रायपुर
![मछली पालन नीति परंपरागत मछुआरों के हित में नहीं-धीवर मछली पालन नीति परंपरागत मछुआरों के हित में नहीं-धीवर](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1657975416611842327G_LOGO-001.jpg)
रायपुर, 16 जुलाई। मत्स्य महासमंघ के अध्यक्ष एवं फिस्को फेड के डायरेक्टर रामकृष्ण धीवर ने कहा कि मछुआरा समाज के अंतर्गत (निषाद, केवट, धीवर, ढीमर, भोई, कहार, मल्लाह, नाविक, कश्यप, बिनद, सोन्धियां, बरमन, रैकवार, बाथम आदि) नवीन नई मछली पालन नीति का कैबिनेट में लिया गया निर्णय मछुआरों के हित में नहीं है। धीवर ने एक बयान में कहा कि नीलामी प्रथा की लागू करने से मछली पालन उत्पादन पर 25 प्रतिशत बोनस देने 10 हेक्टेयर से ऊपर के तालाबों को निविदा के माध्यम से महिला स्व-समूह/गौठान समिति मत्स्य कृषक मछुआ समूह को देने की बात कह रहे है। जिसमें मत्स्य कृषक और जन्मजात मछुआरा कौन है? यह स्पष्ट नहीं है और न ही मछुआ का तात्पर्य स्पष्ट है। जबकि जन्मजात वंशानुगत मछुआरों को बेरोजगार, लाचार एवं कमजोर बनाया जा रहा है। धीवर ने कहा कि सबसे बड़ी विडंबना ये है कि पहले ग्राम जनपद वह जिला पंचायतों के द्वारा तालाबों को आबंटन प्राथमिकता के क्रम में सबसे पहले मछुआरा सोसायटी को थी वह अब केवल ग्राम स्तर के 10 हेक्टेयर से कम तालाब ही मिल सकता है।