चौक, मालवीय रोड होते हुए कोतवाली चौक, सदरबाजार सद्दानी चौक से स्टेडियम परिसर पहुंची।
जिसमें संतजनों के सम्मान में मंगल कलश-यात्रा, 108 फिट का पंचरंगी ध्वज, जीवन निर्माण की प्रेरणा देने वाली झंडियां, धार्मिक झांकियां, रंग-बिरंगी वेशभूषा में विधि महिला मंडल, पायलट बाइक्स, सुसज्जित अश्व व ऊंट, खैरागढ़ फोक डांस, लाभार्थी परिवार का रथ, हर्षोल्लास व जय-जयकार करते पंक्तिबद्ध चल रहे श्रावक-श्राविकाएं, पंथी नृत्य, छतरी नृत्य, गरबा, आदिवासी नृत्य, कलश, अष्ट मंगल, मोटिवेशनल कोटेशन के साथ कॉलेज और विद्यालय की बालक-बालिकाएं प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहे।
विशेष रूप से बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे मयूरी नृत्य ने दर्शकों को मुग्ध कर दिया।

वहीं शोभायात्रा के पीछे-पीछे पूरे मार्ग की सफाई के लिए सेवादारियों सहित चल रही ऑटो की सेवा ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया. शोभायात्रा में नगर गणमान्यों में प्रमुख रूप से विधायक गण बृजमोहन अग्रवाल, कुलदीप जुनेजा, विकास उपाध्याय, महापौर एजाज ढेबर, नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे, सुभाष तिवारी व अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए।

जिस घर में हो प्रेम वहां यश व धन मुफ्त में आ जाते हैं: राष्ट:संत श्रीललितप्रभ
साधु-साध्वी और श्रावक-श्राविकाओं  के चतुर्विध संघ के साथ जैसे ही शोभायात्रा स्टेडियम में निर्मित भव्य संबोधि प्रवचन पंडाल पहुंची, श्रद्धालुओं द्वारा संतों का भव्य आत्मीय अभिनंदन कर विधिवत वंदन किया गया। इस प्रसंग पर हुई धर्मसभा में राष्ट:संत श्रीललितप्रभ सागर महाराज साहब ने रायपुर के नाम अपने पहले पैगाम में कहा- लगभग 33 लाख कदम चलकर हम ठेठ जोधपुर से मारवाड़ की धरती से छत्तीसगढ़ आए हैं। मेरी 45 साल की उम्र में जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ, अब तक तो ऐसा होता रहा कि लोग आकर विनती करते रहे और हम चातुर्मास में जाते रहे लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि हमारा मन इसी ओर लगा रहा कि हम खुद छत्तीसगढ़ जाएंगे और वहां जाकर छत्तीसगढ़वासियों की सेवा करेंगे। हम यहां अपने मन से आए हैं, जैसे कोई महिला अपने पीहर की ओर कितने मन से जाया करती है। जितना आनंद भगवान श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद अयोध्या आने पर हुआ था वैसा ही आनंद आज हमें छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक नगरी रायपुर में आकर हो रहा है. यहां आकर हम गौरवान्वित हुए हैं। आज प्रथम उद्बोधन की शुरूआत उन्होंने हिम्मत न हारिए, प्रभु न बिसारिए, हंसते-मुस्कुराते हुए जिंदगी गुजारिए... का सस्वर गायन करते और श्रद्धालुओं से इसे गवाते हुए की। जब श्रद्धालुओं से उन्होंने श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति का अभिनंदन 36 सेकंड तक तालियों से करने का आह्वान किया तो संपूर्ण सभा पंडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा।  

        
सुबह-सुबह द्वार खोलते ही एक महिला को धनदेव, यशदेव और प्रेमदेव के आगमन की एक प्रेरक कथा का दृष्टांत देते हुए संतप्रवर ने कहा कि जिस घर में प्रेम रहता है, वहां यश और धन मुफ्त में चले आते हैं। यह चातुर्मास प्रेम, माधुर्य, मीठी जुबान का, नेक विचारों का सभी के लिए जीवन निर्माण का चातुर्मास है। 50 दिनों की प्रवचनमाला में हमारा यही प्रयास रहेगा कि आपके घरों में प्रेम की गंगा बहे। घर-घर को मंदिर बनाने का हमारा प्रयास सफल-सार्थक हो जाए। ह्यजिंदगी ना बन जाए बला, आओ उससे पहले सीख लें जीवन जीने की कला।ö किसने कहा कि स्वर्ग पाने के लिए मरना पड़ता है, तू जीवन में प्रेम और मिठास भर ले, यहीं जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी। धर्म की शुरूआत आप केवल मंदिर, ठाणा से ही नहीं अपने घर से कीजिए, जहां आप चौबीस घंटे रहते हैं।
दस हजार लोग संत मना हो जाएं यह होगी उपलब्धि: डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर
मंगल प्रवेश के प्रसंग पर डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागरजी महाराज साहब ने कहा कि छत्तीसगढ़ ऐसा सौभाग्यशाली राज्य है, जहां गुरुदेव स्वेच्छा से चले आए हैं। यह चातुर्मास पूरे 36 कौमों के लिए है। हजारों लोग यहां आकर अपने जीवन का कायाकल्प करेंगे. इस चातुर्मास के संदेशों का सुनकर लोग संत बन चुके होंगे यह एक उपलब्धि होगी, किंतु इससे भी बड़ी उपलब्धि तब होगी जब दस हजार लोग अपना जीवन बदलकर संत मना हो जाएंगे। छत्तीसगढिय़ा-सबले बढिय़ा की कहावत पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा- छत्तीसगढिय़ा तभी तक बढिय़ा जब तक नहीं करेंगे गड़बडिय़ां। अपने चंचल मन को साध लेना साधुता है, यदि गुरुदेव का मंत्र मिल जाए तो हमारे मन की दिशा पानी की तरह ढलान में न जाकर ऊपर उठ जाएगी। धर्मसभा को पूज्या साध्वी मंडल से साध्वीवर्या स्नेहयशाश्रीजी महाराज साहब ने भी संबोधित करते हुए सबके जीवन उत्थान में यह चातुर्मास सफलतम बने, ऐसी मंगलकामना व्यक्त की।

धर्मसभा के आरंभ में दीप प्रज्जवलन अतिथिगण विधायक बृजमोहन अग्रवाल, विधायक कुलदीप जुनेजा, विधायक विकास उपाध्याय, निगम के सभापति प्रमोद दुबे द्वारा चातुर्मास समिति के प्रमुख लाभार्थी तिलोकचंद शांतिलाल बरडिय़ा परिवार एवं विशेष लाभार्थी चंद्रीबाई टोडरमल सुरेश कांकरिया परिवार, कमल भंसाली, चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख, प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मूणोत की प्रमुख मंचीय उपस्थिति में किया गया. मंगल प्रवेश प्रसंग पर अभिनंदन गीत की प्रस्तुति गायिका मनाली सांखला ने दी एवं श्रीवर्धमान महिला मंडल के मार्गदर्शन में नन्ही बालिकाओं ने गुरु भक्ति पर आधारित गीत पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुति दी।

दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरडिय़ा व श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया ने स्वागत उद्बोधन देते हुए राष्ट:संतों, साध्वी भगवंतों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। वहीं अतिथियों व चातुर्मासिक आयोजन में सहयोगी बने सभी धर्मप्रेमीजनों का आभार माना। धर्मसभा का ओजस्वी संचालन महावीर तालेड़ा ने किया। धर्मसभा का समापन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख के आभार प्रदर्शन से हुआ। इस अवसर पर बाहर से आए हुए और स्थानीय गणमान्य अतिथियों का श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट व दिव्य चातुर्मास समिति की ओर से स्वागत-सत्कार किया गया।

सर्वधर्म सद्भाव की जागेगी अलख
श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली और ट्रस्टीगण राजेंद्र गोलेछा एवं उज्जवल झाबक ने बताया कि पहली बार रायपुर में चातुर्मास करके पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में प्रेम, शांति, अहिंसा और भाईचारे के बीज बोने की राष्ट:संतों की सद्भावना है। राष्ट:संतों की प्रेरणा से यह ऐतिहासिक चातुर्मास सर्वधर्म सद्भाव के प्रमुख ध्येय पर होने रहा है, जिसमें छत्तीस कौमों की जनता को आमंत्रण दिया गया है। आज ही राष्ट:संत श्री ललितप्रभ सागरजी महाराज ने अपने संबोधन के दौरान प्रत्येक श्रद्धालु को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे अपने-अपने मोबाइल में दर्ज नंबरों में से निकट के चार व्यक्तियों को साथ लेकर इस जीवन जीने की कला पर आधारित प्रवचन सभा में अवश्य साथ लाएं। वे चार व्यक्ति किसी भी जाति, धर्म, पंथ या किसी भी आयु वर्ग के हो सकते हैं।

1 घंटे में सीखें जीने की कला पर सोमवार को होंगे प्रवचन
दिव्य चातुर्मास समिति के अमित मुणोत व कमल भंसाली के अनुसार राष्ट्रसंत सोमवार को सुबह 8:45 बजे बुढ़ापारा स्थित आउटडोर स्टेडियम में 1 घंटे में सीखें जीने की कला विषय पर विशेष प्रवचन देंगे। श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति ने छत्तीसगढ़ के समस्त श्रद्धालुओं को चातुर्मास के सभी कार्यक्रमों व प्रवचन माला में भाग लेने का अनुरोध किया है।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news