बस्तर

सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में जैन समाज ने निकाला शांति मार्च
20-Dec-2022 9:32 PM
सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में जैन समाज ने निकाला शांति मार्च

जगदलपुर, 20 दिसंबर। जैन समाज ने झारखंड स्थित जैन संप्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक सम्मेद शिखर जी को तीर्थ स्थल की जगह पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में जगदलपुर में शांति मार्च निकाला और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इसमें बड़ी संख्या में सकल जैन संप्रदाय के मानने वाले महिला पुरुष सम्मिल हुए।

ज्ञात हो कि दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों के बीच सर्वोच्च तीर्थ रूप में विख्यात झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले के मधुबन में स्थित ‘सम्मेद शिखरजी’ में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थकर तपस्या करते हुए निर्वाण पर गए। जिस कारण जैन आचार्यों व समग्र जैन समाज के लोगों के लिए सम्मेद शिखरजी पर्वत का विशेष महत्व है, किंतु झारखंड सरकार द्वारा बिना जैन समाज से आपत्ति या सुझाव लिए ही गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति के लिए पर्यटन स्थल घोषित करने हेतु अनुशंसा की गई।

तत्पश्चात् झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन्य मंत्रालय द्वारा सम्मेद शिखरजी क्षेत्र को पर्यटन एवं वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र घोषित करने से समग्र जैन समाज के लोगों की आस्था को ठेस लगने के साथ ही पूज्य स्थान की पवित्रता भी भंग हुई है।

विधायक रेखचंद जैन ने कहा कि सम्मेद शिखर केवल जैन संप्रदाय के लिए पूजनीय नहीं है अपितु सभी धर्मों के लिए पूजनीय है, इसको पर्यटन स्थल घोषित करने से यहां की पवित्रता भंग हो जाएगी, इसलिए सकल जैन समाज की केंद्र सरकार से मांग है इस पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करने का आदेश वापस लें।

पूर्व विधायक बाफना ने आग्रह करते हुए कहा है कि, आजादी के बाद से अब तक देश के विकास में जैन समाज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गांव से लेकर मेट्रो सिटी तक छोटे-बड़े व्यवसाय, उद्योग के जरिए करोड़ों लोगों को रोजगार प्रदान किया है। साथ ही सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स अदाकर देश की आर्थिक व्यवस्था सुधारने और दिन-प्रतिदिन प्रगति में जैन समाज सबसे आगे है। इसके अलावा समाजसेवा के कार्यों में भी जैन समाज अव्वल है। इसलिए जैन समाज की सम्मेद शिखरजी के प्रति पवित्रता बनाये रखने के लिए एवं दुनिया भर के लाखों-करोड़ों जैन लोगों की धार्मिक भावना का ख्याल रखते हुए तीर्थ को पर्यटन स्थल के रूप में न विकसित करके इसे गरिमामय धर्मस्थल घोषित करें।

एवं इस तपो भूमि की पवित्रता बनाए रखने के लिए सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए।

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