धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरूद, 22 जुलाई। अनादिकाल से छत्तीसगढ़ की यह पावन धरा माता कौशल्या की जन्म स्थली रही है, इस नाते प्रभू श्रीराम आप सबके भांचा राम हुए, इसलिए यहां राम की विशेष कृपा है । पिछले सालों में हुए वन गमन पथ, कौशल्या मंदिर निर्माण जैसे कामों से इस प्रदेश की कृति धर्म जगत में बढ़ी है। उक्त विचार तीसरे दिन की रामकथा कहते हुए व्यास पीठ से जगद्गुरु रामस्वरूपाचार्य ने व्यक्त किया।
पुरानी मंडी प्रांगण कुरुद में शुक्रवार को सीता स्वयंवर प्रसंग की कथा सुनाते हुए चित्रकूट धाम से आये कथावाचक ने महिलाओं पे बढ़ते अत्याचार की ओर समाज का ध्यान आकृष्ट कराते हुए मणीपुर की घटना को देश के लिए शर्मशार कर देने वाली बताते हुए इसकी निन्दा की। उन्होंने भ्रूणहत्या को सबसे बड़ा पाप बताते हुए कहा कि जिस घर में कन्या का जन्म होता है वहां ईश्वर की कृपा बरसती है, बेटी का मोल धन दौलत से बढक़र होता है, यही है जो दो कुलों को जोडऩे पूल का काम करती है, यदि बेटियां ही नहीं होगी तो सृष्टि का अंत निश्चित है।
नीलम फ्रैंड्स क्लब संरक्षक नीलम चंद्राकर एवं परिवार जनों द्धारा आयोजित पांच दिवसीय रामकथा एवं रुद्राभिषेक कार्यक्रम में कथा वाचक ने बताया कि भगवान राम ने अहंकार के प्रतीक धनुष को तोडक़र माता सीता से विवाह रचाया इस प्रसंग से हमें यह सीखना चाहिए कि नेतृत्वकर्ता को अहंकार और भेदभावपूर्ण व्यवहार से मुक्त होना चाहिए नहीं तो उसका पतन तय है। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग को पर्यावरण से छेड़छाड़ का परिणाम बताते हुए सभी को इस सावन में पौधरोपण कर इसके संरक्षण का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया। राम-सीता विवाह का सजीव चित्रण देख अभीभूत हजारों श्रद्धाल बराती और घराती बन मंगल गीत में नाच गाकर खुशियां मनाई।
कथा सुनने प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष बिरेश ठाकुर पूर्व राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा, प्रतिभा चंद्राकर, नपं अध्यक्ष राखी तपन चंद्राकर, जनपद अध्यक्ष शारदा साहू, मदन मोहन खंडेलवाल, गोपाल शर्मा, प्रभातराव मेघावाले, आनंद पवार, सुमन संतोष साहू, अशोक पवार, चन्दुलाल, पुरषोत्तम चंद्राकर, प्रहलाद चंद्रकार, प्रमोद साहू, आशीष शर्मा, मुकेश कोशरे, कृष्णकांत साहू, चन्द्रशेखर, कुलेश्वर चंद्राकर, गीताराम सिन्हा, नेहा सिंग, दामनी चंद्राकर, अमरदीप साहू, दीनबंधु चंद्राकार, मनीष चंद्राकर, रामायण लाल साहू, शिवदत्त तिवारी, झरना साहू, रमेश केला, रामा बंजारे, नारायण साहू, पदमलता चंद्रकार, गोविंद साहू, त्रिवेणी साहू, ईश्वरी तारक, पंकज केला, विश्वनाथ साहु, नरेंद्र चंद्राकर, छत्रपाल साहू सहित हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी ।