सूरजपुर

आध्यात्मिक समागम का आयोजन
10-Oct-2023 9:42 PM
आध्यात्मिक समागम का आयोजन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

उदयपुर, 10 अक्टूबर। महामना मालवीय मिशन सरगुजा के तत्वावधान में आध्यात्मिक समागम का आयोजन डॉ. प्रभा सिंह शिक्षिका के निवास स्थान पर किया गया। आयोजन का उद्देश्य परिवारिक और सामाजिक संस्कृति विकसित कर समाज में सामाजिक समरसता पैदा करना है ।

इस अवसर पर गीता मर्मज्ञ पं. गौरीशंकर दुबे ने कहा कि गृहस्थ आश्रम में रहते हुए भी व्यक्ति संन्यासी और योगी बन सकता है, व्यक्ति के कर्म में फल पाने का चाहत न हो, कर्म को पूजा मानकर अपने गृहस्थ जीवन के कर्मों का सम्पादन करना चाहिए। यदि भारतवर्ष के हर नागरिक ऐसा करने लगे तो भ्रष्टाचार जैसी समस्या खत्म हो जाएगी।

सुनिल दत्त पाण्डेय ने कहा कि योग में आरूढ़ होने की इच्छा वाले मननशील व्यक्ति के लिए योग की प्राप्ति में निष्कामभाव से कर्म करना ही हेतु कहा गया है।  ब्रह्म शंकर सिंह ने कहा कि व्यक्ति जब योगारूढ़ हो  कर्म करता है तो उसके कर्मों में सर्वसंकल्पों का अभाव हो जाता है अर्थात वह उसका व्यवहारिक गुणधर्म बन जाता है । इसी कहा जाता है कि कर्म करो फल ईश्वर देगा ।

ललित मोहन तिवारी ने कहा कि जिस काल में न तो इन्द्रियों के भोगों में और न कर्मों में आशक्त होता है उस काल में सर्वसंकल्पों का त्यागी पुरूष को योगारूढ़ कहा जाता है ।

 गीता द्विवेदी ने अपने जीवन खण्ड़ की मार्मिक और प्रेरक प्रसंगों का उदाहरण देते हुए कहा कि गीता महाकाव्य को अध्ययन करते समय व्यक्ति को अपने दैनिक कर्मों पर विचार करना चाहिए , क्या मैं आज जो भी कर्म किया हुं वह समाज कल्याण की दृष्टि कितना सार्थक है ऐसे तथ्यों का मनन करने से व्यक्ति में सत्तोगुण का समावेश होगा जिसके प्रभाव से व्यक्ति सात्विक बन जायेगा। डॉ. प्रभा सिंह ने कहा कि कर्मपरायणता और कर्मनिष्ठा से किया गया कार्य जनकल्याणकारी होगा। राम नारायण शर्मा ने गीता महात्म्य की व्याख्या की।

रणविजय सिंह तोमर ने व्यक्तिगत सुखों को त्याग करने की बात कही, राज कुमार गुप्ता ने  व्यक्ति के समभावी चरित्र पर बल दिया। सारिका मिश्रा ने अपने संगीतमय प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया।

कविवर प्रकाश कश्यप और दोहाकार मुकुन्दलाल साहु ने अपनी प्रेरणादायी रचना प्रस्तुत किये।

कार्यक्रम का संचालन पं. राज नारायण द्विवेदी के द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन सुरेन्द्र गुप्ता ने किया। डॉ.बी.के.सिंह श्रीमती शीला विश्वकर्मा आर.एन.अवस्थी ने भी विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम में देवेन्द्र दुबे, दुर्गा प्रसाद तिवारी, अशोक सोनकर, मदनमोहन मेहता, बी.एल.गुप्ता, हरिशंकर सिंह, अंजनी सिन्हा, सच्चितानंद पान्डेय, अजय कुमार तिवारी आदि सहभागी रहे ।

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