मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 21 अप्रैल। अगले सप्ताह से रिजल्ट आने प्रारंभ हो जाएंगे। माता-पिता, शिक्षकों, बच्चों के लिए यह महत्वपूर्ण समय है। कुछ बच्चे चहकेगें कुछ उदास हो जायेगें। कुछ माता-पिता अज्ञानता के कारण बच्चों पर मानसिक प्रताडऩा देना प्रारंभ कर देंगे, इससे खतरनाक नतीजे होंगे।
शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (शिक्षा विभाग) के शिक्षक टी. विजय गोपाल राव ने बयान जारी कर कहा कि रिजल्ट के दौरान माता-पिता की ओर से बच्चों को प्रोत्साहित करने उनकी सराहना करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता अनुचित रूप से बहुत अधिक अपेक्षा रखते हैं। परीक्षा परिणाम अपेक्षानुरूप न आना तनाव का कारण बनता है जिसके खतरनाक नतीजे होते हैं। रिजल्ट आने पर बच्चों से बात करें कि परीक्षा परिणाम जिंदगी से बड़ा नहीं होता है। हर बच्चे की क्षमता अलग-अलग होती है। पालक क्षमता को समझें, बताये कि बहुत सफल और काबिल लोग के रिजल्ट भी हमेशा अच्छे नहीं रहें है। बच्चे और रिजल्ट की तुलना अन्य बच्चों से करने पर मनोबल टूट जाता है और निराशा हो जाते हैं। सबको 100 प्रतिशत अंक नहीं मिल सकता है।
शिक्षक राव ने कहा कि जिस बच्चे से आप तुलना कर रहे हैं उनके नंबर भी किसी से कम होंगें। बच्चों को डांटने की बजाय प्रोत्साहित करें, उसे लगे कि माता-पिता उनके साथ हैं। इससे बच्चे मजबूती से आगे बढ़ेंगें। माता-पिता भी तनाव मुक्त रहें इससे बच्चे भी तनाव मुक्त रहेंगें। उन्हें ताना न मारें, अपनी भड़ास न निकालें इससे बच्चों के कोमल मन में बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि बच्चों का जीवन अनमोल है, भविष्य उज्जवल है, अगर अच्छा रिजल्ट नहीं आता है तो नौकरी करने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनें। बच्चों को समझना है कि बोर्ड का रिजल्ट जीवन की आखिरी परीक्षा नहीं है। परीक्षाएं आते-जाते रहते हैं, जिंदगी चलती रहती है। नौकरी के इंटरव्यू में नंबर कोई नहीं पूछता आपकी काबिलियत देखी जाती है। अंत में उन्होंने कहा कि बच्चे अंकों या फेल होने से इतना नहीं घबराते जितना की माता-पिता की उम्मीद, डांट आलोचना आदि से घबराते हैं, इसलिए हर परिस्थिति में बच्चों से जुड़े रहें सहारा दें, उनका मनोबल बढ़ाएं।