मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

बैटरी चलित ट्रायसिकल पाकर खिले दिव्यांगों के चेहरे
15-Feb-2023 3:12 PM
बैटरी चलित ट्रायसिकल पाकर खिले दिव्यांगों के चेहरे

राधेश्याम खेडिय़ा सेवा संस्थान का नेक प्रयास सराहनीय

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 15 फरवरी।
स्थानीय खेडिय़ा टॉकीज में राधेश्याम खेडिय़ा सेवा संस्थान बिजुरी के द्वारा संचालित नि:शुल्क भोजन वितरण के एक साल पूरा होने पर दिव्यांगों को ट्रायसिकिल का वितरण किया गया। कार्यक्रम में सरगुजा आईजी रामगोपाल गर्ग, कलेक्टर एमसीबी पीएस धु्रव, एसपी टीआर कोशिमा, एसडीएम अभिषेक कुमार, अपर सत्र न्यायाधीश मानवेंद्र सिंह एवं नपाध्यक्ष प्रभा पटेल शामिल हुए।

इस अवसर पर अतिथियों के द्वारा वार्ड क्र. 14 निवासी मीना यादव, वार्ड क्र. 8 निवासी दीनबंधु विश्वकर्मा एवं वार्ड क्र. 21 निवासी मनबोधराम को राधेश्याम खेडिय़ा सेवा संस्थान द्वारा बैटरी चलित ट्राइसिकिल का वितरण किया गया। बैटरी चलित ट्रायसिकिल पाकर दिव्यांगों के चेहरे पर खुशी साफ तैरती नजर आई। संस्थान के कैलाश खेडिय़ा ने बताया कि जरूरतमंदों को नि:शुल्क भोजन के साथ संस्थान के प्रयासों से प्रति माह एक दिव्यांग को ट्रायसिकिल प्रदाय की जाएगी। संस्थान के इस पुनीत प्रयास की हर वर्ग ने सराहना की है। ट्रायसिकिल वितरण के दौरान कैलाश खेडिय़ा, मनोज कक्कड़, बलवीर सिंह अरोरा, श्याम सुंदर पोद्दार, जसपाल सिंह कालरा सहित बड़ी संख्या में नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कौशल अरोरा के द्वारा किया गया।

दिव्यांग मनबोध ने संस्थान को किया प्रभावित
पैरों से दिव्यांग वार्ड क्र. 21 निवासी मनबोध राम मनेंद्रगढ़ में राधेश्याम संस्थान द्वारा संचालित नि:शुल्क भोजन ग्रहण करने के लिए रोजाना बैसाखी के सहारे किसी प्रकार पहुंचते थे। दिव्यांग की परेशानियों को देखते हुए संस्थान द्वारा उन्हें ट्रायसिकिल उपलब्ध कराई गई, लेकिन 2 दिनों के बाद मनबोध राम के द्वारा संस्थान को यह कहते हुए कि उक्त ट्रायसिकिल लौटा दी गई कि किसी अन्य जरूरतमंद को प्रदान कर दी जाए, क्योंकि शारीरिक कमजोरी की वजह से वह उसे चला पाने में पूरी तरह असमर्थ है। संस्थान के कैलाश खेडिय़ा ने कहा कि मनबोध की बातों ने उन्हें इस कदर प्रभावित किया कि उन्होंने संस्थान की ओर से उसे बैटरी चलित ट्रायसिकिल उपलब्ध कराने की ठान ली। वे कहते हैं कि मनबोध चाहता तो ट्रायसिकिल जिसे वह चला पाने में असमर्थ था किसी अन्य को बेच भी सकता था, लेकिन उसने ईमानदारी से अपनी वेदना बताई और आज संस्थान के द्वारा उसे बैटरी चलित ट्रायसिकिल प्रदाय कर उसके साथ संस्थान भी प्रफुल्लित है।

6 साल से ट्रायसिकिल के लिए चक्कर काट रही थी मीना
पूरी तरह से दिव्यांग होने व फेफड़े की बीमारी से ग्रसित होने की वजह से लकड़ी का सहारा लेकर चल रही 34 वर्षीया दिव्यांग महिला मीना यादव पिता धनीराम यादव पिछले 6 सालों से बैटरी चलित ट्रायसिकिल के लिए अफसरों के पास चक्कर काट रही थी। उसे ट्रायसिकिल इसलिए प्राप्त नहीं हो पाई, क्योंकि उसे 70 प्रतिशत का ही दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्राप्त है। अफसरों का कहना था कि बैटरी चलित ट्रायसिकिल के लिए 80 फीसदी दिव्यांग होना जरूरी है। आज सामाजिक संस्था राधेश्याम खेडिय़ा सेवा संस्थान बिजुरी के प्रयासों से बैटरी चलित ट्रायसिकिल मिलने से मीना के चेहरे पर खुशी झलक रही थी। उसने संस्था के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उसके पिता मजदूरी करते हैं वहीं माँ दूसरों के घरों में चौका-बर्तन कर रही है, लेकिन ट्रायसिकिल मिलने के बाद वह अपने माता-पिता पर बोझ नहीं बनेगी और अब वह भी उनका सहारा बनेगी।

बिजुरी, मनेन्द्रगढ़ में नि:शुल्क भोजन
स्व. राधेश्याम खेडिय़ा ने मध्यप्रदेश के बिजुरी से नि: शुल्क भोजन की शुरुआत की। यहां 2001 से नि:शुल्क भोजन रोजाना सुबह 8 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक कराए जाते है। कोई भूखा न रहे इसी मकसद को आगे बढ़ाते हुए पिछले साल बसंत पंचमी से स्व. राधेश्याम खेडिय़ा के भाई कैलाश खेडिय़ा और उनके पुत्र विकास खेडिय़ा मनेद्रगढ़ के खेडिय़ा टाकीज में सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक जरूरतमंदों को परोस रहे हैं।

नेत्र शिविर का अर्ध शतक
खेडिय़ा परिवार द्वारा बीते 50 साल से बिजुरी में नेत्र शिविर का आयोजन किया जा रहा है। हर साल होने वाले इस नेत्र शिविर में मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य के लोग आते है यहां उनके आंखों के चेकअप के अलावा। आंख के ऑपरेशन, नेत्र रोग की दवाईयों के अलावा आंखों के चश्मे भी नि:शुल्क प्रदान किये जाते है। हर साल जनवरी माह में यह नेत्र शिविर आयोजित होता है।

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