बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 21 दिसंबर। मेकाज के शिशुरोग विशेषज्ञों द्वारा एक बार फिर 22 दिन पहले बेहोशी अवस्था में अपने पिता के कंधे में लदकर आई एक 14 वर्षीय बच्ची की जान बचाने में सफलता मिली है, बच्ची बुखार, झटके व बेहोशी की हालत में अस्पताल लाई गई, जांच में पता चला कि उसके शरीर के विभिन्न अंग काम नहीं कर रहे थे, जिसमें दिमाग, किडनी, लीवर आदि ठीक से काम नहीं कर रहे थे, साथ ही बच्ची को दिल का दौरा भी पड़ा था, जिसे क्रमश मल्टीपल ऑर्गन डिस्फांकशन सिंड्रोम कहा जाता है, साथ में सेप्टिक सॉक डवलप हुआ था, जिसे तुरंत शिशु रोग विभाग के गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया, जहां जांच में बच्ची को जापानी बुखार भी पाया गया, लेकिन डॉक्टरों के साथ ही स्टाफ नर्स की मेहनत रंग लाई, और बच्ची को नया जीवनदान मिला।
बच्ची के पिता चमनलाल ने बताया कि उसकी 14 वर्षीय बच्ची सरिता अचानक 29 नवंबर को बेहोश हो गई, जिसे बेहतर उपचार के लिए लोहड़ीगुडा के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां खराब हालत को देखते हुए उसे मेकाज रेफर किया गया, बच्ची के आने के बाद शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनुरूप साहू के साथ ही डॉक्टर डी एम मंडावी, डॉक्टर पुष्पराज प्रधान, स्टाफ नर्स की टीम इलाज में जुट गई।
प्रारंभिक जांच में पता चला कि बच्ची को दिल का दौरा पडऩे के साथ ही किडनी फेल, दिमाग भी काम नहीं कर रहा था, इसके अलावा जब बच्ची का टेस्ट कराया गया तो उसे जापानी बुखार था, बिना देर किए डॉक्टरों के द्वारा उसका इलाज शुरू करते हुए उसे अपनी निगरानी में रखा गया, लगातार चिकित्सकों के साथ ही स्टाफ नर्स द्वारा इलाज चलता रहा, जहां 20 दिनों की कड़ी मेहनत के चलते बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ हो गई, जिसे बुधवार को छुट्टी दे दिया गया, वही बच्ची के ठीक होने पर परिजनों ने डॉक्टर के साथ ही स्टाफ नर्स को धन्यवाद ज्ञापित भी किया।
जापानी बुखार के बारे में डॉक्टर श्री मंडावी ने बताया कि जापानी बुखार बस्तर के अंदरूनी इलाकों में पाया जाता है, जिसके लिए इस बीमारी से बचाने के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत सभी अस्पतालों में टीका 9 माह के साथ ही 16 से 24 माह के बीच निशुल्क लगाया जाता है, साथ ही किसी बच्चे को बुखार, झटके व बिहोश होने को नजर अंदाज ना करे तुरंत नजदीकी स्वास्थ केंद्र या फिर नजदीकी अस्पताल बिना देर किए ले जाए।