बस्तर

आरएसएस बौद्धिक रूप से लाचार, मोदी कूटनीतिज्ञ पर हिंदुत्ववादी नहीं - निश्चलानंद सरस्वती
08-Feb-2023 3:50 PM
आरएसएस बौद्धिक रूप से लाचार, मोदी कूटनीतिज्ञ पर हिंदुत्ववादी नहीं - निश्चलानंद सरस्वती

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 8 फरवरी।
नगर के लालबाग मैदान में हुई धर्मसभा में जगद्गुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सनातन धर्म की विज्ञान के युग महत्ता समझाते हुए कहा कि धर्म में व्यापकता है, जिसे विज्ञान अभी समझने का प्रयास कर रहा है परन्तु एक निश्चित सीमाओं में ही सीमित है।

गोवर्धन मठ पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती  महाराज ने कहा कि हर व्यक्ति को यह जानना जरूरी है कि हमारी आखिरी सिद्धि क्या है। इसका जवाब यह है कि हम अपना गंतव्य स्वयं हैं, लेकिन हमको हम तक पहुंचने के लिए जो रास्ता है वही सबसे कठिन व दुर्गम रास्ता है। इस रास्ता पर जो सिद्धि पा लेता है, उसका जीवन सफल रहता है।

मंगलवार को उन्होंने कहा कि भागवत गीता में तीन चक्षु यानी नेत्र का वर्णन है। इनमें पहला चक्षु स्व चक्षु है, जबकि दूसरा चक्षु दिव्य चक्षु तथा तीसरा चक्षु ज्ञान चक्षु होता है। इस समय हम स्व चक्षु निर्वहन करते हैं। उन्होंने कहा कि इन तीनों चक्षुओं से हम परिचित हैं, इस पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। धर्मसभा का आयोजन आदित्य वाहिनी जिला बस्तर के द्वारा किया गया था, बड़ी में संख्या में बस्तर संभाग से श्रद्धालु धर्मसभा में पूज्य शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का प्रवचन सुनने आए थे।

आरएसएस प्रमुख के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया, कहा आरएसएस लाचार
प्रवचन के पश्चात मीडिया से बात करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के प्रश्न पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वर्ण व्यवस्था समाज के लिए आवश्यक है, उसी तरह जैसे मानव शरीर में कार्य करने वाले अंगों के अलग अलग कार्य हैं, बिलकुल उसी तरह वर्ण व्यवस्था स्थापित है ।

आरएसएस प्रमुख पर तंज करते हुए शंकराचार्य जी ने कहा कि यदि वर्ण व्यवस्था पंडित की बनाई हुई तो पंडित का उल्टा मूर्ख होता है, तो इसका मतलब मूर्खों ने वर्ण व्यवस्था नहीं बनाई ।
उन्होंने कहा कि सिखों के पास अपना धर्म ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब है, ईसाइयों के पास बाइबिल है और मुसलमानों के पास कुरान है परंतु आरएसएस इतनी लाचार है कि उसके पास कोई धर्म ग्रंथ नहीं है इसलिए आरएसएस के पास ज्ञान विज्ञान का बल नहीं है, इसी वजह से वो अज्ञानता भरे बयान देते हैं ।

प्रधानमंत्री को बताया कुशल कूटनीतिज्ञ
प्रधानमंत्री मोदी के संदर्भ में एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि मोदी जी कूटनीति की 5 कलाओं में। निपुण हैं इसलिए वो राजनीति में इतने सफल हैं और देश विदेश में विख्यात हैं परंतु मोदी जी को वो हिंदुत्ववादी नेता नहीं मानते। उन्होंने कहा कि यदि वो गौ सेवकों को गुंडा बोलना छोड़ कर देश में गौ हत्याओं पर रोक लगाएं तो अवश्य वो हिंदूवादी हो सकते हैं ।

उन्होंने कहा कि कोई मुख्यमंत्री जो गौ हत्या और धर्मांतरण का समर्थक न हो तो वो राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त नहीं कर सकता इसी तरह कोई प्रधानमंत्री जो गौ हत्या और धर्मांतरण का समर्थक न हो वो वैश्विक स्तर पर ख्याति नहीं प्राप्त कर सकता ।
मोदी जी को आत्म मंथन करना चाहिए क्या वो स्वयं इन्हीं दुर्गुणों की वजह से तो प्रसिद्ध प्राप्त नहीं कर रहे हैं ? शंकराचार्य ने कहा कि वो कोई निर्णय नहीं दे रहे हैं वो एक प्रश्न उठा रहे हैं जिस पर मोदी जी को आत्म निरीक्षण करना चाहिए ।

योगी आदित्यनाथ और हेमंता विस्वा सरमा को बताया सत्यनिष्ठ और हिंदूवादी
जगतगुरु शंकराचार्य ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और असम के मुख्यमंत्री के प्रशंसा करते हुए कहा कि यह दोनों मुख्यमंत्री ब्राह्मण और क्षत्रिय हैं और दोनों ही सत्यनिष्ठ हैं, तथा ‘खाऊ’  नहीं हैं । उन्होंने कहा दोनों ही धर्मनिष्ठ और सनातन के सच्चे सेवक हैं और प्रांत की उन्नति के लिए कार्य कर रहे हैं।

बागेश्वर धाम पर कहा कि वो हिंदुओं को भटकने से बचा रहे हैं
बागेश्वर धाम पर जगतगुरु ने कहा कि वो जो कर रहे हैं उससे हिंदुओं का भटकाव रुकता है इसलिए ये अच्छी बात है अन्यथा हिंदू इधर उधर भटकते रहते हैं, धर्मातरण पर उन्होंने कहा कि हमें प्रथम सेवा कार्य और द्वितीय में सेना निर्माण करना होगा, जिससे धर्मांतरण भी रुकेगा और हम सशक्त भी होंगे।

नक्सलवाद के जिम्मेदार बीजेपी-कांग्रेस
बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे की बात पर उन्होंने व्यंगात्मक लहजे में कहा कि सत्ता रूढ़ और विपक्षी दल इससे हाथ खींच लें तो वो बचे हुए नक्सलवाद को खत्म कर देंगे ।

राजनीतिक पार्टियां नहीं चाहती कोई नए हिंदूवादी राजनीतिक दल का उदय
शंकराचार्य ने हिंदुराष्ट्र के सवाल पर कहा कि कांग्रेस वर्षों शासन किया पर किसी मुस्लिम राजनीतिक दल का उदय नहीं होने दिया उसी तरह वर्तमान में किसी हिंदुत्ववादी राजनीतिक दल का उदय नहीं होने दिया जाएगा क्योंकि स्थापित राजनीतिक दल नहीं चाहते के उनके वोटबैंक में किसी तरह की बाधा उत्पन्न हो।

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