रायपुर

प्रदेश में हो रही झमाझम बारिश खारून नदी भी उफान पर
15-Jul-2022 5:44 PM
प्रदेश में हो रही झमाझम बारिश खारून नदी भी उफान पर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 15 जुलाई। राजधानी सहित प्रदेश के नदी नाले उफान पर हैं। मानसून आने के बाद जुलाई में अच्छी बारिश हो रही है। जिसके चलते सुखे पड़े तालाबों का जल स्तर बढ़ा है। राजधानी की जीवनदायनी खारून नदी का भी जल स्तर बढ़ गया है। रूक-रूककर हो रही बारिश से राजधानी के दिन और रात के तापमान में भारी गिरावट देखने को मिला है। मौसम विभाग ने रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर संभाग को यलो जोन में रखा है। जिसके चलते रायपुर जिले और आसपास के शहरों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। प्रदेश के कुछ जगहों पर सुबह से ही बारिश होती रही ।  अगले 24 घंटे में प्रदेश के सरगुजा, बिलासपुर,रायगढ़, मुंगेली, कबीरधाम, जांजगीर चांपा में भारी बारिश  के साथ गरज चमक और वज्रपात होने की संभावना हैं।

मौसम विभाग ने कहा है कि दक्षिण पश्चिम अरब सागर और इससे सटे पश्चिम मध्य अरब सागर में 50-60 किमी. प्रति घंटे से लेकर 70 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की संभावना है. गुजरात तट, मन्नार की खाड़ी, कोमोरिन क्षेत्र और आसपास के दक्षिणपूर्व अरब सागर, उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटों के साथ लगे और उसके बाहरी समुद्र में तेज हवाएं (हवा की गति 40-50 किमी प्रति घंटे से 60 किमी प्रति घंटे तक) चलने की संभावना है।

शनिवार को मध्य छत्तीसगढ़ में भारी बारिश

निम्न दाब का क्षेत्र उत्तर उड़ीसा और उसके आसपास स्थित है, इसके साथ ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवात घेरा 7.6 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। मानसून द्रोणिका जैसलमेर, कोटा, गुना, सागर, जबलपुर, पेंड्रा रोड, निम्न दाब का केंद्र और उसके बाद दक्षिण-पूर्व की ओर पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी तक 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। एक विंड  शियर जोन 19 डिग्री उत्तर में 3.1 किलोमीटर से 7.6 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है।

प्रदेश में कल 16 जुलाई को अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पडऩे की संभावना है। प्रदेश में गरज चमक के साथ एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा भी होने की संभावना है।  वर्षा का क्षेत्र मुख्यत: मध्य और उत्तर छत्तीसगढ़ रहने की संभावना है।

गंगरेल में हर सेकेण्ड 11 हजार घनमीटर पानी की आवक

गंगरेल बांध में प्रति सेकंड 11 हजार पानी की आवक हो रही है। इसके चलते बांध का लेवल 345.23 तक पहुंच गया है। बता दे कि अब तक 32 टीएमसी क्षमता वाले गंगरेल बांध में जलभराव क्षमता का 80 फ़ीसदी पानी भर चुका है। अनुमान लगाया जा रहा है कि बारिश और ज्यादा हुई तो गंगरेल बांध के गेट खोलने की नौबत आ सकती है। इसके साथ ही जिले के सोंढूर, दुधावा और माड्सिल्ली बांध में भी 55 प्रतिशत पानी का भराव हो चुका है। दूसरी ओर भारी बारिश होने से जिला प्रशासन सहित किसानों ने राहत की सांस ली है। इसके साथ ही प्रशासन ने नदी के तटीय इलाके में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के भी निर्देश दिए है।

मौसम में हो रहे बदलाव से हो सकता है मौसमी बुखार

मौसम में हो रहे बदलाव के चलते सर्दी-बुखार का होना सामान्य बात है। लगातार बारिश और उसके बाद होने वाली तेज धूप के चलते वातावरण वायरस के फैलाव के अनुकूल हो जाता है। ऐसे में हुए बुखार को वायरल बुखार या मौसमी बुखार कहा जाता है। भले ही इस तरह के बुखार चार से छह दिनों में स्वयं ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन इससे होने वाली कमजोरी और अन्य समस्याओं का असर कई दिनों तक बना रहता है। मौसम में बदलाव के आते ही इस तरह के बुखार का होना बहुत सामान्य होता है, किन्तु इसे नजऱअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। संचालक, महामारी नियंत्रण डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि इस समय सर्दी-खांसी, जुकाम को ब?ाने वाले इस्पेटरी वायरस, एडिनो, सिनसाइटल आदि वायरस ज्यादा सक्रिय हैं। यह वायरस तभी सक्रिय होते हैं, जब आर्द्रता अधिक होती है। पानी गिरने के बाद निकली धूप वायरस को अधिक अनुकूल मौसम प्रदान करती है। ऐसी स्थिति में वातावरण में मौजूद यह वायरस लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। डॉ. मिश्रा ने बच्चों को इनसे बचाने के लिए उन्हें गंदगी से दूर रखने, बार-बार भीगने से बचाने की सलाह दी है।

उन्होंने बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोषणयुक्त भोजन खिलाने कहा है।

क्यों होता है वायरल फीवर?

मौसम में बदलाव होने के साथ ही हमारे वातावरण में कई प्रकार के वायरस तेजी से ब?ने शुरू हो जाते हैं। जिन लोगों की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनका शरीर इन वायरस से मुकाबला नहीं कर पाता है। लिहाजा उन्हें बुखार और सर्दी-जुकाम जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। बुखार होना एक तरह की सुरक्षात्मक क्रिया है। जब आप किसी वायरस के संपर्क में आते हैं तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर का तापमान ब?ा देती है ताकि वायरस का प्रभाव कम हो जाए।

वायरल बुखार के क्या लक्षण होते हैं ?

वायरल बुखार में सामान्यत: सिरदर्द, बदन दर्द, बुखार का लंबे समय तक बने रहना और दवाओं के प्रयोग से भी बुखार कम न होना प्रमुख है। बुखार के कुछ और लक्षण हैं जैसे जो?ों में दर्द होना, शरीर में दाने निकलना, चेहरा फूल जाना और उल्टियां होना। इस तरह का कोई भी लक्षण दिखाई दे तो फौरन अपने डॉक्टर के पास जाएं। अगर बुखार हो गया है तो पूरी तरह आराम करें। जब तक ठीक नहीं हो जाते, गर्म और तरल भोजन जैसे सूप और खिच?ी खाएं।

बीमार होने पर बिना डॉक्टर के परामर्श के स्वयं एंटीबायोटिक दवा और दर्द दूर करने वाली दवाएं न लें। एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरियां को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, वायरस दूर करने के लिए नहीं। ऐसी दवाएं एसिडिटी और पेट की बीमारियों को आमंत्रित करती हैं। बीमारी से बेहतर महसूस करने के बावजूद डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का कोर्स पूरा करना चाहिए। दवा के कोर्स के बीच में ही एंटीबायोटिक्स लेना बंद कर देने पर बैक्टीरिया प्रतिरोधी क्षमता विकसित नहीं हो पाती। इससे आपके और आसपास के लोगों के एक बार फिर बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका ब? जाती है।

वायरल फीवर से कैसे करें बचाव

उचित खान-पान व नियंत्रित जीवन-शैली से वायरल फीवर कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन इससे होने वाली समस्याओं को ठीक करने के लिए डॉक्टर कुछ दर्द निवारक और एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। वायरल फीवर में शरीर को ज्यादा से ज्यादा आराम दें। अगर गले में खराश या दर्द है तो हल्के गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करना काफी फायदेमंद होता है। गले के दर्द को ठीक करने के लिए हल्के गर्म पानी में शहद और नमक डालकर भी गरारे कर सकते हैं।

बैक्टीरिया से रोकथाम के लिए आवश्यक है कि कीटाणुनाशक लिक्विड हैंडवॉश या साबुन से हाथ बार-बार धोएं। भी?-भा? से दूर रहें और बिना हाथ धोए अपना चेहरा, मुंह और नाक छूने से बचें। बरसात के मौसम में बाहर का कुछ भी तला-भूना खाने से बचें। वायरल बुखार होने पर जब भी खांसी, जम्हाई या छींक आए तो मुंह रुमाल से ढंक लें। शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क कर डॉक्टर की सलाह लेंवे।

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