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शारदीय नवरात्र आज से, देवी मंदिरों में प्रज्वलित होंगे आस्था के दीप
14-Oct-2023 8:39 PM
शारदीय नवरात्र आज से, देवी मंदिरों में प्रज्वलित होंगे आस्था के दीप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर,14 अक्टूबर। शारदीय नवरात्र रविवार से शुरू हो रहा है। आदिशक्ति मां महामाया मंदिर, गांधी चौक स्थित दुर्गा मंदिर शक्ति पीठ, पुलिस लाइन स्थित गौरी मंदिर, काली माता मंदिर सहित विभिन्न देवी मंदिरों में ज्योति कलश स्थापित होंगे।

नवरात्र की तैयारियों को लेकर मुख्य बाजार सज गए हैं। बाजारों में श्रद्धालु माता की चुनरी और सोलह शृंगार सामग्री की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। रविवार को विधिविधान के साथ कई भक्त अपने घरों में  कलश स्थापित करेंगे।

शारदीय नवरात्रि का नौ दिवसीय पवित्र पर्व रविवार को घटस्थापना के साथ ही शुरू हो जाएगा। माता के भक्त नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। इस दिन लोग माता की चौकी, अखंड ज्योति व देवी प्रतिमा भी स्थापित करते हैं।

उधर, नवरात्र को लेकर अंबिकापुर शहर भर के मंदिरों में विशेष तैयारियां की गई हैं। कई संगठनों की ओर से जहां धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे, वहीं हर रोज मंदिर में सुबह-शाम विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। रविवार को नवरात्र की पूजन सामग्री के लिए शहर के मुख्य बाजारों से लेकर छोटे बाजरों में रौनक देखने को मिली।

शक्ति आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र पर देवी दुर्गा की पूजा और साधना की जाती है। इसके अलावा देवी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। हिंदू धर्म में देवी दुर्गा जो माता पार्वती का ही स्वरूप हैं, उन्हें महाशक्ति के रूप में पूजा जाता है।नवरात्र में घट स्थापना का विशेष महत्व होता है।

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर रविवार के दिन से हो रही है। ऐसे में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 21 मिनट से सुबह 10  बजकर 12 मिनट तक रहेगा। वहीं, घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12.30 मिनट तक रहने वाला है।

शुभ मुहूर्त में विधि-विधान के साथ स्थापित किया गया कलश साधक के परिवार में सुख, संपन्नता और आरोग्य लेकर आता है। घट स्थापना के लिए आप मिट्टी, सोना, चांदी या तांबे के कलश का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन इनके स्थान पर लोहे या स्टील के कलश का उपयोग करना शुभ नहीं माना जाता कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है।

आज सुबह छह बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 19 मिनट तक कलश स्थापना किया जा सकता है, जबकि नवरात्र का समापन दशमी तिथि और दशहरे पर्व के साथ होगा। कहा कि हिंदू धर्म में नवरात्र पर्व मां शक्ति की पूजा-उपासना के लिए विशेष माना गया है।

 हाथी पर सवार होकर होगा मां आगमन

हिंदू पंचांग के अनुसार, सालभर में कुल चार नवरात्र आते हैं। दो गुप्त नवरात्र, एक चैत्र नवरात्र और एक शारदीय नवरात्रि। सभी नवरात्र में शारदीय और चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व होता है। नवरात्र के दिनों में देवी दुर्गा हिमालय से पृथ्वी लोक में आती हैं और अपने भक्तों के घरों में नौ दिनों के लिए विराजमान होती हैं। इस बार माता का आगमन हाथी पर सवार होकर होगा।

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