रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 11 मई। पर्यावरण मित्र शहर में फ्लाई ऐश डस्ट से काली होती जन जीवन को लेकर रायगढ़ कलेक्टर, पर्यावरण विभाग सहित सचिव पर्यावरण मंत्रालय नई दिल्ली सहित संबंधित तमाम अधिकारियों को प्रेषित किया है। पर्यावरण मित्र के द्वारा शहर से 20 किमी के दायरे में स्थापित शिव शक्ति प्रा लि, मां मंगला स्टील और शाकम्बरी स्टील प्रा लि के खिलाफ दस्तावेजी अध्ययन उपरांत नियमों की अनदेखी कर जल जंगल जीवन पर पड़ते विपरीत प्रभाव को लेकर शिकायत कर कड़ी करवाई की मांग की गई है।
20 किमी के दायरे में स्थापित शिव शक्ति प्रा लि, मां मंगला स्टील और शाकम्बरी स्टील प्रा लि द्वारा चारों दिशाओं में स्थित गांव से लेकर शहरी क्षेत्र तक में उद्योगों के फ्लाई ऐश डस्ट उडक़र घरों में पहुंच रहे है। इससे वर्तमान में अनेक बीमारियां फैल रही हैं जिसमें खुजली दमा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां जन्म ले रही है।
रायगढ़ शहर से 20 किमी के दायरे में स्थापित शिव शक्ति प्रा लि, मां मंगला स्टील और शाकम्बरी स्टील प्रा लि स्थापित हैं इनके द्वारा पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर प्रदूषण फैलाया जा रहा है। यहां तक शहर के 48 वार्ड है, जिसमें से कोई भी अछूता नहीं है ऐसा कोई घर नहीं बचा है जहां इन उद्योगों की काली राख घरों तक नहीं पहुंच रही है। पत्र में पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने लिखा है की घर में बिना चप्पल के चलने पर पूरे तलवे काले हो जाते हैं। पेड़ पौधे काले हो चुके हैं पूरे शहर में फ्लाई ऐश की बारिश हो रही है।
रायगढ़वासी इन उद्योगों के धुएं और फ्लाई ऐश डस्ट की वजह से परेशान है। उद्योगों द्वारा लापरवाही पूर्वक फैलाए जा रहे प्रदूषण पर पर्यावरण विभाग का
एक प्रतिशत भी ध्यान नहीं है। रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि 33 प्रतिशत जमीन पर ग्रीन बेल्ट विकसित किया जाना है, लेकिन इन उद्योगों द्वारा ग्रीन बेल्ट का विकास सिर्फ कागजों पर दिखाया गया है। ग्रीन बेल्ट की जांच एक टीम बनाकर कराए जाने की मांग की गई है। इतना ही नहीं इन उद्योगों द्वारा बोर का उपयोग का अवैध तरीके से भूजल का दोहन कर रहे जहां न तो पानी के उपयोग को लेकर कोई मीटर लगाया गया है। इससे सरकार को जलकर के रूप में मिलने वाली लाखो रु की टैक्स की भी चोरी की जा रही है। उद्योगों द्वारा महज 5 प्रतिशत जमीन पर चंद पेड़ लगाकर ग्रीन बेल्ट बता रहे है। इसकी भी समुचित जांच होनी चाहिए। उद्योगों के द्वारा फ्लाई ऐश और स्लैग का निस्तारण सीमेंट प्लांट, ईट भ_े, सडक़ बनाने में खपत करना बताया जाता है जबकि उद्योगों द्वारा लाखो टन फ्लाई ऐश रातों रात गांव में डंप कर दिया जाता है।
फ्लाई ऐश सीमेंट फैक्ट्री ईट भ_ों सडक़ बनाने में दिया जाना बताया जाता तो उसकी भी उद्योगों के खाते की जांच की जाए कब कब और किनको किनको दिया गया। उद्योगों द्वारा वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण की मॉनिटरिंग के लिए ऑन लाइन मॉनिटरिंग सिस्टम भी नहीं लगाया गया है जहां लगाया गया भी है तो उसमे छेडख़ानी की जाती है। इन तमाम बिंदुओं पर जांच किया जाए और जांच में सही पाए जाने पर इन उद्योगों में तालाबंदी की जाए और भारी भरकम जुर्माना लगाया जाए ताकि जन जीवन जल जंगल जमीन सुरक्षित हो सके।