बस्तर

नड्डा हैं सूट-बूट की सरकार के हाथों की कठपुतली-जावेद खान
12-Feb-2023 4:01 PM
नड्डा हैं सूट-बूट की सरकार के हाथों की कठपुतली-जावेद खान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
जगदलपुर, 12 फरवरी।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बस्तर दौरे को लेकर भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जावेद खान ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उन पर तीखा हमला बोला है।

जावेद ने जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर सूट-बूट की सरकार के हाथों की कठपुतली होने का तंज कसते हुए कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार लगातार देश के गरीबों के साथ कुठाराघात कर रही है। गरीब को और गरीब और अमीर को और अमीर बनाने का काम कर रही है। यह बात वर्तमान में आए देश के बजट से स्पष्ट हो जाती है केंद्र में जब यूपीए की सरकार थी तब गरीबों को भोजन का अधिकार देने खाद्य आपूर्ति हेतु यूपीए सरकार बजट में 100 में 7 खाद्य आपूर्ति के लिए रखती थी। पिछले वर्ष तक मोदी सरकार इस निधि में 1 की कटौती करते हुए 6 प्रति वर्ष रखती आई थी परंतु इस वर्ष के बजट में इस राशि को 2 और घटाकर मात्र 4 कर दिया गया है जो गरीबों के हक के साथ कुठाराघात है।

जावेद ने आगे कहा है यूपीए की सरकार के दौरान कारपोरेट जगत को 100 में 38 टैक्स देना पड़ता था वही मध्यमवर्ग को 26 और जनसाधारण के लिए 23 बजट में प्रावधान किया जाता था परंतु वर्तमान बजट में अपने औद्योगिक मित्रों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से टैक्स के स्लैब को पूरा उल्टा कर दिया गया है कुल मिलाकर इस सूट-बूट की सरकार के द्वारा औद्योगिक घराने को फायदा देकर उसकी भरपाई जन साधारण से करने पर उतारू हो गई है बावजूद इसके भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा खामोश है।

जावेद ने इस बजट में मनरेगा की राशि को भी कम करने को लेकर केंद्र सरकार और जेपी नड्डा पर तंज कसा है। जावेद ने कहा लॉकडाउन के दौरान देश की जनता के लिए लाइफ लाइन का काम करने वाली मनरेगा स्कीम  के बजट में ऐतिहासिक कटौती की है अब तक की सरकारें मनरेगा पर 100 में से 2 खर्च करती आई है परंतु इस वर्ष के बजट में इस 2 में से 70 पैसे की कटौती करते हुए इसे 1.30 पैसा कर दिया गया है जो कहीं ना कहीं देश के गरीबों के साथ अत्याचार है बावजूद इसके जेपी नड्डा खामोश है। जेपी नड्डा बस्तर आए हैं उनका हम स्वागत करते है, परंतु जिस नीयत से वह बस्तर आए हैं उस पर वह कभी सफल नहीं हो पाएंगे, जो अपने गृह प्रदेश में जीवित सरकार को बचाने में नाकामयाब रहे वो छत्तीसगढ़ में मृत हो चुकी भाजपा में जान फूंक दें यह पूरी तरह से कोरी कल्पना मात्र के सिवा कुछ और नहीं है।

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