सरगुजा

तेंदूपत्ता तोड़ते 2 पर भालू का हमला, गंभीर
09-May-2024 7:43 PM
तेंदूपत्ता तोड़ते 2 पर भालू का हमला, गंभीर

24 घंटे के अंतराल में दो गांवों की घटना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
उदयपुर,9 मई।
बुधवार की शाम को ग्राम झिरमिटी में एवं गुरुवार की सुबह घाटबर्रा के पेंड्रामार जंगल में भालुओं के हमले से दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों ही घायलों का उपचार जिला चिकित्सालय अंबिकापुर में चल रहा है। एक की हालत काफी गंभीर होने से उसे रायपुर भेजा जा रहा है। दोनों तेंदूपत्ता तोडऩे गए थे।

पहली घटना के संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार दिन बुधवार को शाम 6 बजे करीब ग्राम झिरमिटी के अजय ठाकुर के परिवार के लोग तेंदूपत्ता तोड़ कर इक_ा कर रहे थे और अजय ठाकुर तेंदूपत्ता को बांधने के लिए बरगद की रस्सी निकाल रहा था, इसी दौरान भालू ने उस पर हमला कर दिया।

भालू ने उसके हाथ पैर सिर व कमर को बुरी तरह से नोच डाला, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल को तत्काल सीएचसी उदयपुर लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला चिकित्सालय अंबिकापुर रेफर किया गया। वहां भी स्थिति ठीक नहीं होने और कमर में गंभीर चोट होने की वजह से रायपुर रिफर किया जा रहा है।

वहीं दूसरी घटना में गुरुवार की सुबह फुलमेत पति रति राम निवासी ग्राम तुरियाबिरा थाना लुण्ड्रा, हाल मुकाम बासेन थाना उदयपुर में रहने वाली महिला तेंदूपत्ता तोडऩे सुबह 5.30 बजे पेंड्रामार जंगल में अन्य लोगों के साथ गई थी। तभी भालू ने महिला पर हमला कर दिया। अचानक से हुए इस हमले से महिला अचेत होकर जमीन पर गिर पड़ी। भालू ने उसके हाथ पैर गर्दन व अन्य जगहों पर नाखून से बुरी तरह से वार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। भालू के हमले के दौरान महिला चित अवस्था में पलटी, तब भालू उसे मरा हुआ समझकर छोडक़र चला गया।  

महिला ने अपने पास रखे मोबाइल से गांव के ही मंगलसाय को फोन कर घटना की सूचना दी । गांव के लोग मौके पर पहुंचे और निजी कंपनी के एंबुलेंस से सीधे जिला चिकित्सालय अंबिकापुर ले जाया गया जहां उसका उपचार जारी है।
  
लगातार भालुओं के हो रहे हमले के बारे में पूछे जाने पर उदयपुर वन परिक्षेत्र अधिकारी कमलेश राय ने बताया कि भालू के हमले से घायलों को वन अमला द्वारा उपचार का समुचित इंतजाम किया जा रहा है। तेंदुपत्ता संग्राहकों सहित आम ग्रामीणों को सलाह दी जा रही है, मुनादी कराई जा रही है कि शाम के वक्त जंगल की ओर न जाएं अकेले न जाए। तेंदूपत्ता तोडऩे सुबह उजाला हो जाने पर ही जाए ताकि वन्य प्राणी अपने-अपने जगह पर चले जाएं।

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