बस्तर
![-7 डिग्री में उत्तराखंड की चोटी पांगर्चुल्ला पर फहराया तिरंगा -7 डिग्री में उत्तराखंड की चोटी पांगर्चुल्ला पर फहराया तिरंगा](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1715443773dp-1.jpg)
राज्य की 14 सदस्यीय टीम में 61 बरस के किशोर भी शामिल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 11 मई। जगदलपुर शहर के 14 सदस्यीय टीम लोगों को जागरूक करने के साथ ही वातावरण के प्रति लगाव को लेकर उत्तराखंड के पहाड़ पर चढ़ तिरंगा फहराया। इस दौरान इस यात्रा के दौरान किस तरह की स्थिति रहती है, उसके बारे में भी जानकारी दी।
जगदलपुर के 61 वर्षीय किशोर पारेख ने बताया कि उत्तराखंड के चमोली जिले की बर्फ से घिरे चोटी पर 6 मई को तिरंगा फहराया गया। दल में कुल 14 सदस्यों ने 15 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित पांगर्चुल्ला की चोटी पर चढ़ाई करने में सफलता पाई और तिरंगा फहराया।
चोटी पर चढऩे के लिए टीम 5-6 मई के दरमियानी रात्रि 1 बजे प्रारम्भ किया गया। बेस कैंप से लगभग 6 किमी की ऊंची चढ़ाई कर बर्फ से घिरे कई पर्वतों को पार कर दल सुबह लगभग 8 बजे पांगर्चुल्ला पहुंचा।
तापमान -7 डिग्री था, लेकिन तेज ठंडी हवाओं के कारण -10 डिग्री का अनुभव दिला रहा था। इस अभियान में युवा, बुजुर्ग व महिलाएं भी शामिल थीं। सभी ने पूरे जोश,उत्साह के साथ अपने इस मुश्किल अभियान को सफल बनाया। अभियान के सदस्यों को मौसम की मार भी झेलनी पड़ी, खराब मौसम और बारिश के कारण इस अभियान को एक दिन के लिए टालना भी पड़ा था।
अभियान के सदस्यों ने पहले दिन दुगासी से चढ़ाई प्रारम्भ की गई, गुलिंग पहुँच दल ने वहीं रात्रि विश्राम किया, अगले दिन गुलिंग से खुल्लारा तक की चढ़ाई गई, यह मार्ग घने जंगलों के बीच से दुर्गम चढ़ाई का था।
अंतत: छठवें दिन दल ने अपना लक्ष्य हासिल किया और 15 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित पांगर्चुल्ला पर चढऩे में सफलता प्राप्त की।
किशोर पारख ने इस अभियान को बेहद रोमांचक और यादगार बताया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति लगाव होने के कारण विगत काफ़ी समय से उनके मन में हिमालय की किसी चोटी पर ट्रेकिंग करने की इच्छा थी, जो अब पूरी हुई। पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ और मित्र डीएस सोलंकी दोनों ने मुझे इस अभियान के लिए काफी प्रभावित किया।
श्री पारेख का कहना था कि यदि हौसला हो तो उम्र बाधा नहीं हो सकती, जज्बा हो तो पहाड़ भी लांघा जा सकता है। उम्र के एक पड़ाव के बाद जब लोग घर परिवार में व्यस्त हो जाते हंै या बीमारी से घिर जाते है, उस उम्र में भी स्वास्थ शरीर हो तो माइनस डिग्री में भी चढ़ाई हो सकती हैं, मैंने वही प्रयास कर सफलता पाई है।